बाल अपराध रोकने के कानूनी प्रयास

बाल अधिनियम और सुधारालय अधिनियम बनाए गए हैं। 1860 में भारतीय दंड संहिता के भाग 399 व 562 में बाल अपराधियों को जेल के स्थान पर रिफारमेट्रीज (सुधार गृह) में भेजने का प्रावधान किया गया। 1876 में सुधारालय स्कूल अधिनियम बनाया गया, जिसमें 1897 में संशोधन किया गया। अखिल भारतीय स्तर के स्थान पर अलग-अलग प्रांतों में बाल अधिनियम बने। 1920 में मद्रास, बंगाल, बम्बई, दिल्ली, पंजाब में 1949 में उत्तर प्रदेश में और 1970 में राजस्थान में बाल अधिनियम बने।

1986 में बाल न्याय अधिनियम पारित हुआ जिसमें सारे देश में एक समान बाल अधिनियम लागू किया गया। इसके अनुसार 16 वर्ष से कम आयु के लड़के व 18 वर्ष से कम आयु की लड़की द्वारा किए गए कानून विरोधी कार्यो को बाल अपराध की श्रेणी में रखा गया।

1960 के बाल अधिनियम के तहत बाल न्यायालय स्थापित किए गए हैं। वर्ष 2000 में ‘जुवेनाइल जस्टिस एक्ट-2000’ (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्डेªन) लाया गया।