केंद्रीय सतर्कता आयोग ने भ्रष्टाचार के निम्न प्रकारों का उल्लेख किया है

  • निम्नस्तरीय वस्तुओं या कार्य को स्वीकार करना।
  • सार्वजनिक धन और भण्डार का दुरुपयोग करना।
  • ऐसे ठेकेदारों या फर्मों से कर्ज लेना जिनसे उनके कार्यालय स्तरीय संबंध होते हैं।
  • ठेकेदारों एवं फर्मों को रियायतें देना।
  • झूठे दौरे, भत्ते एवं गृह किराया आदि का दावा करना।
  • अपनी आमदनी से अधिक वस्तुओं को रखना।
  • बिना पूर्व सूचना या पूर्व अनुमति के अचल संपत्ति अर्जित करना।
  • प्रसाद या अन्य कारण से शासन को हानि पहुंचाना।
  • शासकीय पद या सत्ता का दुरुपयोग।
  • भर्ती, नियुक्ति, स्थानान्तरण एवं पदोन्नति के संबंध में गैर-कानूनी रूप से धन लेना।
  • शासकीय कर्मचारियों को व्यक्तिगत कार्यों में प्रयोग करना।
  • जन्म-तिथि एवं समुदाय संबंधी जाली प्रमाणपत्र तैयार करना।
  • रेल एवं वायुयान में सीट सुरक्षित करने में अनियमितता।
  • मनीऑर्डर, बीमा एवं मूल्य देय पार्सलों, आदि को न देना।
  • नए डाक टिकटों को हटाकर पुराने टिकट लगाना।
  • आयात एवं निर्यात लाइसेंस देने में असहयोग एवं अनियमितता।
  • शासकीय कर्मचारी की जानकारी एवं सहयोग से विभिन्न फर्मों द्वारा आयातित एवं निर्धारित कोटे का दुरुपयोग करना।
  • टेलीफोन कनेक्शन देने में अनियमितत।
  • अनैतिक आचरण।
  • उपहार ग्रहण करना।
  • आर्थिक लाभ के लिए आय कर, संपत्ति कर आदि का कम मूल्यांकन प्रस्तुत करना।
  • स्कूटर एवं कार खरीदने के लिए स्वीकृत अग्रिम धनराशियों का दुरुपयोग।
  • विस्थापितों के दावों के निपटाने में अनुचित विलम्ब।
  • आवासी भूमि के हिस्सों में क्रय एवं विक्रय के संबंध में धोखा देना।
  • विस्थापितों के दावों का गलत मूल्यांकन तथा
  • शासकीय क्वार्टरों का अनधिकृत कब्जा एवं उन्हें अनधिकृत रूप से किराए पर उठाना।