नई पनबिजली नीति

नई पनबिजली नीति के तहत, सरकार ने बड़ी पनबिजली परियोजनाओं को नवीकरणीय ऊर्जा के रूप में वर्गीकृत करने का निर्णय लिया है।

  • इससे पहले केवल 25 मेगावाट से कम क्षमता वाली छोटी पनबिजली परियोजनाओं को अक्षय ऊर्जा स्रोत के रूप में एवं बड़ी पनबिजली परियोजनाओं को ऊर्जा के एक अलग स्रोत के रूप में माना जाता था।

पुनर्वर्गीकरण का प्रभाव

ऊर्जा मिश्रण में तीक्ष्ण बदलावः केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार, फरवरी 2019 तक भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की स्थापित क्षमता 75,055-92 मेगावाट थी। यह कुल ऊर्जा का लगभग 21.4% हिस्सा है, बाकी ताप विद्युत संयंत्रा, परमाणु संयंत्रा और बड़े जलविद्युत स्रोतों से प्राप्त किया जाता है।

  • नवीकरणीय ऊर्जा में बड़ी पनबिजली परियोजनाओं को शामिल करने से, ऊर्जा मिश्रण में भारी बदलाव होगा। अक्षय ऊर्जा क्षमता अब कुल ऊर्जा का 1,20,455-14 मेगावाट या 34.4% हो जाएगा।
  • पहले, पवन ऊर्जा सम्पूर्ण नवीकरणीय ऊर्जा का लगभग 50% था, अब यह केवल 29.3% हो जाएगा।
  • इसी तरह, सौर ऊर्जा का हिस्सा 34.68% से घटकर 21.61% हो जाएगा।