विश्व अंतरिक्ष कार्यक्रम

अंतरिक्ष अनुसंधान या अन्वेषण मानव एवं विज्ञान दोनों के लिए ही चुनौतीपूर्ण रहा है। आज से चार दशक पूर्व यह प्रक्रिया तब प्रारंभ हुई, जब सोवियत संघ (पूर्व नाम) ने ‘स्पुतनिक’ (Sputnik) एवं अमेरिका ने ‘एक्सप्लोरर’ (Explorer) नामक अंतरिक्ष यान अंतरिक्ष में भेजे। 1969 में ‘अपोलो’ (Apollo) नामक यान से चन्द्रमा की सतह पर पहुंचकर मानव ने इस दिशा में एक नयी उपलब्धि हासिल की। इसके पश्चात् अंतरिक्ष में ‘स्काईलैब’, ‘सोल्यूत’ एवं ‘मीर’ नामक तीन नये केन्द्रों की स्थापना की गयी। 1989 में अमेरिका द्वारा भेजे गये ‘वायेजर्स’ नामक अंतरिक्ष यान ने ग्रहों एवं उपग्रहों के बारे में अनेक महत्त्वपूर्ण जानकारियां हासिल की।

4 अक्टूबर, 1957 का दिन अंतरिक्ष में मानव के पदार्पण का प्रतीक है। इस दिन सोवियत संघ ने ‘स्पुतनिक’ नामक अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष की कक्षा में भेज कर एक नये युग की शुरुआत की। इसके कुछ ही समय पश्चात् सोवियत संघ ने ‘स्पुतनिक प्प्’ नामक यान भेजा। इस यान में एक कुत्ता भी भेजा गया, जिसके द्वारा अंतरिक्ष में जीवों पर पड़ने वाले विभिन्न प्रभावों का अध्ययन किया गया। 31 जनवरी, 1958 को अमेरिका ने ‘एक्सप्लोरर’ नामक अंतरिक्ष यान प्रक्षेपित किया। इसके द्वारा पृथ्वी के ऊपर विद्यमान चुम्बकीय क्षेत्र एवं पृथ्वी पर उसके प्रभावों का अध्ययन किया गया।

अक्टूबर 1959 में सोवियत संघ द्वारा भेजे गये ‘लूना-3’ नामक अंतरिक्ष यान से सर्वप्रथम चन्द्रमा के चित्र प्राप्त हुए। 1962 में अमेरिका द्वारा भेजे गये ‘मैराइनर-2’ नामक यान ने ‘वीनस’ (शुक्र) के संबंध में अनेक महत्त्वपूर्ण सूचनाएं पृथ्वी पर भेजी। 1965 में ‘मैराइनर-4’ ने मंगल ग्रह के अनेक रहस्यों का पता लगाया। इस प्रकार, अंतरिक्ष अनुसंधान के संबंध में मानव द्वारा किये गये प्रारंभिक प्रयासों से शुक्र, मंगल एवं चन्द्रमा से संबंधित अनेक तथ्यों का पता लगा तथा उन पर जीवन की संभावनाओं का तुलनात्मक अध्ययन किया गया। प्रारंभ में अंतरिक्ष अनुसंधान हेतु भेजे जाने वाले अधिकांश यान मानव रहित ही थे।

अंतरिक्ष में मानव का पहला कदम

अंतरिक्ष में मानव का पहला कदम 2 अप्रैल, 1961 को पड़ा, जब सोवियत संघ के यूरी गागरिन ने ‘वोस्टॉक’ नामक यान से अंतरिक्ष की यात्र की। यूरी गागरिन अंतरिक्ष में पहुंचने वाले विश्व के प्रथम व्यक्ति थे। 16 जून, 1963 को सोवियत संघ की ही वेलेन्टीना टेरेस्कोवा ने ‘वोस्टॉक-6’ नामक अंतरिक्ष यान से अंतरिक्ष की यात्र करके विश्व की प्रथम महिला अंतरिक्ष यात्री होने का गौरव हासिल किया।

