पत्र-पत्रिका संपादकीय

स्वच्छ भारत और शहरी भारत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के महत्वपूर्ण कार्यक्रम ‘स्वच्छ भारत मिशन’ को शुरू करने के सात साल बाद, स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (SBM-U) और अटल मिशन फॉर रिजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (AMRUT) के दूसरे चरण की घोषणा की है, जिसमें भारत के शहरों को स्वच्छ करने का वादा किया गया है। 1.41 लाख करोड़ के परिव्यय के साथ स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 का लक्ष्य कचरा मुक्त शहरों और शहरी ग्रे वाटर (grey water) और काले पानी के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करना है।

राज्य सरकारें और नगरपालिका, जो कचरे और स्वच्छता के मुद्दों को देखती हैं, को स्वच्छता व्यवस्था के सामुदायिक स्वामित्व को बढ़ाने के लिए काम करना चाहिए। शहरी भारत को खुले में शौच मुक्त प्लस (ओडीएफ+) की स्थिति के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है, क्योंकि इसके लिए खुले में शौच का कोई दर्ज मामला नहीं होना चाहिए और साथ ही सभी सार्वजनिक शौचालयों को कार्यशील करने और रखरखाव की आवश्यकता है। समान रूप से, स्वच्छ शहरी भारत की सफलता लगभग 4,700 शहरी स्थानीय निकायों में 100% नल के पानी की आपूर्ति और 500 अमृत शहरों में सीवरेज और सेप्टेज तथा लाखों लोगों के लिए अच्छे सार्वजनिक किराये के आवास को सुलभ बनाने पर निर्भर करती है।

स्रोत- द हिंदू

पीएम पोषण योजना

केंद्र ने कक्षा 1 से 8 तक के 11.8 करोड़ सरकारी स्कूल के छात्रों को गर्म पका हुआ भोजन देने के लिए 26 साल पुरानी राष्ट्रीय मध्याह्न भोजन योजना को ‘पीएम पोषण (पोषण शक्ति निर्माण) योजना’ [PM POSHAN (Poshan Shakti Nirman) scheme] के रूप में बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके लिए पांच साल की अवधि (2021-22 से 2025-26 तक) में 1,30,794 करोड़ रुपये की सहायता को मंजूरी दी गई है, जिसमें राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों से 31,733 करोड़ रुपये की सहायता शामिल है। इसमें सरकारी स्कूलों के बालवाटिका या प्री-प्राइमरी में पढ़ने वाले 24 लाख बच्चों को भी शामिल किया जाएगा। दिसंबर 2020 में 22 राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों के लिए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के पहले चरण के निष्कर्ष चौंकाने वाले थे, जिसमें 13 राज्यों में बच्चों में ‘नाटेपन’ (Stunting) तथा बच्चों और महिलाओं में एनीमिया का उच्च प्रसार था और 12 राज्यों में कम वजन (wasting) एक गंभीर चिंता का विषय था।

पीएम पोषण कार्यक्रम को उच्च रत्तफ़ाल्पता वाले चिन्हित आकांक्षी जिलों और क्षेत्रों में पोषक तत्वों के साथ पूरक किया जाएगा। पोषाहार नियोजन के संबंध में, नवीकृत योजना में सूक्ष्म पोषक तत्वों और प्रोटीन की कमी को पूरा करने वाले आहारों की अधिक विविधता को शामिल किया जाना चाहिए। स्कूल में, समुदाय में और बाल देखभाल केंद्रों में पोषण का सशक्त अनुपूरण आवश्यक है।

स्रोत- द हिंदू

ग्रीन हाइड्रोजन की ओर बदलाव

भारत की तेल कंपनियां निवेश किए गए ग्रे हाइड्रोजन से आगे ग्रीन हाइड्रोजन को अपनाने के अनिच्छुक हैं। आगे का रास्ता तेजी से मूल्यह्रास और अन्य वित्तीय लाभों के साथ हाइड्रोजन उत्पादन को बढ़ाना, कार्बन उत्सर्जन को कम करना और ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देना है। अध्ययनों से पता चलता है कि सीएनजी, या H-CNG में 18% हाइड्रोजन सम्मिश्रण कार्बन मोनोऑक्साइड उत्सर्जन को 70% तक कम कर सकता है और ईंधन दक्षता भी बढ़ा सकता है। दिल्ली में H-CNG के लिए इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन की पायलट परियोजना को राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाया जा सकता है।

