विश्व भूगोल : प्रमुख तथ्य
विश्व की प्रमुख पर्वत श्रृंखला
हिमालय पर्वत श्रृंखला
- हिमालय भारत में स्थित एक प्राचीन पर्वतश्रृंखला है। इसकी सर्वोच्च चोटी माउंट एवेरेस्ट है।
- इन तीन मुख्य श्रेणियों के आलावा चौथी और सबसे उत्तरी श्रेणी को पार हिमालय या ट्रांस हिमालय कहा जाता है जिसमें कराकोरम तथा कैलाश श्रेणियां शामिल है।
रॉकी पर्वत श्रृंखला
- रॉकी पर्वत उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी भाग से सामान्यतः उत्तर-दक्षिण दिशा, में अलास्का से उत्तरी न्यू मेक्सिको तक, फैली हुई पर्वतमाला का नाम है। माउंट एल्बर्ट इसकी सर्वोच्च चोटी है।
एंडीज पर्वत श्रृंखला
- एंडीज दुनिया की सबसे लम्बी पर्वतश्रृंखला है जो दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट पर स्थित है। एकांकागुआ इसकी सर्वोच्च चोटी है।
- एंडीज दक्षिण अमेरिका के कोलम्बिया, अर्जेन्टीना, चिली, बोलीवियां, पेरू, ईक्वाडोर और वेनेजुएला से गुजरती है।
- चिली में इसका विस्तार सबसे अधिक है।
आल्प्स पर्वत श्रृंखला
- आल्प्स यूरोप की एक विशाल पर्वत प्रणाली है जो पश्चिम में जेनोआ की खाड़ी से लेकर पूर्व में वियना तक फैली हुई है।
- आल्पस पर्वत की सबसे ऊंची चोटी माउंट ब्लेंक फ्रांस में स्थित है।
ट्रांस अंटार्कटिका पर्वत
- ट्रांस अंटार्कटिका पर्वत अंटार्कटिका की एक पर्वतमाला है, जो पश्चिमी अंटार्कटिका और पूर्वी अंटार्कटिका के क्षेत्रों को एक-दूसरे से विभाजित करती है। इसकी सर्वोच्च चोटी विन्सन मैसिफ है।
स्कैंडिनेवियन रेंज
- स्कैंडिनेवियाई पहाड़ या स्कैंडेस उत्तरी यूरोप के स्कैंडिनेवियाई प्रायद्वीप पर स्थित एक पर्वतमाला है।
विश्व के प्रमुख पठार
ग्रीनलैण्ड का पठार
- अन्ध महासागर के उत्तरी भाग में लगभग 21,75,600 वर्ग किमी क्षेत्र हिम से ढका विशाल पठार है। जिसे ग्रीनलैण्ड का पठार कहते हैं।
अलास्का का पठार
- इसे यूकन का पठार भी कहते हैं; क्योंकि इसका निर्माण यूकन और उसकी सहायक नदियों द्वारा किया गया है।
कोलम्बिया का पठार
- यह संयुक्त राज्य अमेरिका के ओरेगन, वाशिंगटन और इडाहो राज्यों के मध्य स्थित है। इसके मध्य में अनेक क्रियाशील ज्वालामुखी पाए जाते हैं।
ग्रेट बेसिन का पठार
- यह कोलम्बिया पठार के दक्षिण में कोलोरेडो और कोलम्बिया नदियों के मध्य 5,25,000 वर्ग किमी क्षेत्र में विस्तृत है।
- इसका विस्तार ओरेगन, नेवादा, यूटाह और इडाहो राज्यों में पाया जाता है। यह अन्तःप्रवाह क्षेत्र है।
कोलोरेडो का पठार
- यह पठार ग्रेट बेसिन के दक्षिण में स्थित है; इसका विस्तार यूटाह और ऐरेजोना राज्यों में है।
