भारत की प्रमुख नदियां, झीलें एवं जलप्रपात

प्रमुख नदियां

उत्पत्ति के आधार पर भारत में नदियों का वर्गीकरण दो वर्गो में किया जाता है-

  • हिमालय की नदियां
  • प्रायद्वीपीय भारत की नदियां

हिमालयी अपवाह तंत्र

इस तंत्र में हिमालय और ट्रांस हिमालय से उत्पन्न होने वाली नदियों को शामिल किया जाता है। हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रें में स्थित हिमनदों तथा मानसूनी वर्षा से जल प्राप्त करने के कारण इन नदियों में वर्ष भर जल उपलब्ध रहता है और इसी कारण इन्हें बारहमासी नदियां भी कहते हैं।

  • हिमालय अपवाह तंत्र के ऊपरी क्षेत्र में (युवा अवस्था) में गार्ज, वी-आकार की घाटियाँ, तीव्र ढाल, झरने आदि मिलते है। जबकि, मैदानी क्षेत्रें अथवा मध्य भाग (परिपक्व अवस्था) में सपाट घाटियों, गोखुर झीलों, बाढ़ के मैदानों, अव्यवस्थित चैनल और नदी के मुहाने के पास डेल्टा जैसी स्थलाकृतियों का निर्माण देखने को मिलता है।
  • हिमालय अपवाह तंत्र में मुख्य रूप से तीन मुख्य नदी तंत्रें को शामिल किया जाता हैः गंगा नदी तंत्र, सिंधु नदी तंत्र तथा ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र। जिनका विवरण निम्नलिखित है।

सिंधु नदी तंत्र

  • सिंधु की उत्पत्ति कैलाश पर्वतशृंखला में 4,164 मीटर की ऊंचाई पर स्थित तिब्बत क्षेत्र में बोखर चू नामक स्थान के निकट एक हिमनद से हुई है तथा इसकी लंबाई लगभग 3600 किमी. है।
  • सिंधु नदी भारत में हिमालयी नदियों की सबसे पश्चिमी नदी है। इस नदी प्रणाली में सिंधु और उसकी सहायक नदियाँ जैसे झेलम, चेनाब, रावी, ब्यास, सतलुज आदि शामिल हैं।
  • ऊपरी भाग में सिंधु की प्रमुख सहायक नदियां श्योक, गिलगित, जास्कर, हुंजा, नुब्रा, शिगार, गास्टिंग और द्रास हैं। वहीं इसके निचले भाग में सतलुज, ब्यास, रावी, चिनाब और झेलम नदियां सहायक नदियों के रूप में आकर मिलती हैं।
  • अंत में सिंधु पाकिस्तान में कराची के पास अरब सागर में अपना जल विसर्जित करती है।

नदी

उद्गम

मुहाना/संगम

सिन्धु

तिब्बत में मानसरोवर झील के निकट से

अरब सागर

सतलुज

मानसरोवर झील के पास राकस ताल से

चेनाब नदी

रावी

रोहतांग दर्रे के नजदीक से

चेनाब नदी

व्यास

रोहतांग दर्रे के पास व्यास कुण्ड से

सतलुज नदी

झेलम

वेरीनाग के निकट शेषनाग झील से

चेनाब नदी

चेनाब

हिमाचल प्रदेश में चन्द्र एवं भागा नदियों के मिलने से

सिन्धु नदी

गंगा नदी तंत्र

  • इसकी उत्पत्ति उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में गौमुख (3,900 मीटर) के पास गंगोत्री हिमनद से हुई है। यहां पर इसे भागीरथी के नाम से जाना जाता है। इसकी लंबाई 2,525 किमी. है।
  • गंगा द्रोणी में 11 राज्य शामिल हैं: उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और दिल्ली।
  • यह नदी देवप्रयाग में अलकनंदा से मिलती है। इसके बाद इसे गंगा के नाम से जाना जाता है। हरिद्वार में गंगा मैदानी इलाकों में प्रवेश करती है। प्रयागराज (इलाहाबाद) में यमुना नदी में आकर मिलती है तथा प्रसिद्ध संगम का निर्माण करती है।
  • बांग्लादेश में इसे पद्म के नाम से जाना जाता है। पद्म नदी में जमुना (ब्रह्मपुत्र नदी) से मिलने के बाद इसे मेघना के नाम से जाना जाता है जो हुगली नदी के साथ मिलकर विश्व के सबसे बड़े डेल्टा का निर्माण करती। इसे सुंदरबन डेल्टा के नाम से जाना जाता है।
  • इसके प्रवाह मार्ग में बाईं ओर से आकर अपना जल विसर्जित करने वाली प्रमुख नदियों में रामगंगा, गोमती, घाघरा, गंडक, कोसी तथा महानंदा जबकि सोन तथा यमुना नदियां इसके दाईं ओर से ओर से आकर मिलती हैं।
  • दामोदर नदी रिफ्रट घटी (Rift valley) से होकर प्रवाहित होती है।

