सामयिक - 27 January 2023

सामयिक खबरें राष्ट्रीय

शिकायत अपीलीय समितियों (GACs) का गठन


27 जनवरी, 2023 को केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया एवं अन्य इंटरनेट-आधारित प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ उपयोगकर्ताओं के शिकायतों के समाधान के लिए 3 शिकायत अपीलीय समितियों [Grievance Appellate Committees (GACs)] के गठन की अधिसूचना जारी की।

  • संशोधित आईटी नियम 2021 के तहत: इन शिकायत अपीलीय समितियों का गठन अक्टूबर 2022 में संशोधित सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश एवं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियमावली, 2021 [Amendments to IT Rules, 2021] के तहत किया गया है।
  • कार्य संचालन की शुरुआत: ये समितियां 1 मार्च, 2023 से काम करना शुरू कर देंगी।

गठन एवं संरचना

  • सदस्य संख्या: तीन शिकायत अपीलीय समितियों में से प्रत्येक में एक पदेन अध्यक्ष एवं 2 पूर्णकालिक सदस्य होंगे।
  • कार्यकाल: पदभार ग्रहण करने की तिथि से 3 वर्ष की अवधि के लिए, या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो

पहली समिति

  • अध्यक्ष: राजेश कुमार (भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र के मुख्य कार्यकारी अधिकारी)।
  • सदस्य:1. आशुतोष शुक्ला (सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी), 2. सुनील सोनी (पंजाब नेशनल बैंक के पूर्व मुख्य महाप्रबंधक एवं मुख्य सूचना अधिकारी)।

दूसरी समिति

  • अध्यक्ष: विक्रम सहाय (सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में नीति एवं प्रशासन प्रभाग के प्रभारी संयुक्त सचिव)।
  • सदस्य:1. सुनील कुमार गुप्ता (भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त कमोडोर), 2. कवींद्र शर्मा [एल एंड टी इन्फोटेक लिमिटेड के पूर्व उपाध्यक्ष (परामर्श)]।

तीसरी समिति

  • अध्यक्ष: कविता भाटिया (इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में कार्यरत वरिष्ठ वैज्ञानिक)।
  • सदस्य:1. संजय गोयल (भारतीय रेलवे के पूर्व यातायात सेवा अधिकारी), 2. कृष्णगिरि रागोथमाराव (आईडीबीआई इंटेक के पूर्व प्रबंध निदेशक)।

प्रमुख कार्य

  • शिकायत अपील समितियां फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसी बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों के खिलाफ यूजर्स की शिकायतों पर गौर करेंगी।
  • इन समितियों के पास इंटरनेट-आधारित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स द्वारा लिए गए कंटेंट मॉडरेशन-संबंधी निर्णयों की निगरानी करने और उन्हें रद्द करने का भी अधिकार होगा।

सामयिक खबरें पर्यावरण

वैश्विक जोखिम रिपोर्ट 2023


11 जनवरी, 2023 को विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा वैश्विक जोखिम रिपोर्ट 2023 (Global Risks Report 2023) जारी की गई।

  • इस रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर अगले दो वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं और चरम मौसमी घटनाओं के अपेक्षाकृत अधिक घटित होने की संभावना है|

