कार्बेट टाइगर रिजर्वः गैंडों का नया निवास स्थल

हाल ही में उत्तराखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड ने कार्बेट टाइगर रिजर्व (Corbett Tiger Reserve-CTR) में गैंडों (rhinoceroses) को बसाने के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India-WII) के एक प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की है। पहले चरण में लगभग 10 गैंडों को सीटीआर में लाया जाएगा तथा बाद में 10 और लाए जाएंगे। असम या पश्चिम बंगाल या दोनों राज्यों से गैंडों के परिवहन के लिए एक प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाएगा।

  • यह पर्यटन को बढ़ावा देने और कम ऊंचाई की घास पर निर्भर रहने वाली प्रजातियों के आवासों को पुनर्जीवित करने के लिए किया जा रहा है।
  • गैंडों के खाने से हाथी घास का आकार कम हो जाता है, जिससे कम ऊंचाई वाली घास पर निर्भर प्रजातियां जैसे- हॉग, हिरण, चीतल, सांभर और दलदली हिरण को बढ़ावा मिलेगा।
  • कार्बेट टाइगर रिजर्व में भौगोलिक और पर्यावरण की स्थिति गैंडों के लिए उपयुक्त है। लघु हिमालय (उत्तर), शिवालिक हिल्स (दक्षिण) और रामगंगा अभ्यारण्य (पूर्व) से घिरी घाटी गैंडों के निवास हेतु आदर्श स्थल है। वे गैंडों के लिए प्राकृतिक बाधाओं के रूप में कार्य कर मानव-पशु संघर्ष को कम करेंगे।
  • सभी लाए गए गैंडों के साथ उनकी आदतों, जनसांख्यिकी और आवास उपयोग की निगरानी के लिए एक जीपीएस रेडियो-कॉलर लगाया जाएगा। डेटा को वन विभाग के साथ साझा किया जाएगा, जो कि गैंडों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होगा।
  • राइनो रेंज, एक समय में सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र के बाढ़ के मैदानों के पार तक थी, जो कि अब भारतीय वन्यजीव संस्थान के विशेषज्ञों के अनुसार, मानवजनित दबाव और अवैध शिकार के कारण भारत एवं नेपाल में छोटे खंडित क्षेत्रों तक ही सीमित है। गैंडों का शिकार इसलिए किया जाता है, क्योंकि उनके सींगों को कामोद्दीपक माना जाता है।
  • ऐतिहासिक रेंज में गैंडों को फिर से बसाने से उनकी आबादी बढ़ेगी और इन दुर्गम इलाकों में उनकी पारिस्थितिक भूमिका भी बहाल होगी।