गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफ़सी)

एनबीएफसी बैंकों के साथ पूरक और प्रतिस्पर्द्धा करके, वित्तीय मध्यस्थता में दक्षता एवं विविधता लाकर भारतीय वित्तीय प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। रिजर्व बैंक की नियामक परिधि गैर-बैंकिंग वित्तीय गतिविधियों का संचालन करने वाली कंपनियों पर लागू होती है, जैसे कि उधार, निवेश या उनके प्रमुख व्यवसाय के रूप में जमा स्वीकृति।

  • एनबीएफआई गतिविधियों को अंजाम देने वाली संस्थाओं की कुछ श्रेणियों को रिजर्व बैंक के विनियमन से छूट प्राप्त है, क्योंकि उन्हें अन्य नियामकों द्वारा विनियमित किया जा रहा है। इनमें हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां (एचएफसी), म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियां, स्टॉक ब्रोकिंग कंपनियां, मर्चेंट बैंकिंग कंपनियां और वेंचर कैपिटल फंड (वीसीएफ) शामिल हैं, जिन्हें अक्सर शैडो बैंकिंग सिस्टम के रूप में जाना जाता है।

एनबीएफसी की नई श्रेणियाँ

एनबीएफसी खंड परिचालन, विविधता, संपत्ति गुणवत्ता, लाभप्रदता और विनियामक वास्तुकला के मामले में काफी समय से विकसित हुआ है। रिजर्व बैंक एनबीएफसी की विभिन्न श्रेणियों को समेकित करने पर काम कर रहा है। वर्तमान में एनबीएफसी की 12 श्रेणियां हैं। इसके अलावा NBFC - पीयर टू पीयर (NBFC-P2P) लेंडिंग प्लेटफॉर्म है।