वैश्विक हरियाली में भारत-चीन का योगदान

11 फरवरी, 2019 को ‘नेचर सस्टेनिबिलिटी’ (Nature Sustainability) में प्रकाशित नासा के उपग्रही आंकड़ों पर आधारित अध्ययन के अनुसार वैश्विक धारणा के विपरीत भारत और चीन वैश्विक हरियाली (Global Greenery) में सर्वाधिक योगदान कर रहे हैं और दुनिया 20 साल पहले की तुलना में ज्यादा हरियाली से परिपूर्ण है।

मुख्य विशेषताएं

2000 के शुरुआती वर्षों की तुलना में अब प्रतिवर्ष 5% की वृद्धि के साथ लगभग 55 लाख वर्ग किमी. अतिरिक्त हरी पत्ती वाला क्षेत्र है, लेकिन यह ज्यादातर चीन और भारत में गहन भू-उपयोग के कारण हुआ है।

  • हरित दुनिया बनाने की कोशिश में चीन और भारत का योगदान एक-तिहाई है, हालांकि उनके इस प्रयास से दुनिया के सिर्फ 9 प्रतिशत भू-भाग ही हरे हुए हैं। यह आश्चर्यजनक है, क्योंकि यह आम धारणा है कि अत्यधिक आबादी वाले देशों में भूमि के अधिक उपयोग से भूमि उर्वरता घट गई है।
  • हरियाली का यह स्वरूप दुनिया भर में फसल भूमि के साथ परस्पर व्याप्त है। चीन अकेले वैश्विक वनस्पति क्षेत्र के केवल 6.6% के साथ पर्ण क्षेत्र (Leaf Area) में वैश्विक शुद्ध वृद्धि का 25% योगदान करता है।
  • अध्ययन के अनुसार, हरित चीन बनाने के प्रयास में 42 प्रतिशत वनों और 32 प्रतिशत फसल भूमि का योगदान है, जबकि हरित भारत में 82 प्रतिशत फसल भूमि और वनों का केवल 4.4 प्रतिशत योगदान है।
  • चीन ने जंगल विस्तारीकरण, भूमि संरक्षण, वायु प्रदूषण कम करने और जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए महत्वाकांक्षी कार्यक्रम शुरू किये हैं। यही वजह है कि वहां हरियाली बढ़ी है।

हरित आवरण के कई कारक

पिछले दो दशकों में सभी अमेजन वर्षा वनों द्वारा कवर किए गए क्षेत्र के बराबर पौधों और पेड़ों के पर्ण क्षेत्र में वृद्धि हुई है। 1990 के दशक के मध्य में हरियाली का पहली बार पता चला था; तब वैज्ञानिकों ने माना कि वातावरण में अतिरिक्त कार्बन डाइऑक्साइड द्वारा पौधों को निषेचित किया जा रहा है और एक गर्म, आर्द्र जलवायु द्वारा बढ़ाया जाता है, लेकिन वे यह नहीं जानते थे कि मानव द्वारा खेती और वानिकी का इसमें योगदान था या नहीं।