स्टार्टअप परितंत्र के समर्थन पर राज्यों की रैंकिंग

  • 14 Oct 2020

  • 11 सितंबर, 2020 को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने स्टार्टअप परितंत्र-2019 के समर्थन में राज्यों की रैंकिंग का दूसरा संस्करण ज़ारी किया। इसका संचालन उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) द्वारा किया गया।
  • उत्तर पूर्व भारत के चार राज्यों सहित कुल 22 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों ने इसमें हिस्सा लिया।

उद्देश्य

  • स्टार्टअप परितंत्र के समर्थन पर राज्यों की रैंकिंग का उद्देश्य स्टार्टअप परितंत्र को बढ़ावा देने के लिए राज्यों / संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा की गई प्रगति को सामने लाने में मदद करना है।
  • इसके साथ राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को लगातार इस क्षेत्र में कार्य करने के लिए प्रेरित करना और उनके बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है।
  • साथ ही साथ राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को अच्छी प्रथाओं की पहचान करने, सीखने और दोहराने की सुविधा प्रदान करना है।

राज्य स्टार्टअप रैंकिंग 2019 के बारे में

सुधार के लिए हस्तक्षेपित क्षेत्र

  • इस वर्ष राज्यों की रैंकिंग की रूपरेखा, 7 क्षेत्रों में सुधार के साथ कुल 30 क्रिया बिंदुओं में विस्तार हुआ है जबकिपिछले वर्षों की रैंकिंग रूपरेखा में कुल38 क्रिया बिंदु थें।

राज्यों की 7 स्तंभ वार भागीदारी

  • यह संस्थागत समर्थन,सरलीकृत विनियमन, सार्वजनिक खरीद मानदंडों में छूट, उद्भवन समर्थन(Incubation Support), बीज अनुदान सहायता (Seed Funding support), उद्यम अनुदान सहायता तथा जागरूकता और पहुँचजैसे मापदंडों को कवर करता है।

वर्गीकरण

  • रैंकिंगप्रक्रिया में एकरूपता स्थापित करने और मानकीकरण सुनिश्चित करने के लिए, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दो समूहों में विभाजित किया गया है।
    • श्रेणी X:शेष अन्य राज्यों एवं केंद्रशासित क्षेत्र दिल्ली को ‘श्रेणी X’ में रखा गया है।
    • श्रेणी Y:दिल्ली को छोड़कर सभी केंद्रशासित क्षेत्र एवं असम को छोड़कर पूर्वोत्तर के सभी राज्य ‘श्रेणी Y’ में रखे गए हैं।
  • रैंकिंग के उद्देश्य से राज्यों को 5 श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:
    • सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य
    • उत्तम प्रदर्शन करने वाले राज्य
    • अग्रणी राज्य
    • आकांक्षी अग्रणी राज्य
    • उभरते हुए स्टार्टअप परितंत्र वाले राज्य

परिणाम

श्रेणी X

  • सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य:गुजरात (राज्य), अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (केंद्रशासित)
  • उत्तम प्रदर्शन करने वाले राज्य:कर्नाटक और केरल
  • अग्रणी राज्य:बिहार, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, चंडीगढ़
  • आकांक्षी अग्रणी राज्य:हरियाणा, झारखंड, पंजाब, तेलंगाना, उत्तराखंड
  • उभरते हुए स्टार्टअप परितंत्र वाले राज्य:आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, सिक्किम, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश

श्रेणी Y

  • सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य:अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
  • अग्रणी राज्य:चंडीगढ़
  • आकांक्षी अग्रणी राज्य:नागालैंड
  • उभरते हुए स्टार्टअप परितंत्र वाले राज्य:मिज़ोरम, सिक्किम

महत्त्व

  • रैंकिंग न सिर्फ़ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को, बल्कि उद्यमियों को भी मदद करेगी और इससे स्टार्टअप के विस्तार और नए उपक्रमों को शुरू करने में मदद मिलेगी।
  • रैंकिंग, क्षमता विकास अभ्यास पर आधारित है, यह सभी राज्यों के बीच आपसी सीख को प्रोत्साहित करने तथा नीतियों के निर्माण और उनके क्रियान्वयन में सहायता प्रदान करेगी।