- इस पठार के मध्य कोलोरेडो नदी बहती है। जो संसार की सबसे गहरी घाटी का निर्माण करती है, अतः कोलोरेडो नदी के अनेक खण्ड बन गए हैं, जो विश्व प्रसिद्ध 1.5 किमी गहरी ग्राण्ड कैनियन (Grand Canyon) खण्ड घाटी का निर्माण करती है।
मैक्सिको का पठार
- यह पठार पश्चिमी सियरामाद्रे और पूर्वी सियरामाद्रे पर्वत-श्रेणियों के मध्य स्थित है। यहाँ पर ज्वालामुखी प्रवाह की कठोर शैलें पाई जाती हैं। इसे ‘ज्वालामुखी पठार’ भी कहते हैं।
चियापास का पठार
- चियापास का पठार दक्षिणी मैक्सिको में प्रशान्त महासागर के तट पर स्थित है।
ब्राजील का पठार
- दक्षिणी अमरीका के मध्य पूर्वी भाग में ब्राजील का पठार त्रिभुजाकार रूप में विस्तृत है। उत्तर पूर्व में केप राक से प्रारम्भ होकर दक्षिण में रियो ग्रेडों डी सुल तक इसका विस्तार है। यह पठार खनिज सम्पदा के दृष्टिकोण से अत्यन्त धनी है।
बोलिविया का पठार
- बोलिविया राज्य में एण्डीज पर्वतमाला में एक ऊँचे उठे हुए पठार के सादृश्य है जिसके दोनों ओर ऊँची श्रेणियाँ हैं पश्चिम की ओर पेरू मध्यवर्ती पर्वतमाला का भाग है जो दक्षिण में चिली की ओर चली जाती है तथा पूर्व में पेरू की कार्डिलेरा डेकटाबाया का भाग जो अविच्छिन्न रूप में है।
मेसेता का पठार
- स्पेन आइबेरियन प्रायद्वीय पर मेसेता का पठार स्थित है, जिसकी सीमाएं ऐतिहासिक कासिल शासन के बराबर है इस पठार की औसत ऊँचाई लगभग 610 मीटर है।
तिब्बत का पठार
- यह पठार हिमालय पर्वत के उत्तर और क्यूनलुन पर्वत के दक्षिण में 4000 से 5000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
- इसके पूर्व में सीकाग और पश्चिम में हिन्दुकुश तथा कराकोरम की श्रेणियाँ स्थित हैं। इस पठार से सिन्धु सतलज, ब्रह्मपुत्र, मीकांग, यांगटिसीक्यांग और “वांगहो नदियाँ निकलती हैं यहाँ पर कई छोटी-बड़ी झीलें भी हैं।
अनातोलिया का पठार
- टर्की में पोन्टिस एवं टारस श्रेणियों के मध्य एजियन तट से आर्मीनिया गाँठ तक अनातोलिया का पठार विस्तृत है इसे टर्की का पठार भी कहते हैं।
अबीसीनिया का पठार
- यह पठार पूर्वी अफ्रीका के इथोपिया एवं सोमालिया में विस्तृत है।
विश्व की प्रमुख पवनें
बाग्यो (Baguio)
- फिलीपाइन द्वीप समूहों में चलने वाले उष्ण कटिबन्धीय चक्र वातों को बाग्यो या बगियो कहते हैं।
बर्ग पवन
- दक्षिणी अफ्रीका में शीतकाल में पठारी भाग से समुद्र की ओर प्रवाहित होने वाली कोष्ण व शुष्क पवनों को बर्ग पवन कहते हैं।
बर्फानी तूफान (Blizzard)
- गतिशील हिम का प्रचण्ड तूफान, जो प्रायः अत्यधिक शीत के साथ आता है, बर्फानी तूफान कहलाता है। यह अलास्का कनाडा में प्रवाहित होती है।
बोरा (Bora)
