भारतीय कर नीति

26 अगस्त, 2013 को भारतीय कर नीति को और अधिक पारदर्शी व सुसंगत बनाने तथा इसमें संरचनात्मक सुधार लाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने डॉ. पार्थ सारथी शोम की अध्यक्षता में एक कर प्रशासन सुधार आयोग का गठन किया। 30 मई, 2014 को इस आयोग ने अपनी प्रथम रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत की। अपनी रिपोर्ट में आयोग ने कर नीति व इससे संबंधित कानून में संरचनात्मक सुधार वाले क्षेत्रों की पहचान की। कर प्रशासन सुधार आयोग की प्रथम रिपोर्ट के अनुरूप भारत सरकार ने 2 फरवरी, 2016 को दो कर नीति सुधार पैनलों का गठन किया। सरकार ने कर नीति अनुसंधान इकाई (Tax Policy Research Unit) व कर नीति परिषद (Tax Policy Council) का गठन किया। इनका गठन कर नीति में स्थिरता, अनुशासन व सुसंगति लाने के उद्देश्य से किया गया है।

प्रत्यक्ष कर

प्रत्यक्ष कर वह कर है जिसमें कर का भुगतान उसी व्यक्ति अथवा कंपनी द्वारा किया जाता है, जिस पर यह कानूनी रूप से लगाया जाता है। आयकर, निगम कर व संपत्ति कर आदि प्रत्यक्ष कर के उदाहरण हैं। प्रत्यक्ष कर में सर्वाधिक हिस्सा निगम कर का है। निगम कर, कंपनियों के लाभ पर लगाया जाने वाला कर है। इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रत्यक्ष कर का हिस्सा लगातार बढ़ रहा है और वर्ष 2007-08 से कुल करों के लगभग आधे या उससे अधिक के लिए उत्तरदायी रहे हैं। सकल कर राजस्व में प्रत्यक्ष कर का हिस्सा 56.3% है। जबकि कर राजस्व में प्रत्यक्ष कर का हिस्सा जीडीपी के अनुपात में 5.5% (2011-2012) है।

आयकरः यह एक व्यक्तिगत कर है जो किसी व्यक्ति की वार्षिक आय पर लगाई जाता है। उपभोग और बचत के दायरे को बढ़ाने के लिए आयकर स्लैब को लगातार बढ़ाया जा रहा है।

ई-रिटर्नः इलेक्ट्रॉनिक तरीके (इंटरनेट) से टैक्स रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को ई-टैक्स रिटर्न या ई-फाइलिंग कहते हैं। भारत में इस विधि से भी आयकर रिटर्न दाखिल किया जाता है।

ई-पेमेंटः कर दाता द्वारा जब प्रत्यक्ष करों का भुगतान इंटरनेट के माध्यम से किया जाय तो उसे ‘ई-टैक्स पेमेंट’ कहते हैं। करदाता को यह सुविधा प्राप्त करने के लिए ‘नेट-बैंकिंग एकाउंट’ होना जरूरी है।

पैन कार्डः पैन (स्थायी खाता संख्या) पूरे भारत में दस अंकीय वर्णात्मक संख्या है जो आयकर विभाग द्वारा लेमिनेटेड कार्ड के रूप में जारी किया जाता है। आयकर अधिनियम में यह व्यवस्था की गई है कि प्रत्येक व्यक्ति जिसकी कुछ आय उस अधिकतम राशि से अधिक है, जिस पर कर नहीं लगता या प्रत्येक व्यक्ति जो किसी व्यापार या व्यवसाय में लगा है, जिसकी कुल आय, लाभ या सकल प्राप्ति पहले किसी भी विगत वर्ष में 5 लाख रुपये से अधिक हुई है या कोई व्यक्ति जिसे आय विवरणी दाखिल करने की आवश्यकता है, वह पैन कार्ड के लिए आवेदन करेगा। इसके अलावा कोई व्यक्ति जो उपर्युक्त शर्तें पूरी नहीं करता, वह भी पैन आवंटन के लिए आवेदन कर सकता है।

टैन कार्डः कर कटौती खाता संख्या (टैन) एक अनोखा दस अंकीय वर्णक्रम कार्ड है जो आयकर विभाग द्वारा उन सभी व्यक्तियों को आवंटित किया जाता है जिन्हें आय के ड्डोत पर कर कटौती की आवश्यकता होती है।

प्रत्यक्ष कर संहिता

प्रत्यक्ष कर संहिता विधेयक, 2010 को संसद में 30 अगस्त, 2010 को पेश किया गया। इस विधेयक का उद्देश्य कर प्रणाली की प्रभावोत्मकता और साम्यता में सुधार लाना तथा स्वैच्छिक अनुपालन को बढ़ावा देना है। दूसरे शब्दों में, प्रत्यक्ष कर संहिता में सभी प्रत्यक्ष करों जैसे आयकर, लाभांश वितरण कर, अनुषंगी लाभ कर और संपत्ति कर से संबंधित कानूनों को समेकित तथा संशोधित किया जाना है, ताकि एक किफायती रूप से दक्ष, प्रभावी और साम्य योग्य प्रत्यक्ष कर प्रणाली स्थापित की जा सके, जो इसके स्वैच्छिक पालन की सुविधा प्रदान करे एवं कर-जीडीपी अनुपात को बढ़ाने में सहायता करे। इसका एक अन्य उद्देश्य विवादों के विस्तार को कम करना और मुकदमों को न्यूनतम रखना है।

अप्रत्यक्ष कर

अप्रत्यक्ष कर वस्तुओं एवं सेवाओं पर लगाया जाता है। अप्रत्यक्ष कर में कर भार तीसरी पार्टी पर परिवर्तित कर दिया जाता है और अंततः उपभोक्ता ही इस कर का भुगतान करता है। सेवा कर, सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क, वैट आदि अप्रत्यक्ष कर के उदाहरण हैं। सकल कर राजस्व में अप्रत्यक्ष कर का हिस्सा 42.6% है जबकि कर राजस्व में अप्रत्यक्ष कर का हिस्सा जीडीपी के अनुपात में 4.4% है।

सेवा करः किसी व्यक्ति द्वारा प्रदान की गई सेवाओं पर लगाया जाता है और इस कर का भुगतान करने की जिम्मेदारी सेवा प्रदाता की होती है। भारत में यह कर 1994-95 के बजट में शुरू किया गया था। सेवा कर की उगाही जम्मू और कश्मीर राज्य को छोड़कर पूरे देश में की जा रही है।