भारत में लागू कुछ मुख्य सामाजिक सुरक्षा कानून

कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 (ईएसआई एक्ट) जिसके दायरे में ऐसे कारखाने और संस्थाएं आते हैं, जिनमें 10 या अधिक श्रमिक काम करते हों और यह अधिनियम कामगारों और उनके परिवारों के लिए चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के साथ-साथ बीमार होने और बच्चे के जन्म की स्थिति में नकद लाभ तथा मृत्यु या शारीरिक अक्षमता की स्थिति में मासिक भुगतान का प्रावधान करता है।

कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 (ईपीडी एंड एमपी एक्ट) जो ऐसे विशेष अनुसूचित कारखानों और संस्थानों पर लागू होते हैं जिनमें 20 या अधिक कर्मचारी काम करते हैं और यह अधिनियम भविष्य निधि पर टर्मिनल लाभ, सुपरएन्युएशन पेंशन, और सेवा के दौरान मृत्यु होने पर परिवार पेंशन का प्रावधान करता है। कोयले की खदानों और चाय बागानों के कामगारों के लिए इन्हीं प्रकारों के लाभ हेतु अलग से कानून हैं।

कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम, 1923 (डब्ल्यूसी एक्ट), जो काम के दौरान घायल होने के कारण मृत्यु या शारीरिक अक्षमता की स्थिति में कामगार या उसके परिवार को क्षतिपूर्ति के भुगतान का प्रावधान करता है। मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 (एम-बी- एक्ट), जो बच्चे के जन्म की स्थिति में 12 सप्ताह के सवैतनिक अवकाश और मातृत्व संबंधी अन्य मामलों में भुगतान सहित अवकाश का प्रावधान करता है।

ग्रैच्युइटी भुगतान अधिनियम, 1972 (पी-जी- एक्ट), जिसमें न्यूनतम 10 कामगारों वाले संस्थान में पांच साल या अधिक समय तक काम कर चुके कर्मचारियों को हर साल 15 दिनों का वेतन देने का प्रावधान है। कोयला खदानों और असम के चाय बागानों के श्रमिकों तथा सागरकर्मियों के लिए पृथक भविष्य निधि कोष अधिनियम।