- मध्य यूरोप में उत्तर पूर्वी पर्वतों से उत्तरी एड्रियाटिक सागर की ओर प्रचण्ड रूप से प्रवाहित होने वाली अतिशीतल शुष्क पवन को बोरा कहते हैं। यह पवन मध्य यूरोप के उच्च दाब क्षेत्र से भूमध्य सागर में विद्यमान निम्न दाब के क्षेत्र में प्रायः शीतकाल में चलता है।
चिनूक (Chinook)
- उत्तरी अमरीका के रॉकी पर्वत श्रेणियों के पूर्वी ढाल पर अलबर्टा, पश्चिमी सस्केचवान तथा मोण्टाना राज्यों में ढालों से नीचे की ओर शुष्क व कोष्ण दक्षिणी-पश्चिमी पवनें प्रवाहित होती हैं, बसन्त काल में इनकी गर्मी से तापमान एकाएक बढ़ जाता है और हिम पिघलन तेजी से होने लगता है। इन्हीं पवनों को चिनूक कहते हैं।
फॉन (Fohn)
- उत्तरी आल्पस की घाटियों में कोष्ण अत्यधिक शुष्क पवन, जो किसी पर्वत श्रेणी को पार करके प्रति पवन ढालों पर नीचे की ओर उतरती है, फॉन कहलाती है।
ग्रेगाले (Gregale)
- दक्षिणी यूरोप में भूमध्यसागरीय क्षेत्र के मध्य भाग में उत्तर पश्चिम अथवा उत्तर-पूर्व दिशा से शीत ऋतु में प्रवाहित होने वाली पवन को ग्रेगाले कहते हैं।
हबूब (Haboob)
- उत्तरी एवं उत्तरी- पूर्वी सूडान में खारतूम के निकट तेज अंधड़ को हबूब कहते हैं। ये हवाएं मई से सितम्बर माह में दोपहर के बाद सायंकाल तक अधिक चलती हैं। इनमें धूल के कारण दृश्यता कम हो जाती है। कभी-कभी तड़ित झंझावात के साथ भारी वर्षा भी होती है।
हरमट्टन (Harmattan)
- पश्चिमी अफ्रीका में और मुख्यतः सहारा में गर्म, अतिशुष्क और धूलिमय चलने वाली प्रचण्ड उत्तर-पूर्वी पवनों को हरमट्टन कहते हैं। ये पवनें कभी इतनी गर्म एवं शुष्क होती हैं कि वृक्षों के तनों में दरार तक पैदा कर देती है। ये ही पवनें गिनी तट पर नम ऊष्मा स लोगों को आराम देती हैं और स्वास्थ्यप्रद हो जाती हैं।
जूरन (Jooran)
- जूरा पर्वत से जेनेवा झील तक रात्रि में बहने वाली शीतल शुष्क पवन जूरन कहलाती है।
लेवेन्टे (Lavante)
- पश्चिमी भूमध्य सागर, फ्रांस तथा स्पेन के दक्षिणी तटीय भागों में चलने वाली तीव्र पवनें लेवेन्टे कहलाती हैं। ये पवनें नम आर्द्र और वर्षा प्रदान करने वाली हैं, जो सामान्यतया बसन्त ऋतु में चलती हैं।
काराबुरन (Karaburan)
- मध्य एशिया के तारिम बेसिन में चलने वाली तीव्र उष्ण उत्तर-पूर्वी हवाओं को काराबुरन कहते हैं, ये हवाएँ सामान्य तथा तेज होती हैं और धूल भरे तूफानों को जन्म देती हैं। धूलि से आकाश काला पड़ जाता है।
मिस्ट्रल (Mistral)
- फ्रांस के मध्य मैसिफ के ठण्डे उच्च पठार से भूमध्य सागर की ओर तीव्र गति से चलने वाली ठण्डी शुष्क उत्तरी-पश्चिमी अथवा उत्तरी हवाएँ जो मुख्यतया रोन डेल्टा तथा लायन्स की खाड़ी में चलती हैं।
