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भारत की साइबर प्रतिरोधक क्षमता का सुदृढ़ीकरण एक राष्ट्रीय सुरक्षा अनिवार्यता - संपादकीय डेस्क - (June 2025)
साइबर ख़तरों की बढ़ती चुनौती ने साइबर प्रतिरोधक क्षमता (Cyber Resilience) को राष्ट्रीय सुरक्षा की एक अनिवार्य और सर्वोच्च प्राथमिकता बना दिया है। एक सशक्त साइबर पारिस्थितिक तंत्र यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्र अपनी डिजिटल अवसंरचना, डेटा संप्रभुता एवं नागरिकों के विश्वास की रक्षा करते हुए; न केवल साइबर हमलों का पूर्वानुमान और प्रतिरोध कर सकें, बल्कि उनसे शीघ्रता
पुनरुत्थान के मार्ग पर बिम्सटेक भारत के लिए रणनीतिक एवं आर्थिक अवसर - आलोक सिंह - (June 2025)
भारत-पाकिस्तान के तनावों के चलते सार्क (SAARC) लगभग निष्क्रिय हो गया है, ऐसे में BIMSTEC एक व्यावहारिक और महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में उभर रहा है। इसमें भारत, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार और थाईलैंड शामिल हैं, जो बंगाल की खाड़ी के ज़रिये दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया को जोड़ते हैं। BIMSTEC का यह विशिष्ट ढाँचा भारत को रणनीतिक और
डिजिटलीकरण: सामाजिक परिवर्तन का उत्प्रेरक - संपादकीय डेस्क - (June 2025)
डिजिटलीकरण भारत में सामाजिक बदलाव का एक प्रभावशाली माध्यम बनकर उभरा है, जो शिक्षा, स्वास्थ्य, नागरिक भागीदारी और महिलाओं के सशक्तीकरण जैसे क्षेत्रों में बड़ा बदलाव ला रहा है। सरकार की डिजिटल पहल ने लोगों तक सुविधाएं पहुंचाने और कामकाज को आसान बनाने में अहम भूमिका निभाई है, लेकिन डिजिटल जानकारी की कमी, ढांचागत कमजोरियां और सामाजिक असमानताएं अब भी
अमेरिका की नई टैरिफ नीति वैश्विक व्यापार युद्ध की दस्तक - डॉ. उदय भान सिंह - (May 2025)
वर्तमान वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में अमेरिका द्वारा प्रायोजित टैरिफ युद्ध व्यापक चर्चा का विषय बना हुआ है। सबसे महत्वपूर्ण तथ्य तो यह है कि वर्तमान टैरिफ युद्ध की शुरुआत संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा की गई है, जिसे मुक्त व्यापार का जन्मदाता माना जाता है और जिसने लंबे समय तक संरक्षणवाद को समाप्त करने पर ही जोर दिया था। अमेरिका के
पीटलैंड्स का संरक्षण वैश्विक तापमान वृद्धि से निपटने का सतत समाधान - संपादकीय डेस्क - (May 2025)
पीटलैंड्स का संरक्षण जलवायु परिवर्तन से निपटने का एक शक्तिशाली उपाय है, जिसे अब तक पर्याप्त महत्व नहीं दिया गया है। ये अनूठे आर्द्रभूमि पारिस्थितिक तंत्र पृथ्वी के सबसे बड़े कार्बन भंडार हैं, जो विश्व के सभी जंगलों से अधिक कार्बन संचित करते हैं। लेकिन यदि इन पर मंडराते खतरों को अनदेखा किया गया, तो यह स्थिति न केवल जलवायु
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम संभावनाएं, चुनौतियां एवं समाधान - डॉ. अमरजीत भार्गव - (May 2025)
केंद्रीय बजट 2025-26 में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) की परिभाषा में बदलाव करते हुए निवेश और वार्षिक टर्नओवर की सीमा को बढ़ा दिया गया है, ताकि अधिक उद्यम इस श्रेणी में शामिल हो सकें और सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें। इसके अलावा, पहली बार व्यापार शुरू करने वाले उद्यमियों के लिए एक विशेष योजना की घोषणा की
हिंद महासागर क्षेत्र परिवर्तनशील भू-राजनीतिक परिदृश्य में भारत की आर्थिक एवं रणनीतिक अनिवार्यताएं - आलोक सिंह - (May 2025)
हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) भारत के आर्थिक और रणनीतिक हितों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग और भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का प्रमुख क्षेत्र है। चीन की बढ़ती उपस्थिति, समुद्री सुरक्षा खतरों और पर्यावरणीय चिंताओं जैसी चुनौतियों के बीच, भारत को एक समग्र रणनीति अपनानी होगी। नौसैनिक क्षमताओं को और मजबूत करना, क्षेत्रीय साझेदारियों को बढ़ावा देना और
भारत में उच्च शिक्षा सुधार रोज़गार क्षमता और अनुसंधान मानकों में वृद्धि आवश्यक - डॉ. अमरजीत भार्गव - (April 2025)
भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली कई चुनौतियों का सामना कर रही है, जिनमें गुणवत्ता में गिरावट, रोजगारोन्मुख शिक्षा और अनुसंधान की कमी प्रमुख हैं। शिक्षकों की अनुपलब्धता और क्षेत्रीय असमानताभारत में उच्च शिक्षा के विकास में बड़ी बाधाएं हैं। व्यावहारिक कौशल, डिजिटल शिक्षा और उद्योगों के साथ साझेदारी को बढ़ावा देकर उच्च शिक्षा प्रणाली को अधिक प्रभावी और समावेशी बनाया
भारत में कौशल अंतराल - (April 2025)
भारत में कौशल अंतराल (Skill Gap) कार्यबल के कौशल और उद्योग क्षेत्र की मांग के बीच असंगतता को संदर्भित करता है, जिससे उत्पादकता और आर्थिक विकास बाधित होता है। एक बड़ी, युवा आबादी के बावजूद, भारत को तेजी से बदलती वैश्विक अर्थव्यवस्था की मांगों को पूरा करने के लिए अपने श्रम बल को आवश्यक तकनीकी, व्यावसायिक और संचार कौशल से
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम विनियामक निगरानी : भारत में डिजिटल मीडिया का विनियमन - आलोक सिंह - (April 2025)
भारत में डिजिटल मीडिया के बढ़ते प्रभाव ने स्वतंत्र अभिव्यक्ति और विनियामक नियंत्रण के बीच जटिल बहस छेड़ दी है। सरकारें जहां भ्रामक जानकारी पर रोक लगाने और जवाबदेही सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही हैं, वहीं सेंसरशिप और राज्य के अतिरिक्त हस्तक्षेप को लेकर चिंताएं भी बढ़ रही हैं। इस नाजुक संतुलन को बनाए रखना लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा
असंगठित क्षेत्र में अदृश्य कार्यबल के रूप में महिलाएं - आलोक सिंह - (March 2025)
भारत के असंगठित क्षेत्र में महिलाएं एक विशाल किन्तु अदृश्य कार्यबल के रूप में हैं, जो लिंग आधारित चुनौतियों, रोजगार असुरक्षा और सामाजिक लाभों तक सीमित पहुंच का सामना करती हैं। असंगठित क्षेत्र में महिलाओं का श्रम अक्सर अदृश्य और अवमान्य रहता है। अतः असंगठित क्षेत्र की महिलाओं को ध्यानकेंद्रित करते हुए आवश्यक नीतिगत पहलों की आवश्यकता है, ताकि महिलाएं
जलवायु परिवर्तन एवं वैश्विक दक्षिण समतापूर्ण एवं न्यायसंगत वैश्विक प्रतिक्रिया की आवश्यकता - डॉ. अमरजीत भार्गव - (March 2025)
जलवायु परिवर्तन अस्तित्व के लिए खतरा बन गया है, विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण के लिए जहां हाशिए पर पड़े समुदायों को वैश्विक उत्सर्जन में न्यूनतम योगदान के बावजूद विनाशकारी प्रभावों का सामना करना पड़ रहा है। इसके खिलाफ समतापूर्ण और न्यायसंगत वैश्विक प्रतिक्रिया के लिए विकसित देशों को वित्तीय सहायता हरित प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और कार्बन कटौती की जिम्मेदारी लेनी
ग्लोबल स्टार्टअप हब के रूप में भारत का उदय विकास के कारक एवं चुनौतियां - डॉ. अमरजीत कुमार - (March 2025)
नवाचार, डिजिटल क्रांति और सरकारी नीतियों ने भारत को वैश्विक स्टार्टअप हब के रूप में उभरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। युवा प्रतिभाओं, निवेशकों के बढ़ते सहयोग और तकनीकी प्रगति से स्टार्टअप पारिस्थितिक तंत्र मजबूत हो रहा है। हालांकि, पूंजी की उपलब्धता, नियामक जटिलताएं, बाजार प्रतिस्पर्धा और अवसंरचना संबंधी समस्याएं अभी भी महत्वपूर्ण चुनौतियां बनी हुई हैं। 16 जनवरी, 2025 को
निवारक स्वास्थ्य देखभाल स्वास्थ्य एवं कल्याण सुनिश्चित करने के लिए भारत की राष्ट्रीय प्राथमिकता - डॉ. अमरजीत कुमार - (February 2025)
निवारक स्वास्थ्य देखभाल का मतलब है बीमारियों को होने से रोकना, बजाय उनका इलाज करने के। यह एक ऐसा दृष्टिकोण है जो स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और बीमारियों के बोझ को कम करने पर केंद्रित है। भारत में गैर-संचारी रोगों का बोझ लगातार बढ़ रहा है। इन बीमारियों को रोकने के लिए निवारक स्वास्थ्य देखभाल एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत में
भारत-कुवैत रणनीतिक साझेदारी खाड़ी देशों तक भारत की पहुंच में एक महत्वपूर्ण पड़ाव - आलोक सिंह - (February 2025)
भारत-कुवैत रणनीतिक साझेदारी खाड़ी क्षेत्र के साथ भारत के बढ़ते जुड़ाव में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में संबंधों को मजबूत करते हुए, यह साझेदारी ऊर्जा सुरक्षा, व्यापार, निवेश और क्षेत्रीय स्थिरता में आपसी हितों को दर्शाती है। दोनों देशों का लक्ष्य रक्षा, प्रौद्योगिकी और मानव संसाधन विकास जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना है,
शहरी अपशिष्ट जल प्रबंधन भारत का दृष्टिकोण, चुनौतियां तथा आगे की राह - डॉ. अमरजीत भार्गव - (February 2025)
भारत में अपशिष्ट जल प्रबंधन (Wastewater Management) एक गंभीर मुद्दा है, जिसका पर्यावरण और अर्थव्यवस्था दोनों पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। जनसंख्या वृद्धि और व्यापक शहरीकरण के परिणामस्वरूप सीवेज उत्सर्जन की दर में प्राकृतिक शुद्धिकरण की दर से काफी अधिक वृद्धि हुई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, प्रभावी अपशिष्ट जल प्रबंधन हेतु उपयुक्त अपशिष्ट जल उपचार अवसंरचना एक
वैश्विक शासन सुधारित बहुपक्षवाद की आवश्यकता एवं महत्वपूर्ण मुद्दे - आलोक सिंह - (January 2025)
वैश्विक वित्तीय एवं आर्थिक प्रणाली में निरंतर अस्थिरता एवं असमानता, नए स्वास्थ्य जोखिमों की आशंका तथा वर्तमान त्रिस्तरीय ग्रहीय संकट (जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि एवं प्रदूषण) से लेकर ब्रिक्स+ एवं जी7 देशों के बीच बढ़ते मतभेदों को दूर करने की आवश्यकता तक, अलग-अलग विचार संयुक्त राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों एवं जी20 जैसे समूहों में सुधार पर वर्तमान बहस को
भारत में महिला उद्यमिता आर्थिक विकास, नवाचार एवं सामाजिक प्रगति को प्रोत्साहन - महेंद्र चिलकोटी - (January 2025)
भारत में महिला उद्यमिता में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है। महिलाएं, हलचल भरे महानगरों से लेकर ग्रामीण इलाकों तक, टेक स्टार्टअप से लेकर पारंपरिक व्यवसायों तक, रूढ़िवादिता को तोड़ रही हैं, बाधाओं को चुनौती दे रही हैं और ऐसे व्यवसाय बना रही हैं जो न केवल लाभदायक हैं बल्कि सामाजिक रूप से प्रभावशाली भी हैं। भारत में महिला उद्यमिता
जलवायु वित्तयन COP29 सम्मेलन में की गई प्रगति, चुनौतियां तथा भविष्य की राह डॉ. अमरजीत भार्गव - (January 2025)
विगत कुछ वर्षों में, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के तहत जलवायु वित्तयन (Climate Finance) के लिए अनेक तंत्र एवं कोष स्थापित किये गए हैं। इनमें वैश्विक पर्यावरण सुविधा, हरित जलवायु कोष, विशेष जलवायु परिवर्तन कोष, अल्प विकसित देशों का कोष, अनुकूलन कोष आदि शामिल हैं। परन्तु, हकीकत यह है कि विकासशील देशों को उपलब्ध कार्रवाई हेतु
भारत में जलवायु अनुकूल कृषि की आवश्यकता : चुनौतियां एवं समाधान - डॉ. अमरजीत भार्गव - (December 2024)
विकासशील देश के रूप में भारत, जलवायु संबंधी जोखिमों के प्रति अधिक संवेदनशील है। यहां की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है तथा किसानों के पास जलवायु संबंधी जोखिमों को प्रबंधित करने के लिए आवश्यक तकनीकों का अभाव है। शमन एवं अनुकूलन के उपायों के बिना, भारत में गरीब किसानों के निम्न आय, उच्च ऋण और गरीबी के चक्र में फंसने
भारत में सामाजिक उद्यमिता : उदय, प्रभाव एवं संभावनाएं - महेंद्र चिलकोटी - (December 2024)
पारंपरिक उद्यमिता के विपरीत, जो मुख्य रूप से लाभ पर केंद्रित है, सामाजिक उद्यमिता वित्तीय स्थिरता बनाए रखते हुए सकारात्मक सामाजिक प्रभाव उत्पन्न करने को प्राथमिकता देती है। सामाजिक उद्यमी, समुदायों को प्रभावित करने वाली समस्याओं को हल करने के मिशन से प्रेरित होते हैं, जो अक्सर गरीबी, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, पर्यावरणीय धारणीयता तथा सामाजिक असमानता जैसे मुद्दों के समाधान
ब्रिक्स समूह : बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत के लिए अवसर एवं चुनौतियां - आलोक सिंह - (December 2024)
ब्रिक्स का विस्तार भारत को आर्थिक सहयोग बढ़ाने, व्यापारिक संबंधों को सुदृढ़ करने, और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच अपने बढ़ते प्रभाव का लाभ उठाने का एक मंच प्रदान करता है। हालांकि, भू-राजनीतिक तनाव, विभिन्न राष्ट्रीय हितों और सदस्य राष्ट्रों के बीच आंतरिक समन्वय की कमी जैसी चुनौतियां एक रणनीतिक दृष्टिकोण की आवश्यकता उत्पन्न करती हैं। भारत को सतत विकास और
बायो -ई3 नीति : बायो- मैन्युफैक्चरिंग में नवाचार और धारणीयता को बढ़ावा - डॉ. अमरजीत भार्गव - (November 2024)
भारत में बायो-मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा, अनुसंधान और सरकारी नीतियों पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है। उच्च शिक्षा संस्थानों में बायो-मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े पाठ्यक्रमों का समावेश और स्टार्टअप्स के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग से तकनीकी विकास को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही बुनियादी ढांचे के विकास, जैसे
भारत में खाद्य सुरक्षा विनियमों का सुदृढ़ीकरण - संपादकीय डेस्क - (November 2024)
देश की बढ़ती आबादी और खाद्य उत्पादों की बढ़ती मांग के साथ, यह जरूरी है कि खाद्य सुरक्षा मानकों को मिलावट, संदूषण और अपर्याप्त प्रवर्तन जैसी आधुनिक चुनौतियों से निपटने के लिए विकसित किया जाए। सख्त अनुपालन, अधिक कठोर निरीक्षण और पारदर्शिता में वृद्धि के माध्यम से नियामक ढांचे को सुदृढ़ करने से जोखिमों को कम करने और एक सुरक्षित
भारत एवं क्वाड : एक सुरक्षित एवं समृद्ध विश्व के लिए साझेदारी का विस्तार - आलोक सिंह - (November 2024)
क्वाड के प्रति भारत का दृष्टिकोण बहुआयामी कारकों पर आधारित है तथा सुरक्षा से परे सदस्यों के बीच स्थायी सहयोग को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की उपस्थिति को देखते हुए समुद्री सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। इस संदर्भ में भारत एक व्यापक ढांचे की वकालत करता है। इसमें महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों, जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा, स्वास्थ्य,
वैश्विक दक्षिण: उभरती चुनौतियां वैश्विक एवं प्रमुख अनिवार्यताएं - डॉ. अमरजीत भार्गव - (October 2024)
ग्लोबल साउथ के देश सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु निरंतर प्रयासरत हैं। इन देशों ने न केवल अपने स्वयं के आर्थिक विकास और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक प्रगति में भी महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। ये देश अब अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक मंचों पर 'शांत बहुमत' नहीं हैं, उनकी सक्रिय
भारत-पोलैंड संबंध : रक्षा, सुरक्षा, व्यापार और प्रौद्योगिकी में सहयोग हेतु 'रणनीतिक साझेदारी' - संपादकीय डेस्क - (October 2024)
भारत और पोलैंड के बीच लगातार प्रगाढ़ होते संबंध इसलिए अहम हैं, क्योंकि दोनों देश अपने-अपने भौगोलिक क्षेत्रों में एक-दूसरे को अद्वितीय लाभ प्रदान करते हैं, जिसमें भारत एशिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, तो वहीं पोलैंड मध्य और पूर्वी यूरोप में एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में कार्य करता है, जिससे दोनों देशों के बीच की साझेदारी पारस्परिक रूप
सिविल सेवाओं में लेटरल एंट्री : एक विमर्श - आलोक सिंह - (October 2024)
लेटरल एंट्री पर बहस भारत की नौकरशाही में परंपरा एवं नवाचार के बीच द्वंद्व को उजागर करती है। यद्यपि राजनीतिक प्रतिरोध के कारण इसे अपनाने की प्रक्रिया धीमी हुई है, परन्तु शासन-प्रशासन में बाह्य विशेषज्ञता को शामिल करने के संभावित लाभों को उपेक्षित नहीं किया जा सकता। लेटरल एंट्री का भविष्य संभवतः एक ऐसे संतुलन पर निर्भर करेगा जो विशिष्ट
भारत-रूस संबंध: परिवर्तनशील वैश्विक व्यवस्था में साझेदारी का विस्तार - संपादकीय डेस्क - (September 2024)
शीत युद्ध के बाद से भारत और रूस ने एक मजबूत रणनीतिक साझेदारी कायम रखी है। इस साझेदारी को दोनों देशों के मध्य विकसित रक्षा, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सहयोग द्वारा देखा जा सकता है। विगत कुछ वर्षों में भारत ने अमेरिका तथा अन्य पश्चिमी देशों के साथ अपने संबंधों में सुधार किया है। इस
भारत का सेवा क्षेत्र: आर्थिक संवृद्धि को गति देने का एक अहम कारक - संपादकीय डेस्क - (September 2024)
सेवा क्षेत्र भारत की आर्थिक संवृद्धि की आधारशिला है, जो रोजगार और नवाचार दोनों को बढ़ावा देता है। आईटी, दूरसंचार, वित्तीय सेवाओं और पर्यटन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में इसका योगदान इसकी बहुमुखी प्रतिभा और लचीलेपन को दर्शाता है। इस क्षेत्र के तेजी से विस्तार ने न केवल जीडीपी वृद्धि को बढ़ावा दिया है, बल्कि भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को भी
समुद्री जैव विविधता का दोहन: बीबीएनजे समझौता एवं धारणीयता संबंधी चिंताएं - डॉ. अमरजीत भार्गव - (September 2024)
'राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे जैव विविधता' (BBNJ) समझौता देशों को उनके अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) से परे स्थित क्षेत्रों में अपनी रणनीतिक उपस्थिति बढ़ाने की अनुमति प्रदान करता है। इस समझौते के आधार पर समुद्री मौद्रिक लाभों को साझा करने के साथ समुद्री संरक्षण प्रयासों एवं सहयोग को मजबूत करने में मदद मिलेगी। इससे संपूर्ण मानव जाति के लाभ हेतु
भारत-बांग्लादेश सहयोग द्विपक्षीय प्रगति एवं विकास हेतु आवश्यक - संपादकीय डेस्क - (August 2024)
भारत-बांग्लादेश के मध्य ऐतिहासिक संबंधों की जड़े वर्ष 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में खोजी जा सकती हैं। समय के साथ दोनों देशों ने व्यापार, ऊर्जा, बुनियादी ढांचे, कनेक्टिविटी और रक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग को मजबूत किया है। भूमि तथा नदी जल बंटवारे पर किए गए समझौते दोनों देशों के मध्य बेहतर सहयोग एवं समन्वय का प्रतीक
भारत का गैर-धारणीय शहरीकरण चुनौतियां तथा अनिवार्यताएं - डॉ. अमरजीत भार्गव - (August 2024)
शहरी क्षेत्र आर्थिक विकास के इंजन हैं, जिन्हें धारणीय रूप से विकसित किये जाने की आवश्यकता है। धारणीय शहरीकरण (Sustainable Urbanisation) के मार्ग में आने वाली चुनौतियों को संबोधित करने के लिए नीतियों के निर्माण, कार्यान्वयन, निगरानी तथा मूल्यांकन को प्रभावी बनाया जाना चाहिए। बहु-स्तरीय समन्वय, सहयोग तथा जन-भागीदारी के माध्यम से न केवल शहरी प्रशासन को सशक्त किया जा
साइबर स्पेस की सुरक्षा भारत की चुनौतियां एवं अनिवार्यताएं - संपादकीय डेस्क - (August 2024)
वर्तमान समय में साइबर स्पेस मानव जीवन और संगठनों का एक अभिन्न एवं आवश्यक अंग बन गया है। यह सभी महत्वपूर्ण अवसंरचनाओं जैसे- विद्युत उत्पादन एवं वितरण; परिवहन; सामरिक उद्योग (Strategic industry); वित्त; दूरसंचार तथा शासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह सूचना निर्माण, विश्लेषण, भंडारण एवं पुनर्प्राप्ति का एक प्रमुख माध्यम है। संक्षेप में, साइबर स्पेस वह ऑक्सीजन बन
जलवायु परिवर्तन : महिलाओं एवं बच्चों पर प्रभाव भेद्यताओं को दूर करने की तत्काल आवश्यकता - आलोक सिंह - (July 2024)
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के अनुसार, किसी आपदा के दौरान महिलाओं और बच्चों की मृत्यु की संभावना पुरुषों की तुलना में 14 गुना अधिक होती है। जलवायु परिवर्तन, मौजूदा भेद्यताओं एवं असमानताओं को बढ़ाता है, जिससे लैंगिक समानता को बढ़ावा देने, लोचशीलता बढ़ाने तथा महिलाओं एवं बच्चों के लिए सतत विकास सुनिश्चित करने हेतु तत्काल एवं लक्षित हस्तक्षेप की
भारत में ठोस अपशिष्ट का कुप्रबंधन सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा - संपादकीय डेस्क - (July 2024)
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (Solid Waste Management) की प्रक्रिया में मानवीय गतिविधियों से उत्पन्न ठोस अपशिष्ट को एकत्रित करने, उपचारित करने, निपटान करने तथा पुनर्चक्रण करने की व्यवस्थित शृंखला को शामिल किया जाता है। कानूनी हितधारकों के बीच अस्पष्टता, जागरूकता की कमी तथा अनियमित विनियामकीय प्रवर्तन ठोस अपशिष्ट के कुशल प्रबंधन में प्रमुख बाधाएं हैं। प्रौद्योगिकी का उपयोग करके अपशिष्ट प्रबंधन
डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर भारत के सामाजिक रूपांतरण का एक मूलभूत चालक - डॉ. अमरजीत भार्गव - (July 2024)
डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के उद्भव से भारत में ई-गवर्नेंस प्रयासों को व्यापक बल मिला है। इससे नागरिक, सरकारी सेवाओं की एक विस्तृत शृंखला तक ऑनलाइन पहुंच बनाने में सक्षम हुए हैं। सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना DPI सभी व्यक्तियों एवं व्यवसायों को डिजिटल अर्थव्यवस्था से जोड़ने का कार्य कर रहा है। भारत की डीपीआई पहल, जिसे 'इंडिया स्टैक' के
पश्चिमी एशिया संकट : भारत एवं विश्व पर प्रभाव - संपादकीय डेस्क - (June 2024)
संयुक्त राष्ट्र महासचिव-एंटोनियो गुटेरेस ने ईरान के दूतावास परिसर पर हवाई हमले के जवाब में चेतावनी दी कि, “पश्चिमी एशिया पूर्ण पैमाने पर संघर्ष का सामना कर रहा है।" यह घटना व्यापक पश्चिम एशिया या मध्य पूर्व की उथल-पुथल की एक झलक है, जो अस्थिरता, छद्म युद्ध और नव-औपनिवेशिक महत्वाकांक्षाओं से भरी हुई है। क्षेत्र की रणनीतिक जटिलता भू-राजनीतिक, भू-आर्थिक
जलवायु प्रत्यास्थ कृषि : धारणीयता एवं खाद्य सुरक्षा हेतु आवश्यक - संपादकीय डेस्क - (June 2024)
वैश्विक स्तर पर जलवायवीय अनिश्चितता संपूर्ण मानव समुदाय के समक्ष विभिन्न चुनौतियां उत्पन्न कर रही है| ऐसे में सर्वाधिक विकराल समस्या जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली खाद्य असुरक्षा की है। परिवर्तनशील जलवायु को देखते हुए अब कृषि क्षेत्र में भी परिवर्तन वर्तमान समय की मांग है। ऐसे में ‘जलवायु प्रत्यास्थ कृषि’ (Climate Resilient Agriculture) जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न
