भारत सरकार द्वारा साइबर सुरक्षा के लिए उठाये गये कदम

भारत सरकार ने इस क्षेत्र में दो बड़े कदम उठाये हैंः

  • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम - 2000
  • राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति - 2013

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम - 2000

  • इसके तहत साइबर क्राइम को IPC की धाराओं के तहत आपराधिक कृत्य माना गया है। इस अधिनियम में ई-कॉमर्स, सरकारी विभागों में ई-दस्तावेजों आदि के बारे में नियम तैयार किये गए हैं। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम- 2000 की प्रमुख धाराएं निम्नलिखित हैं-
  • धारा 66(a): इस धारा में किसी के बारे में गलत जानकारी देकर उसकी मानहानि करने को साइबर अपराध माना गया है। श्रेया सिंघल के केस में 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि धारा 66(a) अभिव्यक्ति की आजादी को कम करती है और इसमें लिखे गये शब्द ‘असुविधा’, ‘परेशानी’ या ‘चरित्र हीनता’ व्यापक अर्थ वाले शब्द हैं, और प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा इसे लागू करा पाना मुश्किल होता है। धारा 66(a) संविधान के तहत दी गयी अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ है।
  • धारा 66(b): इसके तहत संचार उपकरणों की चोरी या कंप्यूटर आदि को चुराना अपराध है।
  • धारा 66(c): इसके तहत पहचान की चोरी करना अपराध है। जैसे सोशल मीडिया पर किसी और की फोटो लगाना आदि। पहचान चोरी करने में किसी के आईडी, पासवर्ड चुराने को भी अपराध माना गया है।
  • धारा 66(e): इसके तहत किसी की निजी जानकारियों को वीडियो आदि के माध्यम से प्रचारित करना, साझा करना आदि को अपराध माना गया है।
  • धारा 66(f): यह धारा साइबर आतंकवाद से सम्बंधित है। ऐसा कोई भी कार्य जो साइबर स्पेस में किया गया हो और उससे देश की अखंडता, एकता के लिए खतरा हो, साइबर आतंकवाद कहलाता है। इस अपराध में उम्रकैद तक हो सकती है।
  • धारा 67: इस धारा के तहत अश्लील सामग्री का प्रचार, प्रसारण आदि करना अपराध है।

साइबर अपराध

साइबर अपराध एक ऐसा अपराध है जिसमें कंप्यूटर और नेटवर्क शामिल है। किसी भी कंप्यूटर का अपराधिक स्थान पर मिलना या कंप्यूटर से कोई अपराध करना कंप्यूटर अपराध कहलाता है। कंप्यूटर अपराध में नेटवर्क शामिल नहीं होता है। किसी की निजी जानकारी को प्राप्त करना और उसका गलत इस्तेमाल करना, किसी की भी निजी जानकारी कंप्यूटर से निकाल लेना या चोरी कर लेना भी साइबर अपराध है। कंप्यूटर अपराध भी कई प्रकार से किए जाते हैं जैसे कि जानकारी चोरी करना, जानकारी मिटाना, जानकारी में फेर बदल करना, किसी की जानकारी को किसी और को देना या कंप्यूटर के भागों को चोरी करना या नष्ट करना आदि। साइबर अपराध भी कई प्रकार के हैं जैसे कि स्पैम ईमेल, हैकिंग, फिशिंग, वायरस, किसी पर हर वक्त नजर रखना आदि।

व्यक्तिगत अपराधः इस प्रकार अपराध किसी व्यक्ति या उसकी निजी संपत्ति आदि को लेकर हो सकते हैं। इनमें इलेक्ट्रॉनिक मेल, साइबर स्टॉकिंग, अश्लील/आपत्तिजनक सामग्री के इंटरनेट द्वारा प्रसार से हैकिंग/ क्रैकिंग या किसी अन्य अपराध में कंप्यूटर का प्रयोग करना, वायरस फैलाना, इंटरनेट साइट्स पर अतिक्रमण तथा बिना स्वीकृति के किसी व्यक्ति के कंप्यूटर पर गलत या आपराधिक तरीके से कब्जा करना आदि सम्मिलित हैं।

किसी संस्था के विरुद्धः इस प्रकार के अपराध सामान्यतः किसी सरकारी, निजी संस्था, कंपनी या किसी समूह के खिलाफ हो सकते हैं ये अपराध भी हैिकंग, क्रैकिंग द्वारा अथवा गैरकानूनी ढ़ंग से सूचनाओं को प्राप्त करने और उनका इस्तेमाल किसी संस्था या सरकार के विरुद्ध करके किए जाते हैं। पाइरेटेड सॉफ्रटवेयर का वितरण एवं अन्य प्रकार के गैरकानूनी कंप्यूटर संबंधी कार्यों से संबंधित अपराध इस श्रेणी में आते हैं।

समाज के विरुद्धः ये अपराध किसी व्यक्ति या संस्था के विरुद्ध ही सीमित न रह कर संपूर्ण समाज को प्रभावित करते हैं इस प्रकार के अपराधों में पोर्नोग्राफी तथा अश्लील सामग्री या ट्रैफिकिंग जैसे अपराध शामिल होते हैं।

राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति - 2013 के उद्देश्य

  • इस नीति का मुख्य उद्देश्य देश को भविष्य के संभावित साइबर हमलों के लिए तैयार करना है। भारत की साइबर नीति साइबर युद्धों के साथ-साथ साइबर भौतिक युद्धों पर भी अपना ध्यान केन्द्रित करती है। साइबर युद्धों में वायरस, रैनसमवेयर आदि आते हैं वहीं साइबर भौतिक युद्धों में रोबोट, ड्रोन आर्मी, कृत्रिम बौद्धिक मशीन आदि आते हैं। इस नीति के माध्यम से देश में पेशेवरों की एक टीम तैयार की जाएगी जो देश की रक्षा जरूरतों को पूरा करेगी। इस नीति के प्रमुख बिंदु निम्नलििखत हैं:
  • सरकार के स्तर पर साइबर सुरक्षा के लिए कड़े कानून तैयार किये जाएंगे, देश में साइबर चेतावनी जारी करने के लिए प्रणाली तैयार की जाएगी। साइबर सुरक्षा के लिए CERT – IN एजेंसी बनाई गई है।
  • निजी सुरक्षा के स्तर पर कम्पनियों को नवीन तकनीकों और सुरक्षित उपकरणों को अपनाने के लिए प्रेरित किया जायेगा।
  • प्रयोगकर्ता के स्तर पर उन्हें साइबर सुरक्षा से सम्बंधित खतरों की जानकारी के प्रति जागरूक किया जायेगा। साइबर सुरक्षा से सम्बंधित आधारभूत अवसंरचना को बेहतर किया जायेगा।