- मिस्ट्रल कहलाती हैं। ये ठण्डी हवाएँ मध्यवर्ती यूरोप में उपस्थित शीतकालीन प्रतिचक्रवात से भी, पश्चिमी भूमध्यसागरीय बेसिन पर उत्पन्न निम्न दाब क्षेत्र की ओर निचली रोन घाटी से होकर बहती हैं।
- इन हवाओं की औसत गति 60 किमी प्रति घण्टा होती है, परन्तु कभी-कभी ये 130 किमी प्रति घण्टा की गति से भी चलती हैं।
नार्ट (Norte)
- मध्य अमरीका के संयुक्त राज्य अमरीका में शीत ऋतु में चलने वाली उत्तरी पवनें, जो शीत ऋतु में चलती हैं। इन पवनों से तापमान में 6°C से 9°C तक की गिरावट आ जाती है। इन पवनों से फलों की फसल को काफी नुकसान होता है।
नार्दर (Norther)
- सयुक्त राज्य अमरीका के दक्षिण में टैक्सास व खाडी तटीय क्षेत्रों में तण्डी शुष्क तथा प्रचण्ड वेग से चलने वाली पवनें जो 65 से 5 किमी प्रति घण्टा की गति से चलती है इन पवनों वि से 24 घण्टों में तापमान लगभग 20°ब् तक गिर जाता है इनसे उत्पन्न तडित अंझावात के फलस्वरूप ओले भी गिरते है।
नार्वेस्टर पवनें (Nor Wester Winds)
- न्यूजीलैण्ड के दक्षिणी द्वीप में पर्वतों से चलने वाली शुष्क एवं गर्म फॉन सदृश पवनें हैं तथा उत्तरी भारत के मैदानी भागों में ग्रीष्म काल में (अप्रैल से जून तक) चलने वाले चक्रवात हैं। जो कभी-कभी तीव्र तडित झंझावात के रूप में भारी वर्षा करते हैं और ओले गिराते हैं इस ऋतु में बंगाल, असम तथा म्यांमार में होने वाली वर्षा अधिकांशतः इन्हीं पवनों से होती असम के चाय बागानों को इन पर्वतों से विशेष लाभ है।
पैम्पेरो (Pampero)
- अर्जेन्टीना व उरुग्वे के पैम्पास क्षेत्र में चलने वाली ठण्डी तीव्र ध्रुवीय पवनें, जो सामान्यतया अवदाब (depression) क्षेत्र से दक्षिण-पश्चिम या दक्षिण दिशा से प्रवाहित होती है ये पवने कभी-कभी गर्जन के साथ वर्षा और तड़ित झंझा लाती हैं, जिससे पैम्पास क्षेत्र में धूलि उड़ जाती है अत इन्हें पैम्पेरो पवने कहते हैं
पापागायो (Papagayo)
- मैक्सिको के तट पर प्रवाहित होने वाली तीव्र शुष्क और शीतल पवने जो जाड़े में तापमान कम कर देती हैं और मौसम साफ हो जाता है।
पुर्गा (Purga)
- टुण्ड्रा प्रदेश में अलास्का व साइबेरिया क्षेत्र में प्रचण्ड हिम झझावात या बर्फानी तूफान जो प्रायः उत्तर-पश्चिम दिशा से आते हैं पुर्गा कहलाते हैं।
सैमून (Samoon)
- ईरान में प्रवाहित होने वाली फोहन के प्रकार की उष्ण शुष्क और अवरोही पवन को सैमून कहते हैं।
सीस्तान (Seistan)
- पूर्वी ईरान के सीस्तान प्रान्त में ग्रीष्मकाल में प्रवाहित होने वाली तीव्र उत्तरी पवन जो कभी-कभी 110 किमी प्रति घण्टा की चाल से चलती है, को सीस्तान कहते हैं इसे 120 दिन की पवन भी कहा जाता है।
सिमून (Simoon)
