सोशल नेटवर्किंग साइटः आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा

यह इंटरनेट आधारित अनुप्रयोगों का एक ऐसा समूह है जो प्रयोक्ता जनित सामग्री के सृजन एवं आदान-प्रदान की अनुमति देता है। सोशल मीडिया मोबाइल और बेब आधारित प्रौद्योगिकी से ऐसे क्रियाशील मंचों का निर्माण करता है, जिनके माध्यम से व्यक्ति और समुदाय, प्रयोक्ता जनित सामग्री का संप्रेषण एवं सह-सृजन कर सकते हैं, उस पर विचार-विमर्श कर सकते हैं और उसका परिष्कार कर सकते हैं।

यह साइट्स न सिर्फ व्यक्तिगत जानकारियों के लिए प्रयोग में लाई जाती है। बल्कि सामाजिक-राजनीतिक गतिविधियों के प्रचार-प्रसार में भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है और ये संवाद मंचों के तौर पर काम कर रही हैं।

सोशल नेटवर्किंग साइट्स ने पूरे विश्व को एक ‘विश्व ग्राम’ में परिवर्तित कर दिया है।, जहां भौगालिक, सामाजिक एवं राष्ट्रीय सीमाएं सभी अप्रासंगिक हैं तथा ये बिना किसी भेदभाव के सर्व सुलभ हैं। यहां कोई भी स्वतंत्र रूप से विविध ढंग से सामाजिक विकास हेतु रचनात्मक कार्यो तथा वैश्विक विभाजनों को दूर करने में इनका उपयोग कर सकता है।

इंटरनेट की दुनिया में लोगों के पास असंख्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म हैं, जिसने आपस में संचार को तीव्र एवं आसान बना दिया। इसकी पहुंच काफी व्यापक होती है, जो काफी लोगों को प्रभावित करने में सक्षम होती है। परंतु इसके भी दो पहलू हैं-अच्छा या बुरा।

सोशल मीडिया के बेहतर प्रभावों के बीच इसके कुछ दुष्प्रभाव भी हैं, जो हमारे देश के परिदृश्य को व्यापक तौर पर प्रभावित कर रहे हैं। इन सूचना तकनीकों के नित नवीन रूपों से जितनी सुविधाएं हासिल हुई हैं। उतनी ही असुरक्षा का भी वातावरण इन्होंने उत्पन्न किया है। अब राष्ट्र की एकता एवं अखंडता के लिए खतरा बनने वाले राष्ट्रविरोधी त्तव भी इन साइट्स का अपने लाभों के लिए खुले रूप में इनका प्रयोग कर रहें हैं।

इन त्तवों के बीच संर्पक का माध्यम ई-मेल, चैट जैसे पारंपरिक माध्यमों के अलावा अब नई तकनीके और सेवाएं ज्यादा लोकप्रिय हैं। ये आधुनिकतम संदेश की एनक्रिप्शन तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं जिन्हें पढ़ पाना बहुत मुश्किल होता है और ये इनके बचाव का माध्यम बन जाता है।