नदी

उद्गम

सहायक नदी

संगम

गंगा

गोमुख के निकट गंगोत्री हिमनद से

बाये तरफ से रामगंगा, गोमती, घाघरा, गंडक, बागमती और कोसी दायें तरफ से यमुना सोन और पुनपुन

बंगाल की खाड़ी

यमुना

यमुनोत्री हिमनद से

चंबल, सिन्ध, बेतवा, केन, टोंस और हिण्डन

गंगा से प्रयागराज में

चंबल

महू मध्य प्रदेश से (जानपाव पहाड़ी)

बनास, पार्वती, काली सिन्ध और क्षिप्रा

यमुना से इटावा के पास

रामगंगा

नैनीताल के निकट से

खोन और गंगन

गंगा में कन्नौज के पास

शारदा (काली)

मिरताम हिमनद से

सरयू, लिसार और सर्मा

घाघरा में

सोन

अमरकंटक पहाड़ी से

रिहन्द, उत्तरी कोयल और कनहर

गंगा में पटना के पास

घाघरा

मापचा चुंग हिमनद से

सरयू, शारदा, राप्ती, छोटी गंडक

गंगा में छपरा के पास

गंडक

नेपाल हिमालय

त्रिशुली, माडी, बूढ़ी गंडकी

गंगा में सोनपुर के समीप

कोसी

गोसाईथान तिब्बत से

पारु, सूनकोसी, लीखू इधकोसी आदि

गंगा में कुरर्सेला के समीप

महानंदा

दार्जिलिंग की पहाड़ी से

मेची, कनकाई

गंगा नदी में फरक्का के पास

केन

कैमूर पहाड़ी से

अलोना, सोनार, मिरहासन, श्यामरी, उर्मिल, कैल आदि

यमुना नदी में बांदा के पास

दामोदर नदी

छोटानागपुर के पठार से

बराकर, कोनार, जंमुनिया, बरकी

हुगली नदी में

बेतवा या वेत्रवती

रायसेन जिले से

धसान

यमुना

ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र

  • ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली (3848 किमी) विश्व की सबसे लंबी नदी प्रणालियों में से एक है। इसे तिब्बत में यारलुंग त्संगपो नदी के रूप में; भारत में ब्रह्मपुत्र, लोहित, सियांग और दिहांग के नाम से और बांग्लादेश में जमुना के नाम से जाना जाता है।

  • ब्रह्मपुत्र का उद्गम मानसरोवर झील के पास कैलाश पर्वत के चेमायुंगडुंग ग्लेशियर से होता है।
  • यह नमचा बरवा (7,755 मीटर) के पास मध्य हिमालय में एक गहरे महाखîó का निर्माण करती हुई यह एक प्रक्षुब्ध एवं तेज बहाव वाली नदी का रूप से बाहर निकलती है।
  • यह अरुणाचल प्रदेश के सादिया कस्बे के पश्चिम से भारत में प्रवेश करती है। सांग्पो नदी भारत में प्रवेश करने के पश्चात सिशंग या दिहंग के नाम से जानी जाती है।
  • जब यह नदी भारत में दक्षिण-पश्चिम की ओर प्रवाहित होती है तब दिबांग या सिकांग और लोहित नदियां इससे आकर मिलती हैं, इसके बाद इसे ब्रह्मपुत्र के नाम में जाना जाता है।
  • ब्रह्मपुत्र नदी धुबरी के पास बांग्लादेश में प्रवेश करती है और दक्षिण की ओर प्रवाहित होती है। बांग्लादेश में तिस्ता नदी दाहिने ओर से आकर मिलती है। जहाँ से ब्रह्मपुत्र नदी को जमुना के नाम से जाना जाता है।
  • आखिर में जमुना नदी पद्म नदी में मिल जाती है और पद्म नदी के नाम से बंगाल की खाड़ी में गिरती है। ब्रह्मपुत्र नदी को बाढ़, मार्ग परिवर्तन एवं तटीय अपरदन के लिए जाना जाता है।