- सहारा तथा अरब के मरुस्थलीय भागों में बसन्त और ग्रीष्म ऋतु में चलने वाली उष्ण, शुष्क, दमघोटू पवन अथवा वातावरण को सिमून कहते हैं इन पवनों के साथ सामान्यतः रेत की घनी संहतियाँ उड़ती हैं जिसके कारण दृश्यता कम या बिल्कुल समाप्त हो जाती है कभी कभी तो इसके मार्ग में पड़ने वाले बालू टिब्बों की आकृतियाँ भी बदल जाती हैं।
सिराको (Sirocco or Seirocco)
- सहारा मरुस्थल से उत्तरी अफ्रीका, सिसली तथा दक्षिणी इटली से गुजरने वाली अत्यधिक आर्द्र या काफी शुष्क एवं उष्ण दक्षिणी या दक्षिणी-पूर्वी पवन को सिराको कहते हैं।
- यह भूमध्य सागर से पूर्व दिशा को जाने वाले अवदाबों से पहले चलती हैं तथा मरुस्थल से चलने के कारण प्रारम्भ में वह शुष्क होती हैं और इटली पहुँचते-पहुँचते पर्याप्त नम हो जाती हैं।
शामल (Shamal)
- इराक ईरान और अरब के मरुस्थलीय क्षेत्र में गर्म, शुष्क और रेतीली पवनें जो उत्तर व उत्तर- पश्चिम से चलती हैं ये पवनें जून और जुलाई में निरन्तर चलती हैं इनकी गति 50 किमी प्रति घण्टा होती है इनके द्वारा जुलाई में रेतीले तूफान आते हैं बगदाद में हर वर्ष 5 या इससे अधिक रेतीले तूफान इन्हीं पवनों के द्वारा आ जाते हैं।
विराजोन (Virazon)
- पेरू तथा चिली के पश्चिमी तटों पर चलने वाली समुद्री समीर को विराजोन कहते हैं।
विली-विली (Willy Willy)
- आस्ट्रेलिया के उत्तरी-पश्चिमी तट के समीप उत्पन्न होने वाले उष्ण कटिबन्धीय तीव्र तूफानों को विली-विली कहा जाता है।
जोन्डा (Zonda)
- अर्जेन्टीना में कोष्ण शुष्क पवन जो पश्चिम में एण्डीज पर्वत मालाओं से नीचे मैदानों की ओर चलती है इसे शीत फॉन (Winter Foehn) भी कहते हैं।
विश्व की प्रमुख जल संधियां
नॉर्थ चैनल
- यह आयरिश सागर एवं उत्तरी अटलांटिक महासागर को जोड़ता है। यह उत्तर-पूर्व आयरलैण्ड को दक्षिण पश्चिमी स्कॉटलैंड से अलग करता है।
- इसे आयरिश चैनल भी कहा जाता है। मोयल का सागर (Sea of Moyle) समुद्र के सबसे संकरे विस्तार को दिया गया नाम है, जिसे मोयल जल संधि भी कहा जाता है।
हॉरमुज जल संधि
- यह फारस की खाड़ी एवं ओमान की खाड़ी को जोड़ता है। यह ओमान को ईरान से अलग करता है।
- रणनीतिक रूप से इस जल संधि का काफी महत्व है। इस जल संधि के माध्यम से फारस की खाड़ी खुले समुद्र से जुड़ता है।
- उत्तरी तट पर ईरान और दक्षिणी तट पर संयुक्त अरब अमीरात और मुसंदम (ओमान का एक गलियारा) स्थित है।
डार्डेनलीज जल संधि
- यह मरमरा सागर एवं एजियन सागर और भूमध्य सागर को जोड़ता है। यह जल संधि तुर्की की सीमा मे स्थित है जो यूरोपीय तुर्की से एशियाई तुर्की से अलग करता है। इसे गैलीपोली की जलडमरूमध्य के नाम से भी जाना जाता है।
बासपोरस जल संधि
- यह काला सागर एवं मरमरा सागर को जोड़ता है। यह जल संधि तुर्की की सीमा मे स्थित है।