भारत के अनौपचारिक क्षेत्र का औपचारीकरण : आर्थिक गतिविधियों के औपचारीकरण हेतु नीतिगत उपायों की आवश्यकता - डॉ. अमरजीत भार्गव - (June 2024)
अनौपचारिक अर्थव्यवस्था उन उद्यमों का प्रतिनिधित्व करती है जो पंजीकृत नहीं हैं, तथा जहां नियोक्ताओं द्वारा कर्मचारियों को पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा तथा अन्य लाभ प्रदान नहीं किए जाते हैं। अर्थव्यवस्था में औपचारिक क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा नियामक प्रक्रियाओं को सरल बनाने, अनुपालन बोझ को कम करने, प्रोत्साहन प्रदान करने, कौशल विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा देने तथा
भारत-भूटान संबंध : द्विपक्षीय प्रगति एवं विकास हेतु सहयोग आवश्यक - संपादकीय डेस्क - (May 2024)
शैक्षिक कार्यक्रमों, पर्यटन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से भारत एवं भूटान के मध्य सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिला है। लोगों के बीच आपसी संबंधों को मजबूत करने के लिए दोनों देशों द्वारा दूरदर्शी एवं सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए। दोनों देश द्विपक्षीय समझौतों की नियमित समीक्षा के लिए सहयोगी तंत्र स्थापित कर सकते हैं, इससे बदलती भू-राजनीतिक गतिशीलता के
भारत की पेटेंट व्यवस्था : नवाचार एवं आर्थिक विकास हेतु इसका सुदृढ़ीकरण आवश्यक - डॉ. अमरजीत भार्गव - (May 2024)
कसी भी देश की पेटेंट व्यवस्था (Patent Regime), उसके बौद्धिक संपदा ढांचे, नवाचार और तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारत में लागू पेटेंट कानूनों का प्राथमिक उद्देश्य आविष्कारकों को एक विशिष्ट अवधि के लिए उनके आविष्कारों पर विशेष अधिकार प्रदान करके नवाचार और तकनीकी प्रगति को प्रोत्साहित करना है। पेटेंट व्यवस्था को नवाचार एवं विकास
सतत भूमि प्रबंधान : भूमि क्षरण की रोकथाम एवं पारिस्थितिक तंत्र के संरक्षण हेतु महत्वपूर्ण - संपादकीय डेस्क - (May 2024)
विश्व भर में, वनों की कटाई, अत्यधिक चराई, मिट्टी के कटाव और अस्थिर कृषि पद्धतियों के कारण भूमि क्षरण और मरुस्थलीकरण में तेजी आई है। ये स्थितियां उत्पादकता को कम करती हैं और खाद्य असुरक्षा, कुपोषण, गरीबी तथा संघर्ष को बढ़ाती हैं। इसलिए, मानव और पारिस्थितिक तंत्र की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, भूमि और संसाधनों की प्रतिस्पर्धी मांगों
भारत-यूएई संबंधा : आपसी सहयोग के नये क्षितिज की खोज - संपादकीय डेस्क - (April 2024)
भारत-यूएई संबंध भारत की ‘विस्तारित पड़ोस की नीति’ और ‘पश्चिम की ओर देखो नीति’ की धुरी बन गए हैं। साझा आर्थिक दृष्टिकोण और भू-राजनीतिक दृष्टिकोण ने दोनों पक्षों को कई क्षेत्रों, विशेष रूप से निवेश, प्रौद्योगिकी और ज्ञान अर्थव्यवस्था तथा रक्षा और सुरक्षा में सहयोग का विस्तार करने के लिए प्रेरित किया है। संयुक्त अरब अमीरात में लगभग 30 लाख
भारत में हरित ऊर्जा : विजन, संभावनाएं एवं चुनौतियां - महेंद्र चिलकोटी - (April 2024)
भारत हरित ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से विकास कर रहा है। स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता पिछले 8 वर्षों में 396% बढ़ी है, जो 179 गीगावॉट (नवंबर 2023 तक) तक पहुंच गई है; यह कुल क्षमता का 42% है। हरित ऊर्जा के प्रति भारत की प्रतिबद्धता स्पष्ट है तथा निरंतर नीतिगत समर्थन, तकनीकी प्रगति एवं घटती लागत के साथ, भारत
ग्रामीण भारत का डिजिटल रूपांतरण : ग्रामीण समुदायों के विकास हेतु प्रौद्योगिकी का उपयोग - डॉ. अमरजीत भार्गव - (April 2024)
ग्रामीण क्षेत्रों की आजीविका में सुधार के लिए डिजिटल अनुप्रयोगों में व्यापक संभावनाएं हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा डिजिटल नवाचार के लिए सक्षम वातावरण प्रदान करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। मौजूदा नीतियों में सुधार के माध्यम से भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को और अधिक कुशल एवं उन्नत बनाने की
दिव्यांग व्यक्तियों का सशक्तीकरण : अधिकार आधारित दृष्टिकोण और समावेशी समाज की ओर बढ़ते कदम - संपादकीय डेस्क - (March 2024)
भारत की कुल दिव्यांग आबादी का लगभग 45% हिस्सा अशिक्षित है, इसके अलावा शिक्षित दिव्यांग व्यक्तियों में से लगभग 59% मात्र 10वीं पास हैं। दिव्यांग व्यक्तियों (Person with Disabilities-PwD) को समाज में भेदभाव और उपेक्षा का भी सामना करना पड़ता है। सरकार ने दिव्यांग लोगों के कल्याण हेतु अनेक योजनाएं संचालित की हैं, बावजूद इसके दिव्यांग व्यक्तियों को अनेक चुनौतियों
STEM क्षेत्र में महिलाए : विविधता एवं समावेशन को बढ़ावा देने की आवश्यकता - संपादकीय डेस्क - (March 2024)
परंपरागत भारतीय समाज में लड़कियों और महिलाओं को संपूर्ण शिक्षा के दौरान विज्ञान और गणित से व्यवस्थित रूप से दूर रखा जाता है। इससे वयस्क के रूप में इन विषयों तक उनकी पहुंच, तैयारी और काम करने के अवसर प्रतिबंधित होते हैं। अधिक से अधिक लड़कियों और महिलाओं को STEM शिक्षा और कॅरियर में लाने के लिए समग्र एवं एकीकृत
भारत-फ्रांस संबंध : सहयोग के प्रमुख क्षेत्र, चुनौतियां एवं आगे की राह - डॉ. अमरजीत भार्गव - (March 2024)
भारत और फ्रांस स्वतंत्र विदेश नीति तथा सामरिक स्वायत्तता बनाए रखने को महत्व देते हैं। भारत के परमाणु परीक्षण के दौरान फ्रांस का समर्थन और वर्ष 1998 में रणनीतिक साझेदारी की स्थापना इस आपसी समझ को रेखांकित करती है। यह दृष्टिकोण रूस-यूक्रेन संघर्ष पर अलग-अलग रुख सहित वैश्विक मुद्दों से निपटने में स्पष्ट है। दोनों देशों के मध्य द्विपक्षीय संबंधों
कॉप-28 सम्मेलन : प्रमुख परिणाम एवं भविष्य की राह - महेंद्र चिलकोटी - (February 2024)
रियो शिखर सम्मेलन एवं जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के आरंभ के बाद से विगत तीन दशकों में UNFCCC के पक्षकारों के सम्मेलन (CoP) ने महत्वाकांक्षा और जिम्मेदारियों को निर्धारित करने, उनकी पहचान करने तथा जलवायु उपायों का आकलन करने के लिए प्रत्येक वर्ष सदस्य देशों को आमंत्रित किया है। सम्मेलन के 21वें सत्र में पेरिस समझौता
अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संरचना : समावेशी विकास में प्रगति हेतु व्यापक सुधार की आवश्यकता - संपादकीय डेस्क - (February 2024)
यह सभी विकसित और विकासशील देशों के हित में है कि वे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संरचना में सुधार करें, ताकि वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में विश्वास बहाल किया जा सके और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंधों में दिखाई देने वाले बिखराव और विखंडन को रोका जा सके।हाल ही में आयोजित CoP28 सम्मेलन के दौरान ‘वैश्विक स्टॉकटेक’ (Global Stocktake) ने बहुपक्षीय वित्तीय संरचना में सुधार
भारतीय आपराधिाक न्याय प्रणाली : नीतिगत अस्पष्टता को दूर करने के लिए सुधारोन्मुख प्रयास - डॉ. अमरजीत भार्गव - (February 2024)
भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली अनुशासन बनाए रऽने एवं सख्ती पर जोर देती है, जबकि इसके लिए समानुभूति से प्रेरित सुधारोन्मुखी उपायों की ओर कदम बढ़ाने की आवश्यकता है। देश की आपराधिक न्याय प्रणाली दिशाहीन है तथा नीतिगत अस्पष्टता की स्थिति में है। अतः यह अपेक्षा है कि सरकार द्वारा लाए गए नये कानून आपराधिक न्याय प्रणाली में नीतिगत अस्पष्टता
भारत में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को प्रोत्साहन : व्यापक क्षमता एवं अपार आर्थिक संभावनाओं के अवसर - महेंद्र चिलकोटी - (January 2024)
भारत का खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र विश्व के सबसे व्यापक तथा सर्वाधिक विविधतापूर्ण क्षेत्रों में से एक है, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद में 10% से अधिक का योगदान देता है तथा 4.4 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है। यह आर्थिक वृद्धि का एक प्रमुख चालक है; इसीलिये सरकार ने इसे विकास के एक प्राथमिकता वाले क्षेत्र
पश्चिमी घाट का संकटग्रस्त पारिस्थितिक तंत्र : वैश्विक जैव विविधाता हॉटस्पॉट हेतु संरक्षण अनिवार्यताएं - संपादकीय डेस्क - (January 2024)
पश्चिमी घाट के वनों, झीलों तथा नदियों का यहां की पारिस्थितिक विविधता को बनाए रखने में एक विशेष स्थान है। अतः इनके द्वारा प्रदान की जाने वाली पारिस्थितिक सेवाओं का समय-समय पर मूल्यांकन किया जाना चाहिए एवं इन्हें सर्वाधिक नुकसान पहुंचाने वाली खनन तथा औद्योगिक गतिविधियों के बेहतर प्रबंधन हेतु स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाने चाहिए।हाल ही में, भारतीय प्रौद्योगिकी
भारत में उभरती राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियां : एक व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की आवश्यकता - डॉ. अमरजीत भार्गव - (January 2024)
विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के रूप में भारत एक तरफ जहां तीव्र आर्थिक प्रगति के साथ वैश्विक कूटनीति में अग्रणी भूमिका निभा रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ देश में आधुनिक प्रौद्योगिकियों के विस्तार के साथ विशिष्ट नवीन सुरक्षा चुनौतियां भी उत्पन्न हुई हैं। इस प्रकार की सुरक्षा चुनौतियां केवल सैन्य और परमाणु हमलों तक सीमित नहीं हैं,
कृषि अवसंरचना : भारतीय कृषि में महत्वपूर्ण अंतरालों को दूर करने के लिए आवश्यक - संपादकीय डेस्क - (December 2023)
वर्तमान समय में कृषि विकास में सहायक बुनियादी ढांचे को विकसित करना तो आवश्यक है ही, साथ ही वर्तमान बुनियादी ढांचे में भविष्य की आवश्यकताओं के अनुसार बदलाव लाने की भी आवश्यकता है। विकसित देशों में प्रसंस्करण एवं कृषि संबंधी अन्य गतिविधियों में इंटरनेट एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे व्यापक प्रयोग किये जा रहे हैं। तकनीकी प्रगति पर आधारित इस प्रकार
भारत-मालदीव संबंध : सामरिक, भू-राजनीतिक एवं आर्थिक चिंताओं को संबोधित करना आवश्यक - डॉ. अमरजीत भार्गव - (December 2023)
भारत-मालदीव संबंधों का विकास मजबूत नींव पर हुआ है। दोनों देशों के मध्य विकसित सहयोग को विभिन्न संकटों के समय भारत के ऐतिहासिक समर्थन और लोगों के आपसी संबंधों द्वारा चिह्नित किया जा सकता है। मालदीव की भारत के पश्चिमी तट से निकटता तथा हिंद महासागर से होकर गुजरने वाले वाणिज्यिक समुद्री मार्गों के केंद्र में इसकी अवस्थिति इसे भारत
हिमालयी पारिस्थितिक तंत्र की भेद्यताएं : क्षेत्र-विशिष्ट पर्यावरणीय प्रभाव आकलन व्यवस्था की आवश्यकता - महेंद्र चिलकोटी - (December 2023)
क्षेत्र-विशिष्ट पर्यावरणीय प्रभाव आकलन की आवश्यकता इस तथ्य से स्पष्ट होती है कि विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट पारिस्थितिक एवं सामाजिक विशेषताएं होती हैं, जिन पर विकास परियोजनाओं और नीतियों का अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। क्षेत्र-विशिष्ट पर्यावरणीय प्रभाव आकलन इन संभावित प्रभावों की पहचान करने, उनका आकलन करने तथा नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए शमन रणनीति विकसित करने में
हिंद महासागरीय क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा चुनौतियां : क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता हेतु राष्ट्रों के बीच अधिक सहयोग की आवश्यकता - संपादकीय डेस्क - (November 2023)
हिंद महासागरीय क्षेत्र का विशाल आकार सुरक्षा संबंधी चुनौतियों के उत्पन्न होने पर खोज और बचाव कार्यों को जटिल बनाता है। इसके कारण समुद्री आपात स्थितियों तथा प्राकृतिक आपदाओं के समय प्रतिक्रिया करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। इस क्षेत्र में प्रमुख वैश्विक शिपिंग मार्ग स्थित हैं, जिनमें मलक्का जलडमरूमध्य एवं होर्मुज जलडमरूमध्य जैसे शिपिंग लेन तथा चोकपॉइंट शामिल हैं। हाल ही
डिजिटल समावेशन : आधुनिक एवं सशक्त समाज के निर्माण हेतु आवश्यक - संपादकीय डेस्क - (November 2023)
डिजिटल समावेशन की अवधारणा को 21वीं सदी में व्यापक रूप से महत्व मिला है। डिजिटल क्षेत्र एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में लाखों रोजगार उत्पन्न हुए हैं तथा डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग बैंकिंग से लेकर कृषि एवं रक्षा तक सभी क्षेत्रों में किया जा रहा है। 2014 से भारत सरकार ने विभिन्न उपायों द्वारा डिजिटलीकरण लाने में सक्रिय भागीदारी निभाई है।
भारत का G20 नेतृत्व : समावेशी विश्व व्यवस्था के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव - डॉ. अमरजीत भार्गव - (November 2023)
सभी सदस्य देशों द्वारा 'नई दिल्ली घोषणा-पत्र' को एकमत से स्वीकार किए जाने से यह तथ्य स्पष्ट होता है कि भारत, इस सम्मेलन में बड़ी शक्तियों के बीच मतभेद को समाप्त करने में सक्षम रहा है। गौरतलब है कि पिछले वर्ष के G20 सम्मेलन के बाद से ही विश्व की महाशक्तियों के बीच मतभेद काफी बढ़ गए थे। G20 की
भारत में मादक द्रव्यों का सेवन : नशा-मुक्त समाज के निर्माण हेतु बहुआयामी दृष्टिकोण आवश्यक - संपादकीय डेस्क - (October 2023)
भारतीय संविधान में राज्य नीति के निदेशक सिद्धांतों के तहत अनुच्छेद-47 में राज्यों को निर्देश दिए गए हैं कि वे सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करने तथा हानिकारक नशीली दवाओं एवं मादक पेय पदार्थों के सेवन पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास करें। देश में मादक द्रव्यों एवं नशीली दवाओं के खतरों को कम करने के लिए राज्यों तथा पड़ोसी देशों के
15वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन समूह के विस्तार का भारत के लिए निहितार्थ एवं चुनौतियां - महेंद्र चिलकोटी - (October 2023)
15वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन समूह का विस्तार करने तथा इसे आधुनिक बनाने के संदर्भ में उल्लेखनीय रहा। इसने एक मजबूत संकेत भेजा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की वैश्विक व्यवस्था को वर्तमान की बहुध्रुवीय वास्तविकता को स्वीकार करना होगा तथा इसके अनुरूप परिवर्तन करना होगा। 22-24 अगस्त, 2023 के मध्य दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में स्थित सैंडटन कन्वेंशन सेंटर (SCC)
सर्कुलर इकोनॉमी : सतत भविष्य की ओर भारतीय अर्थव्यवस्था का संक्रमण - संपादकीय डेस्क - (October 2023)
चक्रीय अर्थव्यवस्था या सर्कुलर इकोनॉमी द्वारा जहां एक तरफ अकुशल या अर्द्ध-कुशल जनसंख्या हेतु रोजगार के नए अवसर उत्पन्न किये जा सकेंगे, वहीं दूसरी ओर भारतीय अर्थव्यवस्था को अधिक संसाधन कुशल भी बनाया जा सकेगा। यह देश के लोगों को पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक लाभ भी प्रदान करेगा। ऐसे में सरकार को सर्कुलर इकोनॉमी से संबंधित उचित नीति निर्माण करने
चंद्रयान-3 मिशन : भारत की अंतरिक्ष यात्रा में महत्वपूर्ण मील का पत्थर - डॉ. अमरजीत भार्गव - (October 2023)
भारत के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र में विशाल अप्रयुक्त क्षमता विद्यमान है। सरकार द्वारा पर्याप्त नीतिगत उपायों के माध्यम से इस क्षमता का उपयोग देश को अंतरिक्ष क्षेत्र में विश्व की महाशक्तियों के समकक्ष खड़ा करने हेतु किया जा सकता है। इसरो के अनुभवों से पता चलता है कि अंतरिक्ष गतिविधियां अत्यंत खर्चीली होती हैं तथा निजी क्षेत्र को बढ़ावा देकर
खनिज संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग : सतत आर्थिक संवृद्धि एवं संतुलित क्षेत्रीय विकास हेतु आवश्यक - नवीन चंदन - (September 2023)
भारत महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों का एक प्रमुख उत्पादक राष्ट्र है। भारत की जनसंख्या एवं प्रति व्यक्ति खनिज की खपत दोनों तेजी से बढ़ रही है जिसके कारण खनिज संसाधनों पर मांग पूरा करने का दबाव बढ़ रहा है। खनिज संसाधन सामाजिक समावेशन, पर्यावरणीय स्थिरता और आर्थिक विकास को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं, इसलिए इनका विवेकपूर्ण उपयोग करने की
भारत- फ्रांस संबंध : दीर्घकालिक द्विपक्षीय सहयोग की रणनीति पर बढ़ते कदम - डॉ. अमरजीत भार्गव - (September 2023)
भारत एवं फ्रांस अपने संप्रभु एवं रणनीतिक हितों के अनुरूप आपसी सहयोग को बढ़ावा दे रहे हैं। दोनों देश लोकतंत्र के प्रति साझा प्रतिबद्धता के साथ बहुपक्षवाद तथा अंतरराष्ट्रीय कानूनों का समर्थन करते हैं। पिछले 25 वर्षों में फ्रांस और भारत के मध्य विकसित विश्वास एवं एकजुटता वर्तमान दौर की कठिन वैश्विक चुनौतियों से निपटने हेतु आवश्यक है। दोनों देश
भारत में कृषक उत्पादक संगठन : कृषि क्षेत्र में समृद्धि का आधार - संपादकीय डेस्क - (September 2023)
भारतीय कृषि क्षेत्र को गति देने में कृषक उत्पादक संगठन (FPOs) महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। कृषक उत्पादक संगठनों के महत्व को देखते हुए सरकार, अनुकूल नीति निर्माण के माध्यम से इनके सशत्तफ़ीकरण को बढ़ावा दे रही है। इन संगठनों की भूमिका किसानों की आय को दोगुना करने में भी सहायक मानी जा रही है। मौजूदा समय में ये कृषक
भारत में हरित वित्तपोषण पारितंत्र : नीतिगत ढांचा, चुनौतियां तथा अनिवार्यताएं - संपादकीय डेस्क - (September 2023)
हरित वित्तपोषण, पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ परियोजनाओं के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान करके भारत में धारणीय भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। सरकार द्वारा किये गए प्रयास, निजी क्षेत्र की भागीदारी एवं बढ़ते प्रौद्योगिकी-अनुकूलन ने साथ मिलकर देश में हरित वित्त के विकास को तीव्र किया है। हरित वित्तपोषण को अपनाने से सतत विकास में वृद्धि, कार्बन पदचिह्न
भारत का लॉजिस्टिक्स क्षेत्र : आर्थिक विकास को बढ़ावा देने हेतु प्रभावी प्रबंधन की आवश्यकता - डॉ. अमरजीत भार्गव - (August 2023)
भारत का लक्ष्य निकट भविष्य में 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था और 2047 तक एक विकसित अर्थव्यवस्था बनना है। इस दिशा में, कनेक्टिविटी तथा मजबूत लॉजिस्टिक्स बुनियादी ढांचे का विकास अत्यंत महत्वपूर्ण है। लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में परिवहन तथा भंडारण सुविधाओं के विकास के साथ वाणिज्यिक रियल एस्टेट और औद्योगिक पार्कों के विकास को बढ़ावा मिलेगा। इससे भारतीय उद्योग को
भारत में सौर अपशिष्ट प्रबंधन : सतत ऊर्जा का सतत समाधान - महेंद्र चिलकोटी - (August 2023)
स्वच्छ ऊर्जा की ओर संक्रमण से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद मिल सकती है तथा भारत ने वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन से 50% उत्पादन क्षमता प्राप्त करने का एक बड़ा लक्ष्य निर्धारित किया है। नवीकरणीय ऊर्जा का बड़ा हिस्सा सौर ऊर्जा का है। भारत में सौर ऊर्जा के लिए निश्चित तौर पर अनुकूल परिस्थितियां हैं,
भारत में भू-जल संरक्षण की चुनौतियां : भविष्य में जल सुरक्षा हेतु संरक्षण एवं प्रबंधान की अनिवार्यताएं - संपादकीय डेस्क - (August 2023)
भारत का भू-जल संसाधन देश की जल आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आर्थिक विकास के साथ ही देश की बढ़ती आबादी की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए भू-जल का निष्कर्षण बढ़ा है। जलवायु परिवर्तन, वैश्विक ऊष्मन आदि कारकों ने जल की उपलब्धता पर विपरीत प्रभाव डाला है। भविष्य में जल सुरक्षा पर आसन्न खतरे को
भूमि पुनर्स्थापन : मानवीय कल्याण एवं सतत भविष्य की कुंजी - संपादकीय डेस्क - (July 2023)
हमारे समाज एवं अर्थव्यवस्था की नींव स्वस्थ एवं उत्पादक भूमि संसाधनों पर निर्भर है। वैश्विक स्तर पर लगभग 44 ट्रिलियन डॉलर का आर्थिक उत्पादन किसी न किसी रूप में प्राकृतिक संसाधनों पर टिका हुआ है। ऐसे में मनुष्य की भलाई और सतत भविष्य के लिए भूमि का संरक्षण, प्रबंधन और पुनर्स्थापन एक वैश्विक अनिवार्यता है। हाल ही में मरुस्थलीकरण का मुकाबला
महिलाओं के नेतृत्व में विकास : समता एवं समावेशन की दिशा में एक बदलाव - संपादकीय डेस्क - (July 2023)
भारत में महिलाओं की स्थिति में सुधार किये बिना, देश की आधी आबादी का कल्याण सुनिश्चित नहीं किया जा सकता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार, नए भारत के भव्य विजन के केंद्र में महिलाएं हैं। भारत को महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की जरूरत है, जो समग्र रूप से देश को विकास पथ पर अग्रेषित कर सकता है। आधुनिक शिक्षा
समग्र स्वास्थ्य गंतव्य के रूप में भारत : अवसरों के निर्माण हेतु केंद्रीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता - डॉ. अमरजीत भार्गव - (July 2023)
भारत में वैदिक काल से ही चिकित्सा का समृद्ध इतिहास रहा है। भारत में वर्षों से योग एवं ध्यान के साथ-साथ प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी जैसी चिकित्सा सेवाओं को महत्व दिया जाता रहा है, अब इन्हें बेहतर स्वास्थ्य लाभों के लिए विश्व भर में स्वीकार किया जाता है। तीव्र जीवन शैली के आधुनिक युग में स्वास्थ्य कल्याण
सतत वन प्रबंधन : वनों के भविष्य को संरक्षित करने की कुंजी - महेंद्र चिलकोटी - (July 2023)
भारत के पारिस्थितिक कल्याण, जैव विविधता संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन शमन प्रयासों के लिए सतत वन प्रबंधन अत्यंत महत्वपूर्ण है। सतत वन प्रबंधन का विचार इस विश्वास पर आधारित है कि वन मूल्यवान एवं जटिल पारिस्थितिक तंत्र हैं, जिन्हें इस तरह से प्रबंधित किया जाना चाहिए कि उनके दीर्घकालिक स्वास्थ्य एवं कार्यप्रणाली तथा मनुष्य की वर्तमान एवं भावी पीढ़ियों हेतु
भारत की नई अंतरिक्ष नीति : अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का संवर्धन - महेंद्र चिलकोटी - (June 2023)
भारत सरकार ने वर्ष 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र में सभी गतिविधियों के लिए गैर-सरकारी इकाइयों की भागीदारी बढ़ाने तथा उन्हें एक समान अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधारों की शुरुआत की थी। इन सुधारों के बाद, सरकार देश में एक फलता-फूलता सक्षम अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी वातावरण बनाने के लिए विभिन्न हितधारकों द्वारा अंतरिक्ष गतिविधियों के लिए नियामक
