मुख्य विशेष
उत्तर प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत संचालित 'हर घर नल योजना' ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षित और स्वच्छ पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने में किस प्रकार सहायक सिद्ध हो रही है? इस योजना के सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी प्रभावों का विश्लेषण करें। - (May 2025)
उत्तर: अगस्त 2019 में शुरू किए गए जल जीवन मिशन के तहत संचालित 'हर घर नल योजना' उत्तर प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों को सुरक्षित, स्वच्छ और सतत पेयजल आपूर्ति प्रदान करने की एक महत्वपूर्ण पहल है। यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में जल अवसंरचना के विकास, स्वास्थ्य सुधार, महिलाओं के सशक्तीकरण एवं आर्थिक समृद्धि की दिशा में अहम भूमिका निभा रही
उत्तर प्रदेश में परिवहन के विकास और इसकी वर्तमान अवसंरचनात्मक स्थिति का विश्लेषण करें तथा इसके आर्थिक और सामाजिक प्रभावों का मूल्यांकन करें। - (May 2025)
उत्तर: उत्तर प्रदेश में परिवहन अवसंरचना का विकास राजमार्गों, रेलवे, मेट्रो, हवाई अड्डों और अंतर्देशीय जलमार्गों के रूप में तेजी से हो रहा है। परिवहन प्रणाली के इस विस्तार से राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास को बल मिला है। उत्तर प्रदेश में परिवहन अवसंरचना की वर्तमान स्थिति सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लम्बाई में उत्तर प्रदेश भारत में प्रथम
उत्तर प्रदेश में बागवानी (Horticulture) फसलों की उत्पादन स्थिति और विपणन व्यवस्था का वर्णन करें। साथ ही, इस क्षेत्र से जुड़ी प्रमुख चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए राज्य सरकार द्वारा इसके विकास हेतु लागू की गई प्रमुख नीतिगत पहलों का विवरण दें। - (May 2025)
उत्तर: उत्तर प्रदेश की विविध जलवायु सभी प्रकार की बागवानी फसलों के उत्पादन के लिए उपयुक्त है। वास्तव में, उत्तर प्रदेश देश में बागवानी फसलों के कुल उत्पादन में अग्रणी स्थान रखता है। प्रदेश में 92% से अधिक छोटे किसानों के लिए, बागवानी फसलें प्रति इकाई क्षेत्र में उच्च आय, रोजगार और पोषण का मुख्य स्रोत हैं। बागवानी फसलें: बागवानी फसलों
उत्तर प्रदेश सरकार की 'मिशन शक्ति' योजना महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इस योजना की रूपरेखा और संभावित सामाजिक-आर्थिक प्रभावों का विश्लेषण करें। - (May 2025)
उत्तर: महिलाओं की सुरक्षा, संरक्षा और सशक्तीकरण को सुनिश्चित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने "मिशन शक्ति" योजना शुरू की है। यह योजना महिला-नेतृत्व वाले विकास (Women-Led Development) को बढ़ावा देने और समाज में उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बनाई गई है। इसके तहत महिलाओं के लिए कानूनी, सामाजिक एवं आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने पर विशेष
उत्तर प्रदेश के संरक्षित क्षेत्रों (राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्यजीव अभयारण्य) की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करें तथा जैव विविधता संरक्षण के लिए किए गए प्रयासों की समीक्षा करें। - (May 2025)
उत्तर: उत्तर प्रदेश अपनी समृद्ध जैव विविधता और विविध भौगोलिक परिस्थितियों के लिए प्रसिद्ध है। यहां स्थित राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य और संरक्षित वन क्षेत्र दुर्लभ वनस्पतियों एवं जीवों के संरक्षण में अहम भूमिका निभाते हैं। हालांकि, बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण और अवैध शिकार जैसी चुनौतियों के कारण जैव विविधता पर खतरा भी मंडरा रहा है। उत्तर प्रदेश के संरक्षित क्षेत्रों की
उत्तर प्रदेश में मेट्रो, स्मार्ट सिटी, एक्सप्रेसवे जैसी आधुनिक विकास परियोजनाओं का राज्य की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहरों पर पड़ने वाले प्रभावों का मूल्यांकन करें। साथ ही, इनके संतुलित संरक्षण हेतु संभावित उपाय सुझाएं। - (May 2025)
उत्तर: हाल के वर्षों में, राज्य में मेट्रो परियोजनाएं, स्मार्ट सिटी मिशन एवं एक्सप्रेसवे जैसी आधुनिक विकास परियोजनाओं का तेजी से विस्तार हुआ है। इन परियोजनाओं ने राज्य की अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से बुनियादी ढांचे को तो सुदृढ़ किया ही है, साथ ही ऐतिहासिक धरोहरों पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डालें हैं। ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहरों पर प्रभाव सकारात्मक प्रभाव पर्यटन में वृद्धि: बेहतर
"उत्तर प्रदेश आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में एक उभरते हुए केंद्र के रूप में देश के प्रमुख आईटी केंद्रों को प्रतिस्पर्धा दे रहा है।" इस संदर्भ में राज्य सरकार द्वारा उठाए गए प्रमुख कदमों, इस क्षेत्र में मौजूद चुनौतियों और उनके संभावित समाधानों पर चर्चा करें। - (May 2025)
उत्तर: उत्तर प्रदेश हाल के वर्षों में सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में एक उभरते हुए केंद्र के रूप में तेजी से विकसित हो रहा है। राज्य सरकार द्वारा विभिन्न प्रोत्साहन योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिससे उत्तर प्रदेश देश के प्रमुख आईटी हब्स को प्रतिस्पर्धा देने की स्थिति में आ रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार उठाए गए प्रमुख कदम आधुनिक
सक्रिय नागरिक भागीदारी, सुशासन सुनिश्चित करने हेतु अनिवार्य है। नागरिक सहभागिता को प्रोत्साहित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किए गए प्रयासों का विश्लेषण करें। - (May 2025)
उत्तर: सुशासन केवल नीतियों और योजनाओं पर निर्भर नहीं करता, बल्कि उसमें नागरिकों की सक्रिय भागीदारी भी अनिवार्य होती है। जब लोग नीति निर्माण, निगरानी और क्रियान्वयन में योगदान देते हैं, तो प्रशासन अधिक पारदर्शी, उत्तरदायी और प्रभावी बनता है। उत्तर प्रदेश सरकार ने नागरिक सहभागिता को बढ़ाने के लिए डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म, जनसुनवाई तंत्र, सामुदायिक विकास योजनाएँ और पारदर्शी प्रशासनिक
उत्तर प्रदेश में हुए प्रमुख क्रांतिकारी आंदोलनों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए, इनमें भाग लेने वाले प्रमुख क्रांतिकारियों के योगदान का विश्लेषण करें। - (May 2025)
उत्तर: उत्तर प्रदेश भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। 1857 की क्रांति से लेकर 1947 तक, उत्तर प्रदेश में कई महत्वपूर्ण क्रांतिकारी गतिविधियां हुईं, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम को गति प्रदान की है। उत्तर प्रदेश के प्रमुख क्रांतिकारी आंदोलन 1857 की क्रांति 1857 की क्रांति को भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम माना जाता है, इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश के मेरठ से
उत्तर प्रदेश भारतीय संस्कृति के सबसे प्राचीन उद्गम स्थलों में से एक है; चर्चा करें। - (May 2025)
उत्तर: उत्तर प्रदेश भारतीय संस्कृति का एक प्राचीन केंद्र रहा है, जहाँ वेद, उपनिषद, महाकाव्य और विभिन्न धार्मिक परंपराएँ विकसित हुईं। यह प्रदेश न केवल ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण रहा है, बल्कि साहित्य, कला, संगीत और स्थापत्य में भी इसका विशेष योगदान रहा है। इसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत इसे भारतीय संस्कृति के प्रमुख उद्गम स्थलों में स्थापित करती है। उत्तर प्रदेश
बिहार के आर्थिक विकास में बुनियादी संरचना, औद्योगीकरण और मानव संसाधन से जुड़ी प्रमुख बाधाओं का विश्लेषण करें तथा उनके समाधान सुझाएं। - (May 2025)
उत्तर: बिहार की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि, लघु उद्योगों और सेवा क्षेत्रों पर आधारित है। हालांकि, अपर्याप्त बुनियादी ढांचे, धीमे औद्योगीकरण और सीमित मानव संसाधन विकास जैसी चुनौतियों के कारण राज्य की आर्थिक प्रगति अपेक्षाकृत धीमी रही है। यदि इन बाधाओं को प्रभावी नीतियों और योजनाओं के माध्यम से दूर किया जाए, तो बिहार एक समृद्ध, औद्योगिक और आत्मनिर्भर
बिहार में सुशासन को प्रभावी और पारदर्शी बनाने में प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका हो सकती है? इसके विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करें और बेहतर प्रशासन हेतु तकनीकी नवाचारों के संभावित प्रभावों पर चर्चा करें। - (May 2025)
उत्तर: बिहार में सुशासन (Good Governance) को सुदृढ़ करने में प्रौद्योगिकी एक महत्वपूर्ण साधन साबित हो सकती है। ई-गवर्नेंस, डिजिटल प्लेटफॉर्म, डेटा एनालिटिक्स एवं कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी आधुनिक तकनीकों के उपयोग से प्रशासन अधिक प्रभावी, पारदर्शी और जवाबदेह बन सकता है। इस पृष्ठभूमि में राज्य सरकार सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी को प्रशासनिक तंत्र के सभी स्तरों पर लागू करने के
गठबंधन राजनीति बिहार में नीति-निर्माण और विकास कार्यों को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? राष्ट्रीय हितों की पूर्ति के दृष्टिकोण से इसका विश्लेषण करें। - (May 2025)
उत्तर: भारत का राजनीतिक परिदृश्य लंबे समय से गठबंधन राजनीति के प्रभाव में रहा है; बिहार इसका एक प्रमुख उदाहरण है। बिहार में विभिन्न विचारधाराओं एवं जातीय समीकरणों पर आधारित कई बहुदलीय गठबंधन सरकारें बनी हैं। चूंकि गठबंधन सरकारों में सत्ता संतुलन बनाए रखने के लिए समझौतावादी रवैया अपनाना पड़ता है, जिससे कई बार दीर्घकालिक विकास योजनाएँ प्रभावित होती हैं।
बिहार में पर्यटन विकास की प्रमुख चुनौतियां क्या हैं? साथ ही, पर्यटन के किन-किन क्षेत्रों में विकास की संभावनाएं मौजूद हैं? राज्य के विभिन्न पर्यटन स्थलों के उदाहरण प्रस्तुत करते हुए विश्लेषण करें। - (May 2025)
उत्तर: बिहार ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहरों से समृद्ध राज्य है। यहां बौद्ध, जैन, हिंदू एवं सूफी परंपराओं से संबंधित अनेक महत्वपूर्ण धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थलों का केंद्र रहा है। इसके बावजूद, बिहार पर्यटन में अन्य राज्यों की तुलना में पिछड़ा हुआ, जिससे इसकी समृद्ध धरोहर वैश्विक स्तर पर वह पहचान नहीं पा रही, जिसकी यह हकदार है। बिहार में पर्यटन
बिहार में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति का विश्लेषण करें। उनके उत्थान के लिए सरकार द्वारा उठाए गए प्रमुख कदमों पर चर्चा करें। - (May 2025)
उत्तर: वर्ष 2023 में जारी बिहार जाति आधारित गणना के अनुसार राज्य में अनुसूचित जाति (SC) की जनसंख्या 19.65% एवं अनुसूचित जनजाति (ST) की जनसंख्या 1.68% है, जो राज्य की आबादी के एक महत्वपूर्ण हिस्से का गठन करती है। हालांकि, सामाजिक भेदभाव, आर्थिक पिछड़ापन तथा सीमित संसाधनों के कारण ये समुदाय मुख्यधारा के विकास से पीछे रह गए हैं, इन्हे
बिहार में सौर ऊर्जा उत्पादन की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करें और राज्य सरकार द्वारा इसे बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रमुख प्रयासों का वर्णन करें। - (May 2025)
उत्तर: बिहार में ऊर्जा संकट को दूर करने एवं सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए सौर ऊर्जा उत्पादन को एक महत्वपूर्ण समाधान के रूप में देखा जा रहा है। राज्य प्राकृतिक संसाधनों और भौगोलिक स्थितियों के कारण सौर ऊर्जा के क्षेत्र में अपार संभावनाएँ रखता है। हालांकि, बिहार अन्य राज्यों की तुलना में सौर ऊर्जा उत्पादन में अभी भी
बिहार की प्रमुख लोक कलाओं की विशेषताओं का वर्णन करें एवं उनके सांस्कृतिक महत्व का विश्लेषण करें। - (May 2025)
उत्तर: बिहार की लोक कलाएं यहां की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक हैं। ये कलाएं न केवल मनोरंजन का माध्यम रही हैं, बल्कि इनमें समाज की परंपराएं, धार्मिक मान्यताएं और लोक-जीवन की झलक भी देखने को मिलती है। यहां की प्रमुख लोक कलाओं को चित्रकला, नृत्य, संगीत और हस्तशिल्प में विभाजित किया जा सकता है। बिहार की प्रमुख लोक कलाएं एवं
बिहार सरकार द्वारा महिलाओं के आर्थिक, सामाजिक एवं शैक्षिक उत्थान के लिए चलाई जा रही प्रमुख कल्याणकारी योजनाओं का वर्णन करें। इन योजनाओं से राज्य में महिला सशक्तीकरण को किस प्रकार बल मिला है? - (May 2025)
उत्तर: बिहार सरकार महिलाओं के आर्थिक, सामाजिक एवं शैक्षिक उत्थान के लिए कई सामाजिक कल्याण योजनाओं का संचालन कर रही है। राज्य में महिला सशक्तीकरण पर इन योजनाओं का व्यापक प्रभाव परिलक्षित हुआ है, जिससे न केवल महिलाओं की जीवनशैली में सुधार हुआ है, बल्कि समाज में उनका योगदान भी बढ़ा है। बिहार सरकार द्वारा संचालित महिला सशक्तीकरण से संबंधित प्रमुख
प्राचीन काल से बिहार शिक्षा और अध्यात्म का केंद्र रहा है। इस संदर्भ में नालंदा, विक्रमशिला एवं अन्य प्राचीन शिक्षण संस्थानों की भूमिका का विश्लेषण करें और बिहार की आध्यात्मिक परंपरा पर प्रकाश डालें। - (May 2025)
उत्तर: बिहार प्राचीन काल से ही ज्ञान और अध्यात्म की भूमि रहा है। यह प्रदेश नालंदा, विक्रमशिला और ओदंतपुरी जैसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों का केंद्र रहा है, जहां न केवल भारत बल्कि विदेशों से भी विद्वान और विद्यार्थी अध्ययन के लिए आते थे। इन संस्थानों ने बौद्ध, जैन और हिंदू दर्शन सहित विविध विषयों के गहन अध्ययन और शोध को
प्राचीन काल में पूर्वी भारत में विकसित गुफा वास्तुकला की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें और इनके ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व का विश्लेषण करें। - (May 2025)
उत्तर: प्राचीन काल में पूर्वी भारत में गुफा वास्तुकला का विकास मुख्य रूप से मौर्य काल के दौरान हुआ। बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में कई महत्वपूर्ण गुफा संरचनाएं पाई जाती हैं, जो बौद्ध, जैन और हिंदू धर्मों से संबंधित हैं। इन गुफाओं का निर्माण धार्मिक उद्देश्यों के साथ-साथ साधना, ध्यान, शिक्षा और निवास केंद्र के रूप में किया
उत्तर प्रदेश की मौसमी विशेषताओं का वर्णन करें। साथ ही, यह भी स्पष्ट करें कि राज्य की जलवायु विशेषताओं का कृषि, वनस्पति और जनजीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है? - (April 2025)
उत्तर: उत्तर प्रदेश की जलवायु मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय मानसूनी (Tropical Monsoon Climate) प्रकार की है। राज्य का भौगोलिक विस्तार अत्यधिक विशाल होने के कारण यहाँ मौसम में विविधता पाई जाती है। सामान्यतः उत्तर प्रदेश की मौसमी विशेषताओं को तीन प्रमुख ऋतुओं में विभाजित किया जा सकता है उत्तर प्रदेश की मौसमी विशेषताएं उत्तर प्रदेश की जलवायु को सामान्यतः उष्णकटिबंधीय मानसूनी प्रकार
उत्तर प्रदेश सरकार की 'एक जिला एक उत्पाद योजना' क्या है? इस योजना के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए प्रोत्साहित किये गए कुछ उत्पादों की सूची प्रस्तुत कीजिए। साथ ही, ODOP योजना के प्रभावों का भी विश्लेषण कीजिए। - (April 2025)
उत्तर: उत्तर प्रदेश सरकार की "एक जिला एक उत्पाद" (ODOP) योजना का उद्देश्य राज्य के प्रत्येक जिले की पारंपरिक और विशिष्ट शिल्प कलाओं एवं उत्पादों को प्रोत्साहन देना है। इस योजना की शुरुआत 2018 में की गई थी, ताकि राज्य के स्थानीय कारीगरों, शिल्पकारों और उद्यमियों को आर्थिक मजबूती मिले और उनके उत्पादों को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पहचान
प्रदेश की जनसंख्या देश की कुल जनसंख्या का एक बड़ा भाग बनाती है और यह कई सामाजिक व आर्थिक पहलुओं को प्रभावित करती है। विश्लेषण करें। - (April 2025)
उत्तर: उत्तर प्रदेश भारत का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है और इसकी जनसंख्या देश की कुल जनसंख्या का एक बड़ा भाग बनाती है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या 19.98 करोड़ थी, जो कि भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 16.51% हिस्सा है। इतनी बड़ी जनसंख्या का प्रदेश के सामाजिक और आर्थिक पहलुओं पर गहरा
भारत की पहली क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट प्रणाली (RRTS) के रूप में दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर की विशेषताओं का वर्णन करें। साथ ही, भारत के परिवहन तंत्र में इसके महत्व पर चर्चा करें। - (April 2025)
उत्तर: भारत की पहली क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट प्रणाली (RRTS) के रूप में दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर देश के परिवहन तंत्र में एक ऐतिहासिक परिवर्तन लाने वाली परियोजना है। यह परियोजना राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में तेज, सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल परिवहन सेवा प्रदान करने के लिए विकसित की गई है। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ RRTS की प्रमुख विशेषताएं उच्च गति एवं दक्षता: RRTS ट्रेनों की अधिकतम गति 180
भारतीय वन सर्वेक्षण (ISFR) 2023 को आधार बनाते हुए उत्तर प्रदेश में वन एवं वृक्ष आवरण की वृद्धि का उल्लेख कीजिए। वनावरण एवं वृक्षावरण में वृद्धि के क्या सकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं? - (April 2025)
उत्तर: उत्तर प्रदेश का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 2,40,928 वर्ग किमी है, जो देश के कुल क्षेत्रफल का 7.3% है। भारतीय वन सर्वेक्षण (ISFR) 2023 के अनुसार, राज्य सरकार के प्रयासों से उत्तर प्रदेश में 559 वर्ग किमी वन एवं वृक्ष आवरण में वृद्धि हुई है, जिससे यह छत्तीसगढ़ (684 वर्ग किमी) के बाद के बाद देश में दूसरे स्थान पर
उत्तर प्रदेश में जन स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में मौजूद प्रमुख चुनौतियां क्या हैं, और सरकार इन्हें सुधारने के लिए कौन से नीतिगत कदम उठा रही है? - (April 2025)
उत्तर: शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश में तीन स्तंभों के रूप में उप स्वास्थ्य केंद्र (शहरी और ग्रामीण), प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (शहरी और ग्रामीण) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (शहरी और ग्रामीण) के साथ त्रि-स्तरीय प्रणाली शामिल है। चुनौतियां राज्य के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHCs) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHCs) में ही नहीं बल्कि
उत्तर प्रदेश राज्य में भूमि सुधार की दिशा में कौन से प्रयास किए गए हैं? भूमि सुधारों के प्रभावों का विश्लेषण कीजिए। - (April 2025)
उत्तर: उत्तर प्रदेश में भूमि सुधारों का मुख्य उद्देश्य कृषि भूमि का न्यायसंगत वितरण, किसानों के अधिकारों की रक्षा और कृषि उत्पादन को बढ़ावा देना रहा है। सरकार ने विभिन्न नीतियों और कानूनों के माध्यम से इन सुधारों को लागू किया है। उत्तर प्रदेश में भूमि सुधार हेतु किए गए प्रमुख प्रयास जमींदारी प्रथा का उन्मूलन (1950): राज्य में ज़मींदारी को खत्म
उत्तर प्रदेश की सीमा सुरक्षा से जुड़ी प्रमुख चुनौतियां क्या हैं, और इनके समाधान के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं? - (April 2025)
उत्तर: उत्तर प्रदेश, भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है, जिसकी 599 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा नेपाल से लगती है। इसके अलावा, यह कई अन्य भारतीय राज्यों से घिरा हुआ है। अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण, उत्तर प्रदेश को अवैध घुसपैठ, तस्करी, आतंकवाद और संगठित अपराध जैसी कई सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। मुख्य चुनौतियाँ अवैध घुसपैठ और तस्करी: नेपाल से
उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा प्रणाली का अवलोकन करते हुए संबंधित मुद्दों को उजागर करें। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में सुधार हेतु कौन से प्रयास किये गए हैं? - (April 2025)
उत्तर: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा फरवरी 2025 में प्रस्तुत किये गए बजट के तहत वर्ष 2025-26 हेतु शिक्षा पर अपने व्यय का 13% (1,06,000 करोड़ रुपये) आवंटित किया गया है। सरकार, स्कूलों के लिए बुनियादी ढांचे के विकास और शिक्षण परिणामों में सुधार के उपायों के साथ ही प्राथमिक शिक्षा में बड़े निवेश की योजना बना रही है। उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में पर्यटन विकास की प्रमुख चुनौतियां क्या हैं? साथ ही, पर्यटन के किन-किन क्षेत्रों में विकास की संभावनाएं मौजूद हैं? राज्य के विभिन्न पर्यटन स्थलों के उदाहरण प्रस्तुत करते हुए विश्लेषण करें। - (April 2025)
उत्तर: उत्तर प्रदेश भारत का एक प्रमुख पर्यटन गंतव्य राज्य है, जो ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों से समृद्ध है। ताजमहल (आगरा), काशी विश्वनाथ मंदिर (वाराणसी), श्रीराम जन्मभूमि (अयोध्या) और संगम (प्रयागराज) जैसे विश्व प्रसिद्ध स्थल यहां स्थित हैं। हालाँकि, यहां पर्यटन विकास के मार्ग में कई चुनौतियाँ भी विद्यमान हैं। पर्यटन विकास की प्रमुख चुनौतियां अवसंरचना की कमी: कई पर्यटन
इथेनॉल उत्पादन प्रोत्साहन नीति प्रारंभ करने वाला बिहार देश का प्रथम राज्य है। यह नीति आगामी भविष्य में किस प्रकार बिहार की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में एक अहम भूमिका निभा सकती है? व्याख्या करें। - (April 2025)
उत्तर: इथेनॉल एक प्रकार का एल्कोहल होता है, इसका निर्माण सड़े हुए गन्ने एवं कृषि अवशेषों से किया जाता है। इसे पेट्रोल के साथ मिलाकर वाहनों में ईंधन के रूप में उपयोग किया जा सकता है। इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के उपयोग से ईंधन के रूप में पेट्रोलियम पर निर्भरता कम हो सकती है। भारत सरकार ने वर्ष 2025 तक 20% इथेनॉल समिश्रण
73वें संविधान संशोधन अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें। बिहार में पंचायती राज व्यवस्था ने परंपरागत नेतृत्व प्रतिमानों को कहां तक प्रभावित किया है? - (April 2025)
उत्तर: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा ग्राम पंचायत की व्यवस्था कर उसे संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया, यह संविधान संशोधन 24 अप्रैल, 1993 से प्रभावी हुआ। 73वें संशोधन द्वारा संविधान में एक नया भाग IX जोड़ा गया, जिसका शीर्षक था "पंचायतें" जिसमें अनुच्छेद 243 से 243(O) तक के प्रावधान शामिल किये गए; तथा एक नई ग्यारहवीं अनुसूची जोड़ी गई, जिसमें
बिहार में सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में विकास की आवश्यकता क्यों है? इसके विस्तार की संभावनाओं तथा संभावित चुनौतियों की विस्तारपूर्वक विवेचना कीजिए। - (April 2025)
उत्तर: बिहार भारत का सबसे कम शिक्षित राज्य है, ऐसी स्थिति में साइबर सुरक्षा, डेटा सुरक्षा, फिशिंग आदि समस्याओं के निवारण की दृष्टि से राज्य में सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में क्रांति लाना आवश्यक है। बिहार में सूचना प्रौद्योगिकी (IT) क्षेत्र के विकास की आवश्यकता इसलिए है, क्योंकि यह राज्य की सामाजिक और आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। आईटी
बिहार में आने वाली प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं की चर्चा करें। प्राकृतिक आपदाओं ने बिहार के विकास को किस प्रकार प्रभावित किया है? इन आपदाओं के प्रभाव को कम करने हेतु बिहार सरकार के प्रयास और इसरो की भूमिका का उल्लेख करें। - (April 2025)
उत्तर: बिहार प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अत्यंत संवेदनशील राज्य है, जहां बाढ़, सूखा एवं भूकंप जैसी आपदाएं बार-बार विनाशकारी असर डालती हैं। ये आपदाएं न केवल जन-जीवन और कृषि को प्रभावित करती हैं, बल्कि आर्थिक व सामाजिक विकास में भी बाधा उत्पन्न करती हैं। बिहार में आपदाएं बाढ़: बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है, जिसमें भारी वर्षा, नदियों का जल-स्तर बढ़ने या जल-निकासी की
खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में कृषि के विविधीकरण और जैविक कृषि के महत्व का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए। - (April 2025)
उत्तर: खाद्य सुरक्षा से तात्पर्य सभी व्यक्तियों के लिये हर समय सक्रिय एवं स्वस्थ जीवन हेतु पर्याप्त पोषण युक्त भोजन की उपलब्धि से है। खाद्य सुरक्षा की इन आवश्यकताओं को देखते हुए कृषि विविधता एवं जैविक कृषि, परंपरागत कृषि पद्धति की तुलना में बेहतर विकल्प साबित हो सकते हैं। कृषि का विविधीकरण कृषि विविधीकरण का अर्थ है पारंपरिक एकल फसल कृषि से
ब्रिटिश शासन के दौरान बिहार के सामाजिक एवं आर्थिक परिदृश्य में होने वाले परिवर्तनों का विश्लेषण करें। - (April 2025)
उत्तर: प्लासी एवं बक्सर युद्ध के पश्चात बंगाल सहित पूरे बिहार पर ब्रिटिश प्रभुत्व स्थापित हुआ। इस औपनिवेशिक नियंत्रण का उद्देश्य था बिहार के आर्थिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन। इस आर्थिक दोहन के साथ अंग्रेजों ने ‘फूट डालो एवं राज करो’ की नीति भी अपनाई, जिसने बिहार के सामाजिक ताने-बाने को भी विद्वेषपूर्ण बना कर रख दिया। आर्थिक परिदृश्य में बदलाव जमींदारी
बिहार के विशेष संदर्भ में सविनय अवज्ञा आंदोलन का वैशिष्ट्य बताइए एवं आंदोलन में विभिन्न सामाजिक वर्गों की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए? - (April 2025)
उत्तर: सविनय अवज्ञा आंदोलन गांधीवादी तरीकों पर आधारित असहयोग आंदोलन की अगली कड़ी थी। इसका प्रस्ताव दिसंबर 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पारित किया गया था। आंदोलन का प्रारंभ 12 मार्च, 1930 को गांधी जी ने साबरमती से दांडी तक की यात्रा की तथा 6 अप्रैल, 1930 को नमक कानून का उल्लंघन करके इस आंदोलन की शुरुआत की। नमक कानून का
मुंडा विद्रोह (उलगुलान) पर विशेष प्रकाश डालते हुए बिहार के जनजातीय आंदोलन के स्वरूप की व्याख्या कीजिए। - (April 2025)
उत्तर: बिहार के जनजातीय विद्रोह आमतौर पर किसी खास मुद्दे और स्थानीय असंतोष के कारण उपजे थे। ब्रिटिश सत्ता द्वारा जनजातियों की स्वतंत्र राजनीतिक सत्ता को छिन्न-भिन्न कर दिये जाने एवं अंग्रेजी कानून एवं न्याय व्यवस्था के उनके हक में नहीं होने से निराश होकर उन्होंने विद्रोह का झंडा खड़ा किया। मुंडा विद्रोह (1899-1900 ई) मुंडा विद्रोह 1857 के पश्चात हुये अत्यंत
मौर्यकालीन सारनाथ स्तंभ का निर्माण एक विशेष प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति के आधार पर किया गया था, स्पष्ट करें। अशोक स्तंभ, ईरानी स्तंभ से किस सीमा तक प्रभावित था? - (April 2025)
उत्तर: कला और स्थापत्य के क्षेत्र में मौर्य युग में ही सुसंगठित क्रियाकलाप के दर्शन होते हैं। अशोक स्तंभ मौर्ययुगीन वास्तु कला के सबसे अच्छे उदाहरण हैं। सारनाथ स्तंभ : प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति अशोक स्तंभों में सारनाथ का स्तंभ सर्वोत्कृष्ट है। इसका एक विशेष प्रतीकात्मक महत्व भी है: इस स्तंभ के फलक पर 4 सजीव सिंह पीठ से पीठ सटाए हुए तथा चारों दिशाओं
महात्मा गांधी की संघर्ष-विराम-संघर्ष की रणनीति तत्कालीन बिहार की परिस्थिति के अनुकूल थी, स्पष्ट करें। - (April 2025)
उत्तर: गांधीजी यथार्थवादी थे, वे जानते थे कि स्वराज प्राप्ति के लिए एक दीर्घकालीन आंदोलन एवं जनता की व्यापक भागीदारी आवश्यक है। इसलिए उन्होंने संघर्ष-विराम-संघर्ष की रणनीति अपनाई। संघर्ष-विराम-संघर्ष की रणनीति क्या थी? गांधी जी की इस रणनीति के तहत जब भी जनता की ऊर्जा अपने चरम पर होती थी, तब वे आंदोलन शुरू कर देते थे तथा जब ऊर्जा निम्न स्तर
हाल ही में अत्याधुनिक स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों, जैसे इलेक्ट्रिक वाहनों और बैटरी भंडारण प्रणालियों के विकास पर भारत सरकार द्वारा विशेष जोर दिया गया है। इस संदर्भ में इन प्रौद्योगिकियों की आर्थिक और पर्यावरणीय उपयोगिता का विश्लेषण करें। - (March 2025)
उत्तर: भारत सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) और बैटरी भंडारण प्रणालियों को बढ़ावा देने के प्रयास पर्यावरण संरक्षण, ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता को ध्यान में रखकर किये जा रहे हैं। ये प्रौद्योगिकियां भारत को सतत विकास के मार्ग पर ले जाने में सहायक हैं। आर्थिक उपयोगिता 1. तेल आयात पर निर्भरता में कमी: जीवाश्म ईंधन से विद्युत ऊर्जा की ओर रुख
उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र में विविधता लाने के प्रयासों का मूल्यांकन कीजिए। साथ ही, प्रदेश में कृषि उत्पादन को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों की चर्चा करते हुए इसके सुधार के लिए उपाय सुझाइए। - (March 2025)
उत्तर: कृषि विविधता का अर्थ है कृषि क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की फसलों, उत्पादन पद्धतियों और कृषि उत्पादों का समावेशन, जिससे कृषि की धारणीयता, उत्पादकता और लाभ में वृद्धि होती है। यह पारंपरिक एकल फसल प्रणाली से हटकर, अधिक विविध और टिकाऊ कृषि प्रणालियों को अपनाने का एक तरीका है। उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र में विविधता लाने के प्रयासों
उत्तर प्रदेश में कृषि का व्यावसायीकरण कृषि को लाभकारी बनाने में सहायक सिद्ध हो सकता है, किंतु क्या छोटे और मझोले किसानों पर इसका प्रभाव नकारात्मक हो सकता है? - (March 2025)
उत्तर: कृषि का व्यावसायीकरण वह प्रक्रिया है, जिसमें कृषि को एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में अपनाते हुए आधुनिक तकनीकों, उन्नत उत्पादन विधियों और बाज़ार-उन्मुख नीतियों के माध्यम से कृषि उत्पादों का उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन किया जाता है। कृषि का व्यावसायीकरण: सकारात्मक पहलू उन्नत बीज, आधुनिक उपकरण और बेहतर कृषि प्रौद्योगिकियां अपनाने से उत्पादन में वृद्धि और गुणवत्ता में सुधार होता
उत्तर प्रदेश में ऊर्जा के सतत उपयोग और प्रबंधन के लिए नवीकरणीय और गैर-नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता का आकलन करें। - (March 2025)
उत्तर: उत्तर प्रदेश में ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए नवीकरणीय और गैर-नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। राज्य की जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण, और औद्योगिकीकरण के कारण ऊर्जा की खपत में निरंतर वृद्धि हो रही है। नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों की भूमिका: पर्यावरणीय संरक्षण: उत्तर प्रदेश में 22.3 गीगावॉट (22,300 मेगावॉट) की संभावित सौर ऊर्जा क्षमता
उत्तर प्रदेश में निवेश की दृष्टि से मुख्य बाधाएं कौन-कौन सी हैं? इन बाधाओं को दूर करने के लिए राज्य सरकार द्वारा किये गए नीतिगत सुधारों का वर्णन कीजिए। - (March 2025)
उत्तर: निवेश वह प्रक्रिया है, जिसमें व्यक्ति, संस्था या सरकार अपनी पूंजी को एक निर्धारित उद्देश्य, जैसे वित्तीय लाभ या विकास, की प्राप्ति के लिए किसी संपत्ति, परियोजना या व्यावसायिक गतिविधि में लगाती हैं, जिससे भविष्य में लाभ या मूल्यवृद्धि की संभावना होती है। राज्य में निवेश की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन कई संरचनात्मक और कार्यात्मक बाधाएं निवेश के मार्ग में
“उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास में स्पष्ट असंतुलन विद्यमान है।” इस असंतुलन के कारणों का आकलन कीजिए और क्षेत्रीय संतुलन प्राप्त करने के लिए उपयुक्त समाधान सुझाइए। - (March 2025)
उत्तर: उत्तर प्रदेश, देश का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है, जो आर्थिक और औद्योगिक दृष्टि से विविधतापूर्ण है। इसका औद्योगिक विकास मुख्यतः पश्चिमी क्षेत्र में केंद्रित है, जबकि पूर्वांचल और बुंदेलखंड जैसे क्षेत्र औद्योगिक पिछड़ेपन से जूझ रहे हैं। यह असंतुलन न केवल क्षेत्रीय विकास बल्कि सामाजिक और आर्थिक समानता को भी प्रभावित करता है। औद्योगिक असंतुलन के प्रमुख कारण भौगोलिक
उत्तर प्रदेश के प्रमुख प्राचीन नगरों, जैसे काशी, मथुरा, अयोध्या और कानपुर, के ऐतिहासिक महत्व पर चर्चा कीजिए। - (March 2025)
उत्तर: उत्तर प्रदेश भारतीय इतिहास, संस्कृति और धर्म का एक अद्वितीय केंद्र है, जो प्राचीन काल से लेकर आधुनिक युग तक विभिन्न सभ्यताओं और धार्मिक परंपराओं का स्थल रहा है। काशी विश्वविद्यालय और शिक्षा का केंद्र:काशी या वाराणसी, भारतीय शिक्षा का एक ऐतिहासिक केंद्र है, जो संस्कृत, वेद, और धार्मिक अध्ययन का प्रमुख स्थान रहा है। साहित्यिक धरोहर: वाराणसी की साहित्यिक धरोहर
उत्तर प्रदेश के जनजातीय समुदायों के सामाजिक और आर्थिक सशक्तीकरण में प्रमुख चुनौतियां क्या हैं? - (March 2025)
उत्तर: उत्तर प्रदेश में जनजातीय समुदाय (अनुसूचित जनजाति) राज्य की कुल जनसंख्या का केवल 0.57% (जनगणना 2011) हिस्सा हैं। इनमें प्रमुख जनजातियां भोटिया, थारू, बोक्सा, जौनसारी और राजी हैं। सामाजिक और आर्थिक सशक्तीकरण में प्रमुख चुनौतियां निम्नलिखित हैं- शिक्षा का अभाव साक्षरता दर: उत्तर प्रदेश में जनजातीय साक्षरता दर केवल 55.7% है । विद्यालयों की अनुपलब्धता, शिक्षकों की कमी और मातृभाषा में
उत्तर प्रदेश में अवस्थित बौद्ध एवं जैन धर्म के प्रमुख स्थलों का वर्णन करें। - (March 2025)
उत्तरः बौद्ध एवं जैन धर्म के प्रचार-प्रसार की दृष्टि से उत्तर प्रदेश का महत्वपूर्ण स्थान है। इन दोनों धर्मों की जड़े उत्तर प्रदेश में काफी गहरी हैं। बौद्ध धर्म से संबंधित प्रमुख स्थल वाराणसीः धर्म चक्र प्रर्वतन की घटना का साक्षी सारनाथ यहीं अवस्थित है तथा यहीं पर धमेख स्तूप भी स्थित है। श्रावस्तीः प्राचीन कोशल जहां गौतम बुद्ध ने सर्वाधिक वर्षावास
उत्तर प्रदेश में ग्रामीण महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सशक्त करने में स्वयं सहायता समूहों (SHGs) की भूमिका पर चर्चा करें। - (March 2025)
उत्तर: उत्तर प्रदेश में ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने में स्वयं सहायता समूहों ने एक क्रांतिकारी भूमिका निभाई है। आर्थिक सशक्तीकरण में भूमिका आय सृजन और रोजगार: उत्तर प्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत, लगभग 8.4 लाख स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया है, जिनके माध्यम से 92 लाख से अधिक महिलाएं आर्थिक गतिविधियों में संलग्न हैं। माइक्रोफाइनेंस: SHGs को बैंकों से
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र की व्याख्या करते हुए इसकी विशिष्टताओं को रेखांकित कीजिये। - (March 2025)
उत्तर: इलाहाबाद उच्च न्यायालय भारत के सबसे पुराने उच्च न्यायालयों में से एक है, जिसकी प्रधान पीठ प्रयागराज में स्थित है। संपूर्ण उत्तर प्रदेश राज्य इसके अधिकार क्षेत्र में आता है। अधिकार क्षेत्र: इलाहाबाद उच्च न्यायालय का अधिकार क्षेत्र संविधान के अनुच्छेद 226 और 227 के तहत विस्तारित है। रिट क्षेत्राधिकार (अनुच्छेद 226): मौलिक अधिकारों और अन्य विधिक अधिकारों के संरक्षण हेतु रिट
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) के बढ़ते उपयोग ने कई क्षेत्रों में क्रांति ला दी है। भारत में AI के अनुप्रयोगों और उसके सामाजिक, आर्थिक और नैतिक प्रभावों की चर्चा करें। - (March 2025)
उत्तर: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) ने समाज, अर्थव्यवस्था और नैतिकता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इन तकनीकों ने कई क्षेत्रों में प्रगति तो दी है, लेकिन कुछ चुनौतियां भी उत्पन्न की हैं। भारत में इन तकनीकों का तेजी से प्रसार हो रहा है, जिससे इसके सामाजिक, आर्थिक और नैतिक प्रभाव स्पष्ट हो रहे हैं। 1. सामाजिक
“एक राष्ट्र-एक चुनाव” क्या है? इसकी संभावनाओं और बाधाओं की व्याख्या करें। - (March 2025)
उत्तर: "एक राष्ट्र-एक चुनाव" का तात्पर्य लोक सभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ आयोजित करने से है। इससे प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता एक ही समय पर सभी स्तरों के चुनावों के लिए मतदान कर सकेंगे। यह व्यवस्था 1967 तक प्रभावी थी, लेकिन 1968-69 में कुछ विधानसभाओं और 1970 में लोक सभा के विघटन के कारण यह परंपरा
सहकारी संघवाद क्या है? संविधान में इससे संबंधित प्रावधानों की विस्तृत चर्चा करें। - (March 2025)
उत्तर: सहकारी संघवाद एक ऐसा सिद्धांत है जो संघ और राज्यों के बीच समन्वय और परस्पर सहयोग को सुनिश्चित करता है। यह संघीय ढांचे की मजबूती के साथ-साथ राष्ट्रीय और राज्य एजेंसियों के सम्मिलित प्रयासों को बढ़ावा देता है। सहकारी संघवाद के तहत यह माना जाता है कि संघ और राज्य एक-दूसरे के पूरक हैं और साथ मिलकर कार्य करेंगे। संविधान
बिहार में बाढ़ के कारण और नदी जोड़ो परियोजना पर इसके प्रभाव की चर्चा करें। - (March 2025)
उत्तर: बिहार में बाढ़ एक गंभीर समस्या है, जो हर वर्ष राज्य के लाखों लोगों को प्रभावित करती है। बिहार आपदा प्रबंधन विभाग (DMD) के अनुसार वर्ष 2024 में बाढ़ से 361 पंचायतें प्रभावित हुई हैं, और 12 जिलों में बाढ़ ने 12.67 लाख से अधिक लोगों को प्रभावित किया, जिससे जीवन और संपत्ति को भारी नुकसान हुआ। इस समस्या
रवीन्द्रनाथ टैगोर का शिक्षा-दर्शन पर विचार और वर्तमान संदर्भ में प्रासंगिकता पर विस्तृत चर्चा करें। - (March 2025)
उत्तर: रवीन्द्रनाथ टैगोर का शिक्षा-दर्शन उनके गहन मानवीय दृष्टिकोण और आध्यात्मिकता पर आधारित था। उनका मानना था कि शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान का संचय नहीं, बल्कि आत्म-साक्षात्कार और संपूर्ण मानवता के प्रति प्रेम विकसित करना है। उन्होंने शिक्षा को स्वाभाविक और रचनात्मक प्रक्रिया के रूप में देखा, जो मनुष्य को उसकी पूरी क्षमता तक पहुंचने में सक्षम बनाती है। टैगोर
पटना कलम कला पर विस्तृत टिप्पणी करें। - (March 2025)
उत्तर: पटना कलम (पटना शैली) भारत की चित्रकला की एक विशिष्ट शैली है, जो मुगल और स्थानीय प्रभावों का मिश्रण है। यह कला बिहार के पटना और उसके आस-पास के क्षेत्रों में 18वीं शताब्दी में विकसित हुई। इसका विकास मुख्यतः आर्थिक समृद्धि और शाही संरक्षण के परिणामस्वरूप हुआ। इस कला में प्राकृतिक रंगों और बारीक रेखाचित्रों का उपयोग होता है। पटना
बिहार में किसान और मजदूर आन्दोलन की व्याख्या करें। - (March 2025)
उत्तर: बिहार में किसान और मजदूर आंदोलन शोषण, अन्याय और जमींदारी प्रथा के खिलाफ जनचेतना का प्रतीक बने। इन आंदोलनों ने किसानों और मजदूरों को संगठित कर उनके अधिकारों के लिए लड़ने की शक्ति दी। दरभंगा के किसानों से लेकर चंपारण सत्याग्रह और बिहार प्रांतीय किसान सभा जैसे आंदोलनों ने किसानों की आवाज को राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाया। वहीं, मजदूर
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और आधुनिक बिहार के गठन के सभी आयामों की चर्चा करें | - (March 2025)
उत्तर: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और आधुनिक बिहार के गठन की यात्रा राज्य की विशिष्ट पहचान और गौरवशाली इतिहास का प्रतीक है। 19वीं सदी के अंत में शिक्षित वर्ग ने बिहार को बंगाल से पृथक करने की मांग की, जो बाद में जन आंदोलन में परिवर्तित हो गया। पृथक बिहार की मांग (1889-1894) 1889-1893: शिक्षित वर्ग ने बिहार को बंगाल से अलग करने की
जयप्रकाश नारायण के स्वतंत्रता संग्राम और स्वतंत्रता के बाद के योगदान का वर्णन कीजिए। - (March 2025)
उत्तर: लोकनायक जयप्रकाश नारायण (जेपी) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और स्वतंत्र भारत में सामाजिक सुधार आंदोलनों के एक प्रमुख नेता थे। उनका जन्म 11 अक्टूबर, 1902 को बिहार के सिताबदियारा में हुआ। मार्क्सवादी और गांधीवादी विचारधारा के समर्थक जेपी ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और आजादी के बाद भी समाज सुधार में सक्रिय रहे। प्रमुख योगदान स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जयप्रकाश नारायण
बिहार में जाति आधारित जनगणना के समाजिक, आर्थिक और राजनीतिक पहलुओं की चर्चा करें। - (February 2025)
उत्तर: बिहार में जाति आधारित जनगणना 2023 एक ऐतिहासिक पहल है, जो 7 जनवरी, 2023 से शुरू हुई। यह दो चरणों में सम्पन्न हुई, पहले चरण में मकान और घर के मुखिया की जानकारी ली गई और दूसरे चरण में जाति समेत 26 प्रकार की सूचनाएं एकत्रित की गईं। इस डेटा को डिजिटली 'बीजागा मोबाइल ऐप/पोर्टल' पर सुरक्षित किया गया है।
बिहार में कृषि रोड मैप की प्रमुख विशेषताएं एवं इसके महत्त्व की चर्चा करें। - (February 2025)
उत्तर: बिहार जैसे कृषि-प्रधान राज्य में कृषि रोड मैप किसानों की स्थिति सुधारने और कृषि उत्पादकता को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण साधन है। यह रोड मैप कृषि के समग्र विकास, किसानों की आय वृद्धि और पर्यावरण संरक्षण जैसे उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए नीतिगत दिशा प्रदान करता है। दलहन, तिलहन और पोषक अनाज विकास ➔ कस्टम हायरिंग सेंटर ➔ किसानों की
बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना 'जीविका' के महत्व और वित्तीय वर्ष 2024-25 के प्रमुख प्रावधानों की व्याख्या करें। - (February 2025)
उत्तर: बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी 'जीविका' परियोजना, महिलाओं के विकास, सशक्तीकरण और ग्रामीण गरीबी के उन्मूलन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस परियोजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति को मजबूत करना है। जीविका के माध्यम से अब तक 10.47 लाख स्वयं सहायता समूह गठित किये गए हैं, जिनके तहत 1
बिहार के सन्दर्भ के ग्रीन बजट के प्रावधानों और महत्व की चर्चा करें। - (February 2025)
उत्तर: बिहार ने 2020-21 में ग्रीन बजटिंग की प्रक्रिया शुरू कर देश में हरित विकास के क्षेत्र में अग्रणी स्थान प्राप्त किया। ग्रीन बजट 2024-25 में पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन शमन और सतत विकास के लक्ष्यों को प्राथमिकता दी गई है। इस बजट का मुख्य उद्देश्य आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाना है। ग्रीन बजट का महत्व ग्रीन बजट
बिहार में विशेष राज्य के दर्जे की मांग की क्या संभावनाएं और बाधाएं है? इसके सभी पहलुओं की चर्चा करें। - (February 2025)
उत्तर: विशेष राज्य का दर्जा राज्यों को केंद्र से अधिक वित्तीय सहायता और संरचनात्मक विकास के लिए अनुकूल नीति का लाभ देता है। बिहार जैसे राज्य के लिए यह दर्जा उनकी सामाजिक और आर्थिक समस्याओं को दूर करने में महत्वपूर्ण हो सकता है। विशेष राज्य का दर्जा: परिभाषा और मानदंड भौगोलिक चुनौतियां: पहाड़ी और कठिन इलाके। जनसांख्यिकी: कम जनसंख्या घनत्व या जनजातीय आबादी
बिहार में पश्चिमी शिक्षा के प्रसार और शिक्षा के विकास की प्रमुख उपलब्धियों पर चर्चा कीजिए। - (February 2025)
उत्तर: बिहार प्राचीन काल से ही शिक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। नालंदा विश्वविद्यालय और विक्रमशिला विश्वविद्यालय जैसे शिक्षा केंद्र इसकी गौरवशाली परंपरा के प्रमाण हैं। प्रारंभ में यहां की शिक्षा प्रणाली वेदों, शास्त्रों और धर्मग्रंथों पर आधारित थी, लेकिन इसमें वैज्ञानिक प्रगति की कमी थी। मध्य काल में, पटना, भागलपुर और बिहार शरीफ जैसे स्थान शिक्षा के महत्वपूर्ण
संथाल विद्रोह के कारणों, इसके प्रभाव और बिहार के आदिवासी समाज पर इसके परिणामों का विश्लेषण कीजिए। - (February 2025)
उत्तर: संथाल विद्रोह (1855-1856), जिसे संथाल हुल भी कहा जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी प्रतिरोध का प्रतीक है। सिद्धो और कान्हू मुर्मु के नेतृत्व में यह झारखंड के संथाल परगना से शुरू हुआ। 1832-33 में अंग्रेजों ने दामिन-ए-कोह की स्थापना कर संथालों को खेती के लिए भूमि आवंटित की थी। हालांकि, समय के साथ ब्रिटिश राज की नीतियां, जमींदारों
चंपारण सत्याग्रह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक मील का पत्थर क्यों माना जाता है? चर्चा कीजिए। - (February 2025)
उत्तर: चंपारण सत्याग्रह (1917) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का पहला बड़ा अहिंसक आंदोलन था। यह आंदोलन बिहार के चंपारण जिले में अंग्रेज़ों द्वारा नील की खेती के लिए किसानों के शोषण के खिलाफ हुआ। इसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी और गांधीजी को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित किया। महत्वपूर्ण घटनाएं किसानों का शोषण और तिनकठिया प्रथा: 1860 का दशक: अंग्रेज़ों ने किसानों
पाल कला के विकास और भारतीय मूर्तिकला व चित्रकला पर इसके प्रभाव पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें। - (February 2025)
उत्तर: पाल वंश का शासनकाल (8वीं-12वीं शताब्दी) भारतीय कला और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण युग है। यह काल बंगाल और बिहार क्षेत्र में प्रमुख रूप से विकसित हुआ और पाल शासकों के संरक्षण में मूर्तिकला, चित्रकला, और वास्तुकला का उत्कर्ष हुआ। पाल कला बौद्ध धर्म, विशेषकर महायान और वज्रयान से प्रभावित थी। इसने भारत के साथ-साथ तिब्बत, नेपाल और दक्षिण-पूर्व एशिया
मौर्य काल की कला और वास्तुकला की मुख्य विशेषताओं पर चर्चा करें। इसने भारतीय कला के बाद के रूपों को कैसे प्रभावित किया? - (February 2025)
उत्तर: मौर्य काल (321 ई.पू. से 185 ई.पू.) भारतीय कला और स्थापत्य का स्वर्ण युग माना जाता है। इस काल में कला केवल शासकीय शक्ति के प्रदर्शन का माध्यम नहीं रही, बल्कि इसे सामाजिक और धार्मिक उद्देश्यों से जोड़ा गया। अशोक द्वारा बौद्ध धर्म को अपनाने और उसका प्रचार-प्रसार करने के लिए स्थापत्य कला का व्यापक उपयोग किया गया। मुख्य विशेषताएं स्तंभनिर्माण मौर्यकालीन
केस स्टडी - जिला मुख्यालय में स्थित सरकारी अस्पताल में ग्रामीण जनता के इलाज से सम्बंधित। - (July 2022)
प्रश्न: आप एक जिले में जिलाधिकारी के पद पर नियुक्त हैं। जिला मुख्यालय में स्थित सरकारी अस्पताल के माध्यम से ही आस-पास की ग्रामीण जनता का इलाज संभव हो पाता है। यह अस्पताल सरकार द्वारा प्रदत्त सारी सुविधाओं का लाभ उठाते हुए एक साधन संपन्न अस्पताल की श्रेणी में आता है। आपके यहां पदस्थ होने के बाद इस अस्पताल से
केस स्टडी - लोक निर्माण विभाग में एक महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त व्यक्ति के विभागीय दायित्व व पदीय कर्तव्य से सम्बंधित। - (July 2022)
प्रश्न: आप लोक निर्माण विभाग में एक महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त हैं। नये निर्माण की गुणवत्ता की जांच एवं जनता के प्रयोग में लाने से पूर्व उससे संबंधित समस्त दायित्वों का निर्वहन करना आपके पदीय कर्तव्य के अंतर्गत आता है। कुछ दिनों पहले सरकार द्वारा आपके क्षेत्र में एक नये पुल के निर्माण की घोषणा की गई थी और उसके
केस स्टडी - विदेश में एक संक्रामक बीमारी के दौरान जिलाधिकारी के मित्र की कंपनी पर उसकी औद्योगिक इकाई में आए एक विदेशी व्यक्ति के दौरे को छुपाने से सम्बंधित। - (August 2022)
प्रश्न: आप एक जिले में जिलाधिकारी के रूप में पदस्थापित हैं। यह जिला देश का सबसे सघन औद्योगिक क्षेत्र है, जहां आपके बचपन के मित्र ने भी एक औद्योगिक इकाई लगाई है। आपके मित्र ने दिन-रात मेहनत कर अपने उत्पाद की ‘एक ब्रांड वैल्यू’ बनाई है तथा उनसे संवाद के क्रम में आपको मालूम चला कि बाजार में उन्हें काफी
केस स्टडी - किसान ऋण से सम्बंधित। - (August 2022)
प्रश्न: रामभरोसे एक किसान हैं। उन्होंने कृषि के लिए कुछ रुपए उधार लिये हैं। परंतु कुछ वर्षों से बाजार में उपज का उचित मूल्य न मिलने के कारण वे पैसा नहीं चुका पा रहे हैं। रामभरोसे पूरी तरह से कर्ज में डूबे हुए हैं। इसके अलावा उन्हें एक बेटी की शादी भी करनी है जिसके लिए उन्हें दहेज के रूप
उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति 2021-2030 - (July 2022)
11 जुलाई, 2021 को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ‘उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति 2021-2030’ जारी की गयी। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने पहली बार वर्ष 2000 में राज्य की जनसंख्या नीति शुरू की थी। लक्ष्य एवं उद्देश्य सकल प्रजनन दर को 2026 तक 2.1 और 2030 तक 1.9 करना ; आधुनिक गर्भनिरोधक प्रसार दर को 2026 तक 45% और 2030 तक 52% करना_
उत्तर प्रदेश फ़ार्मास्युटिकल उद्योग नीति 2018 - (July 2022)
8 जून, 2018 को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 162 के तहत उत्तर प्रदेश के राज्यपाल द्वारा ‘उत्तर प्रदेश फार्मास्युटिकल्स उद्योग नीति 2018’ जारी की गई। यह नीति अधिसूचना जारी होने की तिथि से 5 साल की अवधि तक प्रभावी रहेगी। नीति के प्रमुख उद्देश्य औषधीय शोध को प्रोत्साहित करना, विश्व-स्तरीय अवसंरचना का निर्माण करना तथा विश्व की श्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करना विशेष औषधीय
सौर ऊर्जा नीति-2017 - (July 2022)
उ.प्र. सरकार द्वारा विद्युत उत्पादन में नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सौर ऊर्जा नीति-2017 को अनुमोदित किया है। इसका उद्देश्य विद्युत उत्पादन में तथा सौर ऊर्जा में निजी भागीदारी को बढ़ावा देकर निवेश को आकर्षित करना है। लक्ष्य इस नीति के अंतर्गत वर्ष 2022 तक 10,700 क्षमता की सौर विद्युत उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। मुख्य बिंदु सौर ऊर्जा
उ.प्र. पर्यटन नीति, 2018 - (July 2022)
उ.प्र. सरकार द्वारा राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु 19 फरवरी, 2018 को राज्य की पर्यटन नीति को अनुमोदन प्रदान किया गया। इस पर्यटन नीति को 5 वर्ष हेतु लागू किया गया है। उद्देश्य उ.प्र. को पर्यटन राज्य के रूप में विकसित कर पर्यटन के माध्यम से सतत एवं समावेशी विकास को प्राप्त करना तथा जनसाधारण में उद्यमशीलता को प्रोत्साहन प्रदान
उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन मैन्युफैक्चरिंग नीति-2019 - (July 2022)
उ.प्र. सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इलेक्ट्रिक वाहन मैन्युफैक्चरिंग नीति 2019 को 6 अगस्त, 2019 को अपनी मंजूरी प्रदान की गई। लक्ष्य इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण तथा उत्पादन को बढ़ावा प्रदान करना, जिससे प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण सुरक्षा को गति प्रदान की जा सके। यह नीति उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति 2017 के
उ.प्र. खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2017 - (July 2022)
उत्तर प्रदेश मंत्रिमण्डल द्वारा 24 अक्टूबर, 2017 को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति 2017 को मंजूरी प्रदान की गई। यह नीति 2017-2022 (5 वर्षों) की अवधि तक प्रभावी रहेगी। उद्देश्य इसका उद्देश्य प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना हेतु अनुकूल वातावरण का निर्माण करना तथा उसके लिए अवस्थापना सुविधाओं का विकास करना है ; इसके साथ-साथ खाद्य प्रसंस्करण जोन को चिह्नित करना तथा
उत्तर प्रदेश कृषि निर्यात नीति-2019 - (July 2022)
10 सितंबर, 2019 को उ-प्र- सरकार द्वारा कृषि निर्यात नीति को मंजूरी प्रदान की गई। लक्ष्यः राष्ट्रीय कृषि निर्यात नीति के लक्ष्यों की प्राप्ति करना। उद्देश्यः किसानों की आय में वृद्धि, कृषि क्षेत्र में निर्यात को बढ़ावा, अंतरराष्ट्रीय बाजार का आकलन करना एवं उसके प्रबंधन से संबंधित समस्त बाधाओं को दूर करने हेतु संस्थागत कार्य प्रणाली की स्थापना करना। मुख्य विशेषता इस नीति के
उ.प्र. खनन नीति-2017 - (July 2022)
उ.प्र. सरकार द्वारा 30 मई, 2017 को नई खनन नीति को अनुमोदन प्रदान किया गया। यह एक सुदृढ़ एवं पारदर्शी खनन नीति है, जो पारदर्शिता, कानून का राज, समता, प्रभावशीलता, आम सहमति के साथ-साथ उत्तरदायित्व एवं भागीदारी को सुनिश्चित करती है। यह नीति राज्य सरकार द्वारा सुशासन एवं भ्रष्टाचार मुत्तफ़ के मूल मंत्र पर आधारित है। खनन नीति के लक्ष्य निजों के
उ.प्र. इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण नीति-2020 - (July 2022)
18 अगस्त, 2020 को उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल द्वारा नई उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण नीति 2020 को अनुमोदित किया गया। यह नीति उ-प्र- इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण नीति 2017 की सफलता को देखते हुए लाई गई है, जो सम्पूर्ण राज्य में प्रभावी होगी जबकि बुंदेलखण्ड एवं पूर्वांचल के क्षेत्रें में निवेश के लिए इस नीति में विशेष प्रबंध किये गए हैं। लक्ष्य इस नीति का प्रमुख
उत्तर प्रदेश स्टार्टअप पॉलिसी-2020 - (July 2022)
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 8 जुलाई, 2020 को राज्य की नई स्टार्टअप नीति को स्वीकृति प्रदान की गई। राज्य सरकार ने इस स्टार्टअप नीति को नीति आयोग की सहायता से तैयार किया है। मुख्य उद्देश्य इस नीति का मुख्य उद्देश्य 5 वर्षों में राज्य भर में 10,000 से अधिक स्टार्टअप की स्थापना हेतु परिस्थितियों का निर्माण करना। भारत सरकार द्वारा जारी राज्यों की
उत्तर प्रदेश डेटा सेंटर नीति- 2021 - (July 2022)
