शिक्षा से संबंधित आयोग

आयोग/समिति

वर्ष

मुख्य सिफारिशें

परिणाम

जेम्स टॉमसन प्लान

1843

यह देशी भाषा द्वारा ग्रामीण शिक्षा की विस्तृत योजना थी।

अंग्रेजी भाषा, कॉलेजों तक सीमित, एक शिक्षा विभाग गठित।

वुड का घोषणा पत्र

1854

अधीनस्थ पांच प्रांतों में जन अनुदेश के लिए एक विभाग खोला जाए तथा कलकत्ता, मद्रास व बंबई विश्वविद्या लयों की स्थापना हो। इसमें उच्च शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी हो।

1855 में जन अनुदेश विभाग तथा 1857 में कलकता, मद्रास व बंबई में विश्वविद्यालय खुले।

हंटर शिक्षा आयोग

1882-1883

प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा तक ही सीमित प्राथमिक शिक्षा स्थानीय भाषा में हो, शिक्षा में निजी प्रयत्नों को बढ़ावा।

पाश्चात्य सहित भारतीय भाषाओं के पठन-पाठन में विशेषता, 1882 में पंजाब व 1887 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय खुले।

रैले आयोग

1902

विश्वविद्यालय शिक्षा तक सीमित प्राध्यापकों की नियुक्ति, गवर्नर जनरल को विश्वविद्यालयों की क्षेत्रीय सीमाएं निश्चित करने का अधिकार हो।

1904 का भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम पारित।

सैडलर आयोग

1917-1918

प्राथमिक से लेकर विश्वविद्यालय शिक्षा तक की सिफारिशें दीं। इसके अलावा महिला शिक्षा हेतु स्वायतता, पूर्ण संस्थाओं की स्थापना और व्यावहारिक शिक्षा पर जोर।

1916-22 के बीच मैसूर, पटना, बनारस, अलीगढ़, ढाका, लखनऊ तथा उस्मानिया विश्वविद्यालय खोले गए।

हार्टोग समिति

1929

प्राथमिक शिक्षा के राष्ट्रीय महत्व पर बल दिया गया, शीघ्र प्रसार या अनिवार्यता की नीति की निंदा।

1935 में ‘केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड’ का पुनर्गठन किया गया।

सार्जेंट योजना

1944

सुधार व एकीकरण की नीति की सिफारिश, एक राष्ट्रीय शिक्षा योजना तैयार की। 6-11 वर्ष के बच्चों के व्यापक, निःशुल्क, अनिवार्य शिक्षा का प्रबंध।

सिफारिशें महत्वपूर्ण, पर इन्हें लागू करना असंभव था।

राधाकृष्णन आयोग

1948

विश्वविद्यालय पूर्व 12 का अध्ययन, विश्वविद्यालय में कम से कम 180 दिन की पढ़ाई और शिक्षा को समवर्ती सूची में रखने का सुझाव।

1953 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना।

कोठारी आयोग

1964

शिक्षा के अनिवार्य अंग के रूप में समाज सेवा व कार्य अनुभव और माध्यमिक शिक्षा को व्यावसायिक बनाने पर बल।

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