स्टार्टअप

  • एक स्टार्टअप को एक नए व्यवसाय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिसकी कार्यप्रणाली शुरुआती चरणों में है, और जो अभी विकसित हो रहा है। यह आमतौर पर एक व्यक्ति या व्यक्तियों के छोटे समूह द्वारा वित्तपोषित होता है।
  • एक इकाई को एक स्टार्टअप माना जाएगा यदि वह नीचे उल्लिखित शर्तों को पूरा करती है:

इकाई का प्रकार

  • एक निजी लिमिटेड कंपनी के रूप में निगमित (जैसा कि कंपनी अधिनियम, 2013 में परिभाषित है) या
  • एक साझेदारी फर्म (कंपनी) के रूप में पंजीकृत (भागीदारी अधिनियम, 1932 की धारा 59 के तहत) या
  • भारत में सीमित देयता भागीदारी (सीमित देयता भागीदारी अधिनियम, 2008 के तहत) के रूप में पंजीकृत।

आयु (स्टार्टअप कहलाने हेतु समयसीमा)

  • किसी फर्म (कंपनी) की निगमन की तारीख़ से 10 साल तक उस फर्म (कंपनी) को स्टार्टअप कहा जा सकता है।

व्यापार की मात्रा (टर्नओवर)

  • किसी भी वित्तीय वर्ष में उस फर्म (कंपनी) का टर्न ओवर एक सौ करोड़ रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए।

गतिविधि की प्रकृति

इकाई निम्न क्षेत्रों में काम कर रही है-

  • नवाचार (Innovation)
  • उत्पादों या प्रक्रियाओं या सेवाओं का विकास या सुधार
  • मापनीयता (Scalability)
  • रोज़गार निर्माण
  • धन सृजन

स्टार्टअप्स के लिए अवसर

भारतीय बाजार स्टार्टअप के लिए कई अवसर प्रदान करते हैं।

  • भारत की बड़ी जनसंख्या:भारत की जनसंख्या देश के लिए एक बड़ी संपत्ति है। 2020 तक, यह उम्मीद की जाती है कि कामकाजी उम्र की आबादी ग़ैर-कामकाजी आबादी को पार कर जाएगी। यह अद्वितीय जनसांख्यिकीय लाभ किसी भी स्टार्टअप को एक शानदार अवसर प्रदान करेगा। विभिन्न बुनियादी ढांचोंकी ज़रूरतें और बाज़ार कामूल आधार स्टार्टअप्स के लिए बड़े अवसर प्रदान करेंगे।
  • श्रमिक वर्ग कीमानसिकता बदलना:पारंपरिक कामकाज भारतीय स्टार्टअप के लिए नई राह बनेंगे। चुनौतीपूर्ण कार्य, अच्छे मुआवजों का पैकेज प्रतिभाशाली लोगों को स्टार्टअप के लिए आकर्षित करेंगे। इसके अलावा, यह देखा गया है कि कई हाई-प्रोफाइल अधिकारी स्टार्टअप शुरू करने या काम करने के लिए अपनी नौकरी छोड़ रहे हैं।
  • स्टार्टअप्स में भारी निवेश:स्टार्टअप परितंत्र को विदेशी और भारतीय निवेशकों से पर्याप्त समर्थन मिल रहा है, जिन्होंने उद्योग में अधिक विश्वास दिखाया है और इन कंपनियों को आगे बढ़नेतथाइनकी क्षमता और सीमा बढ़ाने में मदद करने के लिए धन प्रदान किया है।
  • सरकारी पहल:सरकारी और अर्ध-सरकारी पहलें वर्तमान में बुनियादी ढांचे, वित्तीय और तकनीकी सहायता और आसान अनुपालन मानदंडों के माध्यम से स्टार्टअप्स का समर्थन कर रही हैं।

