राष्ट्रीय महिला नीति, 2016

भारत में महिलाओं पर प्रभाव डालने वाले मुद्दों की दीर्घकालिक प्रकृति हैं। मंत्रालयों/विभागों द्वारा चलाये जाने वाले योजनाओं के बेहतर कार्यान्वयन के लिए समन्वित दृष्टिकोण की आवश्यकता है; ताकि महिलाओं के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देने वाली प्रक्रियाओं को मजबूत किया जा सके। इसके लिए महिलाओं के लिए एक व्यापक नीति की जरूरत है।

  • नीति में ऐसे समाज की अभिकल्पना की गई है, जहां महिलाएं अपनी क्षमता का भरपूर इस्तेमाल कर सकें और जीवन के हर पक्ष में बराबरी कर सकें।
  • नीति का लक्ष्य है कि महिलाओं के लिए एक ऐेसा सकारात्मक सामाजिक-सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक माहौल तैयार हो सके, जिसमें महिलाएं अपने मूल अधिकारों को प्राप्त कर सकें।

प्राथमिकताएं

I. खाद्य सुरक्षा एवं पोषण सहित स्वास्थ्यः इसके तहत महिलाओं के प्रजनन अधिकारों पर फोकस किया गया है और परिवार नियोजन योजनाओं के दायरे में पुरुषों को भी रखा गया है। महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याओं को हल कर उनके कल्याण को ध्यान में रखा जाएगा। साथ ही किशोरावस्था के दौरान पोषण, स्वच्छता, स्वास्थ्य बीमा योजना इत्यादि शामिल की गईं हैं।

II. शिक्षाः इसके अंतर्गत किशोरावस्था वाली लड़कियों को प्राथमिक-पूर्व शिक्षा पर ध्यान दिया गया है कि वे स्कूलों में पंजीकरण करा सकें और उनकी शिक्षा की निरंतरता बनी रहे। इसके अंतर्गत लड़कियों के लिए स्कूल तक पहुंचना सुगम्य बनाया जाएगा और असमानताओं को दूर किया जाएगा।

III. आर्थिक उपायः इसके तहत महिलाओं के प्रशिक्षण और कौशल विकास की व्यवस्था की जाएगी। व्यापार समझौतों और भूस्वामित्व के डेटा बेस को महिलाओं के अनुकूल बनाना; श्रम कानूनों, नीतियों की समीक्षा करना और मातृत्व व बच्चों की देखभाल संबंधी सेवाओं को ध्यान में रखते हुए उचित लाभ, समान रोजगार के अवसर प्रदान करना तथा महिलाओं की तकनीकी आवश्यकताओं को पूरा करना शामिल है।

IV. शासन एवं निर्णय करने में महिलाओं की भूमिकाः राजनीति, प्रशासन, लोकसेवा और कार्पाेरेट क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना।

V. महिलाओं के खिलाफ हिंसाः नियमों और कानूनों के द्वारा महिलाओं के खिलाफ हर प्रकार की हिंसा को रोकना। इसके लिए प्रभावशाली नियम बनाना और उनकी समीक्षा करना, बाल लिंग अनुपात को सुधारना, दिशा-निर्देशों को कड़ाई से लागू करना, मानव तस्करी को रोकना इत्यादि शामिल हैं।

VI. पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तनः जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण के नुकसान से होने वाली प्राकृतिक आपदा के समय होने वाले पलायन के दौरान लैंगिक समस्याओं को दूर करने को इसमें शामिल किया गया है। ग्रामीण महिलाओं के लिए पर्यावरण अनुकूल, नवीकरणीय, गैर पारंपरिक ऊर्जा, हरित ऊर्जा संसाधनों के प्रयोग को प्रोत्साहन दिया जायेगा।

  • इस नीति के तहत महिलाओं के लिए सुरक्षित साइबर स्पेस बनाना, संविधान के प्रावधानों के तहत व्यक्तिगत और पारंपरिक नियमों की समीक्षा करने का भी प्रावधान है। वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध की श्रेणी में रखने की भी समीक्षा की जाएगी, ताकि महिलाओं के मानवाधिकारों की सुरक्षा हो सके।

समस्याएं

  • इसे 3 साल के बाद अपनाया जाना है, जो अभी भी परामर्शी अवस्था में है।
  • इसमें वैवाहिक बलात्कार की समस्या के समाधान के लिए कोई प्रावधान नहीं है।
  • जब तक ये नीतिगत पहल प्रभावी ढंग से लागू नहीं की जाती हैं, तब तक इससे बहुत मदद नहीं मिलेगी। इसके अलावा, व्यवहारिक परिवर्तन की शुरुआत के साथ-साथ सामाजिक परिवर्तन महिलाओं को समाज में उनकी सही जगह सुनिश्चित करने की दिशा में आगे बढ़ने का सही तरीका है।