9 अप्रैल 2021 को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश डेटा सेंटर नीति- 2021 प्रख्यापित की गई। यह नीति राज्य के अन्दर डेटा केन्द्रों की स्थापना को बढ़ावा देती है। इस नीति के तहत, निवेशकों को पूंजी, ब्याज दर, भूमि खरीद पर सब्सिडी, साथ ही गैर वित्तीय प्रोत्साहन से संबंधित प्रावधान किए गया है। बुंदेलखंड और पूर्वांचल के पिछड़े क्षेत्रें
उत्तर प्रदेश निर्यात नीति 2020-25 - (July 2022)
25 नवंबर, 2021 को उत्तर प्रदेश की सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश निर्यात नीति 2020-25 को लागू किया गया। महत्वपूर्ण तथ्य इस नीति का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में निर्यात के क्षेत्र में विकास और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना, निर्यात सहायक संस्थानों को निर्यात संबंधी सहायता, राज्य से निर्यात बढ़ाने के लिए तकनीकी और भौतिक बुनियादी ढांचे की स्थापना करना है। निर्यात को बढ़ावा देने
रिवर इंटरलिंकिंग: मुद्दे एवं लाभ - (July 2022)
नदियों को आपस में जोड़ने यानी इंटरलिंकिंग ऑफ रिवर्स से तात्पर्य जल अधिशेष वाली नदियों से जल की कमी वाली नदियों या क्षेत्रों की ओर जल अंतरण से है। नदी जोड़ो परियोजना का विचार सर्वप्रथम 1858 में ब्रिटिश सिंचाई इंजीनियर सर आर्थर थॉमस कॉटन ने दिया था। हालाँकि, भारतीय नदियों को आपस में जोड़ने का विचार कुछ दशक पहले स्वतंत्र रूप से
जल सुरक्षा की आवश्यकता - (July 2022)
पृथ्वी पर मौजूद पानी का 97% खारा पानी है और केवल 3 प्रतिशत ताजा पानी है। इसमें से दो तिहाई से थोड़ा अधिक हिमनदों और ध्रुवीय बर्फ की टोपियों में जमी हुई है।शेष बिना जमे हुए मीठे पानी को मुख्य रूप से भूजल के रूप में पाया जाता है। ताजे पानी के प्राकृतिक स्रोतों में सतही जल, नदी के प्रवाह के
प्राकृतिक संसाधान प्रबंधान - (July 2022)
पर्यावरण संसाधन प्रबंधन (Environmental Resource Management-NRM) पर्यावरण और मानव समाज के बीच परस्पर क्रिया और प्रभाव का प्रबंधन है। प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के अंतर्गत भूमि, जल, मृदा, वनस्पति जैसे प्राकृतिक संसाधनों को इस प्रकार प्रबंधित किया जाता है जिससे कि वर्तमान व भविष्य की पीढ़ियों के जीवन की गुणवत्ता नकारात्मक रूप से प्रभावित न हो। पर्यावरण संसाधन प्रबंधन उन कारकों की
जीरो बजट नेचुरल फ़ार्मिंग - (July 2022)
कृषि की इस पद्धति में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग नहीं किया जाता है। इस पद्धति में प्राकृतिक आगतों का उपयोग कर कृषि कार्य किया जाता है। इस कारण इस कृषि पद्धति में खर्च लगभग शून्य हो जाता है। वर्तमान समय में शून्य बजट प्राकृतिक कृषि (Zero Budget Natural Farming) को प्रचलित करने में सुभाष पालेकर की महत्त्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है।
भारत में कृषि विपणन प्रणाली: चुनातियाँ वं उपाय - (July 2022)
भारत में कृषि विपणन प्रणाली से तात्पर्य कृषि विपणन से संबंधित नियम, विनियम तथा नीति में सरकार का नियमित या सुव्यवस्थित हस्तक्षेप है। कृषि विपणन के अंतर्गत उन सभी क्रियाकलापों को शामिल किया जाता है जो कृषि उत्पादों के भंडारण, खरीद, संग्रहण, श्रेणीकरण (grading), खाद्य एवं कृषि प्रसंस्करण, परिवहन, वित्तीयन और विक्रय से संबंधित होता है। वर्तमान में कृषि उत्पादों का
कृषि में नवीन प्रौद्योगिकी - (July 2022)
कृषि क्षेत्र में हरित क्रांति, सदाबहार क्रांति, नीली क्रांति, श्वेत क्रांति, पीली क्रांति सहित कई क्रांतियां हुई हैं। प्रौद्योगिकियों का उपयोग ही इन सभी क्रांतियों का आधार है। कृषि क्षेत्र में संलग्न व्यक्तीयों की उत्पादन क्षमता को कृषि प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग के द्वारा बढ़ाया जा सकता है। कृषि क्षेत्र में रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए नवीन प्रौद्योगिकी की आवश्यकता है।
भारत में कृषि सब्सिडी: महत्व एवं मुद्दे - (August 2022)
भारत सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली कृषि सब्सिडी उत्पादकता बढ़ाने में सहायक होती है। इनके माध्यम से निम्न आय समूह के किसान को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है जो सामाजिक न्याय की स्थापना में सहायक हैं। भारत में ग्रामीण विकास और आजीविका सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है। भारत की कार्यशील जनसंख्या का एक बड़ा भाग कृषि पर निर्भर है,
भारत में परिशुद्धता कृषि: चुनौतियां एवं उपाय - (August 2022)
परिशुद्धता कृषि (Precision Agriculture) की संकल्पना ने 1990 के दशक के मध्य में जन्म लिया तथा जॉर्जिया विश्वविद्यालय, ऐसा पहला कृषि संस्थान था जिसने इस क्षेत्र में गहन शोध की शुरुआत की। परिशुद्धता कृषि को ‘सैटेलाइट कृषि’ या ‘स्थान विशिष्ट फसल प्रबंधन (SSCM)’ के रूप में भी जाना जाता है। यह कृषि प्रबंधन की अवधारणा है जो विभिन्न फसलों में अंतर
कृषि पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव एवं समाधान - (August 2022)
‘जलवायु अनुरूप कृषि पर राष्ट्रीय नवाचार’ (National Innovations in Climate Resilient Agriculture - NICRA) के एक अध्ययन के अनुसार जलवायु परिवर्तन का प्रभाव फसल उत्पादन पर भी पड़ रहा है।भारतीय कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर केंद्रित इस अध्ययन के अनुसार वर्षा और तापमान में परिवर्तन प्रमुख फसलों के उत्पादन में उतार-चढ़ाव का कारण बन रहा है। जलवायु परिवर्तन का
क्रिप्टोकरेंसी नियामक ढांचा - (August 2022)
क्रिप्टोकरेंसी एक ‘आभासी या डिजिटल मुद्रा’ (Virtual or Digital Currency) है। हालांकि कुछ क्रिप्टोकरेंसी ने क्रेडिट कार्ड तथा अन्य परियोजनाओं के साथ ‘भौतिक वित्त’ (Physical Finance) के क्षेत्र में भी प्रवेश किया है। क्रिप्टोकरेंसी में ‘क्रिप्टो’ शब्द जटिल क्रिप्टोग्राफी को संदर्भित करता है, जो ‘विकेंद्रीकृत प्रणालियों’ (Decentralçed Systems) में डिजिटल मुद्राओं और उनके लेनदेन के ‘निर्माण तथा प्रसंस्करण’ (Manufacturing and Processing)
क्वांटम प्रौद्योगिकी: महत्व एवं इसके अनुप्रयोग - (August 2022)
क्वांटम प्रौद्योगिकी क्वांटम सिद्धांत पर आधारित है, जो परमाणु और उप-परमाणु स्तर पर ऊर्जा और पदार्थ की प्रकृति की व्याख्या करता है। इस तकनीक की सहायता से डेटा और सूचना को कम-से-कम समय में प्रोसेस किया जा सकता है। एक सामान्य कंप्यूटर बिट्स में जानकारी संग्रहीत करता है (या तो 0 या 1 के रूप में) लेकिन क्वांटम कंप्यूटर दो क्वांटम
कृत्रिम बुद्धिमत्ता: चुनौतियां एवं अनुप्रयोग - (August 2022)
जॉन मैकार्थी द्वारा 1956 में पहली बार कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उल्लेख किया गया था। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) कंप्यूटर विज्ञान की वह शाखा है जो कंप्यूटर के इंसानों की तरह व्यवहार करने की धारणा पर आधारित है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता को कंप्यूटर साइंस का सबसे उन्नत रूप माना जाता है। मशीन लर्निंग कृत्रिम बुद्धिमत्ता का एक हिस्सा है। यह तकनीक डेटा प्राप्त करने,
जीएम खाद्य पदार्थ संबंधित मुद्दे एवं समाधान - (August 2022)
नवंबर, 2021 में भारतीय खाद्य संरक्षा एवं सुरक्षा मानक प्राधिकरण (Food Safety and Standards Authority of India - FSSAI) द्वारा एक मसौदा नियम जारी किया गया हैं जो आनुवंशिक रूप से संशोधित खाद्य पदार्थों (GM foods) से संबंधित है। इस मसौदे के अनुसार, कोई भी व्यक्ति बगैर पूर्वानुमोदन के देश में आनुवंशिक रूप से संशोधित जीवों (GMOs) से प्राप्त किसी भी
कृषि निर्यात को बढ़ावा : चुनौतियां एवं सरकार के कदम - (September 2022)
वित्त वर्ष 2020-21 में कृषि-निर्यात 41.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 18 प्रतिशत अधिक है। 1991 में आर्थिक सुधार शुरू होने के बाद से भारत कृषि उत्पादों का शुद्ध निर्यातक रहा है। भारत कृषि उत्पादों के वैश्विक व्यापार में अग्रणी स्थान रखता है। हालांकि, इसकी कुल कृषि निर्यात सम्पूर्ण वैश्विक कृषि व्यापार के
हरित क्रांति 2.0 : भारतीय कृषि को संधारणीय बनाने की रणनीति - (September 2022)
जनवरी 2022 में आरबीआई (RBI) द्वारा जारी किए गए ‘भारतीय कृषिः उपलब्धियां एवं चुनौतियां’ (Indian Agriculture Achievements and Challenges) नामक आलेख में कहा गया है कि कृषि को अधिक जलवायु-प्रतिरोधी एवं पर्यावरणीय रूप से धारणीय बनाने के लिए भारत को दूसरी हरित क्रांति (Green Revolution 2.0) की आवश्यकता है। चावल, गेहूं एवं गन्ने जैसी फसलों के अत्यधिक उत्पादन से भूजल स्तर
सतत विकास लक्ष्यों का स्थानीयकरण - (September 2022)
हाल ही में, पंचायती राज मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के साथ सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals - SDG) के स्थानीयकरण से संबंधित समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। सतत विकास लक्ष्यों का स्थानीयकरण की प्रक्रिया में स्थानीय विकास नीति को एसडीजी लक्ष्य के साथ संबद्ध किया जाता है| भारत में, एसडीजी के कार्यान्वयन का समग्र समन्वय नीति
सकल पर्यावरण उत्पाद : निहितार्थ तथा मुद्दे - (September 2022)
जुलाई 2021 में, उत्तराखंड सरकार ने घोषणा की कि वह 'सकल पर्यावरण उत्पाद' (GEP) के रूप में अपने प्राकृतिक संसाधनों का मूल्यांकन शुरू करेगी। इसे सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की तर्ज पर संपादित किया जाएगा। सकल पर्यावरण उत्पाद की संकल्पना का आरंभ वर्ष 1997 में वैश्विक स्तर पर रॉबर्ट कोस्टानज़ा जैसे पारिस्थितिक अर्थशास्त्रियों द्वारा किया गया था। यह पारिस्थितिक स्थिति
भारत में भूतापीय ऊर्जा: लाभ एवं उत्पादन संबंधी चुनौतियां - (September 2022)
भारत की पहली भूतापीय ऊर्जा (geothermal energy) परियोजना पूर्वी लद्दाख के पुगा गाँव में स्थापित की जा रही है। वैज्ञानिकों द्वारा देश में भूतापीय ऊर्जा के हॉटस्पॉट के रूप में 'पुगा घाटी' की पहचान की गई है जहां पायलट प्रोजेक्ट के पहले चरण में, एक मेगावाट (MW) बिजली उत्पादन क्षमता स्थापित की जाएगी। भू-तापीय ऊर्जा की उत्पत्ति मुख्य रूप से पृथ्वी
जलवायु परिवर्तन एवं नैतिकता - (September 2022)
पृथ्वी पर मनुष्य एक ऐसा जीव है जो अपनी क्षमताओं के अनुसार प्रगति में परिवर्तन कर सकता है। मानव जनसंख्या में तीव्र वृद्धि तथा उपभोग स्तर में परिवर्तन के कारण मनुष्य ने अपने उद्भव के बाद से ही प्रकृति में व्यापक मात्रा में छेड़छाड़ की है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि वर्ष 2050 तक मानव जनसंख्या बढ़ कर
फ्लाई ऐश : संबद्ध मुद्दे, उपयोगिता तथा विनियमन - (September 2022)
कोयला आधारित तापीय उर्जा संयंत्रों से दहन किए गए कोयले के एक अवशेष उत्पाद के रूप में फ्लाई ऐश को प्राप्त किया जाता है। इन संयंत्रों में इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रेसिपिटेटर (Electrostatic Precipitator) का उपयोग करके फ्लाई ऐश को एकत्रित किया जाता है। दूसरे शब्दों में, फ्लाई ऐश कोयले के दहन से उत्पन्न होने वाला एक उप-उत्पाद है जिस का निष्कर्षण बॉयलर
क्लाइमेट-स्मार्ट पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप - (September 2022)
विश्व बैंक ने मई 2021 में जारी अपने एक पत्र में कहा था कि पेरिस जलवायु समझौते को कार्यान्वित करने तथा वैश्विक स्तर पर कार्बन उत्सर्जन संबंधी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए व्यापक मात्रा में वित्त की आवश्यकता होगी। इस प्रकार की वित्तीय आवश्यकताओं को क्लाइमेट-स्मार्ट पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (Climate-Smart Public Private Partnership) के माध्यम से पूरा किया जाना
नाभिकीय ऊर्जा : प्रासंगिकता एवं उत्पादन परिदृश्य - (September 2022)
नाभिकीय ऊर्जा : प्रासंगिकता एवं उत्पादन परिदृश्य आजादी के बाद से भारत की विद्युत उत्पादन क्षमता 100 गुना बढ़ गई है और आज यह दुनिया में विद्युत का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। लेकिन फिर भी ऊर्जा सुरक्षा के मामले में भारत बहुत पीछे है। भारत, विश्व के सबसे बड़े ऊर्जा उपभोक्ताओं में से एक है और वर्तमान में काफी हद
डिजिटल स्थानीय शासन और ई-पंचायत - (August 2022)
भारत में पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) को ‘ई-पंचायत परियोजना’ के माध्यम से डिजिटल स्थानीय शासन का रूप दिए जाने का प्रयास किया जा रहा है। ग्रामीण भारत में संचालित की जाने वाली इस परियोजना के माध्यम से पंचायती राज संस्थानों को आधुनिकता, पारदर्शिता और कार्य-कुशलता के प्रतीक के रूप में रूपांतरित किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। यह नवाचार पंचायती
न्यायिक सक्रियता बनाम न्यायिक संयम - (August 2022)
हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय के निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल ने आयोजित अपने विदाई समारोह में न्यायिक सक्रियता (Judicial Activism) और न्यायिक संयम (Judicial Restraint) के बीच संतुलन की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों का कार्य सिर्फ कानूनों की व्याख्या करना है, नीति निर्माण या उनमें सुधार करना नहीं। न्यायिक सक्रियता (Judicial Activism) की अवधारणा
भारतीय संघवाद के समक्ष नवीन चुनौतियां - (August 2022)
भारत, क्षेत्र और जनसंख्या की दृष्टि से विशाल और विविधताओं से परिपूर्ण है, ऐसी स्थिति में भारत के लिए संघात्मक शासन व्यवस्था को अपनाना गया। संविधान के प्रथम अनुच्छेद में भारत के लिए ‘राज्यों का संघ’ शब्द का प्रयोग किया गया है। इस प्रणाली के अंतर्गत केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकारों के बीच कार्यपालिका के अधिकारों का बंटवारा किया जाता है। भारतीय
भुलाए जाने का अधिकार - (August 2022)
‘भुलाए जाने का अधिकार’ (Right to be Forgotten), इंटरनेट, वेबसाइट्स या किसी अन्य प्लेटफॉर्म में सार्वजनिक रूप से उपलब्ध व्यक्तिगत जानकारी के प्रासंगिक न रहने की स्थिति में उसे हटाने का अधिकार है। वर्ष 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में निर्णय दिया कि निजता के अधिकार में भुलाए जाने का अधिकार और अकेले रहने देने का अधिकार (Right
समान नागरिक संहिता: आवश्यकता एवं औचित्य - (August 2022)
समान नागरिक संहिता की अवधारणा पूरे देश के लिए एक कानून का प्रावधान करती है, जोकि सभी धार्मिक समुदायों पर उनके व्यक्तिगत मामलों जैसे विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने आदि में लागू होगी। संविधान के अनुच्छेद 44 में कहा गया है कि राज्य भारत के सम्पूर्ण क्षेत्र में नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने का प्रयास करेगा। वर्तमान में
सील्ड कवर डॉक्ट्रिन: गोपनीयता बनाम न्यायिक पारदर्शिता - (August 2022)
सील्ड कवर न्याय सिद्धांत, एक न्यायिक प्रथा है जिसका उपयोग सर्वोच्च न्यायालय तथा कभी-कभी निचली अदालतों द्वारा सीलबंद लिफाफों में सरकारी एजेंसियों से जानकारी मांगने या स्वीकार करने के लिए किया जाता है। सीलबंद लिफाफों में प्राप्त जानकारियों को केवल न्यायाधीशों द्वारा ही एक्सेस किया जा सकता है। सील्ड कवर न्यायिक सिद्धांत को किसी विशिष्ट कानून द्वारा परिभाषित नहीं किया गया
वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र: महत्व एवं सीमाएं - (August 2022)
वैकल्पिक विवाद समाधान (Alternative Dispute Resolution - ARD), विवाद समाधान का एक ऐसा तंत्र है जो गैर-विरोधात्मक (Non-Adversarial) है, यानी इस तंत्र में सभी पक्ष सहयोगपूर्ण तरीके से सर्वोत्तम समाधान तक पहुंचने के लिए आपस में मिलकर काम करते हैं। वैकल्पिक विवाद समाधान, विवाद को हल करने के उन तरीकों को संदर्भित करता है, जो न्यायालयी मुकदमेबाजी के विकल्प हो सकते
कानूनों का पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू होना - (August 2022)
13 दिसंबर, 2021 को लोकसभा द्वारा तथा राज्यसभा द्वारा 20 दिसंबर, 2021 को नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (संशोधन) विधेयक, 2021 को संसद के दोनों सदनों की मंजूरी प्राप्त हो गई। यह संशोधन विधेयक सितंबर 2021 में जारी एक अध्यादेश को प्रतिस्थापित करता है तथा यह पूर्वव्यापी प्रभाव से 1 मई, 2014 से लागू माना जाएगा। लोकसभा में चर्चा के दौरान कुछ
गांधीवादी नैतिकता एवं इसकी प्रासंगिकता - (July 2022)
महात्मा गांधी एक विचारक, लेखक, सार्वजनिक बुद्धिजीवी, राजनीतिक कार्यकर्ता, राजनीतिक सिद्धांतकार और सबसे बढ़कर एक दार्शनिक थे। दार्शनिक के रूप में उनका मुख्य ध्येय प्राणी को मनसा, वाचा, कर्मणा तीनों रूप से पवित्र बनाने का था। गाँधीवादी नैतिकता गाँधीवादी नैतिकता उनके विभिन्न सिद्धांतों में परिलक्षित होती है। इस सिद्धांतों में शामिल हैं- सत्याग्रह, सर्वोदय, ट्रस्टीशिप की अवधारणा, अहिंसा आदि। गांधी जी के अनुसार
सुशासन में पारदर्शिता का महत्व - (July 2022)
शासन में पारदर्शिता (Transperency) ‘सूचना के मुक्त प्रवाह’ (Free Flow of Information) से संबंधित होती है। विधायी कार्यों, नीति निर्माण एवं नीति कार्यान्वयन, ‘प्रशासनिक बजट’ (Administrative Budget), ‘सार्वजनिक व्यय’ (Public Expenditure) तथा नागरिकों के जीवन से संबंधित अन्य कार्यों के बारे में नागरिकों को जानने का अधिकार है। शासन-प्रशासन में लोक सेवकों की जबाबदेही सुनिश्चित करने तथा नागरिकों की वास्तविक भागीदारी
लोक सेवा में सत्यनिष्ठा की भूमिका - (July 2022)
सत्यनिष्ठा का अर्थ है, विचार, वाणी तथा कर्म के बीच ‘सुसंगतता’ (Consistency) का होना। एक सत्यनिष्ठ व्यक्ती जो सोचता है, वही बोलता है तथा वही करता भी है। प्राचीन संस्कृत साहित्य में ‘मनसा, वाचा, कर्मणा’ की अभिव्यक्ती के माध्यम से सत्यनिष्ठा की अवधारणा को स्पष्टता से समझा जा सकता है। सत्यनिष्ठा को अंग्रेजी भाषा में ‘इंटेग्रिटी’ (Integrity) कहते हैं, जिसकी उत्पत्ति
सिविल सेवा में भावनात्मक बुद्धिमत्ता की भूमिका - (July 2022)
सिविल सेवा में भावनात्मक बुद्धिमत्ता की भूमिकाकिसी भी व्यक्ती की स्वयं तथा दूसरों के व्यवहार और भावनाओं का विश्लेषण करने एवं उनका प्रबंधन करने की क्षमता को भावनात्मक बुद्धि कहा जाता है। प्रमुख मनोवैज्ञानिक डेनियल गोलमैन ने भावनात्मक बुद्धि को 5 क्षमताओं के समूह के रूप में परिभाषित किया है- 1. आत्म-जागरूकता, 2.आत्म-प्रबंधन, 3.आत्म-अभिप्रेरण, 4.समानुभूति, 5.सामाजिक कौशल। सिविल सेवा में भावनात्मक
सहभागी, समावेशी एवं धारणीय कॉर्पोरेट गवर्नेंस: महत्व एवं मुद्दे - (August 2022)
कॉर्पोरेट गवर्नेंस, सार्वजनिक तथा निजी दोनों क्षेत्रों के लिए आवश्यक होता है तथा यह कर्मचारियों, ग्राहकों, आम नागरिकों (समाज) तथा शेयरधारकों के प्रति संगठन की जबावदेही का निर्धारक भी माना जाता है। सहभागी, समावेशी एवं धारणीय कॉर्पोरेट गवर्नेंस समाज के प्रति नैतिक दायित्वों तथा पेड़-पौधों तथा वन्य जीवों की रक्षा में भी सहायक माना जाता है। इस प्रकार इसके व्यावसायिक, सामाजिक
भगवान महावीर की शिक्षाएं: वर्तमान में प्रासंगिकता - (August 2022)
महावीर, जिन्हें वर्धमान (Vardhamana) के नाम से भी जाना जाता है, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे। महावीर ने लगभग 30 वर्ष की आयु में तपस्वी बन गए। महावीर ने सम्यक ज्ञान, सम्यक विश्वास और सम्यक आचरण (जैन धर्म के त्रि-रत्न) के माध्यम से कैवल्य (ज्ञान) की प्राप्ति की। सत्य (सच बोलना), अहिंसा (हिंसा न करना), अस्तेय (चोरी न करना), अपरिग्रह
लोक सेवा में मूल्य एवं इसका महत्व - (August 2022)
लोक सेवा संगठनों तथा संस्थानों में मूल्यों को सामान्यतः कार्यक्षेत्र में आवश्यक व्यवहार को निर्धारित करने तथा मार्ग निर्देशित करने में महत्वपूर्ण माना जाता है। ‘सार्वजनिक सेवा’ (Public Service) की जटिल प्रकृति को देखते हुए सार्वजनिक संगठनों के लिए अपने लिए ‘मूल्यों के सम्मुच्चय’ (Set of Values) का निर्धारण करना चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। लोक संगठनों के विकास में मूल्यों के
मानव जीन एडिटिंग: नैतिक मुद्दे एवं समाधान - (August 2022)
वर्तमान समय में चिकित्सकीय विज्ञान बदलाव के दौर से गुजर रहा है। जहां जीन एडिटिंग प्रौद्योगिकी द्वारा उपर्युक्त सोच को वास्तविकता में बदला जा सकता है। सीआरआईएसपीआर/सीएएस9 (CRISPR/CAS9) एक ऐसी ही विवादित प्रौद्योगिकी है, जिसने अपने संभावित उपयोगों के साथ-साथ दुरुपयोगों पर विश्व का ध्यान आकर्षित किया है। सितंबर 2018 में चीन सरकार ने चीनी वैज्ञानिक हे जियानकुई (He Jiankui) की
वर्तमान वैश्विक चुनौतियों से व्युत्पन्न नैतिक मुद्दे - (August 2022)
राजनीतिक, आर्थिक और तकनीकी परिवर्तनों ने वैश्विक समुदाय के समक्ष नवीन चुनौतियां प्रस्तुत की हैं। संयुक्त राष्ट्र (United Nations - UN) द्वारा वर्तमान विश्व की चुनौतियों को सतत विकास लक्ष्यों के माध्यम से 17 बिन्दुओं में चिह्नित किया गया। वर्तमान वैश्विक चुनौतियों में गरीबी, भुखमरी, स्वास्थ, जलवायु परिवर्तन से उपजी चुनौतियां, निर्धनता और असमानता, बुनियादी समस्याएं, भू-राजनैतिक तनाव, लैंगिक असमानता, परमाणु
वर्तमान परिदृश्य में व्यावसायिक नैतिकता - (September 2022)
नैतिकता सामाजिक विज्ञान का एक विषय है जो नैतिक सिद्धांतों और सामाजिक मूल्यों से संबंधित है। व्यावसायिक नैतिकता निजी जीवन में नैतिकता के समान ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। व्यापारियों तथा बाजार के प्रमुख भागीदारों द्वारा अपने व्यवसायों में नैतिकता को अपनाने से सकारात्मक अभिवृत्ति का विकास होता है, जो समाज के विभिन्न समुदायों पर व्यापक प्रभाव डालती है। व्यावसायिक
पारंपरिक मूल्यों को परिवर्तित करने में सोशल मीडिया की भूमिका - (September 2022)
सोशल मीडिया को सामान्य रूप से विचारों के आदान-प्रदान हेतु प्रचलित फेसबुक, टि्वटर, व्हाट्सएप तथा यूट्यूब आदि के रूप में जाना जाता है। किंतु, इसका विस्तार कहीं अधिक व्यापक है और इसके अंतर्गत उन सभी अनुप्रयोगों को शामिल किया जाता है जो विषय वस्तु के सृजन करने, अन्य व्यक्तियों के साथ साझा करने तथा विभिन्न मुद्दों पर वार्ता को बढ़ावा
मेटावर्स तथा इसके नैतिक आयाम - (September 2022)
साइंस फिक्शन के लेखक नील स्टीफेंसन को 'मेटावर्स' शब्द की उत्पत्ति का जनक माना जाता है जिन्होंने वर्ष 1992 में पहली बार इसका प्रयोग किया था। एक विचार के रूप में इसका प्रचलन लंबे समय से वीडियो गेम आधारित कंपनियों के मध्य रहा है। मेटावर्स को सामान्य रूप से एक 'सिम्युलेटेड डिजिटल वातावरण' (Simulated Digital Environment) के रूप में समझा
सामाजिक जवाबदेही: सुशासन एवं पारदर्शिता हेतु आवश्यक - (September 2022)
सामान्य रूप से सामाजिक जवाबदेही का तात्पर्य नागरिकों, समुदायों तथा स्वतंत्र मीडिया की भूमिका से माना जाता है, जो अपनी सक्रियता के माध्यम से शासन एवं प्रशासनिक तंत्र को उत्तरदायी बनाने के लिए प्रयासरत रहते हैं। सामाजिक जवाबदेही के लिए सक्रिय जनभागीदारी का होना अत्यंत आवश्यक है। सामाजिक जवाबदेही को संस्थागत रूप प्रदान किए जाने से इसकी प्रभावशीलता में वृद्धि
शासन में नैतिकता और नैतिक मूल्यों का सुदृढ़ीकरण - (September 2022)
शासन में नैतिकता का अर्थ प्रशासन के सभी क्षेत्रों में आचरण की उचित प्रक्रिया का पालन करने से है। सरकार को अपनी राजनीतिक, व्यवसायिक, प्रबंधनकारी तथा प्रशासनिक गतिविधियों कुशल रूप से संचालित करने के लिए ऐसे मापदंडों का निर्धारण करना चाहिए जिससे शासन में नैतिकता को बनाए रखा जा सके। नैतिक शासन हेतु सूचनाओं के सतत प्रवाह, नागरिक घोषणापत्र, पारदर्शिता तथा
लोकहित में सिविल सेवकों के लिए महत्वपूर्ण सिद्धांत और प्रक्रियाएं - (September 2022)
लोकहित का अर्थ लोगों के कल्याण से माना जाता है। इसके अंतर्गत नागरिकों को प्रदान किए जाने वाले अधिकारों के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य, शिक्षा तथा जीवन स्तर में सुधार हेतु चलाई जाने वाली सरकारी योजनाओं का व्यापक महत्व होता है जो जनकल्याण में वृद्धि करती हैं। भारत एक लोक कल्याणकारी राज्य है तथा वर्तमान समय में स्थानीय स्तर से लेकर
नागरिक घोषणापत्र : जन केन्द्रित शासन हेतु महत्वपूर्ण - (September 2022)
संपूर्ण विश्व में यह सर्वस्वीकृत तथ्य है कि अर्थव्यवस्था तथा समाज दोनों के स्थायी विकास के लिए सुशासन अनिवार्य है। सुशासन के अंतर्गत तीन अनिवार्य पहलुओं पारदर्शिता, जवाबदेही और प्रशासन की प्रतिक्रियाशीलता पर बल दिया जाता है। नागरिक घोषणा-पत्र नागरिकों के अधिकार संबंधी एक ऐसा दस्तावेज होता है, जिसका उद्देश्य मूलरूप से किसी भी संगठन को पारदर्शी, जवाबदेह एवं नागरिक
भ्रष्टाचार कम करने में आचरण संहिता की भूमिका - (September 2022)
व्यक्तिगत स्वार्थ अथवा निजी हितों की पूर्ति हेतु सार्वजनिक धन एवं संसाधनों का दुरुपयोग करना भ्रष्टाचार कहलाता है। एक गंभीर अपराध के रूप में भ्रष्टाचार किसी भी देश के सामाजिक आर्थिक विकास को प्रभावित करता है। कल्याणकारी राज्य के लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में भारत में स्वतंत्रता के बाद से ही शिक्षा तथा स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं पर सरकार
आंतरिक सुरक्षा के समक्ष बहुआयामी चुनौतियां - (July 2022)
साधारण शब्दों में आंतरिक सुरक्षा से तात्पर्य एक संप्रभु राज्य द्वारा अपनी क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर शांति बनाए रखना है। आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस से लेकर अर्धसैनिक बलों और असाधारण परिस्थितियों में स्वयं सेना तक हो सकती है। विज्ञान एवं तकनीकी के विकास के साथ ही आंतरिक सुरक्षा के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों की प्रवृति अधिक संवेदनशील और जटिल बन गई
राष्ट्रीय अखंडता का सुदृढ़ीकरण - (July 2022)
भारत एक विशाल देश है जहाँ विभिन्न धर्म, जाति, नस्ल, भाषा के व्यक्ती बिना किसी मतभेद के एक साथ रहते हैं। परन्तु समय-समय पर निहित स्वार्थ समूहों द्वारा राष्ट्रीय अखंडता के समक्ष चुनौती उत्पन्न की जाती है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय अखंडता को बढ़ावा देने के कदम अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाते है। इसकी आवश्यकता को समझते हुए
आंतरिक सुरक्षा में चुनौती के रूप में सोशल मीडिया - (July 2022)
वर्तमान समय में सोशल मीडिया की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है तथा इसका प्रभाव जीवन के हर क्षेत्र में देखा जा सकता है। सोशल मीडिया के विभिन्न सकारात्मक पहलुओं के साथ-साथ इसके कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं। मौजूदा दौर में सोशल मीडिया, आंतरिक सुरक्षा के लिए एक चुनौती बनकर उभरा है। सोशल मीडिया से जुड़ी आंतरिक सुरक्षा चुनौतियां साइबर आतंकवादः सोशल मीडिया
UAPA की संवैधानिकता तथा व्यक्तिगत स्वतंत्रता - (July 2022)
गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम [Unlwaful Activities (Prevention) Act - UAPA], 1967 भारत में गैर-कानूनी गतिविधियों वाले संगठनों की कारगर रोकथाम के लिए बनाया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य भारत की अखंडता और संप्रभुता के खिलाफ निर्देशित गतिविधियों से निपटने के लिए कानूनी शक्ती का प्रयोग करना है। इस अधिनियम के अनुसार यदि कोई राष्ट्र विरोधी आन्दोलन का समर्थन करता है अथवा
रक्षा क्षेत्र का स्वदेशीकरण - (July 2022)
रक्षा क्षेत्र के स्वदेशीकरण (Indigençation of Defense Sector) का तात्पर्य रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने और आयात को कम करने के लिए देश के भीतर रक्षा उपकरण के विकास और उत्पादन की क्षमता से है। इसमें स्वदेशी रूप से विभिन्न प्रकार के उपकरणों के डिजाइन, विकास और निर्माण के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना शामिल होता है। भारत में रक्षा
साइबर सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियां एवं उपाय - (July 2022)
पिछले एक दशक में साइबर घुसपैठ और हमलों में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है। इसके कारण संवेदनशील व्यक्तीगत और व्यावसायिक जानकारी के सार्वजनिक होने का खतरा रहता है। इससे महत्वपूर्ण कार्यों को बाधा भी पहुँचती है और अर्थव्यवस्था की लागत भी उच्च हो सकती है। साइबर सुरक्षा या सूचना प्रौद्योगिकी सुरक्षा, कंप्यूटर, नेटवर्क, प्रोग्राम और डेटा की सुरक्षा की तकनीक
संगठित अपराधा और आतंकवाद के बीच गठजोड़ - (July 2022)
संगठित अपराध किसी भी देश के कानून व्यवस्था की कमी का लाभ उठा कर अपने कार्य को संचालित करते है। वहीं आतंकवाद हिंसा का सहारा लेकर अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने का प्रयास करता है। संगठित अपराध और आतंकवाद शांति एवं लोक व्यवस्था को क्षति पहुंचाते है। संगठित अपराध और आतंकवाद भारत सहित संपूर्ण विश्व के समक्ष चुनौती उत्पन्न करते है।
भारत में व्यक्तिगत डेटा का संरक्षणः मुद्दे, समाधान - (August 2022)
वर्तमान समय में भारत के नागरिकों के निजी डेटा या सूचना का संरक्षण या उपयोग, ‘सूचना प्रौद्योगिकी कानून-2000’ की धारा 43A के अंतर्गत सूचना प्रौद्योगिकी (उचित सुरक्षा व्यवहार और प्रक्रिया तथा संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा या सूचना) नियम-2011 से संचालित है। सामान्य रूप से डेटा सुरक्षा, उन नीतियों और प्रक्रियाओं की ओर इंगित करता है, जो व्यक्तिगत डेटा के संग्रह और उपयोग
सीमा प्रबंधन में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी की भूमिका - (August 2022)
सीमावर्ती राज्यों में सुरक्षा मुद्दों का समाधान करने के लिए सीमा पर इलेक्ट्रॉनिक स्मार्ट बाड़ लगाया जा रहा है, जिसे स्मार्ट फेंसिंग (Smart fencing) कहते हैं। इसमें उच्च तकनीक निगरानी प्रणाली शामिल है जो भूमि पर (साथ ही भूमिगत) पानी और हवा पर एक अदृश्य इलेक्ट्रॉनिक अवरोध पैदा कर सकती है। स्मार्ट बॉर्डर फेंसिंग परियोजनाओं को व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (CIBMS)
उग्रवाद मुक्त समृद्ध पूर्वोत्तर: चुनौती एवं दिशा - (August 2022)
पूर्वोत्तर भारत विभिन्न जनजातियों, भाषाओं, संस्कृतियों, इतिहास और जातीयता का एक मिलन स्थल है। पूर्वोत्तर भारत 1950 के दशक से ही उग्रवाद का गवाह रहा है। पूर्वोत्तर भारत की विशिष्ट संस्कृतियों के ‘मुख्यधारा’ में एकीकरण के प्रयास ने क्षेत्र में असंतोष को जन्म दिया। विप्लव गतिविधियों की शुरुआत नागा हिल्स से हुई थी। यहां फिजो के नेतृत्व में, नागा राष्ट्रीय परिषद
धन शोधन : आन्तरिक सुरक्षा के लिए चुनौती - (September 2022)
धन शोधन (Money Laundring) अवैध रूप से अर्जित आय को वैध स्रोतों (legitimate source) से उत्पन्न आय की तरह दिखने की एक प्रक्रिया है। संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (United Nations Office on Drugs and Crime) के अनुसार, वैश्विक मनी-लॉन्ड्रिंग लेनदेन सालाना लगभग $800 बिलियन से $ 2 ट्रिलियन के बराबर है, जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (global gross
जैव आतंकवाद : चुनौती एवं उपाय - (September 2022)
किसी राज्य या समाज के लोगों को नुकसान पहुंचाने (harm) और डराने (frighten) के उद्देश्य से जैविक एजेंटों (biological agents) का उपयोग जैव आतंकवाद का एक रूप है। जैव आतंकवाद के वाहक के रूप में विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया, वायरस, फंगस का प्रयोग किया जाता हैं। एंथ्रेक्स, प्लेग, बोटूलिज्म, टूलेरीमिया, ग्लैन्डर, जैसे खतरनाक जीव इसमें शामिल हैं। वर्तमान में विभिन्न देश विषाणुओं,
पूर्वोत्तर राज्यों के बीच सीमा विवाद : कारण तथा समाधान - (September 2022)
पूर्वोत्तर भारत के विभिन्न राज्यों के बीच के सीमा विवाद हैं| नागालैंड, असम राज्यों के बीच सीमा विवाद का मामला न्यायालय में लंबित है, मगर दोनों राज्य सौहार्दपूर्ण तरीके से इस विवाद को सुलझाना चाहते है। इसके अलावा असम-मिजोरम सीमा विवाद, असम-अरुणाचल सीमा विवाद, असम-मेघालय सीमा विवाद प्रमुख है| अतीत में इन सीमा विवाद में आम नागरिक सहित पुलिसकर्मी भी मारे
आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना - (July 2022)
पिछले कुछ वर्षों में जलवायु परिवर्तन एवं मानवीय गतिविधियों के कारण जंगल की आग, सुनामी, बाढ़ तथा स्वास्थ्य आपदा जैसी कई विषम घटनाओं में वृद्धि हुई है। इन परिस्थितियों से निपटने के लिए आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना की कमी देखी गई है। इन घटनाओं ने ‘आपदा प्रतिरोधी आधारभूत संरचना (Disater Resilient Infrsatructure) तथा राहत कार्य के बीच परस्पर निर्भरता को दर्शाया है।
रोगाणुरोधी प्रतिरोध: कारण एवं नियंत्रण - (August 2022)
हाल ही में, अत्यधिक औद्योगीकृत देशों के ‘ग्रुप ऑफ सेवन’ (G7) के स्वास्थ्य मंत्रियों द्वारा यह स्वीकार किया गया है कि, ‘रोगाणुरोधी प्रतिरोध’ (Antimicrobial Resistance - AMR) निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों (low-and middle-income countries - LMIC) के लिए एक बड़ा खतरा है, और इससे लड़ना एक साझा जिम्मेदारी है। सूक्ष्मजीवों (बैक्टीरिया, वायरस, कवक, परजीवी, आदि) द्वारा संक्रमण के इलाज
छठा सामूहिक विलोपन: कारण तथा निवारण - (September 2022)
जनवरी 2022 में बायोलॉजिकल रिव्यू (Biological Reviews) में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, पृथ्वी ग्रह पर छठा सामूहिक विलोपन (Sixth Mass Extinction Crisis) संकट चल रहा है। पृथ्वी पहले ही अपनी कुल प्रजातियों का लगभग 13% खो चुकी है। अतीत में पृथ्वी ने 5 सामूहिक विलोपन (mass extinctions) देखें हैं। अंतिम सामूहिक विलोपन लगभग 65 मिलियन वर्ष पहले हुआ था,
बलात् प्रवासन: कारण, प्रभाव एवं उपाय - (September 2022)
मानव प्रवास की घटनाएं ऐतिहासिक काल से जारी है तथा सभ्यताओं के विकास में मानव प्रवास ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। संयुक्त राष्ट्र के तहत कार्यरत 'अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन' (International Migration Organization) एक ऐसे व्यक्ति को प्रवासी व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता है जो किसी विशिष्ट परिस्थितियों में अपने निवास स्थान को छोड़कर किसी अन्य राज्य अथवा देश में
जूनोटिक डिजीज: कारण एवं नियंत्रण के उपाय - (September 2022)
6 जुलाई, 2020 को विश्व ज़ूनोसिस दिवस (World Zoonoses Day) के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) एवं अंतर्राष्ट्रीय पशुधन अनुसंधान संस्थान (ILRI) द्वारा 'प्रिवेंटिंग द नेक्स्ट पेंडेमिक: ज़ूनोटिक डिजीज़ एंड हाउ टू ब्रेक द चेन ऑफ ट्रांसमिशन' (Preventing the Next Pandemic: Zoonotic diseases and how to break the chain of transmission) नामक रिपोर्ट प्रकाशित की गई। यह रिपोर्ट
भारत में सूखा की समस्या: कारण तथा प्रबंधन की चुनौतियां - (September 2022)
एक विशिष्ट अवधि के लिए अस्थाई रूप से जल अथवा नमी की अपेक्षित मात्रा में कमी की स्थिति को सूखा के रूप में जाना जाता है। संक्षेप में, सूखे का संबंध जल की कमी से होता है। सरकार के मौसम विभाग द्वारा 2021 में जारी आंकड़ों के अनुसार भारत का पांचवां हिस्सा (21.06 फीसदी भाग) सूखे जैसी स्त्रियों का सामना
भारत में जियो-टूरिज्म - (July 2022)
भू-पर्यटन (Geo-Tourism) को एक ऐसे पर्यटन के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो किसी स्थान के भौगोलिक चरित्र को बनाए रखने के साथ-साथ उसे बढ़ाता भी है। भू-पर्यटन भू-वैज्ञानिक आकर्षणों एवं भू-स्थलों से जुड़ा पर्यटन है। भू-पर्यटन को पहली बार 1995 में थॉमस अल्फ्रेड होज द्वारा परिभाषित किया गया था। भारत के प्रमुख भू-पर्यटन स्थल भू-पर्यटन के लिए GSI द्वारा देश
भारत की नई आर्कटिक नीति - (July 2022)
17 मार्च, 2022 को केंद्र सरकार द्वारा आर्कटिक क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने और पर्यावरण की रक्षा करने के प्रयास को बढाने हेतु ‘भारत की आर्कटिक नीति’ (India's Arctic Policy) जारी की गई। इस नीति का इसका शीर्षक ‘भारत और आर्कटिकः सतत विकास के लिए साझेदारी का निर्माण’ ('India and the Arctic: Building a Partnership for Sustainable Development)
जलवायु परिवर्तन एवं खाद्य सुरक्षा - (July 2022)
जलवायु परिवर्तन का तात्पर्य किसी स्थान पर तापमान और विशिष्ट मौसम के पैटर्न के दीर्घकालिक परिवर्तन से है। जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले तापमान और मौसमी परिवर्तन के कारण फसलों की उत्पादकता में कमी हो रही है। इससे खाद्य सुरक्षा के समक्ष चुनौती उत्पन्न हो रही है। वर्तमान में भूखे और कुपोषित लोगों के लिए जलवायु परिवर्तन एक प्रमुख खतरा
2070 तक शुद्ध शून्य: चुनौतियां तथा आवश्यकता - (August 2022)
संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (United Nations Climate Change Conference-UNFCC) का COP26 शिखर सम्मेलन ग्लासगो में हुआ जहाँ भारत के प्रधानमंत्री ने भारत के विभिन्न जलवायु लक्ष्यों की घोषणा की। इन लक्ष्यों में से एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन (net zero emissions) का लक्ष्य हासिल करना है। शुद्ध शून्य उत्सर्जन एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें किसी देश
प्रतिपूरक वनीकरण - (August 2022)
पृथ्वी पर मानव सहित विभिन्न जीवों के जीवन को बनाए रखने के लिए वन एक महत्वपूर्ण घटक हैं। वन ऐसे सामुदायिक संसाधन का प्रतिनिधित्व करते हैं जो लाखों ग्रामीणों विशेषकर आदिवासियों की आवश्यकता को पूरा करता है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 48A में यह अपेक्षा की गई है कि राज्य पर्यावरण की रक्षा और सुधार करने और देश के वन
जैव विविधाता का ह्रास तथा उत्पन्न चुनौतियां - (August 2022)
संयुक्त राष्ट्र के ‘इंटरगवर्नमेंटल साइंस पॉलिसी प्लेटफॉर्म ऑन बायोडायवर्सिटी एंड इकोसिस्टम सर्विसेज’ (IPBES) द्वारा जारी ‘जैव विविधता एवं पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं पर वैश्विक मूल्यांकन रिपोर्ट’ (Global Assessment Report on Biodiversity and Ecosystem Services) के अनुसार, पृथ्वी पर मौजूद पौधों एवं जंतुओं की 8 मिलियन प्रजातियों में से 1 मिलियन प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं। रिपोर्ट में कहा गया
कृषि में प्रौद्योगिकी के समावेशन से जुड़ी सरकार की पहलें - (January 2022)
कृषि विज्ञान केंद्र की स्थापनाः भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research- ICAR) ने मई 2021 तक देश में 722 कृषि विज्ञान केंद्रों (Krishi Vigyan Kendras - KVK) का एक नेटवर्क स्थापित किया है। यह अनुप्रयोग और क्षमता विकास के लिए प्रौद्योगिकी मूल्यांकन और प्रदर्शन (Technology Assessment and Demonstration for its Application and Capacity Development TADA-CD) के कार्य
कृषि अर्थव्यवस्था में प्रौद्योगिकी के समावेशन से संबंधित पर्यावरणीय एवं नैतिक मुद्दे - (January 2022)
नवीन प्रौद्योगिकी बनाम जैव विविधता संरक्षणः जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग कर कृषि उत्पादकता को बढ़ाया तो जा सकता है मगर इसके साथ ही इनसे जैव विविधता की हानि होने की भी संभावना होती है। आनुवंशिक संशोधन का प्रयोग कर आनुवंशिक रूप से संशोधित पशु और फसलों का उत्पादन किया जा सकता है। ऐसा संभव है कि नई प्रजातियां अधिक प्रभावशाली सिद्ध
कृषि क्षेत्र में तकनीकी नवाचार के माध्यम से सामाजिक समावेशन - (January 2022)
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और निकट भविष्य में भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में एक प्रमुख भूमिका निभाने की संभावना है। ग्रामीण भारत में कृषि और इससे संबंधित संसाधन किसी व्यक्ति के सामाजिक-आर्थिक स्थिति के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत में भूमि सुधार के सही से लागू न होने के कारण भूमि के वितरण में
सतत कृषि प्रणालियों हेतु प्रौद्योगिकी के समावेशन की आवश्यकता - (January 2022)
सतत कृषि प्रणाली समाज की पर्याप्त भोजन और अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ ही पर्यावरणीय गुणवत्ता में किसी भी प्रकार की कमी नहीं होने देता है। इससे समाज के समग्र कल्याण में वृद्धि होती हैं। सतत कृषि के लिए प्रौद्योगिकियों के प्रयोग के विविध आयाम हैं। यह लम्बी अवधि में किसी देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ
खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार की भूमिका - (January 2022)
सभी लोगों को पर्याप्त, सुरक्षित और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना प्रमुख वैश्विक मुद्दों में से एक है। खाद्य सुरक्षा के मुख्यतः चार आयाम माने जाते हैं, जिन्हें भोजन की उपलब्धता, भोजन तक पहुंच, खाद्य उपयोग/उपभोग और खाद्य स्थिरता (food stability) के रूप में जाना जाता है। सभी लोगों को हर समय पर्याप्त, सुरक्षित और पौष्टिक भोजन तक भौतिक, सामाजिक और आर्थिक
कृषि अर्थव्यवस्था में प्रयोज्य नवीन प्रौद्योगिकियां - (January 2022)
ब्लॉकचेन (Blockchain) ब्लॉकचेन एक प्रकार की ‘वितरित लेजर प्रौद्योगिकी’(Distributed Ledger Technology- DLT) है, जो एक ही समय में कई स्थानों पर लेनदेन और संबंधित डेटा को रिकॉर्ड करनेवाला एक डिजिटल सिस्टम है। ब्लॉकचेन नेटवर्क में प्रत्येक कंप्यूटर किसी भी विफलता को रोकने के लिए बहीखाते (लेजर) की एक प्रति रखता है, और सभी प्रतियां एक साथ अद्यतन और प्रमाणित की जाती
कृषि अर्थव्यवस्था में प्रौद्योगिकियों के समावेशन को प्रभावित करने वाले कारक - (January 2022)
किसानों की आवश्यकता एवं प्रौद्योगिकी की मांगः देश के विभिन्न भागों के किसानों की अपनी विशिष्ट जरुरत होती है। प्रौद्योगिकी द्वारा इनकी विशिष्ट आवश्यकताओं की पूर्ति करने पर इन प्रौद्योगिकी की मांग बनी रहती है। कृषि में नवीन प्रौद्योगिकी के प्रयोग ने विभिन्न प्रकार के लाभों को प्रदान किया है, खासतौर पर इसने लागत कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
कृषि अर्थव्यवस्था में नवीन प्रौद्योगिकी का समावेशन - (January 2022)
सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी वर्ष 2019-20 में 17.8 प्रतिशत से बढ़कर 2020-21 में 19.9 प्रतिशत हो गई। कोविड-19 के दौरान भी भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि ही एकमात्र क्षेत्र रहा, जिसने धनात्मक वृद्धि दर्ज की। अर्थव्यवस्था में इतना महत्व रखने वाला कृषि क्षेत्र अभी भी प्रौद्योगिकी के समावेशन के मामले में काफी पीछे है। कृषि क्षेत्र में
कृत्रिम बुद्धिमत्ता और रोबोटिक्स: संबद्ध नैतिक मुद्दे - (July 2022)
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) कंप्यूटर विज्ञान की वह शाखा है जो कंप्यूटर के इंसानों की तरह व्यवहार करने की धारणा पर आधारित है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता को कंप्यूटर साइंस का सबसे उन्नत रूप माना जाता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता से तात्पर्य ऐसी मशीन का विकास करने से है जो मानव बुद्धिमत्ता का अनुकरण (simulation) करे तथा मानव की तरह सोचे और उसके कार्यों की
प्रौद्योगिकी के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव - (July 2022)
औद्योगिक क्रांति का सर्वाधिक प्रमुख कारण प्रौद्योगिकी प्रगति को माना जाता है। प्रौद्योगिकी ने व्यापक रूप से वैश्विक स्तर पर सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित किया है। प्रौद्योगिकी प्रगति मानव समाज जो एक वैश्विक गाँव में बदल दिया है। आज एक दुसरे से काफी दूर स्थित लोग तकनीकी समाधानों के माध्यम से एक दुसरे से नजदीकी से जुड़े होते हैं। सूचना
चतुर्थ औद्योगिक क्रांति 4.0 - (July 2022)
औद्योगिक क्रांति 4.0 विनिर्माण औरश्रृंखला उत्पादन से संबंधित चौथी औद्योगिक क्रांति को संदर्भित करता है। ‘उद्योग 4.0’ 2016 में विश्व आर्थिक फोरम में आयोजित वार्षिक बैठक का मुख्य विषय थी, जिसके पश्चात चतुर्थ औद्योगिक क्रांति का विचार तेजी से प्रसिद्ध होता गया। यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, 3डी प्रिंटिंग, इन्टरनेट ऑफ थिंग्स, बिग डेटा आदि जैसी डिजिटल तकनीकों में होने वाली सफलताओं
डिजिटलीकरण का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव - (July 2022)
हाल के समय में उपभोक्ताओं, उद्यमों और सरकारों द्वारा कनेक्टेड डिजिटल सेवाओं को बड़े पैमाने पर अपनाए जाने की प्रवृति देखी गई है। यह प्रवृति एक प्रमुख आर्थिक चालक के रूप में उभरा है तथा इसने विकास की गति को तीव्र किया है। एक अनुमान के अनुसार, डिजिटल इंडिया योजना को सरकार द्वारा लागू किए जाने से 2025 तक सकल घरेलू
इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स और इसका अनुप्रयोग - (July 2022)
इंटरनेट ऑफ थिंग्स क्या है? इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) भौतिक वस्तुओं या ‘चीजों’ का नेटवर्क है जिसमें इंटरनेट का उपयोग करके डेटा का आदान-प्रदान किया जाता है। इंटरनेट ऑफ थिंग्स में सेंसर, सॉफ्टवेयर और अन्य प्रौद्योगिकियों का प्रयोग डेटा के संग्रहण एवं विश्लेषण में किया जाता है। इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) में कनेक्टेड उपकरणों की सहायता से विभिन्न कार्यक्षेत्रों जैसे- बिजली, मोटर वाहन,
कानून प्रवर्तन में प्रौद्योगिकी : भूमिका एवं चुनौतियां - (September 2022)
प्रौद्योगिकी के विकास के साथ ही, एक तरफ देश की विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों के समक्ष विविध आयाम के नई चुनौतियां उभर रही है, वहीँ दूसरी तरफ इनकी सहायता से कानूनों के प्रवर्तन को भी सुनिश्चित किया जा रहा है| सरकार द्वारा भी पुलिस एवं प्रशासन के सबसे निचले स्तर पर प्रौद्योगिकी के व्यापक अनुप्रयोग को बढ़ावा दे रही है। पुलिस
स्टेम सेल प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग एवं चुनौतियां - (September 2022)
स्टेम सेल को मूल कोशिका भी कहा जाता है। ये ऐसी कोशिकाएं होती हैं, जिनमें शरीर के किसी भी अंग की कोशिका के रूप में विकसित होने की क्षमता होती है। वैज्ञानिकों के अनुसार इन कोशिकाओं को शरीर के किसी भी अन्य कोशिका की मरम्मत के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इसके साथ ही ये शरीर की दूसरी कोशिका के
अंतरिक्ष शस्त्रीकरण : कारण एवं निहितार्थ - (September 2022)
हाल के वर्षों में बाह्य अंतरिक्ष में प्रतिस्पर्द्धा बढ़ी है और इसने बाह्य अंतरिक्ष एवं अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर बहस को तेज कर दिया है। दिसंबर 2019 में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा एक स्वतंत्र स्पेस फोर्स का गठन किया गया। इससे पहले वर्ष 2015 में रूस ने भी एयरोस्पेस फोर्स का गठन किया था और उसी वर्ष चीन ने अपनी सेना को
डिजिटल अधिकार: आवश्यकता और चिंताएं - (September 2022)
हाल ही में, यूरोपीय आयोग ने डिजिटल अधिकारों और सिद्धांतों का एक सेट प्रस्तावित किया है। इसका उद्देश्य लोगों के अधिकारों की रक्षा करना तथा एक निष्पक्ष और सुरक्षित ऑनलाइन वातावरण सुनिश्चित करना है। डिजिटल अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और गोपनीयता से निकटता से जुड़ा हुआ हैं, जो लोगों को डिजिटल मीडिया के साथ-साथ कंप्यूटर, अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, संचार नेटवर्क तक
अंतरग्रहीय अंतरिक्ष मिशन : महत्व एवं संभावनाएं - (September 2022)
हाल के समय में विश्व के विभिन्न देशों के बीच अंतरग्रहीय अंतरिक्ष मिशन में तीव्र प्रतिस्पर्धा देखी जा रही है। वर्तमान में भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, चीन, जापान आदि विभिन्न देशों की अंतरिक्ष एजेंसी अंतरग्रहीय अंतरिक्ष मिशन को अंजाम देने में लगी हुई हैं। अंतरग्रहीय अंतरिक्ष मिशन काफी संभावनाओं से भरा क्षेत्र है। इसी को ध्यान में रखकर भारत सरकार
भारत में सेमीकंडक्टर क्षेत्र: चुनौती एवं समाधान - (July 2022)
भारत में इलेक्ट्रॉनिक तथा मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या काफी अधिक है तथा भारत विभिन्न गतिविधियों में प्रयोग किए जाने वाले सेमीकंडक्टर चिप हेतु पूर्ण रूप से विदेशी आयात पर निर्भर है। हाल ही के समय में अमेरिका एवं चीन तथा जापान एवं दक्षिण कोरिया के मध्य व्यापारिक तनाव व कोविड-19 महामारी के काल में अनेक पदार्थों के साथ सेमीकंडक्टर चिप की
भारत में फि़नटेक क्षेत्र - (July 2022)
‘फिनटेक’ शब्द ‘वित्त’ (FINANCE) और ‘प्रौद्योगिकी’ (TECHNOLOGY) शब्दों का एक संयोजन है। फिनटेक उन नई प्रक्रियाओं और उत्पादों को संदर्भित करता है, जो विभिन्न डिजिटल और तकनीकी प्रगति में माध्यम से वित्तीय सेवाओं को अधिक सुगम और सुलभ बनाते हैं। इसमें क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म, मोबाइल भुगतान समाधान, ऑनलाइन पोर्टफोलियो प्रबंधन, धन हस्तांतरण आदि जैसी सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। भारत
कोविड-19 का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव - (July 2022)
कोविड-19 महामारी ने भारतीय अर्थव्यवस्था को अत्यधिक प्रभावित किया है। कोविड-19 के कारण पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया, जिससे लोगों का रोजगार एवं व्यवसाय प्रभावित हुआ। महामारी ने सभी देशों की अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित किया है तथा भारत की अर्थव्यवस्था भी इससे प्रभावित हो रही है। इस महामारी से हवाई यात्रा, शेयर बाजार, वैश्विक आपूर्तिश्रृंखलाओं सहित लगभग सभी क्षेत्र प्रभावित
चक्रीय अर्थव्यवस्था - (July 2022)
चक्रीय अर्थव्यवस्था (Circular Economy), पारंपरिक रेखक अर्थव्यवस्था का एक विकल्प है, जिसके अंतर्गत उत्पादों के जीवन चक्र में तीन चरण शामिल किये जाते हैं; उन्हें बनाना, उपयोग करना और उनका निपटान करना। चक्रीय अर्थव्यवस्था में, संसाधनों को यथासंभव लंबे समय तक उपयोग में रखा जाता है और उनसे अधिकतम मूल्य निकाला जाता है, तथा अंत में अपशिष्ट को प्राप्त करके उसका
सार्वजनिक संपत्ति का मुद्रीकरण और बुनियादी ढांचे का विकास - (August 2022)
आधारभूत संरचना विकास आजीविका का समर्थन करने, व्यवसायों को चलाने, रोजगार पैदा करने और जीवन की गुणवत्ता निर्धारित करने में सहायक होता है। उच्च गुणवत्ता वाली अच्छी तरह से प्रबंधित आधारभूत संरचना विकास और रोजगार सृजन की कुंजी है। भारत के सतत आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है कि आधारभूत संरचना का विकास तीव्र गति से किया जाए। भारत जैसे विकासशील देश
भारतीय एडटेक उद्योग - (August 2022)
पिछले दो वर्षों के दौरान एडटेक उद्योग ने देश में चार स्टार्टअप्स ने यूनिकॉर्न का दर्जा प्राप्त किया। 2020 में, अनएकेडमी (Unacademy) ने प्रतिष्ठित 1 बिलियन डॉलर वैल्यूएशन का दर्जा हासिल किया। अपग्रेड (UpGrad), वेदांतु, और इरुदीटस (Eruditus) ने वर्ष 2021 में यूनिकॉर्न बन गए। भारत का पहला एडटेक स्टार्टअप, बायजू (Byju's) है एवं इसका बाजार मूल्य लगभग 22 बिलियन डॉलर
ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म: महत्व तथा विनियमन - (August 2022)
ओवर-द-टॉप एक ऑनलाइन सामग्री प्रदाता सेवा होती है, जिनका उपयोग इंटरनेट के माध्यम से उपभोक्ताओं द्वारा किया जाता है। ओटीटी शब्द का प्रयोग आमतौर पर वीडियो-ऑन-डिमांड प्लेटफॉर्म के संबंध में किया जाता है, लेकिन ऑडियो स्ट्रीमिंग, मैसेज सर्विस या इंटरनेट-आधारित वॉइस कॉलिंग सोल्युशन के संदर्भ में भी इस शब्द का प्रयोग होता है। यह एक प्रकार से ऑडियो और वीडियो होस्टिंग तथा
सर्कुलर इकोनॉमी की ओर भारत: चुनौतियां एवं अवसर - (August 2022)
सर्कुलर इकोनॉमी या चक्रीय अर्थव्यवस्था, पारंपरिक रैखिक अर्थव्यवस्था का एक विकल्प है, जिसके अंतर्गत उत्पादों के जीवन चक्र में तीन चरण शामिल किये जाते हैं: उन्हें बनाना, उपयोग करना और उनका निपटान करना। चक्रीय अर्थव्यवस्था में, संसाधनों को यथासंभव लंबे समय तक उपयोग में रखा जाता है और उनसे अधिकतम मूल्य निकाला जाता है, तथा अंत में अपशिष्ट को प्राप्त करके
भारत की देखभाल अर्थव्यवस्था - (August 2022)
देखभाल अर्थव्यवस्था (Care Economy), उन सभी वैतनिक और अवैतनिक श्रम और सेवाओं को संदर्भित करती है जो अपने सभी रूपों देखभाल (caregiving) का समर्थन करती हैं। देखभाल कार्य में प्रत्यक्ष गतिविधियाँ (खाना खिलाना या बीमार साथी की देखभाल करना आदि) एवं अप्रत्यक्ष गतिविधियाँ (खाना बनाना और सफाई करना) दोनों शामिल हैं। भारत में महिलाओं के अवैतनिक कार्य का मूल्य सकल घरेलू
भारत में डीप टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम: चुनौतियाँ एवं संभावनाएं - (August 2022)
भारत जैसे विकासशील व बड़ी आबादी वाले देश को सभी क्षेत्रों में सुधार के लिए आर्थिक रूप से सक्षम डीप टेक वाले स्टार्ट-अप की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए डीप टेक आधारित नवीन प्रौद्योगिकी हेल्थकेयर, फिनटेक, कृषि और जल प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में जीवन की वास्तविक समस्याओं का समाधान कर सकती है। भारत में खाद्य, ऊर्जा, पानी और राष्ट्रीय सुरक्षा के
एल्गो ट्रेडिंग तथा संबंधित मुद्दे - (August 2022)
एल्गो व्यापार (Algo Trading) उपयोगकर्ता द्वारा डिजाइन किए गए प्रोग्राम के माध्यम से कंप्यूटर द्वारा स्टॉक एक्सचेंज प्लेटफॉर्म पर संपन्न किए गए ऑर्डर हैं। इनमें एक्सचेंजों पर लेन-देन के निर्णय लेने और उन्हें उच्च गति से संपन्न करने के लिए गणितीय मॉडल और सॉफ्टवेयर कोड का उपयोग किया जाता है। यह प्रौद्योगिकी-संचालित व्यापार, व्यापारियों को बाजार से लाभ कमाने वाले अवसरों को
