दहेज हत्या के कारण

सामाजिक परंपरा व प्रथाः प्रथा ने लोगों के पहनावे, व्यवहार आदि को प्रभावित किया है, सामाजिक प्रथाएं व परंपराएं दहेज का एक कारण है।

सुरक्षाः भौतिकवादी समाज ने पैसों के पीछे भागने की प्रवृत्ति बढ़ाई है, प्रत्येक व्यक्ति अधिक से अधिक धन रखकर सुरक्षित होना चाहता है।

धनी परिवारों में शादीः प्रत्येक पिता अपनी पुत्री की शादी धनी परिवार में करना चाहता है, इससे दहेज की मांग बढ़ी है।

महंगाई में वृद्धिः सोने और चांदी के बढ़ते दाम दहेज की मांग बढ़ाते हैं, इस आर्थिक संकट को देखते हुए दूल्हा पक्ष दहेज की मांग करता है।

दुल्हे पक्ष के परिवार की आयः दुल्हा पक्ष लड़के की अच्छी शिक्षा के लिए धन खर्च करता है, इसलिए वह शादी के दौरान दहेज की मांग करता है, मांग पूरी न होने के कारण दुल्हन को यातनाएं दी जाती है जो दहेज हत्या का कारण बनती है।

भारतीय कानून दहेज हत्या रोकने में विफल क्यों है?

अस्पष्ट कानूनी भाषाः कानूनी भाषा इस तरह अस्पष्ट है कि यह दहेज की मांग या दहेज देने को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं करता।

कानूनी भाषा में दहेज में शादी के समय दिया गया पैसा या प्रापर्टी को शामिल किया गया है। शादी के बाद गिफ्रट की मांग को वर्जित नहीं किया गया है।

वर्तमान कानूनों का प्रभावी क्रियान्वयन न होनाः पुलिस या अभियोजकों द्वारा प्रभावी क्रियान्वयन की कमी। गृह मंत्रलय द्वारा दहेज हत्या के मामलों को विशेष जांच के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, लेकिन उसका अनुपालन नहीं हो रहा है।

पुलिस अक्सर ऐसे मामलों को गृह विवाद के रूप में देखती है तथा इसे ‘रसोई घर दुर्घटना' के रूप में रिपोर्ट करती है। 10 प्रतिशत से कम मामलों में दहेज हत्या की वास्तविक जांच होती है।

महिला के प्रति सांस्कृतिक धारणाः हिंदू धार्मिक ग्रंथों में महिला को अपने पति के प्रति हर परिस्थिति में समर्पित होना बताया गया है, सामाजिक पूर्वाग्रहों के कारण महिला पुरुष के विरुद्ध नहीं बोल सकती। यही कारण है कि वह पति या घर के सदस्यों द्वारा दी जाने वाली यातनाएं या गालियां चुपचाप सहन कर लेती है जो आगे चलकर दहेज हत्या का कारण बनती है।

महिलाओं के विरुद्ध आर्थिक भेदभावः महिला की आर्थिक आत्मनिर्भरता पाने में पुरुष समाज का न देखा जाना। प्रॉपर्टी की बिक्री, खरीद, ट्रांसफर आदि पर पुरुष का अपना एकाधिकार मानना।

दहेज का बुरा प्रभाव

मनोवैज्ञानिक तथा इमोशनल व्यवधान, आर्थिक तंगहाली, सामाजिक भ्रष्टाचार को अपनाकर गलत तरीके से आय, माता-पिता द्वारा कठिन परिश्रम, कन्या भ्रूण हत्या, निरक्षरता, लड़कियों का मनोवैज्ञानिक दबाव, आत्महत्या, अवैध संबंध।

शादीशुदा महिलाओं की समस्याएं

पारिवारिक झगड़े, महिलाओं की स्थिति कम होना, अपमान तथा अनुपचार, तलाक, दहेज हत्या, बाल विवाह, बेमेल विवाह, महिला उत्पीड़न, वैवाहिक असामंजस्यता।