स्पेशल फ्रन्टियर फोर्स

  • 05 Sep 2020

लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीनी कब्जे को रोकने में 'स्पेशल फ्रन्टियर फोर्स' (एसएफएफ) इकाई जिसे ‘विकास बटालियन’ के रूप में भी जाना जाता है, ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

  • इसे 1962 के चीन-भारत युद्ध के तुरंत बाद स्थापित किया गया था। भारत में बसे तिब्बती शरणार्थियों (अब इसमें तिब्बतियों और गोरखाओं का मिश्रण है) को इसमें भर्ती किया जाता था। उन्हें शुरू में शत्रु इलाकों में गुप्त ऑपरेशन के लिए इंटेलिजेंस ब्यूरो, रॉ द्वारा प्रशिक्षित किया गया था।
  • शुरू में इसे 'इस्टेब्लिशमेंट 22' (Establishment 22) के नाम से जाना जाता था, क्योंकि इसे खड़ा करने की जिम्मेदारी 22-माउंटेन रेजिमेंट के मेजर जनरल सुजान सिंह उबन को सौंपी गई थी।
  • यह अब कैबिनेट सचिवालय के दायरे में आता है। इसका नेतृत्व एक महानिरीक्षक (Inspector General) करता है, जो मेजर जनरल रैंक का एक सैन्य अधिकारी होता है।
  • SFF इकाइयां सेना का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन वे सेना के संचालन नियंत्रण में कार्य करती हैं।
  • 1971 के युद्ध में चटगांव की पहाड़ियों को ‘ऑपरेशन ईगल’ के तहत सुरक्षित करने में, 1984 में ‘ऑपरेशन ब्लूस्टार’ और 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान ‘ऑपरेशन विजय’ में एसएफएफ की अहम भूमिका थी।