भारत में निवारक स्वास्थ्य देखभाल : गुणवत्तापूर्ण जीवन के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु आवश्यक - संपादकीय डेस्क - (June 2023)
वर्तमान समय में निवारक स्वास्थ्य देखभाल, स्वास्थ्य सेवा के महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में उभरा है। निवारक स्वास्थ्य सेवाओं के कारण प्रारंभिक अवस्था में ही किसी बीमारी का निदान प्राप्त हो सकता है तथा एक व्यक्ति एवं उसके परिवार को गंभीर शारीरिक, भावनात्मक और वित्तीय कठिनाइयों से सुरक्षा मिल सकती है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2023-24 के बजट में स्वास्थ्य एवं
भारत में सेमीकंडक्टर पारिस्थितिक तंत्र : को प्रोत्साहन आर्थिक लाभ का दोहन तथा आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम - संपादकीय डेस्क - (June 2023)
भारत में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों तथा मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या काफी अधिक है, परन्तु इनमें प्रयोग की जाने वाली सेमीकंडक्टर चिप के लिए भारत, पूर्ण रूप से विदेशी आयात पर निर्भर है। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार द्वारा सेमीकंडक्टर नीति का निर्माण किया गया है तथा अगले 6 वर्षों में सेमीकंडक्टर्स और इनके विनिर्माण पारिस्थितिक तंत्र के
वैश्विक दक्षिण एवं भारत : समतामूलक विश्व व्यवस्था हेतु प्रबल राजनीतिक इच्छाशक्ति एवं प्रतिबद्धता आवश्यक - डॉ. अमरजीत भार्गव - (June 2023)
कोविड-19 महामारी की चुनौतियों, ईंधन, उर्वरक एवं खाद्यान्न की बढ़ती कीमतों तथा बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों ने वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) के लिए विकासात्मक प्रयासों को प्रभावित किया है। भारत ने हमेशा ग्लोबल साउथ के देशों के साथ अपने विकास अनुभव साझा किए हैं, इससे भारत की ग्लोबल साउथ की चिंताओं को व्यक्त करने वाले संवेदनशील देश के रूप में पहचान
सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में भारत का प्रदर्शन: चुनौतियां एवं भावी कार्यनीति का रोडमैप - नवीन चंदन - (May 2023)
सतत विकास लक्ष्य, पर्यावरण संरक्षण और विकास के बीच संतुलन स्थापित करने पर जोर देते हैं, ताकि वर्तमान पीढ़ियों की आवश्यकता पूर्ति के साथ ही भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों को भी पूरा किया जा सके। ये आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय की स्थापना करने में भी सहायक हैं। भारत द्वारा वर्ष 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने
भारतीय रुपये का अंतरराष्ट्रीयकरण: भारत के वैश्विक दर्जे की प्रगति की दिशा में एक कदम - महेंद्र चिलकोटी - (May 2023)
मुद्रा का अंतरराष्ट्रीयकरण एक नीतिगत मुद्दा है तथा यह इसे जारी करने वाले देश के व्यापक आर्थिक उद्देश्यों पर निर्भर करता है। इसमें पूंजी खाता उदारीकरण की सीमा जैसे विभिन्न नीतिगत मुद्दे शामिल हैं। व्यवहार में उदारीकरण के दृष्टिकोण में सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। वृहत् आर्थिक असंतुलन की स्थिति में पूंजी खाता उदारीकरण से उतना ही नुकसान होने
पश्चिम एशिया की परिवर्तनशील भू-राजनीति: भारत एवं विश्व के लिए निहितार्थ - डॉ. अमरजीत भार्गव - (May 2023)
वर्ष 1942 में 'निकोलस स्पाइकमैन' ने वैश्विक राजनीतिक केंद्र बिंदुओं के संदर्भ में प्रतिपादित 'मैकाइंडर' के 'हार्टलैंड सिद्धांत' (Heartland theory) के प्रत्युत्तर में अपना 'रिमलैंड सिद्धांत' (Rimland Theory) प्रस्तुत किया था। 'हार्टलैंड सिद्धांत' जहां उत्तर-पूर्वी साइबेरियाई क्षेत्र को विश्व राजनीति की धुरी मानता था तो वहीं दूसरी तरफ 'रिमलैंड सिद्धांत' में पश्चिमी तथा मध्य एशियाई क्षेत्र को वैश्विक राजनीति का
डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर : भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में भूमिका एवं महत्व - डॉ. अमरजीत भार्गव - (April 2023)
विश्व के सभी देश अपनी विकास यात्रा में डिजिटलीकरण पर निर्भर हैं तथा डिजिटल अवसंरचना को महत्वपूर्ण आधारभूत संरचना के रूप में स्वीकार किया जाने लगा है। एक मजबूत डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर उत्पादकता को बढ़ाकर और जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि करने वाली सुविधाएं प्रदान करके आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है। वर्तमान समय में, किसी भी देश के विकास
रोगाणुरोधी प्रतिरोध : उभरता वैश्विक स्वास्थ्य जोखिम - संपादकीय डेस्क - (April 2023)
वर्तमान में रोगाणुरोधी प्रतिरोध विश्व की प्रमुख स्वास्थ्य देखभाल चुनौतियों में से एक के रूप में उभर रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रोगाणुरोधी प्रतिरोध को शीर्ष 10 वैश्विक स्वास्थ्य खतरों में से एक के रूप में पहचाना है। विश्व के सभी विकसित एवं विकासशील देशों में रोगाणुरोधी प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance-AMR) चिंता का विषय है। इसी तथ्य को ध्यान में
समुद्री जैव-विविधता की सुरक्षा : महासागरीय स्थिरता की दिशा में एक आवश्यक कदम - संपादकीय डेस्क - (April 2023)
पृथ्वी के लगभग 71% क्षेत्र पर महासागरों का विस्तार है तथा विश्व के लगभग 123 देशों तक तटीय एवं समुद्री पारिस्थितिक तंत्र का विस्तार देखने को मिलता है। समुद्री जैव-विविधता की विस्तृत शृंखला में अब तक जीव-जंतुओं की लगभग 40,000 प्रजातियों की खोज की गई है। समुद्री पौधों तथा घासों की विभिन्न प्रजातियां समुद्री जैव-विविधता को और भी अधिक समृद्ध
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की नैतिकता : जिम्मेदारीपूर्ण उपयोग हेतु प्रभावी विनियामक ढांचे की आवश्यकता - संपादकीय डेस्क - (April 2023)
वर्तमान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग दैनिक जीवन में सतत आधार पर किया जा रहा है। ऐसे में एआई से संबंधित प्रौद्योगिकी एवं नवाचार, मानवीय क्रियाकलापों को परिवर्तित कर रहे हैं। एआई प्रौद्योगिकी मानव बुद्धिमत्ता का पूरक बनने तथा सामाजिक-आर्थिक समस्याओं से निपटने के लिए ढेरों अवसर प्रदान करती है, लेकिन इसके व्यापक रूप से उपयोग के कारण निष्पक्षता, पारदर्शिता,
भारत की राजकोषीय चुनौतियां : मौजूदा स्थिति एवं सतत आर्थिक संवृद्धि हेतु अनिवार्यताएं - संपादकीय डेस्क - (March 2023)
किसी देश अथवा क्षेत्र में जारी समस्त आर्थिक गतिविधियां अग्र एवं पश्चगामी प्रभाव उत्पन्न करती हैं। कमोबेश, यही स्थिति राजकोषीय संतुलन के संदर्भ में देखी जा सकती है। राजकोषीय संतुलन से एक तरफ जहां सरकार को सामाजिक कल्याण एवं बुनियादी ढांचे के निर्माण हेतु अवसर प्राप्त होते हैं; तो वहीं दूसरी तरफ, व्यापक राजकोषीय घाटा अनेक चक्रीय प्रभावों को उत्पन्न
मोटे अनाज को बढ़ावा : कुपोषण एवं जलवायु परिवर्तन न्यूनीकरण में भूमिका - संपादकीय डेस्क - (March 2023)
मोटे अनाजों को जल की कमी वाले अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में भी आसानी से उगाया जा सकता है तथा इन फसलों की परिपक्वता अवधि भी तुलनात्मक रूप से कम होती है। विशेषज्ञ इन्हें 21वीं सदी की एक आदर्श फसल मानते हैं, जो जलवायु परिवर्तन तथा बढ़ती वैश्विक जनसंख्या के संदर्भ में खाद्य सुरक्षा की समस्या का एक संभावित समाधान हो सकता
भारतीय डायस्पोरा : देश की प्रगति के विश्वसनीय भागीदार - डॉ. अमरजीत भार्गवब - (March 2023)
प्रवासी भारतीय, प्रेषण तथा अन्य वित्तीय प्रवाह के माध्यम से भारत में पूंजीगत निवेश के एक बड़े अंतर को पूरा करते हैं। किंतु, सभी प्रवासी भारतीयों को निवेशक के दृष्टिकोण से देखने की प्रवृत्ति में परिवर्तन किया जाना चाहिए, क्योंकि ऐसा करना प्रवासी भारतीयों के योगदानों का संकुचित दृष्टि से मूल्यांकन करने के समान है। हम अन्य आयामों को देखने
भारत में बढ़ती असमानता : समावेशी विकास में बाधक - नवीन चंदन - (March 2023)
परचेजिंग पॉवर पैरिटी (PPP) के आधार पर विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था होने के बावजूद भारत में विभिन्न रूपों में असमानता व्याप्त है तथा इसमें लगातार वृद्धि हो रही है। बढ़ती हुई असमानता, समावेशी विकास की राह में सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभर रही है, जिसके कारण समाज में वर्ग विभेद बढ़ रहा है। वर्तमान में व्याप्त इस असमानता में
भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत एवं विविधता : पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने में सहायक - संपादकीय डेस्क - (March 2023)
G20 समूह के अपने वर्तमान अध्यक्षीय कार्यकाल के दौरान भारत सरकार, देश को एक सुरक्षित एवं पर्यटन-अनुकूल गंतव्य के रूप में स्थापित करने के लिए G20 प्रतिनिधियों को अपनी सदियों पुरानी सांस्कृतिक विरासत एवं विविधता को प्रदर्शित कर रही है। आतिथ्य और पर्यटन उद्योग, देश की अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहा है। यद्यपि पर्यटन के
वेस्ट टू वेल्थ : औद्योगिक विकास एवं ऊर्जा सुरक्षा में अपशिष्ट प्रबंधान की भूमिका - नवीन चंदन - (February 2023)
वेस्ट टू वेल्थ (Waste to Wealth), महज एक संकल्पना नहीं बल्कि वर्तमान समय में भारत की एक आवश्यकता है। देश में उत्पन्न 75% अपशिष्ट पुनर्चक्रण योग्य होता है, परन्तु यहां कुल उत्पादित कचरे का मात्र 30% भाग ही पुनर्चक्रित किया जाता है। अतः अपशिष्ट के पुनर्चक्रण हेतु उद्योगों को प्रोत्साहित करने, जागरूकता में वृद्धि करने तथा नवीन प्रौद्योगिकी को बढ़ावा
कॉप-15 जैव-विविधता सम्मेलन : प्रतिबद्धताएं, मुद्दे एवं भावी कार्यनीति - संपादकीय डेस्क - (February 2023)
स्वस्थ जैव-विविधता पारिस्थितिक तंत्र, पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने हेतु महत्वपूर्ण है। इसके प्रकृति प्रदत्त मूल्य के बावजूद विश्व भर में इसकी स्थिति बिगड़ती जा रही है। इसी चुनौती को ध्यान में रखते हुए विश्व भर के देशों ने 7 से 19 दिसंबर, 2022 के मध्य कनाडा के मॉन्ट्रियल शहर में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन (COP 15)
वैश्विक खाद्य-प्रणालियों में रूपांतरण : खाद्य सुरक्षा, टिकाऊ उपभोग प्रतिरूप तथा पर्यावरणीय लाभ हेतु आवश्यक - डॉ. अमरजीत भार्गव - (February 2023)
कृषि तथा खाद्य-प्रणालियों में सुधार हेतु अब तक किए गए सभी प्रयासों का उद्देश्य उत्पादन तथा उपभोग के मध्य व्याप्त अंतर को पूरा करने, खाद्य प्रणाली के प्रदर्शन को मजबूत करने तथा संस्थागत उपायों की खोज करने पर रहा है। समय के साथ, विशेषकर 21वीं सदी में वैश्विक चुनौतियों तथा खाद्य-आवश्यकताओं में व्यापक परिवर्तन दिखाई दे रहा है। ऐसे में
कार्बन अवशोषण, उपयोग एवं भंडारण : विकार्बनीकरण के लक्ष्य की प्राप्ति में भूमिका एवं आवश्यकता - संपादकीय डेस्क - (February 2023)
नीति आयोग, भारत के एक ‘निम्न कार्बन उत्सर्जन अर्थव्यवस्था’ बनने की राह में देश का नेतृत्व कर रहा है। हाल ही में नीति आयोग द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार कार्बन अवशोषण, उपयोग एवं भंडारण (CCUS) में वृद्धि करते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था अधिक पर्यावरण मित्रवत बन सकती है। भारत सरकार द्वारा अपने अद्यतन राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (Updated NDCs)
प्रौद्योगिकी विकास तथा सामाजिक परिवर्तन : आपसी अंतर्संबंध के माध्यम से विकास को बढ़ावा देना - संपादकीय डेस्क - (January 2023)
सामाजिक परिवर्तन तथा प्रौद्योगिकी विकास परस्पर निर्भर संकल्पनाए हैं। एक तरफ जहां समाज के विस्तृत दायरे तथा परिवर्तनों को आत्मसात करने की उसकी क्षमता से प्रौद्योगिकी के विकास हेतु मार्ग प्रशस्त होता है, तो वहीं दूसरी तरफ प्रौद्योगिकी उत्तरोत्तर क्रम में विकसित होकर अंततः सामाजिक रूपांतरण की प्रक्रिया को प्रभावित करती है। अंतर्संबंधों की इस प्रक्रिया के प्रत्येक चरण में
कॉप 27 सम्मेलन : जलवायु परिवर्तन संबंधी विचारणीय मुद्दे एवं भारत की प्रतिबद्धताएं - संपादकीय डेस्क - (January 2023)
विश्व के सामूहिक जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए हाल ही में आयोजित कॉप 27 सम्मेलन जलवायु शमन एवं अनुकूलन के संबंध में भविष्य की महत्वाकांक्षा का मार्ग प्रशस्त करने के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था। इसमें हानि एवं क्षति कोष की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए एक समझौता किया गया, जिसका विश्व काफी
स्वदेशी बीजों का संरक्षण : आधुनिक कृषि पद्धतियों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक - डॉ. अमरजीत भार्गव - (January 2023)
स्वदेशी बीजों के संरक्षण की प्रक्रिया को सार्वभौमिक बनाने के लिए सरकारी नीतियों तथा अन्य उपायों को लागू करने के साथ जन-जागरूकता कार्यक्रमों को चलाया जाना आवश्यक है। इससे किसानों तथा समाज के अन्य समुदायों को जागरूक करने में सहायता मिलेगी। स्वदेशी एवं परंपरागत बीजों के लाभों के विषय में राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर सेमिनार तथा संगोष्ठियों का आयोजन
भूमि निम्नीकरण एवं मरुस्थलीकरण : सतत भूमि प्रबंधन की दिशा में आगे बढ़ना जरूरी - संपादकीय डेस्क - (January 2023)
मरुस्थलीकरण का मुकाबला करने के लिए संयुक्त राष्ट्र अभिसमय के 14वें सत्र (United Nations Convention to Combat Desertification - UNCCD COP14) की बैठक में भारत सरकार ने 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर निम्नीकृत भूमि की पुनर्बहाली के लक्ष्य की घोषणा की थी। सरकार, विभिन्न योजनाओं एवं नीतिगत प्रयासों के माध्यम से अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने का प्रयास कर
मिशन कर्मयोगी : प्रभावी जन-केंद्रित सिविल सेवा के निर्माण हेतु क्षमता विकास आवश्यक - (December 2022)
नौकरशाही (Bureaucracy) सरकार की एक स्थायी शाखा है, जो प्रशासन की रीढ़ है। इसलिए भारत में सिविल सेवकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। बदलते भारत के लिए सिविल सेवकों के दृष्टिकोण में बदलाव की भी आवश्यकता है, जो सत्यनिष्ठा (Integrity), वस्तुनिष्ठता (Objectivity), नेतृत्व क्षमता (Leadership) के साथ प्रौद्योगिकी दक्षता तथा नवप्रवर्तनशीलता (Innovation) जैसे गुणों से परिपूर्ण हो। इन
भारत में बेरोजगारी समावेशी विकास में बाधक - (December 2022)
बेरोजगारी, भारत ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व के समक्ष एक गंभीर मुद्दा है। युवाओं में कौशल की कमी, वोट बैंक की राजनीति, बढ़ती आबादी और नौकरियों की अत्यधिक मांग के कारण भारत में बेरोजगारी की समस्या अधिक गंभीर है। सरकार ने बेरोजगारी की समस्या को कम करने के लिए अपने स्तर पर अनेक पहलों को शुरू किया है। हालांकि वर्तमान
भारत की प्राकृतिक संसाधन क्षमता : आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की कुंजी - (December 2022)
संसाधनों को उनकी उत्पत्ति के आधार पर जैविक या अजैविक के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। भारतीय भू-भाग में दोनों ही प्रकार के संसाधन विद्यमान हैं तथा भारत की अर्थव्यवस्था इन संसाधनों के उपभोग या निर्यात पर अत्यधिक निर्भर है। प्राकृतिक संसाधनों एवं आर्थिक विकास के बीच सकारात्मक संबंध पाया जाता है। ऐसे में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में
G20 तथा SCO की अध्यक्षता : वैश्विक एवं क्षेत्रीय मुद्दों के समाधान में भारत की भूमिका के सुदृढ़ीकरण का अवसर - (December 2022)
G20 तथा SCO जैसे महत्वपूर्ण वैश्विक संगठनों की अध्यक्षता करना न केवल भारत बल्कि अन्य विकासशील देशों के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इन संगठनों का नेतृत्व करते हुए भारत विकासशील देशों के लिए विशेष महत्व रखने वाले सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों की प्राथमिकताओं का निर्धारण कर सकता है। इतना ही नहीं, भारत ऊर्जा, कृषि, व्यापार एवं डिजिटल अर्थव्यवस्था जैसे
स्वयं सहायता समूह सामाजिक-आर्थिक विकास एवं वित्तीय समावेशन में इनकी भूमिका - (November 2022)
डॉ. अमरजीत भार्गव स्वयं सहायता समूहों द्वारा वित्तीय साक्षरता, बैंक खातों के संचालन, बचत, क्रेडिट, बीमा तथा पेंशन के साथ-साथ गरीबों को कम लागत वाली भरोसेमंद वित्तीय सेवाएं प्रदान की जाती हैं। वित्तीय समावेशन तथा समाज के वंचित वर्गों के विकास में भागीदारी को देखते हुए यह आवश्यक है कि स्वयं सहायता समूहों द्वारा सामना की जा रही समस्याओं का समाधान
भारत की जैव अर्थव्यवस्था सतत विकास की दिशा में आगे बढ़ने के लिए अहम - (November 2022)
संपादकीय डेस्कसतत विकास, जलवायु परिवर्तन की समस्या का समाधान है, जिसे अपनाया जाना एक विकल्प नहीं बल्कि आवश्यकता बन गई है। जैव अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देकर सतत विकास की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है| जैव अर्थव्यवस्था, पर्यावरण अनुकूल विकास के साथ ही सामाजिक चुनौतियों का समाधान करने में भी मदद कर सकती है। भारत में जैव अर्थव्यवस्था के
भारत में सहकारिता आत्मनिर्भर भारत के लिए महत्वपूर्ण - (November 2022)
नवीन चंदन महात्मा गांधी ने देश को आत्मनिर्भर बनाने में सहकारिता को सबसे उपयुक्त मॉडल माना है, जो परस्पर सहयोग पर आधारित होता है न कि प्रतिस्पर्धा पर। ऐसे में सहकारिता को बढ़ावा देने का प्रयास भारत के सामाजिक-आर्थिक एवं राजनीतिक विकास की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर सकता है। वर्तमान में सहकारिता मंत्रालय भारत को आत्मनिर्भर बनाने में
जलवायु प्रत्यास्थ कृषि खाद्य असुरक्षा से निपटने के लिए आवश्यक - (November 2022)
वैश्विक स्तर पर जलवायु एवं मौसम परिवर्तनशील हो रहा है, कभी अतिवृष्टि तो कभी अनावृष्टि; कभी अत्यधिक ठंड तो कभी भीषण गर्मी। यह जलवायवीय अनिश्चितता संपूर्ण मानव समुदाय के समझ विभिन्न चुनौतियां उत्पन्न कर रहे है| ऐसे में सर्वाधिक विकराल समस्या जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली खाद्य असुरक्षा की है। परिवर्तनशील जलवायु को देखते हुए अब कृषि क्षेत्र में
सुभेद्य वर्गों की औपचारिक वित्त तक पहुंच : आर्थिक सशक्तीकरण हेतु वित्तीय समावेशन आवश्यक - (October 2022)
वित्तीय समावेशन से जहां एक ओर समाज के सुभेद्य वर्ग बैंकिंग, बीमा एवं पेंशन जैसी सेवाओं के माध्यम से अपनी भविष्य की आवश्यकताओं हेतु बचत करने को प्रेरित होते हैं; तो वहीं दूसरी तरफ, इससे देश में पूंजी निर्माण की दर में वृद्धि होती है। वित्तीय समावेशन के व्यापक परिणामों में रोजगार सृजन, तीव्र आर्थिक विकास तथा वित्तीय सेवाओं का
भारत में मानसिक स्वास्थ्य : वर्तमान परिप्रेक्ष्य में एक प्रमुख स्वास्थ्य चुनौती - (October 2022)
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, निम्न एवं मधयम आय वाले देश कोविड-19 महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए तथा इसने वैश्विक स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य विकारों में तेजी से वृद्धि की। इस रिपोर्ट के अनुसार, सामान्य आबादी की तुलना में गंभीर मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति वाले लोगों की मृत्यु औसतन 10 से 20 वर्ष पहले
हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी : भारत के हित, जुड़ाव एवं निहितार्थ - (October 2022)
भारत हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में समान हितों वाले देशों के साथ रणनीतिक संबंधों को बढ़ावा दे रहा है तथा चीन के उभार से उत्पन्न चुनौतियों के समाधान का प्रयास भी कर रहा है। चीन अंतरराष्ट्रीय कानूनों की अनदेखी करते हुए, दक्षिण चीन सागर के अधिाकांश हिस्से पर अपना दावा करता है और ‘नौ-वहन की स्वंत्रतता’ को भी प्रतिबंधिात करता है। विभिन्न
तटीय पारिस्थितिक तंत्र का संरक्षण : अनिवार्यताएं एवं निहितार्थ - (October 2022)
संपूर्ण मानव इतिहास में तटीय क्षेत्र अपने विविध संसाधनों एवं पारिस्थितिक सेवाओं के कारण मानवीय गतिविधियों के केंद्र बिंदु रहे हैं। 7516.6 किमी. लंबी भारतीय तट रेखा 9 राज्यों एवं 4 केंद्रशासित प्रदेशों तक विस्तृत है। ऐसे में इसके संरक्षण को लेकर उठाए गए कदमों का अवलोकन करते हुए कैग की हालिया रिपोर्ट प्रकाशित हुई है, जिसके अनुसार पर्यावरणीय प्रभाव
भारत में बाढ़ आपदा प्रबंधन : एकीकृत, बहु-आयामी एवं समावेशी रणनीति की आवश्यकता - (October 2022)
भारत में बाढ़ प्रति वर्ष आने वाली घटना है, जिसके कारण मानवीय तथा पर्यावरणीय आयाम व्यापक रूप से प्रभावित होते हैं। हालांकि समय-बद्ध उचित बाढ़ प्रबंधान रणनीतियों के माधयम से बाढ़ से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। बाढ़ प्रबंधान के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने अपने स्तर पर व्यापक उपाय किये हैं, परन्तु सरकार के
वर्ष 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य - विद्यमान चुनौतियां तथा व्यापक संभावनाओं के क्षेत्र - (October 2022)
एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए आमतौर पर अपेक्षाकृत ऊंची आर्थिक विकास दर, बेहतर जीवन स्तर तथा उच्च प्रति व्यक्ति आय का होना आवश्यक है। साथ ही समग्र मानव विकास से संबंधित सामाजिक पूंजी मानकों- शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर भी खरे उतरने की जरूरत होती है। इन सभी मानकों पर वर्तमान में भारत की स्थिति अभी भी बेहतर नहीं कही
दिव्यांग व्यक्तियों का सशक्तीकरण : सामाजिक भागीदारी के लिए समावेशी वातावरण का निर्माण आवश्यक - (September 2022)
दिव्यांगता सैद्धांतिक रूप से एक व्यापक अवधारणा है, जिसके अंतर्गत शारीरिक एवं मानसिक असमर्थता के साथ-साथ सामाजिक भागीदारी एवं कार्य निष्पादन गतिविधियों की अक्षमता को भी शामिल किया जाता है। वर्तमान समय में देश की एक बड़ी जनसंख्या दिव्यांगता से प्रभावित है। सरकार ने दिव्यांग लोगों के कल्याण हेतु अनेक योजनाएं चलाई हैं, किंतु सामाजिक अवहेलना तथा नीतियों के लाभों
भारत में जनजातीय समुदाय : प्रतिनिधित्व, भेद्यता एवं समावेशन - (September 2022)