भारत में स्टार्टअप परिदृश्य

  • 31 मार्च 2020 को भारत की स्टार्टअप वृद्धि की कहानी के कुछ प्रमुख परिणाम इस प्रकार हैं -

स्टार्टअप्स के मुद्दे और चुनौतियां

  • वित्तीय संसाधनों की कमी:स्टार्टअप के लिए वित्त की उपलब्धता महत्वपूर्ण है और हमेशा पर्याप्त मात्रा में वित्तकी उपलब्धता एक बड़ी समस्या है। स्टार्टअप की सफलता के लिए नकद प्रबंधन महत्वपूर्ण है। हालिया रिपोर्ट में 85% नई कंपनियोंने विफलता के संकेत के साथ एक उदास तस्वीर पेश की है।
  • खराब राजस्व सृजन:व्यापार बढ़ने के साथ-साथ खराब राजस्व के कारण कई स्टार्टअप विफल हो जाते हैं। जैसे-जैसे संचालन बढ़ता है, व्यय राजस्व में कमी के साथ बढ़ते हैं, जिससे स्टार्टअपनिधीकरण (Funding) के पहलू पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर देते है। इसलिए, चुनौती पर्याप्त पूंजी उत्पन्न करना नहीं है, बल्कि विकास का विस्तार करना और उसे बनाए रखना है।
  • सहायक मूलभूत ढांचें:विभिन्न समर्थन तंत्र जो स्टार्टअप्स के जीवन चक्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जिसमें इनक्यूबेटर, विज्ञान और प्रौद्योगिकी पार्क, व्यवसाय विकास केंद्र आदि शामिल हैं। इस तरह के समर्थन तंत्रों के अभाव में विफलता का खतरा बढ़ जाता है।
  • बाजारों में जागरूकता की कमी:बाजारों में सीमाओं पर ध्यान न देने के कारण स्टार्टअप विफल हो जाते हैं। उत्पाद की विशिष्टता के कारण किसी स्थापित कंपनी की तुलना में स्टार्टअप के लिए वातावरण आमतौर पर अधिक कठिन होता है।
  • जटिल नियामक पर्यावरण:व्यवसाय शुरू करने के लिए सरकारी एजेंसियों से कई अनुमतियों की आवश्यकता होती है। हाल के वर्षों में अवधारणात्मक परिवर्तन के बावजूद, कंपनी को पंजीकृत करना अभी भी एक चुनौती है। इसके अलावा, श्रम कानूनों, बौद्धिक संपदा अधिकारों, विवाद समाधान आदि से संबंधित विनियम भारत में कठोर हैं।
  • संरक्षण का अभाव:उचित मार्गदर्शन और संरक्षक का अभाव भारतीय स्टार्टअप परितंत्र में मौजूद सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। अधिकांश स्टार्टअप के पास शानदार विचार और / या उत्पाद हैं, लेकिन उत्पादों को बाजार में लाने के लिए कोई उद्योग या व्यवसाय और बाजार का अनुभव नहीं है।
  • एक प्रभावी ब्रांडिंग रणनीति का अभाव:एक प्रभावी ब्रांडिंग रणनीति की अनुपस्थिति एक और मुद्दा है जो स्टार्टअप को फलने-फूलने से रोकता है। ब्रांडिंग स्टार्टअप्स के लिए सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक पहचान देता है और उपभोक्ताओं के दिमाग में जगह बनाता है।

