भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2017

केंद्रीय वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन द्वारा नई दिल्ली में ‘भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2017’ 'India State of Forest Report 2017' जारी की गई। यह एक द्विवार्षिक रिपोर्ट है जिसे वर्ष 1987 से जारी किया जा रहा है और 2017 की यह रिपोर्ट 15वीं रिपोर्ट है। इस रिपोर्ट को देहरादून स्थित भारतीय वन सर्वेक्षण ने सुदूर संवेदन आधारित उपग्रह रिसोर्ससेट-2 की सहायता से तैयार की है।

वनावरण

रिपोर्ट के अनुसार 2015 और 2017 के बीच भारत के वनावरण क्षेत्र में 0.20% की सीमांत वृद्धि दर्ज की गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 7,08,273 वर्ग किमी. का वन क्षेत्र है जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र (32,87,469 वर्ग किमी.) का 21.54% है। जबकि भारत का कुल वनावरण क्षेत्र का लक्ष्य 33% है।

संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (UN FAO) के अनुसार वन क्षेत्र के मामले में भारत को विश्व के शीर्ष 10 देशों में 8वां स्थान प्राप्त है। ऐसा तब है जबकि शेष 9 देशों में जनसंख्या घनत्व 150 व्यक्ति / वर्ग किमी. है और भारत में यह 382 व्यक्ति किमी. है। भारत के भू-भाग का 24.4% हिस्सा वनों एवं वनावरण क्षेत्र है जो कि विश्व के कुल भू-भाग का 2.4% हिस्सा ही है। इन पर 17% जनसंख्या और 18% मवेशियों की जरूरतों को पूरा करने का दबाव है।

देश में वन और वृक्षावरण की स्थिति में 2015 की तुलना में 8021 वर्ग किमी- की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि 1.14% की है। इसमें 6,778 वर्ग किमी. की वृद्धि वन क्षेत्रें में हुई है जबकि वृक्षावरण क्षेत्र में 1243 वर्ग किमी. की। देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र में वनों एवं वृक्षावरण क्षेत्र का हिस्सा 24.39% है। देश के ऐसे 5 शीर्ष राज्य जहां वनावरण में सर्वाधिक वृद्धि हुई है, वे हैं आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, ओडिशा एवं तेलंगाना। आंध्र प्रदेश में वन क्षेत्र में 2141 वर्ग किमी. की, कर्नाटक में 1101 किमी. की और केरल में 1043 वर्ग किमी. की वृद्धि हुई। वर्तमान में 15 ऐसे राज्य और संघ शासित क्षेत्र हैं जहां उनके कुल भौगोलिक क्षेत्र का 33% भू-भाग वनों से घिरा हुआ है।

क्षेत्र के हिसाब से मध्य प्रदेश के पास 77414 वर्ग किमी- का सबसे बड़ा वन क्षेत्र है जबकि 66964 वर्ग किमी- के साथ अरुणाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ (55,347 वर्ग किमी.) क्रमशः दूसरे व तीसरे पायदान पर हैं। वृक्षावरण क्षेत्र में सर्वाधिक कमी वाले 3 राज्य / संघ शासित क्षेत्र हैं- मिजोरम (-531 वर्ग किमी.), नगालैंड (-450 वर्ग किमी.) तथा अरुणाचल प्रदेश (-190 वर्ग किमी.)।

कुल भू-भाग की तुलना में प्रतिशत के हिसाब से लक्षद्वीप के पास 90.33% का सबसे बड़ा वनाच्छादित क्षेत्र है। इसके बाद 86.27% तथा 81.73% वन क्षेत्र के साथ मिजोरम व अंडमान निकोबार द्वीप समूह क्रमशः दूसरे व तीसरे स्थान पर हैं।

देश के 15 राज्य एवं केंद्र शासित क्षेत्रें का 33% भू-भाग वनावृत्त है। इनमें से 7 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों जैसे मिजोरम, लक्षद्वीप, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, नगालैंड, मेघालय और मणिपुर का 75% से अधिक भू-भाग वनाच्छादित है जबकि त्रिपुरा, गोवा, सिक्किम, केरल, उत्तराखंड, दादर एवं नागर हवेली, छत्तीसगढ़ और असम का 33-75% के बीच का भू-भाग वनों से घिरा है। देश का 40% वनाच्छादित क्षेत्र 10,000 वर्ग किमी. या इससे अधिक के 9 बड़े क्षेत्रें के रूप में मौजूद है।

उत्तर प्रदेश का कुल वृक्षावरण 2,40,928 वर्ग किमी. है जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 7.33% है। पौधारोपण के चलते उत्तर प्रदेश के वनावरण में 6.09% और सघन वन में 2.78% की वृद्धि हुई है। इस बार की रिपोर्ट में उल्लेखनीय बात यह है कि सघन वन में 12.36% की वृद्धि हुई है। यह 2015 के 85,904 वर्ग किमी. से बढ़कर 2017 में 98,158 वर्ग किमी. हो गया है। अत्यंत सघन वन (70% से अधिक) वातावरण से सबसे अधिक कार्बन डाईऑक्साइड अवशोषित करते हैं।