विश्व स्तर पर, सीएनजी में सम्मिश्रण के लिए आवश्यक हाइड्रोजन आमतौर पर पानी के विद्युत-अपघटन के माध्यम से उत्पन्न होता है, इसके बाद गैस के साथ उच्च दबाव सम्मिश्रण किया जाता है, जो ऊर्जा-गहन प्रक्रियाएं हैं। बड़ी तेल कंपनियों को स्पष्ट रूप से हरित हाइड्रोजन और कुशल इलेक्ट्रोलाइजर के लिए अनुसंधान एवं विकास प्रयासों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।

स्रोत- इकनॉमिक टाइम्स

प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिकी दौरे का संदेश

सितंबर 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संयुक्त राज्य अमेरिका यात्र के दौरान हालांकि कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई, लेकिन अमेरिका के साथ भारत की साझेदारी में बदलाव करने, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के साथ दिल्ली की क्वाड (QUAD) साझेदारी को आगे बढ़ाने और भारत के वैश्विक प्रभाव को बढ़ाने के लिए मंच तैयार किया गया है। व्यापार से परे, भारत और अमेरिका ने गहन सहयोग के लिए कई अन्य क्षेत्रों आंतरिक सुरक्षा, ऊर्जा, उच्च शिक्षा और तकनीकी सहयोग पर विमर्श किया। हालांकि अफगानिस्तान भारत और अमेरिका दोनों के लिए निरंतर चिंता का एक प्रमुख विषय बना हुआ है, दोनों पक्ष अब चीन के बढ़ते दबदबे से हिंद-प्रशांत में उभर रही बड़ी चुनौतियों पर ध्यान दे रहे हैं।

क्वाड के पहले व्यक्तिगत शिखर सम्मेलन ने उन्हें हिंद-प्रशांत में एक विस्तृत और गैर-सैन्य एजेंडे पर ध्यान केंद्रित करने का मंच प्रदान किया है। भारत और अमेरिकी साझेदारी क्वाड को स्वास्थ्य से लेकर दूरसंचार और बुनियादी ढांचे के विकास तक कई मुद्दों पर चीन का एक विश्वसनीय विकल्प प्रदान करने की अनुमति देता है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन में महामारी प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद जैसे वैश्विक मुद्दे प्रमुखता से शामिल रहे। हालाँकि, इन मुद्दों पर वैश्विक सहमति बनाने में अभी लंबा रास्ता तय करना है। लेकिन एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में भारत का उभरना इन मुद्दों के परिणामों को आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। अमेरिका के साथ भारत की घनिष्ठ साझेदारी बदले में भारत की वैश्विक रणनीतिक सुस्पष्टता को बढ़ावा देगी।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की चुनौती

नमी और संचित ऊर्जा से भरपूर उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक बढ़ती हुई चुनौती पेश करते हैं, क्योंकि इनमें जान-माल को भारी नुकसान पहुंचाने की प्रवृत्ति होती है। सितंबर माह के लिए एक दुर्लभ घटना में चक्रवात गुलाब का तटीय आंध्र प्रदेश, ओडिशा और अन्य अंतर्देशीय क्षेत्रों पर प्रभाव रहा। उत्तरी हिंद महासागर, जिसमें अरब सागर और बंगाल की खाड़ी एक हिस्सा है, दुनिया भर में होने वालीउष्णकटिबंधीय चक्रवातों की घटनाओं का मात्र 7% का अनुभव करता है, लेकिन घनी आबादी और शहरों एवं कस्बों में कम समय में बड़ी मात्र में वर्षा को अवशोषित करने की क्षमता में कमी के कारण उपमहाद्वीप पर उनका गंभीर विनाशकारी प्रभाव है। हालिया शोध अध्ययन के अनुसार बंगाल की खाड़ी की तुलना में अरब सागर के ऊपर अधिक चक्रवात बनते हैं_ कुल मिलाकर 2019 में भारत ने आठ चक्रवाती तूफानों का सामना किया, और 2020 में पांच, जिसमें, अम्फान एक सुपर साइक्लोन था।

केंद्र और सभी राज्यों को प्रत्येक वर्ष नागरिकों और जनसमुदायों को बड़े पैमाने पर नुकसान से बचाने के लिए आपदा प्रतिक्रिया से परे जाकर, वित्तीय सुरक्षा के लिए संस्थागत ढांचे और बीमा सुविधा स्थापित करनी चाहिए। शहरों को बड़ी मात्रा में बाढ़ प्रबंधन के लिए तैयारी करनी चाहिए, जो कि बड़े पैमाने पर आबादी की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

