नागरिकता से संबंधित अधिनियम, (कानून) 1955

नागरिकता से संबंधित अधिनियम, (कानून) 1955 में 2003 में पारित ‘नागरिकता संशोधन’ विधेयक द्वारा कुछ परिवर्तन किए गए। इस नए विधेयक के अनुसार भारतीय मूल के विदेशों में रह रहे भारतीयों को (PIOs) नागरिकता प्रदान की गयी है। जिन 16 देशों में रह रहे भारतीयों को यह नागरिकता प्रदानकी गयी है, वे देश हैं, यूएसए, यूके, कनाडा, नीदरलैंड, इटली, आयरलैंड, पुर्तगाल, स्विट्जरलैंड, ग्रीक, साइप्रस, इड्डाइल, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड, फ्रांस, स्वीडन और फिनलैंड।

दोहरी नागरिकताः इसके अंतर्गत ऐसे भारतीयों को जो, 26 जनवरी, 1950 (पाकिस्तान और बांग्लादेश को छोड़कर) के बाद देश छोड़कर विदेशों में चले गए थे, को दोहरी नागरिकता प्रदान की जायेगी।

  • प्रवासी भारतीयों के लिए ‘ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया’ (OCI) योजना का शुभारम्भ प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने जनवरी 2006 में हैदराबाद में चौथे प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में किया। विदेशी नागरिकता प्राप्त भारतीयों को OCI कार्ड के तहत भारत आने के लिए पूर्ण जीवन काल के लिए वीजा प्राप्त होगा।
  • OCI कार्ड धारकों को भारत में मताधिकार प्राप्त नहीं होगा तथा न ही कोई सार्वजनिक पद वह प्राप्त कर सकते हैं।

अप्रवासी भारतीयों को मताधिकारः भारत में जनप्रतिनिधित्व कानून संशोधन अधिनियम 2010 के द्वारा प्रवासी भारतीयों को मताधिकार प्रदान किया गया। परंतु मतदान के दिन अपने निर्वाचन क्षेत्र में उनकी उपस्थिति अनिवार्य है।