मुक्त व्यापार समझौते : चुनौतियां, लाभ एवं संभावनाएं - (September 2022)
मुक्त व्यापार समझौते (FTA) का तात्पर्य दो या दो से अधिक देशों के बीच एक ट्रेड ब्लॉक के निर्माण के लिए मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किया जाना है। इसके बाद यह एक मुक्त व्यापार क्षेत्र (free-trade area) बन जाता है। इस क्षेत्र में आयात और निर्यात पर किसी तरह का कोई प्रतिबन्ध, आयात कोटा या प्रशुल्क नहीं लगाया जाता। इससे
भू-स्थानिक डेटा नीति : महत्व एवं अनुप्रयोग - (September 2022)
कोई भी डेटा जो किसी भौगोलिक स्थान से संबंधित होता है या उसके द्वारा सूचित किया जाता है, भू-स्थानिक डेटा कहलाता है। यह वस्तुओं या घटनाओं के विषय में आंकड़ा होता है जिनका पृथ्वी के सतह पर एक निश्चित स्थान होता है। भू-स्थानिक डेटा स्थिर या गतिशील हो सकता है। स्थिर भू-स्थानिक डेटा भी अल्प अवधि तक ही स्थिर होते है।
ब्लू इकोनोमी : भारत के लिए महत्व तथा बढ़ावा देने के प्रयास - (September 2022)
'ब्लू इकोनॉमी' की अवधारणा को गुंटर पाउली ने अपनी 2010 की पुस्तक- "द ब्लू इकोनॉमी: 10 इयर्स, 100 इनोवेशन, 100 मिलियन जॉब्स" में पेश किया था। 2012 के रियो शिखर सम्मेलन के दौरान ‘ब्लू इकोनॉमी’ का महत्व छोटे विकासशील द्वीपीय राज्यों (SIDS) और अन्य तटीय देशों के लिए बढ़ गया। ब्लू इकोनॉमी का लक्ष्य व्यवसाय से आगे बढ़कर आर्थिक विकास और महासागरों
ईएसजी फ्रेमवर्क : महत्व और भारत की प्रगति - (September 2022)
‘पर्यावरण, सामाजिक तथा शासन’ (ESG- Environment, Social and Governance) मानदंड किसी कॉरपोरेट कंपनी के संचालन के लिए मानकों का एक समूह है, जिसका इस्तेमाल ‘जागरूक निवेशक’ (Conscious Investors) संभावित निवेशों को चुनने के लिए करते हैं। ‘पर्यावरणीय मानदंड’ (Environmental Standards) इस बात पर विचार करते हैं कि कोई कंपनी अपने व्यावसायिक गतिविधियों के संचालन में पर्यावरण का कितना ध्यान रखती है। वहीं
भारत में नागरिक समाज संगठनों की बदलती भूमिका - (July 2022)
जॉर्ज हजिंस के अनुसार, "नागरिक समाज एक सामाजिक स्थान है जो राज्य और व्यापारिक क्षेत्रों से अलग होता है किंतु साथ-साथ काम करते हुए राज्य के साथ, कभी-कभी तनावपूर्ण सह-संबंध रखता है।" नागरिक समाज राज्येतर संस्थाओं होती है, जिसमें समाज का विशाल क्षेत्र शामिल होता है। यह राजनीतिक-प्रशासनिक मामलों में नागरिकों की भागीदारी को सुनिश्चित करता है। यह जनमत का निर्माण करता
एनजीओ का विनियमन - (July 2022)
गैर-सरकारी संगठन (NGO) एक गैर-लाभकारी समूह है, जो सरकार से स्वतंत्र रूप से कार्य करता है। विश्व बैंक गैर-सरकारी संगठनों को ऐसे निजी संगठनों के रूप में परिभाषित करता है जो लोगो की पीड़ा की दूर करने, गरीबों के हितों को बढ़ावा देने, पर्यावरण की रक्षा करने, बुनियादी सामाजिक सेवाएं प्रदान करने या सामुदायिक विकास करने के लिए गतिविधियों में
भारत में उपशामक देखभाल और बुजुर्ग लोग - (July 2022)
उपशामक देखभाल (Palliative Care) एक विशेष चिकित्सा देखभाल है, जो रोगियों की देखभाल, बीमारी के लक्षणों और तनाव से राहत प्रदान करने पर केंद्रित होती है। उपशामक देखभाल का उद्देश्य रोगियों और उनके परिवारों दोनों के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना होता है। भारत में बुजुर्ग लोगों की जनसंख्या 2011 की जनसंख्या जनगणना के अनुसार, 60 वर्ष और उससे अधिक
स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की चुनौतियां एवं नीति - (July 2022)
वर्तमान 21वीं सदी में भारत के लिए नागरिकों को उत्तम स्वास्थ्य व्यवस्था प्रदान करना चुनौती का विषय बना हुआ है। भारत में संचारी एवं गैर-संचारी रोग, मातृ प्रसवकालीन और पोषण संबंधी कमियां, मृत्युओं के महत्वपूर्ण कारण हैं। भारतीय संविधान में नागरिकों को स्वास्थ्य के अधिकार के साथ-साथ राज्य के कर्त्तव्य के अंतर्गत अनुच्छेद 47 के तहत लोगों के जीवन स्तर को
बहुआयामी गरीबी - (July 2022)
गरीबी को अक्सर आमतौर पर आय पर आधारित एक आयामी उपायों द्वारा परिभाषित किया जाता है। हालाँकि बहुआयामी गरीबी में गरीब लोगों द्वारा अपने दैनिक जीवन में अनुभव किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के अभाव शामिल होते हैं। जैसे; खराब स्वास्थ्य, शिक्षा की कमी, अपर्याप्त जीवन स्तर, अक्षमता, काम की खराब गुणवत्ता और हिंसा का खतरा। बहुआयामी गरीबी का मापन बहुआयामी गरीबी
सूक्ष्म वित्त संस्थान - (July 2022)
ऐसे संगठन जो सीमित आय वाली आबादी को (जिनकी बैंकिंग सुविधाओं तक पहुंच नहीं होती है) सूक्ष्म-ऋण, सूक्ष्म-बचत एवं सूक्ष्म-बीमा (Micro-loans, Micro-savings and Micro-insurance) आदि जैसी वित्तीय सेवाएँ प्रदान करते हैं, सूक्ष्म वित्त संस्थान (Microfinance Institution - MFI) कहलाते हैं। इस प्रकार के सूक्ष्म वित्त संस्थानों द्वारा निर्धारित ब्याज दरें सामान्य बैंकों द्वारा वसूल की जाने वाली दरों से कम होती
भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश तथा इसका दोहन - (July 2022)
हार्वर्ड अर्थशास्त्री डेविड ब्लूम और डेविड कैनिंग ने ‘जनसांख्यिकीय लाभांश’ शब्द का प्रयोग किसी देश की जनसंख्या व आयु संरचना में परिवर्तन से होने वाले आर्थिक विकास में वृद्धि का वर्णन करने के लिए किया था। यह समय की अवधि, आमतौर पर 20 से 30 वर्ष को संदर्भित करता है, जिसके दौरान प्रजनन दर में गिरावट आती है और देश
भारत में बाल विवाह - (July 2022)
बाल विवाह का तात्पर्य 18 वर्ष की आयु से पूर्व किसी लड़की या लड़के के विवाह से है और यह औपचारिक तथा अनौपचारिक दोनों प्रकार के विवाहों को संदर्भित करता है, जिसमें 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे वैवाहिक रूप से एक साथ रहते हैं। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) का अनुमान है कि भारत में हर साल 18 साल
महिला सशक्तीकरण और लैंगिक न्याय - (July 2022)
भारतीय समाज की एक प्रमुख विशेषता पितृसत्तात्मकता को माना जाता है। परंपरागत रूप से भारतीय पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं की स्थिति निम्न है। वर्तमान भारतीय समाज में महिलाओं का सशक्तीकरण करना और लैंगिक न्याय उपलब्ध कराना एक चुनौती बनी हुई है। इस समस्या का समाधान महिला सशक्तीकरण है। महिला सशक्तीकरण और लैंगिक न्याय एक दुसरे से संबंद्ध है। महिला सशक्तीकरण का
निजी क्षेत्र में स्थानीय आरक्षण - (August 2022)
15 जनवरी, 2022 से हरियाणा राज्य में स्थानीय उम्मीदवारों के लिए रोजगार अधिनियम, 2020 लागू हो गया, जो 30,000 प्रति माह तक भुगतान वाले निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय निवासियों के लिए 75% आरक्षण का प्रावधान करता है। यह कानून हरियाणा सरकार को उन कंपनियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की शक्ति भी देती है जो इस कानून का पालन
कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व का सामाजिक-आर्थिक प्रभाव - (August 2022)
कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (Corporate Social Responsibility - CSR) की अवधारणा को संपोषित आर्थिक विकास (sustainable economic development) के सिद्धांतों से संबद्ध कर देखा जाता है। सीएसआर के अंतर्गत किसी संगठन से संबंधित निर्णय लेते समय केवल वित्तीय पहलुओं को ही आधार नहीं बनाया जाता हैं अपितु उनके कार्यकलापों के तात्कालिक और दीर्घावधि सामाजिक तथा पर्यावरणीय प्रभावों को भी ध्यान में रखा
सहकारिता के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक समृद्धि - (August 2022)
6 जुलाई, 2021 को केंद्र सरकार ने ‘सहकार से समृद्धि’ के स्वप्न को साकार करने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, एक अलग ‘सहकारिता मंत्रालय’ (Ministry of Co-operation) का गठन किया। भारत एक कृषि प्रधान देश है जहाँ लोगों की विविध आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विश्व के सबसे बड़े सहकारी आंदोलन को चलाया गया। सहकारिता व्यक्तियों का एक स्वायत्त संघ है,
ग्रामीण-शहरी डिजिटल डिवाइड - (August 2022)
भारत निरंतर प्रगति के पथ पर बढ़ रहा है परन्तु इसके साथ ही ग्रामीण-शहरी क्षेत्र के बीच ‘डिजिटल डिवाइड’ लगातार बढ़ता जा रहा है तथा इस मुद्दे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। भारतीय समाज में, धन का वितरण पहले से ही अत्यधिक असंतुलित है तथा देश के ग्रामीण एवं समाज के वंचित तबके की कंप्यूटर और इंटरनेट तक पहुंच की
भारत में सुभेद्य वर्ग: नीतिगत चुनौतियां एवं कल्याण के उपाय - (August 2022)
सुभेद्य वर्ग का तात्पर्य समाज के ऐसे वर्गो या समुदाय से है, जिनकी संसाधनों तक पर्याप्त पहुंच नहीं है, अथवा इनके लिए आजीविका के अत्यन्त सीमित अवसर हैं। इन सबके कारण ऐसे वर्गों के मध्य सामाजिक, आर्थिक, शारीरिक असुरक्षा की चुनौतियां विद्यमान रहती हैं। भारत में सुभेद्य वर्ग के अन्तर्गत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक वर्ग, महिला एवं बालिका, शिशु, निःशक्तजन,
उच्च शिक्षा की वर्तमान स्थिति : चुनौती एवं समाधान - (September 2022)
‘क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2022’ (QS World University Rankings 2022) में एक भी भारतीय विश्वविद्यालय शीर्ष 100 की सूची में शामिल नहीं हुआ है। भारत से इसमें आईआईटी बॉम्बे (रैंक 117), आईआईटी दिल्ली (रैंक 185), तथा आईआईएससी बेंगलुरू (रैंक 186) ने शीर्ष 200 में स्थान हासिल किया है। भारत का उच्च शिक्षा तंत्र अमेरिका, चीन के बाद विश्व का तीसरा सबसे
जातिगत जनगणना : आवश्यकता एवं मुद्दे - (September 2022)
हाल ही में बिहार सरकार द्वारा राज्य में जातिगत जनगणना कराने का निर्णय लिया गया| इस जनगणना पर आने वाला संपूर्ण खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा| जनगणना के हिस्से के रूप में, एससी/एसटी से संबंधित जानकारी को एकत्र किया जाता हैं, अन्य जातियों का विवरण गणनाकर्ताओं द्वारा एकत्र नहीं किया जाता है। 2011 की जनगणना के साथ ही केंद्र
भारत में कुपोषण की समस्या : सरकार के कदम एवं उपाय - (September 2022)
केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय के अनुसार 33 लाख बच्चें कुपोषित हैं, इनमें से ज्यादातर महाराष्ट्र, बिहार और गुजरात राज्य में हैं| देश के 34 राज्यों और केंद्र प्रशासित प्रदेशों में से 17 लाख से भी ज्यादा गंभीर रूप से कुपोषित हैं| विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक गंभीर रूप से कुपोषित (एसएएम) बच्चे वो होते हैं जिनका वजन और लंबाई
भारत में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा : महत्व एवं मुद्दे - (September 2022)
भारत में गुणवत्तापरक शिक्षा के आभाव के कारन शिक्षा परिणाम (Education Outcome) नकारात्मक रूप से प्रभावित हो रहे हैं| वर्तमान में देश की शिक्षा पद्धति की विशेषता शिक्षक-केंद्रित रटना (teacher-centred rote learning), शारीरिक दंड (corporal punishment) और भेदभाव (discrimination) बनी हुई है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कोई मानक परिभाषा नहीं है, परन्तु इसे आमतौर पर प्रत्येक छात्र के सामाजिक, भावनात्मक, मानसिक, शारीरिक
अधिकार आधारित विकास तथा सामाजिक न्याय: मूल्यांकन - (January 2022)
पिछले दशकों में भारत ने अपने नागरिकों की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कई अधिकारों को संवैधानिक तथा कानूनी तौर पर लागू किया है। हालांकि सामाजिक न्याय तथा विकास से संबंधित कई महत्वपूर्ण पहलुओं के कार्यान्वयन की दिशा में अपेक्षित प्रगति नहीं हो पाई है। इसके लिए विभिन्न राजनीतिक, प्रशासनिक तथा आर्थिक कारण उत्तरदायी हैं। पिछले 3 दशकों में भारत ने
सामाजिक न्याय व विकास संबंधी अधिकार आधारित पहलें - (January 2022)
शिक्षा का अधिकार वर्ष 2002 में ‘86वें संविधान संशोधन अधिनियम’ (86th Constitutional Amendment Act)के माध्यम से ‘शिक्षा के अधिकार’ (Right to Education) को संविधान के अनुच्छेद 21 ‘ए’ के अंतर्गत संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया। इस अधिकार के कार्यान्वयन के लिए संसद से अगस्त, 2009 में ‘बच्चों का मुफ्त तथा अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम’(Right of Children to Free and Compulsory Education
विकास, सामाजिक न्याय तथा अधिकारों के एकीकरण में एनजीओ की भूमिका - (January 2022)
पिछले कुछ दशकों में ‘गैर-सरकारी संगठनों’(NGO's) ने समाज के कमजोर वर्गों के विकास, सामाजिक न्याय तथा अधिकारों की प्राप्ति की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। ये एनजीओ सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न ‘कल्याणकारी कार्यक्रमों’(Welfare Programmes) को समाज के कमजोर वर्गों तक पहुंचाने में उल्लेखनीय भूमिका निभाते हैं। यह उल्लेख करना उचित होगा कि राज्य सरकार तथा गैर सरकारी संगठनों
अधिकार आधारित दृष्टिकोण के कार्यान्वयन की रूपरेखा - (January 2022)
विकास तथा सामाजिक न्याय के लिए अधिकार आधारित दृष्टिकोण को लागू करने में कुछ महत्वपूर्ण चरणों का ध्यान रखा जाना चाहिए। अधिकारों को पारिभाषित करना विकास तथा सामाजिक न्याय के संबंध में लक्षित लोगों तथा समूहों के अधिकारों की पहचान करना पहला महत्वपूर्ण चरण है। इसके अंतर्गत ना केवल आवश्यक अधिकारों की पहचान की जाती है, बल्कि किसी एक अधिकार से ‘जुड़े
अधिकार आधारित दृष्टिकोण के महत्वपूर्ण सिद्धांत - (January 2022)
सहभागिता प्रत्येक व्यक्ति को उन निर्णयों में भाग लेने का अधिकार है, जो उसके अधिकारों को प्रभावित करते हैं। लोगों की ऐसी ‘सहभागिता’(Participation) सक्रिय, मुक्त तथा सार्थक होनी चाहिए तथा मूलभूत सेवाओं तक पहुंच (Access) के मुद्दों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। जवाबदेही जवाबदेही के लिए मानवाधिकार मानकों के अनुपालन तथा मानवाधिकार लक्ष्यों की प्राप्ति के साथ-साथ मानवाधिकार उल्लंघनों के प्रभावी उपचार तथा
सामाजिक न्याय तथा विकास के लिए अधिकार आधारित दृष्टिकोण - (January 2022)
अधिकार आधारित दृष्टिकोण आर्थिक विकास तथा मानव अधिकारों के बीच के अंतराल को भरने का प्रयास करता है। सामाजिक न्याय तथा विकास के लिए अधिकार आधारित दृष्टिकोण ऐसे मानकों की स्थापना का प्रयास करता है, जिनके आधार पर सामाजिक अन्याय, विकास, असमानता तथा भेदभावपूर्ण प्रथाओं से संबंधित चुनौतियों का सामना किया जा सकता है। क्या है अधिकार आधारित दृष्टिकोण? अधिकार आधारित दृष्टिकोण
न्यायिक खामियों को दूर करने के उपाय - (January 2022)
न्यायिक खामियों को दूर करने के लिए कुछ प्रस्तावित समाधान इस प्रकार हैं- न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार CJI एनवी रमना ने मार्च 2021 में ट्रायल कोर्ट में न्यायिक बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक अवसंरचना निगम का प्रस्ताव रखा था। भारत के सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार- अधीनस्थ न्यायपालिका के केवल 27 प्रतिशत न्यायालयों में
न्यायिक प्रणाली से संबंधित मुद्दे व चुनौतियां - (January 2022)
न्यायपालिका की स्थापना के समय न्यायिक प्रक्रिया को पारदर्शी, कुशल और स्वतंत्र होने की परिकल्पना की गई थी किंतु अनेक घटनाएं निराशाजनक तस्वीर पेश करती हैं तथा न्यायपालिका की कार्यप्रणाली अनेक सवाल उठाती हैं। ऐसी घटनाओं के उदाहरण हैं- ओडिशा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के िखलाफ भ्रष्टाचार के आरोप। न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित प्रक्रिया को अंतिम रूप देने को लेकर
भारतीय न्यायिक प्रणाली मुद्दे एवं चुनौतियां - (January 2022)
एक संवैधानिक लोकतंत्र में न्यायपालिका की भूमिका ना केवल न्याय प्रदान करना होती है, बल्कि उसके ऊपर नागरिकों के अधिकारों के संरक्षण से लेकर संविधान की मूल भावना के रखरखाव का भी दायित्व होता है। समय-समय पर न्यायपालिका ने इस संदर्भ में अपनी भूमिका निभाई है। हालांकि वर्तमान में भारतीय न्यायिक प्रणाली विभिन्न चुनौतियों व मुद्दों का भी सामना कर
लोक सेवा में मूल्यों का संकट - (January 2022)
प्रत्येक देश में लोक सेवकों के कार्य का एक ‘नैतिक दर्शन’ (Ethical Philosophy) होता है, जो उनके लिए मार्ग निर्देशक का कार्य करता है। लोक सेवकों की मूल्य प्रणाली विभिन्न ‘सांस्कृतिक मानदंडों’(Cultural Standards), शिक्षा तथा संविधान तथा अन्य कानूनों से निर्धारित होती है। भारत में लोक सेवा लंबे समय से मूल्यों के संकट से गुजर रही है। राजनीति से लेकर सिविल
भारत में लोक सेवा मूल्यों की स्थिति - (January 2022)
भारत में लोक सेवा मूल्यों को लेकर कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं हैं। राजनेताओं, न्यायाधीशों तथा सिविल सेवकों सभी के लिए ‘मूल्यों के सम्मुचय’(Set of Values) की आवश्यकता लंबे समय से रही है। हालांकि सिविल सेवकों के आचरण के निर्देशन के लिए कानूनी प्रावधान किए गए हैं परंतु उनमें मूल्यों का समावेशन नहीं किया गया है। भारत में, लोक सेवा मूल्यों का
लोक सेवा में मूल्यों का विकास - (January 2022)
सार्वजनिक क्षेत्र में एक प्रमुख चुनौती कार्मिकों के लिए मूल्यों का ‘सुसंगत सम्मुचय’ (Compatible set) उपलब्ध कराने की होती है, जिनके माध्यम से किसी ‘सार्वजनिक संगठन / संस्थान / कार्यालय’ (Public Organization/Institution/Office) में कार्य कर रहे कार्मिकों के समक्ष मार्ग निर्देशन के संदर्भ में कोई ‘भ्रांति’(Confusion) ना हो। किसी संगठन या संस्थान में मूल्यों के विकास में ‘अनौपचारिक संचार’ (Informal Communication)
लोक सेवा मूल्यों के समक्ष चुनौतियां - (January 2022)
समकालीन लोक सेवा के क्षेत्र में मूल्यों के समक्ष कई चुनौतियां हैं, जो निम्नलिखित के संदर्भ में उत्पन्न होती हैं- शासन के नए तरीके (New Modes of Governance) बाजार प्रेरित सुधार (Market Induced Reforms) ‘राजनीतिकरण’ (Politicization) विकेंद्रीकरण/स्थानांतरण (Decentralization/Transfer) मानव संसाधन प्रबंधन तथा भर्ती प्रक्रिया में परिवर्तन(Changes in Human Resource Management and Recruitment) सूचना तथा संचार तकनीक से उत्पन्न चुनौतियां शासन के नए तरीके सामाजिक आर्थिक परिस्थितियों में
मूल्यों का संघर्ष - (January 2022)
लोक सेवा से संबंधित कार्य तथा निर्णय ‘गतिशील वातावरण’ (Dynamic Atmosphere) में संपन्न किए जाते हैं। बदलती सामाजिक-आर्थिक तथा राजनीतिक परिस्थितियों के अनुसार इस वातावरण में भी परिवर्तन आता है। लोक सेवा में विभिन्न संस्थाओं के जटिल नेटवर्क, विकेंद्रीकृत शासन संरचनाएं, ‘सार्वजनिक-निजी भागीदारी’ (PPP), ‘गैर सरकारी संगठन’ (NGO), सलाहकार संगठन तथा सरकार के विभिन्न अंग सम्मिलित होते हैं। इस वातावरण में
लोक सेवा के लिए महत्वपूर्ण मूल्य - (January 2022)
सत्यनिष्ठा सत्यनिष्ठा का अर्थ है, विचार, वाणी तथा कर्म के बीच ‘सुसंगतता’ (Consistency) का होना। एक सत्यनिष्ठ व्यक्ति जो सोचता है, वही बोलता है तथा वही करता भी है। प्राचीन संस्कृत साहित्य में ‘मनसा, वाचा, कर्मणा’ की अभिव्यक्ति के माध्यम से सत्यनिष्ठा की अवधारणा को स्पष्टता से समझा जा सकता है। सत्यनिष्ठा को अंग्रेजी भाषा में ‘इंटेग्रिटी’ (Integrity) कहते हैं, जिसकी उत्पत्ति
लोक सेवा में मूल्य सुशासन का आधार - (January 2022)
लोक सेवा मूल्य किसी सार्वजनिक संस्था तथा संगठन की कार्य संस्कृति के आवश्यक घटक होते हैं तथा लोक सेवकों के व्यवहार को निर्धारित करने, उनका मार्ग निर्देशन करने तथा संगठन के लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लोक सेवा में नागरिकों का विश्वास बनाए रखने के लिए मूल्य आधारित कार्य प्रणाली का होना अति आवश्यक है। 10 फरवरी,
ग्रामीण विकास में पंचायतीराज संस्थानों की भूमिका को बढ़ाने वाली पहलें - (January 2022)
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम अर्थात् मनरेगा को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 (NREGA-नरेगा) के रूप में प्रस्तुत किया गया था। वर्ष 2010 में नरेगा (NREGA) का नाम बदलकर मनरेगा (MGNREGA) कर दिया गया। वर्तमान में यह सामाजिक सुरक्षा रणनीति के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों
स्थानीय स्वशासन से संबंधित मुद्दे - (January 2022)
राजस्व के स्रोतों की कमी ग्राम पंचायतों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है परन्तु इनके राजस्व के स्रोत सीमित है। पंचायतों के आय का मुख्य स्रोत गाँव के बाजारों तथा मेलों पर लगाया जाने वाला कर, पशु तथा वाहनों पर लगाया जाने वाला कर, संबंधित क्षेत्र के तालाबों में मत्स्य पालन से होने वाली आय, पशुओं की रजिस्ट्रेशन फीस, नालियों,
स्वास्थ्य प्रबंधन में भूमिकाः कोविड-19 प्रबंधन एवं टीकाकरण - (January 2022)
कोविड-19 के प्रसार के पश्चात सम्पूर्ण देश में लॉकडाउन लग गया था, ताकि इस संक्रामक बीमारी के प्रसार की गति को धीमा कर सार्वजानिक स्वास्थ्य की रक्षा की जा सके। लॉकडाउन के पश्चात शहरों से गांवों की ओर मजदूरों का प्रवासन भी देखा गया। शहर से गाँव आए लोगों सहित सभी जरूरतमंद परिवारों को जन वितरण प्रणाली के माध्यम से
ग्रामीण विकास में पंचायतीराज संस्थानों की भूमिका एवं महत्व - (January 2022)
रोजगार योजनाओं के क्रियान्वयन में भूमिका पंचायतों द्वारा ग्रामीण विकास के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं को चलाया जाता है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम (मनरेगा) है। इस योजना के तहत कार्य का प्रस्ताव ग्राम सभा द्वारा तैयार किया जाता है। जॉब कार्ड जारी करने की भी जिम्मेदारी ग्राम पंचायत की होती है। ग्राम पंचायत की
स्थानीय स्वशासन ग्रामीण विकास की बुनियाद - (January 2022)
स्थानीय स्वशासन की संस्थाएं लोगों में राजनीतिक चेतना तथा समझ का विकास करने में सहायक हैं। इससे प्रशासनिक इकाई के सबसे निचले स्तर पर लोकतांत्रिक व्यवस्था के स्वरूप को मजबूती मिलती है। पंचायतों द्वारा ग्रामीण विकास के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं को चलाया जाता है। प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण (सर्व शिक्षा अभियान-एसएसए) के लक्ष्य की प्राप्ति में पंचायतों द्वारा
आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार - (July 2022)
आपराधिक न्याय प्रणाली (Criminal Justice System) से तात्पर्य सरकार की उन एजेंसियों से है जो कानून लागू करने, आपराधिक मामलों पर निर्णय देने तथा आपराधिक आचरण में सुधार करने के लिए कार्य करती हैं। आपराधिक न्याय प्रणाली के अंतर्गत जेल प्रशासन, पुलिस प्रशासन तथा न्याय व्यवस्था तीनों को ही शामिल किया जाता है। सम्पूर्ण आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार के लिए
आवश्यक धार्मिक प्रथाएं और संबंधित मुद्दे - (July 2022)
आवश्यक धार्मिक प्रथा (Essential Religious Practices) परीक्षण सर्वोच्च न्यायालय (SC) द्वारा मौलिक अधिकारों के तहत केवल धर्म के लिए आवश्यक और अभिन्न धार्मिक प्रथाओं की रक्षा के लिए विकसित एक सिद्धांत है। अनिवार्य धार्मिक प्रथाएं (Essential Religious Practices) या धर्म के मूलभूत पहलू संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत संरक्षित हैं। 1954 में सुप्रीम कोर्ट ने शिरूर मठ मामले
दलबदल कानून एवं आंतरिक दलीय लोकतंत्र - (July 2022)
52वें संविधान संशोधन 1985 के माध्यम से संविधान में 10वीं अनुसूची शामिल की गई थी, इसे ही सामान्यतः दल-बदल विरोधी कानून के नाम से जाना जाता है। इस कानून का उद्देश्य आंतरिक पार्टी लोकतंत्र में वृद्धि करते हुए राजनीतिक लाभ और पद के लालच में दल-बदल करने वाले जन-प्रतिनिधियों को अयोग्य करार देना है, ताकि संसद या राज्य विधानमंडल की स्थिरता
संसदीय समितियां - (July 2022)
संसदीय समिति से तात्पर्य उस समिति से है, जो सभा द्वारा नियुक्त या निर्वाचित की जाती है अथवा अध्यक्ष द्वारा नाम-निर्देशित किया जाता है और अध्यक्ष के निर्देशानुसार कार्य करती है तथा अपना प्रतिवेदन सभा को या अध्यक्ष को प्रस्तुत करती है। संसदीय समितियों के प्रकार संसदीय समितियां दो प्रकार की होती हैं: स्थायी समितियां (Standing Committees) तदर्थ समितियां (Ad hoc committees) स्थायी समितियां
एक राष्ट्र, एक चुनाव - (July 2022)
एक राष्ट्र, एक चुनाव का विचार एक ऐसी प्रणाली की परिकल्पना करता है जहां सभी राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव एक साथ होते है। इसमें भारतीय चुनाव चक्र का पुनर्गठन इस तरह से किया जाता है कि सभी राज्यों और केंद्र के चुनाव एक साथ होते है। एक राष्ट्र, एक चुनाव का इतिहास भारत में एक साथ चुनाव कराने की परंपरा
ई-गवर्नेंस में ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी - (July 2022)
इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 4 दिसंबर, 2021 को ‘राष्ट्रीय ब्लॉकचेन रणनीति’ (National Blockchain Strategy) का प्रारूप पत्र जारी किया। इस रणनीति के तहत भारत में डिजिटल शासन को और अधिक दक्ष, सुविधाजनक तथा सुरक्षित बनाने के लिए ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा। ब्लॉकचेन एक ‘डिजिटल, विकेंद्रीकृत, सार्वजनिक बहीखाता’ (Digital and Decentralçed Public ledger) है। यह एक ऐसी तकनीक
विधि का शासन एवं लोकतंत्र - (July 2022)
विधि के शासन का अर्थ है - किसी देश में कानून ही सर्वोच्च है और कानून के ऊपर कोई नहीं है। इसका अर्थ यह भी है कि सरकार की समस्त शक्तीयां कानून द्वारा सीमित हैं और जनता पर कानून का शासन है न कि किसी के स्वेच्छापूर्ण इच्छा का। लार्ड ह्यूवर्ट ऑफ बरी के अनुसार- "कानून के शासन का अर्थ है
सिविल सेवा में सुधार - (July 2022)
सिविल सेवा सुधार का उद्देश्य मुख्य सरकारी कार्यों को करने के लिए प्रशासनिक क्षमता को मजबूत करना है। ये सुधार नागरिकों की सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाते हैं, जो सतत आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक हैं। सबसे महत्वपूर्ण सुधार जवाबदेही के संबंध में है। संसदीय लोकतंत्र में, सिविल सेवक सीधे नागरिकों के प्रति जवाबदेह नहीं होते हैं।
डिजिटल संप्रभुताः महत्व और उठाए गए कदम - (August 2022)
डिजिटल संप्रभुता से तात्पर्य किसी देश के डिजिटल माध्यमों जैसे डेटा हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर के संबंध में किसी देश के संपूर्ण नियंत्रण होने से है। डेटा का संग्रहण उस देश के भीतर होना चाहिए जिसमें व्यक्ति रहता है। इसके साथ ही उस डेटा का प्रसंस्करण उस देश के कानूनों और विनियमों के अधीन होना चाहिए है जहां डेटा उत्पन्न हुआ
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन - (August 2022)
6 केंद्रशासित प्रदेशों में पायलट आधार पर इसे लागू करने के लगभग एक वर्ष बाद 28 अगस्त, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश के लिए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (Ayushman Bharat Digital Mission) की शुरुआत की। इसमें न केवल प्रत्येक नागरिक के लिए एक अद्वितीय स्वास्थ्य पहचान पत्र का निर्माण शामिल है, बल्कि डिजिटल स्वास्थ्य पेशेवरों (Digital Health Professionals)
15वां वित्त आयोग : प्रमुख सिफारिशें तथा उत्पन्न मुद्दे - (September 2022)
एन. के. सिंह की अध्यक्षता वाले 15वें वित्त आयोग ने 9 नवंबर, 2020 को वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक की अवधि के लिए 'कोविड काल में वित्त आयोग' (Finance Commission in Covid Times) नामक शीर्षक वाली अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंप दी। विचारार्थ विषय की शर्तों (ToR) के अनुसार आयोग को वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक यानी 5 वर्ष की अवधि
अंतरराज्यीय नदी जल विवादः उपबंध एवं सुझाव - (September 2022)
भारत के विभिन्न राज्यों के बीच नदी जल के बटवारे के संबंध में विवाद है| उदाहरण के लिए, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों के बीच कृष्णा नदी, पंजाब व हरियाणा राज्य के बीच सतलज नदी, कावेरी नदी के जल के लिए तमिलनाडु और कर्नाटक राज्यों के बीच जल के बंटवारे को ले कर विवाद है| संवैधानिक व विधिक उपबंध सातवीं अनुसूची की
चुनाव सुधार : आवश्यकता एवं प्रभाव - (September 2022)
चुनाव सुधार के माध्यम से चुनाव प्रक्रिया में निहित विसंगतियों को दूर कर जनता की आकांक्षा के अनुरूप जन प्रतिनिधि का चुनाव सुनिश्चित किया जाता है| भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहां सरकार के तीन स्तरों के लिए चुनाव सम्पन्न किए जाते हैं| संसद एवं विधान मण्डल के लिए भारतीय निर्वाचन आयोग के द्वारा चुनाव सम्पन्न कराए जाते हैं| ग्रामीण एवं
अन्तः दलीय लोकतंत्र : चुनौतियां एवं महत्व - (September 2022)
अन्तः दलीय लोकतंत्र (Internal Party democracy) से तात्पर्य पार्टी के भीतर निर्णय लेने (decision making) और विचार-विमर्श (deliberation) की प्रक्रिया में पार्टी के सदस्यों को शामिल करने के स्तर और तरीकों (level andmethods) से है। राजनीतिक दल, नागरिकों का एक संगठित समूह होता है जो एक राजनीतिक इकाई के रूप में कार्य करता हैं| इसके साथ ही एजेंडा और नीति को
मौलिक अधिकार एवं कर्तव्य : संबंधित मुद्दे एवं सामंजस्यता - (September 2022)
भारतीय संविधान ने भारत के नागरिकों को कुछ अधिकारों की गारंटी दी है जिन्हें मौलिक अधिकार के रूप में जाना जाता है। मौलिक अधिकार सभी नागरिकों के मूल मानवाधिकार हैं, जिन्हें संविधान के भाग III (तीन) में परिभाषित किया गया है जो किसी व्यक्ति की जाति, जन्म स्थान, धर्म, पंथ या लिंग की परवाह किए बिना लागू होते हैं। 1976 में, सरदार
पारंपरिक ज्ञान प्रणाली - (July 2022)
पारंपरिक ज्ञान प्रणाली (Traditional 'knowledge System), किसी क्षेत्र विशेष के स्थानीय समुदायों के ज्ञान, नवाचारों और प्रथाओं को संदर्भित करता है जो रोजमर्रा की जिंदगी में बाधाओं को दूर करने और अपने आस-पड़ोस की संभावनाओं का दोहन करने के दौरान विकसित होता है। यह सदियों से प्राप्त अनुभव के आधार पर विकसित होता है और स्थानीय संस्कृति और पर्यावरण के अनुकूल
कृषि का नारीकरण - (July 2022)
कृषि क्षेत्र का नारीकरण कृषि क्षेत्र में विभिन्न भूमिकाओं जैसे; मजदूरों, किसानों और उद्यमियों में महिलाओं की बढ़ती संख्या को संदर्भित करता है। आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 के अनुसार ‘पुरुषों के बढ़ते प्रवास के कारण कृषि क्षेत्र का नारीकरण हो रहा है’। कृषि में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कृषि जनगणना (2015-16) के अनुसार, कुल 146 मिलियन परिचालन होल्डिंग्स (Operating Holdings) में से, महिला परिचालन
क्षेत्रवाद की चुनौती : सांस्कृतिक मुखरता और असमान क्षेत्रीय विकास - (July 2022)
क्षेत्रवाद एक ऐसी विचारधारा और राजनीतिक आंदोलन है जो एक क्षेत्र विशेष के राजनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और वैचारिक हितों को सर्वोपरि मानता है। इस क्षेत्र विशेष के व्यक्ती धार्मिक, आर्थिक, सामाजिक या सांस्कृतिक पहचान के प्रति अधिक मुखर हो सकते हैं। भारत में क्षेत्रवाद के लिए कई कारक उत्तरदायी हैं जिनमें पृथक् भाषा, अलग भौगोलिक पहचान, नृजातीय पहचान, असमान विकास आदि
ग्रामीण महिलाएं: आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में महत्व - (July 2022)
नए भारत के निर्माण एवं देश के आर्थिक विकास को गति देने के लिए ग्रामीण भारत में अपार संभावनाएं हैं। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं की भलाई को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न लक्षित योजनाएं प्रारंभ की गई है जो शिक्षा, क्षमता निर्माण, कौशल विकास, स्वास्थ्य सुविधाओं और विविध आजीविका के अवसरों तक पहुंच को आसान बनाती है। ग्रामीण महिलाओं का सशक्तीकरण
वैश्वीकरण के सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक प्रभाव - (July 2022)
अमेरिकी अर्थशास्त्री एडवर्ड एस. हरमन के अनुसार ‘‘वैश्वीकरण प्रबंधन और प्रक्रिया की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं का विस्तार है। साथ ही यह सुविधाओं और आर्थिक स्थिति की एक दशा है, जो लगातार विस्तृत हो रही है और साथ ही बदल रही है।’’ सिद्धांततः वैश्वीकरण एक जटिल आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक प्रक्रिया है, जिसमें पूंजी, संगठनों, विचारों, विमर्शों और लोगों की गतिशीलता
सामाजिक मूल्यों पर बढ़ती सांप्रदायिकता का प्रभाव - (August 2022)
सामाजिक मूल्य समाज के प्रमुख तत्व होते हैं तथा इन्हीं मूल्यों के आधार पर हम किसी समाज की प्रगति, उन्नति, अवनति अथवा परिवर्तन की दिशा निर्धारित करते हैं। सामाजिक मूल्य दर्शाते हैं कि एक व्यक्ति समाज से कैसे संबंधित हैं। सामाजिक मूल्यों में न्याय, स्वतंत्रता, एक दूसरे का सम्मान जैसे मूल्य शामिल हैं। सामाजिक मूल्यों के बिना न तो समाज की प्रगति
भारतीय मीडिया में लैंगिक रूढ़िबद्धता - (August 2022)
‘जेंडर स्टीरियोटाइपिंग’ यानी लैंगिक रूढ़िबद्धता से तात्पर्य, किसी मनुष्य के विषय में लिंग के आधार पर बनाई गई धारणा है, जो लैंगिक आधार पर समाज में उनकी विशेषताओं, व्यवहारों और जिम्मेदारियों को परिभाषित करती है। वर्तमान में अक्सर ऐसा देखा जाता है कि भारतीय मिडिया द्वारा महिलाओं को एक विशेष प्रकार से दिखाया जाता है जो जेंडर स्टीरियोटाइपिंग को बढ़ावा दिया
महिलाओं के लिए स्वामित्व का अधिकार: मुद्दे एवं समाधान - (August 2022)
महिलाएं अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत है जिसमें कृषि, उद्योग, सेवा क्षेत्र से ले कर घर-आधारित व्यवसाय तक शामिल हैं। महिलाओं द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका और परिवारों, समुदायों और राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण है। विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा हाल ही में ‘वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट’ (Global Gender Gap Report), 2021 जारी की गई है। इस रिपोर्ट में भारत
पॉपुलेशन एजिंग: चुनौतियां एवं सामाजिक निहितार्थ - (August 2022)
2011 की जनगणना में 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों की संख्या कुल भारतीय आबादी का 8.6% थी; यानी उस समय वृद्धजनों की जनसंख्या 10.3 करोड़ थी। वर्ष 2050 तक बुजुर्गों की आबादी का हिस्सा बढ़कर 19.5% (31-9 करोड़ बुजुर्ग) हो जाने का अनुमान है। इनमें से 75 प्रतिशत वृद्धजन किसी न किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित होते हैं,
महिलाओं की श्रम बल में घटती भागीदारी: कारण एवं सुझाव - (August 2022)
किसी देश में महिलाओं की श्रम में भागीदारी की दर उस देश की विकास क्षमता को इंगित करती है। श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए महिला केंद्रित नीति निर्माण के साथ एक एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जहां महिलाओं को एक निष्क्रिय लाभार्थियों के रूप में नहीं बल्कि समाज के लिए संभावित योगदानकर्ताओं के रूप में देखा
भारत में आंतरिक प्रवासन - (September 2022)
कोविड-19 महामारी काल में लगाया गए लॉकडाउन के समय भारत में आंतरिक प्रवास की व्यापक घटनाएं देखने को मिली। इस समय, शहरी क्षेत्रों में काम करने वाले कामगारों का महामारी के प्रभावों से बचने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों की ओर प्रवास हुआ। नौकरी एवं रोजगार के अवसरों में आने वाली कमी इस प्रकार के आंतरिक प्रवास के अन्य कारण थे। भारत
परंपरागत जनजातीय समाज पर भूमंडलीकरण के प्रभाव - (September 2022)
वैश्विक स्तर पर सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक व्यवस्था से मिश्रित एक ऐसी दशा जिसमें बाजार की शक्तियों का व्यापक प्रभाव होता है भूमंडलीकरण कहलाता है। मानवीय जनसंख्या में वृद्धि तथा औद्योगिक क्रांति के पश्चात भूमंडलीकरण को व्यापक रूप से बढ़ावा मिला है। इससे उपभोक्तावाद की संस्कृति को बढ़ावा, राष्ट्र एवं राज्यों की संप्रभुता में कमी तथा आर्थिक दशाओं को
भारत में बढ़ती असमानता : कारण एवं निवारण - (September 2022)
विश्व असमानता रिपोर्ट, 2022 के अनुसार भारत वर्तमान समय में विश्व के उन देशों में शामिल है जिनमें सर्वाधिक सामाजिक-आर्थिक असमानता व्याप्त है। रिपोर्ट में यह बताया गया है कि देश की शीर्ष 10% आबादी के पास राष्ट्रीय आय का लगभग 57% भाग है। इसी प्रकार, इस शीर्ष 10% में भी शीर्षस्थ 1% जनसंख्या राष्ट्रीय आय में 22% हिस्सेदारी रखती
चक्रवातों की बढ़ती आवृति एवं तटीय क्षेत्र - (July 2022)
पिछले दो दशकों में अरब सागर के ऊपर विकसित हो रहे चक्रवातों की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि हुई है। पिछले दो दशकों के दौरान अरब सागर में अति भीषण चक्रवातों की संख्या में 150% की वृद्धि हुई है। उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की बढ़ती आवृति के कारण तटीय क्षेत्रों में बाढ़ की समस्या, समुद्र तटों एवं तटबंधों का क्षरण, वनस्पति का
भारतीय मानसून के व्यवहार में परिवर्तन: प्रभाव एवं समाधान - (August 2022)
भारतीय मानसून, एक मौसमी परिघटना है जो दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व एशिया में होती है। सूर्य के उत्तरायण होने (दक्षिणी गोलार्द्ध में शीत ऋतु) व दक्षिणी हिन्द महासागर में किसी बड़े भूखंड के नहीं होने से इसमें अति उच्च वायु दाब का क्षेत्र निर्मित हो जाता है। पवनें उच्च वायु दाब क्षेत्र से निम्न वायु दाब क्षेत्र की ओर चलती हैं। अतः
भूमि निम्नीकरण: समस्या, प्रभाव एवं समाधान की रणनीति - (August 2022)
भारत में देश की लगभग दो-तिहाई जनसंख्या अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। ऐसी दशा में तीव्र गति से भूमि निम्नीकरण (Land Degradation) भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय बनता जा रहा है। भूमि की उत्पादकता तथा उसकी जैविक विशेषताओं में होने वाली कमी को भूमि निम्नीकरण के रूप में जाना जाता है। भूमि निम्नीकरण की
देश में जल संकट: कारण एवं प्रभाव - (August 2022)
किसी एक क्षेत्र विशेष के अंतर्गत जल उपयोग की मांगों को पूरा करने हेतु उपलब्ध जल संसाधनों की कमी को जल संकट की स्थिति कहते हैं। नीति आयोग के जल गुणवत्ता सूचकांक के अनुसार 122 देशों के जल संकट की सूची में भारत 120वें स्थान पर रहा। तीव्र जनसंख्या वृद्धि के कारण वर्ष 2030 तक देश में पानी की मांग वर्तमान की
संधारणीय पर्यटन : महत्व एवं चुनौतियां - (September 2022)
2018 में नेचर क्लाइमेट चेंज (Nature Climate Change) द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया है कि पर्यटन वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के 8% के बराबर योगदान करता है| समय बीतने के साथ ही जलवायु परिवर्तन के खतरे बढ़ते जा रहे हैं और विभिन्न पर्यटन जैसी आर्थिक गतिविधियों की इसमें भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ती जा रही हैं। पर्यटन के
भारत में आर्द्रभूमियों के पर्यावरणीय महत्व की चर्चा करते हुए इनके समक्ष विद्यमान संकटों को सूचीबद्ध कीजिए? - (September 2022)
उत्तर: सामान्य रूप से आर्द्रभूमियों का विकास स्थल एवं जलीय क्षेत्रों के मिलन स्थल पर होता है। यही कारण है कि अन्य क्षेत्रों की तुलना में आर्द्रभूमियां जैव-विविधता के दृष्टिकोण से अधिक समृद्ध होती हैं। आर्द्रभूमियों का पर्यावरणीय महत्व आर्द्रभूमियां हरित गैसों के उत्सर्जन को कम करने में सहायता करती हैं तथा कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन तथा नाइट्रस ऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों के
महासागरीय संसाधन तथा इसके समक्ष विद्यमान संकट - (September 2022)
पृथ्वी के लगभग 71% भाग पर जल उपलब्ध है जिसकी अधिकांश मात्रा महासागरों में पाई जाती है। महासागर भूतापीय तथा ज्वारीय ऊर्जा के साथ-साथ अनेक महत्वपूर्ण जैविक एवं अजैविक संसाधनों के स्रोत भी हैं। महासागरों का महत्व इस तथ्य में भी है कि इनके द्वारा किए जाने वाले कार्बन अवशोषण के कारण जलवायु परिवर्तन तथा पर्यावरण को नियंत्रण करने में
मेघ प्रस्फुटन (Cloudburst): उत्पत्ति तथा प्रभाव - (September 2022)
किसी निश्चित क्षेत्र में सीमित अवधि में तीव्र वर्षा की घटना का संबंध मेघ प्रस्फुटन से होता है। भारतीयमौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार 'जब लगभग 20-30 वर्ग किमी के भौगोलिक क्षेत्र में 100 मिमी (अथवा 10 सेमी) प्रति घंटे से अधिक अप्रत्याशित वर्षा होती है तो यह घटना मेघ प्रस्फुटन के रूप में जानी जाती है। उपर्युक्त के आधार
भारत में बढ़ता वायु प्रदूषण : समस्या एवं समाधान - (September 2022)
वायु प्रदूषण का संबंध वातावरण में ऐसे पदार्थों की उपस्थिति से है जो मनुष्यों तथा अन्य जीवित प्राणियों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। वायु प्रदूषक कई प्रकार के होते हैं, इनमें विभिन्न प्रकार की गैसों (अमोनिया, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, मीथेन, कार्बन डाइऑक्साइड और क्लोरोफ्लोरोकार्बन) के साथ-साथ पार्टिकुलेट (कार्बनिक और अकार्बनिक दोनों) तथा जैविक अणुओं
समुद्री हीट वेव तथा इसके बहुआयामी प्रभाव - (September 2022)
फरवरी, 2022 में जेजीआर ओशियन (JGR Oceans) नामक एक जर्नल में प्रकाशित लेख के अनुसार वर्ष 1982 से लेकर 2018 तक पश्चिमी हिंद महासागर में हीटवेव्स की 66 जबकि बंगाल की खाड़ी में 94 घटनाएं दर्ज की गईं। इस अध्ययन में यह भी बताया गया है कि आने वाले समय में महासागरों में समुद्री हीटवेव की तीव्रता एवं घटनाओं में
अर्बन हीट आइलैंड : कारण, प्रभाव और समाधान - (September 2022)
दिल्ली के संदर्भ में, स्कूल ऑफ़ एन्वायरनमेंटल स्टडीज़ तथा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ अर्बन अफेयर्स (School of Environmental Studies and National Institute of Urban Affairs) द्वारा किए गए अध्ययन में दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ते तापमान के लिए अर्बन हीट आईलैंड की घटना को उत्तरदाई माना गया। अर्बन हीट आईलैंड सामान्य स्थितियों की तुलना में जब ग्रीष्म ऋतु में आसपास के क्षेत्रों
स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की सहभागिता - (July 2022)
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम न केवल स्वतंत्रता के लिए एक राजनीतिक आंदोलन था बल्कि एक समावेशी आंदोलन भी था, जिसमें समाज के विभिन्न वर्ग शामिल थे। स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास महिलाओं के बलिदान, निस्वार्थता, वीरता की गाथा से भरा हुआ है। उन्होंने सच्ची भावना और निडर साहस के साथ स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया और देश को अंग्रेजों से आजादी दिलाने
असहयोग आंदोलन - (July 2022)
महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1920 से 1922 के मध्य असहयोग आंदोलन चलाया गया, जिसने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक नई जागृति पैदा की। यह आंदोलन कलकत्ता सत्र में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा लिए गए प्रस्ताव के अनुसार शुरू किया गया था, जिसकी पुष्टि दिसंबर 1920 में नागपुर सत्र में की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य अहिंसक तरीकों से भारत
रूसी क्रांति: कारण तथा वैश्विक प्रभाव - (August 2022)
1917 में रूस के जार निकोलस द्वितीय के निरंकुश शासन के विरुद्ध जन आन्दोलन हुआ जिसे ‘रूसी क्रांति’ कि संज्ञा दी जाती है। मार्च 1917 में सम्राट को पद त्याग के लिए विवश किया गया तथा एक अस्थाई सरकार की स्थापना की गई। पुनः अक्टूबर 1917 में अस्थाई सरकार के स्थान पर बोलशेविक सरकार (कम्युनिस्ट सरकार) की स्थापना की गई। कार्ल
औद्योगिक क्रांति का उपनिवेशवाद के प्रसार में योगदान - (August 2022)
यूरोप में औद्योगिक क्रांति की शुरुआत लगभग 1750 ई. में हुई। औद्योगिक क्रांति से पहले मशीनों के माध्यम से वृहद् पैमाने पर उत्पादन के लिए कारखाने मौजूद नहीं थे। औद्योगिक क्रांति की शुरुआत में प्रमुख आविष्कार भाप इंजन और कताई जेनी (pinning jenny) मशीन थे। दोनों आविष्कारों ने परिवहन एवं उत्पादन के साधनों में क्रांतिकारी बदलाव ला दिए। कताई जेनी एक ऐसी
11वीं सदी के समाज सुधारक और संत: रामानुजाचार्य - (August 2022)
5 फरवरी, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11वीं शताब्दी के भक्ति संत श्री रामानुजाचार्य (Sri Ramanujacharya) की स्मृति में हैदराबाद के निकट 216 फीट ऊंची ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी’ (Statue of Equality) का उद्घाटन किया। स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी का उद्घाटन श्री रामानुजाचार्य की वर्तमान में चल रही 1000वीं जयंती समारोह के तहत 12 दिवसीय श्री रामानुज सहड्डाब्दी समारोह का हिस्सा है। सामाजिक
गाँधी एवं नेहरू के सामाजिक-आर्थिक विचार: समानता एवं विभेद - (August 2022)
महात्मा गाँधी एवं जवाहरलाल नेहरु के सामाजिक - आर्थिक विचार उस समय के भारत एवं विश्व की स्थिति से प्रभावित थे। नेहरू का सम्पूर्ण आर्थिक दर्शन समाजवादी विचारधारा पर आधारित था और उनका समाजवाद केवल आर्थिक संगठन का साधन मात्र न होकर एक जीवन का दर्शन था। वे मैक्स एडलर की भांति समाजवादी थे। गाँधी और नेहरु के सामाजिक-आर्थिक दृष्टिकोण देश द्वारा
ब्रिटिश शासन की नीतियां तथा आधुनिक भारत का निर्माण - (August 2022)
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत आगमन का उद्देश्य व्यापार करना तथा अपने वित्तीय लाभ को अधिकतम करना था। परन्तु भारत की पारिस्थितियों का लाभ उठाते हुए इसके द्वारा भारत में बड़े साम्राज्य की स्थापना की गई। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी तथा ब्रिटिश क्राउन के शासन के अंतर्गत इस प्रकार की आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक आदि नीतियों का निर्माण किया गया
दादा भाई नोरोजी की भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में भूमिका - (September 2022)
4 सितंबर 1825 को मुंबई के एक पारसी परिवार में जन्मे दादाभाई नौरोजी को 'भारतीय राजनीति का पितामह' कहा जाता है। 4 वर्ष की अवस्था में उनके पिता का देहांत हो गया था तथा उनकी मां ने अपने दुर्लभ प्रयासों द्वारा आगे की परवरिश एवं शिक्षा-दीक्षा की व्यवस्था की। दादाभाई नौरोजी ने उच्च शिक्षा प्राप्त करके मात्र 25 वर्ष की
स्वतंत्रता आन्दोलन में सुभाष चन्द्र बोस की भूमिका - (September 2022)
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म कटक (उड़ीसा) में 23 जनवरी, 1897 को हुआ था। उनके जन्मदिवस को भारत में पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष 23 जनवरी 2022 को उनकी 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा एक भव्य मूर्ति का अनावरण किया गया। प्रारंभिक जीवन सुभाष चंद्र बोस ने प्रोटेस्टेंट यूरोपियन स्कूल (वर्तमान में स्टीवर्ट
वेलेजली की नीतियां एवं उनका प्रभाव - (September 2022)
26 अप्रैल, 1798 को सर जॉन शोर के पश्चात वेलेज़ली को भारत का गवर्नर जनरल बनाया गया। वेलेजली ने अपनी विस्तारवादी नीतियों के आधार पर अंग्रेजी साम्राज्य को विस्तृत करने का लक्ष्य निर्धारित किया। वेलेजली को भारत में उनके द्वारा लागू की गई सहायक संधि के कारण व्यापक प्रसिद्धि प्राप्त है। हालांकि, भारत में सहायक संधि का सर्वप्रथम प्रयोग फ्रांसीसी
उग्र राष्ट्रवाद तथा स्वतंत्रता आन्दोलन में इसकी भूमिका - (September 2022)
ब्रिटिश नीतियों से मोहभंग होने के बाद भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा राजनीति के एक नए मार्ग का चयन किया गया जिसे भारतीय इतिहास में उग्र-राष्ट्रवाद के रूप में जाना जाता है। इसका आरंभ 19वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों से हुआ तथा 1905 के बंग-भंग आंदोलन के समय इसने अपने पूर्ण रूप को प्राप्त कर लिया। उग्र राष्ट्रवाद की विचारधारा ने
सूफी आन्दोलन का समाज एवं संस्कृति पर प्रभाव - (September 2022)
सूफी आंदोलन का संबंध इस्लाम धर्म में एक सुधार आंदोलन से है। इस आंदोलन ने स्वतंत्र सोच के साथ-साथ सहिष्णुता तथा उदार विचारों को को बढ़ावा दिया। सूफी संतों ने धर्म के नाम पर लोगों के उत्पीड़न, रूढ़िवादिता एवं मन की संकीर्णता का व्यापक विरोध किया। इस आंदोलन के प्रचारक सभी मनुष्यों की समानता में विश्वास करते थे। यह आंदोलन
प्रवासी भारतीयों का सामाजिक तथा आर्थिक योगदान - (July 2022)
प्रवासी भारतीयों के अंतर्गत अनिवासी भारतीय (Non-Resident Indian-NRI), भारतीय मूल के व्यक्ती (Person of Indian Origin-PIO) और विदेशी भारतीय नागरिकता (Overseas Citizenship of India - OCI) वाले व्यक्तीयों को शामिल किया जाता है। प्रवासी भारतीयों का सामाजिक योगदान भारत एवं प्रवास करने वाले देश के लिए अमूल्य होता है। भारत से अन्य देश की ओर प्रवसन कई लोग रोजगार की प्राप्ति
वैश्विक भू-राजनीतिक परिवर्तन एवं भारत - (July 2022)
पिछले कुछ वर्षों में विश्व स्तर पर कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम घटित हुए हैं, जो क्षेत्रीय और वैश्विक भू-राजनीति की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव की ओर इशारा कर रहे हैं। इसके कारण विश्व स्तर पर अनिश्चितता और अस्थिरता का माहौल बना हुआ है। विश्व स्तर पर घटित कुछ हालिया घटनाक्रम क्वाड (QUAD) का गठनः हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा संबंधी चिंताओं को संबोधित
भारत-बांग्लादेश संबंध - (July 2022)
बांग्लादेश भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति का एक प्रमुख स्तंभ है। पिछले दो दशक में, भारत-बांग्लादेश द्विपक्षीय संबंध सहयोग के एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं। ये संबंध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों से आगे बढ़कर व्यापार, संपर्क, ऊर्जा और रक्षा के क्षेत्रों में अधिक आत्मसात हो रहे हैं।वर्तमान में सहयोग के क्षेत्र आर्थिक सहयोगः बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत
भारत-चीन सीमा विवाद - (August 2022)
भारत तथा चीन 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। इसका निर्धारण स्वतंत्रता पूर्व सर हेनरी मैकमोहन द्वारा किया गया था। उन्हीं के नाम पर इसे मैकमोहन रेखा के नाम से जाना जाता है। दुर्भाग्य से इन दोनों देशों के मध्य स्थित लगभग संपूर्ण सीमा विवादित है। जून 2020 में गलवान घाटी में भारत-चीन के सेनाओं के बीच हिंसक संघर्ष देखने
हिन्द-प्रशांत में भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी - (August 2022)
फरवरी 2022 में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा हिन्द-प्रशांत रणनीति 2022 (Indo-Pacific Strategy 22) जारी की गई। अमेरिका की हिन्द-प्रशांत रणनीति (आईपीएस) सम्पूर्ण हिन्द-प्रशांत क्षेत्र को खुला एवं मुक्त (Open and free), बनाने का लक्ष्य रखती हैं। इस रणनीति के तहत अमेरिका इस क्षेत्र में भारत को एक प्रमुख सहयोगी के तौर पर देखता है। वास्तव में चीन के उदय के पश्चात भारत-अमेरिका
भारत-यूएई व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता - (August 2022)
28 मार्च, 2022 को केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की यात्रा के दौरान आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA) की घोषणा की। भारत-यूएई सीईपीए पिछले एक दशक में किसी भी देश के साथ भारत द्वारा हस्ताक्षरित पहला गहरा एवं पूर्ण मुक्त व्यापार समझौता है। भारत और संयुक्त
ब्रिक्स समूह: प्रासंगिकता एवं भविष्य - (August 2022)
13वें ‘ब्रिक्स वर्चुअल शिखर सम्मेलन’ (BRICS Virtual Summit) की अध्यक्षता भारत द्वारा की गई। ब्रिक्स (BRICS), विश्व की 5 उभरती अर्थव्यवस्थाओं (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के समूहीकरण (Grouping) का संक्षिप्त नाम है। ब्रिक्स, विश्व की 5 उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एक मंच पर लाता है, जो वैश्विक जनसंख्या का 41%, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 24%, वैश्विक व्यापार का
ब्रिक्स : वैश्विक शांति और समृद्धि के निर्माण में भूमिका - (September 2022)
ब्रिक्स (BRICS), विश्व की 5 उभरती अर्थव्यवस्थाओं (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के समूहीकरण (Grouping) का संक्षिप्त नाम है। ब्रिक्स देशों की जनसंख्या, भौगोलिक विस्तार तथा आर्थिक विकास की तीव्र गति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि विश्व की नीतियों के निर्धारण में ब्रिक्स एक निर्णायक भूमिका का निर्वहन कर सकता है। उत्तरी अमेरिका तथा यूरोप
भारत और यूरोपीय संघ संबंध : वर्तमान स्थिति और मुद्दे - (September 2022)
यूरोप तथा भारत के बीच संबंधों की शुरूआत 1962 में हुई, जब भारत ने यूरोपीय संघ से कुटनीतिक संबंध स्थापित किए। उस समय इसे यूरोपीय आर्थिक समुदाय के रूप मे जाना जाता था। भारत, यूरोपीय आर्थिक समुदाय (European Economic Community) के साथ राजनयिक संबंध विस्थापित (Diplomatic relations) करने वाला प्रथम देश रहा है। यूरोपीय संघ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार
परमाणु निरस्त्रीकरण : चुनौती तथा भारत की भूमिका - (September 2022)
भारत, वैश्विक स्तर पर परमाणु हथियारों को समाप्त करने के पूर्ण उन्मूलन का समर्थन करता है| इसके लिए भारत द्वारा चरण-दर-चरण प्रक्रिया के माध्यम से परमाणु हथियारों को विश्व से समाप्त की रणनीति अपनाने की अनुसंशा की जाती है| भारत ने 2007 में संपन्न निरस्त्रीकरण सम्मेलन (Conference on Disarmament) में परमाणु निरस्त्रीकरण पर कार्य पत्र (Working Paper on Nuclear Disarmament) प्रस्तुत
