जल मार्ग विकास परियोजना (जेएमवीपी)

आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने जनवरी, 2018 में विश्व बैंक की तकनीक और वित्तीय सहायता से 5369 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली जल मार्ग विकास परियोजना (जेएमवीपी) के क्रियान्वयन को स्वीकृति दे दी थी। जेएमवीपी का उद्देश्य 2000 डेड वेट टन (डीडब्ल्यूटी) तक के जहाजों के परिवहन के लिए राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (एनडब्ल्यू-1) की स्थिति में सुधार करना है।

इस परियोजना की मुख्य गतिविधियों में बहु-मॉडल टर्मिनल, जल बंधों का निर्माण, नदी सूचना प्रणाली, चैनल मार्किंग, नदी प्रशिक्षण और संरक्षण कार्य शामिल हैं। जेएमवीपी के विभिन्न भागों के क्रियान्वयन की स्थिति निम्नलिखित है-

फेयरवे (जहाज मार्ग) विकासः फरक्का और कहलगांव (146 किलोमीटर) के बीच के टुकड़े की गहराई सुनिश्चित करने के लिए काम शुरू हो गया है। इसी प्रकार सुल्तानगंज-महेंदरपुर टुकड़े (74 किलोमीटर) और महेंदरपुर-बाढ़ टुकड़े (71 किलोमीटर) के लिए निविदाओं के आकलन का कार्य प्रगति में है।

बहु-मॉडल टर्मिनल, वाराणसीः 206 करोड़ रुपये की लागत से बने 1.26 एमटीपीए की मौजूदा क्षमता के साथ बहु-मॉडल टर्मिनल का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुभारम्भ किया गया था। यह गंगा नदी पर बना पहला बहु-मॉडल टर्मिनल है, जिससे प्रत्यक्ष रूप से 500 और अप्रत्यक्ष रूप से 2000 रोजगार पैदा होने का अनुमान है।

बहु-मॉडल टर्मिनल, साहिबगंजः टर्मिनल के निर्माण पर 280-90 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है और यह जून, 2019 तक पूरा होना प्रस्तावित है। अभी तक 54.81 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है।

बहु-मॉडल टर्मिनल, हल्दियाः 517-36 करोड़ रुपये की लागत से इस टर्मिनल का निर्माण कार्य 2017 में शुरू हुआ था और इसको दिसंबर, 2019 तक पूरा होना प्रस्तावित है। अभी तक 22.43 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है।

न्यू नैविगेशन लॉक, फरक्काः 359.19 करोड़ रुपये से इस कार्य को 2016 में शुरू किया गया था और अप्रैल, 2019 तक पूरा होना प्रस्तावित है। अभी तक 27.97 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है।

वाराणसी में फ्रेट विलेज और लॉजिस्टिक हबः वाराणसी में लॉजिस्टिक दक्षता, कार्गो एग्रीगेशन, भंडारण सुविधाओं और बहु-मॉडल परिवहन में सुधार के लिए एक फ्रेट विलेज और लॉजिस्टिक हब का प्रस्ताव है। 165 करोड़ रुपये की लागत से परियोजना की स्थापना से संबंधित निवेश-पूर्व गतिविधियां कराने के प्रस्ताव का मूल्यांकन डेलीगेटेड इन्वेस्टमेंट बोर्ड (डीआईबी) द्वारा किया गया और सक्षम प्राधिकरण द्वारा इसे स्वीकृति दी गई।

गंगा के लिए नए आधुनिक जहाज का डिजाइनः आईडब्ल्यूएआई ने गंगा नदी (एनडब्ल्यू-1) के अनुकूल डिजाइन वाले 13 विशेष जहाजों के डिजाइन को अगस्त, 2018 में सार्वजनिक किया। इन डिजाइनों से गंगा नदी की नौवहन की चुनौतियों से पार पाने में मदद मिलेगी।

मेरीटाइम एजेंडाः 2010-20

भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ संयुक्त रूप से वर्ष 2020 तक अपने बंदरगाहों और जहाज निर्माण उद्योग के विकास हेतु 110 अरब डॉलर के एक पैकेज की घोषणा की है। दस वर्षीय ‘मेरीटाइम एजेंडा 2010-2020’ के अन्तर्गत वर्ष 2020 तक भारतीय बंदरगाहों की क्षमता को 3,130 मीट्रिक टन तक विकसित करना है। इस नई योजना के अन्तर्गत बंदरगाह क्षेत्र में अमेरिका द्वारा 66 अरब डॉलर का निवेश होगा, जिसमें से अधिकांश निजी निवेशकों से होगा।