भारत, परचेजिंग पावर पैरिटी (Purchasing Power Parity) के आधार पर विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का है। किन्तु अभी भी एक तबका है जो हाशिए पर जीवन यापन कर रहा है, जिसे हम आदिवासी, आदिम जाति, वनवासी आदि नामों से पुकारते हैं। प्रश्न यह उठता है कि
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में निजी क्षेत्र की भूमिका : औचित्य, लाभ एवं चुनौतियां - (September 2022)
भारत वैश्विक स्तर पर अंतरिक्ष अन्वेषण में अग्रणी राष्ट्र है, लेकिन इसमें निजी क्षेत्र का योगदान सीमित रहा है। इस चुनौती के समाधान तथा अंतरिक्ष क्षेत्र में वाणिज्यिक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने जून 2020 में एक नई इकाई IN-SPACE की घोषणा की थी। अंतरिक्ष विभाग, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के प्रसार को बढ़ाने के लिए अंतरिक्ष संचालन में
I2U2 समूह तथा भारत : पश्चिम एशिया में आर्थिक एवं रणनीतिक सहयोग की पहल - (September 2022)
I2U2 समूह भारत, इजराइल, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका का एक समूह है, जिसका लक्ष्य संयुक्त निवेश के माध्यम से ‘जल, ऊर्जा, परिवहन, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य एवं खाद्य सुरक्षा से संबंधित नई पहलों’ पर सहयोग करना है। यह समूह भारत के लिए अपने ऊर्जा और आर्थिक हितों तथा समूह के देशों में अधिक प्रवासियों की उपस्थिति के कारण रणनीतिक
अर्थव्यवस्था का विकार्बनीकरण : महत्व, चुनौतियां एवं उपाय - (September 2022)
डिकार्बोनाइजेशन या विकार्बनीकरण एक व्यापक प्रक्रिया है, जिसके तहत जैव-ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना_ स्वच्छ वायु प्रौद्योगिकियों को अपनाना; हाइड्रोजन एवं कार्बन कैप्चर जैसी ऊर्जा दक्षता की नेक्स्ट जनरेशन तकनीकों को लागू करना तथा जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए व्यापक वित्तीय रूपरेखा को निर्मित करने जैसे कदम शामिल हैं। अर्थव्यवस्था के विकार्बनीकरण हेतु देश में एक व्यापक रणनीति की
शहरी रोजगार गारंटी योजना : समावेशी एवं धारणीय शहरी विकास हेतु आवश्यक - (डॉ. अमरजीत भार्गव) - (August 2022)
शहरी रोजगार गारंटी योजना से शहरी निवासियों को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रोजगार प्राप्त होगा, जिससे उनकी जीवन की गुणवत्ता में सुधार होने की संभावना है। इतना ही नहीं, इस योजना के माध्यम से शहरी अनौपचारिक क्षेत्र द्वारा सामना की जा रही निम्न मजदूरी स्तर तथा संसाधनों के अनुचित नियोजन की समस्याओं को भी संबोधित किया जा सकेगा। इस योजना से
सहभागी शासन : सुशासन का उच्चतर स्तर - (डॉ. विवेक कुमार उपाध्याय) - (August 2022)
“केवल सुशासन पर्याप्त नहीं है; इसमें जनभागीदारी और सक्रियता आवश्यक है। इसीलिए जनभागीदारी को विकास प्रक्रिया के केन्द्र में रखा जा रहा है”। (नरेन्द्र मोदी)सहभागी शासन ऐसी प्रणाली है जो नीति निर्माण तथा निगरानी की प्रक्रिया में लोगों को जोड़कर शासन के लोकतांत्रीकरण को प्रोत्साहित करती है। यह लोक-संवाद, वार्ता तथा मतदान के माध्यम से विशिष्ट निर्णयों तथा नीतियों को
भारत का इंडो-पैसिफिक विजन तथा आसियान : रणनीतिक संवाद एवं साझेदारी के 30 वर्ष - (August 2022)
हिंद-प्रशांत क्षेत्र के भू-राजनीतिक (Geopolitical) एवं भू-रणनीतिक संरेखण (Geostrategic Alignment) में परिवर्तन देखा जा रहा है। इन परिवर्तनों ने एक तरफ नए अवसर पैदा किए हैं तो वहीं दूसरी तरह विभिन्न चुनौतियां भी पैदा की हैं। इस क्षेत्र की आर्थिक प्रगति ने गरीबी कम करने और लाखों लोगों के जीवन स्तर को बेहतर करने में सहायता की है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र
विश्व व्यापार संगठन एवं भारत : 12वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन तथा भारत के मुद्दे - (August 2022)
डब्ल्यूटीओ के 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के दौरान विश्व के विभिन्न व्यापारिक प्रतिनिधियों द्वारा अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देने के लिए कई रणनीतिक कदम उठाए गए। सम्मेलन में भारत ने कुछ अन्य विकासशील देशों के साथ कृषि क्षेत्र में, विशेष रूप से खाद्य सुरक्षा के संदर्भ में सब्सिडी और व्यापार सुविधा जैसे मुद्दों पर आपत्तियों को यथावत रखा। यद्यपि भविष्य
ऊर्जा सुरक्षा : आत्मनिर्भर भारत की महत्वपूर्ण कड़ी - (August 2022)
भारत ने अपने नागरिकों को ऊर्जा सेवाएं प्रदान करने में अभूतपूर्व प्रगति की है। पिछले 2 दशकों में लगभग 90 करोड़ लोगों तक विद्युत की पहुंच सुनिश्चित की गई है। वर्तमान में 96.7% भारतीय परिवार विद्युत ग्रिड से जुड़े हुए हैं। हालांकि भारत में प्रति व्यक्ति विद्युत खपत वैश्विक औसत का केवल एक तिहाई है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार
भारत की गिग इकोनॉमी : संलग्न कार्यबल की सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा हेतु विनियमन आवश्यक - (August 2022)
नीति आयोग द्वारा हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट गिग अर्थव्यवस्था में लागू किए जाने वाले सुधारों के क्रम में एक विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत करती है। अमेरिका के बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (Boston Consulting Group) द्वारा जारी की गई एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार भारत के गिग कार्यबल के तहत सॉफ्टवेयर, साझा और पेशेवर सेवा जैसे उद्योगों में लगभग 15 मिलियन कर्मचारी
डिजिटल प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण : भारत के प्रयास एवं चुनौतियां - (August 2022)
कंप्यूटर तथा इंटरनेट सुविधाओं के क्षेत्र में नवीन खोजों के आगमन के पश्चात वर्तमान समय में डिजिटल प्रौद्योगिकी के बिना अर्थव्यवस्था के किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करना संभव नहीं है। कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन तथा मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में डिजिटल प्रौद्योगिकी के महत्व को देखते हुए भारत को इस प्रकार के प्रयास करने चाहिए, जिससे वह
पीएम गति शक्ति योजना : अवसंरचनात्मक विकास में भूमिका एवं महत्व - (डॉ. अमरजीत भार्गव) - (July 2022)
निर्माण गतिविधियों में संलग्न विभिन्न एजेंसियों के मध्य सहयोग एवं समन्वय की व्यापक कमी देखने को मिलती है। ऐसी स्थिति में, बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को समयबद्ध रूप में पूरा करना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, इससे अंतिम रूप से परियोजनाओं की लागत में वृद्धि होती है। समस्याओं को पहचान कर पीएम गति शक्ति योजना के अंतर्गत इन्हें एकीकृत रूप
भावनात्मक बुद्धिमत्ता : नैतिक और समावेशी शासन का प्रेरक - (July 2022)
भावनात्मक बुद्धिमत्ता, भावनाओं के अनुशासन की ऐसी योग्यता है, जिसके माध्यम से व्यक्ति स्वयं की तथा सामने वालों की भावनाओं को समझकर उनका प्रबंधन करता है। नैतिक शासन एवं समावेशी शासन दोनों ही विधि के शासन पर आधारित सुशासन से आगे बढ़कर मूल्यों पर आधारित व्यवस्था की स्थापना से संबंधित हैं। इसलिए इनकी स्थापना तथा विकास के लिए ऐसे मानव
भारत-नेपाल संबंध : मौजूदा चुनौतियां एवं सहयोग के क्षेत्र - (July 2022)
भारत और नेपाल के बीच संबंध व्यापक और बहुआयामी हैं तथा दोनों देशों ने ऐतिहासिक संबंधों को औपचारिक स्वर प्रदान करने के लिए 17 जून, 1947 को राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। नेपाल, सीमा पार संपर्क, बुनियादी ढांचा विकास, वित्तीय कनेक्टिविटी जैसी पहलों के माध्यम से भारत की आर्थिक प्रगति से लाभ उठाने में सक्षम हुआ है। दोनों देशों का
असंगठित क्षेत्र का सुदृढ़ीकरण : सामाजिक सुरक्षा हेतु संरचनात्मक हस्तक्षेप आवश्यक - (July 2022)
असंगठित क्षेत्र में सुधार समय की मांग है। इस क्षेत्र में बेरोजगारी के बढ़ते स्तर के साथ, श्रमिकों को पुनः नियोजित करना आवश्यक है। सरकार को इस क्षेत्र को संगठित रूप देने, सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा रोजगार के उचित एवं पर्याप्त अवसर प्रदान करने के लिए तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता है।नवीनतम आंकड़ों के अनुसार ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत
क्लाइमेट फाइनेंस : जलवायु शमन एवं अनुकूलन में इसकी भूमिका - (July 2022)
जलवायु वित्तीयन यानी क्लाइमेट फाइनेंस पिछले एक से अधिक दशक से विकसित एवं विकासशील देशों के मध्य मतभेद का विषय रहा है। वर्तमान में विकासशील देशों में जलवायु परिवर्तन से निपटने वाले कार्यों को लागू करने हेतु निवेश के लिए धन की कमी है। ऐसे में क्लाइमेट फाइनेंस पवन या सौर जैसी अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं में वित्तपोषण को बढ़ावा देकर
वन हेल्थ मॉडल : उभरती स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने का संधारणीय दृष्टिकोण - (July 2022)
मानव, वन्यजीव तथा पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य को स्थायी रूप से संतुलित और अनुकूलित करने हेतु वन हेल्थ दृष्टिकोण (One Health Approach) महत्वपूर्ण है| वन हेल्थ दृष्टिकोण स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर कार्य करने वाला एक सहयोगी, बहु-क्षेत्रीय और बहुविषयक दृष्टिकोण है, जिसका लक्ष्य लोगों, जंतुओं, वनस्पतियों और उनके साझा वातावरण के बीच अंतर्संबंध को पहचानते हुए इष्टतम
वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की वहनीयता : नवीन चुनौतियां एवं समाधान - (July 2022)
21वीं सदी में लगातार वैश्वीकरण की प्रक्रिया में तेजी आई है। इंटरनेट तथा नवीन प्रौद्योगिकियों के माध्यम से विश्व के लगभग सभी देश पहले की तुलना में एक दूसरे पर अधिक निर्भर हैं। ऐसी स्थिति में, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के महत्त्व में वृद्धि हुई है, क्योंकि इनके माध्यम से वस्तुओं तथा सेवाओं के आयात-निर्यात को अपेक्षाकृत अधिक कुशलता के साथ
राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति को लागू किए जाने की आवश्यकता - (डॉ. अमरजीत भार्गव) - (June 2022)
वैश्विक स्तर पर आर्थिक विकास की प्रक्रिया तीव्र गति से डिजिटल अर्थव्यवस्था के रूप में परिवर्तित हो रही है। सूचना एवं संचार से लेकर रक्षा जैसे क्षेत्र भी अपने अधिकांश क्रियाकलापों के लिए इंटरनेट प्रौद्योगिकी पर निर्भर हो रहे हैं। ऐसे समय में देशों के समक्ष साइबर चुनौतियां अधिक मजबूती के साथ उभरकर सामने आई हैं। इस प्रकार की चुनौतियों
सामाजिक पूंजी : भूमिका, बाधाएं एवं संभावनाएं - (महेन्द्र चिलकोटी) - (June 2022)
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है तथा समूह में कार्य करता है। मानव सभ्यता की सम्पूर्ण यात्रा में लोगों के बीच आपसी सहयोग ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। समूह में कार्य करने के लिए समूह के सदस्य मूल्यों तथा मानदंडों के आधार पर एक-दूसरे के साथ अंतर्क्रिया तथा सहयोग करते हैं। हाल के दशकों में मानव सहयोग की इस क्षमता को
भारत में गरीबी : व्युत्पन्न मुद्दे एवं चुनौतियां - (June 2022)
भारत में गरीबी के स्तर में कमी लाने के लिए परंपरागत समाधान एवं उपायों से आगे जाकर कुछ ऐसे उपायों की खोज किये जाने की आवश्यकता है, जो आर्थिक रूप से प्रतिस्पर्धी समाज का निर्माण कर सकें। इसी के आधार पर सभी व्यक्तियों के लिए रोजगार एवं आय के समान अवसर उपलब्ध हो सकेंगे। आर्थिक विकास के उच्च स्तर को
मानवजनित पर्यावरणीय क्षति : न्यूनीकरण की आवश्यकता एवं उपाय - (June 2022)
वर्तमान में मानवजनित गतिविधियों और प्राकृतिक कारणों से पर्यावरणीय क्षति को बढ़ावा मिल रहा है| इसके परिणामस्वरूप पर्यावरण और मानव के अस्तित्व के समक्ष एक गंभीर चुनौती उत्पन्न हो रही है| इसी चुनौती के समाधान के लिए पर्यावरणीय क्षति के न्यूनीकरण (Mitigation of Environmental Damage) हेतु राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक प्रयास किये जा रहे हैं| प्रयासों के माध्यम
भारत में पोषण सुरक्षा : 2030 तक खाद्य सुरक्षा से पोषण सुरक्षा की ओर स्थानांतरण - (June 2022)
उचित पोषण को विकास का एक महत्वपूर्ण सूचक माना जाता है, इसके विपरीत अल्पपोषण मनुष्य के स्वास्थ्य को विपरीत रूप से प्रभावित करता है। अल्पपोषण, सामाजिक-आर्थिक न्याय में बाधक भी बनता है तथा यह गरीब और विकासशील देशों के स्वास्थ्य पर संसाधन खर्च का बोझ बढ़ाता है। सरकार के खाद्य सहायता कार्यक्रमों और नीतियों को सही तरह से लागू कर
भारत-ऑस्ट्रेलिया : बहुध्रुवीय हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्वाभाविक भागीदार - (सतीश कुमार कर्ण) - (June 2022)
परिवर्तनशील वैश्विक राजनीति में हिंद-प्रशांत क्षेत्र की भू-राजनैतिक स्थिति में व्यापक परिवर्तन आया है। इस क्षेत्र के प्रमुख भागीदार होने के कारण भारत एवं ऑस्ट्रेलिया अपेक्षाकृत अधिक व्यापक सुरक्षा रणनीति को अपनाने की ओर अग्रसर हैं। चीन की बढ़ती आक्रामक गतिविधियों के प्रत्युत्तर में दोनों देश क्वाड समूह के माध्यम से व्यापक सहयोग कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया ने ऑकस (ऑस्ट्रेलिया-यूनाइटेड
परिवहन क्षेत्र का विकार्बनीकरण : ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने की आवश्यकता - (June 2022)
परिवहन क्षेत्र कार्बन उत्सर्जन में प्रमुख योगदानकर्त्ता है। केवल सड़क परिवहन के माध्यम से लगभग 33% पार्टिकुलेट मैटर का उत्सर्जन होता है। भारत वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करना चाहता है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए देश के परिवहन क्षेत्र का विकार्बनीकरण किया जाना अत्यंत आवश्यक है। भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का एक व्यापक
भारत के लिए एक व्यापक रक्षा एवं सामरिक नीति की आवश्यकता- (डॉ. अमरजीत भार्गव) - (May 2022)
परिवर्तनशील वैश्विक व्यवस्था तथा तकनीक एवं नवाचारों के प्रयोग के कारण वैश्विक स्तर पर विभिन्न देशों द्वारा अपनी रक्षा एवं सामरिक नीति को अद्यतन करने की आवश्यकता महसूस हुई है। चीन ने अपनी आर्थिक प्रगति के साथ-साथ रक्षा एवं सामरिक क्षेत्र में व्यापक सुधार किए हैं। रक्षा एवं सामरिक क्षेत्र में मजबूती प्राप्त करके चीन अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में निर्णयकारी भूमिका
जलवायु परिवर्तन : प्रभाव, अनुकूलन एवं भेद्यता - (May 2022)
आईपीसीसी की छठी मूल्यांकन रिपोर्ट के दूसरे खंड में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, जोखिमों और अनुकूलन उपायों की चर्चा की गई है। आईपीसीसी ने अपनी रिपोर्ट में पहली बार क्षेत्रीय आकलनों को शामिल किया है तथा इस रिपोर्ट में मेगासिटीज़ पर ध्यान केंद्रित किया गया है। भारत जलवायु परिवर्तन के प्रभाव एवं समुद्र के जल-स्तर में वृद्धि के प्रति सबसे
सिंथेटिक बायोलॉजी : अनुप्रयोग एवं चुनौतियां- (शक्ति कुमार दुबे) - (May 2022)
सिंथेटिक बायोलॉजी या संश्लेषित जीव विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक प्रयोग को देखते हुए वर्तमान में वैश्विक स्तर पर व्यापक शोध एवं विकास हो रहा है| इस कारण यह सबसे तेजी से विकसित हो रही विज्ञान की शाखा बन चुकी है| साथ ही इससे संबंधित विभिन्न प्रकार की चुनौतियां भी उत्पन्न हो रही हैं, जिनके समाधान के लिए एक
भारत की पारंपरिक ज्ञान प्रणाली : एक राष्ट्रीय निधि -(सतीश कुमार कर्ण) - (May 2022)
पारंपरिक ज्ञान (Traditional knowledge) विश्व भर के देशज और स्थानीय समुदायों के ज्ञान, जानकारी, नवाचारों और परंपराओं को संदर्भित करता है। यह सदियों के अनुभव एवं स्थानीय संस्कृति और पर्यावरण के अनुकूलन के आधार पर पीढ़ी दर पीढ़ी मौखिक रूप से संचालित होता है। लोक कथाएं, मूल्य, विश्वास, अनुष्ठान, सामुदायिक नियम और कृषि तकनीक, जिसमें पौधों की प्रजातियों और पशुओं
कॉरपोरेट गवर्नेंस : पारदर्शिता तथा नैतिकता आधारित व्यावसायिक शासन - (महेन्द्र चिलकोटी) - (May 2022)
कॉरपोरेट गवर्नेंस का संबंध आर्थिक एवं सामाजिक लक्ष्यों तथा व्यक्तिगत एवं सामुदायिक लक्ष्यों के बीच संतुलन बनाए रखने से है। कॉरपोरेट शासन ढांचा संसाधनों के कुशल उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए तथा उन संसाधनों के प्रबंधन के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए है। इसका उद्देश्य व्यक्तियों, निगमों और समाज के हितों में यथासंभव संतुलन तथा एकरूपता बनाए करना
परिवर्तनशील भू-राजनीतिक एवं भू-आर्थिक स्थिति : वैश्विक व्यवस्था एवं भारत - (May 2022)
वैश्विक आर्थिक एवं राजनीतिक परिदृश्य हमेशा से अंतर-संबंधित रहे हैं। औपनिवेशिक काल से ही वैश्विक स्तर पर यह देखा गया कि आर्थिक एवं राजनीतिक परिस्थितियों ने विभिन्न देशों के मध्य निर्मित होने वाले संबंधों को व्यापक रूप से प्रभावित किया है। स्वतंत्रता के बाद भारत ने विकास की एक लंबी प्रक्रिया तय की है। एक समय तक भारत की राजनीतिक
हरित हाइड्रोजन नीति : शुद्ध शून्य उत्सर्जन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम - (April 2022)
वर्तमान समय में वैश्विक स्तर पर हरित हाइड्रोजन को भविष्य के ईंधन के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है। जापान, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया तथा यूएई जैसे विश्व के अनेक देशों ने अपने देश में हरित हाइड्रोजन को बढ़ावा देने के लिए विस्तृत नीतियों का निर्माण किया है। भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं में वृद्धि को देखते हुए हरित हाइड्रोजन/हरित अमोनिया नीति के
प्रतिस्पर्धात्मक संघवाद : स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का प्रतिमान- (महेन्द्र चिलकोटी) - (April 2022)
प्रतिस्पर्धा के विचार ने विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्ति में सदैव ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। तुलनात्मक तथा प्रतिस्पर्धी मॉडल ने विकास के क्षेत्र में राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय स्तर पर प्रेरक कारक के रूप में कार्य किया है। भारत के संघवाद के विकासक्रम में प्रतिस्पर्धात्मक संघवाद ने राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतियोगिता का शुभारंभ किया है। भारत सरकार ने विकासात्मक लक्ष्यों
इंडस्ट्री 4.0 : भारत की तैयारी, अंगीकरण एवं चुनौतियां - (April 2022)
उद्योग 4.0 विनिर्माण और उत्पादन श्रृंखला से संबंधित चौथी औद्योगिक क्रांति को संदर्भित करता है। यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, 3डी प्रिंटिंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, बिग डेटा आदि जैसी डिजिटल तकनीकों में सफलताओं से प्रेरित है। ‘उद्योग 4.0’ में भारत में बहुआयामी रचनात्मक बदलाव लाने की क्षमता है। यह भारत के लिये न सिर्फ एक औद्योगिक परिवर्तन, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का
मेटावर्स : इंटरनेट और डिजिटल दुनिया का भविष्य - (April 2022)
इंटरनेट प्रौद्योगिकी, डिजिटल प्लेटफॉर्म तथा आभासी वास्तविकता के विकासक्रम में अगला चरण मेटावर्स का है। हालांकि प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगिक दृष्टिकोण से मेटावर्स की परिकल्पना अभी वास्तविक धरातल पर नहीं उतर सकी है। वर्तमान में मेटावर्स के संबंध में चर्चा करना 1970 के दशक में इंटरनेट के संबंध में बात करने जैसा है, जब इंटरनेट का विकास अपने प्रारंभिक चरण में
रेडियोधर्मी प्रदूषण : कारण, प्रभाव एवं समाधान - (April 2022)
वैश्विक स्तर पर रेडियोधर्मी प्रदूषण की घटनाओं में पिछले कुछ वर्षों में वृद्धि दर्ज की गई है, जो मानवीय स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं। रेडियोधर्मी तत्वों का परमाणु हथियारों, एक्स-रे, एमआरआई तथा अन्य चिकित्सा उपकरणों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। स्वास्थ्य, सुरक्षा तथा अन्य अनुप्रयोगों के कारण मानव के इन तत्वों के संपर्क
भारत-यूएई संबंध : आर्थिक साझेदारी का एक नया पड़ाव- (सतीश कुमार कर्ण) - (April 2022)
संयुक्त अरब अमीरात के साथ व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (CEPA) भारत के लिए यूएई (UAE) के रणनीतिक भागीदार के रूप में स्थापित होने का मार्ग प्रशस्त करेगा। इसके साथ ही यह भारत को अफ्रीका के बाजार और इसके विभिन्न व्यापार भागीदारों तक अपेक्षाकृत आसान पहुंच प्रदान करने में मदद कर सकता है। भारत, इस समझौते के लाभ पूर्ण रूप से
भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी : अनुप्रयोग, महत्व एवं चुनौतियां- (डॉ. अमरजीत भार्गव) - (April 2022)
21वीं सदी में उपग्रह तथा इंटरनेट आधारित प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोगों में वृद्धि होने के कारण भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी के महत्व में अत्यधिक वृद्धि हुई है। देश में भू-स्थानिक डेटा के उपयोग की बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए भौगोलिक क्षेत्रों के सर्वेक्षण एवं उनके मानचित्रण की सटीकता में वृद्धि किए जाने की आवश्यकता है। इस प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देकर कृषि कार्यों से
भारत की सेमीकंडक्टर नीति : महत्व तथा चुनौतियां - (March 2022)
भारत में इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और 5G तकनीक के आगमन के साथ सेमीकंडक्टर चिप की मांग बढ़ रही है और वर्ष 2025 तक इसकी मांग वर्तमान के 24 बिलियन डॉलर मूल्य से बढ़कर लगभग 100 बिलियन डॉलर मूल्य तक होने की संभावना है। साथ ही वर्तमान वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में सूचना प्रौद्योगिकी तथा इंटरनेट आधारित बुनियादी ढांचे को राष्ट्रीय
लिंग आधारित हिंसा : सभ्य समाज का असभ्य चरित्र - (March 2022)
लिंग आधारित हिंसा विश्व के लगभग सभी समाजों में प्रचलित हिंसा के सबसे आम रूपों में से एक है तथा यह दुनिया भर में लाखों महिलाओं तथा बालिकाओं के जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित करती है। लिंग आधारित हिंसा के तत्व हालांकि सभी समाजों एवं संस्कृतियों में मौजूद होते हैं किंतु युद्ध, कानून के शासन की अनुपस्थिति, पितृसत्तात्मक समाज,
भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश का दोहन : मुद्दे एवं चुनौतियां - (March 2022)
मानव संसाधन किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था की रीढ़ होता है। इस संदर्भ में जनसांख्यिकीय लाभांश की स्थिति द्वारा न केवल किसी राष्ट्र का आर्थिक विकास सुनिश्चित होता है, अपितु यह उसकी सामाजिक-सांस्कृतिक संरचना के निर्माण में भी अहम भूमिका निभाता है। वर्तमान में भारत जनसांख्यिकीय लाभांश की स्थिति में है, जो भारत को 2024-25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की
भारत-श्रीलंका संबंध : मुद्दे एवं चुनौतियां - ( सतीश कुमार कर्ण ) - (March 2022)
एक स्वतंत्र, सुरक्षित व समावेशी हिंद महासागर को वास्तविक स्वरूप प्रदान करने में भारत के लिए श्रीलंका का अत्यंत महत्व है| दोनों देशों के मध्य सामाजिक-आर्थिक व राजनीतिक संबंधों की ऐतिहासिक परंपरा रही है, जिसका निर्वहन वर्तमान में भी दोनों देशों द्वारा किया जा रहा है| हाल के कुछ वर्षों में श्रीलंका में चीन की बढ़ती आर्थिक उपस्थिति भारत के
उभरती प्रौद्योगिकीः राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चुनौती या समाधान - ( डॉ. अमरजीत भार्गव ) - (March 2022)
प्रौद्योगिकी प्रगति ने हमेशा ही राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव डाला है। अतीत में देखने पर हम पाते हैं कि औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप हुए प्रौद्योगिकी नवाचार की प्रक्रिया ने उपनिवेशीकरण की दिशा को प्रभावित किया था। वर्तमान समय में नवाचार आधारित विभिन्न प्रकार की प्रौद्योगिकियां मानव जीवन की औद्योगिक तथा सामाजिक कार्य प्रणाली के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा को व्यापक रूप
ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन : चिकित्सकीय तथा नैतिक निहितार्थ - ( महेन्द्र चिलकोटी ) - (March 2022)
मानव अंग प्रत्यारोपण कई गंभीर बीमारियों के इलाज में महत्वपूर्ण चिकित्सकीय उपकरण रहा है। किंतु इस प्रक्रिया में ‘दाता अंगों’ (Donor Organs) की उपलब्धता एक महत्वपूर्ण चुनौती रही है। प्रति वर्ष अंग प्रत्यारोपण कीप्रतीक्षा सूची में शामिल लोगों में से केवल 50% ही आवश्यक अंग प्राप्त कर पाते हैं। प्रत्यारोपण के लिए आवश्यक अंगों की कमी की समस्या का सामना
चीन की बढ़ती वैश्विक सैन्य उपस्थिति : भारत की चिंताएं एवं कूटनीतिक निहितार्थ - (March 2022)
वैश्विक स्तर पर अनेक ऐसे मुद्दे हैं जिनमें भारत एवं चीन सहयोगी भूमिका निभा रहे हैं। भारत, चीन समर्थित एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बैंक के संस्थापक सदस्य में भी शामिल है। साथ ही दोनों देश वर्ल्ड बैंक तथा आईएमएफ जैसी संस्थाओं के लोकतांत्रीकरण को बढ़ावा देने का समर्थन करते रहे हैं। पर्यावरण तथा अन्य वैश्विक मुद्दों पर भी दोनों देशों ने
डेटा संरक्षण कानून : औचित्य तथा चुनौतियां - (February 2022)
डेटा संरक्षण भारत ही नहीं बल्कि विश्व के लिए एक ज्वलंत मुद्दा है। एक तरफ जहां निजी कंपनियां डेटा संरक्षण संबंधी नियमों एवं कानूनों के निर्माण को विकास प्रक्रिया की राह में बाधक मानती हैं तो वहीं दूसरी तरफ, डेटा संरक्षण के अभाव में व्यक्तिगत निजता, गोपनीयता तथा राष्ट्रीय सुरक्षा के समक्ष अनेक चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं। प्रस्तावित डेटा
ईएसजी फ्रेमवर्क : सहभागी एवं धारणीय कॉरपोरेट शासन का स्तंभ - (February 2022)
पिछले कई दशकों से कॉरपोरेट क्षेत्र को लेकर उपभोक्ता, पर्यावरण तथा लाभ के बीच संतुलन बनाने की बहस होती रही है, हालांकि इसको लेकर अभी भी इच्छित परिणाम देखने को नहीं मिले हैं तथा कॉरपोरेट क्षेत्र सामाजिक तथा पर्यावरणीय दायित्वों के बजाय अपने मुनाफे को ही प्राथमिकता देता है। इस संदर्भ में भारत में एक महत्वपूर्ण विकास वर्ष 2013 में
बदलती विश्व व्यवस्था में भारत-रूस संबंध - (February 2022)
रूस के साथ संबंध भारत की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं| 1971 की भारत-सोवियत संधि भारत और रूस के बीच संबंधों को बेहतर करने की आधारशिला है। भारत-रूस संबंधों का सबसे मजबूत स्तंभ रक्षा क्षेत्र है। अफगानिस्तान से अमेरिकी सैन्य वापसी के बाद रूस और भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा के संबंध में एकसमान विचारधारा है| हालांकि बदलते भू-रणनीतिक
भू-विरासत स्थल: महत्व तथा संरक्षण के प्रयास - (February 2022)
'भू-विरासत' कोई नवीन अवधारणा नहीं है फिर भी भू-विरासत स्थलों के संरक्षण की दिशा में प्रयास सीमित मात्रा में ही हुए हैं। यह एक ऐसी अवधारणा है जिसमें प्राकृतिक, भू-वैज्ञानिक एवं भू-आकृतिक प्रक्रियाओं को समग्र रूप में शामिल किया जाता है। भू-विरासत स्थल अपने वैज्ञानिक एवं शैक्षिक मूल्यों के साथ सौंदर्य एवं पर्यटन गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु : आलोचनात्मक विश्लेषण - (February 2022)
भारतीय संस्कृति में वैवाहिक संबंधों को पारिवारिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक विशेषताओं से जोड़कर देखा जाता है। यही कारण है कि, औपनिवेशिक काल से जब भी इस दिशा में सुधार संबंधी कदम उठाने के प्रयास किए गए हैं, समाज के एक तबके ने इन सुधारों का व्यापक विरोध किया है। भारतीय सामाजिक एवं सांस्कृतिक विविधता को बनाए रखने के साथ 21वीं
भारत में स्टार्टअप पारिस्थितिक तंत्र अवसर, चुनौतियां एवं विकास हेतु प्रयास - (February 2022)
वर्तमान समय, भारत में स्टार्टअप क्षेत्र की उद्यमिता के विकास के लिए एक स्वर्णिम काल है। हालांकि, अभी भी कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जहां स्टार्टअप उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सुधार करने की आवश्यकता है। भारत सरकार की भूमिका इस दिशा में मददगार हो सकती है_ वह एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करके भारत को विश्व की नवाचार
डिजिटल शासन में ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी भूमिका, जोखिम एवं रणनीति - (February 2022)
पिछले डेढ़ दशक से भारत ने शासन प्रक्रिया में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास किये हैं। वर्ष 2006 में ‘राष्ट्रीय ई-शासन योजना' के प्रारंभ से लेकर वर्ष 2015 में ‘डिजिटल इंडिया' तक भारत की शासन प्रक्रिया में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का व्यापक विकास हुआ है। इस प्रक्रिया में नए प्रतिमान की स्थापना के
भारत में व्यापक सामाजिक सुरक्षा नीति की आवश्यकता - (January 2022)
सामाजिक सुरक्षा प्रणाली में सरकार ‘आय पुनर्वितरण’(Income redistribution) के लिए हस्तक्षेपवादी भूमिका(Interventionist Role) निभाती है। सामाजिक सुरक्षा उपाय, आम तौर पर ‘रखरखाव के उपाय’(Maintenance Measures) हैं, जिनका उद्देश्य ऐसे लोगों को एक न्यूनतम जीवन स्तर प्रदान करना है, जो विकलांगता (Disability), बेरोजगारी (Unemployment), बुढ़ापे (Old Age) या अन्य वंचनाओं के शिकार हैं। सामाजिक सुरक्षा दो बुनियादी तत्वों पर आधारित हैः
सुदृढ़ सामाजिक अवसंरचना सशक्त अर्थव्यवस्था की नींव - (January 2022)
सामाजिक अवसंरचना उन प्रमुख कारकों में से एक है, जो लोगों की आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था में उत्पादन के लिए जरूरी मानव संसाधन उपलब्ध कराती है। सामाजिक बुनियादी ढांचा, पेशेवर उद्यमशीलता का विकास करता है। इसके अलावा सामाजिक सुरक्षा तथा राजनीतिक स्थिरता के लिए भी प्रभावी सामाजिक अवसंरचना आवश्यक है। ‘सामाजिक अवसंरचना’(Social Infrastructure) किसी राष्ट्र के आर्थिक
G20 सम्मेलन 2021 रोम घोषणा तथा भारत के लिए उपलब्धियां - (January 2022)
वर्तमान बहुपक्षीय विश्व में G20 की प्रासंगिकता विकासशील देशों के हितों की रक्षा करने एवं वैश्विक निर्णय को प्रभावित करने में बनी हुई है। भारत का मानना है कि देश की विदेश नीति को घरेलू हितों से उचित रूप से जोड़ा जाना चाहिए, और भारत अन्य देशों से भी ऐसा करने की अपेक्षा रखता है। 30-31 अक्टूबर, 2021 के मध्य इटली
मानव विकास का मापन विभिन्न उपागम तथा उनकी सीमाएं - (January 2022)
मानव प्रगति के मापन का एक लंबा इतिहास रहा है तथा यह समय के साथ अनेक चरणों से गुजरा है। परिवर्तित सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक परिस्थितियों के संदर्भ में मानव विकास के मापन की उपलब्ध विधियां वर्तमान समय में अधिक व्यावहारिक प्रतीत नहीं हो रही हैं। इन विधियों में व्याप्त कमियों को सामाजिक विद्वान समय-समय पर अपने शोध कार्यों के
कॉप 26 ग्लासगो घोषणा और भारत - (January 2022)
‘ग्लासगो जलवायु समझौता’ (Glasgow Climate Pact) जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के संदर्भ में प्रगति के लिए ‘बिल्डिंग ब्लॉक’ (Building Block) प्रदान करता है। सम्मेलन में की गई प्रतिबद्धता निश्चित रूप से पर्यावरणीय मुद्दों के बारे में जागरूकता तथा बढ़ती चिंताओं को प्रदर्शित करती है। हालांकि पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य कर रहे वैज्ञानिकों तथा पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इस
न्यूनतम समर्थन मूल्य का वैधानीकरण मुद्दे तथा चुनौतियां - (January 2022)
कृषि सब्सिडी की भांति किसानों को प्रदान किया जाने वाला न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रत्यक्ष रूप से सरकार की राजकोषीय स्थिति से संबंधित है। साथ ही कृषि क्षेत्र में अनेक संभावनाएं व्याप्त हैं और कृषि को उन्नत करके भारतीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि के रूप में इसके लाभ उठाए जा सकते हैं। देश में अपनाई जाने वाली कृषि नीतियों का सर्वाधिक प्रभाव
उभरती प्रौद्योगिकियां : नैतिक मुद्दे एवं दृष्टिकोण - (January 2022)
नैतिकता के दायरे में जीवन के लिए महत्वपूर्ण सार्वभौमिक मूल्यों का सम्मान तथा विधि के शासन जैसे पहलुओं को बढ़ावा देना तथा उनका बचाव करना शामिल है। नई प्रौद्योगिकियों के आगमन से नैतिकता की पारंपरिक समझ में बदलाव आया है तथा हमें नए सिरे से इस संदर्भ में विचार करने की आवश्यकता पड़ी है। तकनीक के विकास में शामिल कॉरपोरेट
ऑकस एवं क्वाड हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए महत्व एवं भूमिका - (December 2021)
ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका (AUKUS) के बीच नई त्रिपक्षीय सुरक्षा साझेदारी की घोषणा से इस क्षेत्र के संबंध में गठित एक अन्य संगठन- क्वाड के भविष्य तथा प्रासंगिकता पर प्रश्न उठे हैं। इस संबंध में इस बात का उल्लेख करना आवश्यक है कि क्वाड तथा ऑकस दो अलग-अलग प्रकृति के समझौते हैं। जहां एक तरफ क्वाड स्वतंत्र,
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम चुनौतियां एवं भावी दिशा - (December 2021)
एमएसएमई क्षेत्र द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र के लिए सम्पूर्ण पारिस्थितिक तंत्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह क्षेत्र अर्थव्यवस्था में उद्यमिता को बढ़ावा देने के साथ ही रोजगार के अवसर भी पैदा करता है। आरबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार एमएसएमई क्षेत्र, आर्थिक विकास, नवाचार और रोजगार के सबसे मजबूत संचालकों में से एक है। सूक्ष्म, लघु एवं
भारत की विस्तारित पड़ोस की नीति मध्य एशियाई संदर्भ - (December 2021)
बदलती भू-रणनीतिक परिस्थितियों में भारत ने अपनी विदेश नीति में कई परिवर्तन किए हैं, जिनमें एक महत्वपूर्ण परिवर्तन पड़ोसी देशों के संदर्भ में नीति का बदलाव है। पड़ोसी देशों के साथ संबंधों की जटिलताओं को देखते हुए तथा भूमंडलीकरण के दौर में कूटनीतिक विकल्पों के महत्व को समझते हुए भारत ने मध्य एशिया तथा दक्षिण-पूर्व एशिया को अपनी विदेश नीति
सामाजिक प्रभाव आकलन आवश्यकता एवं महत्व - (December 2021)
किसी भी विकास परियोजना का उद्देश्य देश की आबादी के जीवन स्तर और गुणवत्ता में वृद्धि करना तथा पर्यावरण के संसाधनों को नुकसान पहुंचाए बिना स्थानीय आय और रोजगार के अवसरों का निर्माण तथा विस्तार करना होता है। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि विकास गतिविधियों के कारण होने वाले सामाजिक प्रभाव का आकलन किया जाए, ताकि समाज
बायोप्लास्टिक प्लास्टिक अपशिष्ट समस्या का स्थायी समाधान - (December 2021)
वर्तमान समय में सिंथेटिक प्लास्टिक की तुलना में बायोप्लास्टिक का उत्पादन अत्यंत ही सीमित मात्रा में हो रहा है किंतु लाभों को देखते हुए इसके अनुप्रयोगों में तेजी से वृद्धि हो रही है। जैव-निम्नीकरण तथा नगण्य कार्बन फुटप्रिंट के कारण सीमित मात्रा में ही सही किंतु इसकी स्वीकार्यता में वृद्धि हो रही है। प्लास्टिक के विकल्पों के रूप में खोज
महिला प्रतिनिधित्व: सशक्त समाज एवं समावेशी लोकतंत्र की बुनियाद - (November 2021)
महिला प्रतिनिधित्व का उनकी आबादी के अनुपात में होना, महिला सशक्तीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। भारत द्वारा समानता आधारित समावेशी लोकतंत्र की स्थापना के 70 वर्षों के बाद भी लैंगिक स्तर पर समावेशी लोकतंत्र का लक्ष्य प्राप्त नहीं हो सका है। इसके कारणों का विश्लेषण करना तथा लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक ठोस
ब्रिक्स के 15 वर्ष उपलब्धियां, चुनौतियाँ और प्रासंगिकता - (November 2021)
उभरती विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के संगठन ब्रिक्स ने वर्ष 2021 में, 15 वर्षों की यात्रा पूरी की है। इस यात्रा के दौरान इस संगठन ने विविध वैश्विक एवं क्षेत्रीय मुद्दों के समाधान में एक विकल्प प्रस्तुत किया है। वहीं संगठन को कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई है। ब्रिक्स के भविष्य के एजेंडे में ‘ब्रिक्स प्लस’ (BRICS Plus)
पूर्वोत्तर राज्य सीमा विवाद कारण एवं समाधान की राह - (November 2021)
प्रशासनिक सहूलियत के हिसाब बनाई गई राज्यों की सीमाएं कभी-कभी जनजातीय क्षेत्रों और उनकी पहचान के साथ मेल नहीं खातीं। इस कारण सीमावर्ती क्षेत्रों में लगातार तनाव बना रहता है और प्रायः हिंसक झड़पें होती रहती हैं। पूर्वाेत्तर राज्यों में सीमा विवाद औपनिवेशिक सीमांकन और स्वतंत्रता के बाद उत्तर-पूर्व में राज्यों के गठन की प्रक्रिया द्वारा समझा जा सकता है। हाल
शंघाई सहयोग संगठन भू-राजनीतिक महत्व तथा भारत की स्थिति - (November 2021)
सतीश कुमार कर्ण शंघाई सहयोग संगठन की आंतरिक नीति पारस्परिक विश्वास, लाभ, समानता, परामर्श, सांस्कृतिक विविधता के सम्मान और सामान्य विकास की इच्छा पर आधारित है। साथ ही इसकी बाहरी नीति खुलेपन (Openness), ‘आतंरिक मामले में गैर-हस्तक्षेप’ (Non Interference in Internal Issues) तथा ‘गुटनिरपेक्षता’ (Non alignment) के मूल सिद्धांतों पर आधारित है। 17 सितंबर, 2021 को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के राष्ट्राध्यक्षों
हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा सामरिक अनिवार्यताएं और भारत का रुख - (November 2021)
प्रमुख समुद्री संचार मार्गों तथा प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के रणनीतिक अवरोध बिंदुओं के उद्गम स्थल के रूप में हिंद महासागर क्षेत्र ने पिछले कुछ दशकों में एक महत्वपूर्ण शक्ति प्रदर्शन क्षेत्र के रूप में महत्व प्राप्त किया है। इस क्षेत्र में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भारत की अवस्थिति ने भारत को अपने आर्थिक एवं सामरिक हितों को प्रसार देने का एक
भारत में पर्यावरणीय लेखांकन: उपलब्धियां एवं चुनौतियां - (November 2021)
डॉ. अमरजीत भार्गव आर्थिक विकास तथा पर्यावरण संरक्षण को एक साथ बढ़ावा देने की एक प्रथा के रूप में संपूर्ण विश्व में पर्यावरणीय लेखांकन को तीव्र महत्त्व प्रदान किया जा रहा है। औद्योगीकरण के आरंभिक समय से ही पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने की मानवीय क्षमता में ह्रास हुआ है। औद्योगीकरण किसी भी अर्थव्यवस्था के विकास की आधारशिला है, जबकि अनियोजित
वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला संकट प्रभाव तथा भारत की कार्यनीति - (November 2021)
महामारी के कारण वर्ष 2020 में लगभग पूरे समय औद्योगिक गतिविधियां ठप रहीं। जैसे-जैसे वैश्विक अर्थव्यवस्था महामारी की गिरफ्त से बाहर आना शुरू हुई, ऊर्जा, श्रम एवं शिपिंग कंटेनरों की मांग में वृद्धि हुई। मांग में हुई इस अचानक वृद्धि से ‘औद्योगिक इकाइयों’ (Industrial Units) पर भारी दबाव पड़ा है। संयुक्त राज्य अमेरिका से लेकर चीन तथा यूरोप तक सम्पूर्ण
प्राथमिक शिक्षा: अधूरे लक्ष्य तथा नई शिक्षा नीति से उम्मीदें - (October 2021)
पिछले दशकों में भारत द्वारा प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र मेंविभिन्न प्रयासों के बावजूद अभीष्ट लक्ष्यों (Desired Goals) को प्राप्त नहीं किया जा सका है। इसके कारणों का विश्लेषण करना महत्वपूर्ण है।यह भी विचारणीय है कि क्या केंद्र सरकार द्वारा आरम्भ की गई नई शिक्षा नीति (NEP 2020) इन लक्ष्यों को प्राप्त कर सकती है ? शिक्षा, पूर्ण मानव क्षमता को प्राप्त
राष्ट्रपति और राज्यपाल की क्षमादान शक्तियां - (October 2021)
सतीश कुमार कर्ण राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति निरपेक्ष नहीं होनी चाहिए तथा न्यायपालिका को भी न्यायिक समीक्षा की शक्ति का प्रयोग करने में अपनी सीमाओं का अतिक्रमण नहीं करना चाहिए। क्षमादान की शक्ति सीमित न्यायिक समीक्षा के अधीन होनी चाहिए, क्योंकि न्यायिक समीक्षा हमारे संविधान का एक आधारभूत ढांचा है। हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया है
भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली: सुधार की दिशा - (October 2021)
आपराधिक न्याय प्रशासन का मुख्य उद्देश्य कानून के शासन की रक्षा और बचाव करना है। त्वरित, लागत प्रभावी एवं समयबद्ध न्याय प्रत्येक नागरिक का हक़ है परन्तु वर्तमान आपराधिक न्याय प्रणाली लोगों को त्वरित न्याय प्रदान करने में तथा अपराधियों के लिए दंड सुनिश्चित करने में असफल रही है। इसलिए आवश्यकता है कि आपराधिक न्याय सुधार की बढ़ती चुनौतियों के
महामारी के दौर में मानवीय मूल्य तथा नैतिक दुविधाएं - (October 2021)
कोविड-19 महामारी जिसने पूरे विश्व को त्रस्त किया हुआ है, ने मनुष्यता (Humanity) के समक्ष मानवीय मूल्यों की प्रासंगिकता (Relevence of Human Values) तथा नैतिक दुविधाओं (Ethical Dilemma) के संबंध में बहसों को पुनर्जीवित कर दिया है। महामारी के दौरान गंभीर रूप से बीमार मरीजों के संदर्भ में लिए जाने वाले निर्णयों से लेकर दवाईयों के उचित प्रयोग तथा टीकों के
भारत में शहरी आर्द्र-भूमियों की स्थिति : विनाश के कारण तथा उपाय - (October 2021)
इंद्रजीत भार्गव शहरीकरण की अनियमित आवश्यकताओं ने शहरी आर्द्रभूमियों को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है तथा वर्तमान समय में देश की अनेक शहरी आर्द्रभूमियां विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई हैं। ‘केंद्रीय आर्द्रभूमि विनियामक प्राधिकरण’ जैसे प्रमुख नियामक निकायों की भूमिका में वृद्धि करने तथा उचित कानूनों के निर्माण के साथ जन-भागीदारी को बढ़ावा देकर शहरी आर्द्रभूमियों को संरक्षित
जलवायु परिवर्तन अनुकूलन की विधियां तथा भारत के प्रयास - (October 2021)
चंद्रकांत सिंह जलवायु परिवर्तन आज विश्व के समक्ष सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। यह एक ऐसी वैश्विक समस्या (Global Problem) है, जो आने वाले कई दशकों तथा सदियों तक पूरे विश्व को प्रभावित करती रहेगी। कार्बन डाईऑक्साइड, जो कि एक ग्रीन हाउस गैस है, सैकड़ों वर्षों तक वातावरण में बनी रहती है, इसलिए यदि हम ग्रीन हाउस गैसों (Green
भूमि क्षरण तटस्थता एवं भारत कारण, प्रभाव एवं रणनीति - (October 2021)
डॉ- अमरजीत भार्गवभारत में भूमि क्षरण की समस्या के लिए प्राकृतिक तथा मानव निर्मित दोनों प्रकार के कारक उत्तरदायी हैं। पर्यावरण संरक्षण पर आधारित दृष्टिकोण को अपनाकर भूमि क्षरण की समस्या से निपटने के लिए दीर्घकालिक रणनीति को तैयार किया जाना अत्यंत ही आवश्यक है। भारत एक वृहद भौगोलिक आकार लिए हुए है। अतः देश में संचालित की जाने वाली
भारत की जनजातियां : उनका विकास एवं संस्कृति - (September 2021)
भारत में जनजातीय आबादी संख्यात्मक रूप से एक अल्पसंख्यक समूह होने के बावजूद विशाल विविधता का प्रतिनिधित्व करती है। जनजातीय लोगों की अपनी विशिष्ट संस्कृति और इतिहास है, वे भारतीय समाज के अन्य वंचित वर्गों के साथ अपर्याप्त राजनीतिक प्रतिनिधित्व, आर्थिक वंचना और सांस्कृतिक भेदभाव जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा नामक 3 राज्यों तथा पुडुचेरी
भारत में ईंधन कीमतों में अत्यधिक वृद्धि : कारण, विकल्प और चुनौतियां - (September 2021)
दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा ही एकमात्र समाधान है। तेल आधारित आय पर हमारी निर्भरता को कम करने का एकमात्र विकल्प हमारे देश की ऊर्जा प्रोफ़ाइल को महत्वपूर्ण रूप से बदलना, हमारी ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करना और हमारे तेल आयात को कम करना है। अक्षय ऊर्जा स्रोतों की स्वीकृति बढ़ाने के लिए प्रत्यक्ष प्रोत्साहन की आवश्यकता है। भारत में पेट्रोल और डीजल
भारत में असंगठित क्षेत्र के कामगारों की सामाजिक सुरक्षा - (September 2021)
डॉ. अमरजीत भार्गव असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों द्वारा किए जाने वाले कार्यों को सम्मान देने के साथ ही उन्हें उपयुक्त जीवन दशाएं उपलब्ध कराना अत्यंत आवश्यक है। संवैधानिक प्रावधानों तथा अनेक योजनाओं एवं नीतियों को लागू करने के पश्चात भी आज, 21वीं सदी के दूसरे दशक के अंत तक भी असंगठित क्षेत्र के कामगारों को आवश्यक जीवन स्तर प्रदान नहीं किया
जनसंख्या नियंत्रण नीति व्यावहारिकता एवं समस्याएं - (September 2021)
इंद्रजीत भार्गव भारत एक तरफ तो जनसंख्या वृद्धि की समस्या से जूझ रहा है तो वहीं दूसरी तरफ यह युवा आबादी की एक बड़ी संख्या धारित करने के साथ जनसांख्यिकीय लाभांश की स्थिति में है। कठोर जनसंख्या नीति से देश की जनसंख्या वृद्धि की समस्या का समाधान हो सकता है किंतु यह संभावना है कि आने वाले समय में भारत अपने
अमेरिकी सैनिकों की वापसी : अफ़ग़ानिस्तान में भारतीय रणनीति - (September 2021)