वैश्विक शासन का लोकतंत्रीकरण : महत्व और चुनौतियां - (September 2022)
वैश्विक शासन (Global governance) के अंतर्गत उन वैश्विक संस्थानों, नीतियों, मानदंडों, प्रक्रियाओं और पहलों की समग्र रूप से समाहित किया जाता है जिसके माध्यम से विभिन्न राज्य और उनके नागरिक अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों से निपटने का प्रयास करते हैं।वैश्विक शांति एवं स्थिरता के लिए यह आवश्यक है कि वैश्विक संस्थानों को लोकतांत्रिक तरीके से संचालन किया जाए| इसके साथ ही इनके
बिहार की नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने की नीति पर प्रकाश डालिए तथा राज्य में नवीकरणीय ऊर्जा की संभावनाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। - (December 2022)
गैर परम्परागत ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार ने 2017 में नवीकरणीय ऊर्जा नीति को लागू किया था, जो वर्तमान समय में भी लागू है। नवीन नवीकरणीय ऊर्जा नीति को लाने के साथ ही बिहार सरकार ने नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़ी परियोजनाओं को उद्योग का दर्जा दिया था। बिहार की नवीन नवीकरणीय ऊर्जा नीति की विशेषताएं यह नीति 5 वर्ष
बिहार में उद्योग के विकास की अपार संभावनाएं हैं। बिहार सरकार द्वारा उद्योगों के विकास हेतु उठाए गए कदमों की चर्चा करते हुए प्रमुख चुनौतियों का वर्णन करें। - (December 2022)
भूमिकाः 1947 से पूर्व बिहार एक महत्वपूर्ण औद्योगिक राज्य था। बिहार में महत्वपूर्ण उद्योग जैसे इस्पात, सीमेंट, चीनी, जूट, कागज, कृषि प्रसंस्करण जैसे उद्योग अपनी जड़ें जमा चुके थे। स्वतंत्रता पश्चात वृहद उद्योगों की स्थापना हुई। इस्पात (बोकारो), खाद्य (सिंदरी), तेल शोधन (बरौनी), दवा (मुजफ्रफरपुर) आदि। बंटवारे के बाद अधिकांश खनिज संसाधन, जो दक्षिणी बिहार में अवस्थित थे, झारखण्ड में चले
बिहार में पाश्चात्य शिक्षा के विकास का आलोचनात्मक परीक्षण करें। - (December 2022)
शिक्षा के क्षेत्र में प्राचीन काल से ही गौरवशाली अतीत रहा है। प्राचीन भारत में नालंदा विश्वविद्यालय, विक्रमशिला ओदंतपुरी जैसे सुप्रसिद्ध शिक्षा के केंद्र रहे हैं। आधुनिक शिक्षा का विकास 19वीं सदी के दूसरे दशक से प्रारंभ हुआ। पाश्चात्य शिक्षा के विकास का उद्देश्य अंग्रेजी भाषा में शिक्षा प्रदान करना था। 1835 से 1860 तक 1835 से पाश्चात्य शिक्षा का विकास होता
राज्यपाल की शक्तियां एवं भूमिका की चर्चा बिहार के विशेष संदर्भ में कीजिए। - (December 2022)
राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है तथा राज्य की संपूर्ण कार्यकारी शक्तियां राज्यपाल में निहित होती है; जिनका प्रयोग मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली मंत्रिमण्डल की सलाह पर करता है। अनुच्छेद 155 के तहत राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है तथा अनुच्छेद 156 के तहत राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त पद धारण करता है। राज्यपाल केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप
बिहार की राजनीति में जाति एवं धर्म की भूमिका का विश्लेषण कीजिए। - (December 2022)
बिहार में धर्म एवं जाति राजनीति के समानान्तर चलते रहे हैं। इसलिए धर्म एवं जाति व्यवस्था ने राजनीति पर गहरा प्रभाव डाला है। स्वतंत्रता के बाद से वर्तमान समय तक कई ऐसे अवसर आए, जब बिहार के चुनाव में धर्म एवं जाति के मुद्दे हावी रहे। बिहार ही नहीं, भारत के अधिकांश जगहों पर मतदाता राजनीतिक मुद्दों को जातीय
स्वामी सहजानंद का बिहार में कृषक आन्दोलनों में योगदान पर आलोचनात्मक टिप्पणी। - (December 2022)
अंग्रेजों के शोषण नीतियों के कारण किसान अपनी ही भूमि पर भूमिहीन मजदूर में बदल गए, किन्तु 1930 के दशक में भारतीय किसानों में एक नया राष्ट्रवादी जागरण आया। इस जागरण का परिणाम हम भारत समेत बिहार में किसान आन्दोलनों के अभ्युदय के रूप में देखते हैं। बिहार में किसान आन्दोलनों का प्रारंभ 1917 में चंपारण में महात्मा गांधी के प्रथम
बिहार में तीव्र आर्थिक विकास में क्या बाधाएं हैं एवं उनका समाधान किस प्रकार किया जा सकता है? - (December 2022)
स्वतंत्रता के समय प्रति व्यक्ति आय के आधार पर बिहार का स्थान पांचवां था, किन्तु 1970 के दशक आते-आते यह निम्न स्थान पर चला गया। जब झारखंड अलग हुआ तो विशाल उपभोक्ता समूह बिहार एवं राजस्व के स्रोत झारखंड में चले गए। इन्हीं के आलोक में हम आर्थिक विकास प्रमुख बाधाओं को देखेंगे- जनसंख्या वृद्धिः वर्तमान में बिहार की कुल प्रजनन
निम्न पर टिप्पणी लिखें: (i) बिहार में दलित आन्दोलन। (ii) राजेन्द्र प्रसाद की राष्ट्रीय आन्दोलन में भूमिका। - (December 2022)
(i) बिहार में दलित आन्दोलन दलित आन्दोलन का सामान्य अर्थ है दलित जनता, जो सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक रूप से समाज के हाशिए पर जीवन-यापन कर रही है। उनके समग्र उत्थान के लिए संगठित प्रयास करना। बिहार में दलित आन्दोलन को दो चरणों में देख सकते हैं- स्वतंत्रता पूर्व के अान्दोलन, स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के आन्दोलन। स्वतंत्रता पूर्वः भारत के अन्य प्रान्तों की
1857 के विद्रोह में कुंवर सिंह के बिहार तथा अन्य क्षेत्रें में सक्रिय भूमिका का मूल्यांकन करें। - (December 2022)
1857 की क्रांति का भारतीय इतिहास में अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है। अंग्रेजों के साम्राज्यवादी विस्तार की महत्वाकांक्षा के कारण जनता में असंतोष का भाव विद्यमान था, जिसकी परिणति हमें एक सशस्त्र जनविद्रोह के रूप में देखने को मिलता है; जो भारत के अन्य भागों सहित बिहार में देखने को मिलता है। इस क्रांति में वीर कुंवर सिंह की भूमिका अविस्मरणीय
मौर्य कला का भवन निर्माण तथा बौद्ध धर्म के साथ संबंध की विवेचना करें। - (December 2022)
मौर्य कला पर तत्कालीन राजनैतिक तथा धार्मिक प्रभाव स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है। मौर्य कला के साक्ष्य बिहार में पटना, राजगीर, गया आदि स्थानों से प्राप्त होते हैं, जिसे हम दो भागों में विभाजित कर सकते हैं- राजकीय कलाः ऐसी कला जिसका निर्माण राजकीय संरक्षण में हुआ है; जैसे राजप्रसाद, स्तंभ, स्तूप आदि। लोक कलाः स्वतंत्र कलाकारों द्वारा कलाकृतियों का निर्माण
बिहार सरकार द्वारा औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए किये जा रहे नीतिगत प्रयासों का उल्लेख कीजिए। - (January 2023)
स्वतंत्रता के समय बिहार औद्योगिक रूप से देश के समृद्ध राज्यों में से एक था, मगर बाद के काल में सरकार की अनुचित नीतियों के कारण बिहार भारत के सबसे कम औद्योगीकृत राज्यों में से एक है। इस समस्या के समाधान के लिए बिहार सरकार द्वारा औद्योगिक विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है तथा इसी क्रम में बिहार स्टार्टअप
बिहार के विशेष संदर्भ में, राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र की आवश्यकता तथा चुनौती पर प्रकाश डालिए। - (January 2023)
राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र से तात्पर्य पार्टी के ढांचे के भीतर विभिन्न मुद्दों पर निर्णय लेने और विचार-विमर्श में पार्टी के सदस्यों को शामिल करने के स्तर और तरीकों को संदर्भित करता है। वर्तमान बिहार में विभिन्न राजनीतिक दलों पर नजर डालें तो हम पाते हैं कि लगभग सभी राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र की कमी पाई जाती है। राजनीतिक
19वीं सदी के प्रारंभ से बिहार में किए गए धार्मिक एवं समाज सुधार से संबंधित विभिन्न प्रयासों की चर्चा कीजिए। - (January 2023)
देश में ब्रिटिश शासन की स्थापना के समय से लेकर 1912 तक बिहार और बंगाल संयुक्त रूप से बंगाल प्रेसिडेंसी का हिस्सा रहा था। इस कारण बिहार में होने वाले धार्मिक एवं सामाजिक सुधार पर बंगाल के महान व्यक्तित्वों तथा गठित संगठनों का अत्यधिक प्रभाव था। ब्रह्म समाज के संस्थापक राजा राममोहन राय थे। इन्होंने उर्दू एवं फारसी की शिक्षा पटना
बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था में भारत के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों तथा संभावनाओं का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। - (January 2023)
21वीं सदी की शुरुआत के बाद से वैश्विक स्थिति में बदलाव देखने को मिला है। मुख्य रूप से इसका कारण आर्थिक महाशक्ति के रूप में चीन का उभरना है। विश्व अब एक-ध्रुवीय अमेरिकी वर्चस्व से बहु-ध्रुवीय अमेरिकी तथा चीन प्रभावित व्यवस्था के रूप में बदल रही है। बहुध्रुवीय होती वैश्विक व्यवस्था भारत के समक्ष चुनौतियों के साथ ही भारत के
किसी भी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के आधार और लाभ का उल्लेख कीजिए? बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के समक्ष बाधाओं की चर्चा कीजिए। - (January 2023)
विशेष राज्य के दर्जे की अवधारणा को विकसित करने का श्रेय तत्कालीन योजना आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. गॉडगिल मुखर्जी को दिया जाता है। इसके द्वारा केंद्र सरकार ने विभिन्न छूट तथा प्रोत्साहनों के मध्यम से देश में क्षेत्रीय विकास में असमानता को दूर करने का प्रयास किया। विशेष राज्य का दर्जा ऐसे क्षेत्रों को दिया जाता था, जो ऐतिहासिक कारणों से
निम्नलिखित पर संक्षित्प टिप्पणी लिखिएः बिहार में संवैधानिक प्रगति, बिहार में किसान आन्दोलन, चंपारण सत्याग्रह एवं गांधीजी - (January 2023)
बिहार में संवैधानिक प्रगति 1912 में बंगाल से अलग कर बिहार प्रांत का गठन किया गया, वर्ष 1919 का भारत सरकार अधिनियम लागू हुआ तथा प्रांतों में द्वैध शासन की व्यवस्था की गई। बिहार में 29 दिसंबर, 1920 से यह आरंभ हुआ तथा इसी दौरान बिहार में प्रथम भारतीय गर्वनर के रूप में सत्येन्द्र प्रसाद सिन्हा ने पद ग्रहण किया। 1935 के
बिहार में भारत छोड़ो आन्दोलन के क्रमिक उद्भव एवं व्यापकता की चर्चा कीजिए। - (January 2023)
द्वितीय विश्व युद्ध की प्रगति, उससे उत्पन्न परिस्थितियों, गहराते आर्थिक संकट तथा 1942 में क्रिप्स मिशन की असफलता की पृष्ठभूमि में महात्मा गांधी ने 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन की घोषणा की। गांधीजी द्वारा घोषित इस आन्दोलन का व्यापक प्रभाव और प्रसार बिहार में देखा गया। 31 जुलाई, 1942 को राजेन्द्र प्रसाद ने बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी की एक विशेष बैठक
शंघाई सहयोग संगठन के लक्ष्य एवं उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिए। भारत के लिये प्रासंगिकता का उल्लेख कीजिए। - (January 2023)
शंघाई सहयोग संगठन या एससीओ एक स्थायी अंतर सरकारी अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसकी उत्पत्ति ‘शंघाई फाइव’ (Shanghai-5) से हुई है। यह एक बहुपक्षीय मंच (Multilateral Plateform) है, जिसकी स्थापना 1996 में शंघाई में पांच देशों, चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान द्वारा की गई थी। 2017 में, भारत को शंघाई सहयोग संगठन का पूर्णकालिक सदस्य बनाया गया। शंघाई सहयोग संगठन के
देश में निर्वाचन संपन्न कराने में आयोग की भूमिका का उल्लेख कीजिए। वर्तमान बदलती राजनीतिक परिदृश्य में चुनाव आयोग में आवश्यक बदलाव की समीक्षा कीजिए। - (January 2023)
भारतीय निर्वाचन आयोग को प्रचलित रूप से चुनाव आयोग कहा जाता है। यह एक स्वायत्त एवं अर्द्ध-न्यायिक संस्थान है, जिसका गठन भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से भारत के प्रतिनिधिक संस्थानों में प्रतिनिधि चुनने के लिए किया गया है। भारतीय चुनाव आयोग की स्थापना 25 जनवरी, 1950 को की गयी थी। भारतीय लोकतन्त्र के लिए यह सबसे मूल्यवान संस्थानों में
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से आप क्या समझते हैं? भारतीय अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने में इसकी भूमिका पर प्रकाश डालिए। - (January 2023)
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या एआई कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम की शाखा है, जो मशीनों को इंसानों की तरह सोचने, विचार करने, सीखने, समस्या हल करने और निर्णय जैसे कार्यों को करने की क्षमता प्रदान करती है। एआई शब्द का आधिकारिक तौर पर पहली बार प्रयोग जॉन मैकार्थी द्वारा 1956 में हनोवर के डार्टमाउथ कॉलेज द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में किया गया
सार्वजनिक सेवा में नैतिक सत्यनिष्ठा का निर्माण : निष्पक्षता और गैर-पक्षपात की भूमिका - (September 2024)
निष्पक्षता और गैर-पक्षपात सार्वजनिक सेवा में मूलभूत सिद्धांत हैं जो नैतिक सत्यनिष्ठा, निष्पक्षता और पारदर्शिता को बनाए रखते हैं। वे सुनिश्चित करते हैं कि सिविल सेवक व्यक्तिगत या राजनीतिक विचारों से ऊपर सार्वजनिक हित को प्राथमिकता दें, सरकारी संस्थानों में विश्वास को बढ़ावा दें और प्रभावी शासन को बढ़ावा दें। निष्पक्षता और गैर-पक्षपात का महत्व नैतिक शासन : निष्पक्ष निर्णय लेना : निष्पक्षता
आधुनिक समाज में स्वामी विवेकानंद के नैतिक दर्शन की प्रासंगिकता - (September 2024)
आधुनिक भारत के एक प्रमुख आध्यात्मिक नेता और दार्शनिक स्वामी विवेकानंद ने गहन नैतिक सिद्धांतों को व्यक्त किया जो वर्तमान समाज के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। आध्यात्मिकता, मानवतावाद और सामाजिक सुधार पर उनकी शिक्षाएं नैतिक दुविधाओं और सामाजिक चुनौतियों को संबोधित करने में कालातीत अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं। स्वामी विवेकानंद के नैतिक दर्शन के मूल सिद्धांत विश्व बंधुत्व : विवेकानंद ने धार्मिक, सांस्कृतिक
सिविल सेवाओं के आधारभूत मूल्य: उनकी प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के उपाय - (September 2024)
सिविल सेवाएं शासन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जिनका काम नीतियों को लागू करना, सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करना और कानून के शासन को बनाए रखना है। उनके कामकाज के केंद्र में वे आधारभूत मूल्य हैं जो नैतिक आचरण, व्यावसायिकता और सार्वजनिक विश्वास का मार्गदर्शन करते हैं। सिविल सेवाओं के आधारभूत मूल्य अखंडता : सत्यनिष्ठा सिविल सेवा नैतिकता की आधारशिला है, जिसमें निर्णय
पर्यावरणीय नैतिकता में जैवकेन्द्रवाद - (September 2024)
जैवकेन्द्रवाद (Biocentrism) पर्यावरण नैतिकता के भीतर एक दार्शनिक दृष्टिकोण है जिसके अनुसार सभी जीवित जीवों का आंतरिक मूल्य होता है तथा उन्हें मानव उद्देश्यों के साधन के बजाय अपने आप में लक्ष्य माना जाता है। यह नैतिक ढांचा मानव-केंद्रितता के विपरीत है, जो अन्य सभी प्रजातियों से ऊपर मानव हितों को प्राथमिकता देता है। जैवकेन्द्रवाद के सिद्धांत जीवन का आंतरिक मूल्य
जैव नैतिकता और इसका महत्व - (September 2024)
जैव नैतिकता (Bioethics) एक बहुविषयक क्षेत्र है जो जीव विज्ञान, चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा में प्रगति से उत्पन्न नैतिक मुद्दों को संबोधित करता है। इसमें चिकित्सा अनुसंधान, नैदानिक अभ्यास, जैव प्रौद्योगिकी और व्यक्तियों, समाज और पर्यावरणीय मुद्दों के निहितार्थों से संबंधित नैतिक विचार शामिल हैं। जैव नैतिकता के सिद्धांत स्वायत्तता का सम्मान सूचित सहमति: जैव नैतिकता प्रासंगिक जानकारी के पूर्ण प्रकटीकरण के
सेलिब्रिटी विज्ञापन के नैतिक आयाम - (September 2024)
सेलिब्रिटी विज्ञापन आधुनिक विपणन रणनीतियों की एक सर्वव्यापी विशेषता बन गए हैं, जो उत्पादों और ब्रांडों को बढ़ावा देने के लिए मशहूर हस्तियों की प्रसिद्धि और प्रभाव का लाभ उठाते हैं। हालाँकि, यह अभ्यास पारदर्शिता, विश्वसनीयता और सामाजिक जिम्मेदारी से संबंधित महत्वपूर्ण नैतिक मुद्दे उत्पन्न करता है। सेलिब्रिटी विज्ञापनों से संबंधित नैतिक आयाम पारदर्शिता और प्रकटीकरण प्रामाणिकता : उपभोक्ता विज्ञापनों को सेलिब्रिटी
नैतिक सापेक्षवाद बनाम नैतिक सार्वभौमिकता - (September 2024)
नैतिक सापेक्षवाद और नैतिक सार्वभौमिकता, नैतिकता और नैतिक सिद्धांतों की प्रकृति पर विपरीत दार्शनिक दृष्टिकोणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। नैतिक सापेक्षवाद नैतिक सापेक्षवाद का मानना है कि नैतिक निर्णय सांस्कृतिक, सामाजिक, ऐतिहासिक या व्यक्तिगत संदर्भों के सापेक्ष होते हैं। यह सुझाव देता है कि कोई सार्वभौमिक या वस्तुनिष्ठ नैतिक सत्य नहीं है जो सभी लोगों, संस्कृतियों या स्थितियों पर लागू हो। इसके
नैतिक मूल्य और नैतिक नेतृत्व - (September 2024)
नैतिक मूल्य और नैतिक नेतृत्व आधारभूत सिद्धांत हैं जो व्यक्तियों, संगठनों और समाजों का सैद्धांतिक व्यवहार, अखंडता और जनकल्याण की ओर मार्गदर्शन करते हैं। नैतिक नेतृत्व में नैतिक मूल्यों का महत्व नैतिक नेतृत्व को परिभाषित करना सत्यनिष्ठा और ईमानदारी : नैतिक नेतृत्वकर्ता अपने शब्दों और कार्यों के बीच स्थिरता प्रदर्शित करते हैं तथा चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी नैतिक सिद्धांतों को कायम रखते
सोशल मीडिया से संबंधित नैतिक मुद्दे और चुनौतियां - (September 2024)
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आधुनिक संचार का अभिन्न अंग बन गए हैं, जो सार्वजनिक चर्चा, सामाजिक संबंधों और यहां तक कि राजनीतिक परिदृश्य को भी प्रभावित करते हैं। हालाँकि, सोशल मीडिया का व्यापक उपयोग महत्वपूर्ण नैतिक मुद्दे और चुनौतियां भी उठाता है जो व्यक्तियों, समाज और शासन को प्रभावित करते हैं। सोशल मीडिया से संबंधित नैतिक मुद्दे गोपनीयता और डेटा संरक्षण : डेटा संग्रहण प्रथाएं
निर्णय निर्माण में AI की भूमिका: प्रशासन पर प्रभाव - (September 2024)
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) सार्वजनिक प्रशासन सहित विभिन्न क्षेत्रों में निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है। निर्णय निर्माण में एआई की भूमिका डेटा-संचालित अंतर्दृष्टि : विश्लेषण और पूर्वानुमान : एआई एल्गोरिदम पैटर्न, रुझान और सहसंबंधों की पहचान करने के लिए विशाल मात्रा में डेटा का विश्लेषण कर सकते हैं जिन्हें मानव विश्लेषक अनदेखा कर सकते हैं। यह क्षमता निर्णय लेने
प्रशासनिक प्रभावशीलता और सार्वजनिक विश्वास पर शासन में ईमानदारी का प्रभाव - (September 2024)
शासन में ईमानदारी, जिसे लोक प्रशासन में सत्यनिष्ठा और नैतिक सिद्धांतों के पालन के रूप में परिभाषित किया जाता है, प्रशासनिक प्रभावशीलता को आकार देने और जनता के विश्वास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शासन में ईमानदारी का महत्व नैतिक आचरण और जवाबदेही: ईमानदारी यह सुनिश्चित करती है कि सरकारी अधिकारी अपनी निर्णय लेने की प्रक्रिया में ईमानदारी और
प्लेटो की शिक्षाएं और सार्वजनिक निर्णय लेने में इसका महत्व - (September 2024)
प्रसिद्ध प्राचीन यूनानी दार्शनिक प्लेटो की विचारधारा शासन और सार्वजनिक नीति के क्षेत्र में वर्तमान में भी प्रासंगिक बनी हुई है। उनकी दार्शनिक शिक्षाएं, मुख्य रूप से "द रिपब्लिक" जैसी उनकी रचनाओं में व्यक्त की गई हैं, जो आज सार्वजनिक निर्णय लेने के लिए महत्वपूर्ण प्रासंगिकता रखती हैं। सार्वजनिक निर्णय लेने में प्रासंगिकता प्लेटो की शिक्षाएं सार्वजनिक निर्णय लेने के लिए गहन
भारत की व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की आवश्यकता - (September 2024)
भारत को अपने सम्पूर्ण सुरक्षा वातावरण को मजबूत करने के लिए व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की आवश्यकता है। देश विभिन्न प्रकार के सुरक्षा खतरों और जटिल वैश्विक परिस्थितियों का सामना कर रहा है। एक समग्र और समन्वित रणनीति, जिसमें भौगोलिक, तकनीकी, कूटनीतिक, और सामाजिक पहलुओं को शामिल किया जाए, देश की सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने में सहायक हो सकती है। आवश्यकता भौगोलिक
भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा में सेमीकंडक्टर की भूमिका - (September 2024)
सेमीकंडक्टर ऐसी सामग्री है जिसमें चालकता सुचालक और कुचालक के बीच होती है। वे शुद्ध तत्त्व सिलिकॉन या जर्मेनियम या गैलियम, आर्सेनाइड या कैडमियम सेलेनाइड के यौगिक हो सकते हैं। सेमीकंडक्टर चिप्स आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी उत्पादों के बुनियादी निर्माण खंड हैं । ये चिप्स अब ऑटोमोबाइल, घरेलू गैजेट्स और ECG मशीनों जैसे आवश्यक चिकित्सा उपकरणों का एक अभिन्न
आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना : आवश्यकता एवं पहल - (September 2024)
आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना में महत्वपूर्ण इमारतें, सार्वजनिक सामुदायिक सुविधाएं, परिवहन प्रणालियां, दूरसंचार और बिजली प्रणालियां शामिल हैं, जिन्हें बाढ़, भूकंप या जंगल की आग जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को झेलने के लिए रणनीतिक रूप से डिजाइन किया गया है। भारत एक भौगोलिक रूप से विविध देश है, जो विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, बाढ़, सूखा, चक्रवात आदि से
भारत में भूस्खलन: कारण और परिणाम - (September 2024)
भूस्खलन (Landslide) एक भूवैज्ञानिक घटना है जिसमें शैल, मिट्टी और मलबे के एक भाग का नीचे की ओर खिसकना या संचलन शामिल होता है। यह संचलन छोटे एवं स्थानीय बदलावों से लेकर बड़े एवं विनाशकारी घटनाओं तक भिन्न-भिन्न पैमाने का हो सकता है। कारण ढाल की अस्थिरता: पहाड़ों और ढलानों की अस्थिरता भूस्खलन का एक प्रमुख कारण है। ढलानों की संरचनात्मक कमजोरी
बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली: भारत की क्षमताएं - (September 2024)
पड़ोसी देशों से संभावित बैलिस्टिक मिसाइल खतरों का सामना कर रहे भारत ने सक्रिय रूप से एक मजबूत बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा (BMD) प्रणाली विकसित करने का प्रयास किया है। यहाँ भारत की वर्तमान क्षमताओं और भविष्य की आकांक्षाओं का विवरण दिया गया है: मौजूदा तंत्र: दो-स्तरीय दृष्टिकोण: भारत की बीएमडी प्रणाली एक स्तरित संरचना है जिसमें दो इंटरसेप्टर मिसाइलें शामिल हैं: पृथ्वी
कृषि का रूपांतरण: उभरती प्रौद्योगिकियों की भूमिका - (September 2024)
उभरती हुई प्रौद्योगिकियों के कारण कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन हो रहा है। ये नवाचार खेती के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव ला रहे हैं, जिसका उद्देश्य दक्षता, स्थिरता और समग्र उत्पादन को बढ़ाना है। कृषि परिदृश्य को रूपांतरित करने वाली कुछ प्रमुख प्रौद्योगिकियां इस प्रकार है: सटीक कृषि (Precision Agriculture): डेटा का उपयोग: उपग्रह इमेजरी, ड्रोन और सेंसर नेटवर्क जैसी तकनीकें मिट्टी
अन्य देशों के साथ भारत का अंतरिक्ष सहयोग: लाभ और उपलब्धियां - (September 2024)
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नेतृत्व में भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम अपनी स्थापना के बाद से ही सक्रिय रूप से अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए प्रयासरत रहा है। यह सहयोगात्मक दृष्टिकोण कई लाभ प्रदान करता है और इससे महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल हुई हैं। अंतरिक्ष सहयोग के लाभ: प्रौद्योगिकी विनिमय और हस्तांतरण: सहयोग से भारत को अंतरिक्ष-यात्रा करने वाले अन्य देशों की उन्नत प्रौद्योगिकियों
गहरे समुद्र में अन्वेषण: भारत की प्रगति और चुनौतियां - (September 2024)
डीप ओशन मिशन (DOM) पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) की पहल है जिसका उद्देश्य गहरे समुद्र में अन्वेषण के लिए प्रौद्योगिकियों और क्षमताओं का विकास करना है। भारत का डीप ओशन मिशन (DOM) समुद्र की गहराई का पता लगाने और उसका दोहन करने का एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है। डीप ओशन मिशन प्रधानमंत्री की विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद (PMSTIAC) के तहत
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में नैनो प्रौद्योगिकी की भूमिका - (September 2024)
नैनो प्रौद्योगिकी के अंतर्गत पदार्थों की संरचना का नैनोमीटर (1-100 नैनोमीटर) स्तर पर अध्ययन किया जाता है। यहजलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इसके कई संभावित अनुप्रयोग हैं जो पर्यावरणीय प्रभाव को कम कर सकते हैं और स्थिरता को बढ़ावा दे सकते हैं। जलवायु परिवर्तन : नैनो प्रौद्योगिकी की भूमिका वृक्षारोपण और काष्ठ संरक्षण: नैनोप्रौद्योगिकी का
साइबर हमले: भारत के डिजिटलीकरण के लिए चुनौतियां - (September 2024)
साइबर हमले से तात्पर्य किसी नेटवर्क, कंप्यूटर सिस्टम या डिजिटल डिवाइस तक अनधिकृत पहुंच के माध्यम से डेटा, एप्लिकेशन या अन्य परिसंपत्तियों को चुराने, बदलने, अक्षम करने या नष्ट करने के प्रयास से है। भारत के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया में साइबर हमले महत्वपूर्ण चुनौती बन गए हैं। साइबर सुरक्षा उपायभारत के डिजिटलीकरण और आर्थिक विकास की सुरक्षा के लिए अनिवार्य है। डिजिटलीकरण
अक्षय ऊर्जा में भारत की वर्तमान उपलब्धियां - (September 2024)
भारत ने अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है और दुनिया में एक अग्रणी नेतृत्वकर्ता के रूप में उभर रहा है। अक्षय उर्जा, ऊर्जा का ऐसा विकल्प है जो असीम (limitless) है। ऊर्जा का पर्यावरण से सीधा सम्बन्ध है। ऊर्जा के परम्परागत साधन (कोयला, गैस, पेट्रोलियम आदि) सीमित मात्रा में होने के साथ-साथ पर्यावरण के लिये हानिकारक हैं। वर्तमान उपलब्धि स्थापित
हीट वेव: कारण, प्रभाव और परिणाम - (September 2024)
हीट वेव असामान्य रूप से उच्च तापमान (abnormally high temperatures) की अवधि है, जिसमे तापमान ‘सामान्य अधिकतम तापमान’ (normal maximum temperature) से अधिक होता है। किसी मैदानी क्षेत्र का अधिकतम तापमान कम से कम 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक होने पर हीट वेव माना जाता है। वहीं पहाड़ी क्षेत्रों के लिए तापमान 30 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तक पहुंच
भारतीय शहरों में जलवायु संधारणीयता का विकास - (September 2024)
भारतीय शहरों में जलवायु संधारणीयता विकसित करना एक महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण कार्य है, जिसमें शहरीकरण, औद्योगिकीकरण, जनसंख्या वृद्धि और पर्यावरण संरक्षण के संतुलन को ध्यान में रखना आवश्यक है। तेजी से बढ़ते भारतीय शहरों को जलवायु संवहनीयता की दिशा में अग्रसर करने के लिए नीतिगत सुधार, नवाचार, और सामुदायिक भागीदारी की आवश्यकता है। प्रमुख चुनौतियां वायु प्रदूषण: भारतीय शहरों में वायु प्रदूषण
भारतीय हिमालयी क्षेत्र में प्लास्टिक प्रदूषण - (September 2024)
भारतीय हिमालयी क्षेत्र में प्लास्टिक प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या है, जो प्राकृतिक सौंदर्य को नुकसान पहुंचा रही है। प्लास्टिक प्रदूषण स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र, वन्यजीवों और मानव स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। प्रमुख कारण पर्यटन का प्रभाव: हिमालयी क्षेत्र में पर्यटन के बढ़ते प्रभाव के कारण प्लास्टिक कचरे की मात्रा में वृद्धि हुई है। पर्यटक प्लास्टिक बोतलें, पैकेज्ड फूड,
भारत में बांध प्रबंधन और जल सुरक्षा - (September 2024)
भारत में बांध एक महत्वपूर्ण जल संसाधन हैं जो सिंचाई, बिजली उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण और पेयजल आपूर्ति जैसे विभिन्न उद्देश्यों को पूरा करते हैं। भारत में बांध प्रबंधन और जल सुरक्षा एक अत्यंत महत्वपूर्ण और जटिल मुद्दा है। बांधों का निर्माण और उनका प्रबंधन न केवल जल आपूर्ति और सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह बाढ़ नियंत्रण, जल विद्युत उत्पादन
भारत में फार्मा क्षेत्र का विनियमन - (September 2024)
भारत दुनिया के सबसे बड़े जेनेरिक दवा निर्माता देशों में से एक है। फार्मास्युटिकल क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है और लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करता है। इस क्षेत्र के महत्व को देखते हुए, सरकार ने फार्मास्युटिकल उत्पादों की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई नियम और कानून बनाए हैं। फार्मा क्षेत्र का विनियमन न केवल
भारत की कृषि-सब्सिडी और विश्व व्यापार संगठन के मानदंड - (September 2024)
भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां कृषि क्षेत्र लाखों लोगों के लिए रोजगार का प्रमुख स्रोत है। भारत सरकार किसानों को कई तरह की सब्सिडी देती है, जैसे कि बिजली, सिंचाई, उर्वरक आदि पर। हालांकि, कृषि-सब्सिडी के संबंध में भारत की नीतियां और WTO के नियम और प्रतिबंध अक्सर बहस और विवाद का विषय रहे हैं। भारत की कृषि-सब्सिडी उर्वरक
सार्वजनिक ऋण प्रबंधन: चुनौतियां और आगे की राह - (September 2024)
सार्वजनिक ऋण किसी देश की सरकार द्वारा उधार लिए गए धन का कुल योग होता है। यह विभिन्न स्रोतों से उधार लिया जा सकता है, जैसे कि बैंक, अन्य सरकारें और आम जनता। सार्वजनिक ऋण प्रबंधन एक देश की आर्थिक स्थिरता और विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह सरकार के द्वारा उधार लिए गए ऋणों को नियंत्रित करने और
मौद्रिक नीति और गरीबी उन्मूलन: चुनौतियां और सुझाव - (September 2024)
मौद्रिक नीति और गरीबी उन्मूलन दोनों ही आर्थिक नीति के महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं, जिनका आपस में गहरा संबंध होता है। मौद्रिक नीति का उद्देश्य आर्थिक स्थिरता और वृद्धि को प्रोत्साहित करना होता है, जबकि गरीबी उन्मूलन का उद्देश्य आर्थिक और सामाजिक असमानताओं को कम करना है। चुनौतियां आर्थिक अस्थिरता और महंगाई: मौद्रिक नीति का एक प्रमुख उद्देश्य महंगाई को नियंत्रित करना होता
बेहतर पोषण के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार - (September 2024)
भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। यह लाखों लोगों को सस्ते अनाज और अन्य आवश्यक वस्तुएं प्रदान करता है। हालांकि, पीडीएस को और अधिक प्रभावी बनाने और बेहतर पोषण सुनिश्चित करने के लिए कई सुधारों की आवश्यकता है। वर्तमान समस्याएं लिकेज और भ्रष्टाचार: PDS प्रणाली में लिकेज और भ्रष्टाचार एक बड़ी
कृषि विपणन में सुधार की आवश्यकता - (September 2024)
कृषि विपणन प्रणाली भारतीय कृषि क्षेत्र की उत्पादकता, किसानों की आय, और खाद्य सुरक्षा को सीधे प्रभावित करती है। वर्तमान में, भारतीय कृषि विपणन प्रणाली विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रही है, जिनके समाधान से किसानों को बेहतर लाभ और उपभोक्ताओं को सस्ती और गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पाद मिल सकते हैं। वर्तमान समस्याएं अवसंरचना की कमी: कृषि विपणन के लिए आवश्यक अवसंरचना
FRBM अधिनियम: राजकोषीय विवेक बनाम आकस्मिक बाध्यताएं - (September 2024)
राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (FRBM) अधिनियम भारत सरकार द्वारा 2003 में पारित किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय सरकार की राजकोषीय स्थिति को सुदृढ़ करना और वित्तीय प्रबंधन में पारदर्शिता लाना है। यह अधिनियम सरकार को वित्तीय विवेक और नियंत्रण बनाए रखने के लिए नियम और मानक प्रदान करता है। राजकोषीय विवेक अनुशासन और बजट प्रबंधन: FRBM अधिनियम द्वारा निर्धारित
MSME का सुदृढ़ीकरण: अवसर और चुनौतियां - (September 2024)
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) क्षेत्र पिछले पांच दशको में भारतीय अर्थव्यवस्था में एक अत्यधिक जीवंत एवं गतिशील क्षेत्र के रूप में उभरा है। MSME न केवल रोजगार सृजन में बल्कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। अवसर रोजगार सृजन: एमएसएमई सेक्टर 110 मिलियन से ज्यादा श्रमिकों को रोज़गार के अवसर प्रदान करता है, विशेषकर
भारत-मॉरीशस: भू-रणनीतिक और भू-आर्थिक सहयोग - (September 2024)
भारत और मॉरीशस के बीच संबंध मॉरिशस के स्वतंत्र होने से पहले 1730 में शुरू हुए तथा राजनयिक संबंध 1948 में स्थापित हुए। दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंध और लंबे ऐतिहासिक संबंधों ने दोनों देशों के बीच मजबूत और सौहार्दपूर्ण संबंधों में योगदान दिया है। भू-रणनीतिक सहयोग सामरिक स्थिति: मॉरीशस हिंद महासागर में स्थित एक महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थान पर है। यह
भारत-ऑस्ट्रिया संबंध: नए क्षितिज की ओर - (September 2024)
हाल के वर्षों में भारत और ऑस्ट्रिया के बीच द्विपक्षीय संबंधों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। भारत और ऑस्ट्रिया के बीच संबंध ऐतिहासिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में काफी गहरे और विविधतापूर्ण रहे हैं। हालांकि इन संबंधों का विकास पिछले कुछ दशकों में हुआ है परंतु यह लगातार मजबूत हो रहे हैं। ऐतिहासिक संबंध औपनिवेशिक काल: भारत के ब्रिटिश शासन
कोलंबो प्रक्रिया और भारत: श्रम प्रवास की चुनौतियां और आगे की राह - (September 2024)
कोलंबो प्रक्रिया (Colombo Process) में 12 एशियाई देश शामिल हैं, यह एक क्षेत्रीय परामर्श मंच के रूप में कार्य करता है। भारत2024-26 की अवधि के लिए इस क्षेत्रीय समूह का अध्यक्ष बना है। इसका उद्देश्य दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व एशिया के उन देशों के लिये विदेशी रोज़गार से संबंधित सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना है जो प्रवासी श्रमिकों को विदेश भेजते हैं। इसके
भारत-EFTA व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौता: महत्व और निहितार्थ - (September 2024)
भारत और यूरोपीय फ्री ट्रेड एसोसिएशन (EFTA) के बीच व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौता (TEPA) पर हस्ताक्षर किया गया है। यह समझौता बहुआयामी है जो व्यापार, निवेश, और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया है। EFTA में चार देश शामिल हैं: स्विट्ज़रलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड, और लिकटेंस्टीन। समझौते का महत्व व्यापार वृद्धि: इस समझौते से भारत और EFTA देशों
IMEC: भारत के लिए रणनीतिक महत्व और कार्यान्वयन बाधाएं - (September 2024)
IMEC (India-Middle East-Europe Economic Corridor) परियोजना पर नई दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन के दौरान हस्ताक्षर किया गया । इसके 8 हस्ताक्षरकर्ता देशभारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, यूरोपीय संघ, इटली, फ़्रांस और जर्मनी हैं। इसमें रेलमार्ग, शिप-टू-रेल नेटवर्क और सड़क परिवहन मार्ग शामिल होंगे जो दो गलियारों—पूर्वी (East corridor) और उत्तरी (North corridor) के बीच फैले होंगे।
बहुध्रुवीय विश्व: भारत के लिए अवसर और चुनौतियां - (September 2024)
बहुध्रुवीय विश्व एक ऐसी दुनिया है जिसमें कई शक्तिशाली देश वैश्विक राजनीति में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। यह एक ध्रुवीय विश्व के विपरीत है, जिसमें एक ही शक्तिशाली देश दुनिया पर प्रभावी होता है। बहुध्रुवीय विश्व भारत के लिए अवसरों और चुनौतियों दोनों का मिश्रण है। भारत अपनी नीतियों को सावधानीपूर्वक तैयार करके और अपनी ताकत का उपयोग करके एक सफल
भारतीय जेलों में मासिक धर्म स्वच्छता - (September 2024)
भारत की जेलों में बंद महिलाओं के लिए मासिक धर्म स्वच्छता एक गंभीर मुद्दा है। यह मुद्दा न केवल शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ा है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और गरिमा के साथ भी जुड़ा हुआ है। इसका एक प्रमुख कारण भारतीय जेलों में हाशिये पर रहने वाली महिलाओं की ज़रूरतों को अनदेखा किया जाना है। सामाजिक पूर्वाग्रह इन महिलाओं को बुनियादी अधिकारों
LGBTQIA+ से संबंधित सामाजिक पूर्वाग्रह और कलंक: परिणाम एवं समाधान - (September 2024)
LGBTQAI+ लेस्बियन, गे, बाइसेक्शुअल, ट्रांसजेंडर, क्वीर, इंटरसेक्स और एसेक्सुअल और अन्य लोगों को संबोधित करता है। LGBTQIA+ समुदाय सदियों से सामाजिक पूर्वाग्रह और कलंक का सामना करता रहा है। समाज में व्याप्त रूढ़िवादी विचारधाराएं, धार्मिक मान्यताएं और सांस्कृतिक मानदंड अक्सर इस समुदाय के लोगों को हाशिए पर धकेल देते हैं। LGBTQIA+ से संबंधित सामाजिक पूर्वाग्रह और कलंक के परिणाम सामाजिक बहिष्कार:
भारत की वृद्ध आबादी: समावेशी सामाजिक बुनियादी ढांचे की आवश्यकता - (September 2024)
2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 104 मिलियन वृद्ध लोग (60+ वर्ष) हैं, जो कुल जनसंख्या का 8.6% है। भारत में जीवन प्रत्याशा 50 (वर्ष 1970-75) से बढ़कर लगभग 70 वर्ष (वर्ष 2014-18) हो गई है, जिसके परिणामस्वरूप वृद्धों (>60 वर्ष की आयु) की संख्या पहले ही 137 मिलियन तक पहुँच चुकी है। इसके वर्ष 2031 तक 40% वृद्धि के
आदिवासी समाज को मुख्यधारा में लाना: चुनौतियां और प्रमुख अनिवार्यताएं - (September 2024)
भारत में आदिवासी समुदाय, जो अपनी विशेष सांस्कृतिक, सामाजिक, और ऐतिहासिक पहचान के लिए जाने जाते हैं। आदिवासी समाज को मुख्यधारा में लाना (Integrating Tribal Communities into the Mainstream) एक जटिल और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है। हालांकि, भारत सरकार द्वारा विभिन्न पहल की गई हैं जिसके माध्यम से आदिवासी समाज को मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जा रहा है। चुनौतियां भाषाई बाधाएं: कई
शारीरिक स्वायत्तता बनाम भ्रूण अधिकार - (September 2024)
शारीरिक स्वायत्तता का मतलब है कि एक व्यक्ति को अपने शरीर पर पूर्ण नियंत्रण और निर्णय लेने का अधिकार है। यह अवधारणा आमतौर पर व्यक्तिगत स्वतंत्रता, निजता, और स्व-निर्णय के अधिकार से संबंधित होती है। भ्रूण अधिकार का तात्पर्य उस कानूनी और नैतिक स्थिति से है जिसमें भ्रूण या अजन्मे बच्चे के अधिकारों की रक्षा की जाती है। शारीरिक स्वायत्तता (Physical
भारत के आपराधिक कानून में बदलाव: आपराधिक न्याय प्रणाली पर प्रभाव - (September 2024)
1 जुलाई 2024 से भारत में तीन नवीन आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) प्रभावी हो गए हैं। इन कानूनों ने औपनिवेशिक युग के भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure- CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को प्रतिस्थापित किया है। आपराधिक न्याय प्रणाली पर प्रभाव कानूनी प्रक्रियाओं में सुधार: भारतीय नागरिक
डिजिटलीकरण: स्थानीय सरकारों के लिए एक गेम चेंजर - (September 2024)
डिजिटलीकरण (Digitalization) स्थानीय सरकारों के लिए एक महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी कारक साबित हो रहा है। यह तकनीकी नवाचारों और डिजिटल साधनों के माध्यम से स्थानीय शासन की कार्यक्षमता, पारदर्शिता और नागरिक सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करता है। डिजिटलीकरण एवं स्थानीय सरकार ऑनलाइन सेवाएं: डिजिटलीकरण की मदद से स्थानीय सरकारें विभिन्न सेवाओं को ऑनलाइन उपलब्ध करा सकती हैं, जैसे कि जन्म और
विकेंद्रीकृत शासन को प्रोत्साहन: छठी अनुसूची की भूमिका - (September 2024)
विकेंद्रीकृत शासन (Decentralized Governance) एक ऐसा तंत्र है जो सत्ता और उत्तरदायित्व को स्थानीय स्तर पर विभाजित करता है, ताकि स्थानीय समस्याओं का समाधान स्थानीय स्तर पर किया जा सके। यह व्यवस्था न केवल शासन की प्रभावशीलता को बढ़ाती है, बल्कि स्थानीय लोगों को भी उनकी स्वायत्तता और भागीदारी का अधिकार देती है। भारत में विकेंद्रीकृत शासन को बढ़ावा देने में छठी
नागरिक चार्टर: महत्वपूर्ण अंतराल और सुधारों की आवश्यकता - (September 2024)
नागरिक चार्टर (Citizen's Charter) नागरिकों को सार्वजनिक सेवाओं के बारे में स्पष्ट जानकारी और उनके अधिकारों की गारंटी प्रदान करता है। इसका उद्देश्य सरकारी सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करना, पारदर्शिता बढ़ाना, और नागरिकों को उनकी सेवाओं के लिए जवाबदेह ठहराना है। हालांकि नागरिक चार्टर एक सकारात्मक पहल है, इसके प्रभावी कार्यान्वयन में कई महत्वपूर्ण अंतराल हैं और सुधार की आवश्यकता
राज्यपालों की विवेकाधीन शक्तियां - (September 2024)
भारत के संविधान के तहत राज्यपालों को कुछ विशिष्ट विवेकाधीन शक्तियां प्रदान की गई हैं। राज्यपाल की विवेकाधीन शक्तियां भारतीय संघीय ढांचे में संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये शक्तियां राज्यपाल को संवैधानिक संकट के समय निर्णय लेने का अधिकार देती हैं, जिससे राज्य में कानून और व्यवस्था बनी रहे और संवैधानिक तंत्र की रक्षा हो सके। राज्यपालों की
विशेष श्रेणी के राज्य: अतिरिक्त वित्त की मांग - (September 2024)
केंद्र द्वारा विशेष श्रेणी के दर्जे(SCS) का निर्धारण 1969 में पाँचवें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर किया गया था। पूर्व में योजना आयोग की राष्ट्रीय विकास परिषद द्वारा योजना के तहत सहायता के लिये विशेष श्रेणी का दर्जा प्रदान किया गया था। वर्तमान समय तक असम, नगालैंड, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम, उत्तराखंड और तेलंगाना
भारत में सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने में राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों का महत्व - (September 2024)
राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत (DPSP) भारत के संविधान के भाग IV (अनुच्छेद 36-51) में शामिल है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 37 निर्देशक सिद्धांतों के अनुप्रयोग के बारे में बताता है। भारतीय संविधान में निहित निर्देशक सिद्धांत आयरिश संविधान से लिये गए हैं। इन सिद्धांतों का उद्देश्य लोगों के लिये सामाजिक-आर्थिक न्याय सुनिश्चित करना और भारत को एक कल्याणकारी राज्य के
पंचायती राज संस्थानों का वित्तीय सशक्तीकरण : उपाय और चुनौतियां - (September 2024)
पंचायती राज संस्थान (Panchayati Raj Institution- PRI) भारत में ग्रामीण स्थानीय स्वशासन की एक प्रणाली है। पंचायती राज व्यवस्था आम ग्रामीण जनता की लोकतंत्र में प्रभावी भागीदारी का सशक्त माध्यम है। 73वें संविधान संशोधन द्वारा एक सुनियोजित पंचायती राज व्यवस्था स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त किया गया है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिये 'पंचायती राज
भारतीय धर्मनिरपेक्षता की विशिष्टता - (September 2024)
धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है कि राज्य राजनीति या किसी गैर-धार्मिक मामले से धर्म को दूर रखे तथा सरकार धर्म के आधार पर किसी से भी कोई भेदभाव न करे। भारतीय परिप्रेक्ष्य में संविधान के निर्माण के समय से ही इसमें धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा निहित थी जो संविधान के भाग-3 में वर्णित मौलिक अधिकारों में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार (अनुच्छेद-25 से 28)
शहरीकरण: महिलाओं का सशक्तीकरण एवं चुनौतियां - (September 2024)
शहरीकरण ने महिलाओं के जीवन में व्यापक परिवर्तन किये हैं। एक ओर, शहरीकरण ने महिलाओं के लिए नए अवसर और संभावनाएं खोली हैं, वहीं दूसरी ओर, इसके साथ आने वाली चुनौतियां भी कम नहीं हैं। महिलाओं की सुरक्षा, समान अवसर, मानसिक स्वास्थ्य समर्थन, और शिक्षा के क्षेत्रों में सुधार करके ही हम शहरीकरण के सकारात्मक प्रभावों को अधिकतम और नकारात्मक प्रभावों
भारतीय मीडिया में लैंगिक रूढ़िवादिता - (September 2024)
भारतीय मीडिया में लैंगिक रूढ़िवादिता एक महत्वपूर्ण और चिंताजनक मुद्दा है। यह समस्या विभिन्न माध्यमों में देखी जा सकती है, जैसे कि टेलीविजन, फिल्म, समाचार पत्र, और सोशल मीडिया। लैंगिक रूढ़िवादिता न केवल समाज में स्त्री-पुरुष समानता को प्रभावित करती है, बल्कि महिलाओं की स्थिति और उनके अधिकारों पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है। भारतीय मीडिया में लैंगिक रूढ़िवादिता के प्रमुख पहलू महिलाओं
सामाजिक सामंजस्य पर सांप्रदायिकता की चुनौतियां और निहितार्थ - (September 2024)
सांप्रदायिकता एक विचारधारा है जिसके अनुसार कोई समाज भिन्न-भिन्न हितों से युक्त विभिन्न धार्मिक समुदायों में विभाजित होता है। सांप्रदायिकता समाज के विभिन्न धर्मों, जातियों या समूहों के बीच अविश्वास, घृणा और हिंसा को बढ़ावा देने वाला विचारधारा है। यह सामाजिक सामंजस्य के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। सांप्रदायिकता एक गंभीर समस्या है जो समाज के लिए एक
जाति आधारित जनगणना: सामाजिक निहितार्थ - (September 2024)
जाति आधारित जनगणना समाज में जाति व्यवस्था की व्यापकता और उसकी स्थिति को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण हो सकती है। वर्तमान में देश मे केवल बिहार सरकार द्वारा सभी जातियों और समुदायों (SECC) का सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण का कार्य सम्पन्न किया गया है। जाति आधारित जनगणना एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील विषय है, जिसके भारतीय समाज पर गहरे सामाजिक निहितार्थ हो
वैश्वीकरण: भारतीय समाज पर सामाजिक-सांस्कृतिक प्रभाव - (September 2024)
वैश्वीकरण एक सतत् चलने वाली प्रक्रिया है जिसमें दुनिया के सभी देश एक-दूसरे से आर्थिक, राजनीतिक तथा सांस्कृतिक रूप से जुड़े हुए हैं। इस प्रक्रिया में सभी संभव स्तरों पर वैश्विक संचार बढ़ता है तथा विश्व में एकरूपता और क्षेत्रीयता दोनों की प्रवृत्ति बढ़ती है। वैश्वीकरण ने भारतीय समाज पर गहरे सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव डाले हैं। सामाजिक प्रभाव शहरीकरण: वैश्वीकरण ने शहरीकरण
सतत कृषि: लाभ और प्रबंधन युक्तियां - (September 2024)
सतत कृषि के अंतर्गत फसल चक्र, जैविक खाद का उपयोग और मिट्टी की नमी को बनाए रखने के उपायों से मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाया जाता है। सतत कृषि के लाभ और प्रबंधन मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता का संरक्षण फसल चक्रीकरण (Crop Rotation): विभिन्न फसलों को बदल-बदल कर उगाने से मृदा की उर्वरता बनी रहती है और कीटों व रोगों का प्रकोप कम
भारत में अंतर्देशीय जलमार्ग विकास: चुनौतियां और उपाय - (September 2024)
अंतर्देशीय जल परिवहन का तात्पर्य किसी देश की सीमाओं के भीतर स्थित नदियों, नहरों, झीलों और जल के अन्य नौगम्य निकायों जैसे जलमार्गों के माध्यम से लोगों, वस्तुओं तथा सामग्रियों के परिवहन से है । जल परिवहन का सबसे किफायती तरीका है, विशेष रूप से कोयला, लौह अयस्क, सीमेंट, खाद्यान्न और उर्वरक जैसे बड़े कार्गो के लिये। चुनौतियां अपर्याप्त बुनियादी ढांचा:
मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग: महत्व और प्रभाव - (September 2024)
मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग (Marine Cloud Brightening-MCB) एक ऐसी तकनीक है जिसमें समुद्र के ऊपर निम्न स्तर के बादलों में समुद्री जल या अन्य पदार्थों की बारीक बूँदों का छिड़काव किया जाता है। ये बूँदें बादल संघनन नाभिक के रूप में कार्य करती हैं और बादलों की परावर्तनशीलता को बढ़ा देती हैं। परिणामस्वरूप, बादल सूर्य के प्रकाश को अधिक मात्रा में परावर्तित
हिमालयी जैव विविधता का पारिस्थितिक महत्व - (September 2024)
हिमालय, पृथ्वी की सबसे ऊँची पर्वत शृंखला होने के साथ ही हजारों पौधों और जानवरों की प्रजातियों के लिए आवास है। इनमें से कई प्रजातियां दुनिया में कहीं और नहीं पाई जाती हैं। हिमालय काफी विस्तृत है तथा यह न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के लिए अद्वितीय पारिस्थितिक महत्व रखता है। हिमालयी जैव विविधता का पारिस्थितिक महत्व जल चक्र का
भारत के तटीय शहरों पर ग्लेशियर के पिघलने का प्रभाव - (September 2024)
ग्लेशियरों का पिघलना, जलवायु परिवर्तन का एक गंभीर परिणाम है जिसका भारत के तटीय शहरों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है। ग्लेशियरों के पिघलने के खतरों को कम करने के लिए सरकारों, व्यवसायों और व्यक्तियों द्वारा कार्रवाई करना महत्वपूर्ण है। इसमें ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना, तटीय रक्षा उपायों का निर्माण करना और समुदायों को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने
एल नीनो और ला नीना का प्रभाव - (September 2024)
अल नीनो एवं ला नीना (El Nino and La Nina) जटिल मौसम पैटर्न हैं, जो विषुवतीय प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में समुद्र के तापमान में भिन्नता के कारण घटित होते हैं। अल नीनो और ला नीना की घटनाएं आमतौर पर 9 से 12 महीने तक चलती हैं, लेकिन कुछ लंबे समय तक चलने वाली घटनाएं वर्षों तक बनी रह सकती हैं। अल नीनो
महासागरीय धारा निर्माण के कारक - (September 2024)
महासागरों में एक निश्चित दिशा में बहुत अधिक दूरी तक महासागरीय जल की एक राशि के प्रवाह को महासागरीय धारा कहते हैं। महासागरीय धाराओं के द्वारा एक वैश्विक कन्वेयर बेल्ट बनाया जाता है जो विभिन्न क्षेत्रों की जलवायु को प्रभावित करता है। तटों के साथ गर्म धाराएं समुद्री हवाओं को गर्म करके तापमान बढ़ाती हैं। महासागरीय धाराएं कई कारणों से उत्पन्न
भारत में मृदा अपरदन के कारण और प्रभाव - (September 2024)
मृदा अपरदन से तात्पर्य मृदा आवरण के नष्ट होने से है। इसमें पानी, हवा या गुरुत्वाकर्षण की शक्तियों द्वारा मिट्टी के कणों का टूटना, पृथक्करण, परिवहन और पुनर्वितरण शामिल है। भारत की लगभग 30% भूमि मामूली मृदा अपरदन (Minor Soil Erosion) का सामना कर रही है, जबकि महत्वपूर्ण 3% को विनाशकारी ऊपरी मिट्टी की हानि (Catastrophic Topsoil Loss) का सामना करना
भारतीय राष्ट्रवाद पर द्वितीय विश्व युद्ध का प्रभाव - (September 2024)
द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) ने भारतीय राष्ट्रवाद पर गहरा और व्यापक प्रभाव डाला। इस युद्ध ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा और गति प्रदान की। द्वितीय विश्व युद्ध ने भारतीय नेताओं और जनता को ब्रिटिश सरकार के प्रति अपनी नीतियों और दृष्टिकोण को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। भारतीय राष्ट्रवाद पर प्रभाव भारतीयों द्वारा व्यापक विरोध: ब्रिटिश सरकार ने द्वितीय
स्वदेशी आंदोलन: राष्ट्रीय गौरव और एकता की भावना - (September 2024)
स्वदेशी आंदोलन, 1905 में बंगाल विभाजन के विरोध में शुरू हुआ यह आंदोलन, धीरे-धीरे पूरे भारत में फैल गया। इसने न केवल ब्रिटिश आर्थिक शोषण को उजागर किया बल्कि राष्ट्रीय गौरव और एकता की भावना को भी बढ़ावा दिया। स्वदेशी आंदोलन का उद्देश्य भारतीयों को विदेशी वस्त्रों और उत्पादों का बहिष्कार करने और स्वदेशी (देश में निर्मित) वस्त्रों और उत्पादों को
भारतीय समाज पर सूफी आंदोलन का प्रभाव - (September 2024)
सूफी आंदोलन, सूफीवाद से प्रेरित है। सूफीवाद इस्लाम के भीतर एक रहस्यवादी परंपरा है, जो प्रेम, भक्ति और आंतरिक साधना पर जोर देती है। यह आंदोलन 11वीं और 12वीं शताब्दी में भारत में आया और 14वीं से 17वीं शताब्दी के बीच अपने चरम पर पहुंचा। प्रभाव धार्मिक सहिष्णुता और सद्भाव: सूफी संतों ने धार्मिक सहिष्णुता और सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश दिया। वे सभी
भारत की सांस्कृतिक विरासत में इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का योगदान - (September 2024)
इंडो-इस्लामिक वास्तुकला भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह शैली 12वीं शताब्दी से विकसित हुई, जब मुस्लिम शासन भारत में स्थापित हुआ था। यह भारतीय और इस्लामी स्थापत्य शैलियों का एक अनूठा मिश्रण है, जो विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं के समन्वय को दर्शाता है। इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का योगदान मेहराब और गुंबद का निर्माण: परंपरागत रूप से भारतीय भवनों के
द्रविड़ कला और संस्कृति: चोल राजवंश की भूमिका - (September 2024)
चोल राजवंश भारत के दक्षिणी क्षेत्रों में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले राजवंशों में से एक है। चोल राजवंश का काल (9वीं से 13वीं शताब्दी) दक्षिण भारत में द्रविड़ कला और संस्कृति के उत्कर्ष काल के रूप में जाना जाता है। चोल वंश ने दक्षिण भारत में तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के बड़े हिस्सों पर शासन किया
भारत में गुफा वास्तुकला - (September 2024)
गुफा वास्तुकला देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। भारत में प्रारंभिक गुफा स्थापत्य के साक्ष्य पश्चिमी दक्कन क्षेत्र से प्राप्त होते हैं। आरंभिक गुफाएं प्राकृतिक थीं परंतु कालांतर में गुफाएं चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं। ये मंदिरों, मठों, विहारों और स्मारकों के रूप में कार्य करती थीं। चट्टानों से बनी ये गुफाएं भारतीय शिल्पकारों और वास्तुकारों
सिंधु घाटी सभ्यता का शहरी नियोजन - (September 2024)
सिंधु घाटी सभ्यता उत्तर-पश्चिम भारत से लेकर उत्तर-पूर्व अफगानिस्तान और पाकिस्तान तक विस्तृत थी। यह सभ्यता अपनी सुव्यवस्थित संरचना, उन्नत जल प्रबंधन प्रणाली और भव्य सार्वजनिक भवनों के लिए प्रसिद्ध हैं। हड़प्पा और मोहनजोदड़ो सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख शहर थे । नगर नियोजन के प्रमुख पहलू ग्रिड प्रणाली: सिंधु घाटी सभ्यता के शहरों को ग्रिड प्रणाली में बनाया गया था, जिसमें
