प्रोजेक्ट टाइगर

देश में बाघों को विलुप्त होने से बचाने के लिए भारत सरकार ने 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर आरंभ किया था। इसी प्रयास के तहत टाइगर रिजर्व बनाए गए। 1973-74 में जहां केवल 9 टाइगर रिजर्व थे, अब इनकी संख्या बढ़कर 50 हो गई है। पर्यावरण मंत्रालय ने 2005 में नेशनल टाइगर कन्जर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) का गठन किया, जिसको प्रोजेक्ट टाइगर के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी सौंपी गई।

  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण तथा बाघ व अन्य संकटग्रस्त प्रजाति अपराध नियंत्रण ब्यूरो के गठन संबंधी प्रावधानों की व्यवस्था करने के लिए वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972में संशोधन किया गया।
  • बाघ अभ्यारण्य के भीतर अपराध के मामलों में सजा को और कड़ा किया गया। अधिनियम में वन्यजीव अपराध में प्रयुक्त किसी भी उपकरण, वाहन अथवा शस्त्र को जब्त करने की व्यवस्था की गई है।
  • सेवानिवृत्त सैनिकों और स्थानीय कार्यबल तैनात करके 17 बाघ अभ्यारण्यों को शत-प्रतिशत अतिरिक्त केंद्रीय सहायता प्रदान की गई। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय संचालन समिति का गठन किया गया और बाघ संरक्षण फाउंडेशन की स्थापना की गई।
  • विश्व वन्यजीव कोष (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के अनुसार, हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में दुनिया में केवल 3,900 जंगली बाघ हैं। रिपोर्टों के अनुसार, 20वीं शताब्दी की शुरुआत के बाद से लगभग 95 फीसदी वैश्विक बाघों की आबादी खत्म हो गई है। उपर्युक्त समझौते में शामिल देशों का मानना है कि 2022 तक बाघों की आबादी दोगुनी हो जाएगी।
  • रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया में बाघों के लिए सबसे बड़े और सबसे सुरक्षित आवासों में से एक के रूप में उभरा है।
  • बाघों को ‘मुख्य प्रजाति’ माना जाता है, क्योंकि उनका संरक्षण कई अन्य प्रजातियों को भी बचाता है। भारत में हर 4 साल की अवधि में अिखल भारतीय बाघ अनुमान कार्यक्रम (All India Tiger Estimation) आयोजित किया जाता है।

जैव विविधता का महत्व

जैव विविधता के महत्वपूर्ण होने के पीछे तर्क है कि यह पारिस्थितिकीय प्रणाली के संतुलन को बनाकर रखती है। विभिन्न प्रकार के पशु-पक्षी तथा वनस्पति एक-दूसरे की जरूरतें पूरी करते हैं, साथ ही ये एक-दूसरे पर निर्भर भी है। उदाहरण के तौर पर मनुष्य जो अपनी मूलभूत आवश्यकता जैसे खाने, रहने के लिए वह भी पशु, पेड़ और अन्य तरह की प्रजातियों पर आश्रित है। हमारी जैव विविधता की समृद्धि ही पृथ्वी को रहने के लिए तथा जीवन यापन के लायक बनाती है।

  • दुर्भाग्य से बढ़ता हुआ प्रदूषण हमारे वातावरण पर दुष्प्रभाव डाल रहा है। बहुत से पेड़-पौधे तथा जानवर प्रदूषण के दुष्परिणाम के कारण अपना अस्तित्व खो चुके हैं और कई लुप्त होने की राह पर खड़े हैं।
  • वर्तमान में भारत के 4 हाटस्पॉट क्षेत्र-
    1. पश्चिमी घाट
    2. पूर्वी हिमालय
    3. इण्डोवर्मा
    4. सुण्डालैण्ड