स्वायतशासी अनुसंधान संस्थान

भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (आरसीएचआर): वर्ष 1972 में गठित यह परिषद ऐतिहासिक शोध कार्यों की समीक्षा करती है और इतिहास के वैज्ञानिक लेखन को बढ़ावा देती है। नई दिल्ली स्थित यह परिसद शोध परियोजनाओं का संचालन, निजी शोधार्थियों द्वारा किए जा रहे शोध कार्यों को वितीय सहायता देना, फेलोशिप प्रदान करना, पुस्तक प्रकाशन एवं अनुवादन आदि कर कार्य करती है।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद (आईसीपीआर): यह परिषद अपने लखनऊ और नई दिल्ली स्थित कार्यालयों से वर्ष 1977 से कार्यरत है और दर्शनशास्त्र के क्षेत्र में अनुसंधान कार्यक्रमों और परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा, उनका प्रायोजन और उनको सहायता करने के साथ ही दर्शनशास्त्र और इससे सबंद्ध विषयों में शोध हेतु निजी शोधार्थियों व संस्थाओं को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराती है।

भारतीय उच्चतर अनुसंधान परिषद (आईआईएएस): इसकी स्थापना 1965 में शिमला में हुई थी। यह मानविकी, समाज विज्ञान और प्राकृतिक विज्ञान के क्षेत्र में उच्चतर शोध के लिए आवासीय सुविधायुक्त केंद्र है। यह ज्ञान के क्षेत्र से संलग्न विद्वानों का ऐसा समूह है, जो समकालीन प्रासंगिक प्रश्नों के वैचारिक और उसके अंतरविषयी दृष्टिकोण पर नजर रखते हैं।

भारतीय समाज विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर): यह एक स्वायत्तशासी निकाय है जो सामाजिक विज्ञान में अनुसंधान के उन्नयन और समन्वयन का कार्य करता है। इसका प्रमुख कार्य समाज विज्ञान में शोध की प्रगति की समीक्षा करना, सरकार या अन्य संगठनों/व्यक्तियों को शोध संबंधी परामर्श देना, शोध कार्यक्रमों का प्रायोजन और समाज विज्ञान में अनुसंधान हेतु संस्थाओं और व्यक्तियों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।

राष्ट्रीय ग्रामीण संस्थान परिषद (एनसीआरआई): इसकी स्थापना 1995 में केंद्र द्वारा पूर्ण रूप से वित्तपोषित स्वायत्तशासी संगठन के रूप में की गई थी। इसका कार्य महात्मा गांधी के क्रांतिकारी विचारों के अनुरूप ग्रामीण उच्चतर शिक्षा को बढ़ावा देना, गांधीवादी दर्शन के अनुसार शैक्षणिक संस्थानों और स्वायत एजेंसियों को समाजिक एवं ग्रामीण विकास के उपकरण कर रूप में बढ़ावा देना है।