ड्यूशनिन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी

  • 24 Nov 2020

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के इस वर्ष के स्वर्ण जयंती फेलोशिप प्राप्त करने वाले 21 लोगों में से एक भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरू के असिस्टेंट प्रोफेसर संदीप ईश्वरप्पा ने ‘ड्यूशनिन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी’ (duchenne muscular dystrophy) बीमारी के प्रारंभिक कारणों को नियंत्रित करने का प्रस्ताव दिया है।

महत्वपूर्ण तथ्य: मांसपेशियों की गंभीर कमजोरी की बीमारी ड्यूशनिन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक आनुवांशिक विकार है, जो कि 'डायस्ट्रोफिन' (dystrophin) नामक प्रोटीन के परिवर्तन के कारण होता है। यह प्रोटीन मांसपेशियों की कोशिकाओं को मजबूत बनाए रखने में मदद करता है।

  • इस बीमारी के लक्षणों की शुरुआत बचपन में होती है, आमतौर पर 2 से 3 साल की उम्र में। यह बीमारी मुख्य रूप से लड़कों को प्रभावित करती है, लेकिन दुर्लभ मामलों में यह लड़कियों को प्रभावित कर सकती है।
  • इस बीमारी का कोई ज्ञात इलाज नहीं है। सामान्यत: जीवन की गुणवत्ता में सुधार करके इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जाता है।
  • प्रोफेसर ईश्वरप्पा ‘आनुवांशिक नियामक सिद्धान्तों’ (gene regulatory principle) के माध्यम से इस बीमारी के प्रारम्भिक कारणों को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे हैं।
  • आनुवांशिक नियामक सिद्धांत मानव शरीर, यीस्ट, बैक्टीरिया तथा ड्रोसोफिला (drosophila) में पाये जाते है।