जैव विविधता हॉट-स्पॉट

जैव विविधता शब्द मूलतः दो शब्दों से मिलकर बना है- जैविक और विविधता। सामान्य रूप से जैव विविधता का अर्थ जीव जन्तुओं एवं वनस्पतियों की विभिन्न प्रजातियों से होता है।जैव-विविधता शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम वाल्टर जी- रासन ने 1985 में किया था। जैव-विविधता तीन प्रकार की हैं। (i) आनुवंशिक विविधता, (ii) प्रजातीय विविधता; तथा (iii) पारितंत्र विविधता।

जैव विविधता हॉट-स्पॉट से तात्पर्य

जैव विविधता का विस्तार पूरे विश्व में एक समान नहीं है। दुनिया की कुल भूमि क्षेत्र के लगभग सात प्रतिशत हिस्से में दुनिया भर की आधी प्रजातियां निवास करती हैं जिसमें से उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में ही एक बहुत बड़ा हिस्सा बसता है। जैवविविधता हॉट स्पॉट एक ऐसा क्षेत्र होता है जहाँ प्रचुर मात्र में जैवविविधता होने के साथ-साथ उसके विनाश का खतरा मंडरा रहा होता है। जैव विविधता विशेषज्ञ डॉ- नॉर्मन मायर्स ने सबसे पहले इन जैव विविधता हॉटस्पॉट को पहचाना और 1988 और 1990 में प्रकाशित अपने दो लेखों में इन्हें प्रस्तुत किया। अधिकांश हॉटस्पॉट उष्णकटिबंधीय क्षेत्रें और जंगली इलाकों में मौजूद हैं। 1988 में किए गए अध्ययन में पहचाने गए 18 हॉट-स्पॉट में से दो भारत में खोजे गए।

वर्तमान में इनकी संख्या 35 है जिसमें 4 भारतीय क्षेत्र शामिल हैं। विश्व के जैव विविधता हॉटस्पॉट का चयन कंजर्वेशन इंटरनेशनल द्वारा किया जाता है। यह एक गैर सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना 1987 में हुई और इसका मुख्यालय आलिंगटन वर्जीनिया (यूएस) में है।

जैव विविधता हॉट-स्पॉट के मानक

जैव विविधता हॉटस्पॉट के लिए किसी क्षेत्र को निम्नलििखत दो मानदंडों को पूरा करना होता हैः

स्थानिकताः वहां पेड़-पौधों की कम से कम 1500 प्रजातियां (दुनिया का कुल प्रजातियों का 0.5 प्रतिशत) स्थानिक होनी चाहिए। कहने का तात्पर्य है कि वहां यह पौधों की प्रजाति का उच्च प्रतिशत होना चाहिए।

प्राकृतिक वनस्पति की हानिः इसकी मूल प्राकृतिक वनस्पति का 30% या उससे कम शेष बचा हो। इसे अपने प्राकृतिक वनस्पति के कम से कम 70 प्रतिशत का नुकसान हो चुका हो। कहने का तात्पर्य है कि वहां की प्राकृतिक वनस्पति के ऊपर संकट हो।

हॉटस्पॉट का महत्व इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि दुनिया भर में, मात्र 35 क्षेत्रें को हॉटस्पॉट के रूप में घोषित किया गया है जोकि धरती की सतह का सिर्फ 2.3% प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन वहां पौधों की, दुनिया की आधे से अधिक स्थानिक प्रजातियों के साथ-साथ लगभग 43% पक्षियों, स्तनपायी, सरीसृप और उभयचर प्रजातियां पाई जाती हैं। इस प्रकार हॉटस्पॉट निर्धारित करने वाले तीन प्रमुख कारक हैं, कुल प्रजातियों की संख्या (प्रजातियों समृद्धि), अनूठी प्रजातियों की संख्या स्थानिकता व खतरे में प्रजातियों की संख्या (विलुप्त होने का खतरा)।

वर्तमान में विश्व में कुल 35 जैव विविधता हॉट स्पॉट हैं, जिनमें 4 में भारतीय क्षेत्र शामिल है। इन सभी को सूची में दिया गया है।