सुधारात्मक संस्थाएं

रिमांड क्षेत्र या अवलोकन, बाल कल्याण समिति, प्रमाणित या सुधारात्मक विद्यालय, बाल अपराध न्याय बोर्ड, परीक्षा हास्टल।

आयु निर्धारण का मुद्दा

किशोर न्याय में यह एक विवादास्पद मुद्दा है। इस संबंध में न्यायालयों द्वारा अनेक मुकदमों का निर्णय किया है। भारतीय किशोर कानून में जुवेनाइल वह है जिसकी आयु 18 से वर्ष से कम है।

जयमाला बनाम-गृह सचिव, जम्मू-कश्मीर सरकार में उच्चतम न्यायालय ने निर्धारित किया कि मेडिकल परीक्षण द्वारा आयु का निर्धारण आयु का कन्क्लूसिव प्रूफ नहीं है। भूपराम बनाम-उत्तर प्रदेश सरकार में उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि अभिलेखीय साक्ष्य तथा मेडिकल रिपोर्ट में विरोधाभास होने पर अभिलेख साक्ष्य को सही माना जाएगा।

श्रीमती कमलेश व अन्य बनाम उ-प्र- सरकार के वाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि डॉक्टर की रिपोर्ट हमेशा सही नहीं होती।

अर्निव दास बनाम बिहार सरकार के वाद में कोर्ट ने अभिनिर्धारित किया है कि अपराध किए जाने की तिथि अप्रासंगिक है_ यह अपराधी को कोर्ट में पेश किए जाने की तिथि से माना जाएगा।

प्रताप सिंह बनाम ‘स्टेट ऑफ झारखंड’ के वाद में कहा गया कि अपराध किए जाने की तिथि प्रासंगिक है, जबकि कोर्ट में पेश किए जाने की तिथि अप्रासंगिक।

किशोर अपराध रोकथाम के उपाय

शिक्षा, मनोरंजन, सामुदायिक भागीदारी, पैरेंट चाइल्ड इंटरैक्शन टेªनिंग प्रोग्राम, बच्चों को अपराध से डराने वाले प्रोग्राम, जुवेनाइल जस्टिस सिस्टम के अंतर्गत प्रिवेंशन प्रोग्राम नवरक्षा करेक्शनल यूथ फैसिलिटी, फेक्शनल फेमिली थेरेपी, प्रभावी रोकथाम की रणनीति।