ब्रह्मपुत्र

चेमायुंगडुंग हिमनद से

दिबांग, लोहित, धनसिरी कलंग, सुबनसिरी, कामेंग मानस, संकोश

बंगाल की खाड़ी में मेघना नाम से

संकोश

भूटान की हिमालय श्रेणी से

-

ब्रह्मपुत्र में

बराक

मणिपुर की पहाड़ी से

माकू, तरंग, धलेश्वरी मदुवा

ब्रह्मपुत्र से

तीस्ता

सिक्किम के चुंथंग के पास हिमालय से

रानी खोला, रंगित

ब्रह्मपुत्र

प्रायद्वीपीय भारत की नदियां

प्रायद्वीपीय भारत की नदियों को दो भागों में विभाजित किया जाता है- बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियां तथा अरब सागर में गिरने वाली नदियां।

बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियां

  • महानदी, सुवर्णरेखा, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी प्रायद्वीपीय भारत की प्रमुख नदियाँ हैं। गोदावरी, कृष्णा, कावेरी पश्चिमी घाट से निकलती है, जबकि सुवर्णरेखा रांची के पठार से निकलती है। ये लगभग सभी नदी बंगाल की खाड़ी में विसर्जित होने से पूर्व अपने मुहाने पर छोटे स्तर पर डेल्टा का निर्माण करती हैं।
  • गोदावरी नदी दक्षिण भारत की सबसे लम्बी नदी है। कावेरी नदी को दक्षिण भारत की गंगा कहा जाता है।

गोदावरी नदी

नासिक के त्रंबकेश्वर पहाड़ी से

इन्द्रावती, प्राणहिता, पूर्णा, वर्धा, प्रवरा, मंजरा वेनगंगा, पेनगंगा, शबरी

बंगाल की खाड़ी

महानदी

सिंहावा श्रेणी (छत्तीसगढ़)

तेल, जोंक, मांड, ओंग, हसदो, सेवानाथ

बंगाल की खाड़ी

कावेरी

ब्रह्मगिरी पहाड़ी

काबिनी, भवानी, अमरावती सुवर्णावती, हंरगी, हेमवती शिमशा, अर्कावती

बंगाल की खाड़ी

कृष्णा

महाबलेश्वर से

तुंगभद्रा, भीमा, कोयना, वर्णा, घाटप्रभा, मालप्रभा, मूसी, पंचगंगा

बंगाल की खाड़ी

स्वर्णरेखा

छोटानागपुर पठार से

खरकई नदी

बंगाल की खाड़ी

ब्रह्मणी

छोटानागपुर

कोयल, शंख

बंगाल की खाड़ी

वैतरणी

क्योंझर पहाड़ी

कंजोरी, अंबाझरा, मुशाल

बंगाल की खाड़ी

तुंगभद्रा

गंगामूल चोटी से (कर्नाटक से)

कुमुदवती, वर्धा, मगारी, हिन्द

कृष्णा नदी में

बैगई

कण्डन मणिकन्पूर मदुर्रे के पास से

कुमम, वर्षानाड़, सरिलियार, बराह

बंगाल की खाड़ी

पलार

कोलार (कर्नाटक से)

पोइनी, चेय्यार

बंगाल की खाड़ी

पेन्नार

नन्दी दुर्ग श्रेणी (कर्नाटक से)

पापहनी, चित्रवती

बंगाल की खाड़ी

वंशधारा

ओडिशा से

-

बंगाल की खाड़ी

ताम्रपर्णी

अगस्त्यमलाई

-

मन्नार की खाड़ी

अरब सागर में गिरने वाली नदियां

  • नर्मदा, तापी, साबरमती, माही प्रमुख नदियाँ हैं जो पश्चिम में प्रवाहित होकर अरब सागर में अपना जल विसर्जित करती हैं। जल का अधिक उपयोग होने तथा प्रवाह मार्ग कम होने के कारण इन नदियों द्वारा समुद्र तट पर ज्वारनदमुख का निर्माण किया जाता है।
  • नर्मदा नदी विध्यांचल पर्वत और सतपुडा पर्वत के मध्य रिफ्रट वैली से होकर प्रवाहित होती है।

नर्मदा

अमकंटक पहाड़ी

तवा, शक्कर, हिरन, बंजर

खंभात की खाड़ी (अरब सागर)

