पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र

हाल ही में राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (SC-NBWL) की स्थायी समिति ने राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के आसपास पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों (ESZ) की घोषणा पर सरकार के 2011 के दिशानिर्देशों पर पुनर्विचार करने का निर्णय लिया है।

  • उद्देश्य: इस निर्णय का उद्देश्य ESZ को अधिक स्थल-विशिष्ट और प्रत्येक क्षेत्र की पारिस्थितिक और सामाजिक-आर्थिक वास्तविकताओं के अनुरूप बनाना है।
  • SC-NBWL के अनुसार, हर संरक्षित क्षेत्र के चारों ओर समान रूप से 10 किलोमीटर का ESZ निर्धारित करना व्यावहारिक नहीं है, क्योंकि स्थानीय परिस्थितियाँ भिन्न-भिन्न होती हैं।
  • हिमाचल प्रदेश का लगभग 65% भूभाग पहले से ही वन भूमि या संरक्षित क्षेत्र के अंतर्गत ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री

पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी