अनुसूचित जातियों का उप-वर्गीकरण सामुदायिक विकास तथा आरक्षण नीतियों के प्रभावी अनुपालन हेतु आवश्यक
1 अगस्त, 2024 को भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की सात न्यायाधीशों की पीठ ने 6:1 के बहुमत से फैसला सुनाते हुए अनुसूचित जातियों के उप-वर्गीकरण की अनुमति दे दी। इस फैसले ने राज्यों को सार्वजनिक रोजगार और शिक्षा में व्यापक सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण बनाने की अनुमति दी है। “पंजाब राज्य बनाम दविंदर सिंह” के इस मामले में न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय ने “ई.वी. चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य” के मामले में 2004 के पिछले निर्णय को परिवर्तित कर दिया है, जिसमें इस तरह के उप-वर्गीकरण पर ....
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