बाल यौन अपराधा संरक्षण (पोक्‍सो) अधिनियम, 2012 में संशोधान

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बच्चों के खिलाफ यौन अपराध करने पर दंड को अधिक कठोर बनाने के लिए बाल यौन अपराध संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी है।

मुख्य तथ्य

  • पोक्सो अधिनियम 2012 को बच्चों के हित और भलाई की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए बच्चों को यौन अपराध, यौन उत्पीड़न और पोर्नोग्राफी से संरक्षण प्रदान करने के लिए लागू किया गया था। यह अधिनियम बच्चे को 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता है और बच्चे का शारीरिक, भावनात्मक, बौद्धिक और सामाजिक विकास सुनिश्चित करने के लिए हर चरण को ज्यादा महत्व देते हुए बच्चे के श्रेष्ठ हितों और कल्याण का सम्मान करता है। इस अधिनियम में लैंगिक भेदभाव नहीं है।
  • पोक्सो अधिनियम, 2012 की धारा-4, धारा-5, धारा-6, धारा-9, धारा-14, धारा-15 और धारा-42 में संशोधन बाल यौन अपराध के पहलुओं से उचित तरीके से निपटने के लिए किया गया है।
  • बाल यौन अपराध की प्रवृति को रोकने के उद्देश्य से एक निवारक के रूप में कार्य करने के लिए इस अधिनियम की धारा-4, धारा-5 धारा-6 और धारा 9 का संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है, ताकि बच्चों को यौन अपराध से सुरक्षा प्रदान करने के लिए आक्रामक यौन अपराध करने के मामले में मृत्युदंड सहित कठोर दंड का विकल्प प्रदान किया जा सके।
  • बाल पोर्नोग्राफी की बुराई से निपटने के लिए पोक्सो अधिनियम, 2012 की धारा-14 और धारा-15 में भी संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। इस प्रकार की सामग्री का प्रसारण/प्रचार/किसी अन्य तरीके से प्रबंधन करने के मामले में जेल या जुर्माना या दोनों सजाएं देने का प्रस्ताव किया गया है।
  • न्यायालय द्वारा यथा निर्धारित आदेश के अनुसार ऐसी सामग्री का न्यायालय में सबूत के रूप में उपयोग करने के लिए रिपोर्टिंग की जा सकेगी।

पॉक्सो ई-बॉक्स सूचना

राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने छठी कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा की सभी पाठ्य पुस्तकों के पीछे के कवर में चाइल्डलाइन (1098) बच्चों के लिए 24 घंटे उपलब्ध हेल्पलाइन और पॉक्सो ई-बॉक्स के सम्बन्ध में जानकारी दी गई है।

इन पाठ्यक्रम पुस्तकों के जरिए जानकारी 15 लाख स्कूलों के करीब 26 करोड़ स्कूली छात्रों तक पहुंचने की उम्मीद है। एनसीईआरटी को भी सलाह दी गई है कि इस मुद्दे पर सामाजिक विज्ञान की पुस्तक में भी एक अध्याय जोड़ा जा सकता है। यह जानकारी 12वीं कक्षा तक दी जा सकती है, जिसका युवा मस्तिष्क पर अच्छा असर पड़ेगा।