विश्व के उपग्रह प्रक्षेपण स्थल

  • विश्व में लगभग 22 उपग्रह प्रक्षेपण स्थल हैं और लगभग 24 प्रक्षेपण स्थलों का निर्माण किया जा रहा है। विश्व के सबसे व्यस्त उपग्रह प्रक्षेपण स्थल हैं- केप केनवरल, वंडेनबर्ग, बैकानूर, प्लेसेट्स, कौरु, तानेगाशिमा, जिआक्विन, झियांग और श्रीहरिकोटा। विश्व के प्रमुख उपग्रह प्रक्षेपण स्थल इस प्रकार हैं-
  • संयुक्त राज्य अमेरिकाः केनेडी स्पेस सेंटर (केप केनवरल), फ्लोरिडा
    • वंडेनबर्ग एएफबी, कैलीफोर्निया
    • एडवर्ड एयरबेस स्टेशन, कैलीफोर्निया
    • वेलोप्स द्वीप, वर्जीनिया
  • जापानः कगोशिमा स्पेस सेंटर
    • तानेगाशिमा स्पेस सेंटर
  • इजराइलः नेगेव (पलमाचिम)
  • भारतः श्रीहरिकोटा, आन्ध्र प्रदेश
  • यूरोपः कौरु, फ्रेंच गुयाना
  • राष्ट्रकुल देशः बैकॉनूर, कजाकिस्तान
    • कपुस्तिनयार, रूस
    • प्लेसेट्स्क, रूस
  • चीनः सुआंग चेंज जू (जुआक्विन स्पेस सेंटर)
    • झियांग
    • ताईयुआन स्पेस सेंटर, वुझाई
  • ब्राजीलः अलकेटरा लांच सेंटर
  • अफ्रीकाः सान मार्काे प्लेटफार्म (केन्या तट)
  • ऑस्ट्रेलियाः वूमेरा (द- ऑस्ट्रेलिया)
  • फ्रांसः हमैगुर, अल्जीरिया एवं कौरु (फ्रेंच गुयाना)
  • नार्वेः एंडोए रॉकेट रेंज

विश्व के मानवरहित चन्द्रमिशन

चन्द्रमिशन

देश

प्रक्षेपन तिथि

मिशन समाप्ति

अवधि

स्मार्ट-1

यूरोप

3 सितंबर, 2006

नष्ट

-

एमआईपी

भारत

14 नवंबर, 2008

नष्ट

-

ओकिना (RSAT)

जापान

12 फरवरी, 2009

नष्ट

-

चेंज-1

चीन

1 मार्च, 2009

नष्ट

-

कागुया

जापान

10 जून, 2009

नष्ट

-

आउना (VSAT)

जापान

14 सितंबर, 2007

29 जून, 2009

1 वर्ष

चन्द्रयान-1

भारत

22 अक्टूबर, 2008

29 अगस्त, 2009

312 दिन

लूनर रिकोनेसेंस अर्बिटर

सं. रा. अमेरिका

10 जून, 2009

-

1 वर्ष

लक्रोस

सं. रा. अमेरिका

10 जून, 2009

-

-

लूना ग्लोब-1

रूस

2010

-

-

ग्रेल (GRAIL)

सं. रा. अमेरिका

6 सितंबर, 2011

-

-

लेडी (LADEE)