- यह यूरोप और एशिया के बीच महाद्वीपीय सीमा का निर्धारक है, जो थ्रेस (Thrace) से अनातोलिया को अलग करता है।
- डार्डानेलीस और बॉस्पोरस मिलकर तुर्की स्ट्रेट्स कहलाते है। स्ट्रेट के किनारों में से अधिकांश भाग में घनी आबादी बसी है।
मलक्का जल संधि
- यह अण्ड्मान सागर एवं दक्षिण चीन सागर को जोड़ता है। यह इण्डोनेशिया के सुमात्र और मलेशिया के मलय प्रायद्वीप के बीच स्थित है।
- हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के बीच मुख्य शिपिंग चैनल के रूप में, यह दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण शिपिंग लेन में से एक है। यह 930 किलोमीटर लंबा है।
डोवर जल संधि
- यह इंग्लिश चैनल एवं उत्तरी सागर को जोड़ती है तथा इंग्लैंड और फ्रांस के बीच स्थित है।
- यह जल संधि इंग्लिश चैनल के सबसे संकरे हिस्से में स्थित है, जो महाद्वीपीय यूरोप से ग्रेट ब्रिटेन को अलग करता है।
- इंग्लिश चैनल टनल इस जल संधि के नीचे से गुजरता है जो इंग्लैंड और फ्रांस के बीच एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करता है।
जिब्राल्टर जल संधि
- यह भूमध्य सागर एवं अटलांटिक महासागर से जोड़ती है। यह अफ्रीका के मोरक्को से यूरोप में आइबेरियन प्रायद्वीप (स्पेन) को अलग करता है।
- स्पेन में प्वाइंट मारक्रूकी (Point Marroquí) और मोरक्को में प्वाइंट सीरियस (Point Cires) के बीच इस जल संधि का सबसे संकीर्ण बिंदु है, जिसकी दूरी मात्र 13 किलोमीटर है।
सुण्डा जल संधि
- यह जावा सागर एवं हिन्द महासागर को जोड़ती है। यह इण्डोनेशिया के जावा एवं सुमात्र के बीच स्थित है।
- यह सुमात्र पर केप तुआ (Cape Tua) और जावा पर केप पुजत (Cape Pujat) के बीच फैला है।
- बॉब-अल-मंडेब जल संधि यह लाल सागर एवं अदन की खाड़ी से जोड़ता है। यह यमन और जिबूती के बीच स्थित है। बाब-अल-मंडेब लाल सागर और स्वेज नहर के माध्यम से हिंद महासागर और भूमध्य सागर के बीच एक रणनीतिक लिंक के रूप में कार्य करता है।
- यमन में रास मेंहली (Ras Menheli) से जिबूती के रास सियान (Ras Siyyan) के बीच की दूरी लगभग 20 मील है।
अन्य प्रमुख जल संधियां
- टोरेस जल संधिः यह अराफुरा सागर एवं पापुआ की खाड़ी को जोड़ता है। ऑस्ट्रेलिया और न्यू-गिनी द्वीप के बीच की जल संधि है।
- पाक जल संधिः यह मन्नार की खाड़ी एवं बंगाल की खाड़ी को जोड़ता है। यह भारत और श्रीलंका के बीच स्थित है।
- यूकाटन जल संधिः यह विश्व की एक प्रमुख जल संधि हैं। यह जल संधि यूकाटन प्रायद्वीप और क्यूबा को अलग करती है, यह जल संधि मेक्सिको की खाड़ी और कैरेबियन सागर को जोड़ती है।