सतीश कुमार कर्ण 2001 में अमेरिका पर 9/11 के आतंकवादी हमलों ने अफगानिस्तान को अमेरिकी विदेश नीति की चिंता का विषय बना दिया। अमेरिका के नेतृत्व में अल-कायदा और अफगान तालिबान शासन के खिलाफ एक पश्चिमी सैन्य अभियान शुरू किया गया, जबकि पूर्व में अमेरिका ने ही इन्हें पनाह और समर्थन दिया था। तब से अमेरिका ने अफगानिस्तान में अपने 2400
नेपाल में राजनीतिक एवं संवैधानिक संकट - (August 2021)
वर्तमान राजनीतिक संकट से निकलने के लिए नई राजनीतिक व्यवस्था समय की मांग है। यह व्यवस्था चार मुख्यधारा की पार्टियों के बीच हो सकती है, अर्थात् कम्युनिस्ट पार्टी के दो गुट, नेपाली कांग्रेस और जनता समाजवादी पार्टी। विद्यमान परिस्थिति इन राजनीतिक दलों को एक साथ आने और अधिक संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य सुनिश्चित करने के लिए संवैधानिक संशोधन की तलाश करने
भारत में जलवायु परिवर्तन सुभेद्यता - (August 2021)
जलवायु परिवर्तन लगातार जारी है और यह प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र एवं मानवीय समाज को प्रभावित कर रहा है। जलवायु परिवर्तन और जलवायु परिवर्तनशीलता जैव-भौतिक प्रणालियों (पहाड़ों, नदियों, जंगलों, आर्द्रभूमियों, आदि) तथा सामाजिक-आर्थिक प्रणालियों (पहाड़ी समुदायों, तटीय समुदायों, कृषि, पशुपालन, आदि) दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। हालांकि तापमान, वर्षा, तूफानों की तीव्रता एवं आवृत्ति तथा समुद्री जल स्तर के
डीप ओशन मिशन : भारत की ब्लू इकोनॉमी को प्रोत्साहन - (August 2021)
इंद्रजीत भार्गव गहरे समुद्री संसाधन आर्थिक विकास के लिए भूमि तथा अंतरिक्ष संसाधनों के समान ही महत्वपूर्ण हैं। भारत की ब्लू इकोनॉमी के क्षेत्र में अनेक संभावनाएं व्याप्त हैं। भारत के पास उपलब्ध संभावनाओं के बावजूद देश को इस दिशा में प्रगति के लिए अभी काफी कुछ करने की आवश्यकता है। एक दीर्घकालिक रणनीति तैयार करने के साथ भारत अंतरराष्ट्रीय सहयोग
G7 सम्मेलन एवं भारत: पश्चिम के साथ संबंधों के विस्तार का अवसर - (August 2021)
सतीश कुमार कर्ण 7 देशों का समूह जिसे 'G7' के नाम से जाना जाता है, सात औद्योगीकृत लोकतंत्रें का एक अनौपचारिक समूह है। इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, कनाडा और जापान शामिल हैं। समूह के राष्ट्र प्रमुख, वैश्विक आर्थिक शासन, अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा, ऊर्जा नीति, स्वास्थ्य, मानवाधिकार और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर चर्चा करने के लिए यूरोपीय संघ और अन्य
इंटीग्रेटेड थियेटर कमांड संभावनाएं एवं चुनौतियां - (August 2021)
डॉ- अमरजीत भार्गव व्यापक क्षेत्रफल तथा विशिष्ट भौगोलिक स्थिति के कारण भारत की सुरक्षा प्रणाली ने अपनी अलग पहचान बनाई है। भारत की रक्षा प्रणाली का विकास समय-समय पर पड़ोसी देशों के साथ किए गए युद्ध तथा उत्पन्न अनेक चुनौतियों के परिप्रेक्ष्य में एक लंबी प्रक्रिया के परिणामस्वरुप हुआ है। रक्षा विकास के क्रम में इंटीग्रेटेड थियेटर कमांड का निर्माण एक
शून्य उत्सर्जन की ओर प्रतिस्पर्धी कदम एवं भारत - (August 2021)
चंद्रकान्त सिंह जलवायु परिवर्तन के सर्वाधिक नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए वैश्विक स्तर पर होने वाले हरित गैस (GHG) उत्सर्जन को 2030 तक आधा करना होगा। इसी के साथ ही हमें, मध्य-शताब्दी के आस-पास शुद्ध-शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करना होगा। इस अत्यावश्यकता को स्वीकार करते हुए बड़ी संख्या में राष्ट्रीय सरकारों, स्थानीय सरकारों तथा व्यापारिक नेताओं ने अपने
राज्यपाल बनाम स्पीकर : सत्ता के लिए संघर्ष एवं संवैधानिक नैतिकता - (July 2021)
लोकतंत्र की विश्वसनीयता इस बात पर निर्भर करती है कि इसके संस्थान व्यवहार में कैसे काम करते हैं। साथ ही, लोकतंत्र की स्थिरता न केवल संवैधानिक सिद्धांतों पर बल्कि संवैधानिक नैतिकता और संवैधानिक औचित्य पर भी निर्भर करती है। पिछले 6 वर्षों में राज्यपाल और स्पीकर के बीच सत्ता के लिए कानूनी-राजनीतिक विवाद बढ़ा है। परिणामस्वरूप सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना
लक्षद्वीप का विशिष्ट पारिस्थितिक तंत्र एवं विकास की नई दिशा - (July 2021)
इंद्रजीत भार्गव द्वीपीय क्षेत्रें का विकास आरंभ से ही क्षेत्रीय विकास कार्यक्रमों का अभिन्न अंग रहा है। विकास की एक लंबी प्रक्रिया के दौरान यह महसूस किया गया है कि लक्षद्वीप में विकास योजनाओं को अनियमित रूप से लागू किए जाना यहां की भौगोलिक एवं सांस्कृतिक विशेषताओं के अनुरूप नहीं है। सीमित संसाधनों तथा अवसरों का लाभ उठाते हुए मत्स्य पालन,
इजराइल-फि़लिस्तीन संघर्ष संतुलित प्रतिक्रिया की भारतीय नीति - (July 2021)
सतीश कुमार कर्ण विगत कुछ वर्षों में भारत सरकार इजराइल और फिलिस्तीन के प्रति अपनी नीति में काफी स्पष्टता लाई है। भारत के इजराइल और अरब देशों दोनों के साथ अच्छे संबंध हैं। इससे भारत, इजराइल के साथ-साथ अरब देशों के साथ अपने हितों को साध पाया है। इसी को ध्यान में रखते हुए भारत ने इजराइल और फिलिस्तीन के साथ
जियो-इंजीनियरिंग के अनुप्रयोग प्रमुख मुद्दे एवं पर्यावरणीय नैतिकता - (July 2021)
जियो-इंजीनियरिंग CO2 उत्सर्जन में कमी का विकल्प नहीं है, और इसे कभी भी पूरी तरह से लागू नहीं किया जा सकता। साथ ही जियो-इंजीनियरिंग सामाजिक, नैतिक,नीतिशास्त्रीय, राजनीतिक, कानूनी और शासन संबंधी मुद्दों की जटिलताओं में उलझी हुई है। इसलिए हमारा ध्यान अपनी अर्थव्यवस्थाओं को कार्बन से मुक्त करने, टिकाऊ व्यवहार प्रथाओं की वकालत करने और जलवायु परिवर्तन हेतु मजबूत लचीलापन
भारत में शरणार्थी समस्या एक व्यापक नीति की आवश्यकता - (July 2021)
डॉ- अमरजीत भार्गवमानवाधिकारों तथा विश्व कल्याण का प्रबल समर्थक होने के कारण संपूर्ण विश्व भारत से शरणार्थियों की समस्याओं का उचित प्रक्रिया द्वारा निपटान किए जाने की अपेक्षा रखता है। दक्षिण एशिया में शरणार्थियों की सर्वाधिक संख्या होने के बावजूद भारत में शरणार्थियों से संबंधित किसी भी व्यापक नीति का अभाव है। प्रमुख क्षेत्रीय शक्ति होने तथा वैश्विक राजनीति में
ज्ञान कूटनीतिः भारत की उपलब्धियां एवं चुनौतियां - (May 2021)
- इंद्रजीत भार्गव अंतरिक्ष और फार्मास्यूटिकल क्षेत्र भारत की ज्ञान-कूटनीति में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। शिक्षा, यातायात, तथा उद्योग जैसे अन्य क्षेत्रों में भी ज्ञान आधारित आत्मनिर्भरता की स्थिति को प्राप्त किया जाना अत्यंत ही आवश्यक है। इसके लिए यह जरूरी है कि क्षेत्रों का समय-समय पर इस आधार पर मूल्यांकन किया जाए कि वे भारतीय विदेश नीति के एक
समुद्री पारिस्थितिक तंत्र अवसर एवं चुनौतियां - (May 2021)
- चंद्रकांत सिंहपृथ्वी पर उपलब्ध जल (70%) का सर्वाधिक भाग समुद्रों में उपलब्ध है। पृथ्वी की भौगोलिक एवं जलवायु दशाओं के निर्धारण में समुद्री पारिस्थितिक तंत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है। इससे आर्थिक, राजनैतिक एवं पर्यावरणीय दशाओं के साथ-साथ मनुष्य के लगभग सभी क्रियाकलाप प्रभावित होते हैं। पृथ्वी पर संचालित होने वाले जल एवं रासायनिक चक्रों की सततता को बनाए रखने
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से उत्पन्न नैतिक चुनौतियां - (May 2021)
- डॉ. अमरजीत भार्गव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का तीव्र प्रसार विश्व के साथ-साथ भारत के लिए भी विशिष्ट अवसर एवं चुनौतियां उत्पन्न करता है। सतत विकास लक्ष्य जैसे महान उद्देश्यों को प्राप्त करने के संदर्भ में भी इस तकनीक की महत्ता को स्वीकार किया जा चुका है। ऐसे में इसके लाभों को देखते हुए कोई भी देश इस तकनीक के अनुप्रयोग से
शहरी समस्याओं के निदान में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका - (April 2021)
डॉ. अमरजीत भार्गव भारतीय शहर राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इनकी समस्याओं के बेहतर नियोजन के लिए शहरी प्रसार, परिवहन तथा संसाधनों के उचित प्रबंधन हेतु विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का उपयोग समय की मांग है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर आधारित शहरी नियोजन द्वारा सामाजिक, आर्थिक एवं पारिस्थितिक स्थिरता को प्राप्त करने के साथ शहरों की व्यापक
सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता हेतु भारत की आकांक्षाएं बाधाएं एवं उपलब्धियां - (April 2021)
सतीश कुमार कर्ण अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के रखरखाव में अपनी प्रभावी भूमिका का निर्वहन करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता भारत के लिए एक महत्वपूर्ण और वैध आकांक्षा है। सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश होने के नाते भारत वर्षों से सुरक्षा परिषद में प्रतिष्ठित स्थायी सीट पाने की कोशिश कर रहा है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा
हिमालय पारिस्थितिक तंत्र महत्व, असंतुलन एवं संरक्षण - (April 2021)
इंद्रजीत भार्गव भारत में जल संसाधनों, जलवायु, अर्थव्यवस्था तथा कृषि प्रतिरूप के निर्धारण में हिमालय अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। हिमालय पारिस्थितिक तंत्र में होने वाले असंतुलन का स्पष्ट प्रभाव इन सभी क्षेत्रों पर देखने को मिलता है। इसके संरक्षण की दिशा में अनेक प्रयास किए गए हैं किंतु, संस्थाओं के मध्य समन्वय के अभाव, पर्याप्त धन की अनुपलब्धता तथा राजनैतिक तटस्थता
महिलाओं की श्रम बल में घटती भागीदारी कारण, सुझाव एवं सरकार के प्रयास - (April 2021)
ऋषभ गुप्ता किसी देश में महिलाओं की श्रम में भागीदारी की दर उस देश की विकास क्षमता को इंगित करती है। श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए महिला केंद्रित नीति निर्माण के साथ एक एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जहां महिलाओं को एक निष्क्रिय लाभार्थियों के रूप में नहीं बल्कि समाज के लिए संभावित योगदानकर्ताओं के रूप में
राजनीति का अपराधीकरण एवं चुनाव सुधार - (March 2021)
भारतीय लोकतंत्र के समावेशी चरित्र को अक्षुण्ण रखने हेतु चुनावों में निष्पक्ष व कर्मठ उम्मीदवारों का चयन अपरिहार्य है जिसकी पूर्ति के लिए जल्द से जल्द राजनीति के अपराधीकरण को खत्म करने व चुनाव सुधार को लागू करना आवश्यक है। फरवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा राजनीति के अपराधीकरण पर दिए गए निर्णय ने चुनावों में आपराधिक मामले वाले उम्मीदवारों की
पर्यावरण प्रभाव आकलन अंतर्दृष्टि एवं निहितार्थ - (March 2021)
चंद्रकांत सिंह पर्यावरणीय प्रभाव आकलन योजनाकारों के लिए एक ऐसा उपकरण है जो विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने में पर्यावरणीय चिंताओं तथा विकासीय गतिविधियों के मध्य सामंजस्य को स्थापित करता है। यह एक पारदर्शी निर्णय प्रक्रिया वाला तंत्र है, जो यह तय करता है कि किसी परियोजना को मंजूरी दी जानी चाहिए अथवा नहीं। हाल ही में भारत सरकार ने पर्यावरण
पड़ोसी देशों के साथ सीमा-विवाद सुरक्षा चुनौतियां एवं उनका प्रबंधन - (March 2021)
डॉ- अमरजीत भार्गवविश्व की एक महान शक्ति के रूप में उभरने के क्रम में भारत के लिए यह आवश्यक है कि उसके पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण संबंध बनें। भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था के सफल संचालन हेतु यह अत्यंत ही आवश्यक है। अतः आवश्यकता इस बात की है कि द्विपक्षीय वार्ता तथा रचनात्मक विचार-विमर्श के माध्यम से इस प्रकार के
भारत में सौर ऊर्जा क्षेत्र: संभावनाएं, महत्व एवं चुनौतियां - (March 2021)
वीरेंद्र अलावदाभारत सौर ऊर्जा संसाधन से समृद्ध देश है। इसलिए भारत में जलवायु परिवर्तन के दबाव को कम करने हेतु सौर ऊर्जा क्षेत्र में तकनीकी विकास के साथ-साथ इसे तेजी से अपनाने पर भी जोर दिया जा रहा है। भारत द्वारा पिछले कुछ वर्षों में ऊर्जा सुरक्षा को प्राप्त करने तथा ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बेहतर
भारत में स्टार्टअप क्षेत्र नीतियां, अवसर एवं चुनौतियां - (March 2021)
इंद्रजीत भार्गववर्तमान समय, भारत में स्टार्टअप क्षेत्र की उद्यमिता के विकास के लिए एक स्वर्णिम काल है। हालांकि, अभी भी कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां स्टार्टअप उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सुधार करने की आवश्यकता है। भारत सरकार की भूमिका इस दिशा में मददगार हो सकती है_ वह एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करके भारत को विश्व की
नवीन कृषि अधिनियम विरोध का कारण एवं विश्लेषण - (February 2021)
वीरेंद्र अलावदा सकल घरेलू उत्पाद में 16% योगदान करने वाली तथा देश की आधी से अधिक जनसंख्या को आजीविका प्रदान करने वाली भारतीय कृषि आज भी कई तरह की समस्याओं का सामना कर रही है। भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि के महत्त्वपूर्ण योगदान को देखते हुए वर्तमान सरकार द्वारा व्यापक नीतिगत परिवर्तन के माध्यम से कृषि क्षेत्र के सुधारों पर बल
जो बाइडेन काल में भारत-अमेरिका संबंध निरंतरता और परिवर्तन - (February 2021)
सतीश कुमार कर्ण पिछले दो दशकों में भारत-अमेरिका संबंध, व्यापार और आव्रजन मुद्दों को छोड़कर, काफी सहज रहे हैं। व्यापार से संबंधित बाजार पहुंच पारंपरिक रूप से द्विपक्षीय संबंधों में एक अड़चन रही है, जबकि आव्रजन मुद्दे मुख्य रूप से ट्रंप प्रशासन के दौरान उठाए गए। अब अमेरिका में सत्ता में बदलाव के साथ, रणनीतिक/सैन्य, आर्थिक और राजनीतिक सहयोग जैसे प्रमुख
भारत में निजीकरण की नवीन प्रवृत्ति एवं उसके आर्थिक प्रभाव - (February 2021)
ऋषभ गुप्ता निजीकरण की नवीन प्रवृत्ति के बहुआयामी प्रभाव हो सकते हैं परंतु इसका मुख्य प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। यह भारत सरकार द्वारा निर्धारित 2024-25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य में सहायक हो सकता है, साथ ही इसके परिणामस्वरूप भारत सरकार अपने राजकोषीय लक्ष्य को प्राप्त कर सकती है। परंतु इससे संबंधित कुछ चिंताएं भी हैं।
चरम जलवायु घटनाओं में वृद्धि प्रभाव तथा उपाय - (February 2021)
डॉ. अमरजीत भार्गव चरम जलवायु घटनाएं अल्पकालिक अथवा दीर्घकालिक तथा क्षेत्रीय अथवा वैश्विक हो सकती हैं। अतः इनके प्रभाव भी समय तथा स्थान के अनुसार भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। 21वीं सदी में विकास के मार्ग में चरम जलवायु घटनाओं द्वारा मानव जीवन को सुरक्षित करना एक महत्वपूर्ण आयाम के रूप में स्वीकार किया गया है। इस परिप्रेक्ष्य में वैश्विक तथा राष्ट्रीय
जल-संकट की गंभीर स्थितिकारण एवं समाधान - (January 2021)
वीरेंद्र अलावदा जल, जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने वाला एक प्रमुख प्राकृतिक संसाधन है। किन्तु लंबे समय से जल संरक्षण की उपेक्षा, जल संसाधनों के दुरुपयोग, नदीय प्रदूषण एवं अत्यधिक भूजल दोहन के कारण भारत एक गंभीर जल संकट के कगार पर है। इन सभी के बावजूद जल संकट और उसका प्रबंधन भारत में आम चर्चाओं का विषय नहीं बन
भारत में डीप टेक स्टार्टअपकी संभावनाएं - (January 2021)
प्रीति कुमारी भारत की उभरती आवश्यकताओं तथा राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए गूगल जैसी तकनीक भारत में विकसित करना जरूरी हो गया है। इसलिए, भविष्य को ध्यान में रखते हुए भारत में भी डीप टेक स्टार्टअप उन्नत स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकसित करने की दिशा में गंभीरतापूर्वक काम कर रहे हैं। डीप टेक वास्तविक वैज्ञानिक प्रगति पर आधारित नवाचार है। किसी
पश्चिमी घाटपारिस्थितिक असंतुलन एवं संरक्षण - (January 2021)
डॉ. अमरजीत भार्गव भूमि उपयोग नीति और कानून प्रवर्तन के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसी मानवीय क्रियाओं पर रोक लग सके, जो जैव-विविधता संरक्षण में बाधक हैं। पश्चिमी घाट के संरक्षण के प्रयासों और विकास के बीच संतुलन की मांग की जानी चाहिए और संबंधित राज्य सरकारों को पश्चिमी घाट में पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रें के
डिजिटल एवं धारणीय अर्थव्यवस्थाकी ओर भारत के कदम - (January 2021)
सत्य प्रकाश हाल ही में विश्व आर्थिक मंच के अध्यक्ष क्लॉस श्वैब ने भारतीय अर्थव्यवस्था में उपलब्ध अवसरों का लाभ उठाने के लिए डिजिटल एवं धारणीय अर्थव्यवस्था की तरफ तेजी से कदम बढ़ाने की सलाह दी। ऐसी अर्थव्यवस्था में उत्पादन से लेकर उपभोग तक सभी स्तरों पर डिजिटल एवं धारणीय समाधानों का उपयोग किया जाता है। भारतीय अर्थव्यवस्था के डिजिटल एवं
नागोर्ना-कारबाख संघर्ष क्षेत्रीय सुरक्षा और ऊर्जा बाजार के लिए खतरा - (December 2020)
सतीश कुमार कर्ण शांति स्थापित करने के पहले प्रयास के रूप में संभवतः शुरुआती कदम यह हो सकता है कि अजेरी लोगों को प्रतीकात्मक रूप से कुछ भूमि इस शर्त पर वापस कर दी जाए कि दोनों देशों द्वारा युद्ध विराम समझौते का सम्मान किया जाएगा। तत्पश्चात अगले कदम के रूप में सीमाएं खोलने पर विचार किया जाना चाहिए। हालांकि जिस
विकासशील देशों में सततविकास की चुनौतियां - (December 2020)
शुभम मिश्रा वर्तमान समय में विकासशील देशों के समक्ष सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त करना प्रमुख चुनौती का विषय बना हुआ है। अगर अफ्रीकी, अमेरिकी और एशियाई देशों की बात करें तो इन देशों में फंडिंग की सबसे बड़ी समस्या है। इसी कारण से यहां पर स्वास्थ्य सेवाओं में काफी कटौती की जाती है। वर्तमान समय में विकासशील देशों के समक्ष सतत
सुरक्षा परिषद में आवश्यक सुधारएवं भारत - (December 2020)
वीरेंद्र अलावदा संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद से अब संपूर्ण विश्व पूरी तरह बदल चुका है। परिस्थितियां काफी बदल गई हैं, देशों की संख्या बढ़ गई है और चुनौतियाँ भी बढ़ गई हैं। ऐसे में इन नई चुनौतियों से निपटने के लिये संयुक्त राष्ट्र में सुधारों और नवीन समाधानों की आवश्यकता भी महसूस की जा रही है साथ ही भारत
भारत में प्राथमिक शिक्षाप्रवृत्तियां एवं चुनौतियां - (December 2020)
डॉ- अमरजीत भार्गव 21वीं सदी के प्रथम दशक में सार्वभौमिक शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करने के अनेक प्रयास किए गए_ इसी संदर्भ में भारत में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 लागू किया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि एक दशक के अंदर ही 96%से अधिक बच्चों का (6 से 14 वर्ष की आयु के) स्कूलों में नामांकन हो गया। हालांकि शिक्षा
स्वास्थ्य आपदा की स्थिति में टिकाऊ अवसंरचना की भूमिका - (November 2020)
प्रीति कुमारी वैश्विक स्वास्थ्य संकट ने हमारे समक्ष परिवर्तनकारी भविष्य के लिए एक ऐसे टिकाऊ आधारभूत अवसंरचना को खड़े करने की जरूरत को रेखांकित किया है जहां अधिक अनुकूलनीय, लचीला, बहुउद्देश्यीय और समावेशी बुनियादी ढाँचा समाज को उभरते खतरों के प्रति लचीला बने रहने में मदद कर सके। कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी से उत्पन्न परिस्थितियों ने दर्शाया है कि इस प्रकार की संक्रामक
कृषि अर्थव्यवस्था: आर्थिक उन्नति की प्रमुख संचालक - (November 2020)
वीरेंद्र अलावदा भारत एक कृषि प्रधान देश है तथा कृषि देश के सामाजिक-आर्थिक विकास की आधारशिला है। भारत सरकार ने कृषि एवं ग्रामीण अवसंरचना के विकास पर तेज़ी से ध्यान केंद्रित किया है, ताकि कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने, आजीविका क्षेत्र में विविधता लाने, गरीबी निवारण से संबंधित उपायों को लागू कर कृषकों की आय में वृद्धि कर कृषि एवं ग्रामीण
भारत में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली व इसकी चुनौतियां - (November 2020)
शुभम मिश्रा वैश्विक महामारी कोरोना ने प्राथमिक स्वास्थ्य प्रणाली के महत्व को उजागर किया है। क्योंकि विकसित स्वास्थ्य व्यवस्था न होने के कारण अनेक समस्याओं का महामारी काल में सामना करना पड़ रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि महामारी के दौर में निजी अस्पतालों ने पूरी तरह से अपने हाथ खड़े कर दिए हैं जिसका बोझ सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली पर देखने
नई शिक्षा नीति 2020: समीक्षा एवं विश्लेषण - (October 2020)
वीरेंद्र अलावदा न्यायसंगत एवं न्यायपूर्ण समाज के विकास,मानव की पूर्ण क्षमता की प्राप्ति तथा राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा एक मूलभूत आवश्यकता है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुँच,सामाजिक न्याय, समानता, वैज्ञानिक उन्नति, राष्ट्रीय एकीकरण और सांस्कृतिक संरक्षण के संदर्भ में भारत की सतत प्रगति और आर्थिक विकास की कुंजी है। इसी परिप्रेक्ष्य में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020लाई
भारत में भूस्खलन का जोखिम: कारण एवं प्रभाव - (October 2020)
शुभम मिश्रा इन्ट्रो हाल के वर्षों में भूस्खलन की घटना में निरंतर वृद्धि दर्ज की गई है। भूस्खलन की घटना विश्व के विभिन्न क्षेत्रें में घटित होती है लेकिन एक अध्ययन के मुताबिक भूस्खलन की घटना दक्षिण एशिया के ज्यादातर देशों में हाल के वर्षों में ज्यादा देखने को मिल रही है। भारत में भूस्खलन की घटनाओं को प्रायः हिमालयी क्षेत्र से जोड़कर
चाबहार परियोजना: भारत के लिए एक खोया हुआ अवसर - (October 2020)
सतीश कुमार कर्ण इन्टो रेलवे परियोजना में भारत की असमर्थता के कारण इसे एक खोए हुए अवसर के रूप में देखा जा सकता है। आधुनिक युग में कनेक्टिविटी को नई मुद्रा के रूप में देखा जाता है और भारत का नुकसान चीन का लाभ बन सकता है। चाबहार ओमान की खाड़ी में सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित एक बंदरगाह है। भारत के पश्चिमी तट
आर्थिक आधार पर आरक्षण प्रावधान एवं संभावित चुनौतियां - (March 2019)
सरकारी नौकरियों एवं शिक्षा में जाति आधारित कोटा के प्रावधान से सामाजिक व्यवस्था में एक नवीन आयाम की संभावना। 9 जनवरी, 2019 को संसद ने उच्च जातियों सहित आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए नौकरियों एवं शिक्षा में आरक्षण प्रदान करने के लिए 124वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम को मंजूरी दी थी। इस विधेयक को लोकसभा में 323 मतों के बहुमत