ताप्ती

मध्य प्रदेश के बेतुल से

पूर्णा, गिरना, मोरना, अनेर

खंभात की खाड़ी (अरब सागर)

साबरमती

अरावली श्रेणी (जय समुद्र झील से)

बाकल, हथमती, बेतरक

खंभात की खाड़ी

माही

मेहद झील

जाखम, सोम, अनस

खंभात की खाड़ी

लूनी

नाग पहाड़ी (अरावली श्रेणी)

जवाई, खारी, जोजड़ी

कच्छ का रण

शरावती

शिमोगा जिले से

-

अरब सागर

भरतपूझा

अन्नामलाई पहाड़ी

-

अरब सागर

मांडवी

बेलगाम जिले से

-

अरब सागर

भादर

राजकोट से

-

अरब सागर में

पेरियार

अन्नामलाई से

-

बेम्बनाद झील में

भारतीय अपवाह तंत्र के प्रतिरूप

  • वृक्षाकार/डेंड्रिटिक प्रतिरूपः यह अपवाह तंत्र पेड़ की शाखाओं की भांति स्वरूप का निर्माण करता है। उदाहरण के लिए उत्तर भारत के मैदानी भाग की नदियां।
  • अरीय अपवाह प्रतिरूपः इस प्रकार का अपवाह प्रतिरूप तब निर्मित होता है जब नदियाँ एक पहाड़ी से निकलकर सभी दिशाओं में प्रवाहित होती हैं। उदाहरण के लिए, अमरकंटक से निकलने वाली नदियाँ।
  • केंद्राभिमुखी प्रतिरूपः केंद्राभिमुखी अपवाह स्वरूप तब बनता है जब अनेक नदियाँ अपने जल को सभी दिशाओं से ग्रहण कर एक झील अथवा एक तालाब में छोड़ देती हैं। उदाहरण के लिए, मणिपुर में लोकटक झील।
  • जालीनुमा प्रतिरूपः जालीनुमा अपवाह तंत्र का निर्माण तब होता है जब मुख्य नदियों की प्राथमिक सहायक नदियाँ एक दूसरे के समानांतर प्रवाहित होती हैं और द्वितीयक सहायक नदियाँ उन्हें समकोण पर मिलती हैं। उदाहरण के लिए, हिमालयी क्षेत्र के ऊपरी भाग में स्थित नदियाँ और सिंहभूम क्षेत्र में स्थित (छोटानागपुर पठार) दामोदर नदी प्रणाली।
  • आयताकार प्रतिरूपः आयताकार अपवाह तंत्र में मुख्य धारा और इसकी सहायक नदियाँ दोनों समकोण पर काटती हैं। एक आयताकार अपवाह प्रतिरूप अत्यधिक कठोर चट्टानों में मिलता है। उदाहरण के लिए भारत के विंध्य पर्वत में मिलने वाली धाराएँ।

भारत की प्रमुख झीलें

झील जल का स्थिर भाग होता है जो चारों तरफ से स्थलखण्ड से घिरा होता है, झील प्राकृतिक तथा मानव निर्मित दोनों तरह से बनती है। प्राकृतिक झीले विवर्तनिक क्रिया, लैगून, हिमानी, वायु, डेल्टा एवं ज्वालामुखी क्रियाओं से बनती है, वही मानव निर्मित झीले बहुउद्देशीय परियोजनाओं के तहत बनाये गये बाधों से बनती है।

झील

राज्य

विशेषता

डल, वूलर, अंनतनाग, मानस बल, नागिन झील, वैरीनाग झील औरशेषनाग झील

जम्मू-कश्मीर

वूलर झील भारत की मीठे पानी की सबसे बड़ी झील है।

नैनीताल, भीमताल, रूप कुण्ड, खुरपाताल, मालाताल और देवताल

उत्तराखण्ड

रूप कुण्ड को रहस्यमयी झील कहा जाता है।

पेंगोंगत्सो झील, त्सो मोरारी झील

लद्दाख

रेणुका झील, सूरज ताल, चन्द्र ताल, नाको झील

हिमाचल प्रदेश

कांजलि, हरिके, रोपड़

पंजाब

सूरजकुण्ड

हरियाणा

सांभर झील, पुष्कर झील, देबर झील, नक्की झील, डीडवाना झील, जय समन्द झील, पंचभद्र झील, फतेह सागर, उदय सागर