स्टार्टअप्स के प्रति हाल ही में किये गए विनियामक सुधार

  • कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने मार्च 2020 में कंपनियों की फ्रेश स्टार्ट योजनाकी शुरुआत की है जो कंपनियों को अवसर प्रदान करने करने, समय के अपेक्ष के बिना किसी भी फाइलिंग संबंधित चूक को कम करने और पूरी तरह से अनुवर्ती इकाई को फ्रेश स्टार्ट मुहैया करेगी।
  • भारत सरकार की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (EODB) पहल केरूप में,कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने मौजूदा SPICe फॉर्म की जगह एक नया एकीकृत वेब फॉर्म IC‘SPICe+’शुरू किया है।SPICe+, 3 केंद्रीय सरकार के मंत्रालयों व विभागों (कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय, श्रम मंत्रालय और वित्त मंत्रालय में राजस्व विभाग) और एक राज्य सरकार (महाराष्ट्र) द्वारा 10 सेवाओं की पेशकश करेगा, जिससे भारत में एक व्यवसाय शुरू करने की प्रक्रियाओं, समय और लागत की बचत होगी।
  • कंपनियों अधिनियम (निगमन) का 5वां संशोधित नियम 2019,मौजूदा कंपनी नाम के साथ उपनामके लिए नए नियम प्रदान करता है और किसी कंपनी के अवांछनीय नामों की नई श्रेणियों और शब्दों का उपयोग अनुमोदन प्राप्त करने के बाद ही किया जा सकता है।
  • कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालयने अगस्त 2019 में एक अधिसूचना ज़ारी की, जिसमें ईएसओपी (ESOP) को स्टार्टअप्स के प्रवर्तकों और निदेशकों (10% से अधिक इक्विटी धारण) को निगमन की तारीख से 5 साल से लेकर 10 साल तक के लिए पुनर्निवेशित किया जा सकता है।
  • आयकर अधिनियम की धारा 54GB में संशोधन1 अप्रैल 2020 (अगस्त 2019)।
  • आयकर अधिनियम (अगस्त 2019) की धारा 79 में संशोधन।
  • एक स्टार्टअप में श्रेणी- I वैकल्पिक निवेश कोष (AIF) के वेंचर कैपिटल फंड द्वारा किए गए निवेश को आईटी अधिनियम की धारा 56 (2) (viib) के प्रावधानों की व्यावहारिकता से छूट दी गई।यह छूट उक्त अनुभाग (अगस्त 2019) में "निर्दिष्ट निधियों" की शुरूआत के ज़रिये श्रेणी- I वैकल्पिक निवेश कोष (AIF) और श्रेणी- II वैकल्पिक निवेश कोष (AIF) की सभी उप-श्रेणियों में विस्तारित की गई है।
  • वित्त अधिनियम 2020 मेंयोग्य स्टार्टअप्स को आयकर छूट के लिए (दस वर्षों में से तीन लगातार मूल्यांकन वर्षों की अवधि के लिए) धारा 80-IAC में संशोधन का प्रावधान है। इसके लिए टर्नओवर 100 करोड़ से अधिक नहीं होना चाहिए।
  • एक स्टार्टअप की परिभाषा में संशोधन:एक इकाई को एक स्टार्टअप तब तक माना जाएगा जब तक उस इकाई के निगमन / पंजीकरण से दस वर्ष की अवधि न पूरी हो जाती और उस इकाई का टर्न ओवर एक वित्त वर्ष में 100 करोड़ से अत्यधिक नहीं होना चाहिए। (फरवरी 2019)।

सरकारी की तरफ से किये गए पहल

आत्मानिर्भर भारत- अटल न्यू इंडिया चैलेंज (ANIC) की शुरुआत

  • 9 सितंबर, 2020 को सरकार द्वारा आत्मानिर्भर भारत- अटल न्यू इंडिया चैलेंज (ANIC) कार्यक्रम की शुरुआत की गयी, जो अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने तथा भारतीय स्टार्टअप्स और सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यमों (MSMEs) की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रीय पहल है।

एआईएम-आईसीआरईएसटी (AIM-iCREST) कार्यक्रम

  • जुलाई, 2020 में अटल इनोवेशन मिशन (AIM) द्वारा आईसीआरईएसटी (iCREST) को लॉन्च किया गया, यह एक उच्च प्रदर्शन स्टार्टअप बनाने पर केंद्रित एक मजबूत परितंत्र के लिए एक इनक्यूबेटर क्षमता संवर्धन कार्यक्रम है।
  • इसे समूचे देश में एआईएम (AIM)और इनक्यूबेटरों के विकास में समर्थन करने के लिए तैयार किया गया है।