जबकि मध्यम सघन वन (40-70%) में 2015 के मुकाबले 7,056 वर्ग किमी. की गिरावट आई है। भारत के वन और वृक्षावरण क्षेत्र में 2015 की तुलना में 8,021 किमी- की वृद्धि हुई है जो प्रतिशतांक रूप में 1.4% है। वनों से जल संरक्षण क्षेत्र में भी बढ़ोत्तरी हुई है। रिपोर्ट में वनों में स्थित जल स्रोतों का 2005-15 के बीच आकलन अवधि के दौरान 2647 वर्ग किमी- की वृद्धि दर्ज की गई है।

बांस धारित क्षेत्र

रिपोर्ट में देश का कुल बांस धारित क्षेत्र 15-69 मिलियन हेक्टेयर आकलित किया गया है। वर्ष 2011 की तुलना में देश के कुल बांस धारित क्षेत्र में 1.73 मिलियन हेक्टेयर (2011) से 15.69 मिलियन हेक्टेयर (2017) तक की वृद्धि दर्ज की गई। बांस के उत्पादन में वर्ष 2011 की तुलना में 1.9 करोड़ टन की वृद्धि हुई है।

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने वन क्षेत्र के बाहर उगाई जाने वाली बांस को वृक्षों की श्रेणी से हटाकर एक घास की श्रेणी में लाने के लिए संसद में एक विधेयक पारित किया है। इससे लोग अपनी निजी भूमि पर बांस उगाने के लिए प्रेरित होंगे जिससे किसानों की आजीविका बढ़ाने में सहायता मिलेगी। इससे न केवल देश में हरे-भरे क्षेत्रें का दायरा बढ़ेगा अपितु कार्बन सिंक में भी बढ़ोत्तरी होगी।

बाह्य वन एवं वृक्षावरण

रिपोर्ट के अनुसार देश में बाह्य वन एवं वृक्षावरण का कुल क्षेत्र 582.377 करोड़ घन मीटर अनुमानित है जिसमें से 421.838 करोड़ घन मीटर क्षेत्र वनों के अंदर और 160.3997 करोड़ घन मीटर क्षेत्र वनों से बाहर है। पिछले आकलन की तुलना में बाह्य एवं वृक्षावरण क्षेत्र में 5.399 करोड़ घन मीटर की वृद्धि हुई है। इसमें 2.333 करोड़ घन मीटर की वृद्धि वन क्षेत्र के अंदर तथा 3.657 करोड़ घन मीटर की वृद्धि वन क्षेत्र के बाहर हुई है। इस हिसाब से यह वृद्धि पिछले आकलन की तुलना में 3 करोड़ 80 लाख घन मीटर रही।

कच्छ वनस्पति

भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2017 के अनुसार देश में कच्छ वनस्पति का क्षेत्र 4921 वर्ग किमी- है जिसमें वर्ष 2015 के आकलन की तुलना में कुल 181 वर्ग किमी. की वृद्धि हुई है। कच्छ वनस्पति वाले सभी 12 राज्यों में कच्छ वनस्पति क्षेत्र में पिछले आकलन की तुलना में सकारात्मक बदलाव आया है। मैंग्रोव वनों में सर्वाधिक वृद्धि दर्ज करने वाले राज्य महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और गुजरात हैं। जबकि मिजोरम, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा व मेघालय में वनावरण को नुकसान पहुंचा है। इसका मुख्य कारण झूम खेती, विकासात्मक गतिविधियों और अन्य जैविक दबाव माना जा रहा है। कच्छ वनस्पति, जैव विविधता में समृद्धि लाती है जो कई तरह की पारिस्थितिकीय आवश्यकताओं को पूरा करती है।

भारत में मैंग्रोव क्षेत्र दुनिया की कुल मैंग्रोव वनस्पति का लगभग 3.3% है और यह देश स्तर पर 4921 किमी. क्षेत्र में विस्तारित है जो कि देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 0.15% हिस्सा है। इसमें अति सघन मैंग्रोव 1481 वर्ग किमी. (कुल मैंग्रोव क्षेत्र का 30.10%), मध्यम सघन मैंग्रोव 1480 वर्ग किमी. (कुल मैंग्रोव क्षेत्र का 30.77%) जबकि खुले मैंग्रोव 1960 वर्ग किमी. (39.83%) क्षेत्र में फैले हुए हैं। भारत में अधिकतम मैंग्रोव धारित 4 राज्य/संघ शासित क्षेत्र क्रमशः पश्चिम बंगाल (2114 वर्ग किमी-), गुजरात (1140 वर्ग किमी.), अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह (617 वर्ग किमी.) व आंध्र प्रदेश (404 वर्ग किमी.) हैं। जबकि 4 अधिकतम मैंग्रोव धारित जिले क्रमशः दक्षिण 24 परगना-पश्चिम बंगाल (2084 वर्ग किमी.), कच्छ-गुजरात (798 वर्ग किमी-), नॉर्थ-अंडमान-अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह (425 वर्ग किमी.) तथा केंद्रपाड़ा-ओडिशा (197 वर्ग किमी.) हैं।