काला धन व मुद्रा परिशोधन

मनी लांड्रिंग (मुद्रा परिशोधन) एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके द्वारा अवैध संपत्तियों को वैध संपत्तियों में बदला जाता है। ब्लैक मनी को व्हाइट मनी में बदला जाता है। ब्लैक मनी वो धन है जिसे मान्य कर अदा किए बिना अर्जित किया जाता है। मनी लांड्रिंग की प्रक्रिया में निम्न तीन चरणों को अपनाया जाता है। प्लेसमेंट, लेयरिंग और इंटीग्रेशन।

  • प्लेसमेंटः ये मुद्रा परिशोधन का पहला चरण है, जहां धन को देश के बाहर भेजा जाता है। और इसे अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली में बैंको में जमा कराया जाता है, आमतौर पर इसके लिए हवाला तंत्र का प्रयोग किया जाता है।
  • लेयरिंगः ये मुद्रा परिशोधन का दूसरा चरण है। इसके अंतर्गत, परिशोधन करने वाली कम्पनी या संस्था, एक के बाद एक कई हस्तांतरण करती है, जिससे धन का प्रारंभिक स्त्रेत छिप जाता है। हाल ही में जारी हुआ, पनामा पेपर्स स्केंडल, इसी लेयरिंग से जुड़ा हुआ था।
  • इंटीग्रेशन/एकीकरणः मुद्रा परिशोधन का अंतिम चरण है। जहां फंड्स, अंतिम रूप से देश में वापस लौटते हैं, और इनके जरिये देश में रियल एस्टेट खरीददारी, कम्पनी निर्माण या वस्तु खरीदने में प्रयोग होता है।
  • उल्लेखनीय है कि मुद्रा परिशोधन परोक्ष तौर पर आतंकवाद से भी जुड़ा है। मुद्रा परिशोधन को रोकने के साथ ही आतंकवाद के वित्त पोषण को भी रोका जा सकता है। वर्ष 2012 में भारत सरकार ने काले धन पर श्वेत पत्र जारी किया गया है। जिसमें भारत सरकार की, भारत में काले धन के नियंत्रण की रणनीति का उल्लेख है। इस रणनीति के प्रमुख बिंदु निम्न प्रकार हैंः
  • काले धन पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को जोड़ना जैसे G-20 जैसे मंचों से काले धन पर एक्शन लेने पर सहमति निर्मित करना। OECD देशों के साथ Mutual Administrative Assistance समझौते पर हस्ताक्षर किया गया है जिसके अनुसार OECD देश भारत से पैसा इन देशों में जाने पर भारत को जानकारी देंगे। वित्तीय कार्रवाही प्रतिक्रिया बल (FATf) की सदस्यता हासिल की गई है।
  • FATF एक 36 देशों का समूह है, यह एक अंतरसरकारी संगठन है जिसे 1989 में बनाया गया था। FATF के मूलभूत उद्देश्य मुद्रा परिशोधन के िखलाफ लड़ाई करना है। यह मनी लांड्रिंग और आतंकवाद के वित्त पोषण के िखलाफ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानक तैयार करता है।
  • FATF की सिफारिशों के आधार पर देशों में कानून बनाए जा रहें हैं। इन्हीं सिफारिशों के आधार पर, भारत ने अपने कानून में संशोधन किया है जिसे अब मुद्रा परिशोधन निवारण अधिनियम 2012 कहा जाता है।
  • भारत ने संयुक्त राष्ट्र में भी कई कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किये हैं जैसे भ्रष्टाचार पर कन्वेंशन, सीमा पार संगठित अपराध पर कन्वेंशन, आतंक के वित्त पोषण को रोकने पर कन्वेंशन, मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने पर कन्वेंशन आदि। इसके अतिरिक्त अन्य देशों के साथ दोहरा कराधान बचाव संधि की जा रही है तथा कर सूचना हस्तांतरण के लिए समझौते किये जा रहे हैं।
  • देश के प्रत्यक्ष कर कानूनों को मजबूत किया जा रहा हैः मुद्रा परिशोधन निवारक अधिनियम, बेनामी हस्तांतरण निवारण अधिनियम, सार्वजनिक खरीददारी बिल, लोकपाल व लोकायुक्त बिल लागू हो चुके हैं। सिटिजन चार्टर बिल लाया जा रहा है, विदेशी अधिकारियों का रिश्वत निवारण बिल लाया जा रहा है।
  • अवैध धन को रोकने के लिए संस्थाओं का निर्माण किया हैः अपराधिक जांच, महानिदेशालय, आयकर विभाग की वैश्विक शाखाएं (समुद्र पारीय), केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड को मजबूत किया जा रहा है। 2004 में वित्तीय खुफिया इकाई (FIU) की स्थापना की गयी है, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काले धन के िखलाफ लड़ाई के लिए FIU, देश की सबसे बड़ी संस्था है। GST परिषद् में भी देश में कर चोरी को रोकने संबंधित रणनीति पर मंथन किया जा रहा है।
  • इसके अतिरिक्त काले धन को रोकने के लिए IT तकनीकों का प्रयोग बढाया जा रहा है, देश के सभी करदाताओं का ऑनलाइन रिकॉर्ड निर्मित किया जा रहा है। वित्तीय अपराधों को रोकने हेतु साइबर फोरेंसिक लैब की स्थापना की गई है।
  • डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दिया जा रहा है। डिजिटल लेनदेन का एक फायदा यह भी है कि इस पर आसानी से नजर रखी जा सकती है। जिससे लेन-देन की प्रक्रिया सही और सुनिश्चित ढंग से होगी।