2018 में सागरमाला परियोजना के अंतर्गत किये गये कार्य

सागरमाला के अंतर्गत 8.8 लाख करोड़ रुपये की 605 से ज्यादा परियोजनाओं की पहचान की गई है। इनमें 0.14 लाख करोड़ रुपये की 89 परियोजनाओं को पूरा कर लिया गया है और 4.32 लाख करोड़ रुपये की विभिन्न परियोजनाएं क्रियान्वयन और विकास के विभिन्न चरणों में हैं। सागरमाला कार्यक्रम का उद्देश्य आयात-निर्यात और घरेलू व्यापार के लिए ढुलाई की लागत घटाने के उद्देश्य से बंदरगाह आधारित विकास को बढ़ावा देना है।

बंदरगाह क्षमता लक्ष्यः पोत परिवहन मंत्रालय, राज्य सरकारों के साथ मिलकर कुल बंदरगाह क्षमता को 3550 प्लस मिलियन मीट्रिक टन तक बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है, जिससे 2025 तक अनुमानित तौर पर 2500 एमएमटीपीए के ट्रैफिक के लिए सेवाएं दी जा सकेंगी। इस दिशा में 249 बंदरगाह आधुनिकीकरण परियोजनाओं की पहचान की गई है।

बंदरगाहों का आधुनिकीकरणः उन्नति परियोजना के अंतर्गत 12 प्रमुख बंदरगाहों की दक्षता और उत्पादकता में सुधार के लिए प्रदर्शन के प्रमुख संकेतकों (केपीआई) के वैश्विक बेंचमार्क को अपनाया गया। सिर्फ दक्षता में सुधार के माध्यम से 100 एमटीपीए से ज्यादा क्षमता बढ़ाने के लिए 12 प्रमुख बंदरगाहों पर लगभग 116 पहलों की पहचान की गई। लगभग 80 एमटीपीए क्षमता के लिए इनमें से 91 पहलों को लागू कर दिया गया।

नए बंदरगाहों का विकासः प्रमुख बंदरगाहों में क्षमता विस्तार की परियोजनाओं के अलावा कुल कार्गो हैंडलिंग क्षमता बढ़ाने के लिए 6 नए बंदरगाह स्थलों वधावन (महाराष्ट्र), एनायम (तमिलनाडु), ताजपुर (पश्चिम बंगाल), पारादीप आउटर हार्बर (ओडिशा), सरकाझी (तमिलनाडु), बेलेकेरी (कर्नाटक) की भी पहचान की गई है।

रेलः 9 प्रमुख बंदरगाहों पर इंडियन पोर्ट रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईपीआरसीएल) द्वारा 32 कार्य (लागतः 18,253 करोड़ रुपये) कराए गए, जिनमें से 8 कार्य (175 करोड़ रुपये) पूरे हो चुके हैं। इसके अलावा सागरमाला के अंतर्गत चिह्नित 23 रेल संपर्क परियोजनाओं (24,877 करोड़ रुपये) पर रेल मंत्रालय द्वारा काम किया जा रहा है, जिनमें से 7 परियोजनाएं (2,491 करोड़ रुपये) पूरी कर ली गई हैं।

सड़कः विभिन्न एजेंसियों द्वारा 112 सड़क संपर्क परियोजनाएं पूरी की जा रही हैं। 112 सड़क परियोजनाओं में से 54 सड़क परियोजनाएं (22,158 करोड़ रुपये) भारतमाला कार्यक्रम में शामिल की गई हैं। 102 परियोजनाएं सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और एनएचएआई द्वारा पूरी की जाएंगी। बाकी 10 परियोजनाएं राज्य पीडब्ल्यूडी, बंदरगाह प्राधिकरणों और सागरमाला विकास कंपनी (एसडीसी) द्वारा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय/एनएचएआई के सहयोग से पूरी की जाएंगी।

बंदरगाह आधारित औद्योगीकरणः सभी समुद्री राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों में 14 तटीय आर्थिक क्षेत्रों (सीईजेड) की पहचान की गई है। सीईजेड संभावित योजनाएं तैयार की गई हैं और विकास के पहले चरण में 4 पायलट सीईडेज गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के लिए विस्तृत मास्टर प्लान तैयार किए जाएंगे।