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अनुच्छेद 194: यह विधानमंडल के किसी सदन और उसके सदस्यों और उसकी समितियों की शक्तियों और विशेषाधिकारों से संबंधित है। अनुच्छेद 194 के अनुसार, फ्किसी राज्य के विधानमंडल का कोई भी सदस्य उसके द्वारा विधानमंडल या उसकी किसी समिति में कही गई किसी बात या दिए गए मत के संबंध में किसी भी अदालत में किसी भी कार्यवाही के लिए उत्तरदायी नहीं होगा और किसी व्यक्ति के विरुद्ध ऐसे विधान-मंडल के किसी सदन के प्राधिकार द्वारा या उसके अधीन किसी प्रतिवेदन पत्र, मतों या कार्यवाहियों के प्रकाशन के संबंध में इस प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की जाएगीय्। अनिवार्य रूप से, ये संसदीय विशेषाधिकार विधायिकाओं द्वारा प्राप्त अधिकार और उन्मुक्ति (immunity) को संदर्भित करता है, जिसमें विधायकों को उनके विधायी कर्तव्यों के दौरान किए गए कार्यों या दिए गए बयानों के लिए दीवानी या आपराधिक अभियोजन से सुरक्षा प्रदान की जाती है।

मंकी बी वायरस (Monkey B virus): चीन ने ‘मंकी बी वायरस’ (BV) का पहला मानव संक्रमण मामला दर्ज किया है। हर्पीस बी वायरस या फिर मंकी वायरस आमतौर पर वयस्क मैकाक बंदरों से फैलता है। इस वायरस की पहचान पहली बार 1932 में हुई थी। यह वायरस बंदरों के सीधे संपर्क और शारीरिक स्रावों के आदान-प्रदान से फैलता है। मंकी बी वायरस से संक्रमित मरीजों में मृत्यु दर 70 प्रतिशत से 80 प्रतिशत है। यह उनकी लार, मल-मूत्र या मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी के ऊतकों में पाया जाता है। संक्रमित बंदर द्वारा काटे जाने या खरोंचने पर भी इंसान संक्रमित हो सकता है। मंकी बी वायरस संक्रमण के लक्षण आमतौर पर फ्रलू जैसे होते हैं- बुखार और ठंड लगना, मांसपेशियों में दर्द, थकान और सिरदर्द,सांस की तकलीफ, मितली और उल्टी, पेट दर्द आदि। वर्तमान में, इस वायरस के संक्रमण से बचाव काकोई भी टीका नहीं हैं।

बादल फटनाः बादल फटना एक छोटे से क्षेत्र में छोटी अवधि की तीव्र वर्षा की घटना है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, यह लगभग 20.30 वर्ग किमी. के भौगोलिक क्षेत्र में 100 मिमी / घंटा से अधिक अप्रत्याशित वर्षा के साथ एक मौसमी घटना है। निम्न तापमान और धीमी हवाओं के साथ सापेक्ष आर्द्रता और मेघ आवरण (cloud cover) अधिकतम स्तर पर होता है, इस स्थिति के कारण बादल बहुत अधिक मात्र में तीव्र गति से संघनित हो सकते हैं और परिणामस्वरूप बादल फट सकते हैं।

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66एः केंद्रीय गृह मंत्रलय ने राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों से अपने अधिकार क्षेत्र के सभी पुलिस थानों को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की निरस्त धारा 66ए के तहत मामले दर्ज न करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। 2008 में यूपीए सरकार द्वारा पेश किया गया, ‘आईटी अधिनियम, 2000 संशोधन’ सरकार को कथित रूप से ‘आक्रामक और खतरनाक’ ऑनलाइन पोस्ट के लिए एक व्यत्तिफ़ को गिरफ्रतार करने और कैद करने की शत्तिफ़ प्रदान करता है। धारा 66ए ने पुलिस को अपने विवेक के अनुसार ‘आक्रामक’ या ‘खतरनाक’ के रूप में या झुंझलाहट, असुविधा आदि के प्रयोजनों के लिए गिरफ्रतारी करने का अधिकार दिया है। इसने कंप्यूटर या किसी अन्य संचार उपकरण जैसे- मोबाइल फोन या टैबलेट केमाध्यम से संदेश भेजने के लिए दंड निर्धारित किया है, जिसमें एक दोषी को अधिकतम तीन साल की जेल हो सकती है। 2015 में, सुप्रीम कोर्ट ने ‘श्रेया सिंघल बनाम भारत संघ’ वाद में अपने फैसले में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66ए को निरस्त कर दिया था।

जीका वायरसः जीका वायरस, जो डेंगू बुखार, पीत ज्वर (Yellow fever) और वेस्ट नाइल वायरस के समान है, ज्यादातर संक्रमित एडीज प्रजाति के मच्छरों के काटने से फैलता है, मुख्य रूप से एडीज इजिप्टी (Aedes aegypti)। जीका मच्छर के काटने से, गर्भवती महिला से उसके भ्रुण को, यौन संपर्क, रक्त और रक्त उत्पादों के आधान (transfusion) और अंग प्रत्यारोपण से फैल सकता है। जीका वायरस से संक्रमित कई लोगों में लक्षण नहीं होते या केवल हल्के लक्षण होते हैं। लक्षणों में आमतौर पर बुखार, दाने, नेत्रश्लेष्मलाशोथ (conjunctivitis), मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, अस्वस्थता और सिरदर्द शामिल हैं, जो आमतौर पर दो से सात दिनों तक रहता है। जीका वायरस संक्रमण के निदान की पुष्टि क्त या शरीर के अन्य तरल पदार्थों जैसे मूत्र या वीर्य के प्रयोगशाला परीक्षणों से ही की जा सकती है। जीका के लिए कोई टीका या दवा नहीं है।