‘जेलों में महिला कैदियों की स्थिति’

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों (2016) के अनुसार, भारत में 4,33,000 से अधिक कैदी (क्षमता का 114%) हैं, जिनमें से महिला कैदी 18,500 (4.2%) हैं। महिलाओं के लिए केवल 20 विशेष जेल हैं, जिनमें 5,000 महिला कैदी (29%) हैं; बाकी महिलाएं सामान्य जेलों में बंद हैं। महिला कैदियों की विशिष्ट आवश्यकताएं होती हैं; इसलिए भारत में महिला कैदियों की स्थिति का अध्ययन करने के लिए महिला और बाल विकास मंत्रालय ने 2015 में एक अध्ययन किया।

अध्ययन में 134 सिफारिशें की गई हैं, कुछ महत्वपूर्ण सिफारिशें हैं:

  • महिलाओं को कारावास में ले जाने से पहले अतिरिक्त व्यवस्था की जानी चाहिए। जेल प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि 6 वर्ष से कम आयु के बच्चे की देखभाल की जिम्मेदारी बाल देखभाल संस्थान को सौंपे जाने की स्थिति में माँ और बच्चे को बार-बार मिलने की अनुमति होनी चाहिए।
  • वैसी विचाराधीन महिला कैदियों को जमानत दी जानी चाहिए, जिन्होंने अधिकतम संभव सजा का एक तिहाई हिरासत में बिता दी है।
  • शिशु के प्रसव के बाद कम से कम एक वर्ष के लिए माता एवं शिशु को एक अलग स्वच्छ आवास में रखा जाना चाहिए।
  • कानूनी सहायता को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कानूनी परामर्श गोपनीयता तथा बिना सेंसरशिप के आयोजित किया जाना चाहिए।
  • रिहा कैदियों के एकीकरण में मदद करने के लिए प्रत्येक जिले में कम से कम एक स्वैच्छिक संगठन को नामित किया जाना चाहिए।
  • कैदियों की मानसिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यह सिफारिश की गई है कि उनको कम से कम साप्ताहिक आधार पर या जितनी बार जरूरत हो, महिला परामर्शदाताओं/मनोवैज्ञानिकों तक पहुंच होनी चाहिए।
  • उपरोक्त सिफारिशों के अलावा, रिपोर्ट में जेलों में महिला कर्मचारियों की कमी पर भी प्रकाश डाला गया है, जिसके कारण अंततः पुरुष कर्मचारियों को महिला कैदियों की जरूरतों को पूरा करना पड़ता है। इसलिए महिला कर्मचारियों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए।
  • नई मॉडल जेल मैनुअल, 2016 में उपरोक्त सिफारिशें शामिल हैं।