जेनेरिक दवाएं: संबंधित मुद्दे और चिंताएं - (August 2024)
जेनेरिक दवाएं (Generic Drugs) ऐसे ‘दवा उत्पाद’ (Pharmaceutical Products) होते हैं; जो प्रभाव, क्षमता, गुणवत्ता आदि के मामले में ब्रांडेड/सूचीबद्ध दवाओं (Branded/Listed drugs) के समान ही होते हैं। किसी ब्रांडेड दवा का पेटेंट समाप्त होने के बाद इसका जेनेरिक दवा के रूप में विपणन किया जा सकता है। हालांकि, ‘भारतीय पेटेंट अधिनियम-1970’ (Indian Patent Act-1970) के तहत अनिवार्य लाइसेंस (Compulsory License)
दुर्लभ बीमारियां : चुनौतियां एवं भारत की कार्यवाही - (August 2024)
दुर्लभ बीमारियों को ऑर्फन डिजीज भी कहा जाता है। दुर्लभ बीमारियां आमतौर पर गंभीर और लंबे समय तक चलने वाली होती हैं। हालांकि इनसे पीड़ित लोगों की संख्या कम होती है। इन बीमारियों से 2,500 व्यक्तियों में से 1 या उससे कम प्रभावित होते हैं। दुर्लभ बीमारियां व्यक्तिगत रूप से विनाशकारी हो सकती हैं, जिसके कारण मृत्यु, विकलांगता और जीवन की
रोगाणुरोधी प्रतिरोध : चुनौतियां और रोकथाम के उपाय - (August 2024)
रोगाणुरोधी प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance-AMR) का तात्पर्य किसी भी सूक्ष्मजीव (बैक्टीरिया, वायरस, कवक, परजीवी, आदि) द्वारा एंटीमाइक्रोबियल दवाओं (जैसे एंटीबायोटिक्स, एंटीफंगल, एंटीवायरल, एंटीमाइरियल और एंटीहेलमिंटिक्स) के खिलाफ प्रतिरोध हासिल कर लेने से है। परिणामस्वरूप प्रचलित मानक उपचार अप्रभावी हो जाते हैं, संक्रमण जारी रहता है और दूसरों में फैल सकता है। रोगाणुरोधी प्रतिरोध विकसित करने वाले सूक्ष्मजीवों को कभी-कभी "सुपरबग्स" के रूप
ब्रेन कंप्यूटर इंटरफ़ेस (BCI) और इसके नैदानिक अनुप्रयोग - (August 2024)
ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस एक ऐसी तकनीक है जो मानव मस्तिष्क और बाह्य उपकरणों के बीच सीधा संचारस्थापित करती है । इस तकनीक में नसों और माँसपेशियों जैसे पारंपरिक न्यूरोमस्कुलर मार्गों का उपयोग करके इस संचार को सक्षम बनाया जाता है। इसमें आम तौर पर, मस्तिष्क की गतिविधियों का पता लगाने के लिये सेंसर का उपयोग किया जाता है, जिसे बाद में आदेशों या
बायोइन्फॉर्मेटिक्स और इसके अनुप्रयोग - (August 2024)
बायोइन्फॉर्मेटिक्स (जैव सूचना विज्ञान), जीव विज्ञान और कंप्यूटर विज्ञान का एक अंतःविषयी क्षेत्र है, जो जीवित जीवों से प्राप्त जटिल डेटा का संग्रहण, विश्लेषण, व्याख्या और प्रबंधन करने के लिए गणितीय और कंप्यूटर विज्ञान तकनीकों का उपयोग करता है। यह डेटा डीएनए, आरएनए, प्रोटीन और चयापचयों सहित विभिन्न जैविक अणुओं से प्राप्त होता है। जैव सूचना विज्ञान का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों
कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में नैनो प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग - (August 2024)
नैनो प्रौद्योगिकी विज्ञान और इंजीनियरिंग की उस शाखा को संदर्भित करती है जो नैनोस्केल पर संरचनाओं को डिजाइन करने, उत्पादन करने और उपयोग करने के लिए समर्पित है। उपयोग किए जाने वाले पदार्थ का कम से कम एक या अधिक आयाम 100 नैनोमीटर (एक मिलीमीटर का 100 मिलियनवां हिस्सा) या उससे कम आकार का होता है। नैनो प्रौद्योगिकी (Nanotechnology) कृषि और संबद्ध
जीनोम इंडिया परियोजना: वर्तमान स्थिति एवं महत्व - (August 2024)
जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट का आरंभ जनवरी 2020 में किया गया था। यह 'जैव प्रौद्योगिकी विभाग' द्वारा स्वीकृत एक जीन मैपिंग परियोजना (Gene Mapping Project) है। इसे भारतीय आबादी के बीच आनुवंशिक भिन्नताओं (Genetic Variations) का एक व्यापक डेटाबेस बनाने के लक्ष्य के साथ शुरू किया गया। इसका उद्देश्य देश के विभिन्न क्षेत्रों के 10,000 से अधिक भारतीयों के जीनोम को अनुक्रमित करना
स्टेम सेल-आधारित पुनर्योजी चिकित्सा: प्रौद्योगिकियां एवं संभावनाएं - (August 2024)
स्टेम सेल एक विशेष प्रकार की कोशिकाएं हैं जो शरीर के लगभग सभी ऊतकों में पाए जाते हैं। स्टेम सेल-आधारित पुनर्योजी चिकित्सा एक अत्याधुनिक चिकित्सा क्षेत्र है, जो क्षतिग्रस्त या रोगग्रस्त ऊतकों और अंगों की मरम्मत और पुनर्जनन के लिए स्टेम सेल का उपयोग करता है। यह स्टेम कोशिकाओं के अद्वितीय गुणों का उपयोग करता है, जो अविश्वसनीय रूप से बहुमुखी
नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR) मिशन: उद्देश्य एवं महत्व - (August 2024)
नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (निसार) मिशन एक संयुक्त अंतरिक्ष मिशन है जो पृथ्वी की सतह और बर्फ की चादरों का अभूतपूर्व 3डी दृश्य प्रदान करेगा। इस मिशन के 2024 में लॉन्च होने की सम्भावना है और इसमें दो उन्नत सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर) होंगे: एक नासा द्वारा प्रदान किया गया L-बैंड रडार और एक इसरो द्वारा प्रदान किया गया S-बैंड रडार। इसरो
अंतरिक्ष मलबे से उत्पन्न खतरे और चुनौतियां - (August 2024)
पृथ्वी की कक्षा में मानव निर्मित अनुपयोगी वस्तुएं अंतरिक्ष मलबे के रूप में जानी जाती हैं। इनमें प्रक्षेपण के समय उपयोग किए गए रॉकेट, निष्क्रिय उपग्रह, एंटी-सैटेलाइट सिस्टम (ASAT) से उत्पन्न पदार्थ तथा अन्य मानव निर्मित अवयव शामिल रहते हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि अंतरिक्ष मलबे में 1 से 10 सेमी (0.4 और 4 इंच) के बीच के लगभग
भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम: उद्देश्य एवं भारत की प्रगति - (August 2024)
भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम को 'गगनयान मिशन' के नाम से जाना जाता है। यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का एक महत्वाकांक्षी प्रयास है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2018 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इस मिशन की घोषणा की। गगनयान मिशन के तहत तीन अंतरिक्ष यात्रियों को 3 से 7 दिनों के लिए पृथ्वी की कक्षा में
पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी: महत्व और भारत की उपलब्धियां - (August 2024)
पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान (RLV) ऐसे रॉकेट हैं जिनका उपयोग अंतरिक्ष अभियानों के लिये कई बार किया जा सकता है। पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान (Reusable Launch Vehicle - RLV) प्रौद्योगिकी अंतरिक्ष अन्वेषण और उपग्रह प्रक्षेपण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण नवाचार है। पारंपरिक प्रक्षेपण यान एक बार उपयोग के बाद नष्ट हो जाते हैं। इसके विपरीत, आरएलवी को पृथ्वी पर वापस लाया
रक्षा आत्मनिर्भरता: स्वदेशी प्रौद्योगिकियों की भूमिका - (August 2024)
रक्षा आत्मनिर्भरता का अर्थ है कि एक देश अपनी रक्षा जरूरतों को खुद पूरा करने में सक्षम हो, जिससे वह बाहरी निर्भरता से मुक्त हो सके। यह न केवल सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि आर्थिक और रणनीतिक लाभ भी प्रदान करता है। भारत सरकार द्वारा रक्षा आत्मनिर्भरता (Defence Self-Reliance) को बढ़ावा देने के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा दिया जा
रक्षा में ड्रोन के अनुप्रयोग - (August 2024)
"ड्रोन" शब्द आमतौर पर किसी भी पायलट रहित विमान को संदर्भित करता है। ड्रोन को मानव रहित विमान (Unmanned Aerial Vehicles- UAV) के रूप में भी जाना जाता है। ड्रोन एक विमान जितना बड़ा या आपके हाथ की हथेली जितना छोटा हो सकता है। ड्रोन को आमतौर पर मनुष्यों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। ड्रोन, या मानव रहित हवाई वाहन (Unmanned Aerial
बाह्य अंतरिक्ष का विनियमन: चिंता के मुद्दे - (August 2024)
वर्तमान समय में विश्व के विभिन्न देशों द्वारा अंतरिक्ष अन्वेषण का प्रयास किया जा रहा है। इसके साथ ही बाह्य अंतरिक्ष शासन/विनियमन (Outer Space Governance/Regulation) की आवश्यकता भी बढ़ गई है। बाह्य अंतरिक्ष शासन, अंतरिक्ष में मानव गतिविधियों को नियंत्रित करने और विनियमित करने के लिए कानूनों, नीतियों और प्रथाओं का एक जटिल ढांचा है। यह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों
भारत की अंतरिक्ष यात्रा: प्रगति और चुनौतियां - (August 2024)
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की अगुआई में भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम 1960 के दशक में शुरु हुआ। 1960 से वर्तमान समय तक इसरो एक लंबा सफर तय कर चुका है और वर्तमान में यह अंतरिक्ष क्षेत्र की विश्व की एक महत्वपूर्ण शक्ति बन गया है। भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की प्रगति आर्यभट्ट: 1975 में भारत ने अपने पहले उपग्रह का प्रक्षेपण किया
दुर्लभ मृदा तत्व: अनुप्रयोग एवं संबंधित चुनौतियां - (August 2024)
दुर्लभ मृदा तत्व, 17 दुर्लभ धातु तत्त्वों का समूह है जो पृथ्वी की ऊपरी सतह (क्रस्ट) में पाए जाते हैं। इनमें लैंथेनाइड शामिल हैं, साथ ही स्कैंडियम और येट्रियम भी शामिल हैं। कुछ दुर्लभ मृदा तत्त्व पृथ्वी पर प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं परंतु इनके प्रसंस्करण की प्रकिया बहुत ही जटिल है। दुर्लभ मृदा तत्त्वों में अन्य धातुओं की अपेक्षा बेहतर
साइबर-भौतिक प्रणालियों की सुरक्षा: चुनौतियां और समाधान - (August 2024)
साइबर भौतिक प्रणाली (Cyber Physical System: CPS) कंप्यूटर-आधारित एल्गोरिदम द्वारा नियंत्रित या मॉनिटर किया जाने वाला एक तंत्र है। इसमें प्रयोग किए जाने वाले कंप्यूटिंग उपकरण एक दूसरे के साथ संचार स्थापित करते हैं और एक फीडबैक लूप में सेंसर एवं एक्चुएटर्स के माध्यम से भौतिक विश्व के साथ अंतर-क्रिया करते हैं। साइबर भौतिक प्रणाली में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, मशीन
जनरेटिव एआई: अनुप्रयोग एवं सामाजिक-आर्थिक निहितार्थ - (August 2024)
जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की एक शाखा है। यह एक डीप लर्निंग मॉडल (Deep Learning Models) है, जो प्रशिक्षित किए गए डेटा के आधार पर उच्च गुणवत्ता वाले टेक्स्ट, इमेज और अन्य कॉन्टेंट उत्पन्न कर सकता है। यह जटिल भाषा समझने के लिए एडवांस नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (Advanced Natural Language Processing: ANLP) का उपयोग करता है। यह बहुत बड़े
ग्रीन हाइड्रोजन: उत्पादन प्रौद्योगिकियां एवं अनुप्रयोग - (August 2024)
ग्रीन हाइड्रोजन को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से उत्पादित किया जाता है और इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार का कार्बन उत्सर्जन नहीं होता है। यह ऊर्जा संक्रमण और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण समाधान माना जाता है। ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन और उपयोग में विभिन्न प्रौद्योगिकियां और चुनौतियां शामिल हैं। ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन प्रौद्योगिकियां इलेक्ट्रोलिसिस: यह सबसे प्रमुख तकनीक है
सुपरकंप्यूटिंग: अनुप्रयोग एवं भारत की प्रगति - (August 2024)
सुपरकंप्यूटर, एक सामान्य प्रयोजन के कंप्यूटर जैसे व्यक्तिगत डेस्कटॉप या लैपटॉप की तुलना में बहुत उच्च-स्तरीय कम्प्यूटेशनल क्षमताओं वाला कंप्यूटर होता है। सुपरकम्प्यूटर की गति का मापन, फ्लोटिंग-पॉइट ऑपरेशन्स प्रति सेकेंड (FLOPS) की बजाय मिलियन इंस्ट्रक्शन प्रति सेकेंड (MIPS) में किया जाता हैं। इसका उपयोग सामान्यत: ऐसे वैज्ञानिक तथा अभियांत्रिकी अनुप्रयोगों हेतु किया जाता है जहां वृहद डेटाबेस का उपयोग कर
इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी प्रौद्योगिकियां: महत्व और चुनौतियां - (August 2024)
वर्तमान समय में वैश्विक स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहन को तेजी से अपनाया जा रहा है। इस प्रकार के वाहनों के निर्माण का एक महत्वपूर्ण अवयव बैटरी होती है। इलेक्ट्रिक वाहन की बैटरियों के निर्माण के लिए विभिन्न तकनीकों का प्रयोग किया जा रहा है। वर्तमान ईवी बैटरियां लिथियम आधारित होती हैं। इलेक्ट्रिक वाहन की बैटरी पैक कई सेल्स से बना होता है
एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग: अनुप्रयोग एवं चुनौतियां - (August 2024)
एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग (Additive Manufacturing) एक ऐसी प्रक्रिया है, जो परत दर परत त्रि-आयामी वस्तुओं (3 Dimensional Objects) को बनाने के लिए कंप्यूटर-निर्मित डिजाइन (Computer-Generated Design) का उपयोग करती है। इसे 3D प्रिंटिंग के रूप में भी जाना जाता है तथा यह एक एडिटिव प्रक्रिया (Additive Process) हैं। 3D प्रिंटर लेयरिंग विधि (Layering Method) का उपयोग करके वांछित वस्तु का निर्माण करती
क्वांटम प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग एवं भारत की पहलें - (August 2024)
क्वांटम प्रौद्योगिकी, प्रौद्योगिकी का एक वर्ग है जो क्वांटम यांत्रिकी (उप-परमाणु कणों का भौतिकी) के सिद्धांतों पर कार्य करता है। इसमें क्वांटम उलझाव और क्वांटम सुपरपोजिशन शामिल हैं। क्वांटम प्रौद्योगिकी पदार्थ और ऊर्जा के सबसे छोटे कणों, जैसे- परमाणु, इलेक्ट्रॉन, फोटॉन और क्वार्क के व्यवहार एवं गुणों से संबंधित है। क्वांटम प्रौद्योगिकी इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटिंग, लेजर और प्रकाशिकी के माध्यम से दैनिक जीवन
भारत में एआई गवर्नेंस: आवश्यकता, चुनौतियां और अनिवार्यताएं - (August 2024)
भारत, तेज़ी से कृत्रिम बुद्धिमत्ता(AI) और नवाचार का केंद्र बन रहा है। इसके साथ ही एआई समाज के हरेक स्तर को प्रभावित कर रहा है। इसके बढ़ते प्रयोग के साथ ही भारत में AI गवर्नेंस (AI Governance) तेजी से महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं। इस कारण एआई को विनियमित करने का प्रयास सरकार द्वारा किया जा रहा है। मार्च 2024 में इलेक्ट्रॉनिक्स
शहरी बाढ़ : कारण और प्रबंधन - (August 2024)
शहरी बाढ़ (Urban Flood) के लिए मुख्य रूप से छोटी अवधि की उच्च तीव्रता वाली वर्षा (High Intensity Rainfall of Short Duration) की बढ़ती घटनाएं जिम्मेदार होती हैं। हाल के वर्षों में शहरी बाढ़ एक वार्षिक परिघटना बन गई है, जो मानसून की अवधि में भारत के कई महानगरों को प्रभावित कर रही है। हाल ही में, जल शक्ति मंत्रालय द्वारा
जलवायु परिवर्तन प्रेरित आपदाएं : भारत की तैयारी और चुनौतियां - (August 2024)
जलवायु परिवर्तन से प्रेरित आपदाएं, जैसे बाढ़, सूखा, चक्रवात, और ग्रीष्म लहरें, भारत के लिए गंभीर चुनौतियां उत्पन्न कर रही हैं। जलवायु परिवर्तन भारत के लिए एक गंभीर खतरा है, जिसके कारण बाढ़, सूखा, चक्रवात और हीटवेव जैसी अधिक तीव्र और लगातार आपदाएं आ रही हैं। इन आपदाओं का देश के बुनियादी ढांचे, अर्थव्यवस्था और लोगों के जीवन पर विनाशकारी प्रभाव पड़
हिमालयी पारिस्थितिक तंत्र की भेद्यता: आपदा प्रबंधन की चुनौतियां - (August 2024)
भारतीय हिमालयी क्षेत्र, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा, असम और पश्चिम बंगाल में 2,500 किमी. क्षेत्र में विस्तृत है। अवैध शिकार हिमालयी पारिस्थितिक तंत्र के लिए एक बड़ा खतरा है। अवैध शिकार के हिमालयी पारिस्थितिक तंत्र पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं, जिनमें सबसे प्रमुख हैं, खाद्य शृंखलाओं का बाधित होना। हिमालयी
प्लास्टिक प्रदूषण: पर्यावरण पर प्रभाव और प्रबंधन के प्रयास - (August 2024)
प्लास्टिक, एक ऐसी सामग्री है जो अपनी टिकाऊपन और सुविधा के लिए प्रशंसित है, लेकिन इसके व्यापक उपयोग के परिणामस्वरूप प्लास्टिक प्रदूषण का एक बढ़ता हुआ पर्यावरणीय संकट उत्पन्न हो गया है। यह व्यापक समस्या पारिस्थितिकी तंत्र, वन्यजीव स्वास्थ्य और अंततः मानव जीवन को खतरे में डालती है। समस्या की व्यापकता प्लास्टिक प्रदूषण का पैमाना चौंका देने वाला है। हाल के दशकों
भारत में ग्रे वॉटर प्रबंधन की चुनौतियां - (August 2024)
ग्रे वॉटर या गन्दला जल, जिसका तात्पर्य शौचालय के अपशिष्ट जल को छोड़कर घरेलू गतिविधियों से उत्पन्न अपशिष्ट जल से है, भारत की जल प्रबंधन रणनीति में महत्वपूर्ण चुनौतियां और अवसर प्रस्तुत करता है। ग्रे वॉटर का पुनः उपयोग मीठे पानी की मांग को कम कर सकता है और जल संसाधनों पर तनाव को कम कर सकता है, लेकिन इसके प्रभावी
भारत में ब्लैक कार्बन उत्सर्जन : नियंत्रण की आवश्यकता - (August 2024)
ब्लैक कार्बन (BC), एक अल्पकालिक जलवायु प्रदूषक है, जो भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य, कृषि और जलवायु को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है। यह जीवाश्म ईंधन और बायोमास के अधूरे दहन से बनने वाली कालिख का एक प्रमुख घटक है। वायु गुणवत्ता में सुधार, जलवायु परिवर्तन को कम करने और मानव स्वास्थ्य की रक्षा के लिए ब्लैक कार्बन उत्सर्जन पर
मैंग्रोव: खतरे और संरक्षण की आवश्यकता - (August 2024)
मैंग्रोव उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में तटीय अंतर-ज्वारीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र हैं। वे कई पारिस्थितिक, आर्थिक और सामाजिक लाभ प्रदान करते हैं, फिर भी उन्हें मानवीय गतिविधियों और प्राकृतिक कारकों से गंभीर खतरों का सामना करना पड़ता है। इन खतरों को समझना और प्रभावी संरक्षण रणनीतियों को लागू करना मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के
भारत के पारिस्थितिक-संवेदनशील क्षेत्रों से जुड़ी चुनौतियां - (August 2024)
भारत में पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र (ESZ) राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों जैसे संरक्षित क्षेत्रों के आसपास स्थित क्षेत्र हैं। ये क्षेत्र मानवीय गतिविधियों से नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए बफर के रूप में कार्य करते हैं। जैव विविधता संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण होने के बावजूद, पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र (ESZ) का प्रबंधन कई चुनौतियों से
आक्रामक विदेशी प्रजातियों का खतरा: आर्थिक और पारिस्थितिक निहितार्थ - (August 2024)
आक्रामक विदेशी प्रजातियां (IAS) ऐसे जीव हैं जो अपने मूल निवास स्थान से बाहर के क्षेत्रों में लाए जाते हैं, जिससे पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और मानव स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुँचता है। ये प्रजातियां प्राकृतिक शिकारियों, प्रतिस्पर्धियों और बीमारियों की अनुपस्थिति के कारण नए पारिस्थितिकी तंत्रों में पनपती हैं। पारिस्थितिकी निहितार्थ 1. जैव विविधता की हानि देशी प्रजातियों से प्रतिस्पर्धा में आगे निकल
भारत की शहरी आर्द्रभूमि: चुनौतियां और तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता - (August 2024)
भारत में शहरी आर्द्रभूमि महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र हैं जो कई पारिस्थितिक, सामाजिक और आर्थिक लाभ प्रदान करते हैं। अपने महत्व के बावजूद, इन आर्द्रभूमियों को शहरीकरण, प्रदूषण और नीतिगत उपेक्षा के कारण गंभीर खतरों का सामना करना पड़ रहा है। इन चुनौतियों का समाधान सतत शहरी विकास और पर्यावरण संरक्षण के लिए आवश्यक है। शहरी आर्द्रभूमि का महत्व पारिस्थितिक संतुलन :
भारत के जैव विविधता हॉटस्पॉट: प्रमुख पारिस्थितिक खतरे - (August 2024)
दुनिया के 36 जैव विविधता हॉटस्पॉट में से चार भारत में स्थित हैं, अर्थात् पश्चिमी घाट, पूर्वी हिमालय, इंडो-बर्मा और सुंडालैंड (निकोबार द्वीप समूह शामिल हैं)। ये क्षेत्र अद्वितीय वनस्पतियों और जीवों से समृद्ध हैं, जो उन्हें वैश्विक जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण बनाते हैं। हालाँकि, इन हॉटस्पॉट को कई पारिस्थितिक खतरों का सामना करना पड़ता है जो उनके नाजुक
जलवायु सेवाओं के लिए राष्ट्रीय फ्रेमवर्क: आवश्यकता, चुनौतियां और उपाय - (August 2024)
जलवायु सेवाओं के लिए राष्ट्रीय रूपरेखा (NFCS) का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में निर्णय लेने में सहायता के लिए सटीक, समय पर और कार्रवाई योग्य जलवायु जानकारी प्रदान करना है। यह रूपरेखा जलवायु लचीलापन बढ़ाने, सतत विकास का समर्थन करने और जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए आवश्यक है। आवश्यकता पूर्व चेतावनी प्रणालियां: सटीक जलवायु सेवाएं चरम मौसम
जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध मौलिक अधिकार - (August 2024)
भारत में जलवायु परिवर्तन के खिलाफ मौलिक अधिकार मानव जीवन की रक्षा और सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि देश पर्यावरणीय प्रभावों के प्रति संवेदनशील है और इसके लिए मजबूत कानूनी और नीतिगत ढांचे की आवश्यकता है। महत्व जीवन का अधिकार: संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जलवायु परिवर्तन को जीवन के अधिकार के लिए खतरे के रूप में
श्रम पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव - (August 2024)
जलवायु परिवर्तन श्रम बाजारों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है, स्वास्थ्य जोखिम और आर्थिक चुनौतियां उत्पन्न करता है, जिससे श्रमिकों की सुरक्षा और रोजगार के बेहतर अवसर सृजित करने के लिए व्यापक रणनीतियां आवश्यक हो जाती हैं। प्रभाव स्वास्थ्य जोखिम: बढ़ते तापमान और ग्रीष्म लहरों के कारण ताप तनाव, ताप थकावट और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जिससे श्रमिकों की उत्पादकता कम
शहरी भारत में बढ़ता हीट स्ट्रेस - (August 2024)
जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण के कारण शहरी भारत में हीट स्ट्रेस बढ़ रहा है, जिससे स्वास्थ्य, आर्थिक और बुनियादी ढांचे से जुड़ी बड़ी चुनौतियां सामने आ रही हैं। इन प्रभावों को कम करने और लचीलापन बढ़ाने के लिए प्रभावी उपाय बहुत ज़रूरी हैं। प्रमुख मुद्दे शहरी ताप द्वीप प्रभाव: शहरी क्षेत्रों में, उनके सघन बुनियादी ढांचे और कम हरियाली वाले स्थानों
भारत में कार्बन ट्रेडिंग: चुनौतियां और अनिवार्यताएं - (August 2024)
कार्बन ट्रेडिंग एक बाजार आधारित तंत्र है जिसका उद्देश्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना है। देशों या कंपनियों को उत्सर्जन की एक निश्चित सीमा दी जाती है, और वे इन सीमाओं का बाज़ार में व्यापार कर सकते हैं। जो कम उत्सर्जन करते हैं वे अपनी अतिरिक्त सीमा उन लोगों को बेच सकते हैं जिन्हें अधिक की आवश्यकता है। कार्बन ट्रेडिंग
भारत का भू-जल संसाधन : प्रबंधन चुनौतियां और पहलें - (August 2024)
भू-जल से तात्पर्य जल की उस मात्रा से है, जो पृथ्वी की सतह के नीचे संतृप्त मृदा एवं चट्टानों की परतों में स्थित होती है। यह पृथ्वी के सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों में से एक माना जाता है तथा पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रखने, मानव गतिविधियों का समर्थन करने और विश्व भर में लाखों लोगों के लिए पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित
मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने की क्षमता : मुख्य अनिवार्यताएं - (August 2024)
मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने की क्षमता ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जिन पर पारिस्थितिक तंत्र, मानव आजीविका और वैश्विक स्थिरता पर उनके महत्वपूर्ण प्रभावों के कारण तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। मरुस्थलीकरण को संबोधित करने और सूखे के प्रति लचीलापन बढ़ाने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है जो वैज्ञानिक, तकनीकी, नीति और समुदाय-आधारित रणनीतियों में समन्वय करती
पर्यावरणीय प्रभाव आकलन : खामियां और प्रभावशीलता बढ़ाने हेतु आवश्यक कदम - (August 2024)
पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) प्रस्तावित परियोजनाओं के पर्यावरणीय प्रभावों का मूल्यांकन करने के लिए एक आवश्यक प्रक्रिया है। इसका उद्देश्य प्रतिकूल प्रभावों की भविष्यवाणी करके और शमन उपायों का प्रस्ताव करके पर्यावरण क्षरण को रोकना है। हालाँकि, भारत में, ईआईए की प्रभावशीलता कई खामियों के कारण कमज़ोर हो जाती है, जिससे सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए सुधारों की आवश्यकता
भारत में हरित वित्तपोषण: पहल और चुनौतियां - (August 2024)
ग्रीन फाइनेंस(हरित वित्तपोषण) का तात्पर्य ऐसे निवेशों के वित्तपोषण से है जो सतत विकास के व्यापक संदर्भ में पर्यावरणीय लाभ प्रदान करते हैं। भारत में, ग्रीन फाइनेंस का महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है क्योंकि देश कम कार्बन, टिकाऊ अर्थव्यवस्था में बदलाव का लक्ष्य रखता है। हरित वित्तपोषण में पहल 1. नीति और नियामक ढांचा जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC)
बायोमास- ऊर्जा का दोहन: चुनौतियां और उपाय - (August 2024)
पौधों और जानवरों के अपशिष्ट जैसे जैविक पदार्थों से प्राप्त बायोमास ऊर्जा एक आशाजनक अक्षय ऊर्जा स्रोत प्रस्तुत करती है। इसमें जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और सतत विकास को बढ़ावा देने की क्षमता है। हालाँकि, बायोमास (जैव-भार) ऊर्जा का पूर्ण उपयोग करने की यात्रा कई चुनौतियों से भरी हुई है। इन चुनौतियों
कोयले का चरणबद्ध उन्मूलन: भारत के समक्ष चुनौतियां - (August 2024)
भारत में कोयले की प्रचुरता और वहनीयता के कारण ऊर्जा के प्राथमिक स्रोत के रूप में कोयले पर निर्भरता लंबे समय से रही है। हालांकि, जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए बढ़ते वैश्विक दबाव के साथ, भारत को ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करते हुए कोयले को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना
इलेक्ट्रिक वाहन : संबद्ध समस्याएं एवं संभावित हाइब्रिड समाधान - (August 2024)
इलेक्ट्रिक वाहन (EV) परिवहन के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए एक आशाजनक समाधान प्रस्तुत करते हैं, जो पारंपरिक आंतरिक दहन इंजन वाहनों की तुलना में स्वच्छ ऊर्जा और कम उत्सर्जन प्रदान करते हैं। हालाँकि, उनके व्यापक रूप से अपनाए जाने से महत्वपूर्ण चुनौतियां सामने आती हैं, जिन्हें संबोधित करने की आवश्यकता है ताकि ईवी उपभोक्ताओं के लिए मुख्यधारा
सतत कृषि : कृषि वानिकी एवं शून्य बजट प्राकृतिक कृषि की भूमिका - (August 2024)
कृषि वानिकी और शून्य बजट प्राकृतिक खेती (ZBNF) दो अभिनव दृष्टिकोण हैं जो सतत या टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। ये प्रथाएँ पारिस्थितिकी सिद्धांतों को कृषि उत्पादकता के साथ एकीकृत करती हैं, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने पर जोर देती हैं। यहाँ उनकी भूमिकाओं और लाभों का गहन
सतत विकास लक्ष्य की दिशा में भारत की प्रगति: आलोचनात्मक मूल्यांकन - (August 2024)
सतत विकास लक्ष्य (SDG) 2015 में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों द्वारा अपनाए गए 17 महत्वाकांक्षी लक्ष्यों का एक संग्रह है। इन लक्ष्यों का उद्देश्य 2030 तक सभी के लिए बेहतर और अधिक टिकाऊ भविष्य प्राप्त करना है, जिसमें सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय आयाम शामिल हैं। विशाल जनसंख्या वाले विकासशील राष्ट्र के रूप में भारत इन लक्ष्यों की दिशा
अंतरिक्ष युद्ध: उभरती सुरक्षा चुनौतियां - (July 2024)
वर्तमान समय में विश्व के विभिन्न राष्ट्र तेजी से सैन्य, आर्थिक और नागरिक उद्देश्यों के लिए अंतरिक्ष-आधारित प्रौद्योगिकियों पर निर्भर हो रहे हैं। अंतरिक्ष युद्ध से तात्पर्य बाहरी अंतरिक्ष में होने वाले संभावित संघर्ष या सैन्य अभियानों से है। इसके साथ ही इन देशों द्वारा अंतरिक्ष में अपने उपग्रहों की रक्षा के लिए विविध प्रावधान किए जा रहे हैं। इसके कारण
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सुरक्षा खतरे - (July 2024)
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने मानव जीवन के विभिन्न क्षेत्रों, जैसे स्वास्थ्य सेवा, वित्त, परिवहन आदि में क्रांति ला दी है। हालाँकि, एआई प्रौद्योगिकियों को भारत सहित वैश्विक स्तर पर तेजी से अपनाया जा रहा है परंतु व्यापक रूप से अपनाए जाने से कई सुरक्षा खतरे भी उत्पन्न होते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सुरक्षा खतरे एआई-संचालित साइबर हमले: साइबर अपराधी फ़िशिंग, मैलवेयर जैसे पारंपरिक
डेटा सुरक्षा: चुनौतियां एवं सरकारी पहलें - (July 2024)
वर्तमान डिजिटल युग में डेटा सुरक्षा एक गंभीर चिंता का विषय है, जहां व्यक्तिगत और कॉर्पोरेट डेटा की मात्रा और संवेदनशीलता तेजी से बढ़ रही है। भारत को मजबूत डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन सरकार ने इन मुद्दों के समाधान के लिए महत्वपूर्ण हस्तक्षेप भी किए हैं। डेटा सुरक्षा से संबंधित चुनौतियाँ डेटा सुभेद्यता: विभिन्न
सीमा पार साइबर हमले: भारत की सुरक्षा पर प्रभाव - (July 2024)
सीमा पार साइबर हमले भारत की साइबर सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा पैदा करते हैं, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और डिजिटल बुनियादी ढांचे पर असर पड़ता है। ये हमले अक्सर राज्य-प्रायोजित होते हैं। इसके साथ ही विभिन्न हमले संगठित अपराध समूहों या अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पार सक्रिय स्वतंत्र हैकरों द्वारा भी किए जाते हैं। सीमा पार साइबर हमलों का प्रभाव राष्ट्रीय सुरक्षा:
आतंकवाद और संगठित अपराध के मध्य गठजोड़ - (July 2024)
आतंकवाद और संगठित अपराध अवैध गतिविधि के दो रूप हैं तथा पिछले कुछ दशकों में आतंकवाद और संगठित अपराध के बीच संबंधों में तेजी से वृद्धि हुई है। आतंकवाद और संगठित अपराध अपने उद्देश्यों में भिन्न हैं, हालांकि अक्सर एक दूसरे के नेटवर्क का लाभ उठाने के लिए एकजुट होते हैं। दोनों का जुड़ाव उनकी परिचालन क्षमताओं को बढ़ाता हैं, परंतु यह
मॉब लिंचिंग: कारण, रोकथाम एवं शमन रणनीतियां - (July 2024)
मॉब लिंचिंग (Mob Lynching), उन घटनाओं को संदर्भित करती है जहां लोगों का एक समूह हिंसक व्यवहार में संलग्न होता है, जिससे अक्सर संपत्ति का विनाश होता है और यहां तक कि जीवन की हानि भी होती है। यह घटना सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक तनाव सहित विभिन्न कारकों से प्रेरित हो सकती है। भारत में, भीड़ हिंसा एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन
धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) और इसकी प्रासंगिकता - (July 2024)
धन शोधन या मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) से तात्पर्य गलत या अवैध रूप से अर्जित आय को वैध रूप से अर्जित आय के रूप में दर्शाना है। इसमें वैसे धन का रूपांतरण होता है जो गैरकानूनी स्रोतों और विधियों द्वारा अवैध रूप से प्राप्त किया गया है। वैश्विक स्तर पर इसे एक जघन्य अपराध माना जाता है जो न केवल देश
भारत में मादक पदार्थों की तस्करी - (July 2024)
भारत में मादक पदार्थों(ड्रग्स) की तस्करी एक जटिल मुद्दा है जिसका दूरगामी सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी प्रभाव पड़ता है। भारत गोल्डन क्रिसेंट (अफगानिस्तान, ईरान और पाकिस्तान) और गोल्डन ट्रायंगल (म्यांमार, लाओस और थाईलैंड) से घिरा है जो दुनिया के दो सबसे बड़े अफ़ीम उत्पादक क्षेत्र हैं। भारत की यह रणनीतिक स्थिति इसे मादक पदार्थों की तस्करी के लिए एक महत्वपूर्ण पारगमन
सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास - (July 2024)
सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास और स्थानीय समुदायों के जीवन स्तर को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। इन क्षेत्रों के रणनीतिक महत्व को देखते हुए, भारत सरकार द्वारा कनेक्टिविटी, लॉजिस्टिक्स और सुविधाओं में सुधार किया जा रहा है। इस क्षेत्र मे रहने वाले लोगों के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के साथ ही रक्षा तैयारियों को
भारत की सीमा प्रबंधन चुनौतियां - (July 2024)
भारत की सीमा चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और म्यांमार सहित कई देशों के साथ लगती हैं। भारत का भौगोलिक विस्तार सीमा प्रबंधन की जटिलताओं को बढ़ा देता है। भारत की सीमा प्रबंधन से संबंधित चुनौतियाँ भौगोलिक, भू-राजनीतिक, सामाजिक-आर्थिक और सुरक्षा-संबंधी कारकों से उत्पन्न होती हैं। भारत की 15,000 किलोमीटर से अधिक की विस्तृत भूमि सीमा और 7,500 किलोमीटर से अधिक
वैश्विक परमाणु विनियमन एवं परमाणु निरस्त्रीकरण - (July 2024)
वैश्विक परमाणु विनियमन और परमाणु निरस्त्रीकरण अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और स्थिरता के महत्वपूर्ण घटक हैं। इन प्रयासों का उद्देश्य परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकना, परमाणु ऊर्जा का सुरक्षित उपयोग सुनिश्चित करना है। वैश्विक परमाणु विनियमन और निरस्त्रीकरण का लक्ष्य परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया के लक्ष्य को प्राप्त करना है। वैश्विक परमाणु विनियमन परमाणु हथियारों के अप्रसार पर संधि (NPT): एनपीटी का उद्देश्य परमाणु
आंतरिक सुरक्षा खतरों का मुकाबला: केंद्रीय खुफिया एवं जांच एजेंसियों की भूमिका - (July 2024)
भारत में आंतरिक सुरक्षा खतरों का मुकाबला करने में केंद्रीय खुफिया और जांच एजेंसियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उनकी जिम्मेदारियों में खुफिया जानकारी एकत्र एवं विश्लेषण करना शामिल है। आतंकवाद विरोधी अभियान में इनके द्वारा विभिन्न राज्य और केंद्रीय एजेंसियों के साथ समन्वय आवश्यक माना जाता है। देश की प्रमुख केंद्रीय खुफिया और जांच एजेंसियां निम्नलिखित हैं: इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) अनुसंधान और विश्लेषण विंग
भारत के आतंकवाद-रोधी प्रयास - (July 2024)
भारत में कार्य करने वाले आतंकवादी समूह लगातार अपनी रणनीति विकसित कर रहे हैं और नई तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं। हाल के वर्षों में भारत के आतंकवाद विरोधी उपायों से आतंकवादी हिंसा को कम करने में कुछ सफलता भी मिली है। भारत के आतंकवाद विरोधी उपाय बहुआयामी हैं, जिनमें कानूनी, परिचालन संबंधी, खुफिया, राजनयिक और सामाजिक-आर्थिक रणनीतियाँ शामिल हैं। इन उपायों
नक्सलवाद एवं उग्रवाद का मुकाबला : स्थानीय समुदायों की भूमिका - (July 2024)
वर्तमान में भारत के विभिन्न भागों में नक्सलवाद और उग्रवाद की समस्या देखी जाती है। इस समस्या के समाधान के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा प्रयास किया जा रहा हैं। परंतु इनका सही तरीके से मुकाबला करने में स्थानीय समुदायों की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका हैं। सरकार द्वारा उठाया गया कोई भी कदम तब तक सफल नहीं हो सकता है
उत्तर-पूर्व भारत में जातीय संघर्ष: आंतरिक सुरक्षा पर प्रभाव - (July 2024)
उत्तर-पूर्व जातीय और सांस्कृतिक विविधता का मिश्रण है, जिसमें धार्मिक विविधता भी शामिल है। इसके साथ ही उत्तर-पूर्व भारत के राज्य कई दशकों से जातीय हिंसा का सामना कर रहे हैं। नागालैंड, मणिपुर, असम और त्रिपुरा जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में 1950-60 के दशक से ही विद्रोह देखने को मिल रहा है। उत्तर-पूर्व के विभिन्न राज्यों में जातीय संघर्ष असम: राज्य में प्रमुख जातीय
आतंकी ड्रोन : भारत के लिए सुरक्षा चुनौतियां - (July 2024)
आतंकी ड्रोन (Terror Drone) मानव रहित हवाई वाहन (Unmanned Aerial Vehicles - UAV) हैं, जिनका उपयोग एक देश या समूह द्वारा अपने विरोधी पड़ोसी देशों या संगठनों के विरुद्ध किया जाता है। मानव रहित हवाई वाहन या ड्रोन जैसी नई तकनीक के उद्भव ने हमारे देश की सुरक्षा एजेंसियों के लिए सीमाओं का प्रबंधन और आंतरिक सुरक्षा को और भी चुनौतीपूर्ण
गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम एवं इसकी प्रासंगिकता - (July 2024)
गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (Unlawful Activities (Prevention) Act-UAPA) को पहली बार 1967 में अधिनियमित किया गया था। इस कानून के निर्माण का उद्देश्य उन गतिविधियों पर अंकुश लगाना था, जो भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिये खतरा हैं। इसके पश्चात इसे कई बार संशोधित किया गया ताकि इस अधिनियम के माध्यम से आतंकवादी वित्तपोषण, साइबर-आतंकवाद जैसी समस्याओं का समाधान किया जा
वामपंथी उग्रवाद एवं इसके विविध आयाम - (July 2024)
वामपंथी उग्रवाद से तात्पर्य राज्य के खिलाफ वामपंथी विचारधारा से प्रेरित सशस्त्र विद्रोह से है। इसे नक्सलवाद, माओवाद जैसे कई अन्य नामों से भी जाना जाता है। इनके द्वारा हिंसक तरीकों के माध्यम से सामाजिक एवं राजनीतिक परिवर्तन लाने का प्रयास किया जाता हैं। इसके साथ ही साम्यवादी/समाजवादी राज्य की स्थापना करने का प्रयास किया जा रहा है। भारत में वामपंथी उग्रवाद भारत
आतंकवाद का वित्तपोषण: स्रोत, चुनौतियां और विभिन्न पहलें - (July 2024)
आतंकवाद का वित्तपोषण से तात्पर्य आतंकवादियों या आतंकवादी संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान कर लाभ पहुंचाने से है ताकि उन्हें आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने में सक्षम बनाया जा सके। आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए प्रदान किया गया धन आपराधिक गतिविधियों से प्राप्त किया गया हो सकता है। हालांकि कुछ मामलों में संबंधित एजेंसियों ने वैध स्रोतों से प्राप्त धन को
अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से संबंधित चुनौतियां : वैश्विक पहलें तथा समाधान - (July 2024)
अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के तहत वैश्विक स्तर पर हिंसा का उपयोग कर किसी राष्ट्र या समूह द्वारा लोगों को धमकाया जाता हैं या सरकार को अपनी नीति बदलने के लिए मजबूर किया जाता है। यह राजनीतिक, वैचारिक, दर्शन आदि से प्रेरित हो सकता है या निहित स्वार्थ पर भी आधारित हो सकता हैं। उदाहरण के लिए, 2001 में न्यूयॉर्क शहर में वर्ल्ड
भारतीय प्रवासी: भारत के विकास में योगदान - (July 2024)
दुनिया के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले भारतीय प्रवासियों ने भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।भारत के विकास में प्रवासी भारतीय समुदाय के योगदान को चिह्नित करने के लिए हर साल 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है। भारत के विकास में योगदान प्रेषण वित्तीय सहायता: प्रवासी भारतीय हर साल भारत में अपने परिवारों और समुदायों को अरबों डॉलर
द्विपक्षीय निवेश संधियाँ: भारत का दृष्टिकोण और चिंताएँ - (July 2024)
द्विपक्षीय निवेश संधियाँ (BIT) दो देशों के बीच समझौते हैं जिनका उद्देश्य एक देश के निवेशकों द्वारा दूसरे देश के क्षेत्र में किए गए निवेश को बढ़ावा देना और उसकी रक्षा करना है। विदेशी निवेश को आकर्षित करने और विदेशी निवेशकों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करने के अपने प्रयासों के तहत भारत ने पिछले कुछ वर्षों में कई बीआईटी सम्पन्न किए
भारत की अंतरराष्ट्रीय मानवीय सहायता: राजनयिक लाभ - (July 2024)
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्राकृतिक आपदाओं, संघर्षों और अन्य मानवीय संकटों के समय भारत मानवीय सहायता प्रदान करता है। अंतरराष्ट्रीय मानवीय सहायता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता वैश्विक मंच पर भारत के प्रभाव को बढ़ाती है। इसके साथ ही कई तरह के राजनयिक लाभ प्रदान करती है। राजनयिक लाभ सॉफ्ट पावर प्रोजेक्शन सकारात्मक छवि: समय पर और प्रभावी मानवीय सहायता प्रदान करने से एक जिम्मेदार
भारत का वैश्विक उत्थान और क्षेत्रीय पतन: एक विरोधाभास - (July 2024)
भारत वैश्विक स्तर पर एक ‘क्षेत्रीय शक्ति’ से एक ‘वैश्विक आर्थिक एवं सैन्य शक्ति’ के रूप में उभर रहा है। लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को वैश्विक उत्थान के साथ-साथ क्षेत्रीय गिरावट का सामना करना पड़ रहा है। यह स्थिति वास्तव में एक ऐसे विरोधाभास को दर्शाती है, जो दक्षिण एशिया के भू-राजनीतिक परिदृश्य की जटिलताओं को प्रदर्शित
नेबरहुड फर्स्ट नीति: प्रगति और उपलब्धियाँ - (July 2024)
भारत की "नेबरहुड फर्स्ट" नीति इसकी विदेश नीति का एक प्रमुख घटक है, जो दक्षिण एशिया में अपने निकटतम पड़ोसियों के साथ संबंधों को प्राथमिकता देने पर जोर देती है। इस नीति का उद्देश्य क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना, आर्थिक संबंधों को बढ़ाना और क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करना है। नेबरहुड फर्स्ट नीति के उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना: इस
दक्षिण चीन सागर: भारत की सामरिक और आर्थिक प्राथमिकताएँ - (July 2024)
दक्षिण चीन सागर एशिया के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में स्थित एक महत्वपूर्ण समुद्री क्षेत्र है, जो सामरिक, आर्थिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह समुद्र पश्चिम में वियतनाम, उत्तर में चीन, पूर्व में फिलीपींस, और दक्षिण में मलेशिया और ब्रुनेई से घिरा हुआ है। दक्षिण चीन सागर से महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्ग गुजरते है। इस क्षेत्र में तेल, प्राकृतिक गैस,
हिंद-प्रशांत क्षेत्र और भारत: रणनीतिक परिप्रेक्ष्य और सहभागिता - (July 2024)
हिंद-प्रशांत क्षेत्र, जो भारतीय महासागर और पश्चिमी प्रशांत महासागर को सम्मिलित करता है, 21वीं सदी में वैश्विक राजनीति का केंद्र बन गया है। यह क्षेत्र अपनी बढ़ती आर्थिक शक्ति, रणनीतिक महत्व और विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों के लिए जाना जाता है।भारत, अपनी विशिष्ट भौगोलिक स्थिति और बढ़ती आर्थिक और सैन्य शक्ति के साथ, इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण हितधारक बन गया
संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधार: आवश्यकता और भारत का रुख - (July 2024)
संयुक्त राष्ट्र (United Nations) विश्व स्तर पर स्थापित एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसका मुख्य उद्देश्य विश्वभर में शांति और सुरक्षा बनाए रखना, विकास को बढ़ावा देना, अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में सहयोग करना, अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवाधिकारों की रक्षा करना और विश्व समुदाय के लिए समृद्धि और समानता सुनिश्चित करना है। यह 24 अक्टूबर 1945 को स्थापित हुआ था और इसका मुख्यालय
बिम्सटेक: प्रासंगिकता और भारत का जुड़ाव - (July 2024)
बिम्सटेक (बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल) दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के सात देशों का एक क्षेत्रीय मंच है। इसकी स्थापना 1997 में बंगाल की खाड़ी के आसपास के देशों के बीच आर्थिक और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए की गई थी। सदस्य देश हैं: बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और
वैश्विक दक्षिण: भारत की नेतृत्वकारी भूमिका - (July 2024)
आज की बहुध्रुवीय दुनिया में, वैश्विक दक्षिण, विकासशील देशों का एक समूह, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी आवाज बुलंद कर रहा है। इस बदलाव में, भारत एक महत्वपूर्ण नेता के रूप में उभर रहा है। भारत का गुट-निरपेक्ष आंदोलन (NAM) के संस्थापक सदस्यों में से एक होने का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है, जो शीत युद्ध के दौरान गुटनिरपेक्षता की नीति को बढ़ावा
ब्रिक्स का विस्तार: भारत के लिए निहितार्थ और चुनौतियाँ - (July 2024)
ब्रिक्स (BRICS) एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय गठबंधन है, जिसमें पांच उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं - ब्राजील, रूस, भारत, चीन, और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। यह संगठन 21वीं सदी में आर्थिक विकास, राजनीतिक सहयोग, और वैश्विक संतुलन को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। ब्रिक्स का गठन 2009 में हुआ, जब ब्राजील, रूस, भारत, और चीन ने पहली बार एक
हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) - (July 2024)
हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) 23 सदस्य देशों वाला एक अंतर-सरकारी संगठन है जो हिंद महासागर तटीय राज्यों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। 1997 में मॉरीशस में स्थापित, यह संगठन व्यापार, निवेश, पर्यटन, समुद्री सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और मानव संसाधन विकास सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को प्रोत्साहित करता है। सदस्य हिंद महासागर रिम
समृद्धि के लिए हिंद-प्रशांत आर्थिक ढांचा (IPEF) - (July 2024)
हिंद-प्रशांत आर्थिक ढांचा (IPEF) अमेरिका के नेतृत्व वाली एक पहल है जिसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भाग लेने वाले देशों के बीच आर्थिक साझेदारी को मजबूत करना है। इसका लक्ष्य लचीलापन, स्थिरता, समावेशिता, आर्थिक विकास, निष्पक्षता और प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ावा देना है। हिन्द-प्रशांत आर्थिक ढांचे (IPEF) को मई 2022 में शुरू किया गया था, जिसमें 14 क्षेत्रीय साझेदार - ऑस्ट्रेलिया,
SCO और भारत: चुनौतियां और अवसर - (July 2024)
शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organization) की स्थापना वर्ष 2001 में हुई थी। दरअसल सोवियत रूस के विघटन के बाद मध्य एशिया के सीमावर्ती क्षेत्रों में विश्वास निर्माण के उपाय करने और मुद्दों को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने के लिए चीन, कज़ाखस्तान, किर्गिज़स्तान, रूस और ताजिकिस्तान ने 1996 में शंघाई पाँच (Shanghai Five) का गठन किया। इसके बाद, राजनीतिक, सुरक्षा
अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संरचना: समावेशी विकास हेतु व्यापक सुधार - (July 2024)
आज की दुनिया में, राष्ट्रीय सीमाएं व्यापार और निवेश के लिए बाधा नहीं हैं। कंपनियां वैश्विक स्तर पर काम करती हैं, पूंजी राष्ट्रीय सीमाओं को पार करती है, और देशों के बीच वित्तीय संबंध पहले से कहीं अधिक जटिल हैं। इस परस्पर जुड़े वातावरण को सुचारू रूप से चलाने के लिए एक मजबूत अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संरचना (IFS) की आवश्यकता होती
मध्य एशिया में भारत की महत्वाकांक्षाएं और चुनौतियां - (July 2024)
मध्य एशिया में भारत की महत्वाकांक्षाएं ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक संबंधों और क्षेत्रीय स्थिरता पर केंद्रित हैं। "कनेक्ट सेंट्रल एशिया" नीति और बहुपक्षीय भागीदारी के माध्यम से, भारत का लक्ष्य चीन के साथ कनेक्टिविटी और प्रतिस्पर्धा जैसी चुनौतियों का समाधान करते हुए व्यापार, बुनियादी ढांचे और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ाना है। महत्वाकांक्षाएं ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक लाभ: भारत का लक्ष्य मध्य एशिया के
भारत-फ्रांस संबंध: आर्थिक और सामरिक साझेदारी - (July 2024)
भारत और फ्रांस के बीच रक्षा, प्रौद्योगिकी और जलवायु सहयोग के क्षेत्र में मजबूत साझेदारी है। व्यापार असंतुलन और अलग-अलग प्राथमिकताओं जैसी चुनौतियों के बावजूद, दोनों देश अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहयोग करना और आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करना जारी रखते हैं। साझेदारी रक्षा साझेदारी: राफेल लड़ाकू जेट से लेकर 26 समुद्री विमानों के अधिग्रहण तक, फ्रांस ने भारत को उन्नत
भारत-पश्चिम एशिया संबंध: महत्व चुनौतियां एवं समाधान - (July 2024)
पश्चिम एशिया के साथ भारत के संबंध ऊर्जा सुरक्षा, व्यापार और आतंकवाद विरोधी प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण हैं। महत्वपूर्ण प्रवासी समुदाय और साझा सांस्कृतिक संबंधों के साथ, भारत आर्थिक जुड़ाव बढ़ाने और संतुलित कूटनीति बनाए रखने के लिए क्षेत्रीय चुनौतियों का सामना करता है। महत्व ऊर्जा सुरक्षा: भारत तेल और प्राकृतिक गैस के लिए पश्चिम एशिया पर बहुत अधिक निर्भर है, जिसमें
भारत-रूस संबंध: प्रगति में भागीदार - (July 2024)
भारत-रूस संबंधों की विशेषता मजबूत रक्षा, ऊर्जा और आर्थिक सहयोग के साथ-साथ सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान है। बदलती भू-राजनीतिक गतिशीलता और आर्थिक बाधाओं से चुनौतियों के बावजूद, दोनों राष्ट्र रणनीतिक और तकनीकी साझेदारी को गहरा करने का लक्ष्य रखते हैं। महत्व शस्त्र व्यापार: भारत रूसी हथियारों का सबसे बड़ा आयातक है, जिसमें एस-400 वायु रक्षा प्रणाली और परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियों का
भारत-अमेरिका बहुआयामी संबंध - (July 2024)
अमेरिका के साथ भारत के बहुआयामी संबंधों में आर्थिक, अंतरराष्ट्रीय, रक्षा और अंतरिक्ष सहयोग शामिल हैं। ऐतिहासिक गुटनिरपेक्षता और भिन्न भू-राजनीतिक रुखों में निहित चुनौतियों के बावजूद, आपसी रणनीतिक हितों को संबोधित करते हुए साझेदारी विकसित होती रहती है। बहुआयामी संबंध आर्थिक संबंध: अमेरिका 2022-23 में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया, जिसका द्विपक्षीय व्यापार 2021-22 में 119.5 बिलियन अमरीकी
बदलती वैश्विक व्यवस्था के बीच भारत-अफ्रीका संबंध - (July 2024)
भारत और अफ्रीका के बीच दीर्घकालिक साझेदारी है, जिसके तहत 2011-12 में व्यापार 68.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2022-23 में 90.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है। 1996 से 2022 के बीच अफ्रीका में भारत का निवेश 73.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर है । बदलती वैश्विक व्यवस्था बहुपक्षीय संस्थाओं का विस्तार: संयुक्त राष्ट्र, आईएमएफ और विश्व बैंक जैसी मौजूदा बहुपक्षीय संस्थाओं का
पड़ोसी देशों में भारत की विकास परियोजनाएँ - (July 2024)
भारत की भौगोलिक सीमा अफगानिस्तान, भूटान, बांग्लादेश, मालदीव, पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका से लगती है। अपने निकटतम पड़ोस के प्रति भारत की नीति दक्षिण एशिया में शांति और सहयोग बनाने के प्रयासों पर आधारित है। इसकी नेबरहुड फर्स्ट नीति, व्यापार, कनेक्टिविटी और लोगों से लोगों के बीच संपर्क को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित करती है। भारत की विकास परियोजनाएँ भौगोलिक कनेक्टिविटी:
IOR में समुद्री सुरक्षा चुनौतियाँ: बेहतर सहयोग की आवश्यकता - (July 2024)
हिंद महासागर का विशाल समुद्री विस्तार है जो अफ्रीका के पूर्वी तट से लेकर ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी तट तक फैला हुआ है। यह विश्व का तीसरा सबसे बड़ा महासागर है और इससे संबद्ध महाद्वीपीय तटरेखा, द्वीप और द्वीपसमूह अपने विविधतापूर्ण भूगोल के लिए जाने जाते हैं। हिंद महासागरीय क्षेत्र की सुरक्षा चुनौतियां सशस्त्र समुद्री डकैती: हिंद महासागर समुद्री डकैती का ‘हॉटस्पॉट’ माना
म्यांमार: आसियान के लिए भारत का प्रवेश द्वार - (July 2024)
भारत और म्यांमार के बीच सांस्कृतिक, धार्मिक और व्यापारिक संबंधों का एक लंबा इतिहास है जो प्राचीन काल से चला आ रहा है। 1935 तक औपनिवेशिक शासन के दौरान भारत और म्यांमार दोनों ब्रिटिश भारत का हिस्सा थे। स्वतंत्रता के बाद, भारत और म्यांमार ने राजनयिक संबंध स्थापित किए और घनिष्ठ संबंध बनाए रखे। भारत और म्यांमार ने 1951 में
भारत-भूटान संबंध: द्विपक्षीय प्रगति और विकास - (July 2024)
भारत और भूटान के बीच आपसी विश्वास, सद्भावना और समझ पर आधारित अद्वितीय द्विपक्षीय संबंध विकसित हुए हैं। दोनों देशों के बीच 1949 में हस्ताक्षरित 'मित्रता और सहयोग की संधि', जिसे 2007 में नवीनीकृत किया गया, इस संबंध में मूल ढांचे के रूप में कार्य करती है। भारत-भूटान संबंध: द्विपक्षीय प्रगति और विकास व्यापार एवं आर्थिक संबंध: वर्ष 1972 में दोनों देशों
भारत-नेपाल द्विपक्षीय संबंध: प्रमुख चुनौतियाँ और आगे की राह - (July 2024)
नेपाल भारत का एक महत्वपूर्ण पड़ोसी है और सदियों से चले आ रहे भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों के कारण इसकी विदेश नीति में विशेष महत्व रखता है। भारत-नेपाल संबंधों में प्रमुख चुनौतियाँ सीमा सम्बन्धी मुद्दे: नेपाल और भारत के बीच सीमा से संबंधित कुछ विवादास्पद मुद्दे हैं, जिनमें सुस्ता और कालापानी (भारत-चीन-नेपाल त्रि-जंक्शन) में विवाद के दो प्रमुख क्षेत्र शामिल
भारत-मालदीव संबंध: सामरिक, भू-राजनीतिक और आर्थिक मुद्दे - (July 2024)
भारत-मालदीव संबंधों का विकास मजबूत नींव पर हुआ है। दोनों देशों के मध्य विकसित सहयोग को विभिन्न संकटों के समय भारत के ऐतिहासिक समर्थन और लोगों के आपसी संबंधों द्वारा चिह्नित किया जा सकता है। मालदीव की भारत के पश्चिमी तट से निकटता तथा हिंद महासागर से होकर गुजरने वाले वाणिज्यिक समुद्री मार्गों के केंद्र में इसकी अवस्थिति इसे भारत
भारत-बांग्लादेश संबंध: महत्व और चुनौतियाँ - (July 2024)
भारत और बांग्लादेश सांस्कृतिक, भाषाई और ऐतिहासिक संबंधों, अपनी साझा सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक घटनाओं के द्वारा चिह्नित एक अद्वितीय संबंध साझा करते हैं। भारत ने 1971 में मुक्ति संग्राम के दौरान स्वतंत्र बांग्लादेश के उद्भव में एक महान भूमिका निभाई और यह बांग्लादेश को एक अलग राज्य के रूप में मान्यता देने वाला पहला देश था। बांग्लादेश का भारत के
