प्रारंभिक विशेष
प्रारंभिक परीक्षा: त्वरित स्मरण विशेषांक
भारत का सामाजिक-सांस्कृतिक एवं आर्थिक इतिहास
- सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के विकसित होते स्वरूप में इतिहास अब केवल घटनाओं की कालानुक्रमिक व्याख्या तक सीमित नहीं रहा; यह समाज, संस्कृति और अर्थव्यवस्था के पारस्परिक संबंधों को समझने की परीक्षा बन गया है।
- प्रश्न अब यह जानना चाहते हैं कि किसी सामाजिक परिवर्तन ने सांस्कृतिक धारा को कैसे प्रभावित किया, किसी आर्थिक नीति ने समाज की संरचना में क्या रूपांतरण लाया, और इन सबका आधुनिक भारत के निर्माण में क्या योगदान रहा।
- इसलिए “भारत के सामाजिक–सांस्कृतिक एवं आर्थिक इतिहास” को एक समग्र दृष्टि से समझना आवश्यक है, जहाँ सामाजिक विशेषताएं, कला, धर्म, व्यापार, उत्पादन, और सामाजिक गतिशीलता एक ही ऐतिहासिक प्रक्रिया के विभिन्न आयाम बनकर उभरते हैं।
- इस अंक में इन सभी पक्षों का विवेचन UPSC की सिविल सेवा परीक्षा के दृष्टिकोण से किया गया है, ताकि अभ्यर्थी प्रत्येक प्रश्न का उत्तर उसके वैचारिक, ऐतिहासिक और समकालीन परिप्रेक्ष्य में दे सके।
- यह विशेषांक अभ्यर्थियों के लिये इतिहास के सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक पहलुओं की तैयारी को अधिक समेकित एवं प्रासंगिक बनाने का एक प्रयत्न है।

