यात्रा और पर्यटन प्रतिस्पर्द्धात्मकता रिपोर्ट 2019

विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा यह रिपोर्ट प्रकाशित की जाती है। यात्रा और पर्यटन प्रतिस्पर्द्धात्मकता रिपोर्ट में भारत 2017 में 40वें से 2019 में 34वें स्थान पर आ गया है। शीर्ष 35 रैंक वाले देशों में एकमात्र निम्न-मध्य आय वाला देश है।

  • रिपोर्ट के अनुसार शीर्ष 35 में चीन, मैक्सिको, मलेशिया, थाईलैंड, ब्राजील और भारत ऐसे देश हैं, जो उच्च आय वाली अर्थव्यवस्था नहीं हैं, लेकिन समग्र सूची में समृद्ध प्राकृतिक और सांस्कृतिक संसाधनों एवं मजबूत मूल्य प्रतिस्पर्द्धा संयोजन के बल पर शीर्ष पर है।
  • एक उप-क्षेत्रीय दृष्टिकोण से देश (भारत) में बेहतर वायु बुनियादी ढांचे (33वें) और जमीन एवं बंदरगाह के बुनियादी ढांचे (28वें), अंतरराष्ट्रीय खुलेपन (51वें), प्राकृतिक (14वें) और सांस्कृतिक संसाधन (8वें) हैं।
  • स्पेन वैश्विक रैंक सूची में सबसे ऊपर है और इसके बाद फ्रांस, जर्मनी, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका हैं।
  • 140 अर्थव्यवस्थाओं को चार उप-सूचियों के 14 स्तंभ का उपयोग कर किसी देश की समग्र यात्रा और पर्यटन प्रतिस्पर्द्धा का आंकलन किया जाता है।

मुद्दा

आईटी क्षेत्र के लिए वीजा एक प्रमुख मुद्दा है। आव्रजन और वीजा से सम्बंधित मुद्दें भारतीय आईटी सेवा कंपनियों को नुकसान पहुँचा रहे हैं, उदाहरण स्वरूप हाल ही में एच-1बी वीजा पर अमेरिकी सरकार के कड़े रुख के कारण भारतीय कंपनियों का नुकसान होना।

  • अमेरिका में हाल ही में कर सुधारों से आउटसोर्सिंग क्षेत्र प्रभावित हो सकता है। कर अनुपालन भारत के सेवा क्षेत्र को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने का एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है।
  • नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) और रियल एस्टेट सेक्टर में घटता मुनाफा, इस क्षेत्र को प्रभावित कर रहा है।
  • भारत में एक शिपिंग कंपनी के संचालन की लागत विदेशों की तुलना में अधिक है और इसलिए विदेशी शिपिंग कंपनियां भारत में अपने जहाजों को ध्वजांकित करना पसंद नहीं करती हैं।
  • भारत में एक रियल एस्टेट परियोजना को विकसित करने के लिए एक विकासकर्ता को 35 से अधिक विनियामक अनुमोदन प्राप्त करने होते हैं, इस प्रकार विभिन्न अनुमोदन प्राप्त करने में छः से बारह महीने या उससे भी अधिक समय लग जाता है। नतीजतन, पूरी प्रक्रिया बोझिल और देरी होती है, जिससे परियोजना की लागत 20-30 प्रतिशत बढ़ जाती है।

सुझाव

भारतीय सेवा क्षेत्र में सबसे अधिक रोजगार लोच है। इस प्रकार इसमें बड़ी वृद्धि के साथ-साथ अत्यधिक उत्पादक रोजगार देने की क्षमता है, जिससे राजस्व सृजन भी होगा।

  • रोजगार सृजन से सम्बंधित चुनौती को हल करने के लिए, स्किल इंडिया कार्यक्रम के तहत 2022 तक 400 मिलियन लोगों को कौशल प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है। इसका उद्देश्य मुख्य रूप से कौशल विकास कार्यक्रमों में निजी क्षेत्र की पहलों को बढ़ावा देना है।
  • सरकार मार्केट एक्सेस इनिशिएटिव (MAI) योजना द्वारा सेवाओं में विपणन प्रयासों में मदद कर रही है।
  • ‘मेक इन इंडिया’ की तर्ज पर ‘भारत से सेवाएं’ पहल प्रारंभ करनी चाहिए, जिससे सेवा क्षेत्र को मजबूत किया जा सके।
  • सेवा निर्यात संवर्द्धन परिषद (SEPC) को और अधिक सक्रिय बनाने की भी आवश्यकता है। इस परिषद को विदेशों में भारतीय मिशनों और आईटीपीओ के साथ नेटवर्क बनाने की जरूरत है।

निष्कर्ष

सेवा क्षेत्र की वृद्धि घरेलू और वैश्विक दोनों कारकों से नियंत्रित होती है। भारतीय सुविधा प्रबंधन बाजार 2015 और 2020 के बीच 17 प्रतिशत सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है; जिसे 19 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार करने की आशा है।

  • वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के कार्यान्वयन ने एक सामान्य राष्ट्रीय बाजार बनाया है और वस्तुओं पर समग्र कर बोझ कम कर दिया है। जीएसटी इनपुट क्रेडिट के कारण लंबे समय में लागत कम होने की उम्मीद है, जिसके परिणामस्वरूप सेवाओं की कीमतों में कमी आयेगी।