हिंद महासागर द्वीपीय राष्ट्र एवं भारत : पहल और प्रभाव - (July 2024)
हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) 36 तटीय और द्वीपीय देशों में फैला एक महत्वपूर्ण समुद्री क्षेत्र है। यह क्षेत्र अपने महत्वपूर्ण व्यापार मार्गों, प्राकृतिक संसाधनों और भू-राजनीतिक महत्व के कारण रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। भारत की पहल कूटनीतिक संपर्क: प्रधानमंत्री मोदी की 2015 में सेशेल्स, मॉरीशस और श्रीलंका की तीन देशों की यात्रा और 2019 में मालदीव की यात्रा इन देशों के
भारत-श्रीलंका: प्रमुख मुद्दे और उनका समाधान - (July 2024)
श्रीलंका भारत का निकटतम समुद्री पड़ोसी है और प्रादेशिक सीमा से केवल 30 समुद्री मील दूर है। दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक और भाषाई संबंधों की साझा विरासत 2,500 वर्ष से अधिक पुरानी है। वर्ष 2022 में 5.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के समग्र द्विपक्षीय व्यापार के साथ भारत श्रीलंका का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था। भारत-श्रीलंका के संबंधों
तीन अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों की चर्चा कीजिए, जो बिहार की उन्नति में सहायक हो सकती हैं। इन अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग के उदाहरण भी प्रस्तुत कीजिए। - (December 2023)
प्रौद्योगिकी हमारे जीवन में लगातार सुधार कर रही है। तकनीकी विकास ने हमें अधिक कुशल निर्माता बनाया है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और क्लाउड कम्प्यूटिंग ऐसी तीन प्रौद्योगिकियां हैं, जिनमें भारत सहित बिहार के विकास को गति देने की क्षमता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता कृत्रिम बुद्धिमत्ता को संक्षिप्त रूप में एआई भी कहते हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता से तात्पर्य ऐसी मशीन का विकास
बिहार की कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की चर्चा कीजिए। आपके विचार में इस समस्या के समाधान के लिए क्या किया जा सकता है? - (December 2023)
बिहार की कृषि मौसम पर अत्यधिक निर्भर है। जलवायु परिवर्तन के कारण पिछले तीन दशकों के दौरान राष्ट्रीय औसत तापमान और अत्यधिक वर्षा की आवृत्ति में वृद्धि हुई है, जिसका प्रभाव देश की कृषि पर भी पड़ा है। जलवायु परिवर्तन सबसे अधिक लघु तथा सीमांत किसानों को प्रभावित करेगा। बिहार के 90 प्रतिशत से ज्यादा कृषक लघु तथा सीमांत कृषक हैं।
बिहार में भूमि सुधार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। इसके साथ ही बिहार में भूमि सुधार से संबन्धित राज्य सरकार के प्रयासों का उल्लेख कीजिए। - (December 2023)
भूमि सुधार में सामाजिक दृष्टि से जोतों के स्वामित्व का पुनर्वितरण तथा भूमि के इष्टतम प्रयोग की दृष्टि से कृषि भूमि का पुनर्गठन सम्मिलित है। भूमि सुधार के अंतर्गत साधारणतः स्वामित्व, विक्रय, पट्टे पर देना व भूमि के उत्तराधिकार आदि को शामिल किया जाता है। भूमि सुधार से न केवल कृषि विकास में सहायता मिलती है, वरन् सामाजिक-आर्थिक दृष्टि से भी
आधुनिक बिहार के गठन में सच्चिदानंद सिन्हा की भूमिका की समीक्षा कीजिए। - (December 2023)
उत्तरः डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा बिहार के प्रसिद्ध पत्रकार होने के साथ ही विधिवेत्ता भी थे। वे पटना विश्वविद्यालय के कुलपति होने के साथ-साथ बिहार एवं उड़ीसा सरकार के प्रथम वित्तमंत्री तथा बिहार विधान परिषद के प्रथम भारतीय अध्यक्ष रहे। डॉ. सिन्हा को बिहार को अलग प्रांत बनाने का विचार इंग्लैण्ड में आया, क्योंकि जब वे इंग्लैण्ड गए, तब उन्होंने पाया
बिहार के पिछड़ेपन के कारणों का उल्लेख कीजिए? बिहार के पिछड़ेपन को दूर करने से संबंधित उपायों की चर्चा कीजिए? - (December 2023)
उत्तरः बिहार देश के सबसे पिछड़े राज्यों में से एक है तथा इसके पिछड़ेपन के लिए विविध कारक जिम्मेदार हैं। इनमें से प्रमुख निम्लिखित हैं- औद्योगिक गतिहीनताः स्वतंत्रता के समय बिहार औद्योगिक रूप से अन्य राज्यों की तुलना में काफी आगे था, लेकिन बिहार के विभाजन के बाद सभी प्रमुख उद्योग झारखंड में चले गए और बिहार औद्योगिक दृष्टि से पिछड़ा
भारत छोड़ो आन्दोलन में जयप्रकाश नारायण की भूमिका पर प्रकाश डालिए। - (December 2023)
महात्मा गांधी ने 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन की घोषणा की। गांधीजी द्वारा घोषित इस आन्दोलन का व्यापक प्रभाव और प्रसार बिहार में देखा गया। भारत छोड़ो आन्दोलन अपने तीव्रता और विस्तार में काफी उग्र था, जिसमें जयप्रकाश नारायण की भूमिका महत्वपूर्ण थी। ब्रिटिश सरकार द्वारा बलपूर्वक आन्दोलन दबाने के कारण गुप्त रूप से आन्दोलन चलाया जा रहा था, कई
बिहार के प्रमुख जनजातीय/आदिवासी आन्दोलनों का वर्णन कीजिए। संथाल विद्रोह के कारणों की चर्चा कीजिए। - (December 2023)
1765 ई. के पश्चात ब्रिटिश सत्ता का प्रसार छोटानागपुर पठार एवं जंगलों में हुआ, तब अपने हितों की पूर्ति हेतु अंग्रजों द्वारा इनके क्षेत्रों का शोषण आरंभ हुआ। परिणामस्वरूप 18वीं तथा 19वीं शताब्दी में इन क्षेत्रों में कई विद्रोह देखने को मिलते हैं, जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं: तमाड़ विद्रोहः यह विद्रोह 1789 में छोटानागपुर की उरांव जनजातियों द्वारा जमींदारों के
स्वतंत्रता आन्दोलन के विभिन्न चरण में बिहार के छात्रों के योगदान का वर्णन कीजिए। - (December 2023)
स्वतंत्रता संग्राम के प्रत्येक चरण में बिहार के सभी वर्गों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। इनमें बिहार के छात्रों का योगदान अविस्मरणीय है। 1919 में महात्मा गांधी के पहले सत्याग्रह चम्पारण आन्दोलन के दौरान प्रधानाध्यापकों के नेतृत्व में हड़ताल हुई, जिसमें छात्र भी शामिल थे। इसके साथ ही 6 अप्रैल, 1919 को पटना सिटी में राजेन्द्र प्रसाद, मजहरूल हक आदि के
बिहार की अर्थव्यवस्था के लिए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की भूमिका का वर्णन कीजिए। एमएसएमई क्षेत्र द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं की चर्चा कीजिए। - (December 2023)
एमएसएमई क्षेत्र आर्थिक विकास, नवाचार और रोजगार के सबसे मजबूत संचालकों में से हैं। एमएसएमई क्षेत्र पिछले 5 दशकों में बिहार की अर्थव्यवस्था के बेहद जीवंत और गतिशील क्षेत्र के रूप में उभरा है। एमएसएमई न केवल बड़े उद्योगों की तुलना में कम पूंजीगत लागत पर बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, अपितु
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियां लिखें: (क) बिहार लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम (ख) बिहार में अनुशीलन समिति की गतिविधियां (ग) कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी एवं बिहार (घ) एन्युअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) 2022 [बिहार के संदर्भ में] - (December 2023)
(क) बिहार लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम बिहार लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम 15 अगस्त, 2011 को लागू किया गया। राज्य में भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के उद्देश्य से बजट सत्र 2011-12 में बिहार लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम को पारित किया गया। इसके तहत राज्य सरकार और इसकी एजेंसियों के लिए निर्धारित समय सीमा के अन्दर लोगों
उर्जा संसाधनों के प्रबंधन की आवश्यकता क्या है? उत्तर प्रदेश सरकार उर्जा संसाधनों के प्रबंधन के लिए क्या कर रही है? - (September 2023)
राज्य में विकास के साथ उर्जा की मांग बढ़ रही है। परम्परागत उर्जा के स्रोत सीमित होने के कारण है ऐसे में उर्जा संसाधनों का प्रबंधन आवश्यक हो जाता है। ऊर्जा संसाधनों के प्रबंधन की आवश्यकता है क्योंकि- पृथ्वी पर उपस्थित सभी जीवों के विकास के लिए ऊर्जा आवश्यक है। गैर नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन सीमित है क्योंकि एक बार पूर्ण उपभोग हो जाने
उ. प्र. में वन्य जीवों के संरक्षण से संबंधित मुद्दे क्या है? वन्य जीवों के संरक्षण के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का वर्णन करें। - (September 2023)
वन्य जीवों की सामान्य तथा संकटग्रस्त प्रजातियों को उनके प्राकृतिक वातावरण में सुरक्षित रखना तथा उन्हें लुप्त होने से बचाना वन्यजीव संरक्षण कहा जाता है। उत्तर प्रदेश में वन्य जीवों के संरक्षण से संबंधित निम्न मुद्दे हैः उत्तर प्रदेश में अवैध शिकार एक गंभीर समस्या है, ये शिकार जानवरों के विभिन्न अंगों की तस्करी के लिए किया जाता है। तीव्र शहरीकरण एवं औद्योगीकरण
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित कन्या सुमंगला योजना की प्रमुख योजनाओं को रेखांकित कीजिए? - (September 2023)
उ. प्र. सरकार ने इस योजना का 2019 में लान्च किया था। इस योजना को सामाजिक, धार्मिक और पारिवारिक भेदभाव से बालिकाओं को मुक्त कराने हेतु लान्च किया गया था। विशेषताएं: इस योजना के अन्तर्गत बालिका के जन्म पर परिवार को 1500 की राशि छः चरणों में प्रदान किया जाएगा। यह योजना का लाभ प्रति परिवार दो कन्याओं को दिया जाएगा।
उ. प्र. की प्रमुख झीलों का वर्णन करते हुए जैव विविधता में इसके योगदान की चर्चा करें? - (September 2023)
उ. प्र. में प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों प्रकार की झीलें है जो प्राकृतिक सौन्दर्यता को बढ़ाने के साथ ही महत्वपूर्ण जल निकायों के रूप में भूमिका निभाती है और क्षेत्र की जैव विविधता में योगदान करती है।प्रमुख झीलेंकीठम झील: इसे सूर सरोवर के नाम से जाना जाता है यह आगरा स्थित मानव निर्मित झील है तथा पक्षी अभ्यारण्य भी
जलवायु परिवर्तन क्या है? उत्तर प्रदेश पर इसके प्रभावों की समीक्षा करें। - (September 2023)
जलवायु एक लंबे समय में या कुछ सालों में किसी स्थान का औसत मौसम है तथा जलवायु परिवर्तन उन्हीं औसत परिस्थितियों में बदलाव है। यह बदलाव प्राकृतिक एवं मानव जनित दोनों हो सकता है। जलवायु परिवर्तन से वर्षा प्रभावित होगी, परिणाम स्वरूप उत्तर प्रदेश में सुखे जैसी स्थिति बनेगी जिसका कृषि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उ. प्र. जैसे उपोष्णकटिबंधीय राज्य
उ. प्र. के भू-जल संसाधन पर टिप्पणी करें? - (September 2023)
उ. प्र. भूजल से संपन्न राज्य है जो कृषि क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र एवं घरेलू प्रयोग सहित विभिन्न क्षेत्रों की जल की मांग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। उ. प्र. में भूजल क्षेत्रों को जल तल की गहराई, जल उपलब्धता और भू-जल पुनर्भरण दर के आधार पर चार भूजल क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है। सेमी क्रिटिकल जोनः जल-न्यूनता वाले क्षेत्र एवं
उ. प्र. सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम प्रोत्साहन नीति 2022 के प्रमुख उद्देश्य एवं प्रावधान क्या है? - (September 2023)
सितंबर 2022 को उ. प्र. मंत्रिमंडल की बैठक में उत्तर प्रदेश सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम प्रोत्साहन नीति 2022 को मंजूरी प्रदान की गई। यह नीति सितंबर 2027 तक जारी रहेगी। उद्देश्यः एमएसएमई उद्यमों की अधिकाधिक नवीन इकाइयों की स्थापना हेतु उ. प्र. को पूंजी निवेश के लिए राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आकर्षक क्षेत्र के रूप में स्थापित करना।प्रावधानः
लोक वित्त क्या है? क्या उत्तर प्रदेश में लोक वित्त से संबंधित चुनौतियों का वर्णन करें। - (September 2023)
लोक वित्त सरकार के वित्तीय पहलुओं का अध्ययन है। इसको सरकार और लोक प्राधिकरणों की वित्तीय गतिविधियों के रूप में परिभाषित किया गया है। यह सरकार के व्यय तथा उन व्ययों को वित्तपोषित करने के लिए उपयोग की जाने वाली तकनीकों का वर्णन एवं विश्लेषण करता है। उ. प्र. में लोक वित्त से संबंधित चुनौतियां: बजट घाटाः इसके चलते उ. प्र. की आवश्यक
एक्वाकल्चर क्या है? उ. प्र. में इसके विकास की संभावनाओं का मूल्यांकन करें। - (September 2023)
एक्वाकल्चर जिसे एक्वाफा²मग भी कहते हैं, यह जलीय जीवों जैसे मछली, मोलस्क, शैवाल और जलीय पौधों आदि जीवों की नियंत्रित खेती है। साधारण शब्दों में जलीय पौधों और जीवों का उत्पादन करना एक्वाकल्चर यानी जलीय कृषि कहलाता है। उ. प्र. में एक्वाकल्चर के विकास की संभावना उ. प्र. प्रदेश मीठे जल के संसाधनों के संदर्भ में काफी समृद्ध है जिसमें जलीय कृषि
उ. प्र. में सार्वजनिक-निजी भागीदारी परियोजनाओं के समक्ष मुख्य चुनौतियां क्या है? इसके निराकरण के उचित समाधान बताइये। - (September 2023)
सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) का अर्थ सार्वजनिक क्षेत्र एवं निजी क्षेत्र के मध्य संयुक्त रूप से विकास, संचालन और सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को बनाएं रखने या सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करने की सहयोगी व्यवस्था है। चुनौतियां: परियोजना की पहचान करना तथा उसकी उपयोगिता का आकलन करना। निष्पक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेहिता सुनिश्चित करने के लिए मजबूत कानूनी एवं स्पष्ट नियामक ढांचा की चुनौती।
उ. प्र. में अवस्थित प्रमुख संग्रहालयों की विशेषता का वर्णन करें। - (September 2023)
उ. प्र. के संग्रहालय पर्यटकों को राज्य की समृद्ध विरासत से परिचय कराने के साथ अध्ययन और शिक्षा के लिए कलात्मक, सांस्कृतिक एवं वैज्ञानिक आधार प्रदान करते है और इन्हें संरक्षित भी करते है। राजकीय संग्रहालय लखनऊ सबसे प्राचीन एवं बहुउद्देशीय संग्रहालय है यह पेटिंग्स, पाण्डुलिपियों, मुद्राशास्त्र और नृविज्ञान पर प्रकाश डालता है। वाराणसी में भारत कला भवन तथा
चौरी-चौरा काण्ड का भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन पर गहरा प्रभाव पड़ा विश्लेषण करें। - (September 2023)
फरवरी 1922 को घटित उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में चौरी-चौरा काण्ड का भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में महत्वपूर्ण स्थान है, इस घटना क्रम का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के रणनीति एवं दर्शन पर गहरा प्रभाव पड़ा। प्रभावः इस घटना का त्वरित प्रभाव असहयोग आन्दोलन का स्थगन था तथा महात्मा गांधी द्वारा रचनात्मक कार्यक्रमों को बढ़ावा देने जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से रणनीतिक
उत्तर प्रदेश की आन्तरिक सुरक्षा में संचार नेटवर्क की भूमिका की समीक्षा करें। - (September 2023)
संचार नेटवर्क द्वारा विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के मध्य सूचना का कुशल विनियमन, समन्वय एवं निगरानी के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाता है। उत्तर प्रदेश की आन्तरिक सुरक्षा में संचार नेटवर्क की भूमिका संचार नेटवर्क प्रवर्तन एजेंसियों, खुफिया एजेंसियों के मध्य वास्तविक समय में सूचना साझा करता है जिससे त्वरित कार्यवाही करने में मदद मिलती है। प्रभावी संचार नेटवर्क सुरक्षा
उत्तर प्रदेश के विकास में गैर सरकारी संगठनों की भूमिका का आलोचनात्मक परीक्षण करें। - (September 2023)
गैर सरकारी संगठनों से तात्पर्य उन संगठनों से है जो समाज सेवा के भाव से प्रेरित होकर समाजसेवियों एवं बुद्धिजीवियों द्वारा निर्मित किए जाते है। आलोचनात्मक परिक्षण इन्होंने उ.प्र. में सामाजिक परिवर्तन और विकास लाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है किन्तु विगत वर्षों में कुछ संस्थानों के मनी लाड्रींग जैसे गतिविधियों में लिप्त होने के कारण विश्वसनीयता पर सवाल उठे
सामाजिक अंकेक्षण क्या है? उत्तर प्रदेश के संदर्भ में इसके महत्व एवं चुनौतियों की विवेचना करें। - (September 2023)
सामाजिक अंकेक्षण को ऐसे तंत्र के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिसका उपयोग किसी संगठन के समग्र नैतिक प्रदर्शन को समझने, मापने, रिपोर्ट करने और बढ़ाने में किया जाता है। महत्व यह कमजोर समूहों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल करता है तथा नीतिनिर्माण एवं कार्यान्वयन में उनकी जरूरतों एवं चिंताओं को दूर करता है। यह भ्रष्टाचार एवं कुप्रबंधन
उत्तर प्रदेश के संदर्भ में सार्वजनिक सेवाओं के महत्व का परीक्षण करते हुए प्रमुख सेवाओं का वर्णन करें। - (September 2023)
सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधाएं जो नागरिकों के सुगम जीवन हेतु आवश्यक होती है; जैसे जलापूर्ति, विद्युत वितरण, बैंकिंग प्रणाली, रेलवे आदि को सार्वजनिक सेवा कहते है। उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक सेवाओं का महत्वः ये सेवाएं उत्तर प्रदेश के निवासियों के समग्र विकास एवं गुणवत्तापूर्ण जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं। उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक सेवाओं का उद्देश्य समाज के वंचित वर्गों
उत्तर प्रदेश की राजनीतिक व्यवस्था का समलोचनात्मक विश्लेषण करें। - (September 2023)
उत्तर प्रदेश में द्विसदनीय विधायिका है, जहां विधान परिषद को उच्च सदन तथा विधान सभा को निम्न सदन कहा जाता है। यह भारत का सबसे बड़ा विधानमण्डल है जिसके सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों पक्ष है। सकारात्मक पक्षः राज्य के आकार और राजनीतिक प्रभाव के कारण इसका राष्ट्रीय राजनीति में स्थान महत्वपूर्ण है। अपनी सीटों की संख्या के कारण यह राष्ट्रीय राजनीतिक परिदृश्य
उत्तर प्रदेश के प्रमुख संगीत घरानों पर संक्षिप्त टिप्पणी करें। - (September 2023)
घराना का तात्पर्य है, कुछ विशेषताओं का पीढ़ी दर पीढ़ी चला आना अर्थात गुरु शिष्य परंपरा को घराना कहते हैं। यह हिन्दुस्तानी संगीत की एक विशेषता है। किराना घराना मुजफ्रफरपुर में है। यह ‘ख्याल गायन’ के लिए प्रसिद्ध है। भीमसेन जोशी एवं गंगूबाई हंगल इस घराने के प्रसिद्ध कलाकार है। आगरा घराना को रंगीला घराना भी कहते हैं यह घराना
वाराणसी के सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित करें। - (September 2023)
भारत में धर्म एवं सभ्यता के केन्द्र के रूप में वाराणसी का विशेष स्थान है तथा इसके कई नाम तथा विशेषताएं है जो इसे भारत की सांस्कृतिक राजधानी बनाते हैं। उत्तर वाहिनी गंगा तट पर अवस्थित इस शहर का 3000 वर्षों से अधिक का इतिहास है, जो इसे सर्वाधिक प्राचीन जीवित शहर बनाता है। वाराणसी कई धर्मों एवं पूजन पद्धतियों के लिए
उत्तर प्रदेश में अवस्थित बौद्ध एवं जैन धर्म के प्रमुख स्थलों का वर्णन करें। - (September 2023)
उत्तरः बौद्ध एवं जैन धर्म के प्रचार-प्रसार की दृष्टि से उत्तर प्रदेश का महत्वपूर्ण स्थान है। इन दोनों धर्मों की जड़े उत्तर प्रदेश में काफी गहरी है। बौद्ध धर्म से संबंधित स्थलः वाराणसीः धर्म चक्र प्रर्वतन की घटना का साक्षी सारनाथ यहीं अवस्थित है तथा यहीं पर धमेख स्तूप भी स्थित है। श्रावस्तीः प्राचीन कोशल जहां गौतम बुद्ध ने सर्वाधिक वर्षावास व्यतीत किए।
सशस्त्र संघर्ष अथवा युद्ध: नैतिकता एवं नागरिक अधिकार - (September 2023)
सशस्त्र संघर्ष या युद्ध में नैतिकता व अधिकार जटिल एवं महत्वपूर्ण विषय हैं, जिनमें अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून, मानवाधिकार एवं नैतिक सिद्धांतों का विचार शामिल है। ये मुद्दे कई कानूनी ढांचों व सम्मेलनों द्वारा शासित होते हैं, जिनमें जेनेवा कन्वेंशन विभिन्न प्रोटोकॉल तथा प्रथागत अंतरराष्ट्रीय कानून भी शामिल हैं। सशस्त्र संघर्ष या युद्ध में प्रासंगिक नैतिक सिद्धांत एवं अधिकार नागरिकों की सुरक्षाः नागरिकों
लोक सेवा हेतु महत्वपूर्ण मूल्य - (September 2023)
मूल्य ‘बुनियादी विश्वास’ (Fundamental Beliefs) है, जो लोगों के कार्यों तथा व्यवहार को निर्देशित करते हैं’। लोक सेवा संगठनों तथा संस्थानों में मूल्यों को सामान्यतः कार्यक्षेत्र में आवश्यक व्यवहार को निर्धारित करने तथा मार्ग-निर्देशित करने में महत्वपूर्ण माना जाता है। सत्यनिष्ठा सत्यनिष्ठा का अर्थ है, विचार, वाणी तथा कर्म के बीच ‘सुसंगतता’ (Consistency) का होना। एक सत्यनिष्ठ व्यक्ति जो सोचता है, वही
प्रभावी अनुनय के निर्धारक - (September 2023)
अनुनय या प्रत्यायन (Persuasion) वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा दूसरों को अपनी अभिवृत्ति में परिवर्तन लाने के लिए प्रभावित किया जाता है। दूसरे शब्दों में, अनुनय को पुनर्निर्देशित संचार गतिविधियों के रूप में परिभाषित किया गया है। यह किसी व्यक्ति के दृष्टिकोण, विश्वास या व्यवहार को बदलने या सुदृढ़ करने की प्रक्रिया है। अनुनय किसी वस्तु, मुद्दे या व्यक्ति के प्रति
न्यायसंगत एवं प्रभावी कार्य संस्कृति की नैतिकता - (September 2023)
कार्य संस्कृति उन मूल्यों, व्यवहारों, रीति-रिवाजों एवं प्रथाओं को संदर्भित करती है, जो किसी कंपनी या संगठन के संचालन के तरीके को बनाते हैं। इसकी उत्पत्ति स्वयं उस संगठन में ही होती है। इसके माध्यम से यह निर्धारित होता है कि कर्मचारियों के मध्य तथा कर्मचारी एवं संगठन के मध्य परस्पर अंतर्वैक्तिक संबंध कैसे संचालित हो रहे हैं। किसी संगठन की
भारत में वामपंथी उग्रवाद - (September 2023)
भारत में वामपंथी उग्रवाद का तात्पर्य, देश के कुछ क्षेत्रों में विभिन्न माओवादी या नक्सली समूहों द्वारा किए गए विद्रोह अथवा हिंसा से है। ये समूह साम्यवादी विचारधारा से प्रेरित हैं तथा इनका लक्ष्य सरकार को उखाड़ फेंकना एवं वर्गहीन समाज की स्थापना करना है। भारत में वामपंथी उग्रवाद की जड़ें ऐतिहासिक भूमि विवादों, सामाजिक आर्थिक असमानताओं एवं हाशिए पर रहने
भारत में नशीली दवाओं का खतरा - (September 2023)
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री, अमित शाह ने 17 जुलाई, 2023 को नई दिल्ली में ‘मादक पदार्थों की तस्करी एवं राष्ट्रीय सुरक्षा’ पर आयोजित क्षेत्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता की। केंद्रीय गृहमंत्री ने नशीली दवाओं के प्रति शून्य-सहिष्णुता की नीति अपनाने का सुझाव दिया। भारत में नशीली दवाओं की समस्या एक जटिल और बहुआयामी मुद्दा है, जो देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य और
अंतरराष्ट्रीय आतंकवादः कारण, पहल और चुनौतियां - (September 2023)
आधुनिक विश्व में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद एक जटिल एवं गंभीर समस्या के रूप में स्थापित हो चुका है। यह वैश्विक सुरक्षा के लिए एक चुनौती है। इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गैर-राज्य अभिकर्ताओं द्वारा की गई हिंसा, धमकी एवं भय के कार्य शामिल हैं। आतंकवाद, आबादी में भय का सामान्य माहौल बनाने तथा एक विशेष राजनीतिक उद्देश्य को पूरा करने के लिए हिंसा
सांस्कृतिक विरासत हेतु आपदा जोखिम प्रबंधन - (September 2023)
विश्व धरोहर संपत्तियां तथा विरासत स्थल आम तौर पर प्राकृतिक एवं मानव-जनित विनाशकारी घटनाओं के प्रभावों के संपर्क में आते हैं, जो उनकी अखंडता एवं सुरक्षा को खतरे में डालते हैं। इन उत्कृष्ट संपत्तियों की हानि या गिरावट का स्थानीय और राष्ट्रीय समुदायों पर उनके सांस्कृतिक महत्व एवं सामाजिक-आर्थिक मूल्य दोनों के कारण गंभीर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। 1972 के विश्व धरोहर
भारत: भूस्खलन सुभेद्यता - (September 2023)
भारत अपनी विविध भौगोलिक एवं जलवायु परिस्थितियों के कारण भूस्खलन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है। देश के कई क्षेत्रों में भूस्खलन एक आम प्राकृतिक खतरा है। इससे जीवन की व्यापक हानि, संपत्ति की क्षति एवं बुनियादी ढांचे तथा आजीविका में व्यवधान उत्पन्न होता है। भूस्खलन क्या है? भूस्खलन को गुरुत्वाकर्षण की क्रिया के कारण चट्टान, मलबे या पृथ्वी के एक समूह का
भारत में वनाग्नि - (September 2023)
वनाग्नि वह अनियंत्रित आग है, जो जंगल के बड़े हिस्से को नष्ट कर देती है। यह जीव-जंतुओं एवं वनस्पतियों के लिए खतरा है तथा किसी क्षेत्र की जैव विविधता एवं पारिस्थितिकी के लिए हानिकारक है। हाल के वर्षों में जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ी हैं। इसका मुख्य कारण मानवजनित गतिविधियों के कारण होने वाला जलवायु परिवर्तन है। भारतीय वन सर्वेक्षण
भारत में पर्यावरणीय लेखांकन - (September 2023)
पर्यावरणीय-लेखांकन का उद्देश्य सतत विकास प्राप्त करना, सामुदायिक अनुकूलन को बनाए रखना तथा प्रभावी एवं कुशल पर्यावरण संरक्षण गतिविधियों को आगे बढ़ाना है। पर्यावरणीय-लेखांकन की आरंभिक प्रक्रिया यूरोपीय देशों से आरंभ हुई थी तथा इसे आरंभ करने वाले देशों में नॉर्वे को सर्वप्रमुख माना जा सकता है। पर्यावरणीय-लेखांकन की कुछ विशेषताएं निम्नलिखित हैं: इस प्रकार की लेखांकन प्रक्रियाएं किसी कंपनी को
सर्कुलर इकोनॉमी एवं भारत: चुनौतियां एवं अवसर - (September 2023)
भारतीय अर्थव्यवस्था के रैखिक से चक्रीय अर्थव्यवस्था (Circular Economy) की ओर संक्रमण को तेज करने के लिए सरकार द्वारा 11 फोकस क्षेत्रों के लिए 11 समितियों का गठन किया गया है। समितियों का नेतृत्व संबंधित मंत्रालयों द्वारा किया जाएगा तथा इनमें पर्यावरण मंत्रालय, नीति आयोग के अधिकारी तथा विशेषज्ञ, शिक्षाविद और उद्योग प्रतिनिधि शामिल होंगे। ये समितियां रैखिक से चक्रीय अर्थव्यवस्था के
संपीडित बायोगैस (CBG): ऊर्जा सुरक्षा हेतु आवश्यक - (September 2023)
भारत की जीडीपी और जनसंख्या के साथ-साथ ऊर्जा की मांग भी लगातार बढ़ रही है। देश की लगभग 70% ऊर्जा जरूरतें कोयले और जीवाश्म ईंधन से पूरी होती हैं; लेकिन घटते जीवाश्म ईंधन भंडार, बढ़ते ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन और आयातित तेल की बढ़ती लागत के कारण ऊर्जा स्रोतों के विविधिकरण का प्रयास किया जा रहा है। 2021 के अंत तक,
पर्यावरणीय रूप से धारणीय शहरों का निर्माण - (September 2023)
धारणीय शहर, वर्तमान और भविष्य के निवासियों के जीवन की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए एवं सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय स्थितियों में सुधार के लिए शहरों की योजना बनाने एवं विकसित करने के लिए संसाधनों का उपयोग करने का उद्देश्य रखता है। 2050 तक, दुनिया की दो-तिहाई से अधिक आबादी के शहरी क्षेत्रों में रहने का अनुमान है। इस शहरी विकास
शहरी कृषि: आवश्यकता एवं लाभ - (September 2023)
खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, शहरी एवं उपनगरीय कृषि (Urban - Peri Urban Agriculture-UPA) को उन प्रथाओं के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो कृषि उत्पादन और संबंधित प्रक्रियाओं (परिवर्तन, वितरण, विपणन, रीसाइक्लिंग आदि) से भोजन और अन्य निर्गत उत्पन्न करते हैं। यह शहरों एवं आस-पास के क्षेत्रों के भीतर भूमि और अन्य स्थानों पर होती
भारत में सतत रेत खनन - (September 2023)
भारत में सतत रेत खनन (Sustainable Sand Mining) एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, क्योंकि रेत की अत्यधिक और अनियमित निकासी के गंभीर पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक परिणाम हो सकते हैं। निर्माण और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए नदी तलों, समुद्र तटों और अन्य स्रोतों से रेत निकालना रेत खनन है। सैंड माइनिंग फ्रेमवर्क के अनुसार, भारत को प्रतिवर्ष 70 मिलियन टन रेत की
भारत में वाहन स्क्रैपेज - (September 2023)
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने एक अधिसूचना के माध्यम से भारत की स्क्रैपेज नीति की घोषणा की। अधिसूचना के अनुसार, ऐसे वाहनों का निपटान वाहन के प्रारंभिक पंजीकरण की तारीख से 15 वर्ष की समाप्ति के बाद पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधा के माध्यम से सुनिश्चित किया जाना चाहिए। केंद्रीय बजट 2021-22 में घोषित, यह नीति निजी वाहनों के लिए
भारत में प्लास्टिक प्रदूषण - (September 2023)
प्लास्टिक प्रदूषण, पर्यावरण में सिंथेटिक प्लास्टिक उत्पादों का इस हद तक संचय है कि वे वन्यजीवों और उनके आवासों के साथ-साथ मानव जीवन के लिए भी समस्याएं उत्पन्न कर देते हैं। 1907 में बैकेलाइट के आविष्कार ने विश्व वाणिज्य में वास्तव में सिंथेटिक प्लास्टिक रेजिन को पेश करके सामग्रियों में क्रांति ला दी। 20वीं सदी के अंत तक, प्लास्टिक को माउंट एवरेस्ट
भारत में जैविक कृषिः स्थिति एवं सरकार के प्रयास - (September 2023)
भारत जैविक किसानों (Organic Farmers) की कुल संख्या के मामले में पहले स्थान पर है तथा जैविक खेती के तहत कुल क्षेत्र की दृष्टि से नौवें स्थान पर है। सिक्किम पूरी तरह से जैविक बनने वाला दुनिया का पहला राज्य बन गया है। पूर्वोत्तर भारत पारंपरिक रूप से जैविक रहा है और यहां रसायनों की खपत देश के बाकी हिस्सों की
जैव विविधता पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव - (September 2023)
जलवायु परिवर्तन का तात्पर्य मानवीय गतिविधियों के कारण तापमान और मौसम में होने वाले दीर्घकालिक परिवर्तनों से है। औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि और अत्यधिक एवं अप्रत्याशित मौसम, जलवायु परिवर्तन की सबसे आम अभिव्यक्तियां हैं। प्राकृतिक आपदाओं की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि, समुद्री जलस्तर में वृद्धि, फसल उत्पादकता में कमी और जैव विविधता की हानि, जलवायु परिवर्तन के मुख्य
जलवायु परिवर्तन में कृषि की भूमिका - (September 2023)
कृषि जलवायु परिवर्तन का शिकार और योगदानकर्ता दोनों है। एक ओर, कृषि गतिविधियां कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान देती हैं; दूसरी ओर, ग्रीनहाउस गैस जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग में योगदान करते हैं तथा कृषि उत्पादन प्रणालियों की स्थिरता पर गहरा प्रभाव डालते हैं। मुख्य रूप से रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और पशु अपशिष्टों के उपयोग के
कार्बन असमानता: प्रभाव एवं समाधान - (September 2023)
2020 में COVID-19 महामारी के कारण कार्बन उत्सर्जन में भारी गिरावट के बाद भी, जलवायु संकट बढ़ता रहा। भारत और बांग्लादेश में चक्रवात अम्फान से लेकर संयुक्त राज्य अमेरिका में जंगल की आग तक चरम मौसमी आपदाओं की आवृत्ति बढ़ती जा रही है। इससे सबसे गरीब और हाशिए पर रहने वाले लोग सबसे अधिक पीड़ित हैं। एक धनी अल्पसंख्यक वर्ग का
आक्रामक प्रजातियां: संबंधित मुद्दे एवं आवश्यक प्रयास - (September 2023)
आक्रामक प्रजातियां गैर-देशी जीव हैं, जिन्हें जानबूझकर या अनजाने में उनकी प्राकृतिक सीमा के बाहर पारिस्थितिक तंत्र में पेश किया जाता है। विशेषकर जैव विविधता पर ये प्रजातियां महत्वपूर्ण पारिस्थितिक, आर्थिक और सामाजिक प्रभाव पैदा करती हैं। आक्रामक प्रजातियों के प्रमुख प्रभाव और संबंधित चिंताएं जैव विविधता की हानिः आक्रामक प्रजातियां भोजन, आवास और प्रजनन स्थलों जैसे संसाधनों के लिए मूल प्रजातियों
फ़ेशियल रिकग्निशन प्रौद्योगिकीः लाभ एवं चिंताएं - (September 2023)
वर्तमान में भारत की विभिन्न केंद्रीय और राज्य सरकारों द्वारा निगरानी, सुरक्षा अथवा पहचान के प्रमाणीकरण हेतु फेशियल रिकॉग्निशन ट्रैकिंग (Facial recognition tracking - FRT) प्रणालियों का उपयोग किया जा रहा है। किंतु संभावित रूप से इस आक्रामक तकनीक के उपयोग को विनियमित करने के संबंध में कोई विशेष कानून या दिशा-निर्देश तैयार नहीं किये गए हैं। फेशियल रिकॉग्निशन प्रौद्योगिकी फेशियल रिकॉग्निशन
भारत-लीगो (LIGO) परियोजनाः महत्व और चुनौतियां - (September 2023)
LIGO या लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल-वेव वेधशाला दुनिया की सबसे बड़ी गुरुत्वाकर्षण तरंग वेधशाला है। पहले दो LIGO का निर्माण 1990 के दशक में देश के राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन के वित्त पोषण एवं समर्थन से संयुक्त राज्य अमेरिका (हैनफोर्ड और लिविंगस्टन) में किया गया था। हाल ही में भारत सरकर के कैबिनेट मंत्रालय ने महाराष्ट्र के हिंगोली जिले में LIGO की
भारत में महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियां - (September 2023)
महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियां भारत सहित अनेक देशों के आर्थिक और तकनीकी परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये प्रौद्योगिकियां विकास, नवाचार और जीवन की बेहतर गुणवत्ता का अवसर प्रदान करती हैं। अवसर आर्थिक विकास और नवाचारः महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों को अपनाने से आर्थिक विकास को गति मिल सकता है तथा नवाचार को बढ़ावा मिल सकता है। कृत्रिम
सोडियम-आयन बैटरी: महत्व और मुद्दे - (September 2023)
सोडियम-आयन बैटरी (NIB) एक प्रकार की रिचार्जेबल बैटरी तकनीक है, जिसने लिथियम-आयन बैटरी (LIB) के विकल्प के रूप में ध्यान आकर्षित किया है। ये बैटरियां लिथियम आयनों के बजाय चार्ज वाहक के रूप में सोडियम आयनों (Na+) का उपयोग करती हैं। सोडियम-आयन बैटरी का महत्व सोडियम की प्रचुरताः लिथियम की तुलना में सोडियम पृथ्वी की पपड़ी में बहुत अधिक प्रचुर मात्र में
डार्कनेटः चिंताएं और उपाय - (September 2023)
डार्कनेट, जिसे डार्क वेब के नाम से भी जाना जाता है, इंटरनेट का एक हिस्सा है, जो जानबूझकर छिपा हुआ है और मानक वेब ब्राउजर के माध्यम से पहुंच योग्य नहीं है। इसे टोर (TOR-The Onion Router) जैसे विशेष सॉफ्रटवेयर का उपयोग करके एक्सेस किया जाता है। यह उपयोगकर्ताओं की पहचान एवं गतिविधियों को अज्ञात रखता है। चिंताएं: अवैध बाजारः डार्कनेट अवैध
इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स और भारत - (September 2023)
इंटरनेट ऑफ थिंग्स इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) भौतिक वस्तुओं या ‘चीजों’ का नेटवर्क है; जिसमें इंटरनेट का उपयोग करके डेटा का आदान-प्रदान किया जाता है। इंटरनेट ऑफ थिंग्स में सेंसर, सॉफ्रटवेयर और अन्य प्रौद्योगिकियों का प्रयोग डेटा के संग्रहण एवं विश्लेषण में किया जाता है। इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) में कनेक्टेड उपकरणों की सहायता से विभिन्न कार्यक्षेत्रों जैसे- बिजली, मोटर वाहन, सुरक्षा
शहरी सहकारी बैंकः महत्व और चुनौतियां - (September 2023)
शहरी सहकारी बैंक (UCB) वित्तीय संस्थान हैं, जो भारत में शहरी और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में संचालित होते हैं। UCB सहकारी समिति अधिनियम के तहत पंजीकृत होते हैं तथा अपने सदस्यों के स्वामित्व और संचालन वाली सहकारी संस्थाओं के रूप में कार्य करते हैं। मुख्य रूप से छोटे उद्यमियों, व्यवसायों, उद्योगों और शहरी क्षेत्रों में स्वरोजगार के साथ-साथ घर की खरीद तथा
वि-वैश्वीकरण और भारतः कारक और प्रभाव - (September 2023)
वि-वैश्वीकरण दुनिया भर के देशों के मध्य परस्पर निर्भरता और एकीकरण को कम करने की प्रक्रिया है। देशों के बीच आर्थिक व्यापार और निवेश में गिरावट इसकी विशेषता है। यह गिरावट अर्थव्यवस्थाओं के मध्य कम एकीकृत होने की प्रवृत्ति को दर्शाता है। वि-वैश्वीकरण: कारक एशिया का उदय: भारत, चीन और जापान जैसे विकासशील देश पिछले कुछ दशकों में तेजी से बढ़े हैं।
महत्वपूर्ण खनिज: भारत के लिए महत्व एवं चुनौतियां - (September 2023)
भारत सरकार ने हाल ही में अपनी पहली महत्वपूर्ण खनिज सूची जारी करके अपनी रणनीतिक संसाधन सुरक्षा बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सूची में 30 प्रमुख खनिज शामिल हैं, जो भारत की आर्थिक वृद्धि, तकनीकी विकास और नेट-शून्य कार्बन भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है। इस कदम का उद्देश्य आयात निर्भरता को कम करना, आपूर्ति- श्रृंखला के लचीलेपन (Supply
भारतीय डिस्कॉमः चुनौतियां और सुझाव - (September 2023)
बिजली उत्पादन, पारेषण और वितरण बिजली क्षेत्र में शामिल तीन मुख्य प्रक्रियाएं हैं। बिजली का वितरण, वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) द्वारा किया जाता है, जो बिजली उत्पादकों को घरों से जोड़ती है। भारतीय संविधान के 7वीं अनुसूची तहत, बिजली एक समवर्ती विषय है तथा उपभोक्ताओं को बिजली के वितरण और आपूर्ति की जिम्मेदारी राज्यों की है। DISCOMs का स्वामित्व मुख्य रूप से राज्य
भारतीय जहाजरानी उद्योग - (September 2023)
7,516 किलोमीटर की तटरेखा के साथ, भारत दुनिया के शिपिंग मार्गों पर आदर्श स्थिति में है। समुद्री परिवहन भारत का लगभग 70% व्यापार संभालता है। भारत में 12 प्रमुख और 200$ गैर-प्रमुख बंदरगाहों के साथ एक महत्वपूर्ण आकार का समुद्री क्षेत्र शामिल है। पूर्वी एशिया, अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका के बीच चलने वाले अधिकांश मालवाहक जहाज भारतीय क्षेत्रीय जल से होकर
भारत में बीमा क्षेत्रः चुनौतियां एवं अवसर - (September 2023)
भारत दुनिया के उभरते बीमा बाजारों में पांचवां सबसे बड़ा जीवन बीमा बाजार है, जो हर साल 32.34% की दर से बढ़ रहा है। उद्योग में स्वचालित पद्धति के तहत 26% तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति है और उद्योग की लाइसेंसिंग की निगरानी बीमा नियामक, भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) द्वारा की जाती है। भारत के बीमा उद्योग
भारत में नवाचार: चुनौतियां एवं अवसर - (September 2023)
भारत वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इस स्थिति को हासिल करने में नवाचार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत ने नवाचार को एक प्रमुख प्राथमिकता के रूप में सही ढंग से पहचाना है तथा यह दुनिया भर में अपने अभिनव पदचिह्न को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। ज्ञान संचय और बेहतर
भारत में व्यापक स्तर पर दवा का निर्माण - (September 2023)
केंद्र सरकार ने घरेलू दवा उद्योगों के विकास को बढ़ावा देने के लिए देश में तीन बल्क ड्रग पार्क स्थापित करने की घोषणा की है। सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री (API) को बल्क ड्रग्स कहा जाता है। ये किसी औषधि या चिकित्सा-पद्धति के मुख्य तत्व हैं। चिकित्सीय प्रभाव या इच्छित औषधीय गतिविधि प्रदान करने के लिए बल्क ड्रग प्रमुख स्रोत है। विश्व स्वास्थ्य
भारत में तम्बाकू की कृषि - (September 2023)
तम्बाकू विश्व में आर्थिक रूप से सबसे अधिक महत्वपूर्ण कृषि फसलों में से एक है। यह एक सूखा प्रतिरोधी और कम अवधि की फसल है, जिसे ऐसी मिट्टी पर उगाया जा सकता है, जहां अन्य फसलों की खेती लाभप्रद रूप से नहीं की जा सकती है। भारत तम्बाकू के प्रमुख निर्यातकों में से एक है और चीन के बाद दूसरे
भारत में खाद्य भण्डारण की चुनौतियां - (September 2023)
खाद्य सुरक्षा उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है, जहां कृषि पर आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा आजीविका के लिए आश्रित है। हालांकि, अप्रभावी खाद्यान्न भंडारण प्रबंधन खाद्य सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा पैदा करता है, जिसके परिणामस्वरूप फसल कटाई के बाद महत्वपूर्ण नुकसान होता है। हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विभिन्न योजनाओं के
भारत में कपास की कृषि: चुनौतियां एवं अवसर - (September 2023)
कपास लंबे समय से भारत में एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्यावसायिक फसल रही है। कपास की खेती का ब्रिटिश राज के दौरान भारत में विस्तार हुआ। आजादी के बाद भी यह एक प्रमुख नकदी फसल बनी रही, किन्तु उत्पादकता कम रही। वर्ष 2002 में हाइब्रिड कपास (BT) की शुरुआत से उत्पादकता में सुधार हुई। बीटी कपास की शुरूआत के बाद से भारत
भारत में ई-कॉमर्स और एमएसएमई - (September 2023)
भारत का ई-कॉमर्स क्षेत्र 2030 तक 300 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) के लिए ई-कॉमर्स, आर्थिक स्थिरता, विकास एवं सुरक्षा का सही पर्याय है। यह एक ऐसा चैनल है, जो सबसे छोटे एमएसएमई (MSME) को भी विस्तार करने एवं स्थान बदलने पर खर्च किए बिना दुनिया के किसी भी हिस्से में अपने
भारत का डेयरी क्षेत्र - (September 2023)
दूध उत्पादन में भारत की सफलता की कहानी डॉ. वर्गीस कुरियन द्वारा लिखी गई थी, जिन्हें भारत में ‘श्वेत क्रांति के जनक’ के रूप में जाना जाता है। यह क्षेत्र राष्ट्रीय GDP में 5 प्रतिशत का योगदान देता है और 8 करोड़ से अधिक किसानों को सीधे रोजगार प्रदान करता है। भारत दूध उत्पादन में पहले स्थान पर है, जो वैश्विक
भारत का खिलौना उद्योग क्षेत्र - (September 2023)
भारतीय खिलौना उद्योग ने 2020-21 तथा 2021-22 के दौरान खिलौनों का शुद्ध निर्यातक बनकर दशकों के आयात प्रभुत्व को समाप्त कर दिया है। खिलौनों को महत्वपूर्ण निर्यात क्षमता वाले चैंपियन क्षेत्रों में से एक माना गया है। भारतीय खिलौना उद्योग विश्व स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ने वाले उद्योगों में से एक है। भारत में खिलौना उद्योग भारत में खिलौनों का आविष्कार
कृषि विपणनः मुद्दे एवं चुनौतियां - (September 2023)
कृषि विपणन न केवल उत्पादन एवं उपभोग को प्रोत्साहित करने में, बल्कि आर्थिक विकास की गति को तेज करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कृषि विपणन प्रणाली उन देशों में आर्थिक विकास में दोहरी भूमिका निभाता है, जिनके लिए कृषि मुख्य संसाधन के रूप में है। हालांकि, उत्पादकों को अपने कृषि माल का विपणन करने की कोशिश में कई समस्याओं
कृषि निर्यात को बढ़ावा: भारत के समक्ष चुनौतियां - (September 2023)
भारतीय कृषि, बागवानी एवं प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ विश्व के 100 से अधिक देशों में निर्यात किए जाते हैं। अप्रैल 2022 से जनवरी 2023 के बीच भारत का कृषि निर्यात पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 6.04% बढ़ा है। जहां अप्रैल 2021 और जनवरी 2022 के बीच कृषि निर्यात 40.90 बिलियन डॉलर था, वहीं 2022-23 में समान महीनों के लिए
शहरी गरीबी: उपशमन की आवश्यकता - (September 2023)
शहरी गरीबी उस स्थिति को संदर्भित करती है, जहां शहरी क्षेत्रों में व्यक्ति या परिवार महत्वपूर्ण अभाव का अनुभव करते हैं; जहां सभ्य जीवन स्तर के लिए बुनियादी आवश्यकताओं तक पहुंच की कमी होती है। यह विश्व भर के शहरों और कस्बों में प्रचलित एक सामाजिक और आर्थिक मुद्दा है। शहरी क्षेत्र अक्सर बेहतर अवसरों की तलाश में ग्रामीण क्षेत्रों के
भारत में लैंगिक असमानता - (September 2023)
भारत में लिंग-भेद का तात्पर्य सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और शैक्षिक अवसरों सहित जीवन के विभिन्न पहलुओं में पुरुषों और महिलाओं के बीच असमानता से है। हाल के वर्षों में महत्वपूर्ण प्रगति के बावजूद, देश में लैंगिक असमानता एक प्रचलित मुद्दा बनी हुई है, जो लाखों महिलाओं के जीवन को प्रभावित कर रही है। हाल ही में विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा
भारत में मूलभूत साक्षरता - (September 2023)
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) के अध्यक्ष विवेक देबरॉय ने भारत में मूलभूत साक्षरता (Foundational Literacy) और संख्यात्मकता (Numeracy) की स्थिति पर एक रिपोर्ट जारी की। इंस्टीटड्ढूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट एक बच्चे के समग्र विकास में प्रारंभिक शिक्षा के वर्षों के महत्व पर प्रकाश डालती है। यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020) और NIPUN भारत दिशा-निर्देशों जैसे
भारत में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल - (September 2023)
मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017, ‘मानसिक बीमारी’ को ‘विचार, मनोदशा, धारणा, अभिविन्यास या स्मृति का एक बड़ा विकार’ के रूप में परिभाषित करता है, जो जीवन की सामान्य मांगों, शराब और नशीली दवाओं के दुरुपयोग से जुड़ी मानसिक स्थितियों को पूरा करने के लिए निर्णय या क्षमता को खराब कर देता है। भारत में मानसिक स्वास्थ्य की स्थितिः WHO के अनुसार, दुनिया
भारत में बाल कुपोषण - (September 2023)
भारत में बाल कुपोषण एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता है। इसे संबोधित करने के विभिन्न प्रयासों के बावजूद यह एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है। कुपोषण उस स्थिति को संदर्भित करता है, जहां बच्चों को उनकी वृद्धि और विकास के लिए पर्याप्त पोषण नहीं मिलता है, जिससे विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं और विकासात्मक समस्याएं पैदा होती हैं। राज्यसभा में महिला एवं बाल
भारत में ट्रांसजेंडर अधिकार - (September 2023)
भारत में ट्रांसजेंडर अधिकार, हाल के वर्षों में महत्वपूर्ण कानूनी और सामाजिक परिवर्तनों का विषय रहे हैं। हालांकि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों को पहचानने और उनकी सुरक्षा करने में प्रगति हुई है, लेकिन चुनौतियां और भेदभाव अभी भी कायम हैं। भारत में ट्रांसजेंडर अधिकारों के संबंध में कुछ प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं: कानूनी मान्यताः अप्रैल 2014 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने
अपरिपक्व जन्म: वर्तमान स्थिति एवं प्रयास - (September 2023)
समय से पहले जन्म (Pre-term Birth), भारत में एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दा है। यह गर्भधारण के 37 सप्ताह पूरे होने से पहले बच्चे के जन्म को संदर्भित करता है। समय से पहले जन्म नवजात शिशु के लिए विभिन्न स्वास्थ्य चुनौतियों का कारण बन सकता है। क्योंकि वे चिकित्सकीय हस्तक्षेप के बिना गर्भ के बाहर जीवित रहने के लिए पूरी
भारत में बाल यौन अपराध: संबंधित मुद्दे तथा उपाय - (September 2023)
हाल ही में एक याचिका पर सुनवाई करते समय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष आपराधिक न्याय प्रक्रिया संहिता (CrPC) तथा यौन अपराधों से संरक्षण से संबंधित पॉक्सो (POCSO) अधिनियम के मध्य विरोधाभास की स्थिति उत्पन्न हुई। इससे यह मुद्दा निकल कर सामने आया है कि क्या आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 155 (2) यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO), 2012
समृद्धि के लिए हिंद-प्रशांत आर्थिक ढांचा (IPEF) तथा भारत - (September 2023)
इंडो-पेसिफिक इकोनामिक फ्रेमवर्क फॉर प्रोस्पेरिटी (IPEF) अमेरिका के नेतृत्व वाला एक आर्थिक समूह है। इसमें भारत सहित 14 साझेदार देश शामिल हैं। ये देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 40% और वैश्विक वस्तुओं एवं सेवाओं के व्यापार के 28% का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसे 23 मई, 2022 को संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा टोक्यो में लॉन्च किया
नाटो: प्रमुख चुनौतियां तथा भारत का दृष्टिकोण - (September 2023)
11-12 जुलाई, 2023 को लिथुआनिया की राजधानी ‘विनियस’ में नाटो शिखर सम्मेलन-2023 का आयोजन किया गया। अप्रैल 2023 में गठबंधन में शामिल होने के बाद फिनलैंड का यह पहला नाटो शिखर सम्मेलन था। हाल ही में एक अमेरिकी सीनेटर तथा नाटो में अमेरिका के राजदूत ‘जूलियन स्मिथ’ द्वारा भारत को नाटो प्लस का हिस्सा बनाने की मंशा जाहिर की गई थी,
क्वाड समूह: महत्व एवं चुनौतियां - (September 2023)
चतुर्भुज सुरक्षा संवाद अर्थात क्वाड (QUAD) भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच अनौपचारिक रणनीतिक वार्ता मंच (Informal Strategic Dialogue Forum) है। यह ‘मुक्त, खुले और समृद्ध’ (Free, Open and Prosperous) हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने और उसके समर्थन के लिये इन देशों को एक साथ लाता है। चीन इस चतुष्पक्षीय गठबंधन को एशियाई-नाटो (Asian-NATO) के रूप में देखता है तथा वह लंबे
भारत-रूस संबंध: चुनौतियां एवं महत्व - (September 2023)
रूस, भारत के लिए एक पुराना और समय की कसौटी पर परखा हुआ साझेदार रहा है तथा दोनों देशों के बीच संबंधों का विकास भारत की विदेश नीति का एक प्रमुख स्तंभ रहा है। अक्टूबर 2000 में ‘भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी घोषणा-पत्र’ पर हस्ताक्षर करने के बाद से, भारत-रूस संबंधों ने लगभग सभी क्षेत्रों में सहयोग के उन्नत स्तरों के साथ गुणात्मक
रूस-यूक्रेन युद्ध: कारण, वर्तमान स्थिति एवं भविष्य की राह - (September 2023)
रूस-यूक्रेन संघर्ष फरवरी 2014 में रूसी सैनिकों द्वारा यूक्रेनी स्वायत्त गणराज्य ‘क्रीमिया’ पर गुप्त आक्रमण के साथ शुरू हुआ था, जो अगले 8 वर्षों में कमोबेश जारी रहा। 24 फरवरी, 2022 को रूस ने यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण की शुरुआत कर दी। युद्ध के शुरुआती दिनों में रूसी सेना द्वारा महत्वपूर्ण बढ़त दर्ज करने के बावजूद यूक्रेनी रक्षकों ने
संविधान की 9वीं अनुसूचीः न्यायिक समीक्षा से संरक्षण - (September 2023)
पिछले कुछ महीनों में देश की कुछ राज्य सरकारों द्वारा न्यायिक समीक्षा से संरक्षण प्राप्त करने के लिए अपने विधेयकों को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की गई है। अप्रैल 2023 में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दो संशोधन विधेयकों के संबंध में इस प्रकार की मांग की गई थी तथा इसके पूर्व नवंबर 2022 में झारखंड द्वारा भी
भारत में स्थानीय स्वशासन - (September 2023)
आधुनिक भारत में स्थानीय स्वशासन को प्रारंभ करने का मूल उद्देश्य गांवों का विकास करना तथा स्थानीय स्तर पर लोगों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में प्रत्यक्ष भागीदार बनाना है। भारत ने स्थानीय स्वशासन को सफलतापूर्वक लागू कर, वैश्विक समुदाय के समक्ष लोकतांत्रिक प्रक्रिया के विकेंद्रीकरण का एक बेहतर उदाहरण प्रस्तुत किया है। लोकतंत्र की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि शासन
न्यायिक बहुसंख्यकवाद एवं इससे संबंधित मुद्दे - (September 2023)
जनवरी 2023 में विवेक नारायण शर्मा बनाम भारत संघ वाद के अपने निर्णय में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 4-1 के बहुमत से केंद्र सरकार के 2016 के विमुद्रीकरण के फैसले को बरकरार रखा था। जस्टिस बी- वी- नागरत्ना इस मामले में असहमतिपूर्ण निर्णय देने वाली एकमात्र न्यायाधीश थीं, जिन्होंने आरबीआई की संस्थागत निष्क्रिय स्वीकृति पर प्रश्न-चिह्न उठाया था। इस फैसले
भारत में न्यायेतर हत्याएं: मुद्दे एवं उपाय - (September 2023)
भारत में समय-समय पर न्यायेतर हत्याओं (Extra-Judicial Killings) की विश्वसनीयता और वैधता पर सवाल उठते रहे हैं, बावजूद इसके अभी भी देश में पुलिस मुठभेड़ में हुई हत्याओं (Encounter Killings) या न्यायेतर हत्याओं के खिलाफ कोई स्पष्ट कानून नहीं है। हाल ही में उत्तर प्रदेश में हुई पुलिस मुठभेड़ की घटनाओं के कारण न्यायेतर हत्याओं का औचित्य पुनः चर्चा के केंद्र
विशेष न्यायालय: आवश्यकता एवं प्रासं गिकता - (September 2023)
विशेष न्यायालय (Special Court), सीमित क्षेत्रधिकार वाले न्यायालय हैं, जो कानून के एक विशिष्ट क्षेत्र का प्रबंधन करते हैं। ये अदालतें ‘न्यायिक’ संस्थाएं होते हुए भी देश की नियमित न्यायिक अदालतों के पदानुक्रम से बाहर होती हैं। इन्हें अलग-अलग अधिनियमों द्वारा स्थापित किया जाता है तथा कानून के एक निर्दिष्ट क्षेत्र से निपटने के कारण ये सामान्य अदालतों से भिन्न होती हैं। अब
आधारभूत ढांचे का सिद्धांत - (September 2023)
भारतीय संविधान में कहीं भी ‘आधारभूत ढांचा’ शब्द का उल्लेख नहीं है। यह विचार विभिन्न न्यायिक वादों के जरिये समय के साथ धीरे-धीरे विकसित हुआ कि संसद ऐसे कानून प्रस्तुत नहीं कर सकती, जो संविधान की मूल संरचना में संशोधन करते हों। केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) के मामले में सर्वोच्च न्यायालय की 13 जजों की अब तक की सबसे
राज्यपाल की विवेकाधीन शक्तियां - (September 2023)
राज्यपाल केंद्र और राज्यों के बीच सेतु का काम करता है। इसे सहकारी शासन का एक प्रमुख स्तंभ माना जाता है। भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में राज्यपाल राज्य के संवैधानिक प्रमुख और केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में ‘दोहरी भूमिका’ के रूप में कार्य करता है। राज्यपाल की विवेकाधीन शक्तियां भारतीय शासन प्रणाली में केंद्रीय स्तर पर भारत के राष्ट्रपति को तथा राज्य
सिविल सेवा क्षमता निर्माण - (September 2023)
सिविल सेवक, नीति निर्धारण के अभिकर्ता तथा शासन के कार्यकारी माध्यम हैं, जो जमीनी-स्तर पर कार्य करते हैं। सिविल सेवकों की क्षमता एवं कौशल, सेवाओं के वितरण, कार्यक्रम कार्यान्वयन तथा शासन-प्रशासन के मुख्य कार्यों के निष्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका है। सिविल सेवकों के क्षमता निर्माण से शासकीय प्रणाली की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार हो सकता है। साथ ही लोक सेवा को
आधुनिक भारतीय समाज की परिवर्तनशील गत्यात्मकता - (September 2023)
सामाजिक परिवर्तन प्रत्येक समाज की एक आवश्यक विशेषता मानी जाती है। आधुनिक भारतीय समाज विश्व के साथ कहीं अधिक गहराई से जुड़ा हुआ है तथा वैश्वीकरण के कारण देश की सामाजिक संरचनाओं और संस्थाओं में व्यापक परिवर्तन दर्ज किया गया है। विश्व के किसी भी कोने में होने वाले परिवर्तन से कहीं अधिक प्रभावित हो रहा है। परिवर्तनशील गतिशीलता का स्वरूप पश्चिमी
बलात् विस्थापन: कारण एवं समाधान - (September 2023)