सं. रा. अमेरिका

2011

-

-

चेंज -2

चीन

2010

-

-

लूना ग्लोब-2

रूस

2011

-

-

आईएलएन नोड-1

सं. रा. अमेरिका

2013

-

-

आईएलएन नोड-2

सं. रा. अमेरिका

2014

-

-

सेलेना-2

जापान

2012-2013

-

-

मून एलआईटीई

यू-के-

2013

-

-

चेंज-3 लैंडर/रोवर

चीन

2013

-

-

लूना ग्रंट-1

रूस

2014

-

-

लूना ग्रंट-2

रूस

2015

-

-

आईएलएन नोड-3 - 4

सं. रा. अमेरिका

2016-17

-

-

चेंज-4

चीन

2017

-

-

चन्द्रयान-2

भारत

अप्रैल 2018

लूनिय पोलीगन

रूस

2020

-

-

मून अर्बिटर/ लैंडर

द- कोरिया

2020/2025

-

-

चंद्र अभियान

अमेरिका ने ‘मर्करी’ अंतरिक्ष यान अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया तथा 1965 में ‘जेमिनी शृंखला’ शुरू की, जिसका मुख्य उद्देश्य चन्द्रमा के लिए ‘अपोलो’ अभियान की तैयारी करना था। 12 जुलाई, 1969 को ‘अपोलो’ नामक अंतरिक्ष यान चन्द्रमा की सतह पर पहुंचा। 12 जुलाई, 1969 का दिन अंतरिक्ष अनुसंधान के इतिहास में एक अविस्मरणीय दिन था। इसी दिन अपोलो पर सवार नील आर्मस्ट्रांग एवं एडविन एल्ड्रिन ने चन्द्रमा की धरती पर पैर रख कर एक नया इतिहास रचा। विभिन्न अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा चन्द्रमा की सतह के संबंध में किये गये अध्ययनों से चन्द्रमा की भौगोलिक संरचना एवं उसमें उपस्थित पदार्थों के संबंध में अनेक बातें ज्ञात हुईं।

वैज्ञानिकों ने चन्द्रमा की सतह पर पलायन वेग (Escape Velocity), गुरुत्वाकर्षण प्रभाव एवं वायुमंडल की अनुपस्थिति के संबंध में पृथ्वी के साथ तुलनात्मक अध्ययन किया।

मंगल अभियान

मंगल ग्रह (Mars) के संबंध में किये गये अध्ययनों से वहां जीवन की संभावनाएं सर्वाधिक पायी गयी हैं। पूर्व में मंगल ग्रह के संबंध में अनुसंधान हेतु अमेरिका व रूस द्वारा अंतरिक्ष यान की दो शृंखलाएं भेजी गयीं। इनमें से पहली 1975 में ‘अपोलो-सोयुज’ एवं दूसरी 1995 से प्रारंभ ‘अटलांटिक मीर’ थी। वर्ष 1997 में ‘पाथ फाइंडर’ (अमेरिकी अंतरिक्ष यान) 4 जुलाई को सात माह की यात्र के बाद मंगल ग्रह पर उतरा। इसने वहां से कुछ ऐसे दुर्लभ चित्र भेजे, जिनके विश्लेषण से वहां जीवन की संभावना नजर आती है।

हाल में मंगल अभियान ने पुनः गति पकड़ी है। यूरोपीय ‘मार्स बीगल’ अभियान विफल हो गया, लेकिन अमेरिका के रोवर्स-स्पिरिट तथा अपॉर्च्युनिटी के यान अपने मकसद में कामयाब रहे। ‘स्काईलैब’ एवं रूसी ‘साल्युत’ अंतरिक्ष केन्द्रों द्वारा भी अंतरिक्ष के संबंध में अनेक महत्त्वपूर्ण सूचनाएं पृथ्वी पर भेजी गयी हैं। अमेरिका ने अंतरिक्ष के रहस्यों का पता लगाने के लिए कई अंतरिक्ष शटल भी अंतरिक्ष में भेजे हैं। 12 अप्रैल, 1981 को इसी प्रकार का पहला अन्तरिक्ष शटल ‘कोलंबिया’ अंतरिक्ष में भेजा गया था। उसके बाद ‘चैलेंजर’, ‘डिस्कवरी’ एवं ‘अटलांटिस’ नामक शटल अमेरिका ने अंतरिक्ष में भेजे। 15 नवंबर, 1988 को सोवियत संघ ने ‘बुरान’ शटल को विश्व के सबसे शक्तिशाली बूस्टर रॉकेट ‘इनर्जिया’ के साथ अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया। इससे पूर्व 20 फरवरी, 1986 को रूस ने अंतरिक्ष में ‘मीर’ नामक अंतरिक्ष केन्द्र की स्थापना करके अंतरिक्ष अनुसंधान की दिशा में एक नया प्रयोग प्रारंभ किया था। 130 टन भार वाले मीर स्टेशन में छह प्रक्षेपण यानों को एक साथ रखा जा सकता है। 3 मार्च, 1986 को सोवियत संघ ने ‘सोयुज-15’ नामक उपग्रह अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया।

