इंडिया आयोडीन सर्वे, 2018-19

9 सितंबर, 2019 को ‘भारत आयोडीन सर्वेक्षण 2018-19’ निष्कर्ष जारी किए गए कनाडा स्थित गैर-सरकारी अंतरराष्ट्रीय एजेंसी ‘न्यूट्रिशन इंटरनेशनल’ ने यह सर्वेक्षण भारतीय घरों में आयोडीन की स्थिति तथा पर्याप्त रूप से आयोडीन युक्त नमक की पहुंच का अनुमान लगाने से संबंधित एक राष्ट्रव्यापी अध्ययन किया है। न्यूट्रिशन इंटरनेशनल द्वारा यह सर्वेक्षण नई दिल्ली स्थित ‘एम्स’ (AIIMS) तथा ‘आयोडीन अल्पता से जुड़े विकारों के नियंत्रण हेतु भारतीय गठबंधन संघ’ (ICCIDD) के सहयोग से किया गया। सर्वेक्षण रिपोर्ट के अंतर्गत 90% घरों में आयोडीन युक्त नमक की पहुंच बनाने अथवा ‘यूनिवर्सल सॉल्ट आयोडाईजेशन’ (USI) को प्राप्त करने के प्रयासों पर जोर दिया गया है।

पोषण में आयोडीन का महत्व

आयोडीन एक महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक है, जिसका इष्टतम सेवन शरीर व मस्तिष्क दोनों की सही वृद्धि, विकास व संचालन के लिए आवश्यक है।

भ्रूण के विकास और बच्चे के जीवन के शुरुआती वर्षों के दौरान आयोडीन की कमी सबसे अधिक हानिकारक है और इसके परिणामस्वरूप बच्चों को अवरुद्ध विकास और मानसिक क्षति का सामना करना पड़ सकता है।

आयोडीन की कमी वाले क्षेत्रों में पैदा होने वाले बच्चों में बौद्धिक स्तर या आईक्यू (IQ-Intelligence Quotient) का स्तर आयोडीन पर्याप्त क्षेत्रों में पैदा होने वालों की तुलना में 13.5 अंक तक कम हो सकता है।

इंडिया आयोडीन सर्वे 2018-19: प्रमुख तथ्य

  • 76.3 प्रतिशत भारतीय परिवारों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों के अनुरूप ‘पर्याप्त रूप से आयोडीन युक्त नमक’ का सेवन कर रहे हैं।
  • जम्मू एवं कश्मीर, मणिपुर, मिजोरम व नागालैंड राज्यों के 99% से अधिक घरों में आयोडीन युक्त नमक की पर्याप्त रूप से पहुंच है।
  • 13 राज्यों ने पहले ही ‘यूनिवर्सल सॉल्ट आयोडाईजेशन’ को हासिल कर लिया है।
  • कुल 55% लोगों को आयोडीन युक्त नमक के बारे में जानकारी थी तथा 61.4% लोगों ने आयोडीन युक्त नमक के प्राथमिक लाभ के रूप में घेंघा (goiter) रोग से बचाव का उल्लेख किया।
  • आयोडीन युक्त नमक के बारे में जागरुकता शहरी क्षेत्रों में 62.2% और ग्रामीण क्षेत्रों में 50.5% पाई गई।