नेपाल में रामायण सर्किट का उद्घाटन

भारत के प्रधानमंत्री और नेपाल के प्रधानमंत्री ने साथ मिलकर हिंदुओं के दो पावन स्थलों जनकपुर और अयोध्या के बीच सीधी बस सेवा का उद्घाटन किया। यह बस सेवा नेपाल और भारत में तीर्थाटन को बढ़ावा देने से संबंधित ‘रामायण सर्किट’ का हिस्सा है।

भारत सरकार ने रामायण सर्किट परियोजना के तहत विकास के लिए 15 स्थलों अयोध्या, नंदीग्राम, श्रृंगवेरपुर और चित्रकूट (उत्तर प्रदेश), सीतामढ़ी, बक्सर, दरभंगा (बिहार), चित्रकूट (मध्यप्रदेश), महेंद्रगिरि (ओडि़शा), जगदलपुर (छत्तीसगढ़), नासिक और नागपुर (महाराष्ट्र), भद्रचलम (तेलंगाना), हंपी (कर्नाटक) और रामेश्वरम (तमिलनाडु) का चयन किया है।

डाक राजमार्ग

डाक राजमार्ग को हुलाकी राजमार्ग भी कहा जाता है। यह मूल रूप से नेपाल के तराई क्षेत्र में चलता है, जो पूर्व में भद्रपुर से पश्चिम की ओर डोधरा तक आता है, जो देश की पूरी चौड़ाई में कटौती करता है। इसे नेपाल के सबसे पुराने राजमार्गों में से एक माना जाता है, जिसका निर्माण शमशेर जंग बहादुर राणा और जुद्धा शमशेर जंग बहादुर राणा ने किया था, जो परिवहन की सहायता करने में मदद करते थे और पूरे हिमालयी राष्ट्र को शामिल करने वाली डाक सेवाओं की सुविधा भी देते थे।

भारत एवं नेपाल के मध्य सांस्कृतिक प्रगाढ़ता, ऐतिहासिक साझी विरासत, व्यक्तिगत स्तर पर संबंधों की मजबूती विद्यमान है। 1816 ई. में ब्रिटिश द्वारा नेपाल को जीतकर अपने नियंत्रण में ले लिया गया, भारत के स्वतंत्रता के पश्चात् चीन के प्रभाव को नेपाल में बढ़ने से रोकने हेतु भारत-नेपाल संबंधों को ब्रिटिश नीति का भी समर्थन मिला। नेपाल में 1950 के दशक में लोकतांत्रिक आंदोलन चल रहा था, किंतु नेपाल के राजा महेंद्र इसे भारत द्वारा नेपाल के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप मानते थे। इसी वजह से राजा महेंद्र ने चीन के साथ सहयोग आरंभ कर दिया।

भारत की अनेक कूटनीतिक गतिविधियों के परिणामस्वरूप भारत एवं नेपाल के संबंधों को चीनी प्रभाव से दूर भारतीय हित में साधा जा सका। भारत द्वारा नेपाल की अर्थव्यवस्था को सहारा देने हेतु व्यापार एवं पारगमन संधि (जुलाई, 1950) में की गयी। इसके तहत भारत ने नेपाल की अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक वस्तुओं की जिम्मेदारी ले ली। जिन वस्तुओं का उत्पादन नेपाल में हो रहा है और भारत में निर्यात हो रहा है, उन उत्पादों पर नेपाल निर्यात शुल्क भी लगा सकता था। हालांकि यह नीति पहले 1960 में नवीनीकृत, फिर 1989 में समाप्त कर दी गयी, किंतु नेपाल के आग्रह पर इसे पुनः 1996 में लागू किया गया।

संयुक्त सैन्य अभ्यास सूर्य किरण-13

भारत और नेपाल पिथौरागढ़, उत्तराखंड में 30 मई से 12 जून, 2018 तक संयुक्त सैन्य अभ्यास सूर्य किरण-XIII आयोजित किया गया। सूर्य किरण सैन्य अभ्यास साल में दो बार होता है, जो कि क्रमबद्ध रूप से दोनों ही देशों में आयोजित होता है। सूर्य किरण सैन्य अभ्यास का उद्देश्य संयुक्त रूप से पहाड़ी क्षेत्र में आतंकवादरोधी अभियानों को ध्यान में रखकर जवानों को प्रशिक्षित करना है।