- ओरण्टो जल संधिः यह एड्रियाटिक सागर एवं आयोनियन सागर को जोड़ती है। ओरण्टो जल संधि इटली से अल्बानिया को अलग करता है। इस जल संधि का नामकरण इटली के शहर ओरण्टो के नाम पर रखा गया है।
- बेलेद्वीप जल संधिः यह सेंट लारेंस खाड़ी एवं अटलांटिक महासागर को जोड़ता है। यह जल संधि कनाडा में स्थित है।
- लुजोन जल संधिः यह दक्षिण चीन सागर एवं फिलीपींस सागर को जोड़ता है। यह ताइवान और फिलीपींस के बीच स्थित है।
- बेरिंग जल संधिः यह बेरिंग सागर एवं चुक्ची सागर को जोड़ता है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका के नियंत्रण वाले अलास्का और रूस के पूर्वी भाग के बीच स्थित है।
- डेविस जल संधिः यह बैफिन की खाड़ी एवं अटलांटिक महासागर को जोड़ता है। यह ग्रीनलैण्ड और कनाडा के बीच स्थित है।
- डेनमार्क जल संधिः यह ग्रीनलैंड सागर (उत्तरी अटलांटिक) एवं इर्मींजर सागर (आर्कटिक महासागर) को जोड़ता है। यह ग्रीनलैंड से आइसलैंड को अलग करता है।
- हडसन जल संधिः यह हडसन की खाड़ी एवं अटलांटिक महासागर को जोड़ती है। उत्तरी अमेरिका महाद्वीप के कनाडा में अवस्थित हडसन जल संधि उंगावा प्रायद्वीप को बेफिन द्वीप से पृथक करती है।
- कोरिया जल संधिः यह जापान सागर एवं पूर्वी चीन सागर को जोड़ती है। यह जापान और कोरिया के बीच स्थित है।
- मैगेलन जल संधिः यह प्रशांत एवं दक्षिणी अटलांटिक महासागर को जोड़ती है। यह चिली में स्थित है जो दक्षिण अमेरिका के मुख्य भूमि एवं टिएरा डेल फुएगो को अलग करती है।
- फ्लोरिडा जल संधिः यह मैक्सिको की खाड़ी एवं अटलांटिक महासागर को जोड़ती है। यह अमेरिका से क्यूबा को अलग करती है।
- बॉस जल संधिः यह तस्मान सागर एवं दक्षिण सागर को जोड़ती है। यह आस्ट्रेलिया में स्थित है।
- कुक जल संधिः यह तस्मान सागर एवं दक्षिण प्रशांत महासागर को जोड़ती है। यह न्यूजीलैंड के दक्षिणी द्वीप को उत्तरी द्वीप से अलग करता है।
- बालाबैक जल संधिः यह सुलू सागर एवं सेलेबीज सागर के बीच स्थित है जो पलावन और बोर्निओ के बीच स्थित है।
- मोजाम्बिक जल संधिः यह हिंद महासागर में स्थित है जो मोजांबिक और मेडागास्कर के बीच स्थित है।
- मेसिना जल संधिः यह भूमध्य सागर में स्थित है जो इटली की मुख्य भूमि तथा सिसली द्वीप के मध्य स्थित है।
विश्व की प्रमुख नदियाँ |
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नदी |
श्रोत |
विलय |
लम्बाई |
विशेषता |
नील नदी |
विक्टोरिया झील |
भूमध्यसागर |
6,650 किमी |
यह विश्व की सबसे लम्बी नदी है और यह चापाकार डेल्टा बनाती है। |
अमेजन नदी |
ग्लेशियर से बने झीलों, पेरू |
अटलांटिक महासागर |
6,296 किमी |
आयतन के अनुसार यह विश्व की सबसे बड़ी और लम्बाई के अनुसार दूसरी लम्बी नदी है। |