आस्था बनाम् नारीवाद - (March 2019)
सबरीमाला मंदिर प्रवेश मुद्दा तथा सामाजिक परिवर्तन-अमूल्या गोपालाकृष्णन, द टाइम्स ऑफ इंडिया सबरीमाला मंदिर मुद्दे को लेकर अक्टूबर 2018 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद से ही केरल में सामाजिक तनाव की स्थिति बनी हुई है। नारीवाद बनाम आस्था के मुद्दे को लेकर हो रहे विवाद में प्रतिक्रियावादी और तर्कवादी दोनों पक्ष इस विवाद पर कोई बीच का रास्ता
अंतरिक्ष दौड़ भारतीय अंतरिक्ष तकनीक की संभावनाएं व चुनौतियां - (March 2019)
अंतरिक्ष तकनीक का विस्तार, वैश्विक परिदृश्य को एक नया आयाम दे सकते हैं। चीन 2 जनवरी, 2019 को चंद्रमा पर खोजबीन करने वाला तीसरा देश बन गया। यह खोजबीन कार्य इसलिए अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि चीन ने चंद्रमा के भाग पर अपना अंतरिक्ष अभियान शुरू किया है। विश्व में पहली बार किसी देश ने इस प्रकार का अंतरिक्ष अभियान संचालित किया
खेती-किसानी का संकट - (March 2019)
भारतीय खेती में आज भी संवर्द्धित बीज, फार्मिंग तकनीक के अभाव के कारण फसलों की लागत में बढ़ोत्तरी हो जाती है। भारत की 70% जनसंख्या ग्रामीण है और यहां रोजगार का मुख्य साधन खेती-किसानी है। आजादी के बाद से कृषि उत्पाद में बढ़ोत्तरी देखने को मिली है पर उस अनुपात में किसानों की आय व समृद्धि में बढ़त नहीं हुई। इस
महिला भागीदारी आर्थिक वृद्धि के लिए लैंगिक समानता आवश्यक - (March 2019)
किसी भी देश की आधी आबादी के कार्यबल को तरजीह दिए बगैर एकीकृत विकास संभव नहीं भारत आज सकल घरेलू वृद्धि दर के मामले में एक अग्रणी देश है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार भारत की आर्थिक विकास दर अगले दो साल तक सबसे तेज गति से बढ़ने वाली बनी रहेगी। इस विकास गति में यदि महिलाओं की भागीदारी
बदलती वैश्विक व्यवस्था व भारत - (March 2019)
अमेरिका व चीन की नीतियों का वैश्विक प्रभाव -चंद्रकांत सिंह 21वीं सदी की शुरुआत के बाद से वैश्विक स्थिति में बदलाव देखने को मिला है। मुख्य रूप से इसका कारण आर्थिक महाशक्ति के रूप में चीन का उभरना है। विश्व अब एक-ध्रुवीय अमेरिकी वर्चस्व से बहु-ध्रुवीय अमेरिकी तथा चीन प्रभावित व्यवस्था के रूप में बदल रही है। इस प्रकार नयी वैश्विक व्यवस्था
वर्तमान परिदृश्य में भारत-लैटिन अमेरिका संबंध - (March 2020)
बदलते वैश्विक परिदृश्य और लैटिन अमेरिका के महत्व को देखते हुए भारत इस क्षेत्र के देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों के माध्यम से राजनीतिक और वाणिज्यिक संबंधों को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है। 1959 में हुई क्यूबा क्रांति के दौरान भारत उन कुछ देशों में से एक था, जिसने फिदेल कास्त्रे के अधीन नये शासन को आधिकारिक रूप से
ऑस्ट्रेलियाई वनाग्नि एवं जलवायु परिवर्तन - (March 2020)
बढ़ता तापमान और जलवायु परिवर्तन से वनाग्नि की घटनाओं में निरंतर वृद्धि हुई है जिससे व्यापक रूप से जैव-विविधता एवं पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित हो रहा है। वनाग्नि हमेशा पृथ्वी के प्राकृतिक चक्र का एक हिस्सा रही है परन्तु हाल के वर्षों में वनाग्नि की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है। वनों में लगने वाली इस आग ने पिछले वर्ष संयुक्त राज्य
भारतीय अल्पसंख्यकः संवैधानिक अधिकार एवं रक्षोपाय - (March 2020)
संवैधानिक उपायों और सरकार की पहलों के माध्यम से भारतीय अल्पसंख्यकों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करके उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल किया जा सकता है। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए पेश किए बजट में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रलय को 5029 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो कि पिछली बार किए गए आवंटन की तुलना से 329 करोड़ रुपये
आर्थिक रूपांतरण में एआई की भूमिका - (March 2020)
उभरती हुई एआई तकनीक द्वारा भावी आर्थिक संभावनाओं को साकार करके मानव केंन्द्रित और समावेशी वातावरण का सृजन किया जा सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पूर्वानुमानों में सुधार करने और बेहतर निर्णय लेने की क्षमता से युक्त उभरती तकनीक है। यह उत्पादकता में वृद्धि करने, कल्याण को सुनिश्चित करने तथा जटिल वैज्ञानिक और सामाजिक चुनौतियों का समाधान करने के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक
बाह्य अंतरिक्ष एवं अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा - (March 2020)
बाह्य अंतरिक्ष में बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने इसके कारण उत्पन्न होने वाले अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के जोखिम को बढ़ाया है। इस कारण से बाह्य अंतरिक्ष की सुरक्षा हेतु वैश्विक पहलों के माध्यम से प्रयास किये जा रहे हैं। हाल के वर्षों में बाह्य अंतरिक्ष में प्रतिस्पर्द्धा बढ़ी है और इसने बाह्य अंतरिक्ष एवं अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर बहस को तेज कर दिया है। दिसंबर
हिन्द प्रशांत क्षेत्र में क्वाड की भूमिका एवं महत्व - (September 2020)
भारत, हिंद-प्रशांत के समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा और स्थायित्व तथा बहु-ध्रुवीय हिंद-प्रशांत व्यवस्था का पक्षधर रहा है। यह इस बात को सुनिश्चित करना चाहता है कि कोई एक देश इस पर वर्चस्व स्थापित न करे। इस दिशा में क्वाड समूह एक मुक्त, खुले एवं नियम आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्थापना के साथ-साथ शक्ति संतुलन में भी अहम भूमिका निभा सकता
भारत में साइबर सुरक्षा चुनौतियां एवं विनियामक रूपरे खा - (September 2020)
सत्य प्रकाशकृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, इंटरनेट-सक्षम डिवाइस और बिग डेटा जैसी तकनीकों ने साइबर हमले के पारिस्थितिक तंत्र को जटिल बना दिया है। फिर भी, देश की एजेंसियां चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हैं। भारतीय संस्थाओं ने चीन और अन्य देशों के बड़े साइबर हमलों से सफलतापूर्वक बचाव किया है।भारत सरकार द्वारा जून से जुलाई 2020 के दौरान कुल
भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली: सुधार की आवश्यकता - (September 2020)
शुभम मिश्रा भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली को न्याय दिलाने के आश्वासन के साथ-साथ ला खों लोगों के अधिकारों की प्रहरी और ढाल की तरह कार्य करना पड़ता है, जिस पर लोगों की उम्मीद आज भी टिकी हुई है इसलिए इसे मजबूती के साथ बनाए रखने की आवश्यकता है। किसी लोकतांत्रिक देश में न्यायपालिका विवादों को सुलझाने एवं अपराध कम करने का
सार्वजनिक उद्यमों का विनिवेश (औचित्य एवं प्रभाव) - (April 2020)
हाल ही में लोकसभा में एक सवाल के जवाब में सरकार ने यह जानकारी दी है कि 28 कंपनियों में विनिवेश यानी हिस्सेदारी बेचने को लेकर सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान की गई है। वित्त राज्य मंत्री ने बताया कि वर्ष 2020-21 के दौरान सरकार ने विनिवेश के लिए 65000 करोड़ का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सरकार
वर्तमान परिदृश्य में डेटा गवर्नेंस - (April 2020)
डेटा गवर्नेंस, व्यक्तियों व व्यवसायों के डेटा पर नियंत्रण एवं विनियमन को एकीकृत करके विनियामक वातावरण को आसान बनाते हुए विशेषज्ञों को अवसर प्रदान करता है। यह नियमों के अनुरूप संगठनों को डेटा के बेहतर उपयोग में मदद कर सकता है। हाल ही में लोकसभा में प्रस्तुत किए गए व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक (Personal Data Protection Bill), 2019 को परीक्षण के
कोरोनोवायरस एवं वैश्विक आर्थिक मंदी - (April 2020)
चंद्रकांत सिंह कोरोनावायरस के प्रकोप ने वैश्विक अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजारों को संक्रमित करना शुरू कर दिया है। विश्वभर में यह यात्रा, व्यापार और आपूर्ति श्रृंखला को नुकसान पहुंचा रहा है। सरकारों के लिए यह पता लगाना आवश्यक है कि इस प्रकोप का सामना करने एवं इसे नियंत्रित करने हेतु क्या उपाय किए जा सकते हैं। चीन के वुहान से शुरू हुआ
भारत में परिशुद्धता कृषि अनुप्रयोग एवं चुनौतियां - (April 2020)
ऋषभ श्रीवास्तव यह एक आधुनिक कृषि पद्धति है जिसमें उत्पादकता एवं लाभप्रदता में सुधार के लिए रिमोट सेंसिंग, जीपीएस और भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) जैसी कृषि प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाता है। वास्तव में परिशुद्धता कृषि का संबंध कृषि को सही तरीके, सही स्थान एवं सही समय पर करने से है। थाईलैंड की राजधानी बैंकाक में नवंबर 2019 में पहले विश्वव्यापी ‘परिशुद्धता
महिलाओं का अल्प प्रतिनिधित्व न्यायिक निर्णय व संबंधित मुद्दे - (May 2020)
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के पक्ष में फैसला सुनाया और सरकार से सशस्त्र बलों में पुरुषों और महिलाओं के साथ समान व्यवहार करने को कहा। इससे पूर्व भी सर्वोच्च न्यायालय ने सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के दिल्ली हाईकोर्ट के 2010 के आदेश का पालन नहीं
उभरते स्वास्थ्य जोखिम एवं वन हेल्थ मॉडल - (May 2020)
प्रीति कुमारीदिसंबर 2019 में ‘गंभीर तीव्र स्वश्न सिंड्रोम कोरोना वायरस 2’ (Severe Acute Respiratory Syndrome Corona Virus 2) यानी सार्स-कोव-2 (SARS-CoV-2) नामक जूनोटिक कोरोना वायरस का उभार देखा गया- वर्तमान में इस वायरस से जनित बीमारी- ‘2019 नोवेल कोरोना वायरस रोग’ (2019 novel coronavirus disease) या कोविड-19 का विश्वव्यापी प्रभाव देखा जा रहा है- वर्ष 2003 में सार्स कोरोना
भारत में भूमि सुधारः चुनौतियां एवं समाधान - (May 2020)
जनगणना 2011 के अनुसार भारत की कुल श्रमशक्ति 400 मिलियन से अधिक है, जिसमें से करीब 13 मिलियन सीधे कृषि कार्य में लगे हुए हैं तथा इनका आर्थिक आय में योगदान 16.5 प्रतिशत है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि कार्य के महत्व को उजागर करता है, जिसका मुख्य आधार भूमि है। स्वतंत्रता के समय भूमि का स्वामित्व कुछ लोगों तक
भारत में कृषि विपणन प्रणाली में सुधार - (June 2020)
बजट 2020-21 पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री ने 16 बिंदुओं वाली कार्य योजना प्रस्तुत की। इसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देना है, जिससे कृषकों की आय को वर्ष 2022 तक दोगुना करने के लक्ष्य को पाया जा सके। बजट 2020-21 की 16 बिंदु कार्य योजना में मुख्य जोर कृषकों द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं के
अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार की चुनौती व संभावित समाधान - (June 2020)
पहले से ही धीमी हो रही भारतीय अर्थव्यवस्था अब वैश्विक महामारी कोविड-19 के चलते लॉकडाउन से जूझ रही है। हालांकि भारत अभी तक अन्य देशों की तुलना में इस महामारी के प्रकोप का कुशलतापूर्वक प्रबंधन करने में सफल रहा है। किन्तु इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत सहित दुनिया भर की जीडीपी पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
वैश्विक शरणार्थी संकट एवं यूएन अभिसमय - (February 2020)
विश्व के शरणार्थियों का उत्पीड़न और संघर्ष निरंतर जारी है। वैश्विक मंचों के माध्यम से इनके जीवन को बचाने, अधिकारों की रक्षा और जिम्मेदारी को साझा करने की तत्काल आवश्यकता है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार वर्ष 2018 के अंत तक दुनिया उच्चतम स्तर के विस्थापन का गवाह बनी जहां संघर्ष और उत्पीड़न के कारण 70.8 मिलियन लोगों को अपने
उपेक्षित ट्रांसजेंडर समुदाय व नवीन अधिनियम - (February 2020)
ट्रांसजेंडर समुदाय को हर स्तर पर भेदभाव और शोषण का सामना करना पड़ता है। नवीन अधिनियम इस समुदाय को समाज की मुख्यधारा से सम्मिलित करने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है। ट्रांसजेंडर समुदाय देश के सबसे उपेक्षित समुदायों में से एक है, क्योंकि वे ‘पुरुषों’ और ‘महिलाओं’ के रूढि़वादी समाज में फिट नहीं होते। इसी वजह से वे
भारत- मध्य एशियाः साझा पहल एवं परियोजनाएं - (February 2020)
अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा भारत, रूस, ईरान ने 16 मई, 2002 को अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा परियोजना के लिये समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। रूस, भारत और ईरान इस परियोजना के संस्थापक सदस्य देश है। 7200 किलोमीटर लंबे रेल, सड़क और समुद्री परिवहन वाले इस अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर पर भारत, रूस और ईरान ने वर्ष 2000 में सहमति प्रदान की
भारत-मध्य एशिया भू राजनीतिक एवं आर्थिक सहयोग - (February 2020)
भारत और मध्य एशिया के बीच के मजबूत संबंध भू-राजनीतिक एवं भू-आर्थिक हितों को बढ़ावा देने के साथ-साथ इस क्षेत्र और विश्व में शांति, सुरक्षा, स्थिरता, आर्थिक विकास और संवृद्धि को भी बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।1991 में तत्कालीन सोवियत संघ के पतन के बाद 5 मध्य एशियाई गणराज्यों का निर्माण हुआ। यह कैस्पियन सागर के पूर्व,
चीन के साथ व्यापार प्रतिबंध: प्रासंगिकता एवं प्रभाव - (August 2020)
वीरेन्द्र अलावदा लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष में भारतीय जवानों के शहीद होने के बाद चीन के विरुद्ध व्यापक विरोध प्रदर्शन तथा व्यापार प्रतिबंध का विचार जोर पकड़ रहा है किन्तु कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यदि चीन के साथ व्यापार पर प्रतिबंध लगाया जाता है तो इससे चीन की अपेक्षा भारत को ही अधिक
एमएसएमई क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में भूमिका एवं अवसर - (August 2020)
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) क्षेत्र भारत के आर्थिक विकास के इंजन हैं। भारत में एमएसएमई का महत्व इस तथ्य से स्पष्ट है कि एमएसएमई क्षेत्र का देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 37.54 प्रतिशत, विनिर्माण उत्पाद में लगभग 45 प्रतिशत एवं कुल निर्यात मे 40 प्रतिशत से अधिक का योगदान है। कोरोना वायरस की रोकथाम के
भारत में कुपोषण की चुनौती एवं उपाय - (August 2020)
शुभम मिश्रा हाल ही में जारी वैश्विक पोषण रिपोर्ट कुपोषण के सभी रूपों में प्रसार और उसकी सर्वव्यापकता को दर्शाती है। वर्ष 2020 की इस रिपोर्ट के अनुसार भारत, कुपोषण के मामले में सबसे अधिक स्थानीय असमानता वाले देशों में से एक है। हालांकि भारत में पिछले कुछ दशकों में बच्चों और किशोरों में कम वजन वाले मामलों की दर में
आंतरिक सुरक्षा एवं सोशल मीडिया - (February 2020)
सोशल मीडिया इंटेलिजेंस के जरिए साइबर सुरक्षा के दायरे का विस्तार किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बिग डेटा एनालिटिक्स जैसी आधुनिक तकनीकों से सोशल मीडिया से उत्पन्न आंतरिक सुरक्षा खतरों का मुकाबला भी किया जा सकता है। नागरिकता संशोधन अधिनियम तथा राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के िखलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों एवं पुलिस की सख्ती के चलते हाल ही
जनजातीय समुदाय की स्वास्थ्य स्थिति - (January 2019)
भारत में जनजातीय या आदिवासी समुदायों के बीच अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्र में सांस्कृतिक व सामाजिक आधार पर भिन्नता पाई जाती है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National family health survey - NFHS) द्वारा दिसंबर, 2017 में जारी 2015-16 की रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य सेवाओं व आधारभूत सुविधाओं की कमी, कुपोषण तथा बाल मृत्यु दर जनजातीय समुदाय की आम समस्याएं है। हालांकि,
नौपरिवहन का पारिस्थितिकीय प्रभाव - (January 2019)
नदी एवं जलीय प्राणियों पर नौपरिवहन का प्रभाव केंद्र सरकार ने नौपरिवहन के उद्देश्य से 12 नवंबर, 2018 को वाराणसी में गंगा नदी पर भारत के पहले बहु-मॉडल टर्मिनल का उद्घाटन किया। यह बहु-मॉडल टर्मिनल जल मार्ग विकास परियोजना (JMVP) के अंतर्गत बनाया गया है जिसका लक्ष्य वाराणसी तथा हल्दिया के बीच जलमार्ग का विस्तार करना और 1,500-2,000 टन वजन वाले
3D प्रिंटिंग के विभिन्न आयाम - (January 2019)
प्रोटोटाप नमूने में बदलाव तथा विभिन्न क्षेत्रें पर प्रभाव 3D प्रिंटिंग तकनीक से बना प्रोटोटाइप नमूना किसी वास्तविक नमूने की तरह विनिर्माण की योजना व नीति बनाने में सहायक सिद्ध होता है। HP के सीईओ डिओन वाइजलर (Dion Weisler) के अनुसार 12 ट्रिलियन डॉलर के विनिर्माण उद्योग में चौथी औद्योगिक क्रांति लाने में 3D प्रिंटिंग तकनीक अहम भुमिका निभाएगी। भारत को
ईरान प्रतिबंध और भारतीय दुविधा - (January 2019)
क्या भारत आने वाले समय में अमेरिकी प्रतिबंधों और इस क्षेत्र में उभरती भौगोलिक स्थिति के साथ नयी चुनौतियों का सामना कर पायेगा? ईरान परमाणु समझौते को औपचारिक रूप से जॉइंट कम्प्रेहिन्सिव प्लान ऑफ एक्शन (Joint Comprehensive Plan of Action) के रूप में जाना जाता है। इस समझौते के तहत ईरान को परमाणु विकास कार्यक्रम को रोकने के लिए सहमत होने के
दोषपूर्ण जीन सुधार प्रक्रिया - (January 2019)
अनुवांशिक समस्याओं से निजात पाने में दोषपूर्ण जीन सुधार प्रक्रिया एक आकर्षक अनुसंधान प्रयोग है। परंतु यह समाज में असमानता व अन्य खतरनाक परिणाम भी उत्पन्न कर सकते हैं। किसी ‘दोषपूर्ण जीन’ को सुधारने या उसे दूसरे जीन से प्रतिस्थापित करने की प्रक्रिया को जीनोम एडिटिंग (Genome editing) कहा जाता है। 28 सितंबर, 2018 को हांगकांग (चीन का स्वायत्त प्रदेश) में
कॉरपोरेट टैक्स अवॉइडेंस की समस्या - (January 2020)
कॉरपोरेट कंपनियों को पारदर्शिता की राह में बाधा उत्पन्न करने की तानाशाही मानसिकता को छोड़ना होगा, ताकि सरकार राजकोषीय संसाधनों को बढ़ाने के उपायों और असमानताओं को दूर करने वाली नीतियों को विकसित करने हेतु पर्याप्त राजस्व जुटा सके। हाल ही में सरकार द्वारा वैश्विक मंदी के प्रभाव को दूर करने के लिए कॉर्पाेरेट क्षेत्र के लिए कर राहत की घोषणा
नागरिकता संशोधन विधेयक संबंधित मुद्दे, चुनौतियां एवं परिणाम - (January 2020)
अवैध प्रवासियों की बड़ी संख्या पहले से ही आतंकवाद, नक्सलवाद जैसी चुनौतियों से जूझते भारत में आंतरिक सुरक्षा संबंधी विभिन्न चुनौतियां उत्पन्न कर सकती है। शीतकालीन सत्र के लिए केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित विधेयकों की सूची में नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 को भी शामिल किया गया है। इसे लेकर पूर्वाेत्तर क्षेत्र में व्यापक विरोध प्रदर्शन जारी है। इसके पूर्व यह विधेयक राज्यसभा
गरीबी से उन्मुक्ति के दशकीय प्रयास - (January 2020)
गरीबी की संकल्पना तथा भारत में गरीबी उन्मूलन के स्थायी समाधान और सतत् विकास लक्ष्य की प्राप्ति के लिए किए गये प्रयास। हाल ही में वैश्विक गरीबी को कम करने के प्रयोगात्मक दृष्टिकोण के लिए अभिजीत बनर्जी, एस्टेर डुफ्लो और माइकल क्रेमर को अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। बनर्जी तथा डुफ्लो के आलोचक और समर्थक समान रूप से
अयोध्या निर्णय के संवैधानिक आयाम - (January 2020)
अयोध्या निर्णय से जुडे़ प्रमुख बिंदु, साक्ष्य व संवैधानिक उपबंध भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में, माननीय सर्वाेच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ द्वारा 9 नवम्बर, 2019 को राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद विवाद में बहुप्रतीक्षित व ऐतिहासिक निर्णय दिया गया। फैसले के प्रमुख बिंदु माननीय सर्वाेच्च न्यायालय ने माना कि हिंदुओं ने बाहरी आंगन पर अपना विशेष अधिकार सिद्ध किया है, लेकिन मुस्लिम
भारत में 5जी तकनीक संभावित अनुप्रयोग व चुनौतियां - (June 2019)
5जी की दौड़ में पीछे रहना भारत में प्रौद्योगिकी विकास के लिए उचित नहीं है इसलिए इस नवीनतम तकनीक के प्रभावी, कुशल तथा लाभकारी उपयोग के लिए इसे तैयार रहना चाहिए अप्रैल, 2019 को दक्षिण कोरिया ने विश्व का पहला देशव्यापी 5जी मोबाइल नेटवर्क लॉन्च किया, जो अपने उपयोगकर्ताओं को सुपर-फास्ट वायरलेस तकनीक तक पहुंच प्रदान करता है। हालांकि, 5जी तकनीक
अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन स्वरूप एवं महत्व - (June 2019)
आईएसए भारत का एक प्रमुख राजनयिक कदम है तथा इसने जलवायु परिवर्तन, नवीकरणीय ऊर्जा एवं सतत विकास के क्षेत्र में भारत को एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करने का अवसर भी प्रदान किया है। अप्रैल 2019 तक अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन फ्रेमवर्क समझौते पर 75 देशों द्वारा हस्ताक्षर किए जा चुके हैं, जबकि 52 देशों ने इसकी पुष्टि की है। अंतरराष्ट्रीय
लोकतांत्रिक भारत में महिला प्रतिनिधित्व - (June 2019)
राष्ट्र के नीति निर्माताओं को अब यह महसूस करना होगा कि न्यायपालिका, सशत्र बलों तथा राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अब मजबूरी नहीं बल्कि समय की मांग है।स्वतंत्रता के सात दशक बीत जाने के बाद तथा सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के संवैधानिक अधिकार के बावजूद भारत में राजनीति, न्यायपालिका, आर्थिक क्षेत्र, सैन्य और अन्य संस्थानों में महिलाओं की भागीदारी अभी भी
नवीन शीत युद्ध की ओर विश्व - (May 2019)
वैश्विक स्तर पर प्रमुख आर्थिक शक्ति वाले देशों के बीच अपने हितों की सुरक्षा को लेकर जारी टकराव 21वीं सदी के शीत युद्ध का स्वरूप ले रहा है। पछले कुछ वर्षों के वैश्विक घटनाक्रम का विश्लेषण करने से स्पष्ट होता है कि कई देश सुरक्षा, व्यापार, निवेश तथा प्रौद्योगिकी के मुद्दे पर वैश्विक संधि या समझौतों से अलग हो रहे
निर्वाचन आयोग में सुधार की आवश्यकता - (May 2019)
संविधान द्वारा कई अधिकार दिये जाने के बावजूद निष्पक्ष चुनाव के प्रति मतदाताओं का भरोसा जीतने के लिए चुनाव आयोग को और अधिक स्वायत्तता की आवश्यकता है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में 11 अप्रैल से 19 मई, 2019 के बीच 17वां लोकसभा चुनाव होना प्रस्तावित है। भारतीय लोकतंत्र, अपने वैधानिक व संवैधानिक निकायों की अखंडता, स्वतंत्रता तथा तटस्थता पर
