इं. दुर्गेश त्रिपाठी समीक्षा अधिकारी-2016 (उ. प्र. लोक सेवा आयोग)

नामः इं. दुर्गेश त्रिपाठी

पिता का नाम एवं व्यवसायः श्याम शंकर त्रिपाठी (शिक्षक-गणित)

माता का नामः पुष्पा त्रिपाठी (गृहिणी)

शैक्षणिक योग्यताः बी. टेक., बी.एड., एमएसडब्ल्यू

अभिरुचियां: पुस्तक लिखना, ज्योतिषीय अध्ययन, पुस्तक पढ़ना

आदर्श व्यक्ति स्वामी विवेकानंद, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, अटल बिहारी वाजपेयी

अन्य उपलब्धियां: लेखक/विशेषज्ञ- सांख्यिकी, समाजकार्य, निबंध-पत्रलेखन

सकारात्मक पक्षः सकारात्मक दृष्टिकोण, अनुशासन

नकारात्मक पक्षः भावुकता, किसी पर जल्दी विश्वास कर लेना

पूर्व चयनः शिक्षक (बेसिक शिक्षा), लेखक

समसामयिकी क्रॉनिकलः समीक्षा अधिकारी/ सहायक समीक्षा अधिकारी (RO/ARO) परीक्षा-2016 में शानदार सफलता के लिए आपको हार्दिक बधाई। आपकी सफलता में परिवार, मित्रों व शिक्षकों का सहयोग कैसा रहा? आपकी पृष्ठभूमि ने आपकी सफलता में किस प्रकार योगदान किया?

दुर्गेशः बहुत-बहुत धन्यवाद। ईश्वर के आर्शीवाद से, नाना-नानी, माता-पिता, डॉली, लक्ष्मी, रोशनी सहित परिवार के सभी सदस्यों तथा विशेष रूप से बहिन रागिनी, मौसेरे भाई आशीष का सकारात्मक सहयोग व आत्मबल मिला। इसके अलावा गुरुजनों मणि सर, डी. पी. पाण्डेय सर, अग्रज वेद प्रकाश SDM, CO सतीश शुक्ला का सहयोग रहा। शिक्षक पारिवारिक पृष्ठभूमि का सकारात्मक योगदान रहा।

समसामयिकी क्रॉनिकलः आपने परीक्षा की तैयारी कैसे आरम्भ की? तैयारी आरम्भ करते समय किन पहलुओं पर विशेष रूप से ध्यान दिया? परीक्षा की तैयारी शुरू करने का आदर्श समय क्या होना चाहिए?

दुर्गेशः बी. टेक. के दौरान ही मेरा झुकाव राज्य सिविल सेवा (PCS) की तरफ हो गया था, मैंने स्व-अध्ययन (Self-Study) के माध्यम से अपनी तैयारी शुरू की, इसके अलावा NCERT व मानक पुस्तक का अध्ययन, घटना चक्र पूर्वावलोकन प्रैक्टिस सेट से अभ्यास किया तथा निरंतरता के साथ परीक्षोन्मुख तैयारी की। तैयारी शुरू करने का निर्णय (आदर्श समय) व्यक्तिगत निर्णय है, वैसे 1-2 वर्ष की तैयारी पर्याप्त है।

समसामयिकी क्रॉनिकलः भाषा माध्यम के कारण क्या आपको कोई लाभ हुआ? क्या आप मानते हैं कि अंग्रेजी भाषी लाभप्रद स्थिति में होते हैं?

दुर्गेशः वास्तव में RO/ARO की मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम व रूपरेखा को देखा जाए तो यह हिंदी माध्यम के लिए अधिक अनुकूल है।

समसामयिकी क्रॉनिकलः परीक्षा के दोनों चरणों की तैयारी के लिए आप कितना समय उपयुक्त मानते हैं? दोनों चरणों की तैयारी में आपकी समय की रणनीति एक जैसी रही या उसमें बदलाव भी किए?

दुर्गेशः लगभग 1 से 2 वर्ष की तैयारी पर्याप्त होती है। जितनी महत्वपूर्ण प्रारम्भिक परीक्षा है, उससे ज्यादा चुनौतीपूर्ण मुख्य परीक्षा होती है। इसलिए सारांश लेखन, व्याख्या, पत्रलेखन, हिंदी निबंध पर पर्याप्त समय देते हुए अभ्यास करना चाहिए।

समसामयिकी क्रॉनिकलः क्या आपने नोट्स बनाए? ये नोट्स किस प्रकार उपयोगी रहे? एक ही कोचिंग संस्थान के नोट्स का उपयोग कई छात्र करते हैं। ऐसे में इन नोट्स की औरों से अलग बनाने हेतु आपने क्या रणनीति अपनाई?

दुर्गेशः जी, मैंने सामान्य अध्ययन के लिए कुछ शार्ट नोट्स तैयार किए, करेंट अफेयर्स के लिए स्वयं विभिन्न पत्रिकाओं जैसे क्रॉनिकल आदि से लिखकर तैयार की। मैंने किसी कोचिंग संस्थान के किसी भी नोट्स का उपयोग नहीं किया।

समसामयिकी क्रॉनिकलः आपने निबंध की तैयारी कैसे की और परीक्षा भवन में इसके चयन और लेखन के लिए क्या रणनीति अपनाई?

