Question : पर्यावरण प्रदूषण से आप क्या समझते हैं? विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों को बताते हुए यह समझाइए कि भारत में मानव के स्वास्थ्य पर उनका क्या प्रभाव पड़ता है?
(1992)
Answer : भविष्य की चिन्ता किए बिना मानव लगातार विकास के नाम पर प्रकृति और पर्यावरण से विवेकहीन बर्ताव किए जा रहा है। जंगलों की अंधाधुंध कटाई, वायु व जल में विषैली हानिकारक गैसों व अवशिष्ट पदार्थों का उत्सर्जन, नाभिकीय कचरा, औद्योगीकरण, शहरीकरण व जनसंख्या में तेजी से वृद्धि आदि कुछ ऐसे मानवीय कृत्य हैं, जिनसे पर्यावरण के संतुलन में व्यवधान उत्पन्न हो जाता है। इसे ही प्रदूषण कहा जाता है। वातावरण का बढ़ता तापमान, बाढ़, सूखा, ....
Question : अरावली एवं हिमालय दोनों क्षेत्रों के व्यापक निर्वनीकरण से उत्पन्न अनेक पर्यावरणीय समस्याओं का विवरण कीजिए।
(1991)
Answer : अरावली व हिमालय क्षेत्र में विस्तृत वनों का विनाश पर्यावरण के लिए अत्यंत हानिकारक सिद्ध हो रहे हैं। इस वन विनाश का दूरगामी व तात्कालिक प्रभाव सूक्ष्म पर्यावरण (Micro-climate) पर पड़ेगा। ज्ञातव्य है कि वनस्पति युक्त भू-भाग का तापमान वनस्पति रहित क्षेत्रों की अपेक्षा काफी कम होता है। अतः स्पष्ट है कि वन विनाश से इन क्षेत्रों में तापमान में वृद्धि हो जाएगी। वनस्पति विनाश के कारण मृदा भी प्रभावित होगी अर्थात इन क्षेत्रों में ....
Question : पर्यावरण प्रदूषण कितने प्रकार का होता है? भारत में औद्योगीकरण की वृद्धि के कारण यह किन-किन स्थानों पर हुआ है?
(1988)
Answer : औद्योगीकरण के कारण पर्यावरण तेजी से प्रदूषित होता जा रहा है तथा जल, थल, वायु, मानव, वन, जीव-जंतु सभी पर औद्योगीकरण से उत्पन्न प्रदूषण का खतरनाक प्रभाव पड़ रहा है। पर्यावरण प्रदूषण के लिए चार घटक मुख्य रूप से उत्तरदायी हैं- वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और रेडियोधर्मिता। पर्यावरण प्रदूषण का प्राकृतिक भौतिक संसाधन एवं जीवन के गुणों से संबंधित मूल्यों (जैसे सांस्कृतिक व सौन्दर्य विषयक मूल्य आदि) पर गहन प्रभाव पड़ता है। कारखानों ....
Question : भू-संरक्षण की आवश्यकता क्यों है? भारत में भूमि का संरक्षण करने के लिए सरकार ने प्रमुख रूप से क्या-क्या कदम उठाए हैं?
(1990)
Answer : भारत में कृषि कार्यों में लगभग 75 प्रतिशत कार्यशील जनसंख्या संलग्न है, लेकिन विभिन्न कारणों से भूमि की उर्वरता में कमी आती जा रही है। पानी और वायु के साथ मिट्टी के कटाव, बहाव अथवा उड़ने के ढंग को मृदा का अपरदन कहते हैं। मिट्टी की ऊपरी सतह, जिसमें पोषक तत्व रहते हैं, के कट जाने से भूमि की उर्वरता में कमी आती है। अपरदन पर वर्षा, भूमि की ढाल, भूमि की किस्म, वनस्पति, जुताई ....
Question : गंगा कार्यवाही योजना के अंतर्गत उठाए गए विभिन्न उपायों तथा उनका गंगा-जल के गुण पर पड़े प्रभाव का वर्णन कीजिए।
(1994)
Answer : प्राचीनकाल से ही हिंदू संस्कृति में गंगा को एक पवित्र नदी के रूप में माना जाता रहा है। आज भी हिन्दू मान्यता वाले लोगों में गंगा-पूजन का प्रचलन है। लेकिन आज की गंगा के पानी में अनेक गंदे नालों का पानी और कारखानों से निकले विषैले कचरे आकर मिलते हैं। गंगा के जल से इस प्रदूषण को समाप्त करने के लिए वर्ष 1985 में गंगा की स्वच्छता के लिए गंगा कार्ययोजना शुरू की गई। इसके ....
Question : उत्तरी भारत के पारिस्थितिक सन्तुलन को जंगलों की कटाई किस प्रकार नष्ट कर रही है?
(1998)
Answer : हिमालय स्थित जंगलों की कटाई ने उत्तरी भारत के पारिस्थितिकीय संतुलन को काफी हद तक प्रभावित किया है। इसने उत्तरी भारत के वातावरणीय कारकों, मिट्टी, नदियों तथा खेतों एवं वनस्पतियों पर बुरा प्रभाव डाला है। जंगलों की कटाई से सबसे बड़ा खतरा तो यह उत्पन्न हो गया है कि बड़े-बड़े चट्टान टूट-टूट कर नदी की तलहटी में जमा हो रहे हैं, जिससे भूस्खलन की घटनाओं में वृद्धि हुई है। साथ ही इससे नदियों में बाढ़ ....