राष्ट्रीय स्टार्टअप सलाहकार परिषद

  • जनवरी, 2020 में सरकार ने नवाचार और स्टार्टअप के विकास हेतु एक मजबूत परितंत्र के गठन के लिए आवश्यक उपायों पर सरकार को सलाह देने के लिए राष्ट्रीय स्टार्टअप सलाहकार परिषद बनाई, जो देश में सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा करेगा।

स्टार्टअप इंडिया

  • 15 अगस्त 2015 को केंद्र सरकार द्वारा घोषित इस पहल का उद्देश्य देश में नवाचार और स्टार्टअप को विकसित करने के लिए एक मजबूत परितंत्र का निर्माण करना है जो स्थायी आर्थिक विकास को बढ़ावा देगाऔर बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा करेगा।
  • स्टार्टअप इंडिया पहल के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए, 16 जनवरी 2016 को स्टार्टअप इंडिया के लिए एक एक्शन प्लान लाया गया। एक्शन प्लान में क्षेत्रों में फैले हुए कुल 19 एक्शन आइटम शामिल हैं जैसे- "सरलीकरण और प्रारंभिक सहायता (Simplification and handholding)", "समर्थन और प्रोत्साहन अनुदान (Funding support and incentives)" तथा "उद्योग-एकेडेमिया भागीदारी और उद्भवन Industry academia partnership and incubation)”।

मेक इन इंडिया

  • इसे 2014 में लॉन्च किया गया था, इसका अंतिम उद्देश्य भारत को एकमहत्वपूर्ण निवेश एवं निर्माण, संरचना तथा अभिनव प्रयोगों के वैश्विक केंद्र के रुप में तब्दील करना है। यह पहल निवेश, कौशल विकास को बढ़ावा देती है, नवाचार को प्रोत्साहित करती है, इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा करती है।

मुद्रा योजना

  • इस योजना के माध्यम से, स्टार्टअप्स को अपने व्यवसायों को स्थापित करने, विकसित करने और मजबूत करने के लिए बैंकों से ऋण मिलता है।

स्व-रोजगार और प्रतिभा उपयोग कोष (SETUFund)

  • सरकार ने स्वरोजगार और मुख्य रूप से प्रौद्योगिकी संचालित डोमेन में नई नौकरियों के अवसर पैदा करने के लिए 1,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।

ई-बिज़ पोर्टल (E-Biz Portal)

सरकार ने ई-बिज़ पोर्टल शुरू किया जो एक स्रोत पर 14 विनियामक अनुमतियों और लाइसेंसों को एकीकृत करता है इससे लाइसेंसों को मंजूरी देने में तेजी आएगी तथा भरता में ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस में सुधार होगा।

आगे का रास्ता

  • स्टार्टअप वर्तमान में एक महत्वपूर्ण संपत्ति है जिसे तेजी से विकसित बुनियादी ढांचे के विकास के माध्यम से समर्थित होने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त, सरकार को नवीन स्टार्टअप्स को कम ब्याज वाले ऋण देने के लिए बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों पर ज़ोर देना चाहिए। इन स्टार्टअप को नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि वे प्रतिस्पर्धी बाजार से बच सकें।
  • भारत का एक बड़ा जनसांख्यिकीय आधार है। आवश्यक कौशल और शिक्षा की कमी भारत को मानव पूंजी की क्षमता को महसूस करने से रोक रही है। इन पहलुओं में सुधार, समय की ज़रुरत है।
  • सामूहिक पहल के रूप में,केंद्र और राज्यों को एक साथ काम करने और सभी आयु समूहों के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचों, समर्पित प्रणालियों, बुद्धि और वित्तीय संसाधनों के समुच्चय निर्मित करने की ज़रुरत है।
  • वर्तमान प्रतिबंधात्मक विधायी संरचना और विनियामक मानदंडों में सुधार इस तरह से किया जाना चाहिए जिससे स्टार्टअप पूरे देश में पनप सकें और विकसित हो सकें।