राजस्थान

सांभर झील भारत में अतःस्थलीय खारे पानी की सबसे बड़ी झील है।

नल सरोवर, नारायण सरोवर

गुजरात

भोज ताल, तवावोहर झील

मध्य प्रदेश

पवई झील, लोनार झील, गोरे बाड़ा झील, सलीम अली सरोवर

महाराष्ट्र

लोनार ज्वालामुखी द्वारा निर्मितभारत की एकमात्र क्रेटर झील है।

बेलांदूर

कर्नाटक

बेम्बनाद झील, अष्टमुदी झील, सस्थम् कोट्टा झील

केरल

बेम्बनाद झील पर वेलिंगटन द्वीप है।

वीरानम झील, ऊंटी झील, कोड़ाई कनाल झील

तमिलनाडु

कोलेरु झील

आन्ध्र प्रदेश

हुसैन सागर झील, उस्मान सागर झील और हिमायत सागर

तेलंगाना

चिल्का झील

ओडिशा

चिल्का भारत की सबसे बड़ी लैगून झील है।

गुरुडोंगमर झील, चोलाम् झील, सोंगमो झील

सिक्किम

दीपोर बील झील, सोन बील झील, चपनाला झील

असम

उमियम झील

मेघालय

पाला झील

मिजोरम

लोकटक झील

मणिपुर

लोकटक पूर्वोत्तर की सबसे बड़ी झील है। यही पर केबुल लामजाओ राष्ट्रीय पार्क जो दुनिया का एकमात्र तैरता हुआ राष्ट्रीय उद्यान है।

पुलिकट झील

आन्ध्र प्रदेश एवं तमिलनाडु की सीमा पर

भारत के प्रमुख जलप्रपात

बाराही नदी पर स्थित कुंचिकल जलप्रपात भारत का सबसे ऊँचा जलप्रपात है। इसकी ऊंचाई 1493 कि-मी- है। चित्रकूट जलप्रपात को भारत का नियाग्रा जलप्रपात भी कहा जाता है।

क्र.सं.

जलप्रपात

नदी

राज्य

1.

महात्मा गांधी या जोग गरसोप्पा जलप्रपात

शरावती नदी

कर्नाटक

2.

कुंचीकल जलप्रपात

बाराही नदी

कर्नाटक

3.

शिव समुद्रम जलप्रपात

कावेरी नदी

कर्नाटक

4.

गोकक जल प्रपात

गोकक नदी

कर्नाटक

5.

भार चुक्की जलप्रपात

कावेरी नदी

कर्नाटक

6.

बालमुरी जलप्रपात

कावेरी नदी

कर्नाटक

7.

होगेनक्कल जलप्रपात

कावेरी नदी

तमिलनाडु

8.

पायकारा जलप्रपात

पापकारा नदी

तमिलनाडु

9.

धुआंधार जलप्रपात

नर्मदा नदी

मध्य प्रदेश

10.

दुग्धधारा जलप्रपात

नर्मदा नदी

मध्य प्रदेश

11.

कपिलधारा जलप्रपात

नर्मदा नदी

मध्य प्रदेश

12.

चचाई जलप्रपात

बिहड़ नदी

मध्य प्रदेश

13.

पेन्ना जलप्रपात

नर्मदा नदी

मध्य प्रदेश

14.

दूध सागर जलप्रपात

मांडवी नदी

गोवा

15.

हुंडरू जलप्रपात

स्वर्ण रेखा नदी

झारखण्ड

16.

गौतमधारा जलप्रपात

रारू नदी

झारखण्ड

17.

दसम जलप्रपात

कांची नदी

झारखण्ड

18.

साडनी जलप्रपात

शंख नदी

झारखण्ड

19.

धोसेधर जलप्रपात

सतारा नदी

महाराष्ट्र

20.

चूलिया जलप्रपात

चंबल नदी

राजस्थान

21.

पुनासा जलप्रपात

चंबल नदी

राजस्थान

22.

बिहार जलप्रपात

चंबल नदी

राजस्थान

23.

वसुधारा जलप्रपात

अलकनंदा नदी

उत्तराखण्ड

24.

चित्रकूट जलप्रपात

इन्द्रावती नदी

छत्तीसगढ़

25.

डुडुमा जलप्रपात

मच्छकुण्ड नदी

ओडिशा

26.

मंधार जलप्रपात

नर्मदा नदी

मध्य प्रदेश

27.

किलीपूर जलप्रपात

शेवराय पहाड़ी

तमिलनाडु

28.

नोहकलिकाई जलप्रपात

-

मेघालय