आंतरिक सुरक्षा के अवयव

  • देश की एकता-अखंडता को सुनिश्चित करना।
  • देश में आंतरिक शांति एवं सौहार्द्र को बनाए रखना।
  • देश में कानून व्यवस्था को बनाए रखना।
  • संविधान में प्रदत्त अधिकारों को सभी नागरिकों तक उपलब्ध कराना।
  • देश की जनता एवं विदेशी यात्रियों के मध्य सुरक्षा का माहौल एवं उसके प्रति विश्वास को मजबूत करना।
  • शांतिपूर्ण सहअस्त्तिव एवं सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखना।

आंतरिक सुरक्षा के समक्ष मुख्य चुनौतियां

  • वामपंथी उग्रवाद_
  • भीतरी प्रदेशों में फैलता आतंकवाद_
  • अलगाववाद की प्रवृत्ति जातिवादी संघर्ष_
  • सांप्रदायिक संघर्ष साइबर अपराध_
  • जम्मू कश्मीर, पूर्वोत्तर में उग्रवाद_
  • पड़ोसी देशों में फैला आतंकवाद_

देश में आंतरिक सुरक्षा की स्थिति का विश्लेषण स्थूल रूप से निम्नलिखित परिप्रेक्ष्य में किया जा सकता हैः

  • देश के भीतरी भाग में आतंकवाद।
  • जम्मू एवं कश्मीर में सीमा-पार से आतंकवाद।
  • पूर्वाेत्तर राज्यों में उग्रवाद।
  • कतिपय क्षेत्रें में वामपंथी उग्रवाद।

वर्ष 2015 के दौरान, आतंकवाद, उग्रवाद और विद्रोह के विशेष संदर्भ में देश में आंतरिक सुरक्षा की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। पिछले एक वर्ष की अवधि के दौरान, देश के भीतरी भाग में मात्र पंजाब के जिला गुरदासपुर में आतंकवाद की केवल एक घटना हुई।

देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) चिंता का विषय बना हुआ है। जहां 10 राज्यों के 106 जिले अलग-अलग स्तर पर एलडब्ल्यूई से प्रभावित हैं, वहीं 7 राज्य के 35 जिले सर्वाधिक रूप से प्रभावित हैं। एलडब्ल्यूई हिंसा वर्ष 2010 में अपने चरम पर थी। वर्ष 2011 में इसमें कुछ कमी आरंभ हुई और चालू वर्ष में भी यह प्रवृत्ति जारी है। वर्ष 2015 में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रें में सबसे ऊपर छत्तीसगढ़ रहा, तथा उसके बाद क्रमशः झारखंड, बिहार, ओडिशा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना का स्थान रहा।

वर्ष 2015 में मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश से एलडब्ल्यूई हिंसा की किसी घटना की सूचना नहीं मिली। देश में सीपीआई (माओवादी) विभिन्न एलडब्ल्यूई संगठनों में सबसे प्रभावशाली है और यह 80% से अधिक एलडब्ल्यूई हिंसा तथा परिणामी मौतों के लिए उत्तरदायी है। आंतरिक सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने हेतु संस्थाएं मल्टी एजेंसी सेंटर (एमएसी) का गठन, आतंकवाद और उग्रवाद से संबंधित आसूचना का मिलान, विश्लेषण कर उसका प्रसार करने के लिए एक समेकित प्रणाली विकसित करने हेतु किया गया था। सहायक मल्टी एजेंसी सेंटर (एसएमएसी) राज्य स्तर पर इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर स्थापित किया गया था। इस समय, मल्टी एजेंसी सेंटर की कनेक्टिविटी को आसूचना के त्तकाल आदान-प्रदान के लिए केन्द्र सरकार के स्तर पर सभी प्रयोक्ता एजेंसियों तक विस्तारित कर दिया गया है।

इसके अलावा, कुल 429 एसएमएसी स्थलों की पहचान की गई हैं, जिनमें से 385 स्थल कार्यशील हो गए हैं। कनेक्टिविटी को जिला स्तर तक बढ़ाने का भी प्रस्ताव है। तद्नुसार, एमएसी प्रणाली की समग्र संरचना में जिला स्तरीय कनेक्टिविटी के लिए कुल 474 स्थलों की पहचान की गई है। केन्द्र और राज्य एजेंसियों के बीच आसूचना के इस अबाधित आदान-प्रदान से आसूचना साझा करने में काफी सुधार हुआ है और इसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में आतंकवादी मॉड्यूलों का पता लगाया गया और आतंकवादियों को पकड़ा गया है।