यह पहला उपग्रह था, जिसका प्रक्षेपण लोगों ने टेलीविजन पर देखा। ‘सोयुज-7’ एवं ‘सोयुज-टी’ नामक उपग्रह भी सोवियत संघ द्वारा छोड़े गये। 11 देशों के सहयोग से बनी यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (E.S.A.) ने एरियन रॉकेट छोड़ा। भारत, चीन, ब्राजील तथा जापान जैसे देशों ने भी अंतरिक्ष अनुसंधान की दिशा में महत्त्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कर ली हैं। अंतरिक्ष अनुसंधान जनित प्रौद्योगिकी विकास ने अंतरिक्ष पर्यटन के दीर्घकालीन स्वप्न को सच कर दिया है। 2002 ई- में प्रथम अंतरिक्ष पर्यटक बनने का गौरव डेनिस टीटी को मिला, जबकि 18 सितंबर, 2006 को अनुशेह अंसारी पहली महिला अंतरिक्ष यात्री बनी। 23 जून, 2007 को सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष में 195 दिन रहकर वापस आयीं। इस प्रकार उन्होंने महिला अंतरिक्ष यात्री कैथरीना थारटन के रिकार्ड को तोड़ी एवं इसके साथ ही अंतरिक्ष में मैराथन करने वाली पहली महिला बनीं। उन्होंने 29 घंटा एवं 17 मिनट तक चार स्पेस वाक कर विश्व रिकॉर्ड बनाया। इससे अंतरिक्ष अनुसंधानों के लिए धन जुटाने की राह मिली है। सं-रा- अमेरिका के राष्ट्रपति ने 2020 ई- तक चांद पर पहली मानव बस्ती स्थापित कर देने की घोषणा की है तथा वहां की अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी ‘नासा’ उक्त संकल्प को मूर्त रूप देने की दिशा में आगे बढ़ने लगी है।

मंगल पर चीन का रोवर

भारत के मंगल अभियान की सफलता के उपरांत भारत की बराबरी करने के लिए चीन ने लाल ग्रह मंगल पर वर्ष 2020 में अपना रोवर भेजने की घोषणा की है। यह मंगल ग्रह पर जल और जीवन की तलाश करेगा। इसके प्रतिरूप को 4 से 8 नवंबर, 2014 के मध्य आयोजित 16वें चीनी अंतरराष्ट्रीय औद्योगिक मेला में प्रदर्शित किया गया। इस रोवर का परीक्षण तिब्बत के बीहड़ क्षेत्रें में किया जाएगा। यह रोवर चीन का चंद्रमा पर भेजे यूतू या जेड रैबिट (Yutu are jade Rabbit) के समान ही दिखता है। चीन के चंद्रमा अभियान के परियोजना प्रमुख ओयांग जि़युआन (ouyong Ziyuan) ने सरकारी मीडिया से कहा कि चीन का दूसरा मंगल अभियान 2020 से पहले लांच कर दिया जाएगा जबकि वर्ष 2030 तक मानवरहित अंतरिक्ष यान इस ग्रह के नमूने लाने के लिए भेजा जाएगा। ज्ञातव्य है कि वर्ष 2011 में चीन द्वारा मंगल ग्रह पर भेजा गया पहला सैटेलाइट यिंगहुओ-1 कक्षा में न पहुंच पाने के कारण असफल हो गया था।

ब्रह्मांड की विशालतम गैलेक्सी फिनिक्स

वैज्ञानिकों ने अब तक की सबसे विशाल गैलेक्सी ‘‘फीनिक्स’’ की खोज कर ली है। यह गैलेक्सी प्रतिदिन इतने सितारों को जन्म देती है जितने की हमारी आकाशगंगा एक साल में भी नहीं देती है। इसलिए इसे आकाशगंगाओं की मां भी कहा जाता है। नासा के चंद्रा एक्सरे टेलीस्कोप द्वारा इस विशालतम और सबसे चमकीली गैलेक्सी को खोजा गया जो हर साल करीब 750 सितारों को जन्म देती है। चमकीली विशाल फीनिक्स गैलेक्सी हमारी मिल्की वे से 5-7 अरब प्रकाश वर्ष दूर है। फीनिक्स इन आकाशगंगाओं के नए गुच्छों के बीच मिला है जिसे अगस्त 2012 में नासा के वैज्ञानिकों ने खोजा है।