बलात् विस्थापन के तहत् लोग मजबूरी वश अपने मूल स्थान से किसी दूसरे स्थान पर शरण लेने को विवश होते हैं। इस प्रकार विस्थापन के लिए मजबूर आबादी को दूसरे स्थान पर अपनी विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अलग-अलग प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शरणार्थियों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि ये लोग अपनी मूलभूत आवश्यकताओं
धर्मांतरण एवं भारतीय समाज - (September 2023)
धर्मांतरण का तात्पर्य किसी एक धार्मिक संप्रदाय को छोड़कर किसी अन्य धार्मिक संप्रदाय के विश्वासों को अपनाना या इससे जुड़ना है। धर्मांतरण धार्मिक पहचान के परिवर्तन और विशेष अनुष्ठानों के परिवर्तन का प्रतीक होता है। भारतीय समाज को सदियों से राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक स्तर पर धर्म द्वारा आकार दिया गया है। भारत को अपने समृद्ध धार्मिक इतिहास पर गर्व है,
समान नागरिक संहिता: आवश्यकता एवं व्यवहार्यता - (September 2023)
हाल ही में भारत के 22वें विधि आयोग द्वारा समान नागरिक संहिता (UCC) के संबंध में देश की आम जनता एवं मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों से सुझाव आमंत्रित किये गए। अवगत करा दें कि पूर्ववर्ती 21वें विधि आयोग द्वारा इस विषय की समीक्षा की गई थी तथा अगस्त 2018 में जारी परामर्श पत्र में कहा गया था कि समान नागरिक संहिता,
गहरे महासागर में अन्वेषण: महत्व और प्रमुख पहल - (September 2023)
गहरे महासागर की खोज भारत के आर्थिक विकास के साथ ही वैश्विक जलवायु परिवर्तन को रोकने के अनुकूल है। भारत इस क्षेत्र में एक दीर्घकालिक रणनीति के अनुरूप आगे बढ़ रहा है तथा अंतरराष्ट्रीय सहयोग एवं समर्थन के आधार पर आगे बढ़ रहा है। भारत को अंतरराष्ट्रीय समुद्री प्राधिकरण (International Seabed Authority) द्वारा वर्ष 1987 में हिंद महासागर बेसिन में खनिज
भू-धंसाव एवं इसके कारण - (September 2023)
हाल के समय में, मानसून के कारण होने वाली वर्षा के पश्चात देश के उत्तरी हिमालय उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव (Land Subsidence) की परिघटना दर्ज की गई है। ध्यान रहे कि पूर्व में जोशीमठ को भूस्खलन-धंसाव क्षेत्र (land subsidence zone) घोषित किया जा चुका है तथा यहां रहने वाले विभिन्न परिवारों को अस्थायी राहत केंद्रों में पहुंचाया गया है। भू-धंसाव
भूमि निम्नीकरण: कारण एवं प्रभाव - (September 2023)
भूमि निम्नीकरण से तात्पर्य भौतिक, रासायनिक या जैविक कारकों के कारण भूमि की उत्पादकता के अस्थायी (Temporary) या स्थायी अधःपतन (Permanent Degeneration) होने से है। भूमि निम्नीकरण मानवीय एवं प्राकृतिक दोनों कारणों से होता है। देश का लगभग 30 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र भूमि निम्नीकरण से प्रभावित है तथा 97.85 मिलियन हेक्टेयर (mha) भूमि निम्नीकृत हो चुकी है। इसमें से 3.32
मुगलों की प्रशासनिक नीतियां: विशेषताएं और मुद्दे - (September 2023)
मुगल साम्राज्य की स्थापना भारत में 1526 में हुई थी तथा इनके द्वारा भारतीय उपमहाद्वीप में एक मजबूत साम्राज्य का निर्माण हुआ। इसे अच्छी तरह से चलाने के लिए एक मजबूत प्रशासनिक व्यवस्था का भी निर्माण किया। इनके प्रशासनिक नीतियों के कारण भारत में अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण हुआ, जिसने आर्थिक और सांस्कृतिक विकास का मार्ग प्रशस्त किया। मुगलों के प्रशासनिक
भूदान एवं ग्रामदान आंदोलन - (September 2023)
भूदान आंदोलन, एक सामाजिक-राजनीतिक आंदोलन था, जिसे 1951 में विनोबा भावे द्वारा प्रारंभ किया गया था। श्री भावे ने भूदान आंदोलन के माध्यम से धनी जमींदारों को अपनी भूमि का एक हिस्सा भूमिहीन किसानों को दान करने के लिये प्रेरित किया था। उनका यह विचार था कि भू-स्वामियों को गरीबों हेतु करुणा एवं सहानुभूति के साथ अपनी भूमि दान करनी
ब्रिटिश शासन में गिरमिटिया मजदूर - (September 2023)
19वीं और 20वीं सदी के मध्य ब्रिटिश-भारत से 1.6 मिलियन से अधिक मजदूरों को एक अग्रीमेंट के तहत (अंगूठे का निशान लगवाकर) 19 ब्रिटिश उपनिवेशों में मुख्यतः वृक्षारोपण से संबंधित काम के लिए ले जाया गया, इन्हीं मजदूरों को ‘गिरमिटिया’ (girmitiyas) मजदूर कहते हैं। भारत से गिरमिटिया मजदूरों के प्रवासन की शुरुआत दास प्रथा के उन्मूलन के पश्चात् ब्रिटिश उपनिवेशों में
भारतीय पुनर्जागरण: कारण और महत्व - (September 2023)
18वीं शताब्दी के अन्त तक भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवाद की जड़ें जम चुकी थीं। राजनीतिक सत्ता की स्थापना के साथ-साथ पाश्चात्य संस्कृति एवं विचारधारा भारतीय जनजीवन को प्रभावित करने लगी थी। राजा राममोहन राय, स्वामी विवेकानन्द आदि महापुरुषों ने धार्मिक और सामाजिक आन्दोलन चलाकर सोते हुए भारतीयों को जगाने का प्रयास किया। कारण धार्मिक व सामाजिक कुप्रथाएं: 19वीं शताब्दी का भारत अनेक
भारत की समृद्ध वैज्ञानिक विरासत - (September 2023)
भारतीय सभ्यता की वैज्ञानिक विरासत का इतिहास 5,000 वर्षों से भी अधिक पुराना है। प्राचीन भारतीयों ने दिल्ली लौह स्तंभ का निर्माण किया था, जिस पर 500 से अधिक वर्षों से जंग नहीं लगी है। ऐतिहासिक काल से ही भारतीय मनीषियों ने आयुर्वेदिक चिकित्सा, खगोल विज्ञान, भौतिकी, रसायन, कृषि सहित विविध क्षेत्रों में उन्नत शोध कार्य किए हैं। प्रमुख वैज्ञानिक विरासत गणित शून्य
भारत में सिक्का निर्माण प्रणाली का विकास - (September 2023)
भारत में सिक्कों के निर्माण करने वाले विश्व के प्रथम देशों में से एक है। यहां विभिन्न कालखंड में विभिन्न प्रकार के सिक्कों का निर्माण किया गया, जो ढलाई के तरीकों, विषयों, आकृतियों, धातुओं आदि में अत्यधिक विविधता से परिपूर्ण है। प्रागैतिहासिक काल से लेकर कांस्य युग तक सिक्कों की जगह मुख्य रूप से वस्तु विनिमय तथा कौड़ियों के माध्यम
उत्तर प्रदेश में वर्षा के वितरण का विवेचन करें। - (August 2023)
मौसम विज्ञानियों के अनुसार उत्तर प्रदेश में चार ट्टतुएं समान रूप से पाई जाती है जो है- शीत ट्टतु ग्रीष्म ट्टतु दक्षिणी पश्चिमी मानसुन लौटते हुए मानसुन उत्तर प्रदेश में वर्षा वितरण का प्रतिरूप निम्न है- उत्तर प्रदेश में अधिकतम वर्षा दक्षिण पश्चिम मानसून से प्राप्त होती है जो जून से सितंबर तक केन्द्रित होती है। राज्य के पूर्वी भाग में पश्चिमी भाग की अपेक्षा
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वन संरक्षण एवं प्रबंधन के लिए किये जा रहे प्रयासों की समीक्षा करें। - (August 2023)
उत्तर प्रदेश सरकार वन संरक्षण के लिए वनों की रक्षा, पुनर्स्थापन एवं वृद्धि के लिए प्रतिबद्ध है। वन संरक्षण एवं प्रबंधन के लिए राज्य संस्थागत प्रयास कर रही है जो निम्नलिखित है- सामाजिक वानिकीः यह राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित वृक्षारोपण की मुख्य योजना है। इसके तहत चारा, ईंधन एवं लघु वनोपण की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु विभिन्न प्रकार की सामुदायिक
सामाजिक सशक्तिकरण क्या है? उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सामाजिक सशक्तिकरण के लिए किए जा रहे प्रयासों एवं परिणामों की विवेचना करें। - (August 2023)
सामाजिक सशक्तिकरण एक बहुआयामी संकल्पना है जिसमें समाज के वंचित समूह या व्यक्ति का सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक, राजनीतिक सांस्कृतिक एव मनोवैज्ञानिक रूप से उन्नयन होता है। इससे समाज में सकारात्मक परिणाम दृष्टिगोचर होते है। उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयास मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत निर्धन परिवार की बेटियों के विवाह हेतु 51000 ` के अनुदान की व्यवस्था। उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ
उत्तर प्रदेश में सिंचाई सुविधाओं में विद्यमान क्षेत्रीय विषमताओं का वर्णन करें एवं इन विषमताओं को दूर करने के उपाय सुझाएं। - (August 2023)
उत्तर प्रदेश में सिंचाई तंत्र विकसित अवस्था में है। कुल कृषिगत क्षेत्र का लगभग 86-7% क्षेत्र सिंचित है। प्रदेश में 37829 हजार हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की संभावना मौजूद है किन्तु 29693 हजार हेक्टेयर भूमि ही सिंचित है जो सिंचाई की क्षेत्रीय विषमताओं को दर्शाता है। क्षेत्रीय विषमताएं पश्चिमी क्षेत्र में शुद्ध सिंचित क्षेत्र का अनुपात सर्वाधिक है और इसके बाद पूर्वी
सूचना एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश की महत्वाकांक्षी योजनाओं का वर्णन करें। - (August 2023)
सूचना एवं प्रौद्योगिकी से आशय उस सेवा से है जो साफ्रटवेयर के द्वारा उत्पाद रूप में उपलब्ध है तथा उपयोगिता की दृष्टि से मूल्यवान होती है। सूचना एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वाकांक्षी योजनाएं नागरिकों को विभिन्न शासकीय विभागों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री हेल्प लाइन की स्थापना की गई है। ई-टेण्डरिंग
उत्तर प्रदेश में चीनी उद्योग की मुख्य समस्याएं क्या हैं? इनसे निपटने के उपायों का वर्णन करें। - (August 2023)
चीनी उत्पादन में प्रदेश का देश में प्रथम स्थान है, यहां देश का लगभग 30-76% चीनी उत्पादन होता है। प्रदेश में चीनी की मिलें मुख्यतः मेरठ, शाहजहांपुर, देवरिया, कुशीनगर आदि जिलों में है। शीषर् चीनी उत्पादक होने के बावजूद प्रदेश में चीनी उद्योग की निम्न समस्याएं है। गन्ना उत्पादन में निरंतर कमी आ रही है क्योंकि गन्ना कृषक अन्य नकदी फसलों
उत्तर प्रदेश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को दिये जा रहे प्रोत्साहन एवं उनके परिणामों की समीक्षा करें? - (August 2023)
देश में सर्वाधिक सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योगों की संख्या उत्तर प्रदेश में है; जो पूरे प्रदेश के उद्योगों का लगभग 14% है। ये उद्यम प्रदेश के निर्यात में लगभग 80% का योगदान देते हैं। एमएसएमई की परिभाषा उद्योगों के प्रकार निवेश सीमा वार्षिक टर्न-ओवर
उत्तर प्रदेश के प्रमुख आर्थिक क्षेत्र कौन-कौन हैं? किन्हीं दो आर्थिक क्षेत्रों का वर्णन करें। - (August 2023)
वर्तमान में उत्तर प्रदेश जी-डी-पी- के मामले में देश में तीसरे स्थान पर है जहां कई उद्योग मौजूद है, जो भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। आर्थिक गतिविधियों के संचालन हेतु प्रदेश को चार आर्थिक क्षेत्रों में बांटा गया है। पश्चिमी आर्थिक क्षेत्रः इसमें प्रदेश के 27 पश्चिमी जिले आते हैं। मध्य आर्थिक क्षेत्रः इसमें प्रदेश
पूर्वी उत्तर प्रदेश में उद्योगों के कम विकास के मुख्य कारण क्या हैं? - (August 2023)
आबादी, क्षेत्रफल और राजनीतिक प्रभुत्व में पूर्वी उत्तर प्रदेश चाहे जितना भी आगे हो, उद्योगों के विकास में पिछड़ा बना हुआ है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में उद्योगों के कम विकास के निम्न कारण हैं- पूर्वी उत्तर प्रदेश में मौजूद श्रम एवं पूंजी का उपयोग समुचित ढंग से नहीं किया गया है। कृषि आधारित उद्योगों की अपार संभावना के बावजूद प्रति हजार वर्ग
उत्तर प्रदेश वेयर हाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स नीति-2022 के प्रमुख प्रावधानों की विवेचना करें? - (August 2023)
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर का कारोबारी माहौल बनाने के लिए उत्तर प्रदेश वेयर हाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स नीति 2022 को मंजूरी दी गई है। प्रमुख प्रावधान भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क में 75% की छूट प्रदान की जाएगी। एकल भण्डारण को 60% के ग्राउण्ड कवरेज की अनुमति दी जाएगी। बैक-एंड सहायता के तहत प्रदेश में कहीं भी उक्त सुविधाएं स्थापित करने पर अधिकतम
उत्तर प्रदेश के मध्यकालीन स्थापत्य कला पर प्रकाश डालें। - (August 2023)
उत्तर प्रदेश के मध्यकालीन स्थापत्य एवं मूर्तिकला पर इस्लाम का स्पष्ट प्रभाव दिखता है। 13वीं सदी के पूर्वाद्ध में विकसित इस कला को ‘भारत-इस्लामिक कला’ कहा जाता है। शर्की स्थापत्य शैलीः शर्की शैली की विशेषताओं में वर्गाकार स्तंभ एवं छोटी गैलरी के अलावा मीनारों का अभाव शामिल है। इसके अंतर्गत प्रमुख निर्माण हैं- अटाला मस्जिद, झंझरी मस्जिद, लाल दरवाजा मस्जिद आदि। सल्तनतकालीन
क्या उ.प्र. भारत के विकास में भूमिका निभाने को तैयार है? चर्चा कीजिए। - (August 2023)
उत्तर प्रदेश की संवृद्धि एवं उज्जवल भविष्य भारत के विकास की गारंटी है। बीते कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश ने जो पहलें की हैं उनके परिणाम समाने आ रहे हैं। इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश भारत के विकास में भूमिका निभाने को तैयार है। इसके पक्ष में निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत किए जा सकते हैं- बहुत जल्द उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थान रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में असफल रहे हैं; इसके प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालते हुए समाधान के उपाय सुझाएं। - (August 2023)
शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य की क्षमता का विकास तथा कौशल एवं ज्ञान का संवर्द्धन करना है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा संस्थानों में नामांकन दर 25-30 है, जो राष्ट्रीय औसत से कम है तथा यहां की शिक्षा प्रणाली रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में असफल रही है। कारण उत्तर प्रदेश के शिक्षण संस्थान नए रोजगार आधारित पाठ्यक्रमों को शामिल करने
उत्तर प्रदेश में तीव्र शहरीकरण की प्रक्रिया से उत्पन्न सामाजिक समस्याओं का विवेचन करें। - (August 2023)
जनगणना 2011 के अनुसार भारत का सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य उत्तर प्रदेश है किन्तु यहां नगरीकरण का प्रतिशत 22.28% है, जो राष्ट्रीय औसत से कम है। वर्तमान में यहां की नगरीकरण दर तीव्र है, जो निम्न सामाजिक समस्याओं का कारण बन रही है- शहरी आवास की कमीः प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवास की व्यवस्था एक सामाजिक दायित्व है किन्तु उत्तर
उत्तर प्रदेश में शासन प्रणाली को सुदृढ़ बनाने में सांगठनिक शक्ति के रूप में दबाव समूहों की भूमिका की विवेचना करें? - (August 2023)
दबाव समूह उसे कहते हैं, जो अपने विशिष्ट हितों की पूर्ति के लिए सरकार की नीति और कार्यों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। उत्तर प्रदेश में शासन प्रणाली को सुदृढ़ बनाने में भूमिका उत्तर प्रदेश में दबाव समूह, राजनीतिक जागरूकता एवं सहभागिता द्वारा लोकतंत्र को सुदृढ़ करते हुए प्रशासन को अधिक उत्तरदायी बनाने में भूमिका निभाते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार पर
उत्तर प्रदेश में जनसंख्या वृद्धि के लिए गरीबी एवं अशिक्षा को एक कारण के रूप में माना जाता है। इससे आप कहां तक सहमत हैं? तर्को के माध्यम से स्पष्ट करें। साथ ही जनसंख्या वृद्धि रोकने के उपायों का वर्णन करें? - (August 2023)
उत्तर प्रदेश भारत का सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य है, वर्तमान में उत्तर प्रदेश की प्रजनन दर 2-35 है जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है। उत्तर प्रदेश में जनसंख्या वृद्धि के प्रमुख कारणों में गरीबी एवं अशिक्षा प्रमुख है। गरीबीः जनसंख्या वृद्धि के कारण के रूप में परिवार के आकार एवं निर्धनता के बीच एक सशक्त सह-संबंध है। निर्धन लोगों की प्रवृत्ति परिवार
उत्तर प्रदेश सूचना आयोग की संरचना, कार्य एवं कर्तव्यों का वर्णन करें। - (August 2023)
पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के संवर्द्धन एवं विकास के उद्देश्य से सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 को लागू किया गया है, ताकि प्रत्येक नागरिक के सूचना के अधिकार को सुनिश्चित किया जा सके। संरचना उत्तर प्रदेश सूचना आयोग में एक मुख्य सूचना आयुक्त एवं अन्य सूचना आयुक्त होते हैं जिनकी संख्या 10 से अधिक नहीं हो सकती। इनकी नियुक्ति राज्यपाल द्वारा एक समिति की
उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के कल्याण के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा करें। - (August 2023)
उत्तर प्रदेश में कुल जनसंख्या की लगभग 20-7% आबादी अनुसूचित जातियों की तथा 0-57% आबादी अनुसूचित जनजातियों की है, जिनके कल्याण हेतु सरकार निरंतर प्रयासरत है। अनुसूचित जातियों के कल्याण हेतु प्रयास समाज कल्याण विभाग की स्थापनाः इसका मूल उद्देश्य सामाजिक एवं आर्थिक परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में निर्बल वर्गों हेतु योजना का निर्माण एवं क्रियान्वयन करना है। जय प्रकाश नारायण
उत्तर प्रदेश के संदर्भ में नागरिक सुरक्षा के प्रकार एवं कार्य का उल्लेख करें? - (August 2023)
नागरिक सुरक्षा अर्थात सिविल डिफेंस के अंतर्गत युद्ध, राष्ट्रीय रक्षा या आपदा के परिणामस्वरूप उत्पन्न जीवन एवं संपत्ति के समक्ष खतरों के नुकसान को कम करने के लिए की गई सभी गैर सैन्य कार्यवाहियां शामिल हैं। कार्य सामाजिक शान्ति बनाए रखना, ताकि उत्तर प्रदेश की आन्तरिक सुरक्षा बनी रहे। आपदा प्रबंधन करना; उदाहरणस्वरूप हम इसके महत्व को कोविड-19 के संदर्भ में देख सकते
उत्तर प्रदेश का बड़ा भौगोलिक क्षेत्रफल एवं अत्यधिक जनसंख्या किस सीमा तक राज्य की कानून-व्यवस्था के समक्ष चुनौती उत्पन्न करता है? अपने तर्क प्रस्तुत करें। - (August 2023)
उत्तर प्रदेश का क्षेत्रफल में चौथा तथा जनसंख्या की दृष्टि से देश में प्रथम स्थान है। यह विविधतापूर्ण विशालता उत्तर प्रदेश के समक्ष विभिन्न अवसर उपलब्ध कराने के साथ-साथ कानून एवं व्यवस्था के लिए चुनौतियां भी उत्पन्न करती है। भौगोलिक क्षेत्रफल के कारण चुनौतियां पुलिस पर अत्यधिक कार्य बोझ क्योंकि थानों एवं चौकियों का अधिकार क्षेत्र बड़ा है। प्रदेश का क्षेत्रफल विशाल है
प्रवासन की नैतिकता - (August 2023)
प्रवासन नैतिकता मोटे तौर पर उन मानक मुद्दों को संदर्भित करती है, जो सीमाओं के पार व्यक्तियों के जाने से उत्पन्न होते हैं। प्रवासन नैतिकता में केंद्रीय प्रश्नों में से एक चिंता यह है कि क्या राज्यों को आप्रवासन को प्रतिबंधित करना चाहिए या अपनी सीमाएं खोलनी चाहिए तथा वे कौन से मूल्य होने चाहिए, जिनके आधार पर यह निर्धारण
प्राकृतिक संसाधनों के लिए नैतिक अधिकार - (August 2023)
प्रकृति में सभी प्रकार का जीवन एकसमान था। इस ब्रह्मांड में हर एक जीव की अपनी पहचान थी, कोई भी अन्य जीव किसी दूसरे जीव की जगह लेने की स्थिति में नहीं था। मनुष्य की प्राचीन काल से ही प्रकृति में रुचि रही है, लेकिन आज वह स्वयं को प्रकृति का स्वामी समझता है। दूसरी ओर, प्रकृति मनुष्य के साथ तालमेल
प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा प्रचार की नैतिकता - (August 2023)
डिजिटल मार्केटिंग के उदय के साथ हाल के वर्षों में विज्ञापन जगत में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन आया है। प्रिंट और टीवी विज्ञापनों जैसी पारंपरिक विज्ञापन विधियों ने सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के सामने अपनी अधिकांश शक्ति खो दी है। डिजिटल मीडिया के बढ़ते महत्व और पारंपरिक विज्ञापन के प्रति उपभोक्ताओं के बदलते नजरिए ने इस बदलाव को प्रेरित किया
सोशल मीडिया और सिविल सेवक - (August 2023)
भारतीय नौकरशाही आज डेस्क के साथ से डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर भी सक्रिय हो रही हो रही हैं। इस परिवर्तन के लिए न केवल ई-ऑफिस और ई-गवर्नेंस की ओर कदम शामिल है, बल्कि डिजिटल वातावरण, विशेष रूप से सोशल मीडिया के उपयोग के लिए संगठनात्मक और नौकरशाही प्रतिक्रिया भी शामिल है। यह देखा गया है कि कई अधिकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का
स्वास्थ्य देखभाल में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की नैतिकता - (August 2023)
कृत्रिम बुद्धिमत्ता में कुशल निदान, व्यक्तिगत उपचार योजना, बेहतर रोगी देखभाल और बेहतर रोग प्रबंधन को सक्षम करके स्वास्थ्य सेवा में क्रांति लाने की क्षमता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रयोग प्रमुख क्षेत्र मेडिकल इमेजिंग तथा नैदानिकीः कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग एक्स-रे, सीटी स्कैन और एमआरआई जैसी चिकित्सा छवियों का विश्लेषण करने के लिए किया जा रहा है। डीप लर्निंग एल्गोरिदम विकृतियों का
कानून प्रवर्तन में प्रौद्योगिकी की भूमिका - (August 2023)
नवीनतम प्रौद्योगिकियों के उद्भव के साथ कानून प्रवर्तन और जांच के तरीकों में बहुत बदलाव आया है। जैसे-जैसेसमय के साथ अपराधों की प्रकृति में बदलाव आया है तथा अधिकाधिक परिष्कृत हो गए हैं, प्रौद्योगिकी आज कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सक्षम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कानून प्रवर्तन और जांच में प्रौद्योगिकी की भूमिका कानून प्रवर्तन में प्रौद्योगिकी की मुख्य भूमिका अपराध
भारत की आंतरिक सुरक्षा चुनौतियां: प्रतिक्रिया एवं नियंत्रण तंत्र - (August 2023)
आंतरिक सुरक्षा एक संप्रभु राज्य या अन्य स्वशासित क्षेत्रों की सीमाओं के भीतर शांति बनाए रखने का कार्य है। राष्ट्रीय सुरक्षा की समग्र अवधारणा में, आंतरिक सुरक्षा देश के समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा आव्यूह का एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारत में आंतरिक सुरक्षा का माहौल अत्यधिक जटिल और चुनौतीपूर्ण है। इस पर बाहरी और घरेलू वातावरण का प्रभाव पड़ता है। बाह्य
आपदा प्रेरित विस्थापन - (August 2023)
ऐतिहासिक काल से लोगों या समुदायों को पर्यावरणीय कारणों से पलायन करना पड़ा है। वर्तमान में भी बाढ़, चक्रवात आदि विविध आपदाओं के कारण लोगों को एक से दूसरे जगह प्रवास करना पड़ता है। जलवायु परिवर्तन के समग्र प्रभाव के कारण जलवायु आपदाओं और चरम मौसम की घटनाओं के बढ़ने की संभावना है, जिससे आने वाले समय में आपदा प्रेरित
आपदा जाखिम में कमी - (August 2023)
भारत अपनी भू-जलवायु परिस्थितियों के कारण पारंपरिक रूप से प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील रहा है। यहां बाढ़, सूखा, चक्रवात, भूकंप तथा भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाएं आना सामान्य परिघटना मानी जाती हैं। समग्र रूप से इन प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था तथा निवासियों पर बहुआयामी होता है; अतः इसके नियंत्रण के लिए विविध पहल भारत सरकार के द्वारा
चरम मौसमी घटनाएं एवं भारत की तैयारी - (August 2023)
जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) द्वारा जारी छठी आकलन रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन तथा चरम जलवायु घटनाओं पर वृहद रूप से प्रकाश डाला गया है। यह रिपोर्ट इस तथ्य को रेखांकित करती है कि ऐतिहासिक संचयी उत्सर्जन (Historical Cumulative Emissions) जलवायु संकट या चरम जलवायु घटनाओं का स्रोत है। चरम मौसमी घटनाओं से संबंधित भारत की पहलें राष्ट्रीय चक्रवात जोखिम शमन
आर्द्रभूमि संरक्षण - (August 2023)
हाल ही में किए गए एक अध्ययन के अनुसार वैश्विक स्तर पर जिस तेजी से विकास हो रहा है, उसी तेजी से पर्यावरण का भी हनन हो रहा है। तीव्र आधुनिक विकास ने मानव के जीवन में कुछ सुविधाएं तो प्रदान की हैं, किन्तु इससे सबसे अधिक नुकसान पर्यावरण और आर्द्रभूमि (Wetland) को हुआ है। रामसर कन्वेंशन के अनुसार आर्द्रभूमि के
कृषि वानिकी - (August 2023)
कृषि वानिकी (Agroforestry) दो शब्दों "कृषि" (agriculture) "वानिकी" (forestry) के मिलने से बना है। कृषि-वानिकी एक भूमि उपयोग प्रणाली है, जो वृक्षारोपण, फसल उत्पादन और पशुपालन को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उपयुक्त तरीके से एकीकृत करती है। इसके अंतर्गत फसल उत्पादकता और पारिस्थितिकी तंत्र संवहनीयता को बढ़ाने के लिये कृषि भूमि के साथ वृक्षों व झाड़ियों को एकीकृत रूप से उपजाया
जलवायु वित्तयन: चुनौती एवं पहल - (August 2023)
जलवायु वित्तयन (Climate Finance) सार्वजनिक, निजी और वैकल्पिक वित्तपोषण को संदर्भित करता है, जिसका उपयोग स्थानीय, राष्ट्रीय या वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन से संबंधित शमन और अनुकूलन कार्यों एवं प्रयासों का समर्थन करने के लिए किया जाता है। जलवायु वित्त, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में एवं जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद करता है। चुनौतियां असमान वैश्विक बोझ वहनः
भारत में अपशिष्ट प्रबंधन - (August 2023)
औद्योगीकरण और जनसंख्या में वृद्धि के साथ ही ठोस अपशिष्ट प्रबंधन से संबंधित चुनौती उत्पन्न हो रही है। अपशिष्ट प्रबंधन का आशय अपशिष्ट को एकत्रित करने और उसके उपचार हेतु उचित प्रक्रिया अपनाने से है। सरल शब्दों में कहा जा सकता है कि अपशिष्ट प्रबंधन का एकमात्र अर्थ अपशिष्ट को एक मूल्यवान संसाधन के रूप में बदलने और उसका उपयोग
भारत में हाइड्रोजन ऊर्जा का भविष्य - (August 2023)
हाइड्रोजन एक स्वच्छ ईंधन है। यह एक ऊर्जा वाहक है, जिसका उपयोग व्यापक श्रेणी के अनुप्रयोगों के लिए किया जा सकता है। यह तरल और जीवाश्म ईंधन के संभावित विकल्प के रूप में भी काम कर सकता है। ऐसा शून्य-उत्सर्जन इलेक्ट्रिक वाहनों में ईंधन कोशिकाओं को शक्ति प्रदान करने की क्षमता, घरेलू उत्पादन की क्षमता और ईंधन सेल की उच्च दक्षता
नवीकरणीय ऊर्जाः भारत की महत्वाकांक्षाएं एवं बढ़ते कदम - (August 2023)
2022 को भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर अद्यतन निर्धारित योगदान (एनडीसी) को अद्यतन कर संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मलेन (यूएनएफसीसीसी) को इसके विषय में सूचित किया। इसके तहत भारत ने 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों से लगभग 50 प्रतिशत संचयी विद्युत शक्ति (Cumulative Electric Power) की स्थापित क्षमता प्राप्त करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा
स्वच्छ शहरी गतिशीलता - (August 2023)
आर्थिक विकास की गति तेज करने में किफायती, सुगम्य, समावेशी एवं सुरक्षित मोबिलिटी सॉल्यूशंस (Clean Mobility Solution) अत्यंत मददगार साबित होते हैं। जलवायु प्रतिबद्धताओं को ध्यान में रखते हुए भारत को विभिन्न रणनीतियों के माध्यम से शहरी गतिशीलता को अधिक से अधिक पर्यावरण मित्रवत बना रहा है। आवश्यकता जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को सीमित करनाः भारत ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को
मिशन लाइफ़: पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली की पहल - (August 2023)
20 अक्टूबर, 2022 को गुजरात के एकता नगर में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मिशन लाइफ [Mission LiFE (Lifestyle For Environment)] का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस भी उपस्थिति थे। मिशन लाइफ से संबंधित मुख्य बिंदु 2021 के संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मिशन लाइफ की घोषणा की गई
समुद्री जैव विविधता का संरक्षण - (August 2023)
पृथ्वी पर विशाल समुद्री क्षेत्र आर्थिक विकास, मानव स्वास्थ्य तथा पृथ्वी के प्राकृतिक पर्यावरण को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पृथ्वी के लगभग 71% क्षेत्र पर महासागरों का विस्तार है तथा विश्व के लगभग 123 देशों तक तटीय एवं समुद्री पारिस्थितिक तंत्र का विस्तार देखने को मिलता है। समुद्री जैव-विविधता की विस्तृतश्रृंखला में अब तक जीव-जंतुओं की लगभग 40,000
बाह्य अंतरिक्ष में शांति और सुरक्षाः भारतीय परिप्रेक्ष्य - (August 2023)
बाहरी अंतरिक्ष में शांति और सुरक्षा अंतरराष्ट्रीय संबंधों और अंतरिक्ष अन्वेषण का एक महत्वपूर्ण पहलू है। जैसे-जैसे बाह्य अंतरिक्ष के उपयोग का विस्तार जारी है, इसके शांतिपूर्ण और सुरक्षित उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश और रूपरेखा स्थापित करना महत्वपूर्ण है। बाह्य अंतरिक्ष के समक्ष खतरे अंतरिक्ष का सैन्यीकरणः इस बात पर चिंता बढ़ रही है कि अंतरिक्ष का सैन्यीकरण हो
भारत के ई-शासन में मेटावर्स की भूमिका - (August 2023)
मेटावर्स एक एकल, साझा, इमर्सिव, सतत, 3डी आभासी स्थान है, जहां मनुष्य जीवन का अनुभव उन तरीकों से करते हैं, जो वे भौतिक दुनिया में नहीं कर सकते। ई-गवर्नेंस सरकारी सेवाएं प्रदान करने, सूचना संचार लेनदेन के आदान-प्रदान सरकार और नागरिकों के बीच विभिन्न प्रणालियों एवं सेवाओं के एकीकरण के लिए प्रौद्योगिकी संचालित शासन है। भारत के लिए ई-शासन में मेटावर्स की
भू-स्थानिक प्रौद्योगिकीः अनुप्रयोग और चुनौतियां - (August 2023)
भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी विभिन्न उपकरणों एवं उनसे भौगोलिक सूचना प्रणाली, रिमोट सेंसिंग और अन्य जमीनी हकीकत का उपयोग करके वास्तविक पृथ्वी की भौगोलिक जानकारी का अध्ययन करने की एक उभरती हुई तकनीक है। भू-स्थानिक तकनीक किसी वस्तु की स्थिति को उसके भौगोलिक निर्देशांक के साथ जोड़ती है। भू-स्थानिक प्रौद्योगिकीः अनुप्रयोग मानचित्रण और नेविगेशनः भू-स्थानिक तकनीक का उपयोग मानचित्र और अन्य स्थानिक डेटा विजुअलाइजेशन
रोगाणुरोधी प्रतिरोध द्वारा उत्पन्न चुनौतियां - (August 2023)
संक्रामक रोगों, अंग प्रत्यारोपण, कैंसर कीमोथेरेपी तथा प्रमुख सर्जरी के सफल उपचार के लिए रोगाणुरोधी प्रतिरोधखतरे के रूप में उभर रहा है। रोगाणुरोधी प्रतिरोध का मुद्दा स्वास्थ्य देखभाल, विशेषकर दवाओं पर अत्यधिक खर्च का कारण बनता है। नवजात शिशु और बुजुर्ग दोनों ही संक्रमण के प्रति संवेदनशील होते हैं और असुरक्षित होते हैं। जब तक इस खतरे से निपटने
रोगाणुरोधी प्रतिरोधः वैश्विक स्वास्थ्य खतरा - (August 2023)
पिछले कुछ वर्षों में भारतीय अस्पतालों मेंरोगजनकों में खतरनाक रूप से उच्च प्रतिरोध दर की सूचना मिली है। रोगाणुरोधी प्रतिरोध तब होता है, जब जीवाणु, विषाणु, कवक और परजीवी समय के साथ बदलते हैं तथा उन पर दवाओं का प्रभाव कम या समाप्त हो जाताहै, जिससे संक्रमण का उपचार कठिन हो जाता है। रोगाणुरोधी प्रतिरोध के कारण एंटीबायोटिक दवाओं का असमान और
भारत की जैव अर्थव्यवस्था - (August 2023)
भारत में जैव अर्थव्यवस्था (Bio-Economy) के विकास की व्यापक संभावनाएं हैं। इंडिया बायो-इकोनॉमी रिपोर्ट 2022 के अनुसार भारत की जैव-अर्थव्यवस्था का आकार वर्ष 2025 में 150 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक होने की संभावना है। वर्ष 2021 में भारत की जैव अर्थव्यवस्था का मौद्रिक मूल्य80 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक था, जिसके वर्ष 2030 तक 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की
भारत में सेमीकंडक्टर पारिस्थितिक तंत्र - (August 2023)
भारत में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों तथा मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या काफी अधिक है, परन्तु इनमें प्रयोग की जाने वाली सेमीकंडक्टर चिप के लिए भारत पूर्ण रूप से विदेशी आयात पर निर्भर है। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए भारत में सेमीकंडक्टर पारिस्थितिक तंत्र को सुदृढ़ करने का प्रयास किया जा रहा है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार सरकार सेमीकंडक्टर
जलवायु प्रत्यास्थ कृषि - (August 2023)
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की एक रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण भारत के लगभग 310 जिले ‘हाई रिस्क जोन’ में आते हैं। इससे सर्वाधिक प्रभावित होने वाला क्षेत्र कृषि है। एक अनुमान के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण 2050 तक औसत उपज में 3% से 10% तक की गिरावट आ सकती है। ऐसे में जलवायु चुनौतियों से निपटने
मेथनॉल अर्थव्यवस्था - (August 2023)
वर्तमान में भारत सरकार ‘मेथनॉल अर्थव्यवस्था’ (Methanol Economy) को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है। मेथनॉल को बढ़ावा देने से देश के पेट्रोलियम आयात को कम करने में सहायता मिलेगी, जो अंततः भारत की ऊर्जा सुरक्षा में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। मेथनॉल का उत्पादन पारंपरिक एवं गैर-पारंपरिक दोनों स्रोतों से किया जा सकता है। भारत में
मोटे अनाज को प्रोत्साहन - (August 2023)
विशेषज्ञ, मोटे अनाजों को 21वीं सदी की एक आदर्श फसल मानते हैं, जो जलवायु परिवर्तन तथा बढ़ती वैश्विक जनसंख्या के संदर्भ में खाद्य सुरक्षा की समस्या का एक संभावित समाधान हो सकता है। मोटे अनाजों में पौष्टिक तत्वों की अधिकता होती है, अतः इसे अधिक से अधिक अपनाए जाने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देकर पोषण सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।
भारत में डिजिटल भुगतान परिदृश्य - (August 2023)
केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022 में 89-5 मिलियन डिजिटल लेनदेन के साथ भारत डिजिटल भुगतान के सन्दर्भ में शीर्ष 5 देशों की सूची में शीर्ष स्थान पर था। वर्ष 2022 में वैश्विक रियल टाइम भुगतान में भारत का हिस्सा 46% था। डिजिटल भुगतान को सामान्यतः ऑनलाइन लेन-देन के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसमें ग्राहकों के मध्य
डिजिटल कनेक्टिविटी अवसंरचना - (August 2023)
डिजिटल कनेक्टिविटी अवसंरचना भौतिक और आभासी नेटवर्क, प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों को संदर्भित करता है, जो डिजिटल प्लेटफार्मों पर डेटा और सूचना के हस्तांतरण को सक्षम बनाता है। जबकि पारंपरिक अवसंरचना की भूमिका को अच्छी तरह से मान्यता दी गई है। हाल के वर्षों में, देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में अवसंरचना की भूमिका भी उतनी ही महत्वपूर्ण हुई है। डिजिटल कनेक्टिविटी अवसंरचना
यूपीआई: भारत के फि़नटेक इनोवेशन की महत्वपूर्ण कड़ी - (August 2023)
UPI आधारित डिजिटल भुगतान प्रणाली को आधार बनाकर बनाया गया है। बिना डेबिट कार्ड वाले उपयोगकर्ता अपने आधार से जुड़े बैंक खातों से वास्तविक समय में धन हस्तांतरित करने के लिए ईमेल पते के समान एक यूपीआई पते का उपयोग कर सकते हैं। पिछले दशक में, सरकार ने भुगतान, ई-हस्ताक्षर और स्वास्थ्य ऐप्स जैसी कई डिजिटल सेवाओं के लिए आधार
देश में बागवानी क्षेत्र का समग्र विकास - (August 2023)
विशाल कृषि क्षेत्र तथा बागवानी फसलों के लिए उपयुक्त जलवायु दशाओं के कारण भारत में बागवानी कृषि के विकास की व्यापक संभावनाएं मौजूद है। सस्ते श्रम, बाजार से निकटता एवं मूल्यश्रृंखलाओं की लाभकारी स्थितियों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि बागवानी क्षेत्र का विकास करके रोजगार के अतिरिक्त अवसर उत्पन्न करने के साथ किसानों की आय में वृद्धि
ओपन नेटवर्क फ़ॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) - (August 2023)
केंद्र सरकार ई-कॉमर्स क्षेत्र का लोकतंत्रीकरण करने, छोटे खुदरा विक्रेताओं की मदद करने और ऑनलाइन ई-कॉमर्स दिग्गजों के प्रभुत्व को कम करने के लिए जल्द ही औपचारिक रूप से ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) लॉन्च करने पर विचार कर रही है। ONDC का पायलट संस्करण 29 अप्रैल, 2022 को कुछ प्रमुख शहरों में लॉन्च किया गया था और हजारों विक्रेता
भारत में भूमि मुद्रीकरण: आवश्यकता एवं चुनौतियां - (August 2023)
देश भर में व्यापक मात्र में ऐसी भूमि उपलब्ध है, जो अप्रयुक्त है अथवा सीमित उपयोग में है। इस प्रकार की सार्वजनिक भूमि (Public Land) के आर्थिक मूल्य को आकलित करके सरकार तथा उसकी संस्थाओं के लिए राजस्व के नवीन स्रोतों के निर्माण की प्रक्रिया भूमि मुद्रीकरण (Land Monetization) कहलाती है। वित्त मंत्री द्वारा भारत में भूमि मुद्रीकरण हेतु एक विशेष
भारत में स्टार्टअप पारिस्थितिक तंत्र - (August 2023)
देश में विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्र में नए विचारों को आमंत्रित करने तथा आर्थिक विकास के लिए एक मजबूत पारिस्थितिक तंत्र के निर्माण के लिए स्टार्टअप क्षेत्र को महत्व प्रदान किया जा रहा है। इनमें सामाजिक-आर्थिक विकास तथा आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में अपार संभावनाएं मौजूद हैं। ग्लोबल यूनिकॉर्न इंडेक्स 2023 के अनुसार भारत में 68 यूनिकॉर्न कंपनियों के साथ
भारत में घरेलू पर्यटन को बढ़ावा - (August 2023)
भारतीय पर्यटन उद्योग, सकल घरेलू उत्पाद और विदेशी मुद्रा आय में योगदान के मामले में देश के सबसे बड़े सेवा उद्योगों में से एक है। इस क्षेत्र में घरेलू खर्च (domestic spending) हाल के वर्षों में उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है तथा अंतरराष्ट्रीय पर्यटन की तुलना में वर्ष 2028 तक लगभग 90% तक पहुंचने की उम्मीद है। घरेलू पर्यटन में नवीनतम रुझान महामारी
स्थानीय से वैश्विकः जनजातीय उत्पादों का प्रोत्साहन - (August 2023)
जनजातीय अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से लघु वन उत्पादों के संग्रह और प्रसंस्करण एवं घरेलू उपभोग के उद्देश्य से कृषि पर केंद्रित है। जनजातीय अर्थव्यवस्थाओं में जनजातीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए संगठित बाजारों के साथ-साथ वित्तीय संस्थानों का भी अभाव है। चुनौतियां जनजातियां अक्सर उपभोक्ता की प्राथमिकताओं से अनभिज्ञ होती हैं और उपभोक्ताओं को स्वदेशी समूहों द्वारा उत्पादित उत्पादों के बारे
सहकारिता में महिलाओं और युवाओं की भागीदारी - (August 2023)
सहकारी समितियों में महिलाओं और युवाओं की भागीदारी समावेशी और धारणीय अर्थव्यवस्था के निर्माण का एक अनिवार्य पहलू है। सहकारी समितियां सदस्य-स्वामित्व वाली और सदस्य-संचालित संस्थाएं हैं, जिनका लक्ष्य आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देते हुए अपने सदस्यों की जरूरतों को पूरा करना है। सहकारिता में महिलाओं और युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के उपाय समान अवसरः सहकारी समितियों को निर्णय लेने
ग्रामीण स्वच्छता कवरेज - (August 2023)
स्वच्छ भारत अभियान के तहत, सरकार ने शौचालय निर्माण और उपयोग को बढ़ावा देने, स्वच्छता और स्वच्छता प्रथाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने, ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षित और टिकाऊ स्वच्छता सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम एवं अभियान लागू किए हैं। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) ने ग्रामीण भारत में 16 करोड़ परिवारों के लिए शौचालयों का निर्माण किया
भारत में निवारक स्वास्थ्य देखभाल - (August 2023)
वर्तमान समय में निवारक स्वास्थ्य देखभाल, स्वास्थ्य सेवा के महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में उभरा है। निवारक स्वास्थ्य सेवाओं के कारण प्रारंभिक अवस्था में ही किसी बीमारी का निदान प्राप्त हो सकता है तथा एक व्यक्ति एवं उसके परिवार को गंभीर शारीरिक, भावनात्मक और वित्तीय कठिनाइयों से सुरक्षा मिल सकती है। वर्तमान समय में स्वास्थ्य क्षेत्र में निवारक स्वास्थ्य सेवाओं को
सार्वजनिक वितरण प्रणाली का सार्वभौमीकरण - (August 2023)
सार्वजनिक वितरण प्रणाली भारत में सरकार द्वारा संचालित खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम है, जो गरीबों और कमजोर लोगों को सब्सिडी वाला खाद्यान्न उपलब्ध कराता है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली का सार्वभौमीकरण सभी नागरिकों को सस्ती कीमतों पर खाद्यान्न और अन्य आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराने की प्रक्रिया है। सार्वभौमीकरण के मुख्य पहलू सार्वभौमीकरण के पक्ष में तर्क बेहतर खाद्य सुरक्षाः सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सार्वभौमिक बनाने
भारत में गर्भपात कानून - (August 2023)
हाल ही में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक अविवाहित महिला को 24 सप्ताह में अपनी गर्भावस्था समाप्त करने की अनुमति दी, जबकि दिल्ली उच्च न्यायालय ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी अधिनियम के प्रावधानों का हवाला देते हुए इसकी अनुमति नहीं दी थी। भारत में गर्भपात की कानूनी स्थिति 1960 के दशक तक, भारत में गर्भपात अवैध था तथा भारतीय दंड संहिता
स्वयं सहायता समूह: भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में भूमिका - (August 2023)
स्वयं सहायता समूह लोगों के अनौपचारिक समूह हैं, जो धन की वचत करने, एक-दूसरे को ऋण प्रदान करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए एक साथ आते हैं। वे आम तौर पर ऐसे लोगों द्वारा गठित होते हैं, जिनके समान हित या समस्याएं होती हैं, जैसे गरीबी, बेरोजगारी या सामाजिक अपवर्जन। सामाजिक-आर्थिक विकास में भूमिका वित्तीय समावेशनः स्वयं सहायता समूह
प्रारं भिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा - (August 2023)
जीवन के पहले छः वर्ष मानव जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष हैं; क्योंकि इन वर्षों में मस्तिष्क विकास की दर किसी भी अन्य चरण की तुलना में अधिक तीव्र होती है। प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा का लक्ष्य एक मजबूत, व्यापक आधार के लिए बच्चे की भावनात्मक, सामाजिक और शारीरिक जरूरतों को विकसित करना तथा आजीवन कल्याण के लिए पूरी क्षमता प्राप्त
मातृ एवं नवजात देखभाल - (August 2023)
मातृ स्वास्थ्य का तात्पर्य गर्भावस्था, प्रसव और प्रसवोत्तर अवधि के दौरान महिलाओं के स्वास्थ्य से है, जबकि प्रसवकालीन स्वास्थ्य का तात्पर्य गर्भधारण के 22वें सप्ताह से लेकर जन्म के 7वें दिन तक के स्वास्थ्य से है। नवजात शिशु का स्वास्थ्य बच्चों के जीवन का पहला महीना होता है। मातृ एवं नवजात स्वास्थ्य देखभाल से जुड़ी सरकारी पहलें जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम: भारत
लैंगिक संवेदनशीलता - (August 2023)
लैंगिक संवेदनशीलता का तात्पर्य लिंग-संबंधित मुद्दों के बारे में जागरूकता और समझ तथा संवेदनशीलता एवं सम्मान के साथ उनसे निपटने की क्षमता से है। लैंगिक संवेदनशीलता के तत्व लैंगिक रूढ़िवादिता को पहचानना और उसका प्रतिकार करना। उन विभिन्न तरीकों से अवगत होना, जिनसे लैंगिक मुद्दे अन्य कारकों, जैसे नस्ल, वर्ग पहचान के साथ प्रतिच्छेद कर सकते हैं। सभी लिंग के लोगों के लिए समान
एससीओ एवं भारत: चुनौतियां एवं अवसर - (August 2023)
भारत, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का वर्तमान अध्यक्ष है। इसने 16 सितंबर, 2022 को एक वर्ष के लिए समूह की अध्यक्षता ग्रहण की। भारत की अध्यक्षता में 4 जुलाई, 2023 को शंघाई सहयोग संगठन का 23वां शिखर सम्मेलन (Meeting of SCO Council of Heads of State) वर्चुअल प्रारूप में आयोजित किया जाएगा। वर्ष 2022 में उज्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित एससीओ शिखर
मध्य एशिया में भारत की महत्वाकांक्षाएं एवं चुनौतियां - (August 2023)
कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान आधुनिक मध्य एशिया बनाते हैं। वर्ष 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद सभी पांच देश स्वतंत्र हुए थे। मध्य एशिया, पश्चिम में कैस्पियन सागर से लेकर पूर्व में पश्चिमी चीन और मंगोलिया तक तथा दक्षिण में अफगानिस्तान और ईरान से लेकर उत्तर में रूस तक विस्तृत एक भू-आबद्ध क्षेत्र है। मध्य एशिया जिसे मैकाइंडर
भारत-चीन सीमा विवाद - (August 2023)
दिसंबर 2022 में अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर के ऊपरी भाग में स्थित यांग्त्सी क्षेत्र (Yangtse Region) में भारत तथा चीन के मध्य सैनिक झड़प देखने को मिली थी। यह जून 2020 में पूर्वी लद्दाख में स्थित गलवान घाटी में दोनों देशों के मध्य आपसी संघर्ष के पश्चात दूसरी सबसे बड़ी संघर्ष की घटना थी। भारत तथा चीन 3,488 किलोमीटर लंबी
बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार - (August 2023)
बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार (Reform in Multi-Lateral Institutions) एक तत्काल अनिवार्यता है तथा इन बहुपक्षीय संस्थानों को 21वीं सदी की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करते हुए विकासशील विश्व की चिंताओं को आवाज देने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। वर्तमान में भारत अपनी जी-20 की अध्यक्षता के तहत संयुक्त राष्ट्र, विश्व व्यापार संगठन, विश्व स्वास्थ्य संगठन, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसे बहुपक्षीय संस्थानों में
वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का लचीलापन - (August 2023)
वर्ष 2020-21 में कोरोना महामारी के कारण उपजे आपूर्ति श्रृंखला संबंधी संकट ने रूस-यूक्रेन संघर्ष के दौरान और भी व्यापक रूप ले लिया। इन व्यवधानों ने वैश्विक आपूर्तिश्रृंखला प्रबंधन की कमियों को तो उजागर किया ही, साथ ही इसके प्रबंधन में बेहतर लचीलेपन की आवश्यकता को भी रेखांकित किया है। वर्तमान समय में वैश्विक आपूर्तिश्रृंखला की बाधाओं से निपटने की दिशा में
भारतीय डायस्पोरा का भारत के विकास में योगदान - (August 2023)
भारतीय डायस्पोरा, वर्ष 2010 के बाद से ही विश्व का सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय तथा भारत के लिए एक अमूल्य संसाधन है। भारतीय डायस्पोरा शब्द सामूहिक रूप से अनिवासी भारतीयों (NRI), भारतीय मूल के व्यक्तियों (PIO) तथा विदेश में स्थित भारतीय नागरिकों (OCI) को संदर्भित करता है। वर्ष 2015 में भारत सरकार द्वारा ‘भारतीय मूल के व्यक्तियों’ (PIO) की श्रेणी को समाप्त
हिंद-प्रशांत क्षेत्र एवं भारत: रणनीतिक दृष्टिकोण एवं जुड़ाव - (August 2023)
21वीं सदी में हिंद-प्रशांत क्षेत्र वैश्विक राजनीति के स्वरूप को आकार दे रहा है। यह वह क्षेत्र है, जहां विश्व की महान शक्तियों, विशेषकर संयुक्त राज्य अमेरिका तथा चीन के बीच प्रतिस्पर्द्धा जारी है। इस क्षेत्र में चीन की संदिग्ध नीतियों और आक्रामक विस्तारवादी प्रवृत्तियों के चलते हिंद-प्रशांत क्षेत्र से जुड़े लगभग सभी देशों के हित बाधित हो रहे हैं। इसी
वैश्विक दक्षिण एवं भारत - (August 2023)
12-13 जनवरी, 2023 के मध्य वर्चुअल माध्यम से ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ सम्मेलन 2023’ का आयोजन किया गया। सम्मेलन का उद्देश्य वैश्विक दक्षिण के देशों को अपने दृष्टिकोण और प्राथमिकताओं को साझा करने हेतु एक साथ एक मंच पर लाना था। ग्लोबल साउथ क्या है? वैश्विक दक्षिण या ग्लोबल साउथ नामक शब्द का उपयोग विश्व के उन देशों और क्षेत्रों का वर्णन करने
जी20 की अध्यक्षता तथा भारत: अवसर एवं चुनौतियां - (August 2023)
भारत 1 दिसंबर, 2022 से 30 नवंबर, 2023 तक एक वर्ष के लिए ळ20 समूह की अध्यक्षता कर रहा है। अध्यक्षीय कार्यकाल के दौरान देश भर में 200 से अधिक ळ20 बैठकों का आयोजन किया जाना है, जिनमें 100 से अधिक बैठकें आयोजित हो चुकी हैं। अनेक वैश्विक चुनौतियों के मध्य भारत को इस महत्वपूर्ण वैश्विक मंच की अध्यक्षता का अवसर
राष्ट्रीय डेटा शासन नीतिः मुद्दे और लाभ - (August 2023)
राष्ट्रीय डेटा शासन नीति एक नीति दस्तावेज है, जिसे मई 2022 में भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा जारी किया गया था। राष्ट्रीय डेटा शासन नीति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी और निजी दोनों संस्थाओं के गैर-व्यक्तिगत डेटा और अनामीकृत डेटा अनुसंधान और नवाचार इको-सिस्टम द्वारा सुरक्षित रूप से पहुंच योग्य हों। प्रमुख बिंदु नीति भारत
राज्यपाल और वास्तविक संघवाद की मांग - (August 2023)
भारत की संघीय व्यवस्था में राज्यपाल की भूमिका चर्चा का विषय रही है। कुछ लोगों का तर्क है कि राज्यपाल का पद पूरी तरह औपचारिक होना चाहिए, जबकि अन्य का मानना है कि यह सुनिश्चित करने में उनकी अधिक सक्रिय भूमिका होनी चाहिए कि राज्य सरकार संविधान के अनुसार कार्य कर रही है। हाल के वर्षों में ऐसे कई उदाहरण सामने
भारत में नदी जल विवादः समस्याएं और समाधान - (August 2023)
हाल ही में ओडिशा ने छत्तीसगढ़ पर गैर-मानसून सीजन में महानदी नदी में पानी छोड़कर महानदी जल विवाद न्यायाधिकरण को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए अंतर-राज्य नदी जल विवाद अधिनियम 1956 के तहत जल शक्ति मंत्रालय से शिकायत की है। कई राज्यों से होकर बहने वाली नदियों के विशाल नेटवर्क के कारण, भारत में नदी जल विवाद एक विवादास्पद मुद्दा
कार्यकारी विधायी शक्ति और इसकी प्रासंगिकता - (August 2023)
केंद्रीय कार्यपालिका हमारे लोकतांत्रिक देश का सबसे मजबूत स्तंभ है। हालांकि, भारतीय संविधान में शक्तियों के पृथक्करण की अवधारणा के अनुसार, केंद्रीय कार्यपालिका को विधायिका से पृथक किया गया है, किंतु ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनमें कार्यपालिका विधायिका के क्षेत्र में कुछ अनिवार्य भूमिकाएं निभाती है। विधायी प्रक्रिया में कार्यपालिका की भागीदारी मंत्रिपरिषद संसद का एक अभिन्न अंग है और इस प्रकार
भारत में न्यायिक अवसंरचना - (August 2023)
न्यायालयों, न्यायाधिकरणों, अधिवक्ता कार्यालयों और अन्य न्यायिक सुविधाओं के भौतिक स्थानों तथा त्वरित न्याय वितरण को सक्षम करने के लिए आवश्यक सभी उपकरणों की पहुंच सहित मानव और डिजिटल संसाधनों को संयुक्त रूप से न्यायिक अवसंरचना कहते हैं। न्यायिक अवसंरचना का महत्व बेहतर उत्पादकताः बेहतर कार्यशील न्यायिक अवसंरचना और न्याय प्रशासन में उत्पादकता के बीच सीधा संबंध है। लंबित मामलों में कमीः मामलों
प्रत्यायोजित विधान: संवैधानिक वैधता एवं मुद्दे - (August 2023)
प्रत्यायोजित विधान उन कानूनों या विनियमों को संदर्भित करता है, जो प्राथमिक विधायी निकाय, जैसे संसद के अलावा किसी निकाय या प्राधिकरण द्वारा बनाए जाते हैं। इसमें विधायी शक्तियों का केंद्रीय विधायी निकाय से दूसरी इकाई, आमतौर पर एक मंत्रालय, अधिकरण, या प्रशासनिक निकाय को हस्तांतरण शामिल है। प्रत्यायोजित विधान में वृद्धि के कारण संसद पर दबाबः राज्य की गतिविधियों का जैसे-जैसे
ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों को पुनर्जीवित करना - (August 2023)
ओलंपिक में भारत की हालिया सफलता एक सराहनीय उपलब्धि है। इस सफलता में कई एथलीट ग्रामीण भारत से हैं। इनमें से कई खेलों की जड़ें प्राचीन भारतीय खेल परंपरा में पाई जाती हैं। हाल के दिनों में, भारत सरकार और राज्य सरकारों ने पेशेवर खेलों के लिए एथलीटों को तैयार करने के लिए कई पहलें की हैं। हालांकि, भारत को सही
भारत में सहकारिता का महत्व - (August 2023)
भारत में सहकारिता ऐसी अवधारणा है, जो स्व-सहायता, पारस्परिक सहायता और लोकतांत्रिक नियंत्रण के सिद्धांतों पर काम करती है। सहकारी संगठन संबंधित राज्यों के सहकारी सोसायटी अधिनियम द्वारा शासित होते हैं और सहकारी समिति अधिनियम, 1912 या नए सहकारी समिति अधिनियम, 2002 के तहत पंजीकृत होते हैं। सहकारिता का महत्व ग्रामीण विकासः सहकारी समितियों की ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से कृषि
शहरीकरण के सामाजिक परिणाम - (August 2023)
शहरीकरण शहरों और कस्बों में रहने वाले लोगों के अनुपात में वृद्धि है। शहरीकरण इसलिए होता है, क्योंकि लोग ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों (कस्बों और शहरों) की ओर प्रवास करते हैं। शहरीकरण की प्रक्रिया तब होती है, जब कोई देश विकसित हो रहा होता है। शहरीकरण के सामाजिक परिणाम जटिल और विविध हैं। पारिवारिक संरचना में परिवर्तनः शहरीकरण के कारण
भारत में अल्पसंख्यक: चुनौतियां और सुरक्षा उपाय - (August 2023)
भारत विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों और नृजातीयता के साथ विविधतापूर्ण देश है। यह मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और अन्य जैसे धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ-साथ भाषाई एवं नृजातीय अल्पसंख्यकों का घर है। यद्यपि भारत का संविधान अल्पसंख्यकों सहित अपने सभी नागरिकों को समान अधिकार की गारंटी देता है, लेकिन चुनौतियां और चिंताएं अभी भी मौजूद हैं। भारत में अल्पसंख्यकों के समक्ष चुनौतियां सांप्रदायिक
राष्ट्रवाद बनाम क्षेत्रवाद - (August 2023)
राष्ट्रवाद और क्षेत्रवाद दो अवधारणाएं हैं, जो अक्सर भारत के संदर्भ में एक-दूसरे को प्रभावित करती हैं। जहां राष्ट्रवाद पूरे राष्ट्र की एकता और पहचान पर जोर देता है, वहीं क्षेत्रवाद देश के भीतर विभिन्न क्षेत्रों की विशिष्ट सांस्कृतिक, भाषाई और भौगोलिक पहचान पर ध्यान केंद्रित करता है। भिन्नता के बिंदु जबकि राष्ट्रवाद एकता और एकीकरण को बढ़ावा देता है, क्षेत्रवाद सत्ता
जलवायु परिवर्तन प्रेरित प्राकृतिक आपदाएं - (August 2023)
कोविड-19 महामारी के पश्चात भारत में जलवायु परिवर्तन प्रेरित प्राकृतिक आपदाओं की तीव्रता में वृद्धि देखने को मिली है। वर्ष 2022 में राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात और नई दिल्ली में लू का प्रकोप; वर्ष 2021 में दक्षिण भारत में मूसलाधार बारिश; 2020 में पश्चिम बंगाल और ओडिशा में आया सुपर चक्रवात अम्फान इसके प्रमुख उदाहरण हैं। नवीन परिप्रेक्ष्य 20 मार्च, 2023 को
भारत में मृदा के प्रमुख प्रकार - (August 2023)
मृदा को सूक्ष्म चट्टान कणों/मलबे और कार्बनिक पदार्थों/ह्यूमस के मिश्रण के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिससे पृथ्वी की ऊपरी परत का निर्माण होता हैः भारतीय मृदाओं का वर्गीकरण भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने देश की मृदाओं को 8 श्रेणियों में वर्गीकृत किया है। जलोढ़ मृदा (Aluvial Soil): यह भारत के सर्वाधिक क्षेत्रफल (7.7 लाख वर्ग कि.मी.) पर पाई जाने
