कृषि, सिंचाई और ग्रामीण विकास के लिए 16 सूत्री कार्य योजना

वित्त वर्ष 2020-21 का केन्द्रीय बजट पेश करते हुए किसानों की आमदनी दोगुनी करने, बागवानी, अनाज भंडारण, पशुपालन और नीली अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने पर केन्द्रित 16 सूत्री कार्य योजना की घोषणा की गई।

  • 16 सूत्री कार्य योजना के लिए 2.83 लाख करोड़ रुपये का आबंटन किया गया है।
  • कृषि, सिंचाई और संबंधित गतिविधियों के लिए 1.60 लाख करोड़ रुपये।
  • ग्रामीण विकास और पंचायती राज केलिए 1.23 लाख करोड़ रुपये।

किसानों की आय को दोगुना करना

  • प्रधान मंत्री कुसुम योजनाः 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लक्ष्य के साथ इस योजना के दायरे में और 20 लाख किसानों को लाने का प्रस्ताव किया।
  • इसके अलावा 15 लाख अतिरिक्त किसानों को उनके बिजली के पंपों को सौर ऊर्जा चलित बनाने में मदद की जाएगी।
  • किसानों को अपनी खाली जमीन पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने में मदद की जाएगी।
  • जीरो बजट प्राकृतिक खेती (Zero Budget Natural Farming - ZBNF): किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सभी तरह के उर्वरकों के संतुलित इस्तेमाल तथा जीरो बजट प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया गया है।
  • वर्षा सिंचित क्षेत्रों में एकीकृत खेती प्रणाली को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके साथ ही बहुस्तरीय फसल उगाने, मधुमक्खी पालन, सौर पंपों के इस्तेमाल तथा सौर ऊर्जा उत्पादन को भी बढ़ाया जाएगा।
  • जल संकट की समस्या से जूझ रहे देश के 100 जिलों में इस समस्या से निपटने के लिए व्यापक इंतजाम किये जाएंगे।
  • सहकारी संघवाद की भावना से आगे बढ़ते हुए केन्द्र सरकार द्वारा जारी निम्न मॉडल कानूनों को राज्यों सरकारों द्वारा लागू करने हेतु प्रोत्साहित करनाः
  • मॉडल कृषि भूमि पट्टा अधिनियम, 2016,
  • मॉडल कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2017
  • मॉडल कृषि उपज और पशुधन संविदा खेती और सेवाएं (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2018

भंडारण और लॉजिस्टिक सेवाएं

  • खाद्यान्नों की बर्बादी रोकने तथा उनके लिए सक्षम भंडारण अवसंरचना को बढ़ावा देने के लिए बजट में सार्वजनिक निजी भागीदारी के माध्यम से ब्लॉक स्तर पर भंडार गृह बनाये जाने का प्रस्ताव है।
  • भारतीय खाद्य निगम और सेन्ट्रल वेयर हाऊसिंग कॉरपोरेशन भी अपनी भूमि पर ऐसे भंडार गृह बना सकेंगे।
  • नेगोशिएबल वेयरहाऊसिंग रिसीट पर किया जाने वाला वित्त पोषण ई-नाम के साथ एकीकृत किया जाएगा।
  • धन्य लक्ष्मी (Dhanya Lakshmi) के रूप में महिला स्व-सहायता समूहों की भंडारण क्षेत्र में भूमिका को भी प्रोत्साहित किया जाएगा।
  • किसान रेल (Kisan Rail): दूध, मांस जैसी जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं के लिए एक अबाधित राष्ट्रीय शीत आपूर्ति श्रृंखला बनाने के लिए भारतीय रेल पीपीपी मॉडल के जरिये किसान रेल चलाएगी। एक्सप्रेस तथा माल गाड़ियों में प्रशीतन कोच लगाए जाएंगे।
  • कृषि उड़ान योजना (Krishi Udan): पूर्वोत्तर तथा जनजातीय जिलों में कृषि उत्पादों का बेहतर मूल्य प्राप्त करने के लिए नागरिक उîóयन मंत्रालय द्वारा कृषि उड़ान योजना शुरू की जाएगी।
  • ग्राम भंडारण योजनाः किसानों के लिए स्व-सहायता समूहों द्वारा संचालित भंडारण व्यवस्था, ताकि उत्पादों पर लॉजिस्टिक लागत कम हो सके।

पशुपालन

  • मवेशियों के खुर एवं मुंह में होने वाली बीमारी (Foot and Mouth Disease) तथा ब्रूसेलोसिस और भेड़ व बकरियों में पेस्टे डेस पेटिस रुमिनेंट (Peste Des Petits ruminants) को वर्ष 2025 तक समाप्त किया जाएगा।
  • कृत्रिम गर्भाधान की कवरेज को मौजूदा 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 70 प्रतिशत किया जाएगा।
  • चारागाह को विकसित करने के लिए मनेरगा का संयोजन किया जाएगा।
  • 2025 तक देश में दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता 53-5 मिलियन मीट्रिक टन से दोगुना करके 108 मिलियन मीट्रिक टन कर दी जाएगी।
  • दूध, मांस और मछली आदि जैसे जल्दी खराब होने वाले उत्पादों के लिए बाधा रहित राष्ट्रीय प्रशीतन आपूर्तिश्रृंखला बनाने का प्रस्ताव।
  • दीनदयाल अंत्योदय योजनाः गरीबी उन्मूलन के लिए 58 लाख स्वयं सहायता समूहों के साथ 0-5 करोड़ परिवारों को जोड़ा गया।

कृषि ऋण

  • 2020-21 के लिए 15 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य तय।
  • प्रधानमन्त्री कृषि सम्मान निधि (PM-KISAN) के लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत लाने का प्रस्ताव किया गया है।
  • नाबार्ड के माध्यम से योजना हेतु पुनर्वित्त को और विस्तार देना।

नीली अर्थव्यवस्था

  • 2024-25 तक मत्स्य निर्यात को एक लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाना।
  • 2022-23 तक देश में 200 लाख टन मत्स्य उत्पाद का लक्ष्य।
  • 3,477 सागर मित्रों (sagar mitras) और 500 मत्स्य पालन कृषक संगठनों द्वारा युवाओं को मत्स्य पालन क्षेत्र से जोड़ना।
  • शैवालों और समुद्री खरपतवारों (sea weed) की खेती तथा केज कल्चर (cage culture) को प्रोत्साहित करना।
  • समुद्री मत्स्य संसाधनों के विकास प्रबंधन और संरक्षण के लिए फ्रेमवर्क तैयार करना।