दुर्गेशः निबंध स्वयं लिखकर तैयार किया। प्रारम्भ से ही माध्यमिक कक्षा से ही मेरी निबंध लेखन में रुचि थी और मैं समाचार पत्रों के सम्पादकीय लेख, टीवी चैनल पर चर्चा (debate) पर ध्यान केन्द्रित करता रहा हूं। मैंने प्रतियोगी छात्रों का विगत दो वर्ष से निबंध पर मार्गदर्शन भी किया, जिसका मुझे सर्वाधिक लाभ हुआ। RO मुख्य परीक्षा में हिंदी निबंध की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। परीक्षा भवन में निबंध लेखन के लिए मैने समसामायिक मुद्दे, कृषि मुद्दे, पर्यावरणीय मुद्दे तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के मुद्दे पर आधारित निबंध का चयन किया। निबंध लेखन का चयन व्यक्तिगत निर्णय है।

समसामयिकी क्रॉनिकलः क्या आपने कोचिंग ली? कोचिंग किस प्रकार उपयोगी रही? वैसे छात्र जो तैयारी हेतु कोचिंग की सहायता लेना चाहते हैं, उन्हें आप क्या सुझाव देंगे?

दुर्गेशः जी, मैंने RO/ARO की तैयारी के लिए किसी प्रकार की कोई कोचिंग नहीं ली। मणि सर (प्रयागराज) का व्यक्तिगत सहयोग व मार्गदर्शन अवश्य प्राप्त किया। कोचिंग या मार्गदर्शन लेना यह स्वैच्छिक निर्णय है।

समसामयिकी क्रॉनिकलः जो छात्र सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी आरम्भ करना चाहते हैं, उन्हें आप क्या सुझाव देंगे? यदि कोई ग्रामीण पृष्ठभूमि का या आर्थिक रूप से कमजोर छात्र सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी आरंभ करना चाहता हो, तो ऐसे छात्र को क्या करना चाहिए?

दुर्गेशः सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी आरंभ करने वाले छात्रों को मैं यह सुझाव देना चाहूंगा कि वे पूर्ण मनोयोग के साथ सही दिशा में मेहनत करें, चयनित अनुभवी वरिष्ठजनों का मार्गदर्शन लें तथा एक विषय के लिए कई पुस्तकों का अध्ययन करने के बजाय किसी एक परीक्षोपयोगी पुस्तक का बार-बार अध्ययन करें। इसके अलावा NCERT व मानक पुस्तक को आधार बनाकर स्व- अध्ययन पर ज्यादा ध्यान दें।

समसामयिकी क्रॉनिकलः सामान्य धारणा यह है कि सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी आरंभ करने से पूर्व कोई कैरियर विकल्प भी अपने पास रखना चाहिए। क्या आपने भी कोई कैरियर विकल्प रखा था?

दुर्गेशः मेरे विचार से यह एक स्वैच्छिक निर्णय है। समीक्षा अधिकारी के पद पर चयन से पूर्व मैं एक शिक्षक था।

समसामयिकी क्रॉनिकलः तैयारी में पत्र-पत्रिकाओं से आपको कितनी सहायता मिली? आपने किन पत्र-पत्रिकाओं का अध्ययन किया? सिविल सेवा परीक्षा के लिए इन पत्र-पत्रिकाओं की कितनी उपयोगिता है?

दुर्गेशः प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में पत्र-पत्रिकाओं का विशेष महत्व होता है। मैंने क्रॉनिकल, योजना, कुरुक्षेत्र आदि का अध्ययन किया, जिसका लाभ मुझे PCS की मुख्य परीक्षा में भी मिलता रहा।

समसामयिकी क्रॉनिकलः क्रॉनिकल पत्रिका आपको कैसी लगी? आपकी सफलता में इसका कितना योगदान है? क्या आप इसमें किसी प्रकार की बदलाव की अपेक्षा रखते हैं?

दुर्गेशः बहुत ही उपयोगी पत्रिका है, समसामायिक घटनाक्रम व लेख के संदर्भ में यह काफी लाभप्रद है। इस पत्रिका में निबंध लेख व प्रैक्टिस सेट्स भी उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

धन्यवाद!

अनुशंसित पुस्तक सूची

  1. प्रारम्भिक/मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययनः इतिहास- एस. के. पाण्डेय, घटना-चक्र पूर्वावलोकन; भूगोल- महेश वर्णवाल, घटना-चक्र पूर्वावलोकन; संविधान एवं राजव्यवस्था-लक्ष्मीकांत, घटना-चक्र पूर्वावलोकन; विज्ञान-लूसेंट, घटना-चक्र पूर्वावलोकन; अर्थव्यवस्था -परीक्षा वाणी, घटना-चक्र आर्थिकी; जनसंख्या नगरीकरण-परीक्षा वाणी, पर्यावरण-परीक्षा वाणी; उत्तर प्रदेश विशेष-परीक्षा वाणी; करेंट अफेयर्स-क्रॉनिकल।
  2. सामान्य हिंदीः डॉ. वासुदेवनंदन, डॉ. हरदेव बाहरी, घटना-चक्र पूर्वावलोकन (RO/ARO स्पेशल), निबंध मंजूषा, निबंध संग्रह-शांडिल्य दुर्गेश नोट्स।

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