भूस्खलन: कारण एवं बचाव - (August 2023)
भूस्खलन को सामान्य रूप से शैल, मलबा या ढाल से गिरने वाली मृदा के बृहत संचलन (Mass Movement) के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह एक प्रकार का वृहद पैमाने पर होने वाला अपक्षय है, इसमें गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में मृदा एवं चट्टानी पदार्थ ढाल के सहारे नीचे की ओर खिसकते हैं। भूस्खलन के प्रकार भौगोलिक दृष्टि से भूस्खलन के तहत
काराकोरम विसंगति - (August 2023)
‘काराकोरम विसंगति’ (Karakoram Anomaly) को हिमालय की अन्य निकटवर्ती पर्वत श्रृंखलाओं और दुनिया की अन्य पहाड़ी श्रृंखलाओं में हिमनदों के पिघलने अथवा पीछे हटने के विपरीत केंद्रीय काराकोरम में ग्लेशियरों की स्थिरता या असंगत वृद्धि के रूप में जाना जाता है। पिछले कुछ दशकों में मध्य काराकोरम के ग्लेशियर आश्चर्यजनक रूप से अपरिवर्तित रहे हैं या इनमें थोड़ी वृद्धि हुई है।
पारंपरिक चिकित्सा - (August 2023)
WHO पारंपरिक चिकित्सा को ‘ज्ञान, कौशल और प्रथाओं के एक ऐसे संयोग के रूप में वर्णित करता है, जिसका उपयोग विभिन्न संस्कृतियों में स्वास्थ्य को बनाए रखने तथा शारीरिक एवं मानसिक बीमारियों की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए किया जाता रहा है।’ पारंपरिक चिकित्सा के घटक पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के दायरे में एक्यूपंक्चर (Acupuncture), आयुर्वेदिक चिकित्सा (Ayurvedic Medicine) और हर्बल मिश्रण
सांस्कृतिक पर्यटन की विकास में भूमिका - (August 2023)
वर्ष 2021 में अनुमानित 1.52 मिलियन विदेशी आगंतुकों के साथ, भारत दुनिया के शीर्ष पर्यटन स्थलों में से एक है। पर्यटन के परिणामस्वरूप भारत के विदेशी मुद्रा राजस्व में इस वर्ष लगभग 8-8 बिलियन डॉलर की वृद्धि देखने को मिली। भारत की सांस्कृतिक विविधता, समृद्ध विरासत एवं स्मारकों की प्रचुरता के कारण दुनिया भर से पर्यटक आकर्षित होते हैं। पिछले
भारत में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत - (August 2023)
यूनेस्को ने दुनिया भर में महत्वपूर्ण ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासतों’ की सुरक्षा तथा उनके महत्व के संदर्भ में जागरूकता उत्पन्न करने के उद्देश्य से अपनी एक सूची स्थापित की है। इस सूची की स्थापना वर्ष 2008 में की गई थी, जब 2003 का ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए कन्वेंशन’ प्रभावी हुआ था। वर्तमान समय तक भारत की 14 अमूर्त
भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा - (August 2023)
यूनेस्को के अनुसार, अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (Intangible Cultural Heritage: ICH) में हमारे पूर्वजों से विरासत में मिली और हमारे वंशजों को हस्तांतरित परंपराओं अथवा जीवित अभिव्यक्तियों को शामिल किया जाता है। इसमें मौखिक परंपराएं, प्रदर्शन कलाएं, सामाजिक प्रथाएं, अनुष्ठान, उत्सव प्रथाएं, पारंपरिक शिल्प निर्माण संबंधी ज्ञान एवं कौशल तथा प्रकृति एवं ब्रह्मांड से संबंधित ज्ञान और प्रथाएं शामिल रहती
द्रविड़ आंदोलन - (August 2023)
द्रविड़ आंदोलन की अवधारणा का मूल तमिलनाडु में चले ब्राह्मणवाद विरोधी आंदोलन में देखा जा सकता है, जहां वंचित वर्गों द्वारा सामाजिक समता और वृहत शक्ति एवं नियंत्रण की आरंभिक मांगें की गई थीं। समय के साथ, इससे एक अलगाववादी आंदोलन भी निकल कर सामने आया, जिसमें तमिल लोगों के लिये एक अलग संप्रभु राज्य की मांग की गई। आंदोलन की
प्राचीन भारत में लोकतांत्रिक मूल्य - (August 2023)
लोकतंत्र सरकार की एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें नागरिक प्रत्यक्ष रूप से अथवा एक शासी निकाय (जैसे संसद) के माध्यम से प्रतिनिधियों का चुनाव करके सत्ता का प्रयोग करते हैं। वर्तमान समय में, भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और इसकी लोकतांत्रिक परंपराओं की जड़े लगभग 2,500 वर्ष पुरानी है। भारत में लोकतांत्रिक परंपराओं का इतिहास सभा और समितियां: संपूर्ण वैदिक
भारतीय मार्शल आर्ट का इतिहास - (August 2023)
‘युद्ध लड़ने से संबंधित कला’ को मार्शल आर्ट के रूप में जाना जाता है। विभिन्न भारतीय मार्शल आर्ट की उत्पत्ति प्राचीन युद्ध कौशलों से हुई है। भारत में प्रचलित मार्शल आर्ट के प्रमुख रूपों में ‘थांग टा’ (मणिपुर), गतका (पंजाब), लाठी खेला (पश्चिम बंगाल), कलारीपयट्टू (केरल), मल्लखंब (मध्य प्रदेश), सिलंबम (तमिलनाडु) तथा काठी सामू (आंध्र प्रदेश) प्रचलित है। मार्शल आर्ट का
वायकोम सत्याग्रह: कारण एवं प्रभाव - (August 2023)
वर्ष 2024 में वैकोम सत्याग्रह के सौ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में 1 अप्रैल, 2023 को केरल और तमिलनाडु की राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से इसके शताब्दी समारोह का उद्घाटन किया गया। 30 मार्च, 1924 को आरंभ हुआ वायकोम सत्याग्रह हिंदू समाज में अस्पृश्यता के खिलाफ त्रवणकोर (वर्तमान केरल) में एक आंदोलन था। सत्याग्रह का उद्देश्य वायकोम में श्री
भारत के जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी: गुमनाम नायक - (August 2023)
जनजातीय नायकों ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ भारत के विभिन्न क्षेत्रों में आंदोलन किये। इन जनजातीय समुदायों में तामार, संथाल, खासी, भील, मिजो और कोल शामिल थे। सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण, राष्ट्रीय गौरव, वीरता तथा आतिथ्य के भारतीय मूल्यों को बढ़ावा देने में जनजातियों के प्रयासों को मान्यता देने हेतु प्रतिवर्ष 15 नवंबर को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ का आयोजन
जैव विविधता से आप क्या समझते हैं? जैव विविधता के संरक्षण हेतु उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयास को रेखांकित करें? - (July 2023)
जैव विविधता जीवों के मध्य प्राप्त होने वाली विविधता है। यह प्रजातियों के मध्य उनके परितंत्र को रेखांकित करती है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 22 मई को जैव विविधता अन्तरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। साधारण शब्दों में किसी भी पारिस्थितिक तंत्र में या बायोम में मिलने वाले जीव जंतुओं की प्रजातियों की विविधता को जैव विविधता कहते है।उत्तर प्रदेश सरकार के
महिला एवं बाल विकास हेतु उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख प्रावधानों की चर्चा करें? - (July 2023)
महिलाओं एवं बच्चों के विकास को गति प्रदान करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सरकार कृतसंकल्पित है। इसके लिए कई योजनाएं एव नीतियों का संचालन कर रही है।महिला एवं बाल विकास से संबंधित प्रमुख मुद्देयौन उत्पीड़न, बाल विवाह, अनैतिक व्यापार, घरेलू हिंसा, लिंग चयनात्मक गर्भपात आदि।प्रमुख योजनाएं:मिशन शक्ति अभियान इसका उद्देश्य महिलाओं, बालिकाओं, और बच्चों की सुरक्षा एवं स्वावलंबन को
उत्तर प्रदेश में प्रदूषण के प्रमुख मुद्दे क्या है? इनके समाधान हेतु उत्तर प्रदेश सरकार के कदमों की चर्चा करें? - (July 2023)
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में असंतुलित प्रगति के कारण पर्यावरण प्रदूषण और विपरीत पारिस्थितिकी का संकट उत्पन्न हुआ है जो आने वाले समय में और विनाशकारी साबित होता। प्रमुख मुद्दे केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार लखनऊ, मुरादाबाद, नोएडा, गाजियाबाद कानपुर प्रदूषित शहरों में है। उत्तर प्रदेश के अनेक शहरों में पार्टीकुलर मैटर (P.M) सुरक्षा सीमा से बहुत अधिक है। जल प्रदूषण सबसे बड़ा मुद्दा
एक जिला एक उत्पाद योजना पर टिप्पणी करें? - (July 2023)
यह योजना जनपदों में पारम्परिक शिल्प एवं लघु उद्यमों के संरक्षण एवं रोजगार सृजन हेतु उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2018 से संचालित हो रही है।75 जिलों में 5 वर्षों में 25 लाख लोगों में रोजगार सृजन का लक्ष्य। इस योजना कि तहत 89 हजार करोड़ से अधिक का निर्यात उत्तर प्रदेश से किया जा चुका है।इस योजना के तहत कारीगरों
उत्तर प्रदेश में पाए जाने वाले प्रमुख खनिज संसाधनों का विवरण दीजिए। - (July 2023)
अपने विशाल भौगोलिक विस्तार के बावजूद उत्तर प्रदेश में सीमित खनिज संसाधन उपलब्ध है। देश के कुल खनिज उत्पादन का 3% यहां मिलता है। प्रदेश में 12 जनपद को ‘खनिज बहुल जनपद’ घोषित किया गया है।उत्तर प्रदेश में धात्विक और अध्यात्विक दोनों खनिज पाये जाते है।उत्तर प्रदेश के प्रमुख खनिज और उनके क्षेत्र निम्न है-धात्विक खनिजलौह अयस्कः मिर्जापुर में सीमित
उत्तर प्रदेश में कृषि की प्रमुख समस्या एवं सरकार के प्रयास क्या हैं? - (July 2023)
उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में कृषि का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां देश का लगभग 21% खाद्यान्न तथा 10.8% फल और 15.4% सब्जियों का उत्पादन होता है इसके बावजूद कृषि निम्न समस्याओं का सामना कर रही है।जोतों का घटता आकारः प्रदेश में जोतों का औसत आकार घटता जा रहा है। कृषि गणना 2010-11 के अनुसार उत्तर प्रदेश में कुल जोतों
उत्तर प्रदेश राज्य जैव ऊर्जा नीति 2022 के विभिन्न प्रावधानों का वर्णन करें? - (July 2023)
बायों एनर्जी वेस्ट का उपयोग करने वाले कम्प्रेस्ड बायोगैस संयंत्र, बायों डीजल उत्पादन संयंत्र और जैव कोयला उत्पादन संयंत्र के स्थापना को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए 2022 में इस नीति को लाया गया जिसके निम्न प्रावधान है-भारत सरकार से मिलने वाले प्रोत्साहन के अतिरिक्त इन संयंत्रों की स्थापना पर प्रोत्साहन।कंप्रेस्ड बायोगैस उत्पादन संयंत्र की स्थापना पर 75 लाख रुपये
उत्तर प्रदेश के विकास में सूचना एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका का प्रमुख क्षेत्रों के आलोक में विवेचन करें? - (July 2023)
सूचना प्रौद्योगिकी से आशय उस सेवा से है जो साफ्रटवेयर के माध्यम से सूचना प्रौद्योगिकी उत्पाद के रूप में मिलती है और उपयोगिता की दृष्टि से अत्यंत मूल्यवान होती है।उत्तर भारत से आई. टी. निर्यात में राज्य की हिस्सेदारी 35% है, उत्तर प्रदेश की आई. टी. उद्योग में हिस्सेदारी कुल कार्यबल का 15% है।रोजगार सृजन में यह क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण
उत्तर प्रदेश के परिवहन तंत्र पर प्रकाश डालें? - (July 2023)
विकास परिवहन साधनों पर काफी निर्भर है, यह किसी भी प्रदेश के विकास की दशा एवं दिशा को निर्धारित करता है इसी कारण उत्तर प्रदेश में परिवहन को अधिक सुदृढ़ एवं उपयोगी बनाने पर बल दिया जा रहा है।उत्तर प्रदेश की सड़कों को उपयोगिता एवं क्षमता के आधार पर चार वर्गों में विभाजित किया जा सकता है यथा राष्ट्रीय राजमार्ग,
उत्तर प्रदेश में निवेश के प्रमुख मुद्दे क्या है? निवेश का उत्तर प्रदेश पर पड़ने वाले प्रभावों का वर्णन करें? - (July 2023)
उत्तर प्रदेश अपनी अंतर्निहित ताकत, जनसांख्यिकी और भविष्य की विकास क्षमताओं के कारण एक आकर्षक निवेश गंतव्य है जिसके निम्न मुद्दे है- औद्योगिक विकास हेतु गुणवत्तापूर्ण अवसंरचना एवं अवस्थापना सुविधा का विकास एवं उनका अनुरक्षण करना। निवेश के लिए भयमुक्त वातावरण की आवश्यकता होती है और उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था एक प्रमुख मुद्दा रहा है। बदलती वैश्विक अर्थव्यवस्था में नई प्रौद्योगिकियों के
उत्तर प्रदेश के प्रमुख मेलों का वर्णन करें एवं उनके सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक महत्व का विवेचन करें? - (July 2023)
मेला किसी क्षेत्र की विशेषता को दर्शाते है उत्तर प्रदेश में आयोजित मेले कई प्रकार के होते है जैसे धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृति एवं वाणिज्यिक परंतु प्रत्येक मेले का सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक महत्व होता है।उत्तर प्रदेश के कुछ मेलों का सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक महत्व निम्नलिखित है-कुंभ मेलाः यह विश्व के सबसे बड़े मेलों में से एक है यह प्रयाग में प्रत्येक
उत्तर प्रदेश में आन्तरिक सुरक्षा के संदर्भ में सरकार द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण निर्णयों की विवेचना करे? - (July 2023)
पुलिस और कानून व्यवस्था को बनाए रखने का दायित्व राज्य सूची का विषय है। इसके तहत उत्तर प्रदेश में आन्तरिक सुरक्षा के संदर्भ में सरकार द्वारा निम्न महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए है।राज्य ने कानून व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त एवं लोकप्रिय बनाने हेतु कुछ शहरों में कमिशनर प्रणाली को लागू किया है जैसे लखनऊ, वाराणसी, कानपुर इत्यादि। एकीकृत हेल्पलाइन नम्बर- 112 जो
स्वतंत्रता पूर्व उत्तर प्रदेश में किसान आन्दोलनों के स्वरूप, प्रभाव एवं महत्व का वर्णन करें? - (July 2023)
अंग्रेज 1857 के विद्रोह को दबाने में सफल रहे लेकिन देश के प्रथम स्वतंत्रता संघर्ष ने कई आन्दोलनों को जन्म दिया जिसमें उत्तर प्रदेश के किसान आन्दोलन प्रमुख है-स्वरूपः उत्तर प्रदेश के किसानों ने अपनी मांगों के लिए महाजनों, जमींदारों एवं अंग्रेजों से सीधे लड़ना प्रारंभ किया।अपनी परम्परागत जीवन शैली को सुरक्षित रखने की इच्छा ने किसान आन्दोलनों को मजबूत
भारत-नेपाल सीमा से संबंधित सुरक्षा एवं प्रबंधन की चुनौतियां मुख्य रूप से क्या है? संक्षेप में चर्चा करें? - (July 2023)
भारत-नेपाल सीमा खुली सीमा है जिसे मित्रता और सहयोग के आपसी संपर्क और संस्कृति द्वारा लक्षित किया जाता है किन्तु हाल के वर्षों में सीमा सुरक्षा और प्रबंधन की निम्न चुनौतियां उभरी है- सीमा सुरक्षा एवं प्रबंधन की चुनौतियां: उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्र नेपाल की सीमा से अपराधियों के प्रवेश एवं मानव तस्करी करने के लिए सबसे सुभेद्य क्षेत्र। उ. प्र. के
उत्तर प्रदेश के प्रमुख लोकनृत्य एवं उनकी विशेषताओं की विवेचना करें? - (July 2023)
उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विविधता का एक विस्तृत इतिहास है जहां प्रत्येक क्षेत्र में विशिष्ट नृत्य विधाऐं है। उत्तर प्रदेश के प्रमुख लोकनृत्य निम्न है-चरकुलाः राधा के जन्म से संबंधित लोकनृत्य है इसकी प्रमुख विशेषता इसमें पहियों पर कई घड़े रखे जाते है फिर इसे सिर पर रख कर नृत्य किया जाता हैख्यालः यह पुत्र के जन्म के अवसर पर
उत्तर प्रदेश में भक्ति आन्दोलन की विशेषताओं एवं प्रभाव का वर्णन कीजिए। - (July 2023)
भक्ति आन्दोलन बौद्ध एवं जैन धर्म के प्रति अनुक्रिया से जुड़े वेष्णव एवं शैव सम्प्रदाय के संतों के प्रयास का परिणाम था। भक्ति आन्दोलन को दक्षिण से उत्तर में लाने का कार्य रामानंद ने किया। उत्तर प्रदेश में भक्ति आन्दोलन के विकास के निम्न कारण थे। भक्ति आंदोलन के संतों द्वारा प्रत्येक जाति से शिष्य बनाया गया। उपदेश स्थानीय भाषाओं में दिया
हस्तशिल्प के विकास के लिए उत्तर प्रदेश में संचालित योजनाओं का वर्णन करे। ये योजनाएं कहां तक हस्तशिल्प के विकास में कारगर हैं? - (July 2023)
उत्तर प्रदेश में हस्तशिल्प उद्योग की अपार संभावनाएं तथा विशिष्ट शैली है। इसके विकास हेतु सरकार निम्न योजनाएं संचालित कर रही है- उत्तर प्रदेश हस्तशिल्प कौशल विकास प्रशिक्षण योजना - इसके तहत परंपरागत तरीके से हो रहे हस्तशिल्प निर्माण को तकनीकी माध्यम से करने हेतु प्रशिक्षण दिया जाता है। तकनीकी सुविधा केन्द्र योजना - तकनीकी उन्नयन हेतु अनुसूचित जाति के दस्तकारों हेतु
उत्तर प्रदेश पर्यटन नीति 2022 के प्रमुख उद्देश्य क्या है? प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों के विकास की संभावनाओं का विवेचन करें? - (July 2023)
उत्तर प्रदेश को देश में धार्मिक आध्यात्मिक पर्यटन हब के रूप में स्थापित करने के लिए नई पर्यटन नीति 2022 लाई गई है जिसके निम्न उद्देश्य है- 20 हजार करोड़ के निवेश के साथ 10 लाख लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है। होटलों को उद्योग का दर्जा मिलेगा पानी, बिजली, संपत्तिकर, सीवरेज टैक्स की दरें भी व्यवसायिक की जगह
1857 के स्वतंत्रता संग्राम में उत्तर प्रदेश के योगदान को रेखांकित करें? - (July 2023)
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम 1857 में उत्तर प्रदेश का योगदान अविस्मरणीय रहा है, 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का प्रारंभ ही उत्तर प्रदेश से हुआ जिसने कालान्तर में भारत के स्वतंत्रता के मार्ग को प्रशस्त किया।योगदानः 1857 के संग्राम का प्रारंभ 10 मई 1857 को मेरठ से प्रारंभ हुआ जो जल्द ही दिल्ली पहुंच गया जिसके परिणामस्वरूप बहादुर शाह II को सम्राट
उत्तर प्रदेश में स्थित छठी शताब्दी ईसापूर्व के भारतीय गणराज्यों का विवरण प्रस्तुत करें? - (July 2023)
प्राचीन गणतंत्र कुलीन तंत्र या अभिजात तंत्र थे, बुद्ध काल में कुल 10 गणराज्यों के अस्तित्वों के प्रमाण मिलते है जिसमें 7 उत्तर प्रदेश में अवस्थित थे। राज्यों में राजनैतिक व्यवस्था लोकतांत्रिक थी जहां जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि शासन करते थे। शासक निरंकुश नहीं बल्कि जनता के सेवक की भांति कार्य करते थे। अधिकांश महाजनपद गंगा घाटी में अवस्थित थे वही गणतंत्र
भारत-मॉरीशस संबंध - (July 2023)
17 से 24 अप्रैल, 2022 के मध्य मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ ने एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत की आधिकार यात्रा संपन्न की। यात्रा के दौरान दोनों देशों के मध्य द्विपक्षीय सहयोग को और अधिक बढ़ावा देने की बात की गई। मॉरीशस की लगभग 68% से अधिक आबादी भारतीय मूल की है। यह देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक
भारत-मिस्र संबंध - (July 2023)
मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल-सीसी 24-26 जनवरी, 2023 के मध्य भारत की यात्रा पर थे। इस दौरान वे भारत के 74वें गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। गणतंत्र दिवस की परेड में मिस्र की एक सैन्य टुकड़ी द्वारा भी भाग लिया गया। 25 जनवरी, 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह
भारत-दक्षिण अफ्रीका संबंध - (July 2023)
15 फरवरी, 2023 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिव्यांगता के क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच एक समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी। यह समझौता दोनों देशों के दिव्यांग और वृद्धजनों को कम लागत वाले आवश्यक उपकरणों को प्राप्त करने में सहायक होगा, साथ ही दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेगा। द्विपक्षीय संबंध : पृष्ठभूमि भारत और
भारत-नॉर्वे संबंध - (July 2023)
17 नवंबर, 2022 को 8वीं नॉर्वे-भारत समुद्री संयुक्त कार्य समूह की बैठक मुंबई में आयोजित की गई। समुद्री क्षेत्र पर भारत-नॉर्वे संयुक्त कार्य समूह की बैठकें नियमित आधार पर आयोजित की जाती हैं। पृष्ठभूमि भारत और नॉर्वे ने फरवरी 1947 में द्विपक्षीय संबंध स्थापित किए। भारत ने वर्ष 1986 में नॉर्वे के साथ दोहरा कराधान अपवंचन समझौता (DTAA) पर हस्ताक्षर किया,
भारत-जर्मनी संबंध - (July 2023)
5-6 दिसंबर, 2022 को जर्मनी की विदेश मंत्री अन्नालीना बेयरबॉक ने भारत की दो दिवसीय यात्रा की। इस दौरान भारत तथा जर्मनी के मध्य प्रवासन और गतिशीलता समझौते (Migration and Mobility Agreement) पर हस्ताक्षर किए। पृष्ठभूमि भारत द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी संघीय गणराज्य के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले पहले देशों में से एक था। भारत और जर्मनी के बीच मई
भारत-फ्रांस संबंध - (July 2023)
भारत और फ़्रांस ने वर्ष 2023 को आपसी संबंधों की 25वीं वर्षगांठ के रूप में चिन्हित किया है। 14 फरवरी, 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एयर इंडिया और एयरबस के बीच साझेदारी के शुभारंभ के अवसर पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के साथ एक वर्चुअल बैठक में भाग लिया। पृष्ठभूमि भारत तथा फ्रांस के बीच द्विपक्षीय संबंध शीत युद्ध के
भारत-इटली संबंध - (July 2023)
2-3 मार्च, 2023 तक इटली के प्रधानमंत्री 'जियोर्जिया मेलोनी' ने भारत की यात्रा की। इस दौरान दोनों देश अपने संबंधों को रणनीतिक साझेदारी (Strategic Partnership) तक बढ़ाने पर सहमत हुए। अवगत करा दें कि वर्ष 2023 में भारत और इटली अपने द्विपक्षीय संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। पृष्ठभूमि भारत और इटली समृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाली प्राचीन सभ्यताएं हैं। इतालवी व्यापारी मार्को पोलो
भारत-यूनाइटेड किंगडम संबंध - (July 2023)
24-28 अप्रैल, 2023 के मध्य भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के 9वें दौर की वार्ता आयोजित हुई, जो विभिन्न नीतिगत क्षेत्रों में विस्तृत चर्चा के साथ संपन्न हुई। भारत और यूनाइटेड किंगडम जनवरी 2022 से ही एफटीए पर वार्ता कर रहे हैं। पृष्ठभूमि भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच कई शताब्दियों से ऐतिहासिक संबंध हैं। दोनों देशों के बीच वर्ष 2004 से रणनीतिक
भारत-रोमानिया संबंध - (July 2023)
28 मार्च, 2023 को भारत एवं रोमानिया के मध्य रक्षा सहयोग समझौते (Defense Cooperation Agreement) पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के मध्य सैन्य सहयोग की स्थापना एवं उसका विस्तार करना है। द्विपक्षीय संबंध : पृष्ठभूमि ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: ट्रांसिल्वेनिया में जन्मे भाषाविद् अलेक्जेंडर सीसोमा डी कोरोस (Alexander Csoma de Koros) ने वर्ष 1820 में भारत की यात्रा की
भारत-इंडोनेशिया संबंध - (July 2023)
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 17वें जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए 14-16 नवंबर, 2022 तक इंडोनेशिया की आधिकारिक यात्रा की। इस दौरान प्रधानमंत्री ने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो के साथ वार्ता की तथा बाली में आयोजित भारतीय डायस्पोरा आउटरीच कार्यक्रम को संबोधित किया। द्विपक्षीय संबंध : पृष्ठभूमि भारत और इंडोनेशिया के बीच पारंपरिक रूप से करीबी एवं मैत्रीपूर्ण संबंध रहे
भारत-वियतनाम संबंध - (July 2023)
जून 2022 में भारत और वियतनाम के रक्षा मंत्रियों द्वारा '2030 की ओर भारत-वियतनाम रक्षा साझेदारी पर संयुक्त विजन स्टेटमेंट' पर हस्ताक्षर किए गए। वियतनाम द्वारा किसी भी देश के साथ हस्ताक्षरित यह इस प्रकार का पहला बड़ा समझौता है। यह पारस्परिक रूप से लाभकारी लॉजिस्टिक समर्थन के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। दोनों देश
भारत-जापान संबंध - (July 2023)
19-21 मार्च, 2023 तक जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा (Fumio Kishida) ने भारत की आधिकारिक यात्रा की तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 'भारत-जापान शिखर सम्मेलन-2023' में भाग लिया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने चीन की बढ़ती मुखरता के बीच क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के तरीके तलाशने के अलावा स्वच्छ ऊर्जा, सेमीकंडक्टर और सैन्य हार्डवेयर के सह-विकास के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर
भारत-मंगोलिया संबंध - (July 2023)
10 फरवरी, 2023 को नई दिल्ली में भारत-मंगोलिया संयुक्त कार्य समूह की 11वीं बैठक आयोजित की गई। बैठक में दोनों पक्षों ने कोविड-19 महामारी से जुड़ी बाधाओं के बावजूद दोनों देशों के मध्य हुए रक्षा सहयोग पर संतोष व्यक्त किया। द्विपक्षीय संबंध : पृष्ठभूमि भारत और मंगोलिया बौद्ध धर्म के माध्यम से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं तथा इस कारण से
भारत-ताजिकिस्तान संबंध - (July 2023)
जून 2022 में भारत के विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने ताजिकिस्तान गणराज्य के ऊर्जा एवं जल संसाधन मंत्री के साथ द्विपक्षीय बैठक की। इस बैठक में जल संसाधन अनुसंधान, ग्लेशियर निगरानी, गैर-पारंपरिक ऊर्जा, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के शांतिपूर्ण उपयोग तथा आपदा प्रबंधन जैसे विषयों पर चर्चा की गई। द्विपक्षीय संबंध : पृष्ठभूमि 28 अगस्त, 1992 को राजनयिक संबंधों की स्थापना
भारत-किर्गिस्तान संबंध - (July 2023)
4 नवंबर, 2022 को व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग पर भारत-किर्गिज़ गणराज्य अंतर-सरकारी आयोग (IKIGC) का 10वां सत्र आयोजित किया गया। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इस सत्र में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए दोनों देशों के मध्य द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने तथा सांस्कृतिक संबंधों को और अधिक मज़बूत बनाने का आह्वान किया। इस सत्र में दोनों देशों के
भारत-ईरान संबंध - (July 2023)
22 अगस्त, 2022 को भारत और ईरान द्वारा दोनों देशों के बीच नाविकों की सुचारु आवाजाही के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये गए। यह समझौता ज्ञापन असीमित यात्राओं में क्षमता प्रमाण-पत्र (Certificates of Competency in Unlimited Voyages) की मान्यता से संबंधित है। पृष्ठभूमि भारत और ईरान ने 15 मार्च, 1950 को मैत्री संधि पर हस्ताक्षर के साथ राजनयिक संबंध स्थापित
भारत-इज़राइल संबंध - (July 2023)
2 मई, 2023 को भारत एवं इज़राइल ने औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता दोनों देशों के बीच वैज्ञानिक और तकनीकी साझेदारी के लिए महत्वपूर्ण है। इजराइली सरकार के रक्षा अनुसंधान एवं विकास निदेशालय के प्रमुख डॉ. डेनियल गोल्ड के नेतृत्व में उच्च स्तरीय इज़राइली प्रतिनिधिमंडल के भारत दौरे के दौरान इस
भारत-सऊदी अरब संबंध - (July 2023)
10-12 सितंबर, 2022 के दौरान भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर सऊदी अरब की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा पर थे। इस दौरान उन्होंने भारत-सऊदी अरब द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं की समीक्षा की तथा क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की। दोनों पक्षों के बीच चर्चा के दौरान खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, फार्मास्यूटिकल्स, रक्षा उद्योग और मनोरंजन जैसे कई क्षेत्रों की
भारत-यूएई संबंध - (July 2023)
22 नवंबर, 2022 को भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने हैदराबाद हाउस में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद अल नाह्यान के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। बैठक में सितंबर 2022 में आयोजित 14वें सयुक्त आयोग की बैठक के पश्चात विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों में हुई निरंतर प्रगति की समीक्षा की गई। भारत तथा संयुक्त
भारत-कतर संबंध - (July 2023)
वर्ष 2023 में भारत और कतर के बीच पूर्ण राजनयिक संबंधों की स्थापना के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में 5 से 8 फरवरी, 2023 के मध्य कतर के परिवहन राज्य मंत्री जसीम सैफ अहमद अल-सुलैती ने भारत की आधिकारिक यात्रा की। इस दौरान आयोजित द्विपक्षीय वार्ता के दौरान दोनों देशों के बीच परिवहन सुविधाओं को बढ़ावा देने वाली विभिन्न
भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध - (July 2023)
8-11 मार्च, 2023 के मध्य ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री 'एंथनी अल्बानीज' ने भारत की चार दिवसीय की यात्रा की। यात्रा के दौरान व्यापार, निवेश और महत्वपूर्ण खनिजों सहित सहयोग के अनेक द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की गई। मई 2022 में प्रधानमंत्री बनने के पश्चात यह उनकी पहली आधिकारिक यात्रा थी और 6 वर्षों में किसी ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री की पहली भारत यात्रा थी।
भारत-रूस संबंध - (July 2023)
1993 की भारत-रूस मैत्री संधि की 30वीं वर्षगांठ के अवसर पर 6 फरवरी, 2023 को नई दिल्ली में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर रूस के राजदूत ने भारत के लिए एक भागीदार के रूप में अमेरिका की विश्वसनीयता पर संदेह व्यक्त किया तथा रूस और भारत के मध्य विश्वसनीय संबंधों
भारत-चीन संबंध - (July 2023)
31 मई, 2023 को भारत एवं चीन ने पूर्वी लद्दाख सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से जुड़े सीमा विवाद को संबोधित करने के लिए 'भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय हेतु कार्य तंत्र' (WMCC) की 27वीं बैठक आयोजित की। दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने तथा सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से चर्चा जारी रखने पर
भारत-सं. रा. अमेरिका संबंध - (July 2023)
10 मार्च, 2023 को नई दिल्ली के वाणिज्य भवन में 5वीं भारत-अमेरिका वाणिज्यिक संवाद बैठक का आयोजन किया गया। दोनों पक्षों ने सेमीकंडक्टर आपूर्ति शृंखला और नवाचार साझेदारी स्थापित करने सहित विभिन्न समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए। द्विपक्षीय संबंध : पृष्ठभूमि 1947 में भारत की स्वतंत्रता से लेकर वर्तमान समय तक भारत-अमेरिका के मध्य संबंध उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। शीतयुद्ध काल तक भारत-अमेरिका
भारत-मालदीव संबंध - (July 2023)
अगस्त 2022 में मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह भारत की आधिकारिक यात्रा पर आए। राष्ट्रपति सोलिह की यह तीसरी भारत यात्रा थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मालदीव के राष्ट्रपति के मध्य द्विपक्षीय बैठक में दोनों पक्ष रक्षा एवं सुरक्षा, निवेश प्रोत्साहन, मानव संसाधन विकास तथा बुनियादी ढांचा विकास आदि क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए। द्विपक्षीय संबंध : पृष्ठभूमि भारत
भारत-श्रीलंका संबंध - (July 2023)
30 मई 2023 को भारत ने एक और वर्ष के लिए श्रीलंका को अपनी 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की क्रेडिट लाइन का विस्तार किया, ताकि अभूतपूर्व आर्थिक संकट से जूझ रहे इस द्वीपीय राष्ट्र को आवश्यक भोजन, दवा और अन्य आवश्यक वस्तुओं की खरीद में मदद मिल सके। भारत ने अपनी 'पड़ोसी पहले की नीति' के अनुरूप, कई क्रेडिट लाइनों और
भारत-म्यांमार संबंध - (July 2023)
17 फरवरी, 2023 को पूर्वोत्तर क्षेत्र के पर्यटन, संस्कृति और विकास मंत्री ने म्यांमार के सीमा मामलों के मंत्री के साथ एक आभासी बैठक में भाग लिया। बैठक में अन्य मुद्दों के साथ म्यावाडी क्षेत्र (Myawaddy region) में फंसे भारतीय नागरिकों की शीघ्र वापसी के लिए म्यांमार के अधिकारियों से निरंतर सहयोग की भी मांग की गई। पृष्ठभूमि भारत और म्यांमार के
भारत-बांग्लादेश संबंध - (July 2023)
5 एवं 6 दिसंबर, 2022 को भारत तथा बांग्लादेश के बीच सुरक्षा और सीमा प्रबंधन पर संयुक्त कार्य समूह (JWG) की 18वीं बैठक आयोजित की गई। बैठक में अन्य मुद्दों के साथ भारत-बांग्लादेश सीमा की प्रभावी रखवाली के लिए समन्वित सीमा प्रबंधन योजना (CBMP) को उसकी भावना में लागू करने पर चर्चा की गई। द्विपक्षीय संबंध : पृष्ठभूमि भारत द्वारा 15 मई, 1971
भारत-नेपाल संबंध - (July 2023)
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने 31 मई से 03 जून 2023 के मध्य भारत की आधिकारिक यात्रा की। इस दौरान 1 जून, 2023 को दोनों देशों ने अपनी पारगमन संधि (Treaty of Transit) को नवीनीकृत किया। भारत एवं नेपाल के मध्य पारगमन संधि के नवीनीकरण सहित कुल 7 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, जिनेमें पेट्रोलियम अवसंरचना के क्षेत्र
उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विशेषताओं के विविध पक्षों का मूल्यांकन कीजिये। - (June 2023)
उत्तर प्रदेश की संस्कृति के विविध पक्ष हैं, जो समग्र रूप से भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग हैI उत्तर प्रदेश के विविध वस्त्र विन्यास, नृत्य, लोकगीत ऐतिहासिक स्मारक, जीवन शैली आदि उत्तर प्रदेश की एक विशिष्ट और समृद्ध संस्कृति को दर्शाते हैं। विविध सांस्कृतिक-धार्मिक विशेषताओं का सम्मिलन: उत्तर प्रदेश की संस्कृति के प्रमुख अंग विविध धर्मों के वस्त्र विन्यास,
उत्तर प्रदेश में सड़क परिवहन का विकास राज्य सरकार के विकास प्राथमिकताओं में सर्वोच्च है|” इस कथन का परीक्षण कीजिए। - (June 2023)
परिवहन के विभिन्न साधनों के बीच सड़क परिवहन अपनी लास्टमाइल कनेक्टिविटी की भूमिका की वजह से महत्वपूर्ण हैI मार्च 2022 तक प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्ग की कुल लंबाई 11,590 किमी., राज्य मार्ग 10,901 किमी., प्रमुख जिला मार्ग 6,749 किमी. हैंI सेतु निर्माण: राज्य सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत स्वीकृत सेतुओं का निर्माण उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम लि. तथा
उत्तर प्रदेश में जल प्रबंधन से संबंधित सरकार के विभिन्न प्रयासों की समालोचनात्मक विवेचना कीजिए। - (June 2023)
उत्तर प्रदेश मानसून वर्षा, भूगर्भिक जल एवं हिमालय से निकलने वाली नदियों से अपनी जजारत के जल की पूर्ति करता हैI हालाँकि मानसून की अनिश्चितता तथा हरित क्रांति के पश्चात उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग में भूगर्भिक जल का अत्यधिक दोहन से जल प्रबंधन की आवश्यकता महसूस की गई हैIनदी जोड़ो परियोजना: राज्य सरकार नदी जोड़ो परियोजना के माध्यम से
पर्यावरण एवं वन्यजीव संरक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा किये गए हाल के प्रमुख प्रयासों की व्याख्या कीजिये। - (June 2023)
पर्यावरण एवं वन्यजीव संरक्षण पृथ्वी पर मानव के अस्तित्व के लिए आवश्यक हैI इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने विभिन्न पहलों को प्रारंभ किया है, जो निम्नवत हैं- पर्यावरण संरक्षण: प्रदेश में वनावरण एवं वृक्षारोपण कुल भौगौलिक क्षेत्रफ़ल 2,40,928 वर्ग कि.मी. का मात्र 9.23 प्रतिशत है। राष्ट्रीय वन नीति, 1988 के मानक स्तर 33.33 प्रतिशत से
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात उत्तर प्रदेश में हुए भूमि सुधारों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। - (June 2023)
उत्तर प्रदेश की एक बड़ी जनसंख्या कृषि में संलग्न है, जो भूमि सुधार से सीधे लाभान्वित होती हैI राज्य में भूमि सुधार ‘उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार अधिनियम, 1950’ द्वारा संस्थागत रूप से प्रारंभ किया गयाI इस अधिनियम के द्वारा उत्तर प्रदेश में काश्तकारी सुधार एवं मध्यस्थों का उन्मूलन दोनों ही कार्य साथ-साथ किए गए। 1950 का अधिनियम
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा युवाओं में कौशल विकास के लिए चलाई जाने वाली विभिन्न पहलों की समीक्षा कीजिए। - (June 2023)
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश की 15-59 आयु वर्ग की जनसंख्या 1,114.42 लाख थी। इनमें से श्रमिकों की एक बड़ी संख्या को प्रशिक्षण की आवश्यकता थीI इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए, राज्य सरकार द्वारा विभिन्न पहलों को प्रारंभ किया गया है, जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं:उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन – इस योजना के द्वारा
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं के कल्याण एवं सशक्तीकरण के लिए चलाई गई योजनाओं का मूल्यांकन कीजिए। - (June 2023)
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा समाज के कमजोर वर्गों के कल्याण के लिए विभिन्न योजनाओं को प्रारंभ किया गया है, जिसमें से निम्नलिखित प्रमुख हैं- उत्तर प्रदेश महिला सामर्थ्य योजना – इस योजना को 22 फरवरी, 2021 को प्रारंभ किया गया, जो राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत महिला दुग्ध उत्पादकों को सहायता उपलब्ध कराता हैI इस योजना के द्वारा बरेली,
उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य क्षेत्र के समक्ष उत्पन्न समस्याओं पर प्रकाश डालिए। इनके प्रबंधन के लिए सरकार द्वारा उठाई गई प्रमुख पहलों की चर्चा कीजिए। - (June 2023)
उत्तर प्रदेश देश का सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य है। उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य क्षेत्र के समक्ष निम्नलिखित समस्याएँ हैं-जागरूकता की कमी: राज्य की एक बड़ी आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करती है और इनमें सरकार द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र से संबंधित पहलों के बारे में भी जागरूकता की कमी पाई जाती हैI सीमित पहुँच: राज्य की ग्रामीण तथा शहरी
उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में प्रगति की समीक्षा कीजिए। उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण नीति 2020 इसको बढ़ावा देने में किस प्रकार सहायक होगी? - (June 2023)
उत्तर प्रदेश भारत में सबसे बड़ा इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं का निर्यातक है, परन्तु प्रदेश सरकार इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण आधार को औरमजबूत करने का प्रयास कर रही हैI उत्तर प्रदेश में इकाइयां स्थापित करने के इच्छुक कंपनियों को सब्सिडी और अन्य लाभ प्रदान किए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए हॉट स्पॉट यमुना एक्सप्रेसवे इलेक्ट्रॉनिक्स क्लस्टर, इकोटेक, ग्रेटर नोएडा
उत्तर प्रदेश में MSME की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालिए। इनके द्वारा सामना की जाने वाली प्रमुख चुनौतियों का वर्णन कीजिए। - (June 2023)
उत्तर प्रदेश में 90 लाख से अधिक सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) हैं, जो देश के कुल एमएसएमई की संख्या का 14.2% हैं। एमएसएमई क्षेत्र प्रदेश के कुलनिर्यात में 45 प्रतिशत से अधिक का योगदान है। इस क्षेत्र के अंतर्गत अभियांत्रिक वस्तुओं, कालीन, चमड़े के उत्पाद, वस्त्र, प्लास्टिक व काँच के सामान इत्यादि के विनिर्माण से संबंधित संयंत्रों की
सोशल मीडिया द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार के समक्ष उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का विवेचन कीजिए। - (June 2023)
इन्टरनेट क्रांति के साथ ही प्रदेश में सोशल मीडिया के उपयोग में तेजी से प्रसार हुआ हैI इसने एक तरफ लोगों को एक-दूसरे से जुड़ने का मौका दिया है; वहीँ सरकार के समक्ष निम्नलिखित चुनौतियों को उत्पन्न किया है: आपराधिक गतिविधियों की प्लानिंग: सोशल मीडिया, हमले की योजना, सदस्यों के साथ संचार, प्रचार और घृणा अभियान या संदेशों के प्रसार
सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के प्रति उत्तर प्रदेश की प्रगति की समीक्षा कीजिये। - (June 2023)
सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 17 वैश्विक लक्ष्यों का एक संग्रह है, जिसे प्राप्त करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने विभिन्न लक्ष्यों हेतु 16 विभागों को नोडल नामित किया है।इन सभी विभागों के सम्मिलित प्रयासों से विजन डॉक्यूमेन्ट-2030 तैयार किया गया है, जिसके अन्तर्गत 2030 तक गरीबी हटाने, पेयजल, स्वच्छता, बिजली आदि उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है, इसके
जलवायु परिवर्तन का उत्तर प्रदेश के कृषि पर पड़ने वाले प्रभावों पर प्रकाश डालिए। - (June 2023)
उत्तर प्रदेश की जलवायु उपोष्ण कटिबंधीय है, जो प्रदेश में विविध प्रकार के फसलों एवं फलों के उत्पादन के अनुकूल हैI 2020-21 के प्रचलित अनुमानों के अनुसार, प्राथमिक क्षेत्र का प्रचलित भावों पर सकल राज्य मूल्य वर्धन में 28.44 प्रतिशत योगदान हैI जलवायु परिवर्तन के कारण औसत तापमान और अत्यधिक वर्षा की आवृत्ति में वृद्धि होने की संभावना है। इसके
उत्तर प्रदेश में नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने से संबंधित पहलों की चर्चा कीजिए। - (June 2023)
ऊर्जा की निरन्तर बढ़ती मांग एवं पारम्परिक ऊर्जा के सीमित भण्डारों को ध्यान में रखते हुए, राज्य में सौर ऊर्जा आधारित विद्युत परियोजनाएं प्रारंभ की गई है| इसमें सौर ऊर्जा कार्यक्रम, सोलर फ़ोटोवोल्टाईक कार्यक्रम, आफ़ ग्रिड सोलर पावर प्लाण्ट, सोलर हाई मास्ट, सोलर कोल्ड स्टोरेज, सोलर पम्प आदि शामिल हैं।उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में सौर ऊर्जा विद्युत उत्पादन को
उत्तर प्रदेश वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन 2023 की प्रमुख उपलब्धियों की विवेचना कीजिये। - (June 2023)
10 से 12 फ़रवरी, 2023 के मध्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में उत्तर प्रदेश वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन काआयोजन किया गया। इस समिट में लगभग 33.50 लाख करोड़ रूपये के 19,000 से अधिक समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये गये। अधिकांश समझौता ज्ञापन नवीकरणीय ऊर्जा (16 प्रतिशत), इलेक्ट्रॉनिक्स (12 प्रतिशत), औद्योगिक पार्क (11 प्रतिशत), शिक्षा (09 प्रतिशत) तथा लॉजिस्टिक्स (09
उत्तर प्रदेश में स्थानीय स्वशासन के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये। - (June 2023)
73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा पंचायतों को और 74वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा नगरपालिकाओं को संवैधानिक दर्जा दिया गया। हालाँकि, उत्तर प्रदेश में स्थानीय स्वशासन के स्तर पर चुनाव समय पर हो रहे है, परन्तु इसके साथ ही इसके समक्ष निम्नलिखित चुनौतियाँ विद्यमान हैं: शक्तियों का हस्तांतरण: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम तथा 74वें संविधान
देश के औद्योगिक विकास में उत्तर प्रदेश के योगदान की समीक्षा कीजिए। - (June 2023)
बजट भाषण 2023 के अनुसार, उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) में 8% से अधिक का योगदान करता है तथा देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर हैI 2023-24 के लिए उत्तर प्रदेश का मौजूदा मूल्यों पर जीएसडीपी 24,39,171 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो 2022-23 की तुलना में 19% की वृद्धि दर्शाता
उत्तर प्रदेश निर्यात नीति 2020-25 की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। - (June 2023)
उत्तर प्रदेश से निर्यात को बढ़ाने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा ‘उत्तर प्रदेश निर्यात नीति 2020-25’ को लागू किया गया। इस नीति की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं: इस नीति का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के निर्यात के क्षेत्र में विकास और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना, निर्यात सहायक संस्थानों को निर्यात संबंधी सहायता, राज्य से निर्यात बढ़ाने के लिए तकनीकी और
उत्तर प्रदेश की वास्तुकला का भारतीय वास्तुकला पर प्रभाव का विश्लेषण कीजिए। - (June 2023)
प्राचीन काल से ही उत्तर प्रदेश कई शक्तिशाली साम्राज्यों के शासन का केंद्रबिंदु रहा हैI इन सभी शासकों का प्रभाव यहां पर पड़ा और इसके अनुरूप प्रदेश में वास्तुकला के विविध रूपों का विकास हुआI प्रदेश में हिंदू, इस्लामिक, बौद्ध और यूरोपियन शैली के वास्तुकला के प्रमाण पाए जाते हैं। यहां के स्मारकों और ऐतिहासिक इमारतों में बौद्ध, हिंदू, इंडो-इस्लामिक
उत्तर प्रदेश का भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में योगदान अवस्मिरणीय रहा है। इस कथन का परीक्षण कीजिए। - (June 2023)
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम (Freedom Struggle) के विभिन्न चरणों में उत्तर प्रदेश के सभी वर्ग के लोगों ने बढ़- चढ़कर भाग लिया। सन् 1857 ई० के क्रांति की शुरुआत मेरठ से हुई एवं धीरे-धीरे इस क्रांति का प्रसार प्रदेश के झांसी, कालपी, कानपुर, लखनऊ, बिठूर, अवध, वाराणसी, बलिया एवं आजमगढ़ आदि स्थानों पर हो गया। राणा बेनीमाधव, मौलवी अहमदुल्ला, अजीमुल्ला खाँ आदि
ई-शासन को पारिभाषित कीजिए। बिहार सरकार द्वारा प्रारंभ की गई उन पहलों का वर्णन कीजिए जो ई-शासन को बढ़ाना देने से संबंधित हैं| - (May 2023)
सरकारी द्वारा विभिन्न प्रकार की सूचना एवं सेवाएँ प्रदान करने के लिये संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी का समन्वित प्रयोग करना, ई-शासन कहा जाता है। ई-शासन ने नागरिकों के जीवन को काफी आसान बना दिया है| अब विभिन्न प्रकार की सेवाओं को कोई भी व्यक्ति घर बैठे आसानी से प्राप्त कर सकता है| ई-शासन की सहायता से प्रदान की जाने वाली सेवाओं
“ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रारंभिक विजय के पश्चात भारत में अंग्रेजों का प्रभाव बढ़ता गया, परन्तु भारतीय शासक वर्ग तथा आम जनता में ब्रिटिश शासन के प्रति असंतोष बढ़ता गया।“ इस कथन के आलोक में 1857 के विद्रोह के विभिन्न कारणों पर प्रकाश डालिए। बिहार में इसके प्रभाव का विश्लेषण कीजिए। - (May 2023)
1857 के सशक्त विद्रोह के स्वरुप तथा व्यापकता को देखते हुए, ब्रिटिश संसद ने क्राउन के शासन की स्थापना की तथा ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन का भारत में अंत किया। बिहार के शासन तथा आम जन दोनों पर इसका प्रभाव काफी गहरा पड़ा था । 1857 के विद्रोह के विभिन्न कारण थे, इनमें से मुख्य निम्नलिखित हैं- सामाजिक कारणः सती प्रथा
बिहार एवं भारतीय राजनीति की दलीय व्यवस्था के व्यक्ति-उन्मुखी (individualistic) होने की प्रवृत्ति का विश्लेषण कीजिए | - (May 2023)
हाल के कुछ दशकों में भारत तथा बिहार के कुछ राजनीतिक दलों में व्यक्ति-उन्मुखी होने की प्रवृत्ति देखी गई है| राजनीतिक दलीय व्यवस्था के व्यक्ति-उन्मुखी होने से तात्पर्य है की राजनीतिक दल अपने निजी दलगत एवं राजनीतिक हित को प्राथमिकता देते है तथा इसे प्राप्त करने के लिए किसी भी नैतिक एवं अनैतिक कार्य को करने से पीछे नहीं हटते
ब्रिटिश-इण्डो कला के रूप में जानी जाने वाली पटना कलम कला की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। - (May 2023)
पटना कलम को ब्रिटिश-इण्डो कला के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि जहां एक ओर इस पर मुगलशाही शैली का प्रभाव दिखता है तो वहीं दूसरी ओर तत्कालीन ब्रिटिश कला का प्रभाव भी दृष्टिगोचर होता है। पटना कलम का विकास वस्तुतः अठारहवीं शताब्दी के मध्य 1750 ई. से लेकर 1925 ई. के बीच में हुआ तथा इसी के परिणामस्वरूप
बिहार में पाए जाने वाले प्रमुख खनिजों के वितरण को स्पष्ट कीजिए| इसके साथ ही राज्य में प्रमुख उद्योग और कारखाने की अवस्थिति पर प्रकाश डालिए| - (May 2023)
खनिज संसाधनों के दृष्टिकोण से बिहार एक विपन्न राज्य है जिसका एक प्रमुख कारण वर्ष 2000 में विभाजन के बाद खनिज सम्पदा से संपन्न क्षेत्र का झारखण्ड राज्य शामिल होना है| वर्तमान बिहार खनिज संपदा कम मात्रा में पाए जाते हैं, जिनका जिलावार विवरण निम्नलिखित हैं- रोहतासः यहाँ गंधक, पायरेट्स (अमझोर) सैंड स्टोन, बॉक्साइट (रोहतास के बंजारी में) चूना पत्थर प्रमुखतः
बिहार की अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए। बिहार के डिजिटलीकरण में आने वाली चुनौतियों की समीक्षा कीजिए। - (May 2023)
अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण से तात्पर्य है कि अर्थव्यवस्था के प्रत्येक क्षेत्र में डिजिटल समाधान का उपयोग कर विभिन्न आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाता है| इस प्रकार की अर्थव्यवस्था में उत्पादन से लेकर उपभोग तक सभी स्तरों पर डिजिटल समाधानों का उपयोग किया जाता है। बिहार की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है परन्तु राज्य के पास प्राकृतिक संसाधन सीमित
“बिहार भारत के सबसे पिछड़े राज्यों में से एक है जहां का आर्थिक-सामाजिक ढांचा काफी पिछड़ा हुआ है।” इस कथन के परिप्रेक्ष्य में संबन्धित समस्याओं का उल्लेख कीजिए तथा इन समस्याओं को दूर करने के उपायों पर प्रकाश डालिए। - (May 2023)
बिहार भारत के सबसे पिछड़े राज्यों में से एक है जहां का आर्थिक-सामाजिक ढांचा काफी पिछड़ा हुआ है। बिहार के आर्थिक-सामाजिक ढांचे से संबन्धित समस्याएं निम्नलिखित हैं- औद्योगिक क्षेत्र का पिछड़ा होनाः स्वतंत्रता के समय बिहार औद्योगिक रूप से अन्य राज्यों की तुलना में काफी आगे था, लेकिन बिहार के विभाजन के बाद सभी प्रमुख उद्योग झारखंड में चले गए
“पाल काल में विकसित कला की अपनी एक विशिष्टता थी, जिसका बौद्ध धर्म के साथ गहरा संबंध था|” इस कथन के आलोक में पाल कला की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए तथा बौद्ध धर्म के साथ इसके संबंध पर प्रकाश डालिए। - (May 2023)
8वीं से 11वीं सदी के मध्य बिहार तथा बंगाल के क्षेत्र में पाल कला का विकास हुआ। पाल कला को बौद्ध धर्म के साथ अभिन्न रूप से जोड़कर देखा जाता है। पाल काल में विकसित हुए विभिन्न कलाओं और भवन निर्माण कला को उनकी विशेषताओं के आधार पर निम्नलिखित भागों में बांटा जा सकता है- 1. मूर्तिकला: इस काल में मूर्तिकला
वर्तमान बिहार के सर्वांगीण विकास के परिप्रेक्ष्य में आर्थिक नियोजन की सकारात्मक भूमिका पर प्रकाश डालिए। - (May 2023)
ऑक्सफैम इंडिया की आर्थिक असमानता रिपोर्ट के अनुसार, 1991 में शुरू हुए उदारीकरण के बाद भारत में आर्थिक असमानता और अधिक भयावह होती जा रही है। इस स्थिति में बिहार जैसे राज्य के लिए आर्थिक नियोजन महत्वपूर्ण हो जाता है, जो निम्नलिखित तथ्यों से स्पष्ट होती है- सामाजिक अवसंरचना तक पहुँच: राज्य के सभी नागरिकों की अच्छी गुणवत्ता वाली सामाजिक संरचना
सात निश्चय-2 पहल का संक्षिप्त परिचय दीजिए| इसके विभिन्न निश्चय किस प्रकार बिहार के समग्र विकास में सहायक सिद्ध हो सकते हैं? - (May 2023)
बिहार सरकार द्वारा राज्य के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सात निश्चय योजना-2 की घोषणा वर्ष 2020 में की गई थी। इस पहल के अंतर्गत अगले 5 सालों में विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित 7 नए निश्चयों को निर्धारित किया गया है। सात निश्चय योजना-2 के सात नए निश्चय निम्नलिखित हैं- युवा शक्ति बिहार की प्रगति सशक्त महिला सक्षम महिला हर खेत
भूगोल - (September 2022)
प्रश्न-पत्र संबंधी विशेष अनुदेश इस प्रश्न-पत्र में 8 प्रश्न हैं, जो दो खंडों में विभाजित हैं। उम्मीदवार को कुल पांच प्रश्नों के उत्तर देने हैं। प्रश्न संख्या 1 और 5 अनिवार्य हैं तथा बाकी प्रश्नों में से प्रत्येक खंड से कम-से-कम एक प्रश्न चुनकर 3 प्रश्नों के उत्तर दीजिये। प्रत्येक प्रश्न/भाग के लिए नियत अंक उसके सामने दिए गए
समाजशास्त्र - (September 2022)
प्रश्न-पत्र संबंधी विशेष अनुदेश इस प्रश्न-पत्र में 8 प्रश्न हैं, जो दो खंडों में विभाजित हैं। उम्मीदवार को कुल पांच प्रश्नों के उत्तर देने हैं। प्रश्न संख्या 1 और 5 अनिवार्य हैं तथा बाकी प्रश्नों में से प्रत्येक खंड से कम-से-कम एक प्रश्न चुनकर 3 प्रश्नों के उत्तर दीजिये। प्रत्येक प्रश्न/भाग के लिए नियत अंक उसके सामने दिए गए
इतिहास - (September 2022)
प्रश्न-पत्र संबंधी विशेष अनुदेश इस प्रश्न-पत्र में 8 प्रश्न हैं, जो दो खंडों में विभाजित हैं। उम्मीदवार को कुल पांच प्रश्नों के उत्तर देने हैं। प्रश्न संख्या 1 और 5 अनिवार्य हैं तथा बाकी प्रश्नों में से प्रत्येक खंड से कम-से-कम एक प्रश्न चुनकर 3 प्रश्नों के उत्तर दीजिये। प्रत्येक प्रश्न/भाग के लिए नियत अंक उसके सामने दिए गए
दर्शनशास्त्र - (September 2022)
प्रश्न-पत्र संबंधी विशेष अनुदेशइस प्रश्न-पत्र में 8 प्रश्न हैं, जो दो खंडों में विभाजित हैं।उम्मीदवार को कुल पांच प्रश्नों के उत्तर देने हैं।प्रश्न संख्या 1 और 5 अनिवार्य हैं तथा बाकी प्रश्नों में से प्रत्येक खंड से कम-से-कम एक प्रश्न चुनकर 3 प्रश्नों के उत्तर दीजिये।प्रत्येक प्रश्न/भाग के लिए नियत अंक उसके सामने दिए गए
उ. प्र. पीसीएस मुख्य परीक्षा 2021 निबंध मॉडल प्रश्न-पत्र (खंड स) - (February 2022)
अवसंरचना के निर्माण में प्रधानमंत्री गतिशक्ति योजना आधारभूत अवसंरचना की उपलब्धता किसी भी देश के आर्थिक विकास का सबसे महत्वपूर्ण एवं प्राथमिक कारक है, बिना इसके न तो कोई देश आर्थिक प्रगति कर सकता है और न ही अपने यहां उपलब्ध संसाधनों का समुचित दोहन कर सकता है। भारत में आधारभूत संरचना का अल्पविकसित होना ही इसकी प्रगति में सबसे बड़ा
उ. प्र. पीसीएस मुख्य परीक्षा 2021 निबंध मॉडल प्रश्न-पत्र (खंड ब) - (February 2022)
प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती आवृत्ति : जलवायु परिवर्तन की भूमिका पिछले 150 वर्षों में ‘औद्योगिक क्रांति’ से लेकर अब तक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में तीव्र वृद्धि हुई है, जिसने वैश्विक तापन की समस्या को जन्म दिया है। बढ़ते तापमान ने विश्व भर की जलवायु को प्रभावित किया है तथा जलवायु का प्राकृतिक चक्र बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।
उ. प्र. पीसीएस मुख्य परीक्षा 2021 निबंध मॉडल प्रश्न-पत्र (खंड अ) - (February 2022)
साहित्य, सभ्यता का पथप्रदर्शक तथा संस्कृति का संरक्षक है। “सहित्यस्य भावः साहित्यम्” अर्थात जिसमें हित की भावना सन्निहित हो, वही साहित्य है। व्यापक अर्थों में साहित्य में विश्व कल्याण की भावना निहित होती है, जिसके माध्यम से मानव सभ्यता के इतिहास, गौरव, संस्कृति एवं पूर्वजों के रीति-रिवाजों का साक्षात्कार होता है। साथ ही साहित्यकार जिस समाज में रहता है, उसकी सामाजिक,