टीएसआर सुब्रमण्यन समिति

भारतीय शिक्षा प्रणाली के चुनौतियों का आंकलन करने और सुधारों का सुझाव देने के उद्देश्य से वर्ष 2015 में टीएसआर सुब्रमण्यन समिति का गठन किया गया था। समिति ने शिक्षा की सुधार पर निम्नलिखित सिफारिशें दी।

अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन (ECCE): समिति के अनुसार राज्यों में ECCE का कार्यान्वयन असंगत था। सभी सरकारी स्कूलों को प्राथमिक शिक्षा के लिए सुविधाएं देने तथा चार से पांच आयु वर्ग के बच्चों के लिए ईसीसीई को एक अधिकार के रूप में घोषित किए जाने की सिफारिश की। इसमें निजी क्षेत्र के बजाय सरकार द्वारा प्री-स्कूली शिक्षा प्रदान करने की जिम्मेदारी होगी, जब तक कि बच्चे छः वर्ष की आयु तक नहीं पहुंच जाते।

  • निरोध नीतिः निरोध की नीति को कक्षा पांच (11 वर्ष की आयु) तक बनाए रखा जाना चाहिए।
  • शिक्षक प्रबंधनः समिति ने उचित गुणात्मक परिणाम के लिए एक स्वायत्त शिक्षक भर्ती बोर्ड की स्थापना, शिक्षण लाइसेंस को प्रत्येक 10 वर्षों में नवीकरण एवं चार-वर्षीय बी-एड- पाठड्ढक्रम की सिफारिश की।
  • शिक्षा में आईसीटीः शिक्षक प्रशिक्षण, वयस्क साक्षरता एवं उपचारात्मक शिक्षा और उच्च शिक्षा में शिक्षणको एक उपकरण के रूप में लिए जाने तथा ऑनलाइन कौशल आधारित पाठड्ढक्रम विकसित करने की सिफारिश की।
  • बेहतर गुणवत्ता परिणाम सुनिश्चित करने के लिए एक अिखल भारतीय शिक्षा सेवा स्थापित करना।
  • सकल घरेलू उत्पाद का 6% शिक्षा पर खर्च सुनिश्चित करना।
  • साल के अंत में छात्रों और अभिभावकों के तनाव को कम करने के लिए ऑन-डिमांड बोर्ड परीक्षा शुरू की जानी चाहिए। किसी भी स्कूल बोर्ड से बारहवीं कक्षा पूरी करने वाले प्रत्येक छात्र के लिए एक राष्ट्रीय स्तर का टेस्ट बनाए जाना चाहिए।
  • माध्यमिक स्कूलों के छात्रों को कवर करने के लिए मिड-डे मील (एमडीएम) कार्यक्रम को बढ़ाया जाना चाहिए, क्योंकि किशोरावस्था में कुपोषण और रक्ताल्पता का स्तर उच्च बना रहता है।
  • विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम को भंग किया जाना चाहिए और राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा संवर्द्धन और प्रबंधन अधिनियम (NHEPMA) प्रतिस्थापित करना चाहिए।
  • समिति की सिफारिशों, अवलोकन और राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने के लिए के- कस्तूरीरंगन समिति की स्थापना की गई।