उत्पत्ति के क्षेत्र के आधार पर चक्रवात के दो प्रकार हैं

1. ऊष्णकटिबंधीय चक्रवात या वलकियक चक्रवात (Tropical cyclone), तथा

2. बाह्योष्णकटिबंधीय चक्रवात या शीतोष्णकटिबंधीय चक्रवात या ऊष्णवलयपार चक्रवात (Extratropical cyclone or Temperate cyclones)

ऊष्णवलयिक चक्रवात - ये वायुसंगठन या तूफान हैं, जो ऊष्ण कटिबंध में तीव्र और अन्य स्थानों पर साधारण होते हैं। इनसे प्रचुर वर्षा होती है। इनका व्यास 50 से लेकर 1000 मील तक का तथा अपेक्षाकृत निम्न वायुदाब वाला क्षेत्र होता है। ये 20 से लेकर 30 मील प्रति घंटा तक के वेग से चलते हैं। इनमें वायुघूर्णन 90 से लेकर 130 मील प्रति घंटे तक का होता है। ये वेस्ट इंडीज में प्रभंजन (hurricane) तथा चीनसागर एवं फिलिपिन में बवंडर (typhoon) कहे जाते हैं।

ऊष्णवलयपार चक्रवात - यह मध्य एवं उच्च अक्षांशों का निम्न वायुदाब वाला तूफान है। इसका वेग 20 से लेकर 30 मील प्रति घंटे के वेग से सर्पिल रूप से चलती है। प्रायः इससे हिमपात एवं वर्षा होती है।

दोनों प्रकार के चक्रवात उत्तरी गोलार्ध में वामावर्त (counter-clockwise) तथा दक्षिणी गोलार्ध में दक्षिणावर्त (clockwise) रूप में संचारित होते हैं। ऊष्णवलयपार चक्रवात में साधरणतया वायु-विचनल-रेखा होती है, जो विषुवत की ओर निम्नवायु केंद्र में सैकड़ों मील तक बढ़ी रहती है तथा गरम एवं नम वायु को ठंडी और शुष्क वायु से पृथक् करती है।