कंपनी (संशोधन) अधिनियम, 2017

कंपनी (संशोधन) अधिनियम, 2017 के माध्यम से कंपनी अधिनियम 2013 में कई संशोधन पेश किए, जिससे भारत में अनुपालन एवं निवेशक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कॉर्पोरेट प्रशासन में सुधार और व्यापार करने में आसानी संबंधी इसके प्रावधानों को साकार किया गया। अधिनियम के तहत किये गए संशोधन मोटे तौर पर निम्नलिखित उद्देश्यों पर आधारित हैं:

  • कड़ाई से अनुपालन आवश्यकताओं के कारण कार्यान्वयन मेंआने वाली कठिनाइयों को शामिल कर उसका अवलोकन करना।
  • रोजगार के साथ विकास को बढ़ावा देने के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को सुगम बनाना।
  • लेखा मानकों, प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 और भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत बनाए गए नियमों के साथ सामंजस्य स्थापित करना।
  • कंपनी अधिनियम 2013 संबंधी चूक और विसंगतियों को सुधारना।
  • इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्ट्सी कोड, 2016 के काम के साथ अधिनियम को संरेखित करना।
  • कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 53 में छूट आधारित शेयर जारी करने पर रोक थी। संशोधन अधिनियम अब कंपनियों को अपने लेनदारों के लिए छूट पर शेयर जारी करने की अनुमति देता है जब इसका ऋण किसी सांविधिक संकल्प योजना जैसे संहिता या ऋण पुनर्गठन योजना के तहत शेयरों में परिवर्तित हो जाता है।
  • कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 197 को शुद्ध लाभ के 11 प्रतिशत से अधिक में प्रबंधकीय पारिश्रमिक के भुगतान के लिए एक सामान्य बैठक में कंपनी की मंजूरी की आवश्यकता है।
  • संशोधन अधिनियम के लिए अब यह आवश्यक है कि जहां कोई कंपनी किसी बैंक या सार्वजनिक वित्तीय संस्थान या गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर धारकों या किसी अन्य सुरक्षित लेनदार को बकाया के भुगतान में चूक कर चुकी है। संबंधित बैंक या सार्वजनिक वित्तीय संस्थान की पूर्व स्वीकृति या गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर धारकों या अन्य सुरक्षित लेनदार को सामान्य बैठक में अनुमोदन प्राप्त करने से पहले कंपनी द्वारा प्राप्त किया जाना चाहिए।