चीन की बेल्ट एवं रोड पहल और इसके वैश्विक प्रभाव - (May 2019)
वैश्विक पबेल्ट एंड रोड पहल से प्रमुख वैश्विक व्यापारिक मार्ग तक पहुंच तो आसान होगी परंतु इससेटल पर चीन के राजनीतिक - आर्थिक हस्तक्षेप के बढ़ने का जोखिम भी संभावित है। पृष्ठभूमि वास्तव में यह मध्य-एशिया और इंडो-प्रशांत के अन्य हिस्सों में बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए एक राज्य-वित्तपोषित, राज्य-समर्थित बुनियादी ढांचा पहल है। 2013 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने
भारत-चीन के मध्य बढ़ता तनाव एवं विवाद के मुद्दे - (July 2020)
हाल ही में भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास के कुछ क्षेत्रों में तनाव में वृद्धि देखी गई;इन क्षेत्रों में लद्दाख में पैंगोंग झील, गालवान घाटी और डेमचोक तथा सिक्किम में नाकु ला सम्मिलित हैं। इस मामले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तूल भी पकड़ा जब अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहली बार भारत-चीन सीमा विवाद में
रासायनिक आपदा जोखिम एवं सुरक्षा उपाय - (July 2020)
7 मई, 2020 की सुबह एलजी पॉलिमर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के विशाखापत्तनम प्लांट से स्टाइरीन गैस का रिसाव हुआ। यह गैस 4 किलोमीटर के दायरे में आने वाले 5 छोटे गांवों तक फैल गई। जिसके कारण 12 लोगों की मृत्यु हो गई तथा हजारों लोग प्रभावित हुए। इस घटना ने कारख़ानों की सुरक्षा संबंधी गुणवत्ता और रक्षोपायों की अवहेलना जैसे
प्रवासी मजदूर संकट: कारण एवं समाधान - (July 2020)
24 मार्च, 2020 को भारत सरकार द्वारा लॉकडाउन की घोषणा की गई। इसका उद्देश्य कोविड-19 महामारी के प्रसार की दर धीमी करना था। लॉकडाउन के साथ ही सभी उद्योग-धंधे एवं बाजार बंद हो गए। इसके साथ ही प्रवासी मजदूरों के समक्ष अस्तित्व का संकट पैदा हो गया। इससे शहरों एवं औद्योगिक प्रदेशों से गांवों की तरफ बड़े पैमाने पर प्रवासी
भारतीय श्रम कानून: सुधार की आवश्यकता एवं औचित्य - (July 2020)
डॉ. राजीव रंजन हाल ही में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने कई भारतीय राज्यों द्वारा किये गए श्रम कानून संशोधनों और छूटों पर गहरी चिंता व्यक्त की तथा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने और अंतरराष्ट्रीय श्रम कानूनों को बनाए रखने के लिए राज्यों को एक स्पष्ट संदेश देने की अपील की है। पृष्ठभूमि देश के 10 केंद्रीय श्रमिक संघों ने पत्र
भारत में कॉरपोरेट गवर्नेंस - (April 2019)
सुधार के मुद्दे व महत्वपूर्ण नियामकभारतीय अर्थव्यवस्था की गतिशीलता के लिए प्रभावी कॉरपोरेट गवर्नेंस (प्रशासन) की आवश्यकता है। हालांकि, भारत में अभी भी कॉरपोरेट गवर्नेंस में सुधार की प्रक्रिया जारी है। भारत में कॉरपोरेट गवर्नेंस के कमजोर मानक लंबे समय से घरेलू व विदेशी निवेशकों के लिए बाधक रहे हैं। वर्ष 2018 में वित्तीय अनियमितता के कई मामले सामने आए
पारंपरिक औषधि एवं बौद्धिक संपदा अधिकार - (December 2019)
बौद्धिक संपदा अधिकार जनजातीय एवं स्थानीय समुदाय को अपने पारंपरिक ज्ञान के उपयोग से वंचित करता है। इससे समावेशी चिकित्सा उपलब्ध करवाना कठिन होता जा रहा है। पारंपरिक चिकित्सा विज्ञान, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं वैज्ञानिक मूल्यों पर आधारित है और यह जनजातीय एवं स्थानीय समुदायों के लिए महत्वपूर्ण है। कुछ एशियाई और अफ्रीकी देशों की 80 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या अपनी प्राथमिक चिकित्सा
UBI की विशेषता एवं विषमताएं - (April 2019)
वयस्क नागरिकों के जीवनयापन हेतु न्यूनतम आययूनिवर्सल बेसिक इनकम (Universal Basic Income - UBI) एक जनकल्याणकारी योजना है, लेकिन इस योेजना पर किए गए व्यय से स्वास्थ्य, शिक्षा या ग्रामीण आधारभूत संरचना पर हो रहे व्यय पर प्रभावित नहीं होना चाहिए। यूनिवर्सल बेसिक इनकम (यूबीआई) सभी वयस्क नागरिकों के लिए न्यूनतम आय की गारंटी देता है, भले ही उन्हें रोजगार
भारत में जैव विविधता संरक्षण - (December 2019)
जलवायु परिवर्तन व मानवीय गतिविधियों के कारण भारत की जैव-विविधता कई स्थानों पर बिगड़ चूकी है। हालांकि, आर्थिक विकास के लिए जैव-संसाधनों के उपयोग और पारिस्थितिक तंत्र के संरक्षण के बीच सामंजस्य बिठाना चुनौतीपूर्ण है। भारत उन कुछ देशों में से एक है जहां वनों का अस्तित्व बढ़ रहा है और जंगल वन्यजीवों से परिपूर्ण हैं। भारत दुनिया के भौगोलिक क्षेत्र
वैश्वीकरण एवं भारतीय महिला - (December 2019)
महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़े हैं और वे अब उन क्षेत्रों और जिम्मेदारियों में सक्रिय हैं, जो पहले पुरुषों के लिए आरक्षित थीं। अमेरिकी अर्थशास्त्री एडवर्ड एस- हरमन के अनुसार ‘‘वैश्वीकरण प्रबंधन और प्रक्रिया की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं का विस्तार है। साथ ही यह सुविधाओं और आर्थिक स्थिति की एक दशा है, जो लगातार विस्तृत हो रही है और साथ
बहुपक्षवाद की वर्तमान चुनौनियां - (April 2019)
पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक जीडीपी का प्रतिशत घट रहा है साथ ही बहुपक्षीय व्यापार भी नहीं बढ़ रहा तथा कई देश बहुपक्षीय मुत्तफ़ बाजार व्यवस्था पर द्विपक्षीय बाजार को प्राथमिकता दे रहे हैं इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि वैश्वीकरण की गति धीमी हो रही है। विश्व के कई देशों में मतदाता संरक्षणवादी प्रकृति के नेता को चुन रहे
भारत-पाक विवाद का बहुआयामी स्वरूप - (April 2019)
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका और पूर्व सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध का दौर चला। 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद विश्व एकध्रुवीय हो गया। 21वीं सदी के आरंभ से ही चीन ने अपनी शत्तिफ़ बढ़ाई और आज का विश्व बहुध्रुवीय स्वरूप में है। बावजूद इसके शीत युद्ध के अतीत का प्रभाव अभी भी बरकरार है। विश्व
लघु वित्तीय योजनाएं एवं एनपीए - (October 2019)
वर्ष 2016 से मार्च 2019 तक 17 लाख करोड़ रुपये के ऋणों की पहचान एनपीए के रूप में की गई और इनमें से 80 प्रतिशत ऋण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास हैं। आर्थिक विकास को एनपीए नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। बजट 2018-19 पेश करने के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि मार्च 2017
डब्ल्यूटीओ की घटती प्रासंगिकता - (October 2019)
संजीत कुमार सिंह विश्व व्यापार संगठन, 1995 से अब तक वैश्विक व्यापार प्रणाली के नियम निर्धारित करता आ रहा है। यदि ये बहुपक्षीय व्यापार नियम लागू ना हों तो वैश्विक व्यापार तंत्र अव्यवस्थित हो सकता है। 13 अगस्त, 2019 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि वर्तमान स्थितियों में सुधार नहीं होने पर अमेरिका, डब्ल्यूटीओ अर्थात विश्व व्यापार संगठन (World
भारतीय संघीय व्यवस्था की चुनौतियां - (October 2019)
रूपेश तिवारी राज्य सरकारें केंद्र प्रायोजित योजनाओं के क्रियान्वयन में अधिक स्वायत्तता की मांग करती रही हैं तथा संबद्ध राज्य के क्षेत्र में केंद्रीय एजेंसियों द्वारा एकत्रित राजस्व में अधिक भागीदारी भी चाहती हैं। भारतीय संघ व्यवस्था के लिए यह स्थिति क्या केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार के बीच विवाद खड़े कर सकती है? 24 अगस्त, 2019 को नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल
जम्मू कश्मीर : ऐतिहासिकता, वर्तमान व भविष्य - (October 2019)
देवेंद्र प्रताप सिंह केन्द्र के सीधे नियंत्रण में होने के कारण अलगाववाद और आतंकवाद से लगातार जूझते जम्मू-कश्मीर के लिए यह बदलाव जहां परिवर्तनकारी साबित हो सकता है वहीं कश्मीर घाटी में स्थिरता से जुड़ी नई चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं। 5 अगस्त को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित ‘संविधान (जम्मू और कश्मीर के लिए लागू) आदेश,
भारत में सरोगेसी - संभावनाएं, चुनौतियां व समाधान - (October 2019)
पिंकू कुमार ‘प्रियांशु’ (असिस्टेंट प्रोफेसर) केवल व्यावसायिक सरोगेसी पर प्रतिबंध लगा देने मात्र से शोषण की आशंका समाप्त नहीं होती बल्कि जटिल सामाजिक-शारीरिक और सामाजिक-मनोवैज्ञानिक मुद्दों के साथ-साथ सरोगेसी से जुड़े नैतिक मुद्दों को भी सुलझाने के ठोस प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। 5 अगस्त, 2019 को लोकसभा ने सरोगेसी (नियामक) विधेयकए 2019 को ध्वनि मत से पारित कर दिया। यह
आर्थिक सुधार व वृद्धि दर - वर्तमान भारतीय परिदृश्य - (October 2019)
नवीन आर्थिक सुधारों को सतर्कतापूर्वक तथा समुचित पूर्व योजना के साथ लागू करना एक बेहतर रणनीति होगी। इससे नीतियों के कार्यान्वयन में अनावश्यक विसंगतियों व परिचालन की समस्याओं से बचा जा सकेगा, जिसका लाभ सरकार के साथ-साथ नागरिकों को भी होगा। भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्था तथा बदलते समाज के लिए सुधारों की स्पष्ट अनिवार्यता है। समय-समय पर सामाजिक, वैधानिक व
असंगठित क्षेत्र का औपचारीकरण - नीतिगत मुद्दे पर सुधार - (October 2019)
धीरज कुमार आर्थिक सर्वेक्षण 2017-2018 के अनुसार भारत के कुल सकल घरेलू उत्पाद में अनौपचारिक या असंगठित क्षेत्र का योगदान लगभग 45 प्रतिशत है जबकि अधिकांश कार्यबल इसी क्षेत्र में नियोजित है। इस क्षेत्र के महत्व को देखते हुए केंद्र सरकार वर्ष 2015 से असंगठित क्षेत्र को संगठित करने के लिए कई प्रयास कर रही है। 2011 की जनगणना के
भारतीय अर्थव्यवस्था - विकासात्मक पथ की ओर - (September 2019)
6 जुलाई, 2019 को संसद में प्रधानमंत्री ने अगले 5 वर्षों में भारत को 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि इस लक्ष्य को पाने के लिए समाज के सभी क्षेत्रें में बदलाव की आवश्यकता है। भारत को 2024-25 तक 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए सकल घरेलू उत्पाद
भारतीय विदेश नीति - नया दृष्टिकोण - (September 2019)
प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारतीय विदेश नीति अब नए पथ की ओर अग्रसर है। इसने शक्ति संतुलन के बजाय अब ‘वैश्विक शक्ति के नेतृत्व’ की ओर रुख कर लिया है। भारतीय विदेश नीति बहुत ही कम समय में वैश्विक मंच पर एक अलग छाप छोड़ने में कामयाब रही है। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने विभिन्न देशों और बहुपक्षीय संस्थानों
भारत में प्लास्टिक प्रदूषण - (September 2019)
9 जुलाई, 2019 को केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने अमेजन, फ्रिलपकार्ड और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड सहित 52 कंपनियों को समय पर विस्तृत कार्य योजना न उपलब्ध कराने और अपनी व्यावसायिक गतिविधियों से उत्पन्न होने वाले कचरे को इकट्ठा करने की कोई निश्चित योजना न बनाने पर उचित कार्यवाहित की चेतावनी दी।विश्व पर्यावरण दिवस 2018 का विषय ‘‘बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन’’
डेटा विश्लेषण एवं भारत - (September 2019)
आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 भारतीय परिप्रेक्ष्य में ‘बिग डेटा विश्लेषण’ (Big Data Analysis) की आवश्यकता का उल्लेख करता है। इसके अनुसार सामाजिक आंकड़े लोगों द्वारा एकत्रित किए जाते हैं तथा ये आंकड़े ‘‘लोगों के, लोगों द्वारा एवं लोगों के लिए’’ स्वरूप में होने चाहिए। भारत जैसे विशाल देश में आंकड़ों का संग्रहण एक लंबी प्रक्रिया
बजट निर्माण प्रक्रिया - (August 2019)
सरकारी बजट सरकार के अनुमानित खर्चों और प्राप्तियों से जुड़ा हुआ एक वार्षिक वित्तीय विवरण होता है, जिसे संसद के समक्ष अग्रिम रूप से प्रस्तुत किया जाता है। किसी भी देश में बजट निम्न मुख्य भूमिकाओं का संपादन करता है- कार्यपालिका (Executive) पर वित्तीय नियंत्रण; नियोजन को लागू करना; पहले से चल रही गतिविधियों का बेहतर वित्तीय प्रबंधन; उत्तरदायित्व और जवाबदेही को सुनिश्चित
आईपीआर - संकल्पना, प्रणाली व संबंधित मुद्दे - (August 2019)
बौद्धिक सम्पदा अधिकार व्यक्तियों को अनेक बौद्धिक सृजन के परिप्रेक्ष्य में दिया जाने वाला अनन्य अधिकार है। बौद्धिक सम्पदा अधिकार के अन्तर्गत ऐसा समझा जाता है कि अगर किसी व्यक्ति ने किसी प्रकार का बौद्धिक सृजन किया है, तब उस पर उसका ही सर्वप्रथम अधिकार होना चाहिए। बौद्धिक सम्पदा अधिकार बौद्धिक सृजन जैसे- शोध आविष्कार, साहित्यिक कृति की रचना आदि
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति - आयाम और चुनौतियां (नई शिक्षा नीति के आयाम ) - (August 2019)
शिक्षा का मतलब होता है, ‘ज्ञान’ और यह ज्ञान न केवल हमें सम्पूर्ण मानव बनाने में सहायक होता है, वरन सभ्य समाज के निर्माण और मानवता को उसका सही अर्थ बताने में पूरी तरह से सक्षम होता है। शिक्षा एक साधन है, जो देश के बच्चों से लेकर युवाओं तक के भविष्य का निर्माण करता है। यही वजह है कि
भारत-मध्य एशिया द्विपक्षीय संबंध - (August 2019)
पांच स्थलबद्ध देशों- कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान तथा उज्बेकिस्तान को सामूहिक रूप से मध्य एशियाई गणराज्य और इस क्षेत्र को मध्य एशिया माना जाता है। मध्य एशियाई देश अपनी विशिष्ट भौगोलिक स्थिति के कारण एशिया के विभिन्न क्षेत्रों तथा यूरोप के बीच संपर्क सूत्र के माध्यम हैं। परिचय 13-14 जून, 2019 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किर्गिस्तान के बिश्केक में
भारतीय चुनाव प्रणाली - चुनौतियां, सुधार व संबंधित मुद्दे - (July 2019)
हाल ही में 17वीं लोकसभा के चुनाव संपन्न हुए। भारत में चुनाव एक सदाबहार गतिविधि है जिसमें हितधारक एक या दूसरे राष्ट्रीय, राज्य या अन्य निकाय चुनावों में शामिल रहते हैं। दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के नाते भारत के लिए नागरिकों की अधिक भागीदारी के साथ स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना अनिवार्य है और इसने दुनिया के समक्ष
भारत में स्वास्थ्य संबंधी आधारभूत संरचना - (August 2019)
भारत में स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना की कमियों की पहचान एवं इसके सुधार हेतु आवश्यक उपाय। विंस्टन जी. चर्चिल के अनुसार ‘‘स्वस्थ नागरिक किसी भी देश की सबसे बड़ी संपत्ति हैं।’’ भारत, जहां प्रत्येक वर्ष स्वास्थ्य सेवा सुविधा के अभाव के कारण कई बच्चे अकाल मौत मरते हैं, को यह समझना होगा कि उसकी यह ‘सबसे बड़ी संपत्ति’ लगातार कम हो
मानव जीन एडिटिंग के नैतिक आयाम - (August 2019)
मानव जीन एडिटिंग की नवीनतम तकनीक तथा इससे जुड़ी चिंताएं ... यदि आपकी पहुंच एक ऐसे यंत्र तक हो जाती है, जो आपको अधिक स्मार्ट, अधिक प्रसन्न, अधिक मजबूत तथा रोगमुक्त बना दे तो क्या आप इसे अपनाएंगे? जीवन की अवधि दोगुनी हो कर 150-160 वर्ष तथा बिना किसी थकावट के सोने की अवधि घटाकर 3-4 घंटे हो जाए तो
बिम्सटेक- दक्षिण एशिया में बढ़ता महत्व - (August 2019)
दक्षिण एशिया में भारत के हितों की रक्षा करने में दक्षेस की तुलना में बिम्सटेक की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। 30 मई 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में बिम्सटेक संगठन के सभी सदस्य राष्ट्रों के प्रमुख तथा किर्गिस्तान एवं मॉरिशस के राष्ट्र प्रमुख को आमंत्रित किया गया था। सरकार का यह कदम भारत की ‘पड़ोसी
द्विपक्षीय निवेश संधि- परिवर्तनशील नीतिगत परिदृश्य - (August 2019)
भारत के तीव्र आर्थिक विकास के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश संबंधी नियमों को निवेशक तथा भारत के हितों के अनुकूल बनाना चुनौतीपूर्ण है। वैश्विक स्तर पर सभी देश, अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment - FDI) प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं और द्विपक्षीय निवेश संधियों (Bilateral Investment Treaties - BIT) पर
एससीओ - भारत-मध्य एशिया संबंधों का आधार - (July 2019)
विश्व के सर्वाधिक ऊर्जा खपत वाले देशों में से एक भारत, एससीओ की सदस्यता के माध्यम से मध्य एशियाई क्षेत्र की गैस तथा तेल परियोजनाओं तक पहुंच बना सकता है। भारतीय विदेश मंत्री ने 21-22 मई, 2019 को बिश्केक (किर्गिज गणराज्य) में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया। बैठक में बिश्केक में 13-14 जून, 2019
इलेक्ट्रिक मोबिलिटी - वैश्विक परिवर्तन की संवाहक - (July 2019)
दुनिया तेजी से इलेक्ट्रिक वाहनों को अपना रही है और अगले कुछ दशकों में आंतरिक दहन वाहनों की तुलना में ईवीएस का प्रयोग बढ़ सकता है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की नवीन रिपोर्ट के अनुसार परिवहन क्षेत्र वैश्विक ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन में लगभग एक-चौथाई (23 प्रतिशत) का योगदान देता है। यदि इस संबंध में बड़ी सुधारात्मक कार्रवाई नहीं की गई तो
भारत की परमाणु अप्रसार प्रतिबद्धता एवं सीटीबीटी - (July 2019)
परमाणु अप्रसार के क्षेत्र में भारत के त्रुटिहीन रिकॉर्ड की एक सर्वव्यापक मान्यता है जिसके चलते अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब परमाणु व्यापार में भारत को मान्यता देने के लिए तैयार है। भारत के बेहतरीन परमाणु अप्रसार रिकार्ड को लगातार मिलती वैश्विक मान्यता के एक भाग के रूप में ‘व्यापक परमाणु परीक्षण निषेध संधि संगठन’ (CTBTO) द्वारा हाल ही में भारत को ‘पर्यवेक्षक’
भारत-अमेरिका - बाजार पहुंच पर विवाद - (July 2019)
अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है, जबकि ‘अत्यधिक प्रतिबंधात्मक बाजार पहुंच बाधाओं’ के कारण अमेरिका के लिए भारत महज 13 वां सबसे बड़ा निर्यातक बाजार है। अमेरिका ने 5 जून, 2019 से भारत को दिए जा रहे सामान्य तरजीही दर्जा या जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेंज (Generalised System of Preferences - GSP) के लाभ को समाप्त कर दिया है। इस
जी20 शिखर सम्मेलन 2018 - (February 2019)
विश्व व्यापार संगठन में सुधार की मांगसमूह 20 या जी 20 एक अंतरराष्ट्रीय मंच है जो विश्व के 20 प्रमुऔद्योगिक एवं उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाता है। ये देश अपने पास विश्व के कुल जीडीपी का 85 प्रतिशत, कुल वैश्विक व्यापार का 80 प्रतिशत और कुल आबादी का दो-तिहाई भाग रखते हैं। इसके अलावा जी 20 औद्योगिक और
कोप 24 सम्मेलन - (February 2019)
पेरिस समझौता रूलबुक पर सहमति24वां संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन कोप-24 (COP-24) पौलैंड के काटोवाइस शहर में 2 से 15 दिसंबर, 2018 के मध्य आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में पेरिस समझौते के कार्यान्वयन के लिए रूलबुक (Rulebook) पर सहमति बनी। सम्मेलन के दौरान मुख्य रूप से 3 विषयों पर ध्यान केन्द्रित किया गया- पेरिस समझौते के कार्यान्वयन के लिए दिशा-निर्देश
कर्जमाफीः वरदान या अभिशाप - (February 2019)
बड़े निवेश व दीर्घकालिक रणनीति की जरूरतजीवन के लिए भोजन और भोजन के लिए अनाज एक अपरिहार्य आवश्यकता है। अनाज देने वाला किसान अपनी जीतोड़ मेहनत से जमीन से फसल उगाता है और असंख्य लोगों का पेट भरता है लेकिन किसान के चेहरे पर चिन्ता की लकीरें ये सोचने पर मजबूर करती हैं कि क्या हम अपने अन्नदाता के साथ
सर्वजनिक वितरण प्रणाली का एकीकरण ओएनओआरसी - (November 2019)
भारत में गरीबों को कम कीमत पर खाद्य उपलब्ध करवाने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली अपनायी गयी है। लगभग 90 लाख लोग बेहतर संभावनाओं की तलाश में अंतर-राज्य पलायन करते हैं_ लेकिन उन्हें सार्वजनिक वितरण प्रणाली का लाभ नहीं मिल पाता है। ‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड’ योजना से खाद्य सुरक्षा उपलब्ध करवाने की दिशा में क्रांतिकारी परिवर्तन हो सकता
भूकंप के प्रति संवेदनशील मध्य हिमालय - (November 2019)
सभी प्राकृतिक घटनाओं में भूकंप सबसे प्रचंड आपदा है। बिना किसी चेतावनी के भूकंप कहीं भी और कभी आ सकता है। यह पृथ्वी की स्थिरता के बारे में हमारी अंतर्निहित धारणाओं को चुनौती देता है। पृथ्वी का हिलना, चाहे वह मिनटों के लिए हो या केवल सेकंडों के लिए, अनुभव करने वालों को बहुत दिनों तक अहसास होता है। मध्य हिमालय
स्वच्छ भारत अभियान उपलब्धियां व संभावनाए - (November 2019)
स्वच्छ भारत अभियान ने समाज में समग्र रूप से एक उल्लेखनीय परिवर्तन किया है और इससे सामाजिक-आर्थिक लाभ भी हुआ है। यह लैंगिक समानता और महिला सशत्तफ़ीकरण पर ध्यान केंद्रित कर देश की विकासात्मक प्राथमिकताओं को प्रदर्शित करता है। महात्मा गांधी ने एक बार स्वच्छता के मूल्य को महत्व देते हुए कहा था कि ‘स्वच्छता, स्वतंत्रता से अधिक महत्वपूर्ण है’ और
विदेशी ऋणः प्रभाव व चुनौतियां - (November 2019)
वर्तमान में अपेक्षाकृत कम बाह्य ऋण सरकार के पिछले निर्णयों का ही परिणाम है। इससे यह सुनिश्चित हुआ है कि सरकारी ऋण का अधिकांश हिस्सा घरेलू ऋण के रूप में है जो विनिमय दर जोखिम से प्रभावित नहीं होता। भुगतान संतुलन (Balance of payments) का तात्पर्य किसी देश द्वारा विश्व के बाकी देशों के साथ किसी निर्धारित अवधि में किए गए
जलवायु परिवर्तन रोकथाम में युवाओं की भूमिका - (November 2019)
युवा पीढ़ी इस तथ्य को महसूस करती है कि किसी भी प्रकार का लाभ प्राप्त करने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करना लंबे समय तक न तो व्यावहारिक है और न ही संभव है। जब सोलह वर्षीय पर्यावरण कार्यकर्ता ‘ग्रेटा थनबर्ग’ ने न्यूयॉर्क में आयोजित संयुत्तफ़ राष्ट्र क्लाइमेट एक्शन समिट, 2019 में अपनी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व किया, तो विश्व ने
वैश्विक मंदी एवं भारत 2008 बनाम 2019 - (November 2019)
सरकार और आरबीआई ने हाल ही में गिरती अर्थव्यवस्था को सुधारने तथा बाजार में तरलता को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। उदाहरण के लिए, नीतिगत दरों (policy rates) एवं कॉर्पाेरेट करों में कटौती की गयी है। हालांकि, ये कदम लंबे समय में अर्थव्यवस्था के लिए अल्पकालिक उपाय साबित हो सकते हैं। 12सितंबर, 2019 को ईसीबी अर्थात यूरोपीय सेंट्रल