केंद्रीय निगरानी समिति

देश भर में 350 से अधिक नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए एक राष्ट्रीय योजना तैयार करने व उसे लागू करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) ने एक ‘केंद्रीय निगरानी समिति’ (Central Monitoring Committee) का हाल ही में गठन किया। इन नदियों के प्रदूषण ने जल व पर्यावरण की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर दिया है।

  • 8 अप्रैल, 2019 को एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की प्रिंसिपल बेंच ने 351 गंभीर रूप से प्रदूषित नदी खंडों (river stretches) के मामले की सुनवाई करते हुए यह स्पष्ट किया कि गंभीर मुद्दे पर उचित ध्यान देने और अब तक प्राप्त सफलता की अपर्याप्तता के कारण केंद्रीय निगरानी समिति का गठन आवश्यक है।
  • इस समिति में नीति आयोग का एक प्रतिनिधि, जल संसाधन मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय व पर्यावरण मंत्रालय के सचिव; ‘स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन’ के महानिदेशक तथा ‘केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड’ (CPCB) के अध्यक्ष शामिल होंगे।
  • सीपीसीबी का अध्यक्ष इसके समन्वय हेतु नोडल प्राधिकरण होगा। साथ ही विभिन्न सदस्यों में से सबसे वरिष्ठ व्यक्ति इसकी अध्यक्षता करेंगे।

केंद्रीय निगरानी समिति के कार्य

केंद्रीय निगरानी समिति राज्यों की ‘नदी कायाकल्प समितियों’ (River Rejuvenation Committees) के साथ समन्वय करेगी। इसके अतिरिक्त समय-सीमा, बजटीय तंत्र और अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुए कार्य योजनाओं के निष्पादन की देखरेख भी करेगी।

राज्यों के मुख्य सचिव राज्य स्तर पर नोडल एजेंसी होंगे। हिमाचल प्रदेश में 7 नदियां- सुखना, मारकंडा, सिरसा, अश्वनी, ब्यास, गिरि और पब्बर प्रदूषित पाई गई हैं। इनमें से जिन नदियों का ‘जैविक ऑक्सीजन मांग’ (Biological Oxygen Demand) स्तर अनुमन्य सीमा से ऊपर हैं, उनकी पहचान ‘गंभीर रूप से प्रदूषित’ नदियों के रूप में की गई है।