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • सबसे गंभीर वैश्विक जोखिम: जलवायु परिवर्तन को कम करने में विफलता (Failure to Mitigate Climate Change) तथा जलवायु परिवर्तन अनुकूलन की विफलता (Failure of Climate Change Adaptation) वैश्विक स्तर पर देखी जा रही है, जो अगले एक दशक में सबसे गंभीर वैश्विक जोखिम के रूप में उभर सकती है|
    • अगले दो वर्षों में जीवन निर्वाह की लागत (Cost of living) शीर्ष वैश्विक जोखिम के रूप में उभर सकती है, जबकि जलवायु कार्रवाई की विफलता (Climate Action Failure) अगले एक दशक में शीर्ष वैश्विक चुनौती बन सकता है|
  • जैव विविधता: वैश्विक स्तर पर जैव विविधता हानि और पारिस्थितिक तंत्र का पतन तेजी से दर्ज किया जा रहा है। इसका कारण जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने (address climate change) से संबंधित जलवायु कार्रवाई की विफलता है|
  • उत्सर्जन लक्ष्य तथा वैश्विक तापन: विश्व के विभिन्न देशों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड का उत्सर्जन किया जा रहा है, जिससे वायुमंडल में इनका सांद्रण रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है।
    • हरित गृह गैसों के उत्सर्जन कटौती से संबंधित वैश्विक लक्ष्य को प्राप्त करने की संभावना कम है, जिसके कारण वैश्विक तापन के 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित होने की संभावना भी कम है।
  • शमन प्रयास: भू-राजनीतिक तनावों तथा संसाधनों की बढ़ती मांग ने शमन (Mitigation) प्रयासों की गति और पैमाने को कम कर दिया है।
    • उदाहरण के लिए, रूस-यूक्रेन संघर्ष के चलते यूरोप के विभिन्न देशों ने रूस से पेट्रोलियम पदार्थों के आयात में कमी कर दी है| ऑस्ट्रिया, इटली, नीदरलैंड और फ्रांस जैसे कुछ देशों द्वारा कोयला आधारित विद्युत स्टेशनों को फिर से शुरू किया गया है।
  • अधिक प्रभावित देश: प्राकृतिक आपदाओं या चरम मौसमी घटनाओं का प्रभाव निम्न और मध्यम आय वाले देशों पर अधिक होता है।
    • भारत सहित लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया के विकासशील तटीय देशों के लिए प्राकृतिक आपदाएँ और चरम मौसमी घटनाएँ शीर्ष जोखिम के रूप में उभरी हैं।

भारत विशिष्ट अवलोकन

  • चरम मौसमी घटनाएं: 1 जनवरी, 2022 से 30 नवंबर, 2022 के बीच 334 दिनों में से 291 दिन चरम मौसमी घटनाएं दर्ज की गईं।
    • इसका अर्थ यह है कि इन 11 महीनों में 87 प्रतिशत से अधिक समय देश के किसी न किसी हिस्से में किसी न किसी प्रकार की चरम मौसमी घटना दर्ज की गई।
  • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन तथा मौसमी घटनाओं का अंतर्संबंध: मानव-जनित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन ने चरम मौसमी घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि की है। यह चरम घटनाओं तथा मानव जनित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के मध्य संबंध को दर्शाता है|

पीटी फैक्ट : विश्व आर्थिक मंच

  • स्थापना: 1971 में एक गैर-लाभकारी फाउंडेशन के रूप में।
  • मुख्यालय: स्विट्जरलैंड के जिनेवा में स्थित कोलॉनी (Cologny) नगर में।
  • स्वरूप एवं कार्य: यह सार्वजनिक-निजी सहयोग वाला एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जो प्रमुख राजनीतिक, व्यापारिक, सांस्कृतिक और समाज के अन्य नेताओं को वार्ता के लिए मंच प्रदान करता है।
    • यह मंच वैश्विक, क्षेत्रीय एजेंडे को आकार देने में सहायक है|
    • यह एक स्वतंत्र, निष्पक्ष संस्था है जो किसी विशेष हित से बंधा हुआ नहीं है।
  • प्रकाशित रिपोर्ट्स: विश्व आर्थिक मंच द्वारा प्रकाशित कुछ प्रमुख रिपोर्ट निम्नलिखित हैं-
    • वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता रिपोर्ट (Global Competitiveness Report)
    • ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट (Global Gender Gap Report)
    • वैश्विक जोखिम रिपोर्ट (Global Risk Report)
    • वैश्विक यात्रा एवं पर्यटन रिपोर्ट (Global Travel and Tourism Report)
    • वैश्विक सामाजिक गतिशीलता रिपोर्ट (Global Social Mobility Report)
    • मुख्य अर्थशास्त्री आउटलुक (Chief Economists Outlook)

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