राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 के द्वारा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का गठन एक सांविधिक निकाय के रूप में किया गया था।

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के कार्य

  • संघ और राज्यों के तहत अल्पसंख्यकों के विकास की प्रगति का मूल्यांकन।
  • संसद और राज्य विधानमंडल द्वारा अधिनियमित कानूनों में प्रदत्त अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षा उपायों की निगरानी करना।
  • केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के हितों से सम्बंधित सुरक्षा उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सिफारिशें करना।
  • सामाजिक-आर्थिक मुद्दों और अल्पसंख्यकों के शैक्षिक विकास पर अध्ययन, अनुसंधान और विश्लेषण करना।
  • उपयुक्त अधिकारियों के समक्ष अल्पसंख्यकों के अधिकारों से वंचित करने से सम्बंधित विशिष्ट शिकायतें उठाना।
  • छः धार्मिक समुदाय (मुस्लिम, इसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी) को केंद्र सरकार द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों के रूप में अधिसूचित किया गया है।

निष्कर्ष

हाल की सांप्रदायिक तनावों के आधार पर अल्पसंख्यकों को भारत की धर्मनिरपेक्ष स्थिति पर संदेह नहीं करना चाहिए। राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उचित संचार और सूचना प्रसार के माध्यम से किसी भी प्रकार के अविश्वास या शंका का समाधान किया जाय। अल्पसंख्यकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से सशक्त बनाने के साथ उनकी भाषा एवं परंपराओं का संरक्षण किया जाना चाहिए।