कालाजार बीमारी की स्थिति की समीक्षा

  • 05 Jan 2021

केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने 30 दिसंबर, 2020 को उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में कालाजार बीमारी की स्थिति की समीक्षा की।

कालाजार: परजीवी से होने वाली मृत्यु का दुनियाभर में मलेरिया के बाद कालाजार दूसरा सबसे बड़ा कारण है, अगर समय रहते मरीज का इलाज न किया जाए, तो इससे 95 फीसदी मरीजों की मौत हो जाती है।

  • इसके अलावा, जो मरीज सही इलाज मिलने से ठीक हो जाते हैं, उनमें से करीब 20 फीसदी मरीजों के शरीर में ‘पोस्ट-कालाजार डर्मल लीशमैनियासिस’ (Post-Kala-Azar Dermal Leishmaniasis- PKDL)’ नामक त्वचा संबंधी रोग हो जाता है।

समीक्षा की मुख्य बातें: वर्तमान में देश के चार राज्य- बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में 54 जिले कालाजार बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

  • 30 नवंबर, 2020 तक झारखंड के 12 खण्डों और बिहार के 4 खण्डों में प्रति 10,000 आबादी पर कालाजार का एक से अधिक मामला सामने आया है।
  • कालाजार से सबसे ज्यादा प्रभावित बिहार में सिवान और सारण जिलों के 4 खण्डों को छोड़कर (कुल 458 खण्ड में से) बाकी सभी खण्डों में इसके उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल कर लिया गया है।
  • झारखंड ने प्रति 10000 आबादी पर एक से अधिक मामलों वाले खण्डों के साथ-साथ कालाजार और PKDL के मामलों में कमी दर्ज की है।
  • उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल ने कालाजार उन्मूलन के लक्ष्यों को हासिल कर लिया है।