मिसिसिप्पी |
झील आईटासा, मिनेसोटा |
मेक्सिको की खाड़ी |
3,779 किमी |
यह नदी पंजाकार डेल्टा का निर्माण करती है। |
चांग जियांग (यांग्त्जी) नदी |
तिब्बत पठार, चीन |
चीन सागर |
5,797 किमी |
यह चीन की सबसे लम्बी नदी है। |
ओब नदी |
अल्ताई पर्वत, रूस |
ओब की खाड़ी |
5,567 किमी |
ओब की खाड़ी दुनिया की सबसे लम्बी एस्चुएरी मानी जाती है। |
येनिसी नदी |
तन्नू-ओला पर्वत, पश्चिमी तुवा, रूस |
चि“लली की खाड़ी |
4,506 किमी |
अपने कुल पानी के बहाव के अनुसार यह नदी विश्व की छठी सबसे बड़ी नदी है। |
जैरे (कांगो) नदी |
ल्यूलाब और लूपुला नदियों का संगम, कांगो |
अटलांटिक महासागर |
4,371 किमी |
यह नदी भूमध्य रेखा को दो बार पार करती है और स्टैनले और लिविंगस्टोन जलप्रपात इसी नदी में विद्यमान है। |
हेइलोंग (अमूर) नदी |
शिल्का (रूस) और अर्जुन (मांचुरिया) नदियों के संगम |
तटरत स्ट्रेट |
4,352 किमी |
यह विश्व की दसवीं सबसे लम्बी नदी है। |
लीना नदी |
बाइकल पर्वत, रूस |
आर्कटिक महासागर |
4,268 किमी |
यह पूरी तरह रूस के अन्दर बहने वाली सबसे लम्बी नदी है। |
नाइजर नदी |
गिनी |
गिनी की खाड़ी |
4,184 किमी |
इस नदी को तेल नदी कहा जाता है और इस पर ही कांजी बांध स्थित है। |
मेकांग नदी |
तिब्बत का पहाड़ी इलाका |
दक्षिण चीन सागर |
4,023 किमी |
यह दक्षिण पूर्व एशिया की सबसे लम्बी नदी है साथ इसे दक्षिण पूर्व की गंगा भी कहा जाता है। |
वोल्गा नदी |
वाल्डी पठार, रूस |
कैस्पियन सागर |
3,687 किमी |
वोल्गा नदी यूरोप तथा यूरोपीय रूस की सबसे लंबी नदी है। |
रियो ग्रांडे |
सान जुआन पर्वत, कोलोराडो |
मेक्सिको की खाड़ी |
3,034 किमी |
यह मेक्सिको व संयुक्त राज्य अमेरिका की अंतर्राष्ट्रीय सीमानिर्धारित करती है। |
डेन्यूब नदी |
ब्लैक फॉरेस्ट, जर्मनी |
काला सागर |
2,842 किमी |
यह मध्य और पूर्वी यूरोपीय देशों की पांच राजधानियों से गुजरती है। |
यूफ्रेट्स नदी |
मुरेट नेहरी और कारा सू नदियों का संगम, तुर्की |
शत-अल-अरब |
2,799 किमी |
मेसोपोटामिया की सभ्यता के विकास में इस नदी का महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। |
डार्लिंग नदी |
पूर्वी हाइलैंड्स के मध्य भाग, ऑस्ट्रेलिया के मध्य भाग |
मरे नदी |
2,739 किमी |
डार्लिंग नदी लम्बाई केअनुसार ऑस्ट्रेलिया की सबसे बड़ी नदी है। |
जांबेजी नदी |
जाम्बिया |
मोजाम्बिक चैनल |
2,736 किमी |
इसी नदी पर विक्टोरिया जलप्रपात स्थित है। |
मर्रे नदी |
ऑस्ट्रेलियाई आल्प्स, न्यू साउथ वेल्स |
हिंद महासागर |
2,589 किमी |
यह नदी न्यू साउथ वेल्स और विक्टोरिया राज्यों के बीच की सीमा बनाती है। |