स्रोत- द हिंदू

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन और साइबर सुरक्षा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन’ की शुरुआत की है। इसमें राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करने के लिए 1-5 लाख प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, 100 मिलियन परिवारों के लिए अिखल भारतीय चिकित्सा बीमा योजना और अन्य स्रोतों से डेटा को एकीकृत करने का विचार है। हालाँकि, दूसरा पहलू यह है कि इसके लिए साइबर सुरक्षा उपायों को उस स्तर तक बढ़ाने की आवश्यकता है, जिसका भारत वर्तमान में आदी नहीं है।

स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं विशेष रूप से रैंसमवेयर के प्रति संवेदनशील हैं क्योंकि रैंसमवेयर हमले एक सेवा प्रदाता की महत्वपूर्ण डेटा तक पहुंच को रोक सकते हैं। चिकित्सा आपात स्थिति अस्पतालों को जबरन वसूली के प्रति संवेदनशील बनाती है। इसलिए, सेवाओं और स्वास्थ्य परिचर रिकॉर्ड को डिजिटल करने के अभियान के साथ साइबर सुरक्षा पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।

स्रोत- टाइम्स ऑफ इंडिया

नया ऑकस समूह और भारत

ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम के बीच नई साझेदारी ऑकस (AUKUS) पर भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इस घोषणा का स्वागत नहीं करता है, और न ही वह ऑकस को भारतीय हितों से जोड़ना चाहता है। भारत ऑकस को परमाणु प्रसार के रूप में नहीं देखता है। लेकिन भारत ने दूसरे देशों, विशेषकर फ्रांस के विरोधों पर ध्यान दिया है।

ऑकस साझेदारी के व्यापक प्रभाव को देखते हुए, भारत के इस रवैये के दो पक्ष हैं। पहला गठबंधन की आशाजनक संभावनाओं में भारत-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त, खुला और समावेशी बनाने के लिए क्वाड के एजेंडे को मजबूत करना शामिल है। दूसरा यह गठबंधन समुद्री अभ्यास, सुरक्षा और कोविड-19 का मुकाबला करने, जलवायु परिवर्तन, महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों पर सहयोग करने और लचीली आपूर्तिश्रृंखला बनाने के प्रयासों पर क्वाड के प्रयासों को बढ़ाने के लिए विस्तार कर सकता है। ऑकस की अचानक घोषणा के साथ, भारत के लिए चिंता की बात यह है कि अमेरिका संभवतः इस क्षेत्र में शक्ति संतुलन को बिगाड़ रहा है।

स्रोत- द हिंदू

भारत का रोजगार संकट

भारत के प्रमुख उच्च शिक्षा संस्थान- आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी दिल्ली और आईआईटी मद्रास छात्रों की रोजगार रैंकिंग ‘क्यूएस ग्रेजुएट एम्प्लॉयबिलिटी रैंकिंग 2022 (QS Graduate Employability Rankings 2022) में दुनिया भर के शीर्ष 200 संस्थानों में शामिल हैं। किसी भी भारतीय उच्च शिक्षण संस्थान के शीर्ष 100 में स्थान हासिल करने में विफलता भारत के स्नातकों के रोजगार संकट को उजागर करता है। एस्पायरिंग माइंड्स द्वारा मानकीकृत परीक्षण के आधार पर 2019 में एक रोजगार योग्यता रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि 2010 के बाद से समग्र स्तर पर भारतीय इंजीनियरों की रोजगार क्षमता में बदलाव नहीं हुआ है। सॉफ्टवेयर स्टार्ट-अप में केवल 3.84% इंजीनियर ही रोजगार योग्य हैं। इंडिया स्किल्स रिपोर्ट 2021 के अनुसार रोजगार योग्यता 45.9% होने का अनुमान है, यानी दो स्नातकों में से कम से कम एक जॉब मार्केट के लिए तैयार नहीं है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 इसे मोटे तौर पर दो तरह से लक्षित करती है। यह छात्रों के लिए लचीलापन प्रदान करता है, उपयुक्त प्रमाणन के साथ स्नातक कार्यक्रमों से बाहर निकलने के कई विकल्पों का प्रस्ताव करता है। साथ ही शिक्षा और उद्योग के बीच कड़े एकीकरण का भी आ“वान किया गया है। दो सफल मॉडल, जर्मनी और जापान, उपयोगी सीख प्रदान करते हैं। जर्मनी का अप्रेंटिसशिप कार्यक्रम उसके विनिर्माण कौशल का आधार है। उद्योग की आवश्यकताओं के साथ छात्र कौशल के संयोजन में जापान की स्कूल प्रणाली एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसी तरह के मॉडल को भारत में अपनाये जाने की जरूरत है।

स